आपका-अख्तर खान

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13 अप्रैल 2013

राजस्थान हाईकोर्ट को वकीलों की पूर्व स्वीक्रत और बजट मे घोषित मांगों सहित अदालतपरिसर में सरकार द्वारा किये गए वायदों को पूरा करवाने के लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए

 कोटा में राजस्थान हाईकोर्ट की बेंच और राजस्व मंडल की डबलबेंच सहित सरकार की कई न्यायिक घोषणाओं को पूरा करवाने की मांग को लेकर कोटा के वकील हडताल पर है ..मांगे मानना तो दूर ..पूर्व घोषणाओं को लागु करवाने के लियें सरकार पर न्यायिक दबाव के स्थान पर कोटा से न्यायिक अधिकारी हटा कर इधर उधर लगा दिए गये है जबकि सभी थानों और आवश्यक मामलों की सुनवाई का क्षेत्राधिकार रामगंजमंडी कर दिए जाने से अब कोटा  के वकीलों के आन्दोलन को मजबूती मिली है जो वकील चोरी छिपे काम कर रहे थे वोह काम भी बंद हो गया है और वकीलों की हडताल शत प्रतिशत सफल है ऐसे में राजस्थान सरकार और राजस्थान हाईकोर्ट को वकीलों की पूर्व स्वीक्रत और बजट मे घोषित मांगों सहित अदालतपरिसर में सरकार द्वारा किये गए वायदों को पूरा करवाने के लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लेकर कार्यवाही करना चाहिए  दो माह से अदालतों का ठप्प पढ़ा कामकाज फिर से शुरू हो सके ...और त्वरित न्याय का सपना भी पूरा हो सके ...
 दोस्तों आज डोक्टर भीमराव आंबेडकर जी का जन्म दिन है कहने को हमारे इस देश में आज का दिन कानून और न्याय दिवस के रूप में मनाया जा रहा है लेकिन जरा अपने दिल पर हाथ रख कर जवाब दीजिये क्या हमारे देश में संविधान और कानून की पालना है क्या कानून अमीरों की चोखट पर नाक नहीं रगड़ रहा है ....क्या हमारे देश में कानून का राज स्थापित करने के लियें पर्याप्त संख्या में अदालतें और योग्य जज है नहीं न तो जनाब अराजकता के इस माहोल में सरकार की हर कदम पर नाकामी और शोषण के इस दोर में न्याय दिवस की क्या प्रासंगिकता रह जाती है ....जी हाँ दोस्तों आप सभी ने देश का संविधान पढ़ा है देश के कानूनों के बारे में आप लोगों को जानकारी है लेकिन कानून की पलना के लिए सवा अरब लोगों के लियें पुरे देश में सुप्रीमकोर्ट में केवल तीस जज ..और राज्यों की हाईकोर्ट में दो दर्जन ..तीन दर्जन जज जिन्हें हजारों मील का लम्बा सफर तय करके अपनी तारीखों को साधने के लियें जाना पढ़ता है ऐसे में विधि आयोग ने त्वरित और तत्काल सस्ता न्याय जनता तक पहुँचाने के लियें केंद्र सरकार को व्यवस्था विकेन्द्रिक्र्त करने के लियें राज्यों में आवश्यकता अनुसार हाईकोर्ट की बेन्चेज़ खोलने की सिफारिश की है ...दोस्तों राजस्थान जो रेगिस्तान का इलाका है यहाँ गर्मी में सफर करना मुश्किल है सर्दी में ठिठुरते लोग घर से बाहर नहीं निकल सकते ..बरसात में भयावह  है यहाँ  इलाके है पिछड़े लोग है लेकिन यहाँ न्याय के मन्दिर के रूप में अदालतों और हाईकोर्ट की बेंच की कमी है .
..दोस्तों राजस्थान में कोटा के वकील कोटा की जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर कोटा में वर्ष दो हजार दस  के बजट में विधानसभा में स्वीक्रत राजस्व मंडल की डबल बेंच अब तक स्थापित नहीं करने के मामले को लेकर बजट की घोषणा लागु करवाने के लियें आंदोलनरत है ..कोटा के वकील और कोटा की जनता कन्द्रीय विधि और न्याय मंत्री द्वारा आश्वस्त करने पर की वोह कोटा में हाईकोर्ट बेंच तीन माह में खोल देंगे लेकिन राजस्थान सरकार इसके लीये इन्फ्रा स्ट्रक्चर उपलब्ध कराए ..और राजस्थान सरकार व् हाईकोर्ट इस मामले में सिफारिश करे इस मामले को लेकर कोटा के वकील आंदोलनरत है ...कोटा के वकील कोटा के जिला जज की उपस्थिति में सरकार के उस वचन को लागू करवाने के लिए आंदोलनरत है जिसमे सरकार ने कोटा जज की उपस्थिति  में अदालत परिसर की सुविधा के लियें पचास लाख सरकार के फंड से और पचास लाख नगर विकास न्यास की तरफ से खर्च करवाने का एलान दो हजार दस में किया था ..सरकार ने यह भी एलान किया था के वोह वकीलों को दिए गए भूखंड की रेट कम करने के लियें कुछ ना कुछ रास्ता जरूर निकालेंगे ..कोटा में रेंट ट्रिब्यूनल की स्वतंत्र अपील अदालत स्वीक्रत बजट में की गयी थी ..यहाँ उपभोक्ता फॉर्म की राजस्थान सर्किट बेंच स्वीक्रत हुई थी लेकिन भवन अभी तक तय्यार नहीं हुआ है कई अदालतों में जज नहीं है ..अदालतें है तो भवन नहीं है जज और बाबुओं के बेठने के लियें व्यवस्था नहीं है बस इन घोषणाओं को क्रियान्वित करवाने को लेकर ही कोटा के वकील आम जनता के साथ मिलकर आन्दोलन कर रहे है ..यह लड़ाई कोटा के वकीलों की निजी लड़ाई नहीं है न्याय की लड़ाई है सस्ते  सुलभ ..और त्वरित न्याय की लड़ाई है न्यायलयों में जज नियुक्त करने और नये न्यायलय खोलने की लड़ाई है ..कोटा के वकील बजट में स्वीक्रत न्यायालयों की मांग कर रहे है सरकार तो  निष्ठुर है जनविरोधी है सियासत कर रही है स्थानीय जनप्रतिनिधि गिरवी हो गये है सत्ता से जुड़े वकील प्रतिनिधि आँखें मूँद कर बेठे है लेकिन न्यायालय जो कई मामलों में न्याय नहीं मिलने पर सो मोटो याने स्व्रेरित प्रसंज्ञान लेकर सरकार को विधिअनुसार कार्यवाही करने के लियें मजबूर कर देते है कोटा में राजस्व मंडल की बेंच की बजट में घोषणा और दूसरी घोषणाएं  सरकार की हठधर्मिता के कारण  पूरी नहीं हो रही है अगर हाईकोर्ट चाहे तो इस मामले में स्व प्रेरित प्रसंज्ञान लेकर इन मांगो  को मिनटों में पूरा करवा सकती है लेकिन ना जाने क्यूँ इस तरफ माननीय राजस्थान हाईकोर्ट का ध्यान नहीं गया है ....इन दिनों तो कोटा में न्याय की स्थिति होर भयावह हास्यास्पद हो गयी है एक तरफ तो कोटा के वकील अपनी मांगों के समर्थन में हडताल पर है दूसरी तरफ राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारीयों के लियें ट्रांसफर पालिसी बनाई है और ट्रांसफर प्रपोज़ल मांगे है .......दूसरी तरफ कोटा के सभी  न्यायिक अधिकारी बदल दिए गए है उन्हें कोटा से आसपास खाली जगह पर तात्कालिक व्यवस्था के लियें लगाया गया है जबकि कोटा के सभी थानों का क्षेत्राधिकार बदल कर अग्रिम आदेशों तक रामगंजमंडी कस्बे में कर दिया गया है इस आदेश से वकीलों के आन्दोलन को और बल मिला है कोटा में चोरी छिपे जो काम हो रहे थे वोह भी अब पूरी तरह से बंद हो गये है .....कोटा में अब शत प्रतिशत हडताल है लेकिन रामगंजमंडी क्षेत्राधिकार करने से पुलिस ..न्यायिक अधिकारी ..कर्मचारी ..जनता और पक्षकारों की परेशानियाँ बढ़ गयी है जेले भर रही है सरकार का राजस्व का नुकसान हो रहा है .............ऐसे में कोटा के जन प्रतिनिधियों ..भाजपा कोंग्रेस के नेताओं को एक जुट होकर इस मामले में कार्यवाही करना चाहिए और मान्न्नीय राजस्थान उच्च न्यायलयों को भी इस मामले को गम्भीरता से लेकर सरकार से बजट में स्वीक्रत राजस्व मंडल की डबल बेंच स्थापित करने की घोषणा ...कोटा में रेट अपील ट्रिब्यूनल ..न्यायलय में एक करोड़ के काम के लियें जवाब तलब कर इसे पूरा करने के लिए कानूनी निर्देश देना चाहिए क्योंकि जब सरकार हठधर्मिता पर हो तब अदालतों को ही न्याय करना पढ़ता है और राजस्थान में तो इस सरकार के कार्यकाल में सरकार ने कुछ क्या ही नहीं जो भी हुआ है अदालतों के आदेश से ही हुआ है .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

