तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अप्रैल 2013
दोस्तों एक तरफ देश दामिनी और फिर उसके बाद गुडिया के साथ हुई हेवानियत भरी घटना को लेकर सडको पर है दिल्ली कमिश्नर को हटाने की मांग कर रहे है दूसरी तरफ राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में एक पुलिस कर्मी और उसका परिवार उसकी पांच साल की बच्ची के साथ हुई हेवानियत की घटना के मामले में न्याय को दर दर भटक रहा है
दोस्तों एक तरफ देश दामिनी और फिर उसके बाद गुडिया के साथ हुई हेवानियत भरी घटना को लेकर सडको पर है दिल्ली कमिश्नर को हटाने की मांग कर रहे है दूसरी तरफ राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में एक पुलिस कर्मी और उसका परिवार उसकी पांच साल की बच्ची के साथ हुई हेवानियत की घटना के मामले में न्याय को दर दर भटक रहा है जी हाँ दोस्तों किशोरपुरा इलाके में रहने वाला एक आर ऐ सी कोटा में तेनात सिपाही जिसकी अबोध बालिका के साथ उसी के साथ तेनात सिपाही के इक्कीस साल के लडके ने घिनोनी हरकत की जिसका मुकदमा कोटा के थाने में दर्ज करवाया गया है ....इस मामले में पुलिस अपराधी को गिरफ्तार नहीं कर रही है अपराधी को केसे बचाया जाये इस दिशा में तफ्तीश कर रही है ..यह आर ऐ सी का जवान कोटा बाल कल्याण समिति के पास गुहार कर चूका है कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारीयों के सामने आरोपी की गिरफ्तारी की मांग को लेकर खून के आँसू रो चुका है ..एक आध अख़बार ने खबर भी दी है लेकिन दोस्तों अब तक अपराधी को केसे बचाया जाए इस तरफ ही तफ्तीश चल रही है एक मासूम बच्ची जिसने अपराध करने वाले अंकल जी की शिनाख्त भी कर ली है फिर भी पुलिस इनके खिलाफ कोई नहीं कर रही है ......इस आर ऐ सी के पीड़ित बाप ने अपनी कहानी सभी राजनितिक दलों के नेताओं को भी बताई है ...अख़बार वालों को भी बताई है लेकिन इसकी मदद करने इसको इंसाफ दिलाने अभी तक की आगे नहीं आया है देखलो एक तरफ गुडिया के लियें देश सडको पर है देश में उबाल है कमिश्नर तक को हटाने और गृह मंत्री को इस्तीफे की मांग उठ रही है दूसरी तरफ राजस्थान के इस कोटा शहर में लोगों का पानी मर गया है और पुलिस तफ्तीश के नाम पर दर्ज मुकदमे में मनमानी कर रही है अपराधी को बचा रही है फरियादी को डरा धमका रही है है न गज़ब का इंसाफ राजस्थान जी और राजस्थान के सियासी समाजसेवी लोगों जी ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
दोस्तों एक सच जरा अपने सीने पर हाथ रख कर बताना
दोस्तों एक सच जरा अपने सीने पर हाथ रख कर बताना ...देश के गृह मंत्री जब से सुशील कुमार शिंदे बने है तब से देश में खासकर दिल्ली और आसपास इलाकों में बलात्कार की घटनाएँ क्यों बढ़ी है ..क्या शिंदे का बलात्कारियों से कोई खास रिश्ता है ...क्या दिल्ली की पुलिस दिल्ली सरकार के कहने में नहीं है इसलियें या फिर दिल्ली सरकार पर केंद्र का कमांड है और केन्द्रीय गृह मंत्री सुशिल शिंदे ही दिल्ली कमिश्नर और दूसरी नियुक्तियां करते है ..बताइए प्लीज़ ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
