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18 अप्रैल 2013

लग्जरी कार से भी मंहगा है ये घोड़ा, कीमत सुन कर खड़े हो जाएंगे आपके कान



रोहतक/बेरी. बेरी के गधे-घोड़े मेले में बिकने आए घोड़ों की कीमत लग्जरी कारों को भी मात देती है। इन्हीं घोड़ों में शुमार रहा खरावड़ निवासी मोहन का घोड़ा राजा। इसकी कीमत पंजाब के एक पशु पालक ने 20 लाख रुपए तक लगा दी, लेकिन मोहन ने इस कीमत में अपने घोड़े को नहीं बेचा।

मोहन के घोड़े राजा ने गधा-घोड़ा मेले में खूब जलवे बिखेरे। इसकी चाल देख हर कोई मुग्ध हो गया। मारवाड़ी नस्ल के इस घोड़े की हिंकार और इसका डील-डोल हर किसी पशु पालक को  आकर्षित कर रहा था। हालांकि घोड़ा पालने के शौकीनों को राजा नहीं मिल सका। पंजाब  के मोहाली से आए जयसिंह ने मोहन को राजा की कीमत 20 लाख रुपए देना चाही, लेकिन मोहन ने इसे बेचने से मना कर दिया।

मोहन ने बताया कि वह बचपन से ही बेरी के मेले में आ रहा है। यहां एक से एक घोड़े देख उसने ठान लिया था कि एक दिन वह भी अपना घोड़ा यहां लाएगा और सबकी वाह-वाही बटोरेगा। मोहन ने बताया कि उसने राजा को पुष्कर मेले से 2 लाख 75 हजार रुपए  में खरीदा था, तब इसकी उम्र महज ढाई साल थी। अब लोग इसकी  दस गुणी कीमत लगाने को तैयार हैं, लेकिन वे अपने राजा को मेले में  नुमाइश के लिए लेकर आया है।

इस दरवाजे के पीछे है राम के भाई लक्ष्मण का बसाया हुआ शहर, देखें तस्वीरें!


इस दरवाजे के पीछे है राम के भाई लक्ष्मण का बसाया हुआ शहर, देखें तस्वीरें!
रांची। प्राचीन 'लक्ष्मणावती' का ही मध्ययुगीन नाम था गौड़। त्रेतायुग में भगवान राम के भ्राता लक्ष्मण ने इस स्थान की खोज की थी। उन्हीं के नाम पर इस सुंदर नगर का नामकरण हुआ था लक्ष्मणावती। फिर मुस्लिम अधिपत्य के बाद मंदिरों को तोड़कर मस्जिद बनाए गए और नगर का नाम भी बिगड़ कर हो गया लखनौती। समय बदलता गया और सेनवंशी राजा शशांक के काल में प्रचलित नाम 'गौड़' अब फिर प्रचलन में है।

लक्ष्मणावती, गौड़, लखनौती और फिर गौड़। शासन और सत्ता, विध्वंस व निर्माण की रोमांचक गाथा इस प्राचीन नगरी को खास बनाती है। कहा जाता है कि इस प्रदेश से प्रचुर मात्रा में गुड़ का निर्यात होने के कारण ही इसे 'गौड़' कहा जाता था। बाणभट्ट के 'हर्षचरित' में गौड़ के नरेश शशांक का उल्लेख मिलता है। आज इस मध्ययुगीन सुन्दर नगर के मात्र खंडहर ही शेष हैं।
 मुग़ल शासकों में हुमायूं ने बंगाल की राजधानी गौड़ पर कुछ वर्षों के लिए अधिकार कर लिया था, परंतु अफग़़ानों ने तुरंत ही उसे वहां से बाहर निकाल दिया। सन 1576 ई. में दो वर्ष के संघर्षपूर्ण घटना-चक्र के पश्चात बंगाल मुग़ल साम्राज्य का एक सूबा बना दिया गया।
पश्चिम बंगाल प्रांत की राजधानी कोलकाता से कुछ ही दूरी पर स्थित लखनौती में 9वीं-10वीं शती ई. में पाल राजाओं का आधिपत्य था तथा 12वीं शती तक सेन नरेशों का। इस काल में यहां अनेक हिन्दू मंदिर बने, जिन्हें गौड़ के परवर्ती मुस्लिम बादशाहों ने नष्ट-भ्रष्ट कर दिया। गौड़ की मुस्लिम कालीन इमारतों के बहुत से अवशेष अब भी यहां हैं। इन मुस्लिम इमारतों में अधिकतर का निर्माण प्राचीन मंदिरों की सामग्री से ही किया गया था।
मुस्लिमों के बंगाल पर आधिपत्य होने के बाद इस सूबे की राजधानी कभी गौड़ और कभी पांडुआ में रही। पांडुआ गौड़ से 20 मील (लगभग 32 कि.मी.) दूर है। आज इस मध्ययुगीन भव्य नगर के केवल खंडहर ही शेष हैं। इनमें अनेक हिन्दू मंदिरों तथा मूर्तियों के अवशेष हैं, जिनका मसजिदों के निर्माण में प्रयोग किया था। 1575 ई. में बादशाह अकबर के सूबेदार ने गौड़ के सौंदर्य से आकृष्ट होकर राजधानी पांडुआ से हटाकर गौड़ में बनाई।

अपनी सम्पन्नता के थोड़े ही दिनों बाद गौड़ में महामारी का भी प्रकोप हुआ, जिससे गौड़ की जनसंख्या को भारी क्षति पहुंची। बहुत से निवासी गौड़ छोड़कर भाग गए। पांडुआ में भी महामारी का प्रकोप फैला और बंगाल के ये दोनों प्रमुख नगर जहां श्मशान की तरह दिखाई पडऩे लगे।  उनकी सड़कों पर अब घास उग आई और दिन दहाड़े हिंसक पशु घूमने लगे। पांडुआ से गौड़ जाने वाली सड़क पर अब घने जंगल बन गए थे।

उसके बाद लगभग 300 वर्षों तक बंगाल की शानदार नगरी गौड़ खंडहरों के रूप में घने जंगलों के बीच छिपी रही। अब कुछ ही वर्ष पहले वहां के प्राचीन वैभव को खुदाई द्वारा प्रकाश में लाने का प्रयत्न किया गया है।
एक अन्य प्रसंगानुसार गौड़ बंगाल का एक प्राचीन सामान्य नाम था। 'गौड़' या 'गौड़पुर' का उल्लेख पाणिनि ने भी में किया है। कहा जाता है कि 'पुंड्र' या 'पौंड्र' देश से गुड़ का प्रचुर मात्रा में निर्यात इस प्रदेश द्वारा होने के कारण ही इसे गौड़ कहा जाता था। गौड़पुर को गौड़भृत्यपुर भी कहा गया है।

जेडीए ने बताए 27 धार्मिक स्थल, निगम ने कहा- हर मंदिर रोड पर


जयपुर. शहर में सड़कों के बीच अतिक्रमण कर कितने धर्म स्थल बने, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की एम्पावर्ड कमेटी सख्ती से पेश आने लगी। जेडीए ने सर्वे के बाद 15 जोन में 27 मंदिर रोड सीमा में बताए। नगर निगम अफसरों का कहना है कि पूरी चारदीवारी में सारे मंदिर सड़क सीमा में ही बने हैं। अब नगरीय विकास विभाग ने भी निगम, जेडीए, हाउसिंग बोर्ड से सरकारी जमीन और खासकर रोड सीमा में बने धार्मिक स्थलों  की रिपोर्ट मांगी है। 
 
विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जीएस संधु ने शहर में तीन मंदिरों के अवैध निर्माण तथा उसके लिए जिम्मेदार अफसरों की जांच के लिए रिटायर्ड आईएएस एमके खन्ना की जांच कमेटी गठित की है। गणपति प्लाजा पर निर्मित यंत्रेश्वर महादेव का चबूतरा व दुकानें, सी-स्कीम सरदार पटेल मार्ग पर शनिश्चर के चबूतरे व अन्य देवी देवताओं की मूर्तियां रखने, एमआई रोड पर पिंक सिटी पेट्रोल पंप के पास शनिश्चर के मंदिर के अवैध विस्तार की जांच शामिल है।

राम नवमीं आज: नए कार्य को शुरू करने से लेकर खरीददारी तक सभी शुभ



 

नौमी तिथि मधुमास पुनीता, 
शुकल पच्छ अभिजीत हरि प्रीता।
 
अर्थात् : चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि को अभिजीत नक्षत्र में राम ने जन्म लिया। वो शुभ दिन आज है..
 
स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त और पुष्य नक्षत्र : 
 
नवीन कार्यारंभ खरीददारी व पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ठ। यूं तो स्वयंसिद्ध अबूझ मुहूर्त होने के कारण पूरे दिन ही शुभ कार्यारंभ के लिए श्रेष्ठ माना गया है। वहीं इस दौरान सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त सुबह 6.03 से 10.50 चर, लाभ व अमृत का चौघड़िया, दोपहर 12.26 से 2.01 बजे शुभ का चौघड़िया, शाम को 5.13 से 6.49 बजे तक चर का चौघड़िया भी रहेगा।
 
-ज्योतिषाचार्य दामोदर शर्मा के अनुसार

गलत नाम से पासपोर्ट जारी करने पर रु. 5000 जुर्माना



जयपुर/जोधपुर.जिला उपभोक्ता संरक्षण मंच के अध्यक्ष सत्यदेव टाक व अन्य सदस्यों ने गलत नाम से पासपोर्ट जारी करने के कारण पासपोर्ट कार्यालय जयपुर पर 5000 रुपए का जुर्माना लगाया। इसमें परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति के बदले 3000 रुपए और खर्च के 2000 रुपए शामिल है। ये जुर्माना निर्णय की तारीख से एक माह के अंदर अदा करना होगा।  
 
शांति विहार पांचबत्ती चौराहा निवासी धर्मवीर सिंह चौहान की ओर से दायर वाद के अनुसार जयपुर पासपोर्ट कार्यालय में 11 जुलाई, 2003 को अपना पासपोर्ट जारी करवाया था। उस समय वह नाबालिग था। बालिग होने के बाद उसने पासपोर्ट नवीनीकरण के लिए आवेदन किया। इस पर पासपोर्ट कार्यालय ने 4 अगस्त, 2008 को नया पासपोर्ट जारी कर दिया, लेकिन उसमें उसका नाम धर्मवीर की जगह फरमवीर सिंह लिख दिया। उसने कार्यालय से गलती सुधारने के लिए संपर्क किया, लेकिन कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। 
 
