आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

17 अप्रैल 2013

तुलसी की महिमा



जो मनुष्य तुलसी के पत्र और पुष्प आदि से युक्त माला धारण करता है, उसको भी विष्णु ही समझना चाहिये। आँवले का वृक्ष लगाकर मनुष्य विष्णु के समान हो जाता है। आँवले के चारों ओर साढे तीन सौ हाथ की भूमि को कुरुक्षेत्र जानना चाहिये। तुलसी की लकड़ी के रुद्राक्ष के समान दाने बनाकर उनके द्वारा तैयार की हुई माला कण्ठ में धारण करके भगवान का पूजन आरम्भ करना चाहिये। भगवान को चढ़ायी हुई तुलसी की माला मस्तक पर धारण करे तथा भगवान को अर्पण किये हुए चन्दन के द्वारा अपने अंगों पर भगवान का नाम लिखे। यदि तुलसी के काष्ठ की बनी हुई मालाओं से अलकृंत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करे तो वह कोटिगुना फल देनेवाला होता है। जो मनुष्य तुलसी के काष्ठ की बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुन: प्रसाद रूप से उसको भक्ति पूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं। पाद्य आदि उपचारों से तुलसी की पूजा करके इस मन्त्र का उच्चारण करे- जो दर्शन करने पर सारे पापसमुदाय का नाश कर देती है, स्पर्श करने पर शरीर को पवित्र बनाती है, प्रणाम करने पर रोगों का निवारण करती है, जल से सींचने पर यमराज को भी भय पहुँचाती है, आरोपित करने पर भगवान श्रीकृष्ण के समीप ले जाती है और भगवान के चरणों में चढ़ाने पर मोक्ष रूपी फल प्रदान करती है, उस तुलसी देवी को नमस्कार है।
तुलसी को देवी का रूप माना जाता है तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है।अधिकांश हिंदू घरों में तुलसी का पौधा अवश्य ही होता है। तुलसी घर के आंगन में लगाने की प्रथा हजारों साल पुरानी है। तुलसी को देवी का रूप माना जाता है। साथ ही मान्यता है कि तुलसी का पौधा घर में होने से घर वालों को बुरी नजर प्रभावित नहीं कर पाती और अन्य बुराइयां भी घर और घरवालों से दूर ही रहती है।
तुलसी का पौधा होने से घर का वातावरण पूरी तरह पवित्र और कीटाणुओं से मुक्त रहता है। कभी-कभी किसी कारण से यह पौध सूख भी जाता है ऐसे में इसे घर में नहीं रखना चाहिए बल्कि इसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करके दूसरा तुलसी का पौधा लगा लेना चाहिए। सुखा हुआ तुलसी का पौधा घर में रखना कई परिस्थितियों में अशुभ माना जाता है। इससे विपरित परिणाम भी प्राप्त हो सकते हैं। घर की बरकत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसी वजह से घर में हमेशा पूरी तरह स्वस्थ तुलसी का पौधा ही लगाया जाना चाहिए।
तुलसी का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन विज्ञान के दृष्टिकोण से तुलसी एक औषधि है। आयुर्वेद में तुलसी को संजीवनी बुटि के समान माना जाता है। तुलसी में कई ऐसे गुण होते हैं जो बड़ी-बड़ी जटिल बीमारियों को दूर करने और उनकी रोकथाम करने में सहायक है। तुलसी का पौधा घर में रहने से उसकी सुगंध वातावरण को पवित्र बनाती है और हवा में मौजूद बीमारी के बैक्टेरिया आदि को नष्ट कर देती है। तुलसी की सुंगध हमें श्वास संबंधी कई रोगों से बचाती है। साथ ही तुलसी की एक पत्ती रोज सेवन करने से हमें कभी बुखार नहीं आएगा और इस तरह के सभी रोग हमसे सदा दूर रहते हैं। तुलसी की पत्ती खाने से हमारे शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता काफी बढ़ जाती है।
तुलसी नमस्कार मंत्र
वृन्दायै तुलसीदेव्यै प्रियायै केशवस्य च |विष्णुभक्तिप्रदे देव्यै सत्यवत्यै नमो नमः
तुलसी स्नान मन्त्र
गोविन्दवल्ल्भां देवीं भक्तचैतन्यकारिणीम् |स्नापयामि जगद्धात्रीं विष्णुभक्तिप्रदायिनीम्
तुलसी उतारने का मन्त्र
तुलस्यमृतजन्मासि सदा त्वं केशवप्रिया |
केशवार्थं चिनोमि त्वां वरदा भव शोभने
ठाकुरजी को तुलसी चढाने का मंत्र
तुलसीं हेमारूपां च रत्नरूपां च मंजरीम् | राधासर्वेश्वरायैतामर्पयामि हरिप्रियाम

गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, बहुत से रोगों से मुक्ति मिलती है। तुलसी की माला पर भगवन्नाम-जप करना कल्याणकारी है।
मृत्यु के समय मृतक के मुख में तुलसी के पत्तों का जल डालने से वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक में जाता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः २१ .४२ )
तुलसी के पत्ते सूर्योदय के पश्चात ही तोड़ें। दूध में तुलसी के पत्ते नहीं डालने चाहिए तथा दूध के साथ खाने भी नहीं चाहिए।
घर की किसी भी दिशा में तुलसी का पौधा लगाना शुभ व आरोग्यरक्षक है।
पूर्णिमा, अमावस्या, द्वादशी और सूर्य-सक्रान्ति के दिन, मध्याह्नकाल, रात्रि, दोनों संध्याओं के समय और अशौच के समय, तेल लगा के, नहाये धोये बिना जो मनुष्य तुलसी का पत्ता तोड़ता है, वह मानो भगवान श्रीहरि का मस्तक छेदन करता है।
(ब्रह्मवैवर्त पुराण, प्रकृति खंडः २१ .५० .५१ )
रोज सुबह खाली पेट तुलसी के पाँच-सात पत्ते खूब चबाकर खायें और ऊपर से ताँबे के बर्तन में रात का रखा एक गिलास पानी पियें। इस प्रयोग से बहुत लाभ होता है। यह ध्यान रखें कि तुलसी के पत्तों के कण दाँतों के बीच न रह जायें।
बासी फूल और बासी जल पूजा के लिए वर्जित है परंतु तुलसी दल और गंगाजल बासी होने पर भी वर्जित नहीं है।
(स्कंद पुराण, वै.खंड, मा.मा. ८ .९ )
फ्रेंच डॉक्टर विक्टर रेसीन ने कहा हैः 'तुलसी एक अद्‍भुत औषधि है, जो ब्लडप्रेशर व पाचनतंत्र के नियमन, रक्तकणों की वृद्धि एवं मानसिक रोगों में अत्यन्त लाभकारी है। मलेरिया तथा अन्य प्रकार के बुखारों में तुलसी अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई है।'
तुलसी ब्रह्मचर्य की रक्षा में एवं यादशक्ति बढ़ाने में भी अनुपम सहायता करती है।
तुलसी बीज का लगभग एक ग्राम चूर्ण रात को पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट लेने से वीर्यरक्षण में बहुत-बहुत मदद मिलती है।

दुनियाभर में आज भी कई ऐसे स्थान हैं, जिनका रहस्य अब तक अनसुलझा है


दुनियाभर में आज भी कई ऐसे स्थान हैं, जिनका रहस्य अब तक अनसुलझा है. विज्ञान की लाख तरक्की के बावजूद कई गुत्थियां ऐसी हैं, जिनका सही-सही जवाब दे पाना आज भी संभव नहीं हो पाया है. हालांकि, धर्मग्रंथों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ये रहस्य न होते हुए ईश्वरीय शक्ति के निशान हैं. ऐसी ही एक रहस्यमयी जगह श्रीलंका के सुदूर इलाके में मौजूद इस जगह को 'एडम्स पीक' और 'श्री पद' भी कहते हैं. श्रीलंका के दक्षिणी तट गाले में एक बहुत रोमांचित करने वाली जगह 'एडम्स पीक' है। इसे रहुमाशाला कांडा कहते हैं। इस पहाड़ का अपना पौराणिक इतिहास रहा है। कहते हैं राम-रावण युद्ध के दौरान मेघनाद की शक्ति लक्ष्मण निशाना बने और उनकी जान पर बन आई। उनके प्राण सिर्फ संजीवनी बूटी से बचाए जा सकते थे। इसे लाने का काम राम भक्त हनुमान को दिया गया। हनुमान हिमालय की कंदराओं में संजीवनी बूटी खोजते रहे, लेकिन उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। तब उन्होंने पहाड़ के एक टुकड़े को ही ले जाने का फैसला किया। मान्यताओं के अनुसार यह वहीं पहाड़ है। वहीं, इस पर बना मंदिर भी एक खास चीज के लिए प्रसिद्ध है। एडम्स पीक पर बने मंदिर में एक देवता के पैरों के निशान हैं। हिंदू धर्म की मानें तो यह देवों के देव शंकर के पैरों के निशान है। शिव को विनाशक भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि शंकर मानव जाति को अपना दिव्य प्रकाश देने के लिए यहां प्रकट हुए थे। इसलिए इसे सिवानोलीपदम (शिव का प्रकाश) भी कहा जाता है। 2,224 मीटर की ऊंचाई पर लाखों भक्त और सैलानी आकर सिर झुकाते हैं। यहां से एशिया का सबसे अच्छा सूर्यउदय देखा जा सकता है।

बाग़वानी बनी वरदान



मनोहर कुमार जोशी
राजस्थान में सवाईमाधोपुर जिले की करमोदा तहसील के दोंदरी गांव के प्रयोगधर्मी और प्रगतिशील किसान लियाक़त अली अपनी हर सफलता का श्रेय उद्यानिकी को देते हैं. अपनी पांच हैक्टेयर कृषि भूमि में से तीन हैक्टेयर पर उन्होंने अमरूदों का बाग़ लगा रखा है. उनके बगीचे में इस वर्ष अमरूदों की बम्पर पैदावार हुई है. छोटे-बड़े सभी पेड़ फलों से लदे हुए हैं. कई पेड़ों की डालें तो फलों के वजन से जमीन पर गिरी हुई हैं. लेखक को फलदार बाग दिखाते हुए उन्होंने सुनाई अपनी सफलता की कहानी - सुनते हैं उन्हीं की जुबानी...

 हमारा पुश्तैनी पेशा खेतीबाड़ी है. मेरे पिता समीर हाजी परम्परागत खेती किया करते थे. पिता के इंतकाल के बाद मैं भी गेहूं, जौ, चना सरसों आदि की फसलें लेने लगा, लेकिन उससे कुछ खास हासिल नहीं हुआ. कभी ज्यादा सर्दी की वजह से फसलों को नुकसान होता, तो कभी पानी की कमी के कारण पर्याप्त सिंचाई के अभाव में अच्छी पैदावार नहीं होती. इससे भविष्य की जिम्मेदारियां अधर झूल में दिखाई देने लगीं.

ऐसी स्थिति में एक दिन मैं यहां के कृषि एवं उद्यान विभाग तथा स्थानीय कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों से मिला. उन्होंने मुझे अमरूद का बगीचा लगाने की सलाह दी. मेरे लिए इनसे मिलना बहुत ही लाभप्रद रहा. उनके सहयोग एवं सलाह पर मैंने अमरूदों की खेती शुरू कर दी. नर्सरी से एक रूपये प्रति पेड़ के हिसाब से 300 पेड़ खरीद कर एक हैक्टेयर जमीन पर लगाए. बड़े होने पर इन पेड़ों पर अमरूद लगने शुरू हो गए, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा. इससे हुई आय ने उद्यानिकी फसल के प्रति मेरा उत्साह बढ़ाया और मैंने अपने बगीचे को एक हैक्टेयर से बढ़ाकर तीन हैक्टेयर में कर दिया. छह सौ पेड़ और लगाए. दूसरी बार लगाए पेड़ों के पौधे लखनऊ से लाया. ये पौधे इलाहाबादी, मलिहाबादी, बर्फ गोला एवं फरूखाबादी किस्म के थे तथा एल-49 से स्वाद में बढि़या व पेड़ से तुड़ाई के बाद ज्यादा समय तक तरोताजा रहने वाले थे.  नए पौधों से दो साल बाद फसल की पैदावार में वृद्धि हुई.  इससे ढाई लाख रूपये की आय हुई. इस बार मैंने पैदावार बेचने का ठेका कोटा के एक फल व्यापारी को दिया है, लेकिन बम्पर पैदावार होने के बाद लगा कि यदि ठेकेदार के बजाय मैं खुद इसे बेचता, तो कहीं ज्यादा लाभ में रहता. इस मर्तबा इस कदर पेड़ों पर फल लदे हैं कि फलदार पेड़ों की डालें झुक कर जमीन पर आ गई हैं.

फलों की तुड़ाई नवम्बर से चल रही है. यह सिलसिला मार्च तक चलेगा. अमरूदों की खेती मुझे एवं मेरे बेटों को रास आ गई है. एक हजार पौधे अपने बाग में और लगाए हैं. एक दो साल बाद इनसे भी आय शुरू हो जाएगी. महंगाई की मार उद्यानिकी फसल पर भी पड़ी है. शुरू में मुझे प्रति पौधा एक रूपये में मिला था, जबकि इसके बाद यही पौधा एक से बढ़कर चार रूपये का अर्थात चार गुना महंगा मिला. पिछले वर्ष लखनऊ से लाए गए पौधों की कीमत यहां पहुंचने तक लगभग 25 रूपये प्रति पौधा पड़ गई, लेकिन मुझे लगता है इस पौधों की किस्म अच्छी होने के कारण इसका लाभ मिलेगा.

यहां की जलवायु हवा, पानी एवं मिट्टी अमरूद के पेड़ों को भी रास आ गई है तथा जो किसान बगीचे की अच्छी तरह सार-संभाल करता है, उसके लिए बगीचा सोना उगलता है. मैंने नए पौधों की रोपाई से पहले बकरी की मींगनी की खाद से बगीचे को भली-भांति संधारित किया था. समय-समय पर पेड़ों की देखभाल करता रहता हूं. पशुओं से पेड़ों एवं फसल की रक्षा के लिए बगीचे के चारों तरफ लोहे के मोटे तार वाली जाली की बाड़ लगा रखी है. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में नील गायें हैं, जिस खेत में रात को वे घुस जाती हैं, उसकी फसल चोपट कर देती हैं.

खेत एवं बगीचे में सिंचाई के लिये खेत पर कुआं एवं फार्म पौंड हैं, जिससे सिंचाई की कोई समस्या नहीं है. बूंद-बूंद और फव्वारा सिंचाई अपना रखी है, जो जरूरत के अनुसार हो जाती है. दूसरे किसान भाइयों को भी उनकी मांग पर फसल की सिंचाई के लिए पानी मुहैया करवाता हूं. मै किसान भाइयों को हमेशा कहता हूं कि आज हम लोग कोई एक प्रकार की खेती कर खुशहाल और समृद्ध नहीं बन सकते हैं. इसके लिए खेती किसानी के साथ-साथ कृषि के सहायक कार्य जैसे मुर्गीपालन, मछली पालन, पशुपालन, जो एक दूसरे पर निर्भर हैं, इन्हें अपना कर अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं.

मैंने अपने खेत पर एक सौ फुट लम्बा, 70 फुट चैड़ा और 12 फुट गहरा फार्म पौंड  बना रखा है. इसके निर्माण के लिए सरकार से अनुदान भी मिला था. सिंचाई के साथ-साथ पौंड में मत्स्य बीज डाल कर मछलीपालन कर लेता हूं. इसके लिए कोलकाता से शुरू में दस हजार मत्स्य बीज लाया था. एक किलो की मछली 80 से 100 रूपये में बिक जाती है. मैंने मत्स्य प्रशिक्षण विद्यालय उदयपुर से 2004 में ट्रेनिंग ली थी, जो मेरे काम आई. फार्म पौंड के किनारे प्रकाश पाश्‍र्व लगा रखा है, इससे फायदा यह है कि खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीट पतंगे रात को पानी मे गिर जाते हैं. इससे दोहरा लाभ होता है, फसल भी खराब नहीं होती और मछलियों का भोजन भी हो जाता है.

अतिरिक्त आय के लिए खेत पर पांच-सात भैंसे बांध रखी हैं. एक भैंस हाल ही 46 हजार रूपये में बेची है. भैंसों से दूध, दही, घी मिल जाता है. उनका गोबर बायोगैस संयंत्र में काम आ जाता है. यह संयंत्र वर्ष 2007-08 में बनाया था. अपने खेत पर मुर्गीपालन भी करता हूं. ये पक्षी खेत में दीमक तथा हानिकारक कीड़ों को खाकर उन्हें नष्ट कर देते हैं. उनकी विष्टा खाद के रूप में काम आती है. कृषि के जानकार लोगों के मुताबिक इनकी बींट की खाद से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है. देसी मुर्गा पांच सौ से सात सौ रूपये में बिक जाता है. लियाक़त अली के पुत्र इंसाफ कहते हैं कि हमारे खेत पर मुर्गे-मुर्गियों और इनके चूजों की संख्या काफी हो गई थी, लेकिन हाल ही में थोड़ी सी लापरवाही के चलते ये पक्षी वन्य जीवों के शिकार हो गए. अब कुछ मुर्गे-मुर्गीयां ही बची हैं. इनकी सुरक्षा के लिए जल्दी ही फार्म पौंड पर लोहे का जाल डालकर एक बड़ा पिंजड़ा बना रहे हैं.

लियाक़त भाई अपनी सफलता की सारी कहानी बयां करते हुए कहते हैं कि मुझे मान-सम्मान, धन-दौलत अमरूदों की उद्यानिकी फसल से ही मिली है. मेरे यहां कोई आए और बिना अमरूद खाये कैसे चला जाए. इसके लिए मैंने 20-25 अमरूदों के पेड़ अलग से छोड़ रखे हैं, ताकि अमरूदों का स्वाद आने वाला अतिथि चख सके. वे कहते हैं मुझे अनेक इनाम मिले हैं, लेकिन सबसे बड़ा सम्मान जयपुर में कृषक सम्मान समारोह में मिला. इससे मेरा और उत्साहवर्धन हुआ है.

चंद्रगिरि : भूरे सोने की पहाड़ियां




अमित गुइन
विश्व के कॉफी पारखियों को दिसंबर 2007  में केंद्रीय कॉफी अनुसंधान संस्थान (सीसीआरआई) ने नए किस्म की कॉफी के पौधे चंद्रगिरि के बीज से परिचित कराया था. तभी से 'भूरे सोने' की खुशबू और रंग ने विश्व के विभिन्न भागों के कॉफी प्रेमियों को अपने से बांध लिया है. चंद्रगिरि पौध जब भारत के कॉफी बागानों में व्यावसायिक उत्पादन के लिए इस्तेमाल किया गया, तो उनका अच्छा परिणाम निकला और इसके बीज की भारी मांग होने लगी.

इसके बारे में प्रचलित लोक कथा कुछ इस प्रकार है कि लगभग चार सौ साल पहले एक युवा फकीर बाबा बुदान मक्का की यात्रा पर निकले. यात्रा से थक कर चूर होने के बाद वे सड़क के किनारे एक दुकान पर नाश्ते के लिए रुके. वहां उन्हें काले रंग का मीठा तरल पदार्थ एक छोटे कप में दिया गया. उसे पीते ही युवा फकीर में गजब की ताजगी आ गई. उन्होंने उसे अपने देश ले जाने का निश्चय कर लिया, लेकिन उन्हें जानकारी मिली कि अरब के लोग अपने रहस्यों की कड़ाई से रक्षा करते हैं और स्थानीय कानून उसे अपने साथ ले जाने की अनुमति नहीं देंगे. बाबा ने अरब के कॉफी के पौधे के सात बीज अपने कमर में अपने चोले के नीचे छिपा लिए. स्वदेश लौटने पर बाबा बुदान ने कर्नाटक की चंद्रगिरि पहाड़ियों में बीज को बोया. आज वे सात बीज विभिन्न किस्मों में बदल गए हैं और एक देश में विश्व की तरह-तरह की कॉफी पैदा होने लगी है. चंद्रगिरि की झाड़ियां छोटी किंतु कॉफी की अन्य किस्मों कावेरी और सान रेमन की तुलना में घनी होती हैं. इसके पत्ते बड़े, मोटे और गहरे हरे रंग के होते हैं. कॉफी की यह किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले लंबे और मोटे बीज पैदा करती है.
कॉफी उत्पादकों से इस किस्म के पैदाबार के बारे में बहुत उत्साहजनक जानकारी मिली है. इसकी अनुवांशिकी एकरूपता और शुरूआती पैदावार भी अच्छी होती है. इसके अलावा अधिकतर उत्पादक चंद्रगिरि को अपने खेतों में खाली समय की भरपाई के लिए इस्तेमाल करते हैं. यह भी देखा गया है कि अगर खेती के उचित तरीके अपनाए जाएं तो कावेरी एचडीटी और चंद्रगिरि  जैसी विभिन्न घनी झाड़ियों से उपज में कोई विशेष अंतर नहीं पड़ता. चंद्रगिरि  की फलियां अच्छे किस्म की होती हैं और औसतन 70  प्रतिशत फलियां 'ए' स्तर की होती हैं. इनमें से 25-30 प्रतिशत एए स्तर की होती हैं. अन्य किस्मों की तुलना में 'ए' स्तर की फलियां 60-65 प्रतिशत होती हैं  जिनमें से 15-20 प्रतिशत एए स्तर की होती हैं.

अनुसंधानकर्ताओं को यह भी पता चला है कि चंद्रगिरि में बीमारी अन्य किस्मों के मुकाबले बहुत देर से लगती है. इसके अलावा बीमारी की गंभीरता बहुत कम (5 प्रतिशत से भी कम) होती है, लेकिन कॉफी के पौधे के तनों में छिद्र करने वालो सफेद कीटों के मामले में चंद्रगिरि भी अन्य किस्मों की तरह ही है. भारत और दक्षिण एशिया में ये कॉफी के सबसे खतरनाक कीट होते हैं, लेकिन उत्पादन की आदर्श परिस्थितियों यथा समुद्र से 1000 मीटर की ऊंचाई वाले खेतों में कीट लगने की घटनाएं कम होती है. ऐसा इसलिए होता है कि झाड़ियां बहुत घनी और डालियां चारों ओर फैली होती हैं, जिससे सफेद कीट मुख्य तने पर हमला नहीं कर पाते. कीट नियंत्रण के लिए संक्रमित पौधों को नष्ट करना आवश्यक है. कीट प्रबंधन के लिए अन्य उपायों में आवश्यकतानुसार 10 प्रतिशत चूने का उपयोग, फेरोमोन जालों का इस्तेमाल और तने को लपेटने आदि का काम किया जा सकता है.

राजस्थान मदरसा बोर्ड में कार्यरत छ हजार मदरसा पेराटीचर्स इसी साल शिक्षा कर्मी के रूप में स्थाई रूप से नियुक्त होंगे

राजस्थान मदरसा बोर्ड में कार्यरत छ हजार मदरसा पेराटीचर्स इसी साल शिक्षा कर्मी के रूप में स्थाई रूप से नियुक्त होंगे ..उक्त जानकारी देते हुए राजस्थान मदरसा बोर्ड के चेयरमेन मोलाना फजले हक ने आज कोटा में पत्रकारों से रूबरू होते हुए कहा के राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत साहब ने मदरसा बोर्ड द्वारा आयोजित हाल ही के कार्यक्रम में सभी मदरसा पेरातीचर्स को नियमित करने का आश्वासन दिया था ..मोलाना फजले हक ने कहा के इस सम्बन्ध में मदरसा बोर्ड प्रस्ताव तय्यार कर लिए है और सभी छ हजार पेरातीचर्स को नियमित शिक्षा कर्मी बनाने और प्रबोधक बनाने के लियें इन प्रस्तावों को राज्य सरकार को भेजा रहा है उन्होंने कहा के मदरसा पेराटीचर्स की स्थाई नियुक्तियों में वाली सभी और कर ली गयी है ....मोलाना फजले हक ने कहा के मदरसा बोर्ड शीघ्र ही नई नियुक्तिया भी पूरी कर लेगा ...मोलाना फजले हक कोटा में आज हाल ही में राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान वक्फ विकास परिषद् में नवनियुक्त सदस्य वफाती खान के निवास पर कोठडी पहुंचे और उन्हें मुबारकबाद दी ..मोलाना फजले हक ने विज्ञाननगर नूरी जाम मस्जिद में गर्मियों की छुट्टियों में आयोजित तयबा क्लासों का उदघाटन भी किया जिसमे मोलाना सईद मुख्तार अंसारी के संयोजन में एक माह में सभी मदरसों और निजी शिक्षण संस्थाओं के छात्र छात्राएं दिनी तालिन हांसिल करेंगे जिनके इम्तिहान भी होंगे और फिर उन्हें प्रमाणपत्र भी दिए जायेंगे .............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

इनकी तिजोरी में छुपा है इतना सोना कि जब चाहें खरीद लें पाकिस्तान जैसे कई देश



सरकार द्वारा सोने की बिक्री को कम करने के प्रयास, साइप्रस असर और घटती मांग के चलते सोना में तगड़ी गिरावट देखी जा रही है। कभी 31000 से ऊपर रहने वाला सोना आज 25 हजार के करीब पहुंच गया है। यह स्तर 15 महीने के बाद देखने को मिला है। जानकारों का कहना है कि सोने में अभी और गिरावट देखी जा सकती है। इन सबके बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं दुनिया के उन देशों के बारे में जहां सोने का भरमार लगा हुआ है। 
 
दिलचस्प है कि वर्तमान में सोने की कीमत में आई इस गिरावट के पीछे कमजोर वैश्विक रुख और स्टॉकिस्टों की लगातार हो रही बिकवाली को भी एक कारण माना जा रहा है। किसी देश की अर्थव्यवस्था उसके गोल्ड रिजर्व (देश के सेंट्रल बैंक में जमा सोना, जैसे भारत के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया में जमा सोना) से आंकी जाती है और इसी के एवज में आपको वर्ल्ड बैंक से कर्ज भी मिलता है।
 
सेंट्रल बैंक ऑफ गोल्ड एग्रीमेंट (CBGA) के तहत एक देश की सरकार सोना बेचती या खरीदती है। पहला सेंट्रल बैंक ऑफ गोल्ड एग्रीमेंट (CBGA 1) 27 सितम्बर 1999 से 26 सितम्बर 2004 तक था। 27 सितम्बर 2004 से 26 सितम्बर 2009 तक CBGA 2 था। 27 सितम्बर 2009 से CBGA 3 लागू है। एक संस्था है वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल। किस देश के पास कितना सोना है, इसका लेखा-जोखा यही संस्था रखती है।
1 यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका
 
गोल्ड रिजर्व: 8,133.5 टन
 
सोने के रूप में विदेशी निवेश का प्रतिशत: 75.7%
 
अमेरिका का गोल्ड रिजर्व 1952 में 20,663 टन था, जो 1968 में घटकर पहली बार 10000 टन से नीचे आया था।

बेखौफ प्रेमियों ने रचाया प्रेम विवाह, अब इजहार-ए-इश्क भी दुनिया से छुपकर करते हैं!



इंदौर। प्रेम विवाह के बाद शादी करने वाले शिक्षक-शिक्षिका को सुरक्षा प्रदान करने का आदेश  हाई कोर्ट ने पुलिस को दिया है। शिक्षिका के पिता की धमकी के कारण दोनों ने कोर्ट की शरण ली है।
महेश निंगवाल पिता बद्दूसिंह (32) निवासी बडग़ांव (मनावर) धार में 23 वर्षीय शिक्षिका के यहां किराएदार था। उनमें पांच साल से मित्रता थी। इससे शिक्षिका के पिता नाराज थे। दोनों ने 19 मार्च को इंदौर आकर भागीरथपुरा स्थित आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली।
यह बात पता चलने पर युवती के पिता ने दोनों को घर बुलाया। नहीं आने पर बेटी को संदेश पहुंचाया कि वह पति के खिलाफ जबरदस्ती शादी करने की रिपोर्ट लिखाए। महेश को डर है कि ससुर अप्रिय घटना करवा सकते हैं। इस कारण दोनों छिपकर अलग-अलग रह रहे हैं।

पुलिस पर भी लगाया आरोप
दोनों ने अधिवक्ता के.के. कुन्हारे व काशू महंत के माध्यम से आईजी, धार के एसपी, सीएसपी व थाना प्रभारी को पक्षकार बनाते हुए इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की। उसमें कहा गया कि वे बालिग हैं और उन्हें जीवनसाथी चुनने का अधिकार है। यह भी कहा कि पुलिस शिक्षिका पर पति के खिलाफ बयान देने के लिए दबाव बना रही है और उनके साथ अप्रिय घटना घट सकती है।
अत: उन्हें सुरक्षा दिलाई जाए। सुनवाई के बाद जस्टिस एस. सी. शर्मा ने धार पुलिस को आदेश दिया कि याचिकाकर्ताओं के साथ जबरदस्ती नहीं की जाए। वे आवेदन देते हैं तो दोनों को सुरक्षा दी जाए। अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 6 मई को होगी।

18, 19 को बस, यह दुर्गाचालीसा पाठ भी होगा संकटमोचक


18, 19 को बस, यह दुर्गाचालीसा पाठ भी होगा संकटमोचक
हिन्दू धर्म परंपराओं में देवी दुर्गा को आदिशक्ति माना जाता है। मान्यता यह भी है कि दुर्गा का सच्चा उपासक ऐसी ऊर्जा और ऐसी अदृश्य शक्तियों का स्वामी होता है, जिसके कारण उसका जीवन दुःख, मुश्किलों व खतरों से सुरक्देवी की सामान्य पूजा गंध, फूल, अक्षत, धूप, दीप से कर इस दुर्गा चालीसा का पाठ पूरी आस्था से करें - 
 
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महा विशाला। नेत्र लाल भृकुटी विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिव शंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रहृ विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरा रुप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रहलाद बचायो। हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रुप धरो जग माही। श्री नारायण अंग समाही॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी धूमावति माता। भुवनेश्वरि बगला सुखदाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणि। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजे। जाको देख काल डर भाजे॥
सोहे अस्त्र और तिरशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्ही विराजत। तिहूं लोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताको छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहू काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रुप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछतायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतवे। मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी॥
करौ कृपा हे मातु दयाला। ऋद्घि सिद्घि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियौं दया फल पाऊँ। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परम पद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
षित रहता है। 
 
शास्त्रों में ऐसी ही दिव्य शक्तियों से ज़िंदगी में मुसीबतों से बचने के लिए दुर्गा चालीसा पाठ का महत्व बताया गया है। यह चालीसा देवी की अद्भुत शक्तियों और स्वरूप का ही स्मरण है, जिसका हर रोज पाठ तो ऊर्जावान रखता ही है, किंतु नवरात्रि के दिन यह पाठ शक्ति उपासना से संकटमोचन के नजरिए से बहुत ही असरदार माना गया है। अगली स्लाइड पर क्लिक कर जानिए यह संकटमोचक देवी स्मरण उपाय -

यहीं एक वेश्या ने दी समाज को चुनौती और राजा को भी खानी पड़ी जिसके सामने मात!



पश्चिमी राजस्थान में सोने की सी चमक लिए स्वर्ण नगरी जैसलमेर देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। अपनी सोने जैसी आभा के कारण लोगों को अपनी ओर खींचने वाली इस नगरी में वैसे तो कई स्थान देखने लायक हैं, लेकिन एक स्थान ऐसा भी है जिसके नाम के आगे 'बदनाम' लगा हुआ है। वैसे वास्तव में यह जगह अपने-आप में खासा ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। जहां राजस्थान कई ऐतिहासिक स्थान विभिन्न राजघरानों के कारण प्रसिद्ध हुए हैं, वहीं शायद यह एकमात्र ऐसा स्थान है जो एक वेश्या के कारण प्रसिद्ध हुआ है।

ऐसा नहीं है कि प्रवेश द्वार की खूबसूरती लोगों को लुभाती नहीं है, लेकिन इस प्रवेश द्वार का निर्माण उस समय की एक वेश्या ने करवाया था। यही कारण है कि यह तालाब बदनामी के गर्त में चला गया और आज तक लोग इसे 'बदनाम झील' के नाम से जानते आ रहे हैं। सन् 1909 में निर्मित कराए गए इस प्रवेश द्वार को लोग 'वेश्या के द्वार' के नाम से भी जानते हैं।
 कहते हैं कि स्वर्ण नगरी जैसलमेर में जिस समय महारावल (राजा) सैलन सिंह की सत्ता थी, उसी समय वहां तेलन नाम की एक वेश्या भी रहा करती थी। पूरे राज्य में उसकी खूबसूरती का कोई सानी नहीं था। तेलन जितनी रूपवती थी, उतनी धन-दौलत से संपन्न थी, लेकिन उसने अपने धन का दुरुपयोग न करके उसे हमेशा धार्मिक कार्यों और समाज की भलाई में लगाया।
 तेलन जब जैसलमेर का ऐतिहासिक गढ़ीसर तालाब का प्रवेश द्वार बनवा रही थी,  तब पूरे नगर में चर्चा होने लगी कि महारावल के होते हुए एक वेश्या प्रवेश द्वार क्यों बनवाये। नगरवासी अपनी अर्जी लेकर महारावल के पास पहुंचे और अपना दर्द बयां किया।

नगरवासियों से महारावल के समक्ष अपनी बात रखते हुए कहा कि गढ़ीसर तालाब पर एक वेश्या प्रवेश द्वार बनवा रही है। चूंकि पूरे नगर में जल आपूर्ति का प्रमुख साधन गढ़ीसर तालाब ही है और अब नगरवासी एक बदनाम औरत द्वारा बनवाये गए प्रवेश द्वार से जाकर पानी लेकर आयेंगे, जो सही नहीं है।
 महारावल ने नगरवासियों की समस्या को सुना और अपने मंत्री और सलाहकारों के साथ इस बात पर विचार-विमर्श करने के बाद आदेश जारी किया कि वेश्या द्वारा बनवाये जा रहे प्रवेश द्वार को तत्काल गिरा दिया जाए।
 जब तेलन को इस बात की जानकारी मिली कि नगरवासियों से उसके खिलाफ महारावल से शिकायत की है और राजा ने उसके द्वारा बनवाए जा रहे प्रवेश द्वार को गिराने के आदेश जारी किये हैं, उस समय द्वार निर्माण का कार्य अंतिम चरण में था। अतः उसने प्रवेश द्वार पर भगवान विष्णु का एक मंदिर बनवा दिया।
जब महारावल के सेवक द्वार गिराने वहां पहुंचे, तो द्वार के ऊपर भगवान विष्णु का मंदिर पाया। चूंकि भगवान विष्णु हिंदुओं के आराध्य देव हैं और मंदिर को गिराना हिंदुओं की आस्था का अपमान है, अतः सेवकों ने प्रवेश द्वार को हाथ भी नहीं लगाया और तेलन का निर्माण कार्य जैसलमेर के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गया।

राज्य अतिथि के रूप में आए, कार के लिए इंतजार करते रहे केंद्रीय मंत्री

जयपुर.केंद्रीय श्रम राज्यमंत्री के. सुरेश को बुधवार को खासा कोठी में भारी बदइंतजामी का सामना करना पड़ा। होटल खासा कोठी में मीडिया से बातचीत के बाद जब सुरेश एयरपोर्ट रवाना होने के लिए निकले तो उन्हें मोटर गैराज विभाग की लालबत्ती की गाड़ी नहीं मिली। वे पोर्च में यहां-वहां  करीब 15 मिनट तक गाड़ी का इंतजार करते रहे और अफसर यहां-वहां फोन लगाते रहे। जब गाड़ी नहीं आई तो सुरेश को वहां खड़ी अन्य साधारण गाड़ी से रवाना किया गया। 
 
 
कोऑर्डिनेशन की चूक से इस तरह बिगड़े हालात
 
मोटर गैराज विभाग की लालबत्ती गाड़ी सुरेश को लाने-ले जाने के लिए लगाई गई। जब सुरेश मीडिया से बातचीत कर रहे थे तब ड्राइवर चैनसिंह गाड़ी को लेकर कहीं चले गए। हैरत भरा यह रहा कि मंत्री की अगवानी में लगे अफसरों के पास ड्राइवर का मोबाइल नंबर तक नहीं था। इधर मंत्री जाने के लिए रवाना हुए तो गाड़ी को न देखकर अधिकारी सकपका गए। परेशान मंत्री चुपचाप पूरा माजरा देखत रहे। जब 15 मिनट के इंतजार के बाद भी गाड़ी नहीं आई तो उन्हें वहां खड़ी ईएसआई कॉपरेरेशन कीगाड़ी से भेजा गया। 
 
 
'प्रोटोकॉल अधिकारी तारिक अनवर से इस मामले में शिकायत दर्ज कराई गई है।'
 
-उपेंद्र शर्मा, क्षेत्रीय निदेशक, कर्मचारी राज्य बीमा निगम 
 
 
'मेरे पास ड्राइवर के नंबर के लिए फोन आया था तो मैंने बता दिया। ड्राइवर से चूक यह हुई कि वह बिना बताए चला गया।'
 
-मोहम्मद तारिक खान, 
प्रोटोकॉल अधिकारी

आकाशवाणी में दो साल से हो रहा था 25 आरजे का यौन उत्पीड़न


 

वर्किंग प्लेस पर महिलाओं का उत्पीड़न नहीं रुक रहा है और सबसे ज्यादा मामले तो सरकारी दफ्तरों से सामने आ रहे हैं। कुछ दिनों पहले पहले एमटीएनएल में महिला कर्मचारी को जबरन अश्लील वेबसाइट दिखाने का मामला सामने आया था तो अब आकाशवाणी में 25 लेडी रेडियो जॉकीज के यौन उत्पीड़न का खुलासा हुआ है। इस मामले में प्रसार भारती ने दो कर्मचारियों को बर्खास्त और एक को निलंबित कर दिया है। इसके साथ ही केंद्र के निदेशक को नोटिस जारी कर पूरे मामले में जवाब मांगा है।
 
जानकारी के अनुसार, पिछले महीने आकाशवाणी की 25 से ज्यादा महिला रेडियो जॉकी ने इस बात की शिकायत की थी कि उन्हें काम और वेतन को लेकर भेदभाव का शिकार बनाया जा रहा है। इन आरजे ने यह भी आरोप लगाया था कि उन्हें पिछले दो सालों से संकेतिक रूप से यौन संबंध बनाने को मजबूर किया जा रहा है। आरजे ने अपनी यूनियन एआइआरबीपीए के जरिए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय एवं दिल्ली महिला आयोग से मामले की शिकायत की थी। इसके बाद प्रसार भारती एवं मंत्रालय ने मामले की आंतरिक जांच शुरू कर दी थी। मामले को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका भी दायर की गई है जिसकी सुनवाई मई में होगी। 
 
सोमवार को प्रसार भारती के सीइओ जवाहर सरकार द्वारा हस्ताक्षरित एक नोट में ड्यूटी ऑफिसर एन के वर्मा और शीले को तत्काल प्रभाव से पद से बर्खास्त कर दिया। इसके अलावा एफएम गोल्ड के प्रोग्रामिंग एक्सीक्यूटिव दानिश इकबाल को जांच को प्रभावित करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही केंद्र के निदेशक एल एस वाजपेयी को मामले की शिकायत मिलने के बावजूद कोई कार्रवाई न करने के कारण नोटिस जारी किया गया है। प्रसार भारत के सदस्य (कार्मिक) बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) वीएएम हुसैन ने आदेश जारी करते हुए कहा कि मामला काफी गंभीर है और यह सार्वजनिक सेवा प्रसारणकर्ता की खराब छवि प्रस्तुत करता है।

मोदी क्या अब तो आडवाणी को भी समर्थन नहीं देगी जदयू, एनडीए से होगी बाहर!

नई दिल्ली. बीजेपी और जदयू के बीच जारी बयानबाजी का असर राजग गठबंधन पर पड़ा है। बिहार के सूचना व जनसंपर्क मंत्री वृशिण पटेल ने कहा है कि जदयू-भाजपा गठबंधन में अब कोई दम नहीं है। उन्होंने बुधवार को हाजीपुर में कहा कि इस गठबंधन में कुछ भी नहीं बचा है, उम्मीद का दौर भी खत्म हो चुका है। जदयू अपनी राह पर है और बीजेपी अपनी। उन्होंने कहा, इससे बिहार सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर कोई असर पड़ेगा भी जदयू इसे झेलने को तैयार है।
 
पटेल ने कहा कि गठबंधन मुद्दों के आधार पर बनते और टूटते हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो बात कह दी है, पूरी पार्टी उनके साथ है। राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जो रेखा खींच दी है, उसके अर्थ बहुत स्पष्ट हैं। नरेंद्र मोदी हमें स्वीकार नहीं। हालांकि मुख्यमंत्री ने मोदी का नाम नहीं लिया। उन्होंने स्पष्ट कह दिया है कि हमें वही नेता स्वीकार होगा जो धर्मनिरपेक्ष हो और सबको साथ लेकर चले।
 
मंत्री ने एक कदम आगे बढ़ते हुए यहां तक कह दिया कि अब जदयू मोदी क्या, लालकृष्ण आडवाणी और दूसरे भाजपा नेताओं पर विचार करने को भी तैयार नहीं है। अब बात खत्म हो चुकी है। मंगलवार को जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता शिवानंद तिवारी ने भी गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और आडवाणी में कोई अंतर न होने की बात कहकर संकेत दे दिए थे कि जदयू अब राजग से बाहर का रास्ता देख रहा है। प्रधानमंत्री पद के लिए उसे अब किसी भी भाजपा नेता के नाम से परहेज है। 
 
अगले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन होगा, यह बड़ा मुद्दा बनता जा रहा है। बीजेपी की पुरानी सहयोगी शिवसेना ने भी राजनाथ सिंह और उनकी टीम के सामने बड़ी मुश्किल पेश कर दी है। शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' में पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे  ने एक लेख में राजनाथ सिंह, लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज से पूछा है कि बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद का दावेदार कौन है? लेख के मुताबिक, 'बीजेपी का एक गुट नरेंद्र मोदी () के नाम ले रहा तो हंगामा हो रहा है। क्या नरेंद्र मोदी बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हैं?'
 
'सामना' में छपे लेख में ठाकरे ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी  ( पर परोक्ष तौर पर निशाना साधा है। उद्धव का कहना है कि अगर कोई नेता (यहां इशारा मोदी की तरफ माना जा सकता है) प्रोजेक्ट किया जाता है तो 5-10 सीटें ज्यादा आ सकती हैं। लेकिन पुराने सहयोगी (यहां इशारा जेडीयू की तरफ है) अलग होते हैं तो 5-25 सीटों का फर्क आ सकता है। शिवसेना का कहना है कि पीएम पद के प्रत्याशी के नाम का एलान करने से पहले एनडीए को विश्वास में लेना होगा। 20 अप्रैल को आडवाणी के घर पर संसद सत्र के दूसरे चरण की रणनीति तय करने के लिए एनडीए नेताओं की बैठक होगी। इस बैठक में जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते पर भी विचार किया जा सकता है।
 
शिवसेना से पहले जेडीयू ने बीजेपी को प्रधानमंत्री के दावेदार का नाम घोषित करने के लिए दिसंबर तक की 'डेडलाइन' दी है। साथ ही इशारों-इशारों में मोदी के नाम पर एतराज भी जता दिया है। नरेंद्र मोदी को लेकर न तो बीजेपी झुकती दिख रही है और न ही उनका मुखर विरोध कर रही जेडीयू इस मुद्दे को छोड़ने को तैयार है। दोनों तरफ से जोरदार बयानबाजी चल रही है। बीजेपी की ओर से गिरिराज सिंह कह चुके हैं कि उनकी पार्टी मोदी का अपमान बर्दाश्त नहीं करेगी और अब आरपार की लड़ाई का वक्त आ गया है। बीजेपी के इस तल्ख तेवर पर जेडीयू ने भी पलटवार किया है। जेडीयू की तरफ से दिनेश ठाकुर ने कहा है कि अगर कोई दो-दो हाथ करना चाहता है तो वह मैदान में आ सकता है। सूत्रों के हवाले से यह बात सामने आई है कि राजनाथ सिंह ने बीजेपी की बिहार ईकाई के नेताओं से कहा है कि वे दिसंबर तक इंतजार करें और तब तक बयानबाजी से बचें। लेकिन इस मुद्दे पर तेजी से बदल रहे हालात के मद्देनजर कभी भी दोनों पार्टियों की 17 साल पुरानी 'दोस्ती' टूट सकती है।

छात्राओं के सामने की शर्मनाक टिप्पणी, मंत्री जी को गवानी पड़ी अपनी कुर्सी



भोपाल/ इंदौर। झाबुआ में शनिवार को छात्राओं के सामने बेतुकी और शर्मनाक बातें करने वाले प्रदेश के आदिम जाति कल्याण मंत्री विजय शाह को आखिरकार अपना पद गंवाना ही पड़ा। मंगलवार शाम को इंदौर में ही उन्हें मंत्री पद छोडऩा पड़ेगा, इसके संकेत दे दिए गए थे। बावजूद इसके शाह आधी रात के बाद तक अपनी सफाई पर अड़े रहे।
मंत्री पद बचाने के लिए उन्होंने सत्ता और संगठन दोनों स्तर पर माफी मांगी। सूत्रों के मुताबिक वे प्रदेश अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के समक्ष तो लगभग रो ही पड़े। रात दो बजे तोमर ने जब बर्खास्तगी का डर दिखाया, तब वे इस्तीफा देने को तैयार हुए। रात तीन बजे के करीब वे प्रदेश अध्यक्ष के साथ मुख्यमंत्री निवास पहुंचे और उन्हें एक लाइन का इस्तीफा सौंप दिया।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सिफारिश पर राज्यपाल रामनरेश यादव ने बुधवार को इस्तीफा मंजूर भी कर लिया। आपत्तिजनक बयान के बाद मंत्री का इस्तीफा लिए जाने का प्रदेश में यह अपनी तरह का पहला मामला है।
इस्तीफा देने के बाद भी विजय शाह अपनी गलती नहीं मान रहे। सारा दोष मीडिया पर थोपते हुए उन्होंने कहा कि एक-डेढ़ घंटे के भाषण को तोड़-मरोड़कर दिखाया गया। वे दोषी नहीं हैं। किसी षड्यंत्र के तहत इस मामले को तूल दिया गया है।   उन्होंने यह भी कहा कि मैंने मंत्री पद छोड़ा है, विधायकी नहीं छोड़ी। पांच बार से विधायक हूं। जनता को सच्चाई बताऊंगा।

दिल्ली में स्कूल जा रहीं छात्रा को जबरन कार में खींचा, तीन लोगों ने किया गैंगरेप



नई दिल्ली. पूर्वी दिल्ली में दिनदहाड़े एक नाबालिग छात्रा के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है। 10वीं पढऩे वाली 15 वर्षीय छात्रा को स्कूल के रास्ते से न्यू अशोक नगर से तीन लड़कों ने जबरन स्कॉर्पियो में खींच लिया और सरोजनी नगर के एक सुनसान फ्लैट में ले गए, जहां बारी-बारी तीनों ने उसके साथ दुष्कर्म किया। किसी को कुछ न बताने की धमकी देकर लड़के उसे सरोजनी नगर में छोड़कर भाग निकले।
छात्रा की शिकायत पर पुलिस ने इनमें से एक आरोपी प्रदीप को गिरफ्तार कर लिया और बाकी दो आरोपियों अमित व राहुल को पकडऩे के लिए दबिश दे रही है। प्रदीप पीडि़ता का रिश्ते में भाई भी लगता है। पीडि़त छात्रा ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि वह सुबह 7.30 बजे अपने स्कूल जा रही थी।
रास्ते में उसके रिश्ते का भाई प्रदीप अपने दो दोस्तों के साथ स्कार्पियों कार में जबरन खींच लिया। इसके बाद जान से मारने की धमकी देकर साउथ दिल्ली के सरोजनी नगर के क्षेत्र में एक खाली फ्लैट में ले जाकर मेरे भाई प्रदीप ने सबसे पहले रेप किया।
भाई ने रेप के बाद लड़की को अपने दोनों दोस्तों के हवाले कर दिया। जिन्होंने बारी-बारी से उसके साथ बलात्कार किया और किसी को कुछ नहीं बताने की धमकी देकर छोड़ दिया। लगभग एक बजे पीडि़त छात्रा किसी तरह से अपने घर न्यू अशोक नगर पंहुची और अपनी आपबीती परिजनों को बताई।
बाद में परिजनों ने घटना की सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने युवती के बयान पर मेडिकल में रेप की पुष्टि होने के बाद अपहरण, बलात्कार संबंधी  धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

कुरान का सन्देश

जिन्दगी की राह म चलते चलो, चलो,

जिन्दगी की राह म चलते चलो, चलो,
मिले चाहे शोले या फिर कांटे बढ़ते चलो, बढ़ते चलो ,
कंही तो फूल नज़र आएगा ही ,
चाहे शामतक मुरझा ही क्यों न जाए ,
हँसते चलो, हँसते चलो,
आंधी आये या तूफ़ान ,चाहे जीवन म हो घम्मासान ,
लड़ते चलो ,लड़ते चलो,
चाहे धोका कपट और छल ,न मिले जब मुश्किलों का हल ,
सहते चलो, सहते चलो,
चाहे गरीबी भूक मरी हो, दुखों से भरी हर घडी हो,
निकलते चलो, निकलते चलो,
चाहे लहरें हो भयानक ,नदी का हो बहाव अचानक,
बहते चलो,बहते चलो,
न रुकना कभी न झुकना कभी,बीएस चलते चलो ,चलते चलो,
जिन्दगी की राह म चलते चलो चलते चलो ||

इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की.

आओ बच्चों तुम्हें दिखाए झाकी घपलिस्तान की,

इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की.
  बंदों में है दम, राडिया-विनायकयम्.

उत्तर में घोटाले करती मायावती महान है
दक्षिण में राजा-कनिमोझी करुणा की संतान है.
जमुना जी के तट को देखो कलमाडी की शान है
घाट-घाट का पानी पीते चावला की मुस्कान है.
देखो ये जागीर बनी है बरखा-वीर महान की
इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है बेईमान की.

बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्.

ये है अपना जयचंदाना, नाज़ इसे गद्दारी पे.
इसने केवल मूंग दला है मजलूमों की छाती पे.
ये समाज का कोढ़ पल रहा, साम्यवाद के नारों पे
बदल गए हैं सभी अधर्मी भाडे के हत्यारे में .
हिंसा-मक्कारी ही अब,पहचान है हिन्दुस्तान की
इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है हैवान की.

बन्दों में है दम...राडिया-विनायकम्.

देखो मुल्क दलालों का, ईमान जहां पे डोला था.
सत्ता की ताकत को चांदी के जूतों से तोला था.
हर विभाग बाज़ार बना था, हर वजीर इक प्यादा था.
बोली लगी यहाँ सारे मंत्री और अफसरान की.
इस मिट्टी पे सर पटको ये धरती है शैतान की.

बन्दों में है दम...नंगे- बेशरम....!

ए दुश्मन तूँ काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

ए दुश्मन तूँ काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

दुश्मन को जाकर देहला दे,और उसे बतला देना.
हिन्द देश वीरों की भूमि,यह उसको जतला देना..
जब हम धरते हैं रूप विकट,तो मौत भी थर्रा जाये.
इतिहास हमारे वीरों का,सारी दुनियां के मन भाये..
कायरता का कृत्य किया,तूँ बार पीठ पर करता है.
हिम्मत है तो सामने आ,क्योँ बिल से हुंकारें भरता है..
तूँ किस खेत की मुली पाकिस्तान,तुझे सबक पुनः सिखलाएंगे.
एक बार फिर इतिहास ७१ का,इस दुनियां में दोहराएंगे..
तूँ मान नहीं तो मनवा लेंगे,तुझको जिंदा दफना देंगें.
तूँ पैर हटा एल ओ सी से,नहीं पैर तेरा कटवा देंगे..
हम हैं उदार कायर न समझ,हम संतो की संतानें है.
मातृभूमि पर मरने वाले,हम मौत के वो परवाने हैं..
खून का बदला खून से लेंगे,इतिहास लहू से लिख देंगें.
तूने काटा है एक शीश,बदले में हम सौ- सौ लेंगे..
हे नादान संभल नहीं तो,करनी पर पछतायेगा.
काश्मीर के चक्कर में,लाशें गिनता रह जायेगा..

सुरसा जैसा मुंह फैलाये, राह में बैठी मंहगाई !

सुरसा जैसा मुंह फैलाये, राह में बैठी मंहगाई !

चमचे ही अब चाट रहे है, लोकतंत्र की दूध मलाई !!

नोटों का बण्डल पड़ता, अब डिग्री पर भारी है !

गरीब ग्रेजुएट पीछे रहता, यह उसकी लाचारी है !!

थर्ड क्लास को नौकरी मिलती, फर्स्ट क्लास बेकार जनाव !

देख दशा इस लोकतंत्र की, आँख से बहती धार जनाव !!

तारों भरी रात है और चांदनी साथ है

तारों भरी रात है और चांदनी साथ है
आओ कुछ देर खुद में ही खो जाएँ हम
भूल कर चिंता और परेशानी तमाम
क्यूँ ना इस दुनिया से जुदा हो जाएँ हम ...अंजना

प्याज के फायदे -----


________________________

प्याज के फायदे बहुत होते हैं और यह बहुत ही शानदार घरेलू नुस्खा है। प्याज खाने को स्वादिष्ट बनाने का काम तो करता ही है साथ ही यह एक बेहतरीन औषधि भी है। कई बीमारियों में यह रामबाण दवा के रूप में काम करता है।

प्याज का प्रयोग खाने में बहुत किया जाता है। प्या‍ज सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। प्याज लू की रामबाण दवा है। आंखों के लिए यह बेहतरीन औषधि है। प्याज में केलिसिन और रायबोफ्लेविन (विटामिन बी) पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। आइए हम आपको बताते हैं कि प्याज आपकी सेहत के लिए कितना फायदेमंद है।


प्याज के लाभ –
लू लगने पर – गर्मियों के मौसम में प्याज खाने सू लू नहीं लगती है। लू लगने पर प्याज के दो चम्मच रस को पीना चाहिए और सीने पर रस की कुछ बूंदों से मालिश करने पर फायदा होता है। एक छोटा प्याज साथ में रखने पर भी लू नहीं लगती है।

बालों के लिए – बाल गिरने की समस्या से निजात पाने के लिए प्याज बहुत ही असरकारी है। गिरते हुए बालों के स्थान पर प्याज का रस रगडने से बाल गिरना बंद हो जाएंगे। इसके अलावा बालों का लेप लगाने पर काले बाल उगने शुरू हो जाते हैं।


पेशाब बंद होने पर – अगर पेशाब होना बंद हो जाए तो प्याज दो चम्मच प्याज का रस और गेहूं का आटा लेकर हलुवा बना लीजिए। इसको गर्म करके पेट पर इसका लेप लगाने से पेशाब आना शुरू हो जाता है। पानी में उबालकर पीने से भी पेशाब संबंधित समस्या समाप्त हो जाती है।

जुकाम के लिए – प्याज गर्म होती है इसलिए सर्दी के लिए बहुत फायदेमंद होती है। सर्दी या जुकाम होने पर प्याज खाने से फायदा होता है।

उम्र के लिए – प्याज खाने से कई शारीरिक बीमारियां नहीं होती हैं। इसके आलावा प्याज कइ बीमारियों को दूर भगाता है। इसलिए यह कहा जाता है कि प्याज खाने से उम्र बढती है, क्योंकि इसके सेवन से कोई बीमारी नहीं होती और शरीर स्वस्‍थ्‍य रहता है।


पथरी के लिए – अगर आपको पथरी की शिकायत है तो प्याज आपके लिए बहुत उपयोगी है। प्याज के रस को चीनी में मिलाकर शरबत बनाकर पीने से पथरी की से निजात मिलता है। प्याज का रस सुबह खाली पेट पीने से पथरी अपने-आप कटकर प्यास के रास्ते से बाहर निकल जाती है।

गठिया के लिए – गठिया में प्याज बहुत ही फायदेमंद होता है। गठिया में सरसों का तेल व प्याज का रस मिलाकर मालिश करें, फायदा होगा।

यौन शक्ति के लिए – प्याज खाने से शरीर की सेक्स क्षमता बढती है। शारीरिक क्षमता को बढाने के लिए पहले से ही प्याज का इस्तेमाल होता आया है। प्याज आदमियों के लिए सेक्स पॉवर बढाने का सबसे अच्छा टॉनिक है।


इसके अलावा प्याज कई अन्य सामान्य शारीरिक समस्याओं जैसे – मोतियाबिंद, सिर दर्द, कान दर्द और सांप के काटने पर भी प्रयोग किया जाता है। प्याज का पेस्ट लगाने से फटी एडियों को राहत मिलती है।

वो जुगनुओ की ठंडी - चमक

Satish Sharma

वो जुगनुओ की ठंडी - चमक
  चिंगारियों से खेलने का जूनून
और दहकती आग का कारोबार -
छोड़ हर किसी को सूट
नहीं करता यार .

दिवाली के अनार - वो
फुलझड़ियों की - चमक की
जय जयकार - पर इसमें
खतरा कहाँ है यार .

भस्म करदे - आग उसे कहाँ कहते हैं
ये तो रोशन दीये - दिल में जले रहते हैं
झाँक कर - देख मेरे भीतर -
अगणित दीपकों की कतार .

सभी को तो है - रौशनी की दरकार -
जान ले - मान ले
आग इसी को कहते हैं यार .

आम पब्लिक में इसे गाना मना है .

Satish Sharma
गीते-आज़ादी तो मैंने लिख दिया पर
आम पब्लिक में इसे गाना मना है .

चाँद सुन्दर है बहूत - ये बात सच है
इसे रसगुल्ला समझ खाना मना है .
आज तूफां का निमंत्रण है मुझे भी
पर अकेले तीर पर जाना मना है .

शोखियाँ - इकरार बातें छोडिये जी
ये ग़ज़ल उनपर हमें गाना मना है .
घुमड़ कर बादल -बरसने को खड़े हैं
शहर में बरसात - बरसाना मना है .

एक कमसिन सी नाजुक कलि तुम
मेरे ख़्वाबों में तेरा आना मना है .
बात मानो तो बता दूं बात तुमको
मेरे गीतों को गुनगुनाना मना है .

वो अकेले ही लड़ेंगे - जंग सबकी
उनकी सभा में 'बाबा' का जाना मना है .
रंग सारे मिल गए काली अमा में
लाल रंग होली पे लगाना मना है .

मार खाकर तुम बहूत चुपचाप से हो
हौसले के साथ सत्ता से इतराना मना है .
आना जाना अब कहीं भी बंद है सब
भांग खाकर 'उनके' घर जाना मना है

तेरी आवाज़ - आज तक

Satish Sharma
तेरी आवाज़ - आज तक
कानों में गूंजती है - पूरी फिजा
धरती का हर कोना .
इतनी सी गुज़ारिश है
मेरे ना सही -यार पर
किसी और के भी मत होना .

तेरा जिक्र आते ही - दोस्त
आँखें नाम- मन मयूर नाचता
तन का रोम रोम गाता है
पता नहीं कौन है तू -
सब लोग कहते हैं तू विधाता है .

किसे क्या भाता हैं -
नहीं मालूम - पर
मुझे तो रात - दिन
शाम के सिंदूरी साये में
प्रभात - की वेला में
बस तू ही तू नज़र आता है .

तुझे आज तक - ठीक से
मैं कभी जान नहीं पाया .
तू पूरी तरह से मुझे अपना -
कभी मान नहीं पाया .

पर मेरी हर घडी हर पल - जैसे
चीत्कार कर - कह रही हैं .
तुझसे अलग होने का संताप
हम ही तो सह रहीं हैं .

बेइंतहा दर्द का बसर होगा

Anita Maurya
आँसूं जब खून से तरबतर होगा,
बेइंतहा दर्द का बसर होगा ,

नजरें दूर तलक जाके लौट आयेंगी,
जिंदगी में जब धुंध का असर होगा ,

जब भी उठाओगे तलवार बेवफाई की,
सामने मेरा ही सर झुका होगा,

हर घूँट तेरे नाम का है मंजूर हमें,
अमृत होगा वो या के जहर होगा,

जहाँ दर्द के मेले में भी हंसती हो ख़ुशी,
ऐसा कोई तो इस जहाँ में शहर होगा,

हम लौट भी आये तो क्या होगा 'अनु',
अब वो सिन्दूर किसी और के सर का होगा .. !!अनु!!

‘सोशल मीडिया पर गाली देने वालों पर होगी कार्रवाई’



नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया पर गाली गलौच करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी है। आईबीएन7 से खास बातचीत में गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह ने कहा कि सरकार सोशल मीडिया पर कोई सेंसरशिप नहीं चाहती, लेकिन उसका गैरवाज़िब इस्तेमाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।
अगर आप ट्वीटर या फेसबुक पर बेबाकी से राय रखते हैं तो कई बार आपको इतनी गालियां पड़ सकती हैं कि आप निराश होकर सोशल मीडिया छोड़ने की बात सोचने लगें। लेकिन अब गाली गलौच करने वालों की खैर नहीं। केंद्र सरकार ने बिगड़ैल ट्वीटरबाज़ों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। सबसे पहले इसका इशारा गृह राज्य मंत्री आरपीएन सिंह के एक ट्वीट से मिला।
अमरेश मिश्रा नाम के एक शख्स से जुड़े मामले में सिंह ने ट्वीट किया कि मुझे किसी अमरेश मिश्रा के अश्लील ट्वीट्स के बारे में कई शिकायतें मिल रही हैं। मुझे अंदाज़ा तक नहीं कि वो कौन है। एक और ट्वीट के ज़रिये गृह राज्य मंत्री ने कहा कि अगर कोई इंटरनेट पर हिंसा फैला रहा है तो उसकी शिकायत पुलिस से होनी चाहिए। अगर पुलिस कार्रवाई ना करे तो मेरे दफ्तर के ज़रिये मुझसे संपर्क करें।

तात्या टोपे (मृत्यु: 17 अप्रैल 1859)



1857 के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम के अग्रणीय वीरों में उच्च स्थान प्राप्त है। इस वीर ने कई स्थानों पर अपने सैनिक अभियानों में उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात में अंग्रेज़ी सेनाओं से टक्कर ली थी और उन्हें परेशान कर दिया था। गोरिल्ला युद्ध प्रणाली को अपनाते हुए तात्या ने अंग्रेज़ी सेनाओं के कई स्थानों पर छक्के छुड़ा दिये थे। तात्या टोपे जो 'तांतिया टोपी' के नाम से विख्यात हैं, 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के उन महान सैनिक नेताओं में से एक थे, जो प्रकाश में आए।

राजस्थान की भूमि में उसके जो शौर्य का परिचय दिया था वह अविस्मरणीय है। देश का दुर्भाग्य था कि राजस्थान के राजाओं ने उसका साथ नहीं दिया था। नाना साहब के साथ उसने 1 दिसम्बर से 6 दिसम्बर 1857 तक कानपुर में अंग्रेज़ों के साथ घोर संग्राम किया था। झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई के साथ भी वह कालपी में शत्रु सेना से लड़ा था।

इस वीर के सम्बन्ध में कहा जाता है कि मानसिंह ने तात्या के साथ धोखा करके उसे अंग्रेज़ों को सुपुर्द कर दिया था। अंग्रेज़ों ने उसे फांसी पर लटका दिया था। लेकिन खोज से ये ज्ञात हुआ है कि फाँसी पर लटकाये जाने वाला दूसरा व्यक्ति था। असली तात्या टोपे तो छद्मावेश में शत्रुओं से बचते हुए स्वतन्त्रता संग्राम के कई वर्ष बाद तक जीवित रहा। ऐसा कहा जाता है कि 1862-82 की अवधि में स्वतन्त्रता संग्राम का सेनानी तात्या टोपे नारायण स्वामी के रूप में गोकुलपुर आगरा में स्थित सोमेश्वरनाथ के मन्दिर में कई महिने रहा था।

भवानी सिंह राजावत ने वकीलों की मांगों का समर्थन किया

कोटा जिले के लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र के विधायक और प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता भवानी सिंह राजावत ने आज वकीलों के चरना स्थल पर पहुंच कर उन्हें सम्बोधित करते हुए कहा के वोह वकीलों की राजस्व मंडल की डबल बेंच कोटा में खोलने ...राजस्थान हाईकोर्ट की सर्किट बेंच कोटा में खोलने और वकीलों की कोलोनी में सुविधाएं उपलब्ध कराकर उनकी दरो में रियायत करने की मांग से सहमत है और वोह इन मांगों के समर्थन में विधायक ओम बिरला के साथ विधानसभा और सार्वजनिक मंचों पर उठा भी चुके है ....कोटा अभिभाषक संघर्ष समिति ने आज भवानी सिंह राजावत का घेराव करने की घोषणा की थी लेकिन पूर्व निर्धारित कार्यक्रम से पहले ही खुद भवानी सिंह धरना स्थल पर आ धमके उन्होंने कहा के वोह वकीलों के साथ हर आन्दोलन में सक्रिय रहे है वकीलों की मांगों के समर्थन में उन्होंने रास्ते भी रोके है और मुकदमे भी दर्ज करवाए है वोह मुकदमे आज भी उनके खिलाफ विचाराधीन है ..राजावत ने कहा के कोंग्रेस सरकार और उसके मंत्री अंधे ..गूंगे बहरे हो गये है और हालात यह है के उन्हें वकीलों और जनता की जायज़ मनग नज़र नहीं आ रही है उन्होंने जोधपुर में कल आई आई टी के शिलान्यास को कोटा की जनता के सीने  पर पत्थर रखने का तमाशा बताया ....राजावत ने कहा के सरकार में बेठे कोटा के प्रतिनिधियों से ऐसा लगता है के वोह कोटा के प्रतिनिधि नहीं जोधपुर और बीकानेर के प्रतिनिधि है उन्होंने कहा के सी पी जोशी रेलवे डिब्बों का कारखाना भीलवाडा ले गए जबकि कोटा इसके लियें उपयुक्त स्थान था ..भवानी सिंह राजावत ने भरोसा दिलाया के वोह वकीलों के साथ हर कदम पर कंधे से कंधा मिलकर साथ चलेंगे लाठी भी खायेंगे और गोली भी खायेंगे लेकिन वकीलों की मांगों के समर्थन में आन्दोलन से पीछे नहीं हटेंगे ..राजावत ने कहा के सत्ताईस अप्रेल को राजस्थान की भाजपा प्रदेश अध्यक्ष महारानी साहिबा  वसुंधरा सिधिया कोटा आ रही है रात्रि विश्राम उनका कोटा में है इस दिन वकीलों के शिष्ट मंडल से वसुंधरा जी की वार्ता कराई जायेगी उन्होंने कहा के हम और हमारी पार्टी वकीलों की सभी मानगो से सहमत है और अगर भाजपा की सरकार आती है तो तुरंत राजस्व मंडल की डबल बेंच कोटा में   .. काम   करना शुरू कर देगी .. उन्होंने कहा के वकीलों की प्लाट की दरें उनकी सरकार कार्यभार सम्भालते ही तुरंत कम कर देगी जबकि केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेत्रत्व में सरकार बनने पर वहा प्रयास कर कोटा में हाईकोर्ट की सर्किट बेंच खुलवाई जाएगी .....धरना स्थल पर आज टेक्सेशन बार के वकीलों ने क्रमिक अनशन पर बैठकर समर्थन दिया जबकि धरने को भाजपा के आलोक शर्मा और राजकुमार महेश्वरी ने भी सम्बोधित किया संचालन रवि विजय ने किया आन्दोलन की रूपरेखा के बारे में मनोजपुरी ने वकीलों का पक्ष रखा .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...