नई दिल्ली. दिल्ली में 5 वर्षीय बच्ची (गुड़िया, काल्पनिक नाम)
के बलात्कार का मुख्य आरोपी मनोज, मुजफ्फरपुर के चिकनौता गांव में
गिरफ्ताए कर लिया गया. दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस की जॉइंट टीम ने रात
12:30 के करीब उसके ससुराल से उसे गिरफ्तार किया. पुलिस उसे दिल्ली ला रही
है.
इससे पहले शुक्रवार को करीब चार महीने बाद दिल्ली एक और बर्बर
दुष्कर्म की घटना से आंदोलित है। दिसंबर की दुष्कर्म घटना के बाद सरकार व
पुलिस ने जो अपने रवैए में बदलाव का भारी वादा किया था, उसकी इस घटना ने
पोल खोल दी।
पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में पड़ोसी द्वारा चार दिन से बंधक बनाई
गई और दुष्कर्म की शिकार पांच वर्षीय बच्ची की खोज और इलाज में जैसी
हीलाहवाली दिखाई दी उससे सिर्फ दिल्ली पुलिस ही नहीं बल्कि पूरा सरकारी
महकमे का रवैया एक बार फिर शर्मसार करने वाला था।
15 अप्रैल से लापता बच्ची अंतत: 17 अप्रैल को अपने मकान के बेसमेंट
में लहूलुहान हालत में पाई गई। स्वामी दयानंद अस्पताल में उसकी सर्जरी की
गई और शुक्रवार शाम उसे एम्स शिफ्ट कर दिया गया। बच्ची की हालत नाजुक बनी
हुई है। आरोपी दरिंदे ने बच्ची के निजी अंग में प्लास्टिक की शीशी और
मोमबत्ती डाल दी थी जिससे उसके शरीर में संक्रमण फैल गया।
बच्ची का परिवार इसी मकान के फस्र्ट फ्लोर पर रहता था। बेसमेंट के एक
बंद कमरे से कराहने की आवाज सुनकर मां-बाप ने पुलिस को बुलाया। कमरे का
ताला तोड़ा गया तो वह बच्ची वहां मिली। आरोपी मनोज फरार है। पुलिस ने उसके
पिता व परिजनों को हिरासत में ले रखा है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही
आरोपी उनकी पकड़ में होगा।
दो दिन तक दर्ज नहीं की एफआईआर
परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने गुमशुदगी की शिकायत करने के बावजूद इस
मामले को गंभीरता से नहीं लिया, दो दिन तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की। जब
बच्ची मिल गई तब भी पुलिस ने कहा, बच्ची तो जिंदा मिल गई अब खुश रहो।
परिजनों ने यह आरोप भी लगाया कि उन्हें पुलिस ने दो हजार रुपए देने का
ऑफर कर मामले को रफादफा करने और मीडिया से बात न करने की सलाह भी दी।
उन्होंने अस्पताल के बारे में भी कहा कि उन्हें बच्ची के बारे में कोई
जानकारी नहीं दी जा रही थी। 2000 रुपए की पेशकश के आरोप में भी पुलिस ने
विजिलेंस जांच के आदेश दिए हैं। जांच की रिपोर्ट आने तक गांधीनगर थाने के
एसएचओ धर्मपाल सिंह और जांच अधिकारी महावीर सिंह को निलंबित कर दिया है।
पुलिस के रवैए के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए दयानंद अस्पताल
के बाहर सैकड़ों लोग सुबह से ही जमा हो गए और मांग उठने लगी कि बच्ची को
बेहतर इलाज के लिए एम्स शिफ्ट किया जाए। इस दौरान यहां कई पार्टियां सियासत
करने पहुंच गईं। नेताओं के प्रति लोगों ने जमकर गुस्सा दिखाया।
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. अशोक कुमार वालिया से हाथापाई की गई।
लोगों का गुस्सा इस कदर था कि वहां पीड़ित बच्ची का हाल लेने पहुंचे नेताओं
पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विजय गोयल
को विरोध के नारे झेलने पड़े। शिक्षा मंत्री प्रो. किरण वालिया को बेरंग
लौटना पड़ा। उधर, शाम को एम्स में शिफ्ट किए जाने के बाद भी अस्पताल परिसर
के बाहर विभिन्न छात्र व महिला संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर
दिया था।
सोनिया बेहद नाराज
देर शाम कोरग्रुप की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी
ही सरकार पर सवाल खड़ा किया कि यह क्या चल रहा है। उन्हें केंद्रीय गृह
मंत्री सुशील कुमार शिंदे संतुष्ट नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री से कहा, फौरन
सख्त कार्रवाई के निर्देश दें।
घटना विचलित करने वाली :
मैं इस घटना से विचलित हूं। पुलिस का रवैया अस्वीकार्य है।’ -मनमोहन सिंह, प्रधानमंत्री
विरोध कर रही लड़की पर ही जड़ दिए एसीपी ने तमाचे :
बच्ची से दुष्कर्म के खिलाफ प्रदर्शन कर रही एक लड़की पर दिल्ली पुलिस
के एसीपी बीएस अहलावत ने जोर दिखाया। एसीपी ने न केवल लड़की से बदसलूकी की
बल्कि उसकी कनपटी पर तीन-चार तमाचे जड़ दिए। पिटाई से लड़की के कान से खून
बहने लगा। घटना की तस्वीर चैनलों पर आने के बाद पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार
ने एसीपी को निलंबित कर दिया है। घटना के लिए नीरज कुमार ने अफसोस भी जताया
है।
बच्ची के लिए अगले दो दिन बेहद अहम :
बच्ची का इलाज कर रहे दयानंद अस्पताल के आरके बंसल के अनुसार, बच्ची
के लिए अगले 24 से 48 घंटे बेहद संवेदनशील हैं। उन्होंने बताया कि बच्ची के
निजी अंग, छाती, होठ और गाल पर चोट है, गले में भी खरोंच के निशान हैं
जिससे यह लगता है कि उसका गला घोंटने की कोशिश भी की गई। उसके निजी अंगों
से बाहरी वस्तुएं निकालकर संक्रमण थामने की दवा लगातार दी जा रही थी।
डॉक्टरों के मुताबिक, उसकी सर्जरी कर घ्लास्टिक की शीशी और मोमबत्ती निकाल
गई। शुक्रवार को दो बार शिफ्ट करने के बाद आखिर में उसे एम्स में भर्ती
कराया गया है।
पिता के तीन आरोप :
14 अप्रैल को बच्ची गुम हुई। पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। पर गांधीनगर पुलिस ने कार्रवाई नहीं की।
17 अप्रैल को खुद ही खोजा। फिर पुलिस के पास गए। लेकिन दुष्कर्म का केस दर्ज नहीं किया।
18 अप्रैल की रात पुलिस वाले आए और दो हजार रुपए देकर कहा-लोगों में बात मत ले जाओ। बदनामी होगी।
महिला आयोग की अध्यक्ष बोलीं-कल मिलूंगी :
पांच वर्षीय मासूम के साथ हैवानियत से हर तबके में भारी आक्रोश है
लेकिन बच्चों और महिलाओं के हक से जुड़ी सरकारी संस्थाएं फिक्रमंद नजर नहीं
आईं। शुक्रवार पूरे दिन दिल्ली में जनाक्रोश उमड़ता रहा लेकिन जिम्मेदार
संस्थाओं में कोई भी बच्ची या परिवार का सुध लेने नहीं पहुंचा।
महिलाओं के खिलाफ होने वाले हर उत्पीड़न पर फौरन पुलिस और प्रशासन को
आड़े हाथों लेने वाली राष्ट्रीय महिला आयोग प्रमुख ममता शर्मा के बयान ने
सबसे ज्यादा हैरान किया है।
शुक्रवार को एक टीवी को इस हैवानियत भरी घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए
महिला आयोग प्रमुख ने कहा, ‘आज छुट्टी है। कल मैं इस मामले को टेक-अप करके
पीड़िता से मिलने जाऊंगी। जो भी मदद बन सकेगी, हम करेंगे।’
बाल संरक्षण आयोग प्रमुख को कोई जानकारी नहीं
बच्चों के अधिकारों पर काम करने वाली संस्था ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार व
संरक्षण आयोग ’ का एक भी अधिकारी पीड़िता से मिलने नहीं जा सका। सबसे हैरान
करने वाला तथ्य है कि आयोग की प्रमुख शांता सिन्हा की मौजूदा स्थिति के
बारे में भी किसी को कोई जानकारी नहीं है। केंद्रीय महिला व बाल विकास
मंत्री कृष्णा तीरथ ने उनसे बात करने की कोशिश की लेकिन उनसे संपर्क नहीं
हो सका। इसी तरह आयोग के अन्य सदस्यों को भी उनके दिल्ली से बाहर जाने के
बारे में जानकारी नहीं है।
महिला व बाल विकास राज्यमंत्री नहीं गई बच्ची से मिलने
दुष्कर्म की खबर सुनने के बाद एम्स में कई नेताओं और अधिकारियों का
तांता लग गया। लेकिन पूरे दिन इसमें खुद महिला व बाल विकास राज्यमंत्री
कृष्णा तीरथ मासूम से मिलने नहीं जा सकीं। जबकि मंत्री जी के घर से एम्स की
दूरी दो किलोमीटर से भी कम है।
16 दिसंबर की घटना के बाद लगा था कि लोगों की सोच में बदलाव आएगा।
लेकिन हालात और बिगड़े हैं। ये पुलिस वाले महिलाओं की सुरक्षा क्या इन्हें
मारने-पीटने का ही काम करेंगे।’ - सुषमा स्वराज, भाजपा नेता