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10 अप्रैल 2013

चेत्रशुक्ल प्रतिपदा संवत 2070, 11 अप्रैल गुरुवार को बड़े धूमधाम से मनाएं।

आइये हम सब मिलकर हिन्दू नववर्ष चेत्रशुक्ल प्रतिपदा संवत 2070, 11 अप्रैल गुरुवार को बड़े धूमधाम से मनाएं।
- इसी दिन मर्यादा पुरूषोतम भगवान रामचन्द्र का राज्याभिषेक हुआ था।
- इसी दिन महाराज विक्रमादित्य की ओर से शंक व दुणों पर गौरवमयी विजय एवं इनको हिन्दू राष्ट्र के साथ आत्मसात करके विक्रमी सम्वत का शुभारंभ दिवस है।
- इसी दिन स्वामी दयानंद की ओर से आर्य समाज का स्थापना की गई।
- इसी दिन पावन पुनीत चेत्र नवरात्रि का प्रथम दिवस है।
- इसी दिन डा. हेडगेवार का जन्मदिवस है।
- इसी दिन ब्रहमा की ओर से सृष्टि की रचना का दिन है।
- इसी दिन महर्षि गौतम जयंती का जन्मदिन है।
- इसी दिन झूलेलाल भी अवतरित हुए थे।
- इसी दिन महाराज युधिष्टिर का राजतिलक भी हुआ था।
- इसी दिन सिखों के पांचवे गुरू अंगदेव का जन्म हुआ था।

उपरोक्त गौरवशाली एवं ऐतिहासिक घटनाएं चैत्र एकम से जुडी हुई है। आओ अपने देव पुरूषों, महापुरूषों की गौरवशाली परम्परा को महोत्सव के रूप में मनाएं।

उन्हें मुसलमानों के अधूरे ख्वाबों से कुछ लेना देना नहीं

दोस्तों  राजस्थान का एक टी वी चेनल जो राजस्थान सरकार का अपना चेनल हो गया है स्न्व्म्भु रूप से उसकी अपनी टी आर पी बढाने का दावा है सरकार की सेवा से निवर्त हुए एक सेवक इस चेनल को चला रहे है और इस चेनल के संवाददाता हाल ही में कोटा में अधूरे ख़्वाब की शूटिंग करने आये तब उनके आचरण से पता लगा के उन्हें मुसलमानों के अधूरे ख्वाबों से कुछ लेना देना नहीं उन्हें तो केवल मेच फिक्सिंग वाली स्टोरी चाहहिये जो सरकार को बताकर उससे विज्ञापन और सुविधाय्ने बटर सकें .....दोस्तों बात  कडवी है लेकिन सच्ची है ..इस टी वी चेनल ने पहले एक बार भीलवाडा मस्जिद बेचने और राजस्थान की वक्फ सम्पत्ति पर अधूरे ख्वाब की शूटिंग खासा कोठी में की थी लेकिन बाद में दवाब आने पर उस सच्चाई को रोक दी इतना ही नहीं जिन कोंग्रेसी भाइयों ने मुसलमानों का दर्द बयाँ करते हुए वक्फ बोर्ड और दुसरे सरकारी मुस्लिम इदारों की पोल खोली थी उनकी सीडी कोंग्रेस के नेताओं को देदी जिन्हें बाद में इन नेताओं ने खुलकर सबक सिखाया है ...कोटा में अधूरे ख्वाब की शूटिंग हुई यहाँ वक्फ सम्पत्ति मस्जिद को मन्दिर के रूप में सरकारी रिकोर्ड में दर्ज किया गया है इस मामले में अधूरे ख्वाब खामोश है ..यहाँ अनारवाले बाबा आकाशवाणी वक्फ सम्पत्ति पर भूमाफियाओं का कब्जा हुआ अधूरे ख्वाब खामोश रहे ..यहाँ स्टेशन में दिया गया कब्रिस्तान कहा है सरकार ओ मुसलमानों को नहीं मिल रहा है कोटा रंगबाड़ी पचास बीघा का कब्रिस्तान अभी तक वक्फ के खाते में पूर्व वायदे के तहत दर्ज नहीं किया गया है लेकिन अधूरे ख्वाब खामोश है केथुनीपोल मस्जिद के आसपास के अतिक्रमण जस के तस है यहाँ मजार शहीद पढ़ा हुआ है लेकिन अधूरे ख्वाब खामोश है ..कोटा में अल्पसंख्यकों को छात्रवृत्ति और दूसरी योजनाओं के नामपर बाधाएं डाली जा रही है ..यहाँ बुनकरों की समस्याएं है तो बीडी मजदूर परेशान है इधर कोटा में अल्पसंख्यक बस्तियों और दुसरे स्कूलों में उनकी भाषा उर्दू नहीं चलाई जा रही है जबकि शिक्षा के अधिकार नियम की पालना नहीं है लेकिन अधूरे ख्वाब खामोश है उन्होंने कोटा ..कथुन में शूटिंग भी की विज्ञापन भी लेंगे लेकिन मुसलमानों के  अपनी बात सरकार और जनता तक पहुँचाने का ख़्वाब अधुरा ख्वाब बनकर रह गा है तो जनाब यह है मिडिया मेनेजमेंट और तो और कोटा के एक तेज़ी से बढ़ते समाचार पत्र ने तो एक मंत्री के दबाव में पुतला दहन की खबर ही हाशिये से उड़ा दी वह भाई वाह .....अख्ब्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सदमे और शोक में हैं गहलोत, भाषण में आधा समय मुझे गालियां देते हैं'