जो पिघली थी मेरे दिल में
"एक कविता
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है
रगड़ कर मेरा निखरना तुम्हें सच्चा लगा है
मेरा बिखरना देख कर तुम खुश हुए कविता समझ कर
इस आचरण के व्याकरण पर गौर कर लो
बियांबान दौर में जब सत्य भी सन्नाटे से सहमा था
मैं चीखा था
मेरे बयानों में जो कांपती आवाज में दर्ज था, -- वह दर्द तेरा था
लोग उसको कविता समझ बैठे
एक कविता
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है." ----राजीव चतुर्वेदी
"एक कविता
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है
रगड़ कर मेरा निखरना तुम्हें सच्चा लगा है
मेरा बिखरना देख कर तुम खुश हुए कविता समझ कर
इस आचरण के व्याकरण पर गौर कर लो
बियांबान दौर में जब सत्य भी सन्नाटे से सहमा था
मैं चीखा था
मेरे बयानों में जो कांपती आवाज में दर्ज था, -- वह दर्द तेरा था
लोग उसको कविता समझ बैठे
एक कविता
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है." ----राजीव चतुर्वेदी
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है
रगड़ कर मेरा निखरना तुम्हें सच्चा लगा है
मेरा बिखरना देख कर तुम खुश हुए कविता समझ कर
इस आचरण के व्याकरण पर गौर कर लो
बियांबान दौर में जब सत्य भी सन्नाटे से सहमा था
मैं चीखा था
मेरे बयानों में जो कांपती आवाज में दर्ज था, -- वह दर्द तेरा था
लोग उसको कविता समझ बैठे
एक कविता
जो पिघली थी मेरे दिल में
जो बहती थी मेरे मन में
आज बिखरी है ,---तुम्हें अच्छी लगेगी
मैं जानता हूँ
इस कदर मेरा बिखरना ---तुम्हें अच्छा लगा है." ----राजीव चतुर्वेदी
रेप की शिकार मासूम की हालत नाजुक, एयर एंबुलेंस से भेजा गया नागपुर
इंदौर। दिल्ली में पांच साल की मासूम अस्पताल में अपनी जिन्दगी
और मौत से लड़ ही रही थी। देश उबल रहा था, हर आंख, हर जुबां पर विद्रोह की
धधकती आग थी। देश में हर जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे थे। विरोध का केंद्र
दिल्ली था। ऐसे में उसी वक्त मध्यप्रदेश में भी एक चार साल की मासूम के साथ
घिनौनी हरकत को अंजाम दिया गया। उसकी हालत उसके साथ हुई हैवनियत को बयां
करने के लिए काफी थी। हालांकि घटना की जानकारी देर से लगी, जिसके चलते
मासूम की हालत बिगड़ती चली गई।
दोस्तों एक कडवा सच हमारे देश में महिलाओं के प्रति इस्लाम के नजरिये को गलत ठहरा कर आलोचना करना आम बात रही है लेकिन खास बात यह रही है के जब जब हमारे देश में ओरत पर ज़ुल्म ..अत्याचार अनाचार हुआ है तब तब हमारे देश में इस्लाम के कानून का नजरिया महिला को इंसाफ दिलाने के लियें उठाया गया है ..