मैं जब भी कभी कभार कवियों की महफ़िल में जाता हूँ,

मैं जब भी कभी कभार कवियों की महफ़िल में जाता हूँ, वैसे तो मैं ज्ञानियों से ज़रा दूर ही रहता हूँ, मैं कविता की बजाय कवियों को बड़े ध्यान से देखता हूँ..उनके हाव भाव उनकी गतिविधियाँ...उनकी बाते...उनके इरादे...उनकी आँखे जो तलाशती रहती हैं सुन्दर देह को...

कुछ मजनूं मार्का बुड्ढे शायर लोग तो अपनी आँखों में सुरमा तक लगाते हैं...मैं पूछता हूँ ,'मियाँ सुरमा क्यों "
जवाब आता हैं ,'आँखे सुन्दर दिखती हैं '
मैं सोचता रह जाता हूँ ,' ओह ! बुढापे में भी...आँखे सुन्दर दिखती हैं या सुन्दरता देखती हैं'


सोकर उठने के बाद
दुबारा फिर कोई उकसाता हैं मन को
आओ, चलो सपने देखे,
मैं नींद की टूटी हुई खाट हूँ
सपने अब कैसे आयेंगे,
रथ का रुका हुआ पहियाँ
अपने आप नहीं
खीचने से चलता हैं ,
जीवन की साहसिक गति
इन्ही पहियों में कैद हैं ,
दुस्साहसी मन ना जाने
क्यों फिर से
सपने देखना चाहता हैं
पहियों की आहट
गति में प्रवाल लाती हैं
अनहुई रात अब भी
सपने देखने को ललचाती हैं.............रवि विद्रोही

छोटी सी ज़िंदगी है,

छोटी सी ज़िंदगी है,
हर बात में खुश रहो
जो चेहरा पास ना हो,
उसकी आवाज़ में खुश रहो,
कोई रूठा हो तुमसे,
उसके इस अंदाज़ में खुश रहो,
जो लौट के नहीं आने वाले,
उन लम्हों की याद में खुश रहो,
कल किसने देखा है ,
अपने आज में खुश रहो,
खुशियों का इंतज़ार किसलिए,
दूसरों की मुस्कान में खुश
रहो,
क्यूँ तड़पते हो हर पल किसी के
साथ को,
कभी तो अपने आप में खुश रहो,
छोटी सी तो ज़िंदगी है,
हर हाल में खुश रहो...

