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24 अप्रैल 2013

सफ़र में रोशनी की जब दुआयें माँगता हूँ

सफ़र में रोशनी की जब दुआयें माँगता हूँ
मैं अपनी माँ के क़दमों से जि़यायें माँगता हूँ।

मुझे महसूस होता है कि हूँ मैं क़र्बला में
मैं अपने भाईयों से जब वफ़ायें माँगता हूँ।

दरख़्तों के हज़ारों दर्द उग जाते हैं मुझमें,
नए पौधों से जब ताज़ी हवायें माँगता हूँ।

सज़ाएं दूसरों की अब तलक़ काटी हैं मैने
मैं अब अपने गुनाहों की सज़ायें माँगता हूँ।

न मक्का ही गया हूँ मै ना जा पाया मदीना,
मगर मैं हाजियों के संग दुआयें माँगता हूँ।

तआस्सुब के घने बादल नहीं दरकार मुझको,
ख़ुदाया मैं तो रहमत की घटाएं माँगता हूँ।

निग़ाहें उनपे अपनी इसलिए रख़ता हूँ यारों,
परिंदों से मैं उड़ने की अदायें माँगता हूँ।

"रात की स्याही पे सूरज के दस्तखत सी सुबह,

"रात की स्याही पे सूरज के दस्तखत सी सुबह,
शब्द की भगदड़ भी देखो सुबह के अखबार में,
जिन्दगी के ऊंचे मचानो पर वहां बैठे जो हैं
सत्य के शातिर शिकारी ---उनको देखो
कुछ मकानों पर चहक गुलजार सी देखो
कुछ मकानों पर उदासी चस्पा है
रेंगते हैं राह में गुमराह से अरमान
लौठेगे उदासी का परचम लिए पहचान लेना शाम को
रात से बाकी बचा है इस सुबह का शेषफल है अब यही
और वह जो शोर है शान्ति को झकझोरता सा
संगीत मत कहना उसे
उठो ---शाम को तुम जब घायल से लौटोगे
घर की हर दहलीज अपनी चाह से तेरी राह देखेगी
यह सच तो भौतिक है मगर चाहो तो इसको भावना का नाम दे देना
और वह जो भीड़ है चल पड़ी है सत्य की शव यात्रा के साथ
सत्य के कातिल कल उसे श्रद्धांजली भी दे रहे होंगे,
---अखबार का व्यापार उनका है
हमारी हर वेदना
...शातिर संवेदना सरकारी...सूचना की तस्करी का तस्करा
सत्य की लाबारिस सी लाशें सूचना उद्योग का कच्चा माल हैं
उत्पाद की तो असलियत तुम जानते हो
रात को चादर ओढ़ कर सोये थे जो सपने हमारे जग गए हैं
रात की स्याही पे सूरज के दस्तखत सी सुबह,
शब्द की भगदड़ भी देखो सुबह के अखबार में." -----राजीव चतुर्वेदी

"आफताब की आफत आ गयी यार !!

"आफताब की आफत आ गयी यार !!
जेनरेटर की मार्केटिंग में लालटेन यह कहती है
सुन कर व्यवहार का सच बाजार के सच पर तरस खाता है
शब्दकोशों में कैद सच को रिहा करो यारो
पूछ लो अब तितलियों से तथ्य फूलों का
सतह पर जो फतह कर लौटता है ज्ञान के गूलर का भुनगा
कोलंबस की भूल सभी पर भारी है क्यों ?
सत्य तथ्य से उपजेंगे जब सार्वभौमिक होकर समाचार का सूत्र बनेगे
षड्यंत्रों से जब तुम उनको बुन डालोगे
तो विचार के अवशेषों पर खडी प्रचार की प्राचीरें होंगी
और वहां फिर कंदीलों को सूरज कोई कह डालेगा
सच की महक नहीं बदली है मानक मत बदलो तुम." ----- राजीव चतुर्वेदी

बेटी के लिए -------------------------




दर्द के तपते माथे पर शीतल ठंडक सी
मेरी बेटी
मैं ओढा देना चाहती हैं तुम्हे
अपने अनुभवों की चादर
माथे पर देते हुए एक स्नेहिल बोसा
मैं चुपके से थमा देती हूँ
तुम्हारे हाथ में
कुछ चेतावनियों भरी पर्चियां,
साथ ही कर देना चाहती हूँ
आगाह गिरगिटों की आहट से