जयपुर/सीमलवाड़ा/डूंगरपुर.भाजपा प्रदेशाध्यक्ष वसुंधरा राजे ने बुधवार को कहा कि उनकी सुराज संकल्प यात्रा को मिल रहे अपार समर्थन से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सदमे और शोक में हैं। वे अपने 40 मिनट के भाषण में 20 मिनट मुझे गालियां निकालते हैं। वसुंधरा राजे ने डूंगरपुर के सीमलवाड़ा में कहा कि चुनाव देख सरकार ने जनता का पैसा जनता में लुटाना शुरू कर दिया है।
 
गहलोत की संदेश यात्रा शोक संदेश यात्रा
 
वसुंधरा ने कहा कि गहलोत की संदेश यात्रा शोक संदेश यात्रा है। इसमें न विकास है, न विजन। गहलोत को सरकार जाने का गम सता रहा है। साढ़े चार साल तक तो जनता का शोषण किया, अब उसे लुभाने के प्रयास हो रहे हैं। 
 
काम कराने के लिए जिस सरकार के खिलाफ उसी की पार्टी के केन्द्रीय मंत्री को धरना देना पड़े, विधायक को टावर पर चढ़ना पड़े, उस सरकार से आम आदमी क्या उम्मीद कर सकता है। मुख्यमंत्री भूल गए कि लोगों को रोजगार, बिजली, चिकित्सा और शिक्षा चाहिए। महंगे और नकली खाद-बीज की वजह से कर्जे में डूबे किसान आत्महत्याएं कर रहे हैं। महिलाओं की इज्जत इस राज में तार-तार हो रही है।

हाईकोर्ट ने मांगा जवाब: क्यों लागू नहीं किया राजस्थान पुलिस एक्ट 2007



जयपुर.हाईकोर्ट ने राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 को गजट नोटिफिकेशन होने के बाद भी लागू नहीं करने पर मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर 22 अप्रैल तक जवाब मांगा है। मुख्य न्यायाधीश अमिताभ रॉय व मीना वी.गोम्बर की खंडपीठ ने यह अंतरिम आदेश अधिवक्ता एनसी गोयल की जनहित याचिका पर बुधवार को दिया। 
 
याचिका में कहा कि 30 अक्टूबर 2007 को राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 कानून बनाया था और 1 जनवरी 2008 को इसका गजट नोटिफिकेशन भी हो गया। इसके साढ़े पांच साल बाद भी इसे लागू नहीं किया गया है और वर्तमान में भारतीय पुलिस अधिनियम 1861 के तहत ही कार्य किया जा रहा है। इसलिए राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 को लागू करवाया जाए। 
 
क्योंकि, पुलिस प्रशासन में राजनीतिक दखल कम हो जाएगा 
 
राजस्थान पुलिस एक्ट 2007 के लागू होने पर राज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति करेगी। यह नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए होगी। महानगर क्षेत्र में पुलिस कमिश्नर की नियुक्ति होगी। नियुक्तिराज्य सरकार की ओर से गठित कमेटी द्वारा की जाएगी। कमेटी में मुख्य सचिव, गृह सचिव, कार्मिक सचिव और पुलिस महानिदेशक शामिल होंगे। इनकी सिफारिश से कमिश्नर की नियुक्ति होगी। वर्तमान स्थिति में राजनीतिक पहुंच रखने और सरकार के नजदीकी रहने वाले पुलिस ऑफिसर की कमिश्नर के पद पर नियुक्तिकी जाती है।  
 
राज्य पुलिस आयोग का गठन होगा : 
 
एक्ट के तहत राज्य सरकार राज्य पुलिस आयोग का गठन करेगी। इसमें गृह मंत्री आयोग का अध्यक्ष होगा। इसमें राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष का नेता, मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक और लोक जीवन के किसी भी क्षेत्र से ख्याति प्राप्त तीन व्यक्तिजो राज्य सरकार नियुक्तकरेगी, ये आयोग के सदस्य होंगे। आयोग में तीन स्वतंत्र सदस्यों की नियुक्ति मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित पैनल से की जाएगी। 
 
आयोग ये कार्य करेगा : 
 
दक्ष एवं जवाबदेही पुलिस व्यवस्था के लिए राज्य सरकार को सलाह देगा। बेहतर पुलिस व्यवस्था के लिए योजनाएं बनाना और राज्य सरकार को प्रस्तुत करना। राज्य में हो रहे अपराधों का विश्लेषण करना और रोकथाम के लिए उपाय बताना। पुलिस अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करना। पुलिस बल के कार्यो का विश्लेषण कर रिपोर्ट सरकार को देना। 
 