...........याद तुम आते रहे इक हूक़ सी उठती रही

..............याद तुम आते रहे इक हूक़ सी उठती रही
नींद मुझसे, नींद से मैं भागती छुपती रही
रात भर बैरन निगोड़ी चाँदनी चुभती रही
आग सी जलती रही, गिरती रही शबनम, आप की क़सम .............

संस्कारों की मूर्ति, परोपकारों की पहचान है नारी,

संस्कारों की मूर्ति, परोपकारों की पहचान है नारी,
जिंदगी की कड़वाहट में, खुशियों की दुकान है नारी।
जगत की चेतना, राष्ट्र का सम्मान है नारी,
फिर क्यों कदम-कदम पर होती कुर्बान है नारी।

आंचल में समेटे लाज दो परिवारों की,
राहों में कांटे कई, फिर भी बागबान है नारी।
पग-पग न्यौछावर करती अपने अरमान है नारी,
फिर क्यों कदम-कदम पर होती कुर्बान है नारी।

हंसे तो खिल जाए फिज़ा, ऐसी मुस्कान है नारी,
कहने को सब हैं साथ, फिर भी बियाबान है नारी।
परिवार का पोषण, घर का अभिमान है नारी,
दिलों में पड़े ठंडक, ऐसी मीठी जुबान है नारी,
फिर क्यों कदम-कदम पर होती कुर्बान है नारी।

पुरुष अगर कल, तो नारी आज है,
नारी से ही जुड़े देश और समाज है।
नारी सेवा है, तपस्या है और त्याग है,
नारी से ही जीवन में फैला राग है।
क्यों सहती फिर घुट-घुट के अपमान है नारी,
क्यों कदम-कदम पर हो जाती कुर्बान है नारी।

भारत के इस गांव में यदि नहीं पूजे जाते हैं दशानन, तो भस्म हो जाता है सबकुछ!


इंदौर/उज्जैन। भारत के लगभग सभी हिस्सों में दशहरे पर बुराई के प्रतीक रावण का दहन करने की परंपरा है, लेकिन हमारे ही देश में एक गांव ऐसा भी है, जहां दशानन का दहन नहीं पूजन किया जाता है। लोक मान्यता है कि लंकेश का पूजन नहीं करने पर सबकुछ जलकर भस्म हो जाएगा। और दो बार ऐसा हो भी चुका है।चैत्र नवरात्र की दशमी पर इस गांव में रावण का मेला भी लगता है।

पंजाब में दिखा पुलिस का क्रूर चेहरा : यह सरकार का दरबार है, यहां बोलना गुनाह है..



बठिंडा.  तलवंडी साबो में बैसाखी पर शनिवार को शिअद यानी सरकार की पॉलिटिकल कॉन्फ्रेंस थी। मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल जैसे ही बोलना शुरू करते हैं, बेरोजगार लाइनमैन और उनके परिजन ‘सरकार मुर्दाबाद’ के नारे शुरू कर देते हैं।
 
पुलिसकर्मी तुरंत टूट पड़ते हैं। महिलाओं, बच्चों, बूढ़ों को घसीटते हुए पंडाल से बाहर ले जाते हैं। मुंह बंद कर दिए जाते हैं, ताकि सरकार के खिलाफ कोई कुछ बोल न सके। 200 बेरोजगार लाइनमैनों व उनके परिजनों को हिरासत में ले लिया जाता है। इनमें 35 महिलाएं भी शामिल हैं। यह सब हुआ मुख्यमंत्री बादल के सामने।
 
जिस तरह महिलाओं-बच्चों को चुप करा दिया गया, उससे लगा कि सरकार की रैली में सिर्फ सरकार ही बोल सकती है। जनता तो बस सुन सकती है।

सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बावजूद फांसी से बच सकता है आतंकी 'भुल्लर'!



सुप्रीम कोर्ट की मुहर के बावजूद आतंकी दविंदरपाल सिंह भुल्लर बीमारी की वजह से फांसी से बच सकता है। भुल्लर ढाई साल से अस्पताल में भर्ती है। वहां उसकी मानसिक बीमारी का इलाज चल रहा है। अस्पताल से छुट्टी मिले बिना फांसी की तारीख तय नहीं हो सकती।
खुदकुशी की प्रवृत्ति के कारण भुल्लर को इंस्टीट्यूट ऑफ ह्यूमन बिहेवियर एंड एलाइड साइंसेस में भर्ती कराया गया था। इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. निमेश देसाई ने बताया कि भर्ती होने के वक्त भुल्लर गंभीर अवसाद में था। मुश्किल यह है कि अब उसमें इच्छाशक्ति ही नहीं बची है। इसलिए उसे पूरी तरह ठीक कर पाना बहुत कठिन है।
काटजू ने की सजा माफी की मांग
नई दिल्ली/चंडीगढ़. प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने दविंदरपाल सिंह भुल्लर की फांसी की सजा माफ करने के लिए राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। काटजू ने कहा,'संविधान के अनुच्छेद 72 में यह नहीं लिखा है कि याचिका कौन दे सकता है।'
 इधर, शिअद ने भी राष्ट्रपति से मिलने की बात कही है। भुल्लर की फांसी को उम्रकैद में बदलने की अपील शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी थी। भुल्लर ने 1993 में तत्कालीन युकां अध्यक्ष मनिंदरजीत सिंह बिट्टा पर बम अटैक किया था। इसमें 9 पुलिसकर्मी मारे गए थे