तुम जानती हो मेरे सारे राज,
बक्से में छिपाए गहने ,
चाय के डिब्बे में
रखे घर खर्च से बचाए चंद नोट,
अलमारी के अंदर के खाने में रखी
लाल कवर वाली डायरी,
और डोरमेट के नीचे दबाई गयी चाबियां
पर नहीं जानती हो कि सीने की गहराइयों में
तुम्हारे लिए अथाह प्यार के साथ साथ
पल रही हैं
कितनी ही चिंताएँ,

मैं सौंप देती हूँ तुम्हे पसंदीदा गहने कपडे,
भर देती हूँ संस्कारों से तुम्हारी झोली,
पर बचा लेती हूँ चुपके से सारे दुःख और संताप
तब मैं खुद बदल जाना चाहती हूँ एक चरखड़ी में
और अपने अनुभव के मांजे को तराशकर
उड़ा देना चाहती हूँ
तुम्हारे सभी दुखों को बनाकर पतंग
कि कट कर गिर जाएँ ये
काली पतंगे सुदूर किसी लोक में,

चुरा लेना चाहती हूँ
ख़ामोशी से सभी दु:स्वप्न
तुम्हारी सुकून भरी गाढ़ी नींद से
ताकि करा सकूँ उनका रिजर्वेशन
ब्रहमांड के अंतिम छोर का,
इस निश्चिंतता के साथ
कि वापसी की कोई टिकट न हो,

वर्तमान से भयाक्रांत मैं बचा लेना चाहती हूँ
तुम्हे भविष्य की परेशानियों से,
उलट पलट करते मन्नतों के सारे ताबीज़
मेरी चाहत हैं कि सभी परीकथाओं से विलुप्त हो जाएँ
डरावने राक्षस,
और भेजने की कामना है तुम्हारी सभी चिंताओं को,
बनाकर हरकारा, किसी ऐसे पते का
जो दुनिया में कहीं मौजूद ही नहीं है,

पल पल बढ़ती तुम्हारी लंबाई के
मेरे कंधों को छूने की इस बेला में,
आज बिना किसी हिचक कहना चाहती हूँ
संस्कार और रुढियों के छाते तले
जब भी घुटने लगे तुम्हारी सांस
मैं मुक्त कर दूंगी तुम्हे उन बेड़ियों से
फेंक देना उस छाते को जिसके नीचे
रह न सको सिर्फ तुम या तुम्हारा सुकून
मेरी बेटी ...........

सीधे जनता से जुड़े कार्यकर्ता......