पुलिस एस्टेब्लिसमेंट बोर्ड :
 
राज्य सरकार पुलिस स्थापान बोर्ड (एस्टेब्लिसमेंट बोर्ड) का गठन करेगी। इसमें डीजीपी की अध्यक्षता में चार पुलिस अधिकारी शामिल होंगे। जो आईजी स्तर के होंगे। यह बोर्ड कांस्टेबलों की भर्ती, पुलिस अधिकारियों की पदोन्नति,राज्य सरकार के अनुमोदन के बाद अधीनस्थ पुलिस अधिकारियों के तबादला संबंधी गाइड लाइन, डीएसपी स्तर के अधिकारियों के एक रेंज से दूसरी रेंज में तबादला करना, डीएसपी से उच्च पदों के पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण संबंधी प्रस्ताव तैयार कर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करने का कार्य करेगा। 

मेरी संपत्ति के बारे में सुनकर घबरा गए सेबी के अधिकारी, एक घंटे में चाय तक नहीं मिली': सुब्रत राय



मुंबई : निवेशकों को 24000 करोड़ से ज्यादा की रकम वापस लौटाने के मामले में सुब्रत राय बुधवार को सेबी के ऑफिस पहुंचे। रॉय के साथ सहारा समूह से जुड़े 3 डायरेक्टर भी सेबी के दफ्तर पहुंचे। सेबी के अधिकारियों और सहारा के बीच बातचीत में सुब्रत राय द्वारा अब तक जमा किए गए कागजों को वैरिफाई किया गया। 
 
सेबी के अधिकारियों से मुलाकात करने के बाद बाहर आने पर सुब्रत राय ने कहा कि उन्हें निवेशकों की चिंता है। सेबी को जल्द से जल्द निवेशकों की पहचान करनी चाहिए। ताकि उन्हें उनका पैसा लौटाया जा सके। सहारा ने सेबी पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि सहारा पर उंगली उठाने से पहले सेबी को निवेशकों के बकाये का भुगतान करना चाहिए। 
 
सुब्रत के मुताबिक, पूछताछ में सेबी ने उनकी संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी और संपत्ति के बारे में सुनकर सेबी के अधिकारी भी घबरा गए थे। बैठक के बारे में उन्होंने कहा, उम्मीद थी कि एक घंटे में एक चाय मिलेगी लेकिन वह भी नहीं मिली। 
 
आपको बताते चलें कि सहारा समूह के प्रमुख सुब्रत राय और कंपनी के कुछ अन्य बड़े अधिकारियों को निवेशकों का धन लौटाने के चर्चित मामले में सेबी ने उन्हें बुधवार को पेश होने का आदेश दिया था। यह मामला तीन करोड़ से अधिक निवेशकों को कुल 24,000 करोड़ रुपए की राशि लौटाए जाने से जुड़ा है।
 
सेबी ने राय और सहारा के तीन अन्य निदेशकों को व्यक्तिगत तौर पर पेश होने का निर्देश किया था ताकि वह उनकी व्यक्तिगत और उनकी कंपनियों की संपत्तियों व निवेश के ब्यौरे की जांच कर सके और निवेशकों को धन वापस करने के लिए उनकी अचल संपत्तियों की नीलामी की आगे की कार्रवाई की जा सके।
 
सेबी ने 26 मार्च को जारी अपने एक आदेश में उन्हें व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होने के निर्देश दिए हैं। इसी आदेश में सहारा की दो कंपनियों और उनके चार शीर्ष कार्यकारियों से आठ अप्रैल तक बाजार नियामक को अपनी संपत्तियों और निवेश का ब्यौरा देने के लिए कहा था।
 
यह पता नहीं चल सका है कि आदेश के मुताबिक इन लोगों ने सेबी के समक्ष सम्पत्तियों के ब्यौरे सौंपे हैं या नहीं। राय और उनके समूह के अन्य अधिकारियों को सेबी के पूर्णकालिक सदस्य प्रशांत शरण के सामने पेश होने के लिए कहा गया था। इन अन्य अधिकारियों में अशोक राय चौधरी, रवि शंकर दूबे और वंदना भार्गव के नाम हैं।
 
नियामक ने कहा था कि यदि ये लोग आदेश के मुताबिक सेबी के सामने पेश नहीं हो पाते तो सेबी उनकी अनुपस्थिति में ही उनकी और उनकी कंपनियों की परिसंपत्तियों की नीलामी की शर्तों का निर्धारण कर सकती है।
 
सहारा समूह ने समाचार पत्रों को जारी विज्ञापनों समेत विभिन्न माध्यमों से सेबी और इसके उच्चाधिकारियों पर आरोप लगाया कि वे सहारा प्रमुख सुब्रत राय और अन्य को मिल कर अपना पक्ष रखने का मौका नहीं दे रहे हैं।

'स्टिंग ऑपरेशन' के जाल में फंसी मुंबई पुलिस, 35 पुलिसवाले निलंबित



मुंबई. आईएएस की तैयारी करने वाले एक छात्र ने अवैध निर्माण में शामिल रिश्वत की कहानी अपने स्टिंग ऑपरेशन से उजागर की है। उसने खुद का अवैध निर्माण शुरू किया।
काम आगे बढ़ाने के लिए एक के बाद एक पुलिस महकमे के छोटे-बड़े कुल 95 लोगों ने उससे रिश्वत मांगी। इनमें से 35 कैमरे में कैद किए गए हैं। सरकार ने बुधवार को सभी को निलंबित कर दिया।
20 साल के उस युवक ने स्टिंग ऑपरेशन की 25 वीडियो सीडी बनाई। बुधवार को उसे महाराष्ट्र के लोकायुक्त को सौंप दिया। पुलिस वाले
उसी दिन शाम पांच बजे पुलिस वाले पहुंचे और रिश्वत लेने का सिलसिला शुरू कर दिया। जिसका जैसा ओहदा उसकी उतनी कीमत। तीन सौ से पांच हजार रुपए तक। 18 दिन तक चले स्टिंग ऑपरेशन में नेहरू नगर पुलिस थाने के कर्मचारियों की तस्वीर कैमरे में कैद की गई।


कुरान का सन्देश

चण्डी


चण्डी

काली देवी के समान ही चण्डी देवी को माना जाता है,ये कभी कभी दयालु रूप में और प्राय: उग्र रूप में पूजी जाती है,दयालु रूप में वे उमा,गौरी,पार्वती,अथवा हैमवती,जगन्माता और भवानी कहलाती है,भयावने रूप में दुर्गा,काली, और श्यामा,चण्डी अथवा चण्डिका,भैरवी आदि के नाम से जाना जाता है,अश्विन और चैत्र मास की की शुक्ल प्रतिपदा से नवरात्रा में चण्डी पूजा विशेष समारोह के द्वारा मनायी जाती है.
  • पूजा के लिये नवरात्रा स्थापना के दिन ब्राह्मण के द्वारा मन्दिर के मध्य स्थान को गोबर और मिट्टी से लीप कर मिट्टी के एक कलश की स्थापना की जाती है,कलश में पानी भर लिया जाता है,और आम के पत्तों से उसे आच्छादित कर दिया जाता है,कलश के ऊपर ढक्कन मिट्टी का जौ या चावल से भर कर रखते है,पीले वस्त्र से उसे ढक दिया जाता है,ब्राह्मण मन्त्रों को उच्चारण करने के बाद उसी कलश में कुशों से पानी को छिडकता है,और देवी का आवाहन उसी कलश में करता है,देवी चण्डिका के आवाहन की मान्यता देते हुये कलश के चारों तरफ़ लाल रंग का सिन्दूर छिडकता है,मन्त्र आदि के उच्चारण के समय और इस नौ दिन की अवधि में ब्राह्मण केवल फ़ल और मूल खाकर ही रहता है,पूजा का अन्त यज्ञ से होता है,जिसे होम करना कहा जाता है,होम में जौ,चीनी,घी और तिलों का प्रयोग किया जाता है,यह होम कलश के सामने होता है,जिसमे देवी का निवास समझा जाता है,ब्राह्मण नवरात्रा के समाप्त होने के बाद उस कलश के पास बिखरा हुआ सिन्दूर और होम की राख अपने प्रति श्रद्धा रखने वाले लोगों के घर पर लेकर जाता है,और और सभी के ललाट पर लगाता है.इस प्रकार से सभी का देवी चामुण्डा के प्रति एकाकार होना माना जाता है,भारत और विश्व के कई देशों के अन्दर देवी का पूजा विधान इसी प्रकार से माना जाता है.
प्राचीन हिन्दु और बौद्ध मन्दिरों को इंडोनेशिया में चण्डी कहा जाता है। इसके पीछे तथ्य यह है कि इनमे से कई देवी (अथवा चण्डी) उपासना के लिये स्थापित किये गये थे। इनमे से सबसे विख्यात प्रमबनन चण्डी है।

चैत्र नवरात्रा 2013 तिथि


nine_avatar 11 अप्रैल 2013 के दिन से नव सम्वत्सर प्रारम्भ होगा. साथ ही इस दिन से चैत्र शुक्ल पक्ष का पहला नवरात्रा होने के कारण इस दिन कलश स्थापना भी की जायेगी. नवरात्रे के नौ दिनों में माता के नौ रुपों की पूजा करने का विशेष विधि विधान है. साथ ही इन दिनों में जप-पाठ, व्रत- अनुष्ठान, यज्ञ-दानादि शुभ कार्य करने से व्यक्ति को पुन्य फलों की प्राप्ति होती है. इस वर्ष में पहला नवरात्रा शुक्रवार के दिन अश्विनि नक्षत्र में प्रारम्भ होगा, तथा ये नवरात्रे 19 अप्रैल 2013 तक रहेगें.

सर्वप्रथम श्री गणेश का पूजन

प्रतिपदा तिथि के दिन नवरात्रे पूजा शुरु करने से पहले कलश स्थापना जिसे घट स्थापना के नाम से भी जाना जाता है. हिन्दू धर्म में देवी पूजन का विशेष महात्मय है. इसमें नौ दिनों तक व्रत-उपवास कर, नवें दिन दस वर्ष की कन्याओं का पूजन और उन्हें भोजन कराया जाता है.

शुभ मुहूर्त में घट स्थापना

सभी धार्मिक तीर्थ स्थलों में इस दिन प्रात: सूर्योदय के बाद शुभ मुहूर्त समय में घट स्थापना की जाती है. नवरात्रे के पहले दिन माता दुर्गा, श्री गणेश देव की पूजा की जाती है. इस दिन मिट्टी के बर्तन में रेत-मिट्टी डालकर जौ-गेहूं आदि बीज डालकर बोने के लिये रखे जाते है.

भक्त जन इस दिन व्रत-उपवास तथा यज्ञ आदि का संकल्प लेकर माता की पूजा प्रारम्भ करते है. नवरात्रे के पहले दिन माता के शैलपुत्री रुप की पूजा की जाती है. जैसा की सर्वविदित है, माता शैलपुत्री, हिमालय राज जी पुत्री है, जिन्हें देवी पार्वती के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्रों में माता को प्रसन्न करने के लिये उपवास रखे जाते है. तथा रात्रि में माता दुर्गा के नाम का पाठ किया जाता है. इन नौ दिनों में रात्रि में जागरण करने से भी विशेष शुभ फल प्राप्त होते है.

माता के नौ रुप


नवरात्रो में माता के नौ रुपों कि पूजा की जाती है. नौ देवीयों के नाम इस प्रकार है. प्रथम-शैलपुत्री, दूसरी-ब्रह्मचारिणी, तीसरी-चन्द्रघंटा, चौथी-कुष्मांडा, पांचवी-स्कंधमाता, छठी-कात्यायिनी, सातवीं-कालरात्री, आठवीं-महागौरी, नवमीं-सिद्धिदात्री.

चैत्र पक्ष पहला नवरात्रा - घट स्थापना विधि

शारदीय नवरात्रा का प्रारम्भ आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को कलश स्थापन के साथ होता है. कलश को हिन्दु विधानों में मंगलमूर्ति गणेश का स्वरूप माना जाता है अत: सबसे पहले कलश की स्थान की जाती है. कलश स्थापन के लिए भूमि को सिक्त यानी शुद्ध किया जाता है. भूमि की सुद्धि के लिए गाय के गोबर और गंगाजल से भूमि को लिपा जाता है. विधान के अनुसार इस स्थान पर सात प्रकार की मिट्टी को मिलाकर एक पीठ तैयार किया जाता है, अगर सात स्थान की मिट्टी नहीं उपलब्ध हो तो नदी से लायी गयी मिट्टी में गंगोट यानी गांगा नदी की मिट्टी मिलाकर इस पर कलश स्थापित किया जा सकता है.

पहले दिन माता शैलपुत्री पूजन, पहले दिन किस देवी कि पूजा करे?

कलश में सप्तमृतिका यानी सात प्रकार की मिट्टी, सुपारी, मुद्रा सादर भेट किया जाता है और पंच प्रकार के पल्लव से कलश को सुशोभित किया जाता है. इस कलश के नीचे सात प्रकार के अनाज और जौ बोये जाते हैं जिन्हें दशमी तिथि को काटा जाता है "जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा, स्वधा नामोस्तुते". इसी मंत्र जाप से साधक के परिवार को सुख, सम्पत्ति एवं आरोग्य का आर्शीवाद प्राप्त होता है.

कलश स्थापना के बाद देवी प्रतिमा स्थापित करना

कलश स्थापना के बाद देवी प्रतिमा स्थापित करना देवी दुर्गा की प्रतिमा पूजा स्थल पर बीच में स्थापित की जाती है और उनके दोनों तरफ यानी दायीं ओर देवी महालक्ष्मी, गणेश और विजया नामक योगिनी की प्रतिमा रहती है और बायीं ओर कार्तिकेय, देवी महासरस्वती और जया नामक योगिनी रहती है.

चुंकि भगवान शंकर की पूजा के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है. अत: भगवान भोले नाथ की भी पूजा भी की जाती है. प्रथम पूजा के दिन "शैलपुत्री" के रूप में भगवती दुर्गा दुर्गतिनाशिनी की पूजा फूल, अक्षत, रोली, चंदन से होती है. इस प्रकार दुर्गा पूजा की शुरूआत हो जाती है प्रतिदिन संध्या काल में देवी की आरती होती है. आरती में "जग जननी जय जय" और "जय अम्बे गौरी" के गीत भक्त जन गाते हैं.

नवरात्रों में किस दिन करें किस ग्रह की शान्ति

नवरात्र में नवग्रह शांति की विधि:-

यह है कि प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति करानी चाहिए.
द्वितीय के दिन राहु ग्रह की शान्ति करने संबन्धी कार्य करने चाहिए.
तृतीया के दिन बृहस्पति ग्रह की शान्ति कार्य करना चाहिए.
चतुर्थी के दिन व्यक्ति शनि शान्ति के उपाय कर स्वयं को शनि के अशुभ प्रभाव से बचा सकता है.
पंचमी के दिन बुध ग्रह,
षष्ठी के दिन केतु
सप्तमी के दिन शुक्र
अष्टमी के दिन सूर्य
एवं नवमी के दिन चन्द्रमा की शांति कार्य किए जाते है.


किसी भी ग्रह शांति की प्रक्रिया शुरू करने से पहले कलश स्थापना और दुर्गा मां की पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद लाल वस्त्र पर नव ग्रह यंत्र बनावाया जाता है. इसके बाद नवग्रह बीज मंत्र से इसकी पूजा करें फिर नवग्रह शांति का संकल्प करें.

प्रतिपदा के दिन मंगल ग्रह की शांति होती है इसलिए मंगल ग्रह की फिर से पूजा करनी चाहिए. पूजा के बाद पंचमुखी रूद्राक्ष, मूंगा अथवा लाल अकीक की माला से 108 मंगल बीज मंत्र का जप करना चाहिए. जप के बाद मंगल कवच एवं अष्टोत्तरशतनाम का पाठ करना चाहिए. राहू की शांति के लिए द्वितीया को राहु की पूजा के बाद राहू के बीज मंत्र का 108 बार जप करना, राहू के शुभ फलों में वृ्द्धि करता है.

नवरात्रों में किस देव की पूजा करें.

नवरात्र में मां दुर्गा के साथ-साथ भगवान श्रीराम व हनुमान की अराधना भी फलदायी बताई गई है. सुंदरकाण्ड, रामचरित मानस और अखण्ड रामायण से साधक को लाभ होता है. शत्रु बाधा दूर होती है. मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. नवरात्र में विघि विधान से मां का पूजन करने से कार्य सिद्ध होते हैं और चित्त को शांति मिलती है.

झूले लाल का संदेश सिन्धी दिवस पर विशेष



भारतीय धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जब-जब अत्याचार बढ़े हैं, नैतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है तथा आसुरी प्रवृत्तियाँ हावी हुई हैं, तब-तब किसी न किसी रूप में ईश्वर ने अवतार लेकर धर्मपरायण प्रजा की रक्षा की। संपूर्ण विश्व में मात्र भारत को ही यह सौभाग्य एवं गौरव प्राप्त रहा है कि यहाँ का समाज साधु-संतों के बताए मार्ग पर चलता आया है।

ऐसी ही एक कथा भगवान झूलेलालजी के अवतरण की है। शताब्दियों पूर्व सिन्धु प्रदेश में मिर्ख शाह नाम का एक राजा राज करता था। राजा बहुत दंभी तथा असहिष्णु प्रकृति का था। सदैव अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था। इस राजा के शासनकाल में सांस्कृतिक और जीवन-मूल्यों का कोई महत्व नहीं था। पूरा सिन्ध प्रदेश राजा के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें कोई ऐसा मार्ग नहीं मिल रहा था जिससे वे इस क्रूर शासक के अत्याचारों से मुक्ति पा सकें।

लोककथाओं में यह बात लंबे समय से प्रचलित है कि मिर्ख शाह के आतंक ने जब जनता को मानसिक यंत्रणा दी तो जनता ने ईश्वर की शरण ली। सिन्धु नदी के तट पर ईश्वर का स्मरण किया तथा वरुण देव उदेरोलाल ने जलपति के रूप में मत्स्य पर सवार होकर दर्शन दिए। तभी नामवाणी हुई कि अवतार होगा एवं नसरपुर के ठाकुर भाई रतनराय के घर माता देवकी की कोख से उपजा बालक सभी की मनोकामना पूर्ण करेगा।

समय ने करवट ली और नसरपुर के ठाकुर रतनराय के घर माता देवकी ने चैत्र शुक्ल 2 संवत्‌ 1007 को बालक को जन्म दिया एवं बालक का नाम उदयचंद रखा गया। इस चमत्कारिक बालक के जन्म का हाल जब मिर्ख शाह को पता चला तो उसने अपना अंत मानकर इस बालक को समाप्त करवाने की योजना बनाई। बादशाह के सेनापति दल-बल के साथ रतनराय के यहाँ पहुँचे और बालक के अपहरण का प्रयास किया, लेकिन मिर्ख शाह की फौजी ताकत पंगु हो गई। उन्हें उदेरोलाल सिंहासन पर आसीन दिव्य पुरुष दिखाई दिया। सेनापतियों ने बादशाह को सब हकीकत बयान की।

उदेरोलाल ने किशोर अवस्था में ही अपना चमत्कारी पराक्रम दिखाकर जनता को ढाँढस बँधाया और यौवन में प्रवेश करते ही जनता से कहा कि बेखौफ अपना काम करे। उदेरोलाल ने बादशाह को संदेश भेजा कि शांति ही परम सत्य है। इसे चुनौती मान बादशाह ने उदेरोलाल पर आक्रमण कर दिया। बादशाह का दर्प चूर-चूर हुआ और पराजय झेलकर उदेरोलाल के चरणों में स्थान माँगा। उदेरोलाल ने सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया। इसका असर यह हुआ कि मिर्ख शाह उदयचंद का परम शिष्य बनकर उनके विचारों के प्रचार में जुट गया।

उपासक भगवान झूलेलालजी को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँईं, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से पूजते हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता के निवासी चैत्र मास के चन्द्रदर्शन के दिन भगवान झूलेलालजी का उत्सव संपूर्ण विश्व में चेटीचंड के त्योहार के रूप में परंपरागत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

चूँकि भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है, इसलिए काष्ठ का एक मंदिर बनाकर उसमें एक लोटी से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस मंदिर को श्रद्धालु चेटीचंड के दिन अपने सिर पर उठाकर, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है, भगवान वरुणदेव का स्तुतिगान करते हैं एवं समाज का परंपरागत नृत्य छेज करते हैं।

झूलेलाल उत्सव चेटीचंड, जिसे सिन्धी समाज सिन्धी दिवस के रूप में मनाता चला आ रहा है, पर समाज की विभाजक रेखाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है।

संत झूलेलाल मानव उत्थान के लिए जन्में थे झूलेलाल




भगवाझूलेलाअवतार-धारगाथहैइतिहास में दर्ज है कि झूलेलालजी ने किसी भाषा या किसी धर्म की रक्षा के लिए नहीं, बल्कि संपूर्ण मानव समाज के उत्थान के लिए जन्म लिया था।

मिरख बादशाह के जनता पर अत्याचार तो उसी दिन बंद हो गए थे, जिस दिन बादशाह ने स्वयं लालसाँईं की वाणी सुनी थी। तत्पश्चात लोगों में जल के प्रति आस्था बढ़ी और सिंधी भाषा में यह कहावत स्थापित हुई- 'जो बहू जल का महत्व नहीं समझे वह घी-मक्खन की कीमत भी नहीं समझेगी।' यही वजह है कि विश्व भर के तमाम दरवेशों, पीरों और मौलाओं में सर्वाधिक पूजे जाते हैं झूलेलालजी।

पाकिस्तान के ठट्टा शहर में जहाँ झूलेलालजी ने जन्म लिया था, विस्थापन के बाद बिहार से गए याकूब भाई ने वहाँ कब्जा जमाया। संभवतः किसी अलौकिक चमत्कार को भाँपकर वे भी झूलेलालजी का मुरीद बन गया। तब से उसने व उसके परिजनों ने झूलेललाजी की अखंड ज्योति को आज भी कायम रखा है। यहाँ के वर्तमान रहवासियों की आस्था भी परवान पर है।


सिंधु नदी के किनारे जिंदपीर पर जहाँ झूलेलालजी ब्रम्हलीन हुए थे, वहाँ आज भी प्रतिवर्ष चालीस दिनों का मेला लगता है जिसे चालीहा कहा जाता है। इसी चालीहे के दौरान प्रत्येक सिंधी भाषी चाहे वह जहाँ भी हो, यथासंभव अपनी धार्मिक मर्यादाओं का पालन करता है।

दमादम मस्त कलंदर... गीत को लोकप्रियता भले ही बांग्लादेश की गायिका रूना लैला द्वारा गाने के बाद मिली हो लेकिन सदियों से इस गीत के बोल झूलेलालजी की अर्चना में समर्पित किए जाते रहे हैं। संपूर्ण विश्व में संभवतः यह एकमात्र गीत ऐसा है, जिसे पचासों नामचीन गायकों ने अपनी-अपनी शैली में प्रस्तुत किया है। आबदा परवीन, अदनान सामी, साबरी ब्रदर्स, भगवंती नावाणी, लतिका सेन, विशाल-शेखर जैसे कई गायक इस कतार में हैं।

चारई चराग तो दर बरन हमेशा, पंजवों माँ बारण आई आं भला झूलेलालण... अर्थात चारों दिशाओं में आपके दीप प्रज्वलित हैं। मैं पाँचवाँ चिराग लेकर आपके समक्ष हाजिर हूँ। माताउन जी जोलियूँ भरींदे न्याणियून जा कंदे भाग भला झूलेलालण... अर्थात हर माँ की आशाओं को पूरा करना और हर एक कन्या के भविष्य को सुनहरा बनाना। लाल मुहिंजी पत रखजंए भला झूलेलालण, सिंधुड़ीजा सेवण जा शखी शाहबाज कलंदर, दमादम मस्त कलंदर... अर्थात हे ईश्वर, मेरी लाज बचाए रखना, पीरों के पीर मैं सिर्फ आपके भरोसे हूँ। पूरे गीत का आशय यह है कि अपने पैदा किए हुए हर जीव को सुखी, संपन्न और शांति का जीवन देना ईश्वर।

इस गीत में सिंधी सभ्यता समाहित है। अपने जीवन के सरल बहाव के साथ-साथ परोपकार की भावना भी हर सिंधी भाषी में मिलती है। विस्थापन के बाद सिंधियों की पहली जरूरत थी अपना पैर जमाना। इस प्रारंभिक समस्या से काफी कुछ मुक्ति पाने के बाद सिंधी युवा परोपकार के कामों में लगातार आ रहे हैं। अब संस्थाओं का गठन केवल स्वभाषियों के विकास ही नहीं, बल्कि समस्त मानव समाजसेवा के लिए होने लगा है।

विश्व इतिहास में यह एकमात्र सभ्यता ऐसी है, जो विस्थापन पश्चात अल्प समय में ही अपनी भाषा, भूषा, भोजन और भजन को कायम रख सकी है। विस्थापित से स्थापित हुआ यह समाज अब दूसरों की स्थापना का भी सहयोगी है।

चेटीचंड : भगवान झूलेलाल का अवतरण






सिंधी समाज का चेटीचंड विक्रम संवत का पवित्र शुभारंभ दिवस है। इस दिन विक्रम संवत 1007 सन्‌ 951 ई. में सिंध प्रांत के नसरपुर नगर में रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से प्रभु स्वयं तेजस्वी बालक उदयचंद्र के रूप में अवतार लेकर पैदा हुए और पापियों का नाश कर धर्म की रक्षा की।

यह पर्व अब केवल धार्मिक महत्व तक ही सीमित न रहकर सिंधु सभ्यता के प्रतीक के रूप में एक- दूसरे के साथ भाईचारे को दृष्टिगत रखते हुए सिंधियत दिवस के रूप में मनाया जाता है।

चेटीचंड महोत्सव के बारे में बताया जाता है कि सिंध प्रदेश के ठट्ठा नामक नगर में एक मिरखशाह नामक राजा का राज्य था जो हिन्दुओं पर अत्याचार करता था। वह हिन्दुओं पर धर्म परिवर्तन के लिए दबाव डालता था। एक बार उसने धर्म परिवर्तन के लिए सात दिन की मोहलत दी।

तब कुछ लोग परेशान होकर सिंधु नदी के किनारे आ गए और भूखे-प्यासे रहकर वरूण देवता की उपासना करने लगे। तब प्रभु का हृदय पसीज गया और वे मछली पर दिव्य पुरुष के रूप में अवतरित हुए।

भगवान ने सभी भक्तों से कहा कि तुम लोग निडर होकर जाओ मैं तुम्हारी सहायता के लिए नसरपुर में अपने भक्त रतनराय के घर माता देवकी के गर्भ से जन्म लूंगा।

बड़े होने पर जब राजा का अत्याचार नहीं घटा तो वरूण देव ने अपने प्रभाव से उसे शरण लेने मजबूर कर दिया। तब से सभी मिल-जुलकर रहने लगे।

चेटीचंड महोत्सव पर कई स्थानों पर भव्य मेले भरते हैं और शोभायात्रा निकाली जाती है। चैत्र मास की चंद्र तिथि पर भगवान झूलेलाल की जयंती विश्व में बड़े उत्साह, श्रद्धा एवं उमंग के साथ मनाई जाती है।

तंत्र-मंत्र और सेक्स के बड़बोले विज्ञापन हो सकते हैं बंद


लखनऊ। सेक्स पावर बढाने के लिए संपर्क करें, कद लंबा करें, वशीकरण के लिए अचूक उपाय, तांत्रिक बताएंगे समस्याओं के हल। टेलीशॉपिंग, मैगजीन, अखबार या फिर बस स्टैंड और रेलवे लाइन के आस-पास ऐसे विज्ञापन बहुतायत में देखने को मिल जाते हैं। अब इलाहाबाद हाई कोर्ट सख्त हो गया तो ऐसे विज्ञापनों पर प्रतिबंध लग सकता है। ऐसा होने पर देश के कई तांत्रिक और सेक्सोलॉजिस्ट के व्यापार पर असर पड़ेगा। क्योंकि हाई कोर्ट की लखनऊ पीठ में इस तरह के विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए एक जनहित याचिका मंगलवार को दायर की गई।
सामाजिक कार्यकर्ता नूतन ठाकुर की ओर से दायर यह याचिका न्यायमूर्ति उमा नाथ सिंह और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र की खंडपीठ में दाखिल की गई है। याचिका में कहा गया है कि लोगों को फर्जी और गलत किस्म के चिकित्सकीय इलाजों के चक्कर से बचाने के लिए संसद ने औषधि एवं जादुई उपचार आपत्तिजनक विज्ञापन अधिनियम 1954 पारित किया हुआ है। इस कानून के बनने के साठ साल बाद भी इसका कथित रुप से उल्लंघन हो रहा है ।
याचिका में मांग की गई है कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय, रजिस्ट्रार ऑफ न्यूजपेपर्स फॉर इंडिया, आरएनआई और डायरेक्ट्रेट ऑफ एडवर्टाइजिंग एंड विजुअल पब्लिसिटी को यह सुनिश्चित करने को निर्देशित किया जाए कि किसी भी समाचार पत्र और टीवी चैनल पर इस प्रकार के गैर कानूनी विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित नहीं किए जाएं। अगर ऐसे विज्ञापन छपते या प्रसारित होते हैं तो संबंधित समाचार पत्र या टीवी चैनल के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
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