खुल कर सामने आ गई भाजपा की गुटबाजी, कटारिया ने छोड़ी यात्रा



प्रतापगढ़. भाजपा की सुराज संकल्प यात्रा के शनिवार रात प्रतापगढ़ पहुंचने पर पार्टी की गुटबाजी फिर खुलकर सामने आ गई। वसुंधरा के करीबी नंदलाल मीणा के विधानसभा क्षेत्र में हुई सभा के दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया नदारद थे।
न वे यात्रा के स्वागत कार्यक्रम में दिखे, न ही मंच पर। पूछा तो यात्रा प्रबंधकों ने बताया कि  तबीयत ठीक नहीं होने से वे सभा में नहीं आ सके। गौतमेश्वर धाम में सभा के बाद वसुंधरा की यात्रा प्रतापगढ़ के लिए रवाना हुई थी, लेकिन कटारिया सबसे पहले रवाना हो गए।
वे कार से रात 8:25 बजे प्रतापगढ़ पहुंच गए थे। यहां एमजी रोड स्थित एक कार्यालय पर उनके समर्थकों ने उनका मालाओं व आतिशबाजी से स्वागत किया, लेकिन वे सभा में नहीं पहंचे। इस घटना की सभा में खूब चर्चा रही।
जिन्हें आना था वे सभी आ गए : वसुंधरा
कटारिया और उनके समर्थकों के नदारद रहने के बारे में पूछा गया तो वसुंधरा राजे ने कहा कि जिन्हें आना था वे सभी आ गए। इतना कहकर वे अपनी कार में बैठ रवाना हो गईं।
कुंभकर्णी नींद में सोई थी सरकार
घाटोल(बांसवाड़ा) में वसुंधरा ने कहा कि मुख्यमंत्री जनहित के कामों में नहीं, परिजन हित के कामों में जुटे हैं। सरकार कुंभकर्णी नींद में सोई थी। चुनाव निकट आए तो गहलोत घोषणाएं कर रहे हैं, लेकिन कोई इनसे पूछे तो सही करोड़ों की घोषणाएं आखिर छह माह में पूरी कैसे करेंगे?
जब साढ़े चार साल में घोषणाएं पूरी नहीं हुईं तो अब कैसे होंगी? यह लोगों के साथ छलावा है। और तो और ये सरकार अब जात-पात पर खिलाडिय़ों को बांट रही हैं।

गैंगरेप की तस्‍वीरें ऑनलाइन होने पर युवती ने किया सुसाइड



कोल हार्बर. 17 साल की रेहतेह पार्संस को 15 माह पहले चार लड़कों ने उसके घर पर ही बंधक बना कर बलात्कार किया और इस दौरान उसकी तस्वीरें भी खींच ली। लड़कों ने दुष्कर्म के दौरान तस्वीरें खींची और उन्हें इंटरनेट पर डाल दिया। इससे लड़की अवसादग्रस्त हो गई। बीते रविवार को उसने अपने घर पर फंदा लगातार खुदकुशी कर ली। परिवार के बार-बार आग्रह के बावजूद पुलिस मामले में ठोस सुबूत न होने की बात कह कर कार्रवाई से बचती रही।
अब, पूरी तस्वीर ही बदल गई है। खुदकुशी के बाद लड़की की मां लेह पार्संस ने बेटी को इंसाफ दिलवाने के लिए सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी और फेसबुक पर भड़की चिंगारी ने कनाडा के प्रधानमंत्री स्टीफन हार्पर तक को अपनी चपेट में ले लिया है। हार्पर ने मामले की विस्तृत जांच करवाने के साथ ही भावनात्मक होकर कहा कि एक पिता के तौर पर वे रेहतेह के साथ हुए हादसे से अंदर तक हिल गए हैं। 
 
मामला कनाडा के एक दूरदराज राज्य नोवा स्काटिया के एक शहर कोले हार्बर का है। रेहतेह ने बलात्कार की तस्वीरों के सामने आने के बाद स्कूल जाना भी छोड़ दिया था। डिप्रेशन के दौरान रेहतेह को छह सप्ताह तक अस्पताल में भी भर्ती करवाया गया और बार-बार खुदकुशी का प्रयास करने के चलते उस पर लगातार नजर भी रखी जाने लगी थी।

कुरान का सन्देश

मेरे दोस्तों मेरे भाइयों एक इल्तिजा सभी मजहबी प्रव्रत्ति के लोगों

मेरे दोस्तों  मेरे भाइयों एक इल्तिजा सभी मजहबी प्रव्रत्ति के लोगों से  चाहे वोह इस्लाम से जुड़े हों ..चाहे  सनातन धर्म या फिर किसी भी धर्म से जुड़े हो वोह अपना खुद का धर्म पढ़े और देखे के हर धर्म में एक विलेन हुआ है गद्दार हुआ है जो सुख शांति अमन चेन का दुश्मन होता है और इसी तरह से इन दिनों फेसबुक और इंटरनेट का दुरूपयोग कर कुछ लोग देश की फिजा बिगड़ने की कोशिशों में जुटे है जिन्हें अपने पिता का पता उनकी माता जी ने नहीं बताया वोह अपने खून के मुताबिक दुसरे के मजहब को बदनाम कर लोगों को उकसाकर माहोल बिगाड़ने की कोशिशों में जुटे है ..दोस्तों राजस्थान में पहले मकराना ....अब उदयपुर और देश भर में ना जाने कहा कहाँ ..कभी देवी देवताओं की तस्वीरों का मखोल उड़ा कर तो कभी इस्लाम धर्म के खिलाफ टिप्पणियां कर ऐसे लोग माहोल बिगाड़ने की साजिशों में जुटे है ..यह तय है के ऐसे शेतानी दिमागी लोगों को खुदा कठोर सजा जरूर देगा लेकिन हमे तो थोडा संयम बरतना होगा अव्वल तो फेसबुक या इंटरनेट पर ऐसे किसी भी असामाजिक तत्व की धर्मों को आहत करने की टिप्पणियां हो फोटोग्राफ हो चाही वोह हिन्दू धर्म के खिलाफ हो चाहे वोह मुस्लिम धर्म के खिलाफ हो तो उसे तुरंत हटाए फेसबुक पर शिकायत करे और ऐसी आई डी को तलाश कर तुरंत पुलिस को शिकायत करे ..सरकार को शिकायत करें उसे सराहें नहीं उसका प्रिंट आउट नहीं निकले समाज के दुसरे लोग जो इस बारे में नहीं जानते उन्हें दिखा कर इसे भड़काएं नहीं केवल गिनती के लोग इसका विरोध दर्ज कराएं भीड़ एकत्रित ना करे वरना माहोल गर्माता है और बात चित फिर हिंसा का दोर  शुरू हो जाता है नतीजन हमारे देश की सुख शांति खराब होने का खतरा बना रहता है ..तो दोस्तों कोई भी असामाजिक तत्व हो उसे सजा तो मिलना ही चाहिए लेकिन ख़ामोशी से ..जहाँ शिकायत होना हो वहां शिकायत हो यह तो सही है के हमारे देश में सरकार इस तरफ ध्यान नहीं दे रही है सरकार के पास साधन है इंजीनियर है कानून है मंत्रालय है लेकिन सरकार इस तरफ ध्यान नहीं देती है इसीलियें देश में यह शेतनों की करतूतें हावी है और माहोल बिगड़ने का काम हो रहा है इसलियें दोस्तों प्लीज़ संयम और सब्र से काम लेकर ही दोषी लोगों को सजा दिलवाना है ..अपने धर्म के सम्मान के लियें लड़ना है लेकिन वाजिब लड़ाई सही व्यक्ति को सज़ा दिलवाकर यूँ ही प्रदर्शन कर तोड़ फोड़ कर अगर हम कार्यवाही करेंगे तो जनाब फेसबुक या फिर इंटरनेट के अपराधियों का क्या होगा यह तो पता नहीं हमारी आपस की दुश्मनी बढ़ेगी और हमारे खिलाफ मुकदमों का डोर भी शुरू होगा हम सही व्य्त्की को सजा दिलवाने का मिशन पूरा नहीं कर  पायेंगे और भटक जायेंगे सो प्लीज़ इन्ना लिल्लाहे माँ अस्साबेरींन के साथ कानून की मदद लें इंशा अल्लाह दोषी लोगों को सज़ा भी मिलेगी और अल्ल्लाह गोद उन्हें दंडित भी करेगा ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इस मासूम फूल सी बच्ची रूना के दर्द से तड़प रहा है पूरा परिवार...



फूल ऐसे भी हैं, जो खिले ही नहीं जिनको खिलने से पहले खिजा खा गई। वाकई इस गीत की पंक्तियां इस नन्हीं मासूम बच्ची की पीड़ादायक जिंदगी को बयां करती है, जो पीडि़त है ऐसी दुर्लभ बीमारी से जिसके बारे में आजतक अपने आसापास शायद ही किसी ने देखा, सुना या जाना हो। त्रिपुरा के जिरानिया गांव के एक परिवार में है यह 18 माह की बच्ची जिसे जन्म से ही ऐसी बीमारी ने घेर लिया है कि अब वह अपने मस्तिष्क का बोझ उठाने के काबिल नहीं है, बल्कि यह मासूम जिसकी किलकारियां पूरे परिवार को खुशी दे सकती थीं वहीं उसका दुख परिवार के लिए बोझ बनता जा रहा है। उसका दर्द अब पूरे परिवार का दर्द बन गया है।
 
हाइड्रोसेफलस नाम है इस बीमारी का
हाइड्रोसेफलस नामक यह बीमारी खोपड़ी के भीतर सेरेब्रोस्पाइनल तरल बनने के कारण होती है। इससे मस्तिष्क में दबाव बढ़ जाता है और ब्रेन डेमेज का खतरा भी हो सकता है।  इस तरह की गंभीर बीमारी से पीडि़त है यह रूना बेगम नाम की बच्ची और ऊपर से मां बाप की गरीबी, जो दिहाड़ी मजदूरी करके अपने घर का पालन-पोलन ब-मुश्किल कर पाते हैं ऐसे में इस बच्ची की बीमारी का खर्च उठाने की ताकत इनमें नहीं है। 
 
इस बीमारी का इलाज 
इस जटिल बीमारी के उपचार के लिए पीडि़त के मस्तिष्क में एक ट्यूब डाली जाती है, जिससे कि सेरेब्रोस्पाइन की बढ़ी हुई मात्रा को शरीर के अन्य हिस्सों में पहुंचाया जाता है और शरीर के अन्य हिस्से इसे एब्जॉर्ब कर लें, तो मस्तिष्क सामान्य हो जाता है। शंट नामक  इस ट्यूब में अंदर की तरफ एक बॉल्व भी होता है, जो तरल के प्रवाह को नियंत्रित करता है और तरल अधिक तेजी से मस्तिष्क से न निकले इस पर भी कंट्रोल करता है। इस ऑपरेशन में बताया जा रहा है 30 मिनट का ही वक्त लगेगा और 70-80 हजार रुपए या इससे थोड़ा और अधिक का खर्च ऑपरेशन में हो सकता है। लेकिन हमें सामान्य लगने वाली यह रकम इस परिवार के लिए बहुत बड़ी है।
 
ईट भट्टे में काम करता है पिता
रुना के पिता अब्दुल रहमान एक ईंट भट्टे में काम करता है। पिता के लिए गंभीर चुनौती यह है कि यदि उसने समय रहते इस बच्ची का ऑपरेशन नहीं करवाया, तो यह स्थायी रूप से विकलांग हो सकती है। लेकिन पैसे की तंगी के चलते सिर्फ दुआओं के भरोसे यह परिवार इस बच्ची के स्वस्थ होने की कामना कर इसकी सेवा में लगा है।
 
मृत्यु भी हो सकती है इस बच्ची की
इस जटिल बीमारी से पीडि़त लोगों की मदद के लिए संचालित संस्था शाइन की हेल्थ डेवलपमेंट मैनेजर गिल  याज का कहना है कि यदि वक्त रहते इस बच्ची का इलाज न किया जा और यदि यही प्रक्रिया तेजी से जारी रहे तो अधिकतर मामलों में पीडि़त शिशु की मौत भी हो सकती है। रुना के मामले में हो यह रहा है कि उसकी खोपड़ी बढऩे के साथ ही उसकी तरल ग्रहरण करने की क्षमता भी बढ़ रही है, जो उसके कष्ट को और ज्यादा बढ़ा रही है।

फेसबुक पर इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी से बवाल, सहम गया शहर


उदयपुर. फेसबुक पर समुदाय विशेष के खिलाफ की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर खड़े हुए विवाद ने साम्ंप्रदायिक तनाव का रूप ले लिया। दोनों समुदाय ने मौका मिलते ही एक-दूसरे के खिलाफ मारपीट, पथराव और जानलेवा हमला किया। साम्ंप्रदायिक माहौल बिगडऩे पर पुलिस को क्षेत्र में धारा 144 लगानी पड़ी।
 
पुलिस अधिकारी, कलेक्टर और एडीएम सिटी ने क्षेत्र के घरों में छापा मारकर छुपे हुए संदिग्धों को बाहर निकालकर गिरफ्तार किया। घरों के बाहर संदिग्ध खड़ी गाडिय़ों को जब्त किया गया। इधर, दूसरेा समुदाय ने अंबामाता थाने के बाहर माहौल बिगाडऩा शुरू कर दिया। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर उन्हें खदेड़ा और बाजार बंद कराए।
 
पुलिस द्वारा खदेड़े जाने पर एक समुदाय के युवाओं ने बाजार बंद कराना शुरू कर दिया। लट्ठ, सरिए लेकर युवकों ने राडा जी चौराहा, चेतक चौराहे पर बाजार बंद कराया। हालांकि सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और इन युवाओं को वहां से खदेड़ दिया गया।
 
क्या है मामला: मल्लातलाई इलाके के रहने वाले मनीष साहू ने अपने फेसबुक अकाउंट पर किसी अन्य की लिखी हुई पोस्ट को लाइक कर लिया था। इसके बाद समुदाय विशेष के कुछ लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई और कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन किया। जिसके बाद प्रशासन ने पूरे मामले की विवेचना कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन दिया।
मतदाता बंधुआ मजदूर नहीं, साढ़े चार साल सोती रही गहलोत सरकार: वसुंधरा राजे
हालांकि ये अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि इस्लाम के खिलाफ टिप्पणी करने वाला व्यक्ति कौन है और कहां का है। लेकिन इसके बावजूद मुस्लिम समाज के कुछ युवकों ने  दुकान में तोडफ़ोड़ की और उनके परिवार के लोगों के साथ मारपीट की। जिसमें  की मां को गहरी चोट आई। प्रशासन ने इस घटना के बाद उत्पात मचाने वाले युवकों में से एक को गिरफ्तार कर लिया है।
समाज में आक्रोश: पूरे मामले की सूचना जैसे ही शहर में फैली हिंदू समाज में आक्रोश की स्थिति पैदा हो गई है। वहीं, बजरंग दल और विहिप ने शहर में दुकानें बंद करा दी हैं। विहिप ने प्रशासन को चेताया कि अगर हमारे समाज के लोगों को परेशान या मारा जाएगा, तो हम चुप नहीं बैठेंगे।

सूर्य पर ढाई-तीन घंटे तक हुए विस्फोट, अब धरती की बारी?




धरती पर सौर सुनामी मचाएगी तबाही !
 
वैज्ञानिकों का कहना है कि हमारी धरती बड़े सौर तूफानों से निकली तरंगों से प्रभावित हो सकती है। सूर्य के कोरोना से निकलने वाली अस्वाभाविक चुंबकीय लपटों से विद्युत आवेशित बादल हमारी पृथ्वी की ओर बढ़ने लगे हैं। वैज्ञानिकों ने धरती पर सौर-सुनामी आने की चेतावनी दी है। 'न्यू साइंटिस्ट' ने खबर दी है कि यह सूर्य के कोरोना का हिस्सा है। इस धमाके को कोरोनल विस्फोट कहा जा रहा है। यह अविश्वसनीय रूप से नौ करोड़ 30 लाख मील तक फैल चुका है। यह सौर सुनामी पृथ्वी की ओर बहुत तेजी से बढ़ रही है। इसमें कहा गया है कि जब ये उच्छृंखल बादल टकराएंगे, तो वे कभी भी ध्रुव के ऊपर आकाश में तेज रोशनी उत्पन्न कर सकते हैं और उपग्रहों के लिए खतरा उत्पन्न कर सकते हैं। हालांकि, गंभीर रूप से खतरा नहीं है, लेकिन सूर्य की सतह पर जब कोई बडी सौर लपट उठेगी तो उसका प्रभाव धरती पर पड़ सकता है।
 
2013 में मिल रहे दो खतरनाक संयोग 
 
नासा के अनुसार हर 22 साल बाद सूरज की चुंबकीय ऊर्जा का चक्र शीर्ष पर होता है। इसके साथ ही हर 11 साल की अवधि में इससे निकलने वाली लपटों की संख्या सर्वाधिक होती है। सूरज के इन दोनों विनाशकारी (अव) गुणों वाली अवधि साल 2013 में एक साथ मिल रही है। इससे सूरज से सबसे ज्यादा विकिरण हो सकता है। निकलने वाली लपटों और चुंबकीय ऊर्जा में तेजी से वृद्धि हो सकती है। यह धरतीवासियों के लिए खतरनाक होगा। सौर ज्वालाओं से फूटने वाला यह विकिरण वैज्ञानिक भाषा में विद्युत चुंबकीय ऊर्जा के नाम से जाना जाता है। इसमें वे तमाम किरणें समाई रहती है, जिन्हें हम आम तौर पर गामा किरणें, एक्स किरणें, पराबैंगनी किरणें आदि नामों से पुकारते हैं। सौर ज्वालाओं में लाखों हाइड्रोजन बमों के बराबर ऊर्जा समाई रहती है। इसका पता खासतौर से सूरज और इसकी कारगुजारियों पर नजर रखने वाले 'सोहो' (सोलर एंड हीलियोग्राफिक ऑब्जवेट्री) नामक उपग्रह से चला। नासा और यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा संयुक्त रूप से स्थापित सोहों से मिले आंकड़ों के आधार पर वैज्ञानिक इस विशाल ज्वाला या लपट को 'एक्स' वर्ग की लपट बता रहे हैं। गौरतलब है कि ये ज्वालाएं अंतरिक्ष में हजारों किलोमीटर दूर तक फैल जाती हैं। कई बार इनकी पहुंच इतनी अधिक होती है कि हमारी पूरी धरती इसके भीतर समा जाए। अभी तक इनका अधिकतम प्रसार लगभग ढाई लाख किलोमीटर बताया गया है। 
2010 में ही तबाही की कर दी थी भविष्यवाणी 
 
2010 में अमेरिकी खगोलविदों ने धरती से सौर तूफान के टकराने की भविष्यवाणी की थी। खगोलविदों के मुताबिक पृथ्वी से यह दस करोड़ हाइड्रोजन बमों की ताकत से टकराएगा। 2011 की शुरुआत में इसी तूफान के चलते अंतरिक्ष में अद्भुत रोशनियां दिखाई दी थीं। इस सौर तूफान में इतनी ताकत होगी कि यह पूरी धरती की बिजली व्यवस्था को ठप कर देगा। इस बात के खंडन के बावजूद नासा 2006 से इस तूफान पर नजर रख रहा है। खगोल विज्ञान के प्रोफेसर डेव रेनेक ने इस बारे में कहा था, 'सौर खगोलविदों के बीच आम राय यह है कि आने वाला यह सौर तूफान पिछले 100 सालों में सबसे ज्यादा अशांति लाने वाला सिद्ध होगा।' सूर्य अब अपनी सुसुप्त अवस्था से धीरे-धीरे जाग रहा है। आशंका है कि सूरज के पूरी तरह से सक्रिय होने पर भयंकर सौर लपटें उठेंगी, जो तूफान बन धरती पर भयंकर तबाही मचाएंगी। यह तूफान सभी कृत्रिम उपग्रहों को नष्ट कर देगा, जिससे पूरी संचार व्यवस्था और हवाई सेवाएं ठप हो जाएंगी। इस तबाही का असर कई महीनों तक रह सकता है। अंतरिक्ष वैज्ञानिक वॉशिंगटन में 'अमेरिकन एसोसिएट फॉर द एडवांसमेंट ऑफ साइंस' की सालाना बैठक में इस मुद्दे पर विस्तृत विचार-विमर्श कर चुके हैं। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार सूर्य की सतह पर उठने वाली सौर लपटों का प्रभाव हमारी धरती पर भी पड़ेगा। इसकी शुरुआत 1 अगस्त 2010 से हो चुकी है और यह सौर सक्रियता 2014 तक जारी रहेगी। 14 फरवरी, 2011 की रात सूरज की सतह पर हुए विस्फोट से चीन का रेडियो संचार बाधित हो गया था। हालांकि, यह पिछले विस्फोटों के मुकाबले बहुत छोटा था। पर 2014 तक सूरज की सतह पर कई विस्फोट होंगे, जिससे पूरी धरती की जलवायु और मौसम बदल सकता है।

सोने की कीमतों में आई अब तक की सबसे बड़ी कमी



सोने-चांदी में शनिवार को जोरदार गिरावट जारी रही। वैश्विक बाजारों में तेज गिरावट के बीच स्टॉकिस्टों की भारी बिकवाली से राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 1250 रुपए टूटकर 28350 रुपए प्रति 10 ग्राम पर आ गया। आपको बताते चलें कि इससे पहले कभी भी 1 दिन में सोना 1250 रुपये तक सस्ता नहीं हुआ। निवेश के लिहाज से सबसे सुरक्षित माने जाने वाले सोने को कमजोर आर्थिक हालातों के चलते भारी बिकवाली का सामना करना पड़ रहा है। पिछले दो दिनों में सोना करीब 1250 रुपये गिर चुका है। हाजिर बाजार में भी सोना 28000 रुपये के करीब है।
 
इसके अलावा चांदी की भी यही कहानी है। चांदी भी 600 रुपये गिरकर 48000 रुपये के नीचे फिसल गई है। चांदी भी 2 दिन में 3000 रुपये प्रति किलो टूट चुकी है। इसके अलावा कच्चे तेल में भी गिरावट दर्ज की गई है। घरेलू बाजार में कच्चा तेल 2 फीसदी लुढ़का है। दुनिया में मंदी गहराने की आशंका से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चा तेल 9 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया।

जदयू ने कहा- बीजेपी दोस्त पर मोदी को बताया दंगों में फेल!



नई दिल्ली/अहमदाबाद। प्रधानमंत्री की उम्‍मीदवारी के मसले पर दिन भर नरम-गरम होती जदयू ने अंत में साफ कर दिया कि वह भाजपा के साथ है नरेंद्र मोदी के नहीं। जदयू ने बीजेपी को अपना दोस्त बताया लेकिन मोदी पार्टी प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने मोदी पर कहा कि वे गुजरात में दंगों के समय फेल रहे थे। साथ ही उन्होंने साफ किया कि नीतीश कुमार पीएम पद के उम्मीदवार नहीं हैं। वहीं मोदी के बड़े भाई ने उनकी मुसीबत बढ़ा दी है। नरेंद्र मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद मोदी अपने भाई नरेंद्र मोदी की सरकार के कामकाज से नाराज हैं। मीडिया से बातचीत में प्रह्लाद मोदी ने गुजरात के खाद्य आपूर्ति मंत्री को निशाने पर लिया है।
 
वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मोदी के पीएम दावेदार होने के बारे में चुटकी ली है। उन्होंने कहा कि उनका अनुभव रहा है कि जिसकी पीएम बनने के बारे में चर्चा होती है वह पीएम नहीं बनता है। नरेंद्र मोदी के बड़े भाई प्रह्लाद का कहना है कि गुजरात सरकार की ओर से जारी राशन कार्ड में बने बार कोड कई मुश्किलों का सबब बन रहे हैं। प्रह्लाद मोदी का कहना है कि कई गरीब जब राशन की दुकान पर जाते हैं तो उनके कार्ड पर मौजूद बार कोड दुकानदार के पास मौजूद डेटा से मेल नहीं खाता है और उसे सस्ता राशन नहीं मिल पाता है। प्रह्लाद मोदी ने कहा है कि अगर गुजरात सरकार ने इस समस्या का समाधान नहीं किया तो वे अहिंसक आंदोलन छेड़ेंगे

कविता मात्र , भावनाओं और छंदों का मेल नहीं

कविता मात्र , भावनाओं और
छंदों का मेल नहीं , कविता तो
है समुन्दर भावनाओं का ,जहाँ
मात्राओं और छंदों का कोई खेल
ही नहीं , कविता तो है सिर्फ और
सिर्फ भावना , और भावनाओं का
कोई मेल नहीं , भावनाएं नहीं हैं
मोहताज़ मात्राओं और छंदों की ,
ये तो है मात्र अभिव्यक्ति प्रेम
और शब्दों की ,कवि तो है बस
आज़ाद पंछी , आज़ादी है जिसे
बैठने की किसी भी दरख़्त और
टहनी पे , और मैं ! मैं तो हूँ
आजाद पंछी , जो कहीं भी बैठता
और कभी भी कहीं भी उड़ जाता है
मैं तो बस एक कवि हूँ
अपने ही शब्दों में बस
अपनी बात कह जाता हूँ
और शायद बस इसी लिए
मैं एक कवि कहलाता हूँ
बस एक कवि कहलाता हूँ !!!

सुधीर " धीर "

कुछ पता नहीं चलता क्या हुआ सवेरों का,



कुछ पता नहीं चलता क्या हुआ सवेरों का,
साम्राज्य फैला है दूर तक अँधेरों का.

कोई बचके जाये तो बोलिये कहाँ जाये,
मछलियों की दुनिया पर राज है मछेरों का.

इस तरह उजालों की मंज़िलें नहीं मिलतीं,
साधना तो सूरज की आचरण अँधेरों का.

न्याय भी बिकाऊ है, आज कल कचहरी में,
दंड बेक़सूरों को, काम सब लुटेरों का.

कोयले, अंगीठी और लालटेन, ट्राँजिस्टर,
एक शहर ये भी है, टीन के बसेरों का.

जिन की बीन की धुन पर नाचते थिरकते थे,
भाग्य लिख रहे हैं अब साँप उन सपेरों का.

सुना है लोग उसे आँख भर के देखते है

Anit Kumar सुना है लोग उसे आँख भर के देखते है
सो उसके शहर में कुछ दिन ठहर के देखते है
सुना है बोले तो बातो से फुल झड़ते है
ये बात है तो चलो बात करके देखते है
सुना है उसके लबो से गुलाब जलते है

सो हम बहार पे इल्जाम धरके देखते है
सुना है उसके बदन कि तराश ऐसी है
कि फुल अपनी कबाए कुतर के देखते है
रुके तो गर्दिशे उसका तवाफ़ करती है
चले तो उसको ज़माने ठहर के देखते है
किसे नसीब कि बे पैराहन उसे देखे
कभी-कभी दरो दीवार घर के देखते है



– अहमद फ़राज़

मेरा दर्द मेरे सीने मे

मेरा दर्द
मेरे सीने मे
कील की ही तरह
चुभा दिया गया
इतनी गहराई से कि
मै चिल्ला भी नहीं सकी
मेरा दर्द
कमरे में खामोश
फ़र्श पर पडा रहेगा
तब तक ,जब तक
शांति की कालीन बिछी रहेगी
दर्द खामोश रहेगा
कालीन उठते ही दर्द
चीखने चिल्लाने लगेगा
मेरा दर्द
दीवार पर चढी उस
बेल की तरह है जो
हर बार आकाश पर
चढने उतरने की कोशिश मे
लुढक जाती है जमीन पर ........सरिता

"मैं कहीं हूँ तो सही "

"मैं कहीं हूँ तो सही "

इंसानी चीख में -
प्रतिदान और भीख में
शिक्षक की सीख में
राकेट की चीख में
बैलगाड़ी की लीक में
कहीं मैं हूँ तो सही

जलसे में ताली सा
ससुराल में साली सा
गुस्से में गाली सा
उपवन में माली सा
कहीं मैं हूँ तो सही .

तेरी सुरताल में
गेहूं की बाल में
गेंडे की खाल में
बाल और बबाल में
हाल बेहाल में
कहीं मैं हूँ तो सही .

फ़िक्र और मस्ती में
आलमे पस्ती में
आदम की हस्ती में
सागर और कश्ती में
इंसानी बस्ती में
कहीं मैं हूँ तो सही .

पोथी और पुराणों में
नदियों के मुहानों में
मौसम सुहानो में -
गीत और गानों में
मिलन के बहानो में
मजदूर किसानो में
कहीं मैं हूँ तो सही ...........

(लिस्ट अभी और भी है पर ...
कविता कुछ ज्यादा ही लम्बी हो गयी )

ये नदी -सतत बहती हुई -


ये नदी -सतत बहती हुई -
मेरे आने वाले कल को,
मेरे आज से मिलाती है .
शांत रहती है - अंतर में उमड़ते
तूफानों को बेतरह छुपाती है.

मैं चुप नहीं रह सकता- तुम
कुच्छ भी कहो -चले जाओ
मेरा साथ छोड़ या -
फिर साथ रहो .

यहाँ मैं हूँ - बस
या ये नदी-
जो बहूत कुछ कहती है -
रुक जाना -जीवन नहीं है
इसी लिए शायद -और उद्दाम वेग से
बहती है .

मेरी कविता मेरे एकांत का नहीं-
मेरे पल भर के मौन का प्रतिफल है
मैं शांत हूँ - पर
कविता में मेरे हलचल है .
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