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जयपुर 24 अप्रेल। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान ने कार्यकर्ताओं को सीधे जनता से जुडऩे और जनता की व्यथा को सरकार के ध्यान में लाने का आह्वान किया है।
प्रदेश कांग्रेस की कार्यकारिणी की बैठक बुधवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय, इन्दिरा गांधी भवन, जयपुर पर सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान ने की।
बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. चन्द्रभान ने उपस्थित कांग्रेसजनों को 16 एवं 17 फरवरी एवं 18 मार्च, 2013 को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ हुई बैठक में उनके द्वारा दिए गए निर्देशों से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के संविधान के अनुसार ब्लॉक कांग्रेस कमेटी, जिला कांग्रेस कमेटी एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी की बैठकें प्रतिमाह नियमित रूप से आयोजित की जाएगी। इन बैठकों में विषय सूची, कार्यवाही विवरण एवं सदस्यों की उपस्थिति की पूरी जानकारी रखी जाएगी। इन बैठकों की समस्त कार्यवाही का विवरण प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भेजा जाएगा जिसकी एक रिपोर्ट बनाकर प्रत्येक तीन माह में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी को प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संदेश यात्रा 30 जून तक प्रदेश के सभी 200 विधानसभा क्षेत्रों में जाएगी। बैठक को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि संगठन का ढ़ांचा पूरी मजबूती के साथ खड़ा करने के लिए राहुल गांधी ने ऐसे नवाचारों को शुरू किया है जिनकी बानगी भारत की किसी अन्य राजनीतिक पार्टियों में देखने को नहीं मिलती। उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जनता से जुड़े हुए मुद्दों एवं समस्याओं को उठाकर उनके समाधान हेतु तत्पर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश पदाधिकारियों को कार्यकर्ताओं के साथ खुला संवाद स्थापित कर अपने प्रभार क्षेत्र की वास्तविक स्थिति की जानकारी रखनी चाहिए तथा समय-समय पर इससे प्रदेश कांग्रेस कमेटी को अवगत कराना चाहिए। बैठक को अखिल भारतीय कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य मोहन प्रकाश ने सम्बोधित करते हुए कहा कि कार्यकर्ताओं को भाजपा के कुशासन की याद जनता को दिलवानी चाहिए तथा मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण कार्यक्रम में सहयोग कर कांग्रेस समर्थित मतदाताओं के नाम सूची में शामिल होने से न रह जाए इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। बैठक को पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. बी.डी. कल्ला, प्रदेश कांग्रेस सचिव दिनेश यादव, रेहाना रियाज, विमला धाकड़, गिरिराज गर्ग, डॉ. अजीतसिंह शेखावत, अशोक सेन, राज्यमंत्री अमीन खान एवं संसदीय सचिव ममता भूपेश ने भी सम्बोधित किया। बैठक में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नारायण सिंह, केन्द्रीय मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी, केन्द्रीय राज्यमंत्री लालचन्द कटारिया, सांसद डॉ. महेश जोशी, नरेन्द्र बुढ़ानिया, अश्कअली टाक, मंत्री हेमाराम चौधरी, बृजकिशोर शर्मा, भरत सिंह, मुख्य सचेतक डॉ. रघु शर्मा, विधायक भगराज चौधरी, गंगा देवी वर्मा, सज्जन कटारा, पूर्व मंत्री प्रद्युम्न सिंह, के.सी. विश्नोई, हरेन्द्र मिर्धा, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष रामचन्द्र सराधना, महेन्द्र सिंह, मोहम्मद हनीफ खत्री, उदयलाल आंजना, महासचिव नीरज डांगी, सुशील शर्मा, सुनिता भाटी, जगदीश शर्मा, सुरेश चौधरी, कृष्णमुरारी गंगावत, पंकज मेहता, कोषाध्यक्ष चिरंजीलाल बड़ाया, प्रवक्ता सत्येन्द्र सिंह राघव, सचिव सलीम भाटी, डॉ. खानू खां बुधवाली, विजय जांगिड़, ओम राजोरिया, ललित तूनवाल, पं. मुकेश शर्मा, सोहन नायक, अशोक शर्मा, मदन महाराज, अनिता मीणा, कल्पना भटनागर, मनीष धारणिया, आदित्य शर्मा प्रमुख रूप से उपस्थित थे। मंच संचालन प्रदेश कांग्रेस महासचिव पुखराज पाराशर ने किया तथा प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष राजीव अरोड़ा ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

कौन कहता है सिर्फ वक्त बदलता है !!!

Pankaj Tyagi

वक्त के साथ बदलता रहा सब कुछ
कौन कहता है सिर्फ वक्त बदलता है !!!

हम भी बदले हालात भी बदले सभी
बदलने को यहाँ सर्वस्व बदलता है !!!

बदलने की हिचक न कोई अब रही
उठती नज़र में मंजर बदलता है !!!

कागज़ों पर बदले हैं कई रूप यहाँ
हकीक़त में सिर्फ कागज़ बदलता है !!!

हाँ बदलना है जो वही न बदला बस
कि देश कब हकीकत में बदलता है !!!

बदलते इंसानों की भीड़ फैली बहुत
भीड़ में कब कोई इंसान बदलता है !!!

गीत कविता कहानी ग़ज़ल उपन्यास
समाज की ही दशा का रूप बदलता है

"कुछ अक्श ऐसे थे जो आईनों में आकार ही लेते रहे

"कुछ अक्श ऐसे थे जो आईनों में आकार ही लेते रहे
कुछ आह ऐसी थीं जो आहट सी थीं संगीत में
कुछ शब्द ऐसे थे जो अक्ल की अंगड़ाईयों में कैद थे
जिन्दगी के इस सफ़र में जो मिला ठहरा नही
इस दौर की भी कुछ लकीरें दर्ज हैं अब समय की रेत पर
समंदर की लहरों से टकरा रही होंगी
न अक्शों में,
न आहों में ,
न शब्दों में,
न सफ़र पर,
न रेत की मिटती लकीरों में
तुम कहाँ हो ?
उनवान के नीचे का कोरा पन्ना खोजता है वह इबारत जो दर्ज होनी शेष है
क्या तुम्हारा नाम लिख दूं स्नेह के सारांश सा ?
हमसफ़र किसको कहूं फिर यह बताओ ?
सफ़र लंबा है
... अभी जाना है मुझे दूर तुमसे
...चलता हूँ मैं." -------राजीव चतुर्वेदी