दोस्तों एक कडवा सच हमारे देश में महिलाओं के प्रति इस्लाम के नजरिये को गलत ठहरा कर आलोचना करना आम बात रही है लेकिन खास बात यह रही है के जब जब हमारे देश में ओरत पर ज़ुल्म ..अत्याचार अनाचार हुआ है तब तब हमारे देश में इस्लाम के कानून का नजरिया महिला को इंसाफ दिलाने के लियें उठाया गया है ....हमारे देश में चाहे दामिनी का मामला हो चाहे कथित गुडिया का मामला हो चाहे और दुसरे दीगर गम्भीर मामले हो देश एक सुर में ऐ आवाज़ में चीइख चीख कर ऐसे लोगों के लियें फांसी सिर्फ फांसी मानता है जो केवल और केवल इस्लाम धर्म में ही इस सजा का प्रावधान है ...बलात्कार के मामले में इस्लाम में दोषी व्यक्ति को सफाई का अवसर देने के बाद अपराधी घोषित होने पर आधा गाढ़ कर आम जनता के सामने संगसार कर हत्या करने का प्रावधान है ताकि दुसरे अपराधी इस मामले में सबक ले और आज इन घटनाओं के बाद बलात्कार के आरोपियों के साथ हमारे देश की जनता यही सब चाहती है .... इसके पूर्व भी भारत की सरकार मुस्लिम कन्या का तेराह साल में विवाह के प्रावधान को सोलह साल की महिला पर लागु करना चाहती थी जो असफल हो गयी .इसके पूर्व भी सती मामले में पत्नी को पति के साथ ज़िंदा जलाने से रोकने का मामला हो ..चाहे विधवा विवाह का मामला हो ..चाहे महिलाओं को सम्पत्ति में हिस्सा देने का मामला हो ..चाहे वैवाहिक सम्बन्ध बिगड़ने पर तलाक का मामला हो ..दहेज़ का मामला हो ...शादियों में फ़िज़ूल खर्ची रोकने का मामला हो सभी मामलों में इस्लामिक कानून के तहत देश की महिलाओं को इंसाफ देने के लियें आवाज़ उठी और आज देश की महिलाओं को इंसाफ मिल रहा है जन्म जन्मान्तर का रिश्ता होने के बाद भी देश में तलाक का कानून लागु हो गया है सती से रोकने का कानून बना दिया गया है ...विधवा विवाह को प्रोत्साहन दिया जा रहा है ...कुल मिलाकर देश महिलाओं के इंसाफ के मामले में इस्लाम के विधि नियमों के तहत महिलाओं को हक दिलाकर खुश नज़र आ रहा है .....लेकिन खुद इस्लाम के जानकर इन सब चीजों से दूर होते जा रहे है और खुदा का खोफ दिल से निकाल कर महिलाओं के परत अपराध और हिंसा में शामिल नज़र आ रहे है यह कहानी घर घर की बनती जा रही है और कई घर इस मामले में बिगड़ते जा रहे है ........अख्तर खान अकेला एडवोकेट कोटा राजस्थान
मैने कहा था न
मैने कहा था न
जा मर जा
कूद जा नदिया में
पी ले ज़हर ...
जीने नहीं देगा
ये शहर ...
धुआं निग़ल जाएगा
बरसेगा कहर ...!
ये उफ़ान
लाएगा तूफ़ान,
टूटेगा का तेरा
उम्मीद का घरौंदा
रौंद डालेगा
ज़िस्म का रेशा रेशा !
और फाइलें
अदालत में
बिना खोले ही
जला दी जाएँगीं !
तू न मानी
लड़ने की ठानी
ले अब भुगत,
जिंदगी जीने की
खुली हवाओं में
उड़ने की सज़ा .!!
मैने कहा था न
जा मर जा
कूद जा नदिया में
पी ले ज़हर ...
जीने नहीं देगा
ये शहर ...
धुआं निग़ल जाएगा
बरसेगा कहर ...!
ये उफ़ान
लाएगा तूफ़ान,
टूटेगा का तेरा
उम्मीद का घरौंदा
रौंद डालेगा
ज़िस्म का रेशा रेशा !
और फाइलें
अदालत में
बिना खोले ही
जला दी जाएँगीं !
तू न मानी
लड़ने की ठानी
ले अब भुगत,
जिंदगी जीने की
खुली हवाओं में
उड़ने की सज़ा .!!
जा मर जा
कूद जा नदिया में
पी ले ज़हर ...
जीने नहीं देगा
ये शहर ...
धुआं निग़ल जाएगा
बरसेगा कहर ...!
ये उफ़ान
लाएगा तूफ़ान,
टूटेगा का तेरा
उम्मीद का घरौंदा
रौंद डालेगा
ज़िस्म का रेशा रेशा !
और फाइलें
अदालत में
बिना खोले ही
जला दी जाएँगीं !
तू न मानी
लड़ने की ठानी
ले अब भुगत,
जिंदगी जीने की
खुली हवाओं में
उड़ने की सज़ा .!!
याद की आँच बढ़ाने की ज़रूरत क्या है...
याद की आँच बढ़ाने की ज़रूरत क्या है...
ये भीगा खत यूँ जलाने की ज़रूरत क्या है...
आना जाना तो बदस्तूर लगा रहता है...
फिर भला दिल को लगाने की ज़रूरत क्या है...
सामने आँख के जब ख्वाब जी रहा हो कोई....
तो मुई आँख सुलाने की ज़रूरत क्या है...
वो तो जब तक भी रहा, मेरा एक हिस्सा था...
ऐसे साथी को भुलाने की ज़रूरत क्या है...
भरी महफ़िल में जीती जागती ग़ज़ल हो कोई...
तो वहाँ नज़्म सुनाने की ज़रूरत क्या है....
जिसने इक बार कभी तेरा हुस्न चखा हो...
उसे कुछ और अब खाने की ज़रूरत क्या है...
खून की जितनी सियासत हो करो, उसमें मगर....
खुदा को बेवजह लाने की ज़रूरत क्या है..
याद की आँच बढ़ाने की ज़रूरत क्या है...
ये भीगा खत यूँ जलाने की ज़रूरत क्या है...
आना जाना तो बदस्तूर लगा रहता है...
फिर भला दिल को लगाने की ज़रूरत क्या है...
सामने आँख के जब ख्वाब जी रहा हो कोई....
तो मुई आँख सुलाने की ज़रूरत क्या है...
वो तो जब तक भी रहा, मेरा एक हिस्सा था...
ऐसे साथी को भुलाने की ज़रूरत क्या है...
भरी महफ़िल में जीती जागती ग़ज़ल हो कोई...
तो वहाँ नज़्म सुनाने की ज़रूरत क्या है....
जिसने इक बार कभी तेरा हुस्न चखा हो...
उसे कुछ और अब खाने की ज़रूरत क्या है...
खून की जितनी सियासत हो करो, उसमें मगर....
खुदा को बेवजह लाने की ज़रूरत क्या है..
ये भीगा खत यूँ जलाने की ज़रूरत क्या है...
आना जाना तो बदस्तूर लगा रहता है...
फिर भला दिल को लगाने की ज़रूरत क्या है...
सामने आँख के जब ख्वाब जी रहा हो कोई....
तो मुई आँख सुलाने की ज़रूरत क्या है...
वो तो जब तक भी रहा, मेरा एक हिस्सा था...
ऐसे साथी को भुलाने की ज़रूरत क्या है...
भरी महफ़िल में जीती जागती ग़ज़ल हो कोई...
तो वहाँ नज़्म सुनाने की ज़रूरत क्या है....
जिसने इक बार कभी तेरा हुस्न चखा हो...
उसे कुछ और अब खाने की ज़रूरत क्या है...
खून की जितनी सियासत हो करो, उसमें मगर....
खुदा को बेवजह लाने की ज़रूरत क्या है..
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
पाँच वर्ष पहले यह कविता लिखी थी |क्या कुछ बदला है इन पाच सालों में-
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
पाँच वर्ष पहले यह कविता लिखी थी |क्या कुछ बदला है इन पाच सालों में-
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
इंसान नहीं था
मुझे इतनी जोर से प्यार मत करो अंकल
देखो तो,मेरे होंठो से निकल आया है खून
मेरे पापा धीरे से चूमते हैं सिर्फ माथा
मुझे मत मारो अंकल ..दुखता है
मैं आपकी बेटी से भी छोटी हूँ
क्या उसे भी मारते हो इसी तरह
मेरे कपड़े मत उतारो अंकल
अभी नवरात्रि में
चूनर ओढ़ाकर पूजा था न तुमने
तुम्हें क्या चाहिए अंकल
ले लो मेरी चेन घड़ी,टाप्स,पायल
और चाहिए तो ला दूंगी अपनी गुल्लक
उसमें ढेर सारे रूपये हैं
बचाया था अपनी गुड़िया की शादी के लिए
सब दे दूंगी तुम्हें
अंकल-अंकल ये मत करो
माँ कहती है -ये बुरा काम होता है
भगवान जी तुम्हें पाप दे देंगे
छोड़ो मुझे,वरना भगवान जी को बुलाऊंगी
टीचर कहती हैं -भगवान बच्चों की बात सुनते हैं
...अब बच्ची लगातार चीख रही थी
पर भगवान तो क्या,दूर-दूर तक
कोई इंसान भी न था .
क्या आपने कहीं देखा है ऐसा घर, जहां बोलते हैं पत्थर और उगता है सूरज!
बेजान पत्थर भी बोल सकते हैं। मालवीय नगर स्थित इंटीरियर डिजाइनर
रामनिवास शर्मा के घर में कदम रखते ही आपको यह एहसास हो जाएगा। लगभग 15
अलग-अलग प्रकार के पत्थरों का उम्दा इस्तेमाल घर के इंटीरियर में किया गया
है।
जयपुर.इस घर का हरेक कोना एक अलग कॉन्सेप्ट के साथ डिजाइन किया
गया है। जहां बेडरूम में लगे पत्थर और लकड़ी के संयोजन से बने फ्रेम्स घर
को डिजाइनर होम बनाते हैं, वहीं डाइनिंग रूम किसी फाइव स्टार रेस्टोरेंट का
आभास देता है।
अलग है स्टोन फ्लोरिंग पैटर्न
घर में प्रवेश करते ही आर्टिफैक्ट की वैराइटी से सजा लिविंग एरिया कुछ
पलों के लिए समय को रोक सा देता है। यहां सजे सिरेमिक वाज, बुद्ध प्रतिमा,
सुनहरे पेंट से तैयार मिनिएचर आर्ट वर्क, डेकोरेटिव स्टेच्यू और इंपोर्टेड
दीवार घड़ी घर के मालिक के डिजाइनर रुझान को बयां करते हैं। बनाना लीफ
लेयर से बना स्पेशल वॉटर टैंक उसे टकटकी लगाकर देखने पर मजबूर करता है। इसी
जगह पर स्टोन फ्लोरिंग पैटर्न अलग से नजर आता है।
नेचुरल लैंडस्केप
बेडरूम में आकर्षक लैंडस्केप के रूप में नेचुरल बीदासर स्टोन वर्क
आपको सौम्यता और रॉयल्टी का मिला-जुला अहसास दिलाता है। रोशनी और रंगों के
विभिन्न प्रयोग भी हर कमरे की विशेषता हैं।
सन आर्ट क्राफ्ट
फर्स्ट फ्लोर पर जाने के लिए आप जैसे ही स्टेयरकेस पर पहुंचते हैं तो
एकाएक आपका ध्यान सन आर्ट क्राफ्ट पर जाता है। इसे दीवार पर इस तरह से
बनवाया गया है कि सूरज की पहली किरण सीधी इस जगह पड़े और दोनों सूरज मिलकर
घर में भरपूर उजाला फैलाएं। टेरेस कम बालकनी गार्डन में कदम रखते ही लगता
है, सारे पौधे व स्पेशल स्टोन पीस वर्क आपको सम्मोहित करने के इंतजार में
खड़े हैं।
अब सरकार बनाएगी पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट
जयपुर.सभी विभागों के लिए सरकार जल्दी ही पब्लिक रिकॉर्ड एक्ट
बनाने जा रही है। ऐसा हुआ तो जनता को रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होने का बहाना
करके सरकारी अधिकारी- कर्मचारी सूचना देने से मना नहीं कर पाएंगे।
एक्ट बना तो जनहित से जुड़ा सरकारी रिकॉर्ड सुरक्षित रखना अनिवार्य
होगा। सूचना आयोग की ओटीएस के समीप नई बिल्डिंग के लोकार्पण समारोह में
शुक्रवार को मुख्य सूचना आयुक्त टी. निवासन के सुझाव पर मुख्यमंत्री अशोक
गहलोत ने इस एक्ट के बनाने के संकेत दिए। इसके लिए उन्होंने सूचना आयोग से
मॉडल एक्ट बनाकर भेजने को भी कहा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भ्रष्टाचार समाप्त
करने के लिए सूचना का अधिकार एक सशक्त हथियार है। गहलोत शुक्रवार को ओटीएस
परिसर में 5 करोड़ रुपए की लागत से बने राजस्थान सूचना आयोग भवन के
उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
यहां 2500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बने इस भवन का निर्माण राजस्थान राज्य सड़क विकास एवं निर्माण निगम लि. ने किया।
श्रीनिवासन ने सूचना का अधिकार, लोक सेवा गारंटी अधिनियम एवं सुनवाई
के अधिकार के लिए नोडल अधिकारी बनाने का सुझाव भी दिया। समारोह में शांति
धारीवाल, सांसद डॉ. महेश जोशी, राज्य सभा सांसद अश्क अली टाक, राजस्थान
फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राजीव अरोड़ा आदि उपस्थित थे। श्रीनिवासन ने कहा कि
सबसे ज्यादा अपील जेडीए, नगर निगम और यूडीएच से संबंधित आती है। उन्होंने
धारीवाल से कहा कि अगर वहीं पर इनका निस्तारण हो जाए तो काफी मदद मिलेगी।
अब जनता को सहूलियत
आरटीआई के आवेदन ऑनलाइन प्राप्त करने, प्रथम अपील तथा उनका स्टेटस
प्राप्त करने के लिए नया वेब पोर्टल तैयार किया जा रहा है, जिससे आवेदकों
को अपने निवास स्थान से भी आवेदन तथा अपील करने का अवसर मिल सकेगा।
आवरागर्दी करते हुए ही आखें चार कर ली थीं दरिंदे मनोज ने, उसकी हरकतों से मुसीबत में था परिवार
पटना. दिल्ली में पांच साल की मासूम गुडि़या (काल्पनिक नाम) से दरिंदगी ( करने के आरोपी मनोज के खिलाफ पूरे देश में उबाल आया हुआ है ।
बिहार में लोग उसे बिहार पुलिस के हवाले करने और सरेआम फांसी देने की मांग
कर रहे हैं। उसके गांव वालों ने भी उसके परिवार का बायकॉट कर दिया है और
हुक्का पानी बंद कर दिया है।
मनोज एक गारमेंट फैक्ट्री में हेल्पर है। वह दर्जी का काम भी जानता
है। दिहाड़ी मजदूरी कर पेट पालने वाला मनोज मूल रूप से मुजफ्फरपुर (बिहार)
जिले के औरांई थाना क्षेत्र के भरथुआ गांव का रहने वाला है। परिवार के
ज्यादातर लोग गांव से बाहर ही रहते हैं। गांव में उसके दादा रहते हैं।
मनोज की दरिंदगी के बारे में सुन कर गांव वालों ने उसके परिवार का
बहिष्कार कर दिया है।
मनोज का पिता का बिंदेश्वरी साह दिल्ली के सीलमपुर में जूस की दुकान
चलाता है। मनोज ने दो साल पहले चिकनौटा गांव की लड़की से लव मैरिज की थी।
कुछ साल पहले वह पेट पालने के लिए दिल्ली आ गया था। औरांई थाने में मनोज
के खिलाफ किसी तरह का कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है। लेकिन बताया जाता है
कि 22 साल का मनोज गांधीनगर में जोर जबर्दस्ती करने के एक मामले में पहले
भी आरोपी रहा है। पुलिस ने
बताया कि तब घरवालों ने मनोज के खिलाफ केस दर्ज कराया था जिसके बाद वो
गिरफ्तार भी हुआ था। इस झगड़े के बाद घरवालों ने उससे नाता तोड़ लिया था।
मनोज उसी बिल्डिंग में एक कमरा किराये पर लेकर रहता था जहां पीड़ित बच्ची का
परिवार रहता था। गांधीनगर की इस तीन मंजिला इमारत में मनोज ग्राउंड फ्लोर
पर रहता था। बच्ची से कुकर्म के बाद वह ससुराल भाग गया। वहीं से उसकी गिरफ्तारी हुई।
दसवीं तक की भी पढ़ाई पूरी नहीं कर सकने वाला मनोज शुरू में गांव में
ऐसे ही आवारागर्दी किया करता था। इसी क्रम में चिकनौटा गांव के महेंद्र साह
की बेटी से उसकी आंखें लड़ीं और उसने उसे बीवी भी बना लिया। बताया जाता है
कि परिवार के लोग उसके फैसले से खुश नहीं थे। अब उसने पूरे देश को अपना
दुश्मन बना लिया है और बिहार को शर्मसार कर दिया है। इससे पहले अक्षय
ठाकुर ने भी बिहार को शर्मसार किया था। वह 16 दिसंबर को दामिनी के साथ हुई दरिंदगी में शामिल रहा था। दामिनी के साथ चलती बस में हुई गैंगरेप की वारदात के बाद भी देश भर में प्रदर्शन हुए थे।
दोस्तों एक कडवा सच है के देश में अगर प्रकाश सिंह बनाम उत्तरप्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस कार्य हो
दोस्तों एक कडवा सच है के देश में अगर प्रकाश सिंह बनाम उत्तरप्रदेश सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देश के अनुसार पुलिस कार्य हो उसकी कार्यशेली हो तो निश्चित तोर पर देश में अपराधो पर नियंत्रण लगेगा हमारे राजस्थान में वर्ष दो हजार छ में नया पुलिस कानून बनाया गया है लेकिन अब तक न तो तबादला पालिसी बनी है ..न ही थानों में अपराध नियंत्रण के लियें समितियों का हुआ है ..पुलिस उत्पीडन के लियें पुलिस जवाबदार समितियां नहीं बनी अहि इतना ही नहीं पुलिस आयोग का गठन भी नहीं किया गया है शांति समिति और सी एल जी समितियों में वोह लोग है जो या तो पुलिस के दलाल है या सत्ता के दलाल है या फिर अपराधिक प्रवृत्ति के सियासी लोग ऐसे में केसे अपराध नियंत्रण हो जब तक बीट प्रणाली से लेकर शिकायत प्रणाली तक निगरानी विकसित नहीं हो लेकिन सरकारों को क्या सुप्रीम कोर्ट के आदेश जाए कचरा पात्र में उन्हें तो पुलिस को जनता के खिलाफ इस्तेमाल करना है अधिकारियों को मनचाही जगह पोस्टिंग करना है उन्हें मनचाही कार्यवाही की देना है बस उनके कार्यकर्ताओं को अपराध करने की छुट मिले और पुलिस सत्ता पार्टी की प्रचारक बनकर काम करे और नेताओं की सुरक्षा करे जो लोग सत्ता पक्ष के नेताओं के खिलाफ आवाज़ उठाये उनके खिलाफ पुलिस दमनकारी नीतिया चलाकर उन्हें डराए धमकाए इसीलियें तो बेचारी पुलिस और पुलिस अधिकारीयों को जनता की सुरक्षा और अपराध पूर्व नियंत्रण के लिए वक्त नहीं मिल पाता है और वोह चाह कर भी अपराध नहीं रोक पाते यहाँ तक के ख़ुफ़िया एजेंसियों को भी राजनीतिक जानकारी इकट्ठी करने के लियें लगाया जाता है किसको टिकिट देना चाहिए सरकार की पालिसी के बारे में मतदाता क्या सोचता है कास्ट अलग अलग पार्टी के बारे में क्या सोचती है किस योजना से वोटरों को लुभाया जा कसता है किस विपक्ष के नेता की क्या कमजोरी है बस यही सब ख़ुफ़िया विभाग के लोगों काम रह गया है और इस पर तमगा यह है के ख़ुफ़िया एजेंसी का प्रमुख रोज़ प्रधानमन्त्री और मुख्यमंत्री को कानून व्यवस्था के बारे में फीड बेक देते है ..ऐसे में बेचारे पुलिस अधिकारी नोकरी बचाने के लियें कम कर रहे है या फिर रूपये कमाने में लग गये है और जमीर वाले पुलिस अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद अपनी भडास किताबे छाप कर तहलका मचाने में निकालते है ..........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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