गलती की व सही करने के पैसे मांगे
 
यहां तक कि त्रुटि सुधार के लिए अलग से शुल्क जमा कराने की बात कही गई। परिवादी का कहना था कि उसने सूचना उपलब्ध कराने में कोई गलती नहीं की है और कार्यालय की गलती के कारण उसे व्यावसायिक व शोधकार्य के लिए वीजा भी नहीं मिल सका और उसको 23 जुलाई, 2010 को नोटिस भिजवाना पड़ा। 
 
उपभोक्ता मंच में वाद दायर करने के बाद पासपोर्ट कार्यालय की ओर से कहा गया कि पहले तो परिवादी ने अपने नाम के पहले अक्षर डी की लाइन बड़ी करते हुए पी की तरह लिखा, इसलिए कम्प्यूटर में धर्मवीर की जगह फर्मवीर जारी हो गया। उन्होंने नोटिस प्राप्त होने के बाद परिवादी का नया पासपोर्ट बिना किसी शुल्क के सुधार कर 10 नवंबर 2010 को पंजीकृत डाक से भिजवा दिया। इस पर मंच ने कहा कि नोटिस मिलने के बाद पासपोर्ट में सुधार किया है, इसलिए परिवादी का आंशिक वाद स्वीकार कर 5 हजार जुर्माना लगाया जाता है।

दिल्ली: सड़क पर अर्द्धनग्‍न मिली लड़की ने ईंट से लिखा- मेरा गैंग रेप हुआ, ऑटो चालक ने भी की ज्‍यादती

नई दिल्ली। राजधानी में एक और लड़की की अस्मत लूट ली गई है। गैंगरेप की शिकार लड़की नानकपुरा गुरूद्वारे के पास फुट ओवर ब्रिज के नीचे अर्धनग्न हालत में मिली। मौके पर मौजूद लोगों ने लड़की को बेहोशी की हालत में पड़ा देखा तो तुरंत पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस लड़की को पहले साउथ कैंपस थाने ले गई। यहां से उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां उसका मेडिकल कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि हो गई है। गुरुवार सुबह साढ़े सात बजे लड़की को ब्रिज के नीचे पड़ा देखा गया था। (
केस में एक अहम खुलासा यह हुआ है कि लड़की के पड़ोसी कैब ड्राईवर ने उसे चिराग दिल्‍ली से लिफ्ट दी थी, जहां बाद में रास्‍ते में कैब में दो लोग और सवार हो गए। इन लोगों ने युवती को नशीला पदार्थ खिलाया और उसे गुड़गांव के एक फ्लैट पर ले जाकर हवस का शिकार बनाया। अल सुबह युवती खुद ऑटो के जरिए दिल्‍ली पहुंची, लेकिन इस ऑटो चालक ने भी उसके साथ बदसलूकी की। वही उसे यहां फेंककर गया।
पीड़ित लड़की ने राहगीरों को सड़क पर ईंट के एक टुकड़े से लिखकर बताया, 'मेरा रेप हुआ है।' इसके बाद सभी चौंक गए और तुरंत पुलिस को कॉल कर दी। लड़की ने पुलिस को बताया है कि तीन लोगों ने मिलकर उसके साथ बलात्कार किया। इससे पहले उसे नशीला पदार्थ भी खिलाया गया। वारदात को अंजाम देने के बाद तीनों आरोपी यहां से फरार हो गए। पीडि़त लड़की मूल रूप से नेपाल की रहने वाली है। मेडिकल जांच में उसके साथ रेप की पुष्टि हो गई है। अभी लड़की बेहोशी की हालत में है और बयान दे पाने में असमर्थ हैं
नेपाली लड़की यहां कोटला मुबारकपुर इलाके में किराए पर रहती है। और डिफेंस कालोनी में मेड का काम करती है। आरोपियों ने लड़की को रात साढ़े नौ बजे अगवा किया और गुड़गांव ले गए जहां रात भर उसके साथ रेप किया। फिर सुबह यहां एक चाय वाले की दुकान के पास फेंक गए। दिल्‍ली पुलिस के एक आला अधिकारी ने बताया कि पुलिस आरोपियों की तलाश में जुट गई है

जर्मन बेकरी कांड के कुसूरवार बेग को फांसी, 16 में से 5 मामलों मे सुनाया मृत्युदंड



पुणे. पुणे की एक कोर्ट ने जर्मन बेकरी ब्लास्ट के मामले में इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े मिर्जा हिमायत बेग को फांसी की सजा सुनाई है। एडिशनल सेशंस जज एन पी धोटे ने सजा को लेकर दिनभर चली बहस के बाद कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। बेग को उसके खिलाफ दर्ज 16 में से पांच मामलों में मौत की सजा सुनाई है।

कुरान का सन्देश

 

वो जो महकी - की रात की रानी

वो जो महकी - की रात की रानी
शर्माती सी रही रात भर.
हरारते शरारतें -या
फिर दोनों - अब कैसे
कहें - हुई मुद्दत के -अब
कुछ भी याद नहीं .

पुरानी याद के - वे पीले पात
अब भी रह रह कर चटखते हैं .
वो एक सैलाब - समन्दर सा
ढलक जाता है - एक कतरा सा
बन इन आँखों में - अब भी
मालूम नहीं जाने - क्यों
कैसे कहें - कहाँ से चला आता है .

ये रूह - ये जिस्म अब जर्जर हो चला
कुछ कहीं था - ना जाने कहाँ खो चला .
भटकती सी रहती है - उन
गुजरे हुए लम्हों में जिन्दगी .
अब मैं हूँ - और बस मेरी तन्हाई है .

अरे तुम तो जलधर थे-


अरे तुम तो जलधर थे-
धीर अडिग प्रशांत - यार
कैसे हो गए अशांत - बातों से
खामखाह तूफ़ान उठाने लगे .

अपनी सीमाओं का पता नहीं
दूसरों को उनकी सीमाएं -
क्यों बताने लगे .
अब तो लगता है - अन्ना का
संग भी - लोगों को तुम्हारे
सोचे समझे 'बहाने' लगे .

ये जनता की कोर्ट है -प्यारे
तारीख नहीं - सीधे इन्साफ करती है
ये भीड़ है - कहाँ किसी को माफ़ करती है .
ऐसे रोज रोज पिटोगे - इज्ज़त का
फालतू में कचरा करवाओगे .

आस्मां में उड़ने की छोडो -मियां
अभी तो पाँव के नीचे - जमीन है
ऐसे ही दो चार एपिसोड- और हुए
तो इससे भी जाओगे .

क्यूँ है और क्यूँ नहीं यह प्रशन अब रहने दो। निरापद नहीं कोई दिशा,प्राकाष्ठा ना बांधो कोई,

क्यूँ है और क्यूँ नहीं यह प्रशन अब रहने दो।
निरापद नहीं कोई दिशा,प्राकाष्ठा ना बांधो कोई,


उछाह में भी है विषाद,छ्दम मुख ना साधो कोई।
वो अम्रित नही गंगाजल नही,विश है उसको बहने दो,

क्यूँ है और क्यूँ नहीं यह प्रशन अब रहने दो।
वो हाथ जो रक्त्त में सने,परमार्थ कैंसे लिख रहे?

दिग्भ्रमित कर पीडियो की,भवनो को भग्नावाशिष्ट कर रहे।
आग्रह नहीं वह स्वांग है,ना सुनो उसे बस कहने दो,

क्यूँ है और क्यूँ नहीं यह प्रशन अब रहने दो।
हर दिये की लौ पर यहां आशियाना एक जला,

अनुकम्पा ना कोई जगी,और धष्ट मन प्रसन्न हुआ।
मर्म्भेदी घाव अहेतुक नहीं,ये खुद के बोए बीज हैं ,

यूथ्भ्रष्ट को कोइ सुख नही,जान कर भी करील को,
ना मशाल से ना जलाया कभी,तो ये घाव स्वंय मेरे ही हैं,

मुझको ही इन्हे सहने दो।
क्यूँ है और क्यूँ नहीं यह प्रशन अब रहने दो।

ये देश तेरे बाप का नहीं है -

ये देश तेरे बाप का नहीं है -
की जैसे चाहे चला लो .
ना ही हम भेड़ हैं कि -
चाहे जिससे और
जैसे चाहे हंकवालो .

शेरों के लिए -पिंजड़े नए
इजाद मत कर - फिजूल की
बातों में अपना- और देश का
वक्त - बर्बाद मत कर .

इन नौटंकियों से कुछ होने-
हूवाने वाला नहीं - जनजागरण
और रथ यात्रा - बेकार जाएगी
इस तरह से तो तेरे चमचों की फ़ौज
यक़ीनन चुनाव हार जायेगी .

कुछ नया सोच - नया कर
कुर्सी नीचे से निकल ना जाए .
बेहतर तो है - किसी दुश्मन से
(पाकिस्तान ज्यादा मुफीद रहेगा)
रार ठान - या सीधे सीधे लड़ मर .

शायद कुछ समय - और चिपक
जाए कुर्सी से फेविकोल की तरह .
पर ये टोटके ज्यादा दिन -
काम आने वाले नहीं .
शाम डूबने को है - तेरा सूरज
भर दोपहर में बुझ ना जाए कहीं .

"हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह


"हम रामराज लायेंगे गुजरात की तरह
इस देश को बनायेंगे गुजरात की तरह

बस एक बार होंगे जो होने हैं फ़सादात
झगड़े की जड़ मिटायेंगे गुजरात की तरह

अपराध नहीं पनपेगा, मुज़रिम न बचेगा
सबको सज़ा दिलायेंगे गुजरात की तरह

क्या कीजियेगा रंग-रंग के गुलों का आप
कुछ रंग हम हटायेंगे गुजरात की तरह

आतंकियों, जहाँ भी तुम्हारा मिला वजूद
वो बस्तियाँ मिटायेंगे गुजरात की तरह

पहले तमाम काम एजेंडे के करेंगे
पीछे विकास लायेंगे गुजरात की तरह

इस बार जो खायेंगे शपथ संविधान की
फिर घर नहीं जलायेंगे गुजरात की तरह

'आनंद' तू तो अपना है बेकार में न डर
हम गैर को सतायेंगे गुजरात की तरह..."

मैं गर रुठ जाऊँ तो क्या या खुश हुआ-

मैं गर रुठ जाऊँ तो क्या या खुश हुआ-
मुस्करता चला जाऊँ भी तो क्या...
मैं अँधेरा हो गुजर जाऊँ या
रोशनी बन बिखर जाऊँ भी तो क्या..
कई बार सोचा इनके बीच
आधा आधा बँट जाऊँ...
मगर फिर वहीं ख्याल
मैं जो दो टुकड़ों मे बँट भी जाऊँ तो क्या...

तुम्हारी और तुम्हारे इस जहाँ की
हर उम्मीदें हैं उस अजूबे जहां से
जहाँ न रुठता है कोई
जहाँ न मुस्कराता है कोई
न सिमटता है अँधेरा बन
न रोशनी बन बिखरता है कोई..
बँट पाना तो दूर, खुद का इकलौता अस्तित्व भी
नहीं संभाल कर रख पाता है कोई...
यूँ ही बेवजह...बिना किसी स्वार्थ के...

नया जमाना है, नये लोग हैं..
नये ये तौर तरीके जिन्दगी के...

-यूँ इस घुटन भरे माहौल में भीड़ के बीच,
अकेल्रेपन का अहसास भेद जाता है मुझे!!

जो तुम पास होती तो कहती
“फिर वही दीवानापन!! संभालो अपने आप को-
जरुरत से ज्यादा सेन्टी(भावुक) हुए जाते हो तुम आजकल!!”

-समीर लाल ’समीर’

कभी कभी - खुद पे दया आती है

कभी कभी - खुद पे दया आती है
और मैं निरीह सा हो जाता हूँ .

सोचता हूँ तो - कहीं खो जाता हूँ .
कभी अपना - और ना जाने
किस किस का हो जाता हूँ .
जो मेरे नहीं हैं - मैं हाथ जोड़के
उनसे क्षमा चाहता हूँ .

बहक गया हूँ - अलसुबह
माफ़ कर देना मुझे - यारो
क्या कह रहा था - ना जाने
क्या-क्या कह जाता हूँ - इस लिए
अक्सर अकेला सा रह जाता हूँ .

छोड़ भी - गंभीर मत हो ज्यादा
जाने दे - सोचने से क्या फायदा
खुमारी रात की -उतरी नहीं
शायद मैं कह गया कुछ ज्यादा .

गर मशाल हाथ में नहीं - तो बस

गर मशाल हाथ में नहीं - तो बस
एक टांग पर मुर्गा बन खड़े रहो -या
चुपचाप अपने घर में -
निष्प्रयोजन पड़े रहो .

बचाने कोई नहीं आने वाला - तुम्हें
वक्त फूल मालाएं भी चढ़ा देगा - इस
इंतजार में तस्वीर से यूँही मत जड़े रहो .

जुए का दाव नहीं है - जीवन
ये उसी का होता है - जो लड़कर
इसे सर करता है - वर्ना काल तो
अवश्यम्भावी है - हर आदमी
मौत -बेमौत यहाँ मरता है .

बंद आँखों में छुपा के रखती हूँ |

बंद आँखों में छुपा के रखती हूँ |
मैं छुप - छुप के बात करती हूँ |
अगर जान जाओ तो खामोश रहना |
हाँ जिंदगी मैं तुझसे प्यार करती हूँ |

मैने खुदा से पूछा , कि खूबसूरती क्या है ?


मैने खुदा से पूछा , कि खूबसूरती क्या है ?

तो वो बोले ::::
खूबसूरत है वो लब , जिन पर दूसरों के लिए दुआ है
खूबसूरत है वो मुस्कान , जो दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए
खूबसूरत है वो दिल , जो किसी के दुख मे शामिल हो जाए
खूबसूरत है वो जज़बात , जो दूसरो की भावनाओं को समझे
खूबसूरत है वो एहसास , जिस मे प्यार की मिठास हो
खूबसूरत है वो बातें , जिनमे शामिल हों दोस्ती और प्यार के किस्से
खूबसूरत है वो आँखे , जिनमे खूबसूरत ख्वाब समा जाएँ
खूबसूरत है वो आसूँ , जो किसी के ग़म मे बह जाएँ
खूबसूरत है वो हाथ , जो किसी के मुश्किल वक्त में सहारा बन जाए
खूबसूरत है वो कदम , जो अमन और शान्ति का रास्ता तय कर जाएँ
खूबसूरत है वो सोच , जिस मे पूरी दुनिया की भलाई का ख्याल आ जाये :)

कल तक यहाँ बस्ती थी मकाँ थे

कल तक यहाँ बस्ती थी मकाँ थे
पस्त पर मस्त लोग थे - अचानक
ये बियेबां कहाँ से उग आये .
ये जंगली बून्टें मैंने तो नहीं उगाये .

खेत खलियान के बीच - ये
कंक्रीट के बीज किसने बोये -
ये विलायती कीकर किसने लगाए .
कहीं वे अंग्रेज तो वापिस नहीं लौट आये .

भ्रम सा होता है - शर्म भी आती है
ये मेरा देश है - ये उसकी पौद
ये उसकी माटी है - चंद
खरपतवार नष्ट करने में
किसी की जान -क्यों हर समय
निकली - निकली जाती है .

बांसुरी नहीं बजती - कहीं दूर
डी.जे की कनफोडू आवाज़ -
मस्तिष्क से क्यों टकराती है -
और देहाती जुबान - अंग्रेजी
आखिर किस लिए हो जाती है .

टमाटर को और मत दबा यार-

टमाटर को और मत दबा यार-
नाजुक है पर कपडे ख़राब कर देगा.
सहनशक्ति का आंकलन मत कर
ये हिन्दुस्तां है - कोई तमाचा जड़ देगा .

ये है भगवान महावीर की जन्म कुंडली, जानिए जन्म से संबंधित रोचक बातें!



उदयपुर.भगवान महावीर का जन्म हुआ, तब गर्मी का मौसम था। चैत्र मास, द्वितीय पक्ष का तेरहवां दिन। चैत्र सुदी तेरस के दिन गर्भ में नौ माह, सात दिन पूरे होने पर भगवान महावीर ने जन्म लिया। उस समय सभी ग्रह उच्च स्थान में थे। चंद्र का प्रथम योग चल रहा था।सभी दिशाएं सौम्य और विशुद्ध थीं।
 
आधी रात को हस्तोत्तर नक्षत्र के योग में माता त्रिशला ने पुत्र को जन्म दिया। जब महावीर का जन्म हुआ, उस रात देवी-देवताओं के आवागमन से लोक में हलचल मच गई, चारों ओर खुशियां छाने लगी।
प्रभु जन्म का महिमा गान
 
प्रभु जन्म का उत्सव मनाने 56 दिक्कुमारियां आई। वे कहती हैं ‘नमोत्थुणं ते रयण कुच्छि धारिए जगप्पईव दीतीए’ अर्थात पूरे जगत के दीप को जन्म देने वाली माता आपको हम प्रणाम करते हैं। वे अपना परिचय देते हुए कहती हैं कि वे अधो लोक में रहने वाली दिशा कुमारियां हैं और र्तीथकर के जन्म की महिमा गाने आई हैं। प्रभु जन्म के बाद की गतिविधियों का संचालन दिक्कुमारियां ही करती हैं। वे र्तीथकर और माता को स्नान कराती है।
 
यूं नाम हुआ महावीर
 
प्रभु जन्म का महोत्सव मनाने शक्र नामक देवेंद्र भगवान आते हैं। सोई हुई माता त्रिशला के पास से वे प्रभु को ले जाते हैं। सुमेरू पर्वत के पंडग वन में स्थित पंडुकंबल शिला पर जाते हैं। यहां सभी देव प्रभु का अभिषेक करते हैं। इसी बीच शक्रेंद्र ने प्रभु का नाम महावीर रखा। सभी देव अष्टाह्न्कि महोत्सव कर स्व-स्थान लौट जाते हैं।
 
कुंडलपुर में छाई थी खुशियां
 
राजा सिद्धार्थ को पुत्र जन्म की सूचना सबसे पहले प्रियंवदा नाम की दासी ने दी। पुत्र जन्म की खुशी में राजा सिद्धार्थ ने दासी को तोहफे में आभूषण दिए। कुछ ही समय में राज परिवार में पुत्र जन्म की खबर पूरे कुंडलपुर में फैल गई। बड़े भाई नंदी वर्धन ने छोटे भाई के जन्म की खुशी में गरीबों को दान करने लगे। प्रभु की बड़ी बहन सुदर्शना ने सहेलियों में खुशी बांटी।
 
सांसारिक नामकरण हुआ ‘वर्धमान’
 
कुछ दिनों तक उत्सवी कार्यक्रमों के बाद राजा सिद्धार्थ ने प्रभु का नाम वर्धमान रखा। बालक वर्धमान का लालन-पालन उच्च संस्कारों के बीच हुआ। बालक होने पर भी वे वीर, साहसी और धैर्यशाली थे। बाल समय में ही वर्धमान के साथ कई ऐसी घटनाएं हुई, जिनमें उन्होंने साबित किया कि वे सामान्य बालक नहीं हैं। वर्धमान आठ वर्ष के हो चुके थे, वे बहुत ही बुद्धिमान हो गए थे। यह जानकर माता-पिता में अपार खुशी थी।
 

न्‍यूयॉर्क में 212 करोड़ रुपये में बिका हैदराबाद निजाम का हीरा



न्‍यूयॉर्क. हैदराबाद के निजाम का हीरा ‘प्रिंसी’ तीन करोड़ 90 लाख डॉलर (करीब 212 करोड़ रुपये) में नीलाम हुआ है। कुशन कट की चमक वाला ये खूबसूरत गुलाबी रंग का हीरा दक्षिण भारत में गोलकुंडा की खान से प्राप्त हुआ था। यह हीरा किसी समय दुनिया के सबसे अमीर आदमी और हैदराबाद के अंतिम निजाम मीर उस्मान अली खान के पास होता था।
 
34 कैरेट के इस हीरे को एक अज्ञात शख्‍स ने खरीदा है। उसने फोन से इसके लिए बोली लगाई थी। न्यूयॉर्क स्थित क्रिस्टी नीलामीघर की ओर से बताया गया कि ब्रिटिश मूल की अमेरिकी अभिनेत्री एलिजाबेथ टेलर के प्रसिद्ध संग्रह को छोड़कर यह अमेरिका में सबसे सफल आभूषण नीलामी थी। क्रिस्टी को इस बात पर गर्व है कि उसने इस ऐतिहासिक रत्‍न की नीलामी की।
 
हीरे की नीलामी में नीलामीघर की ओर से नया रिकॉर्ड बनाया गया है। इससे पहले दिसंबर, 2008 में ‘विट्टल्सबैच डायमंड’ की नीलामी से 2 करोड़ 43 लाख डॉलर (करीब 1.3 अरब रुपये) प्राप्त हुए थे। प्रिंसी का इतिहास कुलीन परिवार से जुड़ा रहा है। निजाम मीर उस्मान को टाइम पत्रिका ने 1937 में विश्व का सबसे धनी व्यक्ति घोषित किया था। 14 वर्षीय ‘प्रिंस ऑफ बड़ौदा’ के नाम पर हीरे को 'प्रिंसी' नाम दिया गया था।

वेश्‍यावृत्ति से मुक्ति के लिए पूरी रात जलती लाशों के बीच नाचती रहीं वेश्‍याएं!



वाराणसी। अमेरिका के टेक्‍सास में जिस समय विस्‍फोट के बाद लगी आग में कई जिंदगियां स्‍वाहा हो रही थीं, उसी समय वाराणसी में वेश्‍याएं जलती चिताओं के बीच नृत्‍य कर 'जलालत की जिंदगी से मुक्ति' पाने के लिए आराधना कर रही थीं। जलती हुई चिताएं, उनसे निकलती चिंगारियां और परिजनों को अपनों की मौत का गम। ऐसे ही नजारे में सप्तमी यानी बुधवार की रात वाराणसी की धरती पर स्थित मणिकर्णिका श्मशान घाट पर दर्जनों नगरवधुओं ने अखंड नृत्य साधना की ताकि उन्हें अगले जन्म में तन ना बेचना पड़े। उनकी यह साधना पूरी रात चली और वे पूरी रात थिरकती रहीं।

टेक्‍सास में भीषण धमाका, फर्टिलाइजर प्लांट उगल रहा है लाश

 

PHOTOS : टेक्‍सास में भीषण धमाका, फर्टिलाइजर प्लांट उगल रहा है लाश
टेक्सास। सोमवार को बोस्‍टन धमाकों से अमेरिका उभर ही नहीं पाया था कि आज टेक्‍सास के एक फर्टिलाइजर प्लांट में ब्‍लास्‍ट होने से कई लोगों जिंदा ही जल गए। मौतों का सिलसिला जारी  है। प्‍लांट लगातार लाशें उगल रहा है। वहीं धुएं के कारण सैकड़ों लोगों के बीमार होने की खबर है। हादसा इतना भीषण था कि आसपास की कई इमारतों को बहुत नुकसान पहुंचा है। मरने वालों में आम नागरिकों के अलावा पुलिस और अग्निशमन के अधिकारी भी शामिल हैं।
 अधिकारियों के मुताबिक धमाका होने से पहले प्लांट में आग लगी थी। यह आग अमोनिया गैस से भरे एक टैंक में लगी थी और कुछ ही देर में इमारत में फैल गई। इसके बाद हुए ब्लास्ट से पास के एक स्कूल और नर्सिंग होम में भी आग लग गई। बचाव दल के अधिकारियों के मुताबिक ज्यादातर लोगों को इमारतों के शीशे, दरवाजों के टुकड़े और धातुओं के नुकीले टुकड़ों से चोट लगी है। धमाके के आस-पास डेढ़ किमी दूर तक के इलाके को खाली करा दिया गया है। घायलों में भी ज्यादतर लोगों की हालत गंभीर है।

गिरफ्तारी का आदेश सुनते ही कोर्ट से फरार हो गए मुशर्रफ!



इस्लामाबाद। पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ पर गिरफ्तारी के डर से अदालत से ही फरार हो गए। कोर्ट की ओर से मुशर्रफ की गिरफ्तारी के आदेश के बाद वो इस्लामाबाद हाईकोर्ट परिसर से निकल भागे। मुशरर्फ कोर्ट से निकलने के बाद अपने सीधे अपने घर पहुंचे हैं और उन्होंने सलाह-मश्विरा करने के लिए वकीलों को बुलाया है।
अज जस्टिस शौकत अजीज ने जजों की गिरफ्तारी के मामले में मुशर्रफ की जमानत खारिज करते हुए उनकी गिरफ्तारी के आदेश दिए। लेकिन गिरफ्तरी से पहले ही मुशर्रफ कोर्ट परिसर से भाग निकले। बेल खारिज होते ही पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने जा रही थी। लेकिन मुशर्रफ अपने अंगरक्षकों के साथ बुलेट प्रूफ गाड़ी से मौके से चले गए। मुशर्रफ आज सुनवाई के दौरान कोर्ट पहुंचे थे। इस दौरान यहां भारी तादात में पुलिसकर्मी और रेजर्स मौजूद थे।

मुशर्रफ पर 2009 में जजों को बंधक बनाने का केस दर्ज था। इसी केस में वो जमानत के लिए हाईकोर्ट पहुंचे थे। लेकिन कोर्ट ने जमानत याचिका रद्द करते हुए उनकी गिरफ्तारी के आदेश दे दिए। मुशर्रफ ने 3 नवंबर 2007 में जजों को नजरबंद करने का आदेश दिया था। इस मामले में मुशर्रफ के खिलाफ 2009 में केस दर्ज हुआ था।
बता दें कि मुशर्रफ ने सेना प्रमुख रहते हुए पाकिस्तान सरकार का तख्ता पलट कर दिया था। कुछ साल तक विदेश में रहने के बाद मुशर्रफ पिछले पखवाड़े ही पाकिस्तान लौटे थे। वापसी के बाद से ही मुशर्रफ कोर्ट के चक्कर काट रहे थे, और जमानत ले रहे थे। इससे पहले मुशर्रफ को चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य ठहराया जा चुका है। उन्होंने चार जगहों से अपना नामांकन भरा था।
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति और तानाशाह करीब 5 साल बाद अपने वतन लौटे थे। पाकिस्तान में 11 मई को ऐतिहासिक चुनाव होने जा रहे हैं। मुशर्रफ ने पाकिस्तान लौटने से दो दिन पहले ही मुशर्रफ की पार्टी पीएमएलक्यू ने सिंध उच्च न्यायालय से सुरक्षात्मक जमानत ले ली थी।
अगस्त 2008 में राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद से ही मुशर्रफ ब्रिटेन और संयुक्त अरब अमीरात में निर्वासित जीवन बिता रहे थे। आतंकवाद निरोधी एक अदालत ने पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या के सिलसिले में मुशर्रफ के खिलाफ 2011 में वारंट जारी किया था। वहीं पाक तालिबान प्रवक्ता एहसानुल्लाह एहसान ने वीडियो जारी कर धमकी दी थी कि मुशर्रफ वापस लौटें तो आतंकियों का मुख्य निशाना होंगे।

आजकल बेरों का मौसम है, सर्वपरिचित तथा मध्यम वर्ग के द्वारा भी प्रयोग में लाया जा सकने वाला फल है बेर।

आजकल बेरों का मौसम है, सर्वपरिचित तथा मध्यम वर्ग के द्वारा भी प्रयोग में लाया जा सकने वाला फल है बेर।
यह पुष्टिदायक फल है, किंतु उचित मात्रा में ही इसका सेवन करना चाहिए। अधिक बेर खाने से खाँसी होती है। कभी भी कच्चे बेर नहीं खाने चाहिए। चर्मरोगवाले व्यक्ति बेर न खायें।
स्वाद एवं आकार की दृष्टि से इसके 4 प्रकार होते हैं।
बड़े बेर (पेबंदी बेर)- खजूर के आकार, बड़े-बड़े, लम्बे-गोल बेर ज्यादातर गुजरात, कश्मीर एवं पश्चिमोत्तर प्रदेशों में पाये जाते हैं। ये स्वाद में मीठे, पचने में भारी, ठंडे, मांसवर्धक, मलभेदक, श्रमहर, हृदय के लिए हितकर, तृषाशामक, दाहशामक, शुक्रवर्धक तथा क्षयनिवारक होते हैं। ये बवासीर, दस्त एवं गर्मी की खाँसी में भी उपयोगी होते हैं।
मीठे मध्यम बेरः ये मध्यम आकार के एवं स्वाद में मीठे होते हैं तथा मार्च महीने में अधिक पाये जाते हैं। ये गुण में ठंडे, मल को रोकने वाले, भारी, वीर्यवर्धक एवं पुष्टिकारक होते हैं। ये पित्त, दाह, रक्तविकार, क्षय एवं तृषा में लाभदायक होते हैं, किन्तु गुणों में बड़े बेर से कुछ कम। ये कफकारक भी होते हैं।
खट्टे मीठे मध्यम बेरः ये आकार में मीठे-मध्यम बेर से कुछ छोटे, कच्चे होने पर स्वाद में खट्टे कसैले एवं पक जाने पर खट्टे-मीठे होते हैं। इसकी झाड़ी कँटीली होती है। ये बेर मलावरोधक, रुचिवर्धक, वायुनाशक, पित्त एवं कफकारक, गरम, भारी, स्निग्ध एवं अधिक खाने पर दाह उत्पन्न करने वाले होते हैं।
चने के आकार के लाल बेर स्वाद में खट्टे मीठे, कसैले, ठंडे, भूख तथा पाचन वर्धक, रुचिकर्ता, वायु एवं पित्तशामक होते हैं। ये अक्टूबर-नवम्बर महीनों में ज्यादा होते हैं।
सभी प्रकार के सूखे बेर पचने में हलके, भूख बढ़ाने वाले, कफ-वायु-तृषा-पित्त व थकान का नाश करने वाले तथा वायु की गति को ठीक करने वाले होते हैं।
बाल झड़ना तथा रूसीः बेर के पत्तों का काढ़ा बनाकर उससे बाल धोने से बालों को शक्ति मिलती है, बाल झड़ने बंद होते हैं तथा रूसी मिटती है। अथवा पत्तों को पीसकर पानी में डालें और मथानी से मथें। उससे जो झाग उत्पन्न हो, उसे सिर में लगाने से भी बालों का झड़ना रुकता है।
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