हनुमान जयंती: संकट मोचन नाम तिहारो


Hanuman Jayanti: Sankat Mochan name Tiharo
हनुमान जयंती: संकट मोचन नाम तिहारो
भारतीय-दर्शन में सेवा भाव को सर्वोच्च स्थापना मिली हुई है, जो हमें निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करती है। इस सेवाभाव का उत्कृष्ट उदाहरण हैं केसरी और अंजनी के पुत्र महाबली हनुमान। हनुमान जी ने ही हमें यह सिखाया है कि बिना किसी अपेक्षा के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है। हनुमान जी का चरित्र रामकथा में इतना प्रखर है कि उसने राम के आदर्र्शो को गढ़ने में मुख्य कड़ी का काम किया है। रामकथा में हनुमान के चरित्र में हम जीवन के सूत्र हासिल कर सकते हैं। वीरता, साहस, सेवाभाव, स्वामिभक्ति, विनम्रता, कृतज्ञता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता जैसे हनुमान के गुणों को अपने भीतर उतारकर हम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
हनुमान जी अपार बलशाली और वीर हैं, तो विद्वता में भी उनका सानी नहीं है। फिर भी उनके भीतर रंच मात्र भी अहंकार नहीं। आज के समय में थोड़ी शक्ति या बुद्धि हासिल कर व्यक्ति अहंकार से भर जाता है, किंतु बाल्यकाल में सूर्य को ग्रास बना लेने वाले हनुमान राम के समक्ष मात्र सेवक की भूमिका में रहते हैं। वह जानते हैं कि सेवा ही कल्याणकारी मंत्र है। बल्कि जिसने भी अहंकार किया, उसका मद हनुमान जी ने चूर कर दिया। सीता हरण के बाद न सिर्फ तमाम बाधाओं से लड़ते हुए हनुमान समुद्र पार कर लंका पहुंचे, बल्कि अहंकारी रावण का मद चूर-चूर कर दिया। जिस स्वर्ण-लंका पर रावण को अभिमान था, हनुमान ने उसे ही दहन कर दिया। यह रावण के अहंकार का प्रतीकात्मक दहन था। अपार बलशाली होते हुए भी हनुमान जी के भीतर अहंकार नहीं रहा। जहां उन्होंने राक्षसों पर पराक्रम दिखाया, वहीं वे श्रीराम, सीता और माता अंजनी के प्रति विनम्र भी रहे। उन्होंने अपने सभी पराक्रमों का श्रेय भगवान राम को ही दिया।
वह दृश्य किसकी स्मृति में नहीं होगा, जब हनुमान जी लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी ही नहीं, पूरा पर्वत ले आए थे। उनकी निष्काम सेवा भावना ने ही उन्हें भक्त से भगवान बना दिया। पौराणिक ग्रंथों में एक कथा है कि भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न ने भगवान राम की दिनचर्या बनाई, जिसमें हनुमान जी को कोई काम नहीं सौंपा गया? आग्रह करने पर उनसे राम को जम्हाई आने पर चुटकी बजाने को कहा गया। हनुमान जी भूख, प्यास व निद्रा का परित्याग कर सेवा को तत्पर रहते। रात को माता जानकी की आज्ञा से उन्हें कक्ष से बाहर जाना पड़ा। वे बाहर बैठकर निरंतर चुटकी बजाने लगे। हनुमान जी के जाने से श्रीराम को लगातार जम्हाई आने लगी। जब हनुमान ने भीतर आकर चुटकी बजाई,
राम की वानर सेना का उन्होंने नेतृत्व जिस तरह किया, हम उनसे सीख ले सकते हैं। जब वे शापवश अपनी शक्तियों को भूल गए, तब याद दिलाए जाने पर उन्होंने समुद्रपार जाने में तनिक भी देर नहीं लगाई। वहीं लक्ष्मण को शक्ति लग जाने पर जब वे संजीवनी बूटी लाने पर्वत पर पहुंचे, तो भ्रम होने पर उन्होंने पूरा पर्वत ले जाने का त्वरित फैसला लिया। हनुमान जी के ये गुण अपनाकर ही हनुमान जयंती मनाना सफल होगा।
हनुमान जयंती: संकट मोचन नाम तिहारो
भारतीय-दर्शन में सेवा भाव को सर्वोच्च स्थापना मिली हुई है, जो हमें निष्काम कर्म के लिए प्रेरित करती है। इस सेवाभाव का उत्कृष्ट उदाहरण हैं केसरी और अंजनी के पुत्र महाबली हनुमान। हनुमान जी ने ही हमें यह सिखाया है कि बिना किसी अपेक्षा के सेवा करने से व्यक्ति सिर्फ भक्त ही नहीं, भगवान बन सकता है। हनुमान जी का चरित्र रामकथा में इतना प्रखर है कि उसने राम के आदर्र्शो को गढ़ने में मुख्य कड़ी का काम किया है। रामकथा में हनुमान के चरित्र में हम जीवन के सूत्र हासिल कर सकते हैं। वीरता, साहस, सेवाभाव, स्वामिभक्ति, विनम्रता, कृतज्ञता, नेतृत्व और निर्णय क्षमता जैसे हनुमान के गुणों को अपने भीतर उतारकर हम सफलता के मार्ग पर अग्रसर हो सकते हैं।
हनुमान जी अपार बलशाली और वीर हैं, तो विद्वता में भी उनका सानी नहीं है। फिर भी उनके भीतर रंच मात्र भी अहंकार नहीं। आज के समय में थोड़ी शक्ति या बुद्धि हासिल कर व्यक्ति अहंकार से भर जाता है, किंतु बाल्यकाल में सूर्य को ग्रास बना लेने वाले हनुमान राम के समक्ष मात्र सेवक की भूमिका में रहते हैं। वह जानते हैं कि सेवा ही कल्याणकारी मंत्र है। बल्कि जिसने भी अहंकार किया, उसका मद हनुमान जी ने चूर कर दिया। सीता हरण के बाद न सिर्फ तमाम बाधाओं से लड़ते हुए हनुमान समुद्र पार कर लंका पहुंचे, बल्कि अहंकारी रावण का मद चूर-चूर कर दिया। जिस स्वर्ण-लंका पर रावण को अभिमान था, हनुमान ने उसे ही दहन कर दिया। यह रावण के अहंकार का प्रतीकात्मक दहन था। अपार बलशाली होते हुए भी हनुमान जी के भीतर अहंकार नहीं रहा। जहां उन्होंने राक्षसों पर पराक्रम दिखाया, वहीं वे श्रीराम, सीता और माता अंजनी के प्रति विनम्र भी रहे। उन्होंने अपने सभी पराक्रमों का श्रेय भगवान राम को ही दिया।
वह दृश्य किसकी स्मृति में नहीं होगा, जब हनुमान जी लक्ष्मण के मूर्छित होने पर संजीवनी बूटी ही नहीं, पूरा पर्वत ले आए थे। उनकी निष्काम सेवा भावना ने ही उन्हें भक्त से भगवान बना दिया। पौराणिक ग्रंथों में एक कथा है कि भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न ने भगवान राम की दिनचर्या बनाई, जिसमें हनुमान जी को कोई काम नहीं सौंपा गया? आग्रह करने पर उनसे राम को जम्हाई आने पर चुटकी बजाने को कहा गया। हनुमान जी भूख, प्यास व निद्रा का परित्याग कर सेवा को तत्पर रहते। रात को माता जानकी की आज्ञा से उन्हें कक्ष से बाहर जाना पड़ा। वे बाहर बैठकर निरंतर चुटकी बजाने लगे। हनुमान जी के जाने से श्रीराम को लगातार जम्हाई आने लगी। जब हनुमान ने भीतर आकर चुटकी बजाई,
राम की वानर सेना का उन्होंने नेतृत्व जिस तरह किया, हम उनसे सीख ले सकते हैं। जब वे शापवश अपनी शक्तियों को भूल गए, तब याद दिलाए जाने पर उन्होंने समुद्रपार जाने में तनिक भी देर नहीं लगाई। वहीं लक्ष्मण को शक्ति लग जाने पर जब वे संजीवनी बूटी लाने पर्वत पर पहुंचे, तो भ्रम होने पर उन्होंने पूरा पर्वत ले जाने का त्वरित फैसला लिया। हनुमान जी के ये गुण अपनाकर ही हनुमान जयंती मनाना सफल होगा।
तब जम्हाई बंद हुई।

प्यार में असफल इस प्रेमी ने लिख दी एक नई प्रेम कहानी


प्यार में असफल इस प्रेमी ने लिख दी एक नई प्रेम  कहानी
अमृतसर । प्रेमिका की किसी अन्य के साथ मंगनी होने के बाद युवक ने उसकी गला घोट हत्या कर खुद को फांसी  लगा ली। घटना थाना ए डिवीजन के इलाका न्यू तहसीलपुरा की है। सूचना मिलते ही एडीसीपी सिटी वन शैलेंदर सिंह, एडीसीपी क्राइम हरजीत सिंह बराड़, थाना प्रभारी नीरज कुमार और फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुंच गए। मृतकों की पहचान गीता देवी


निवासी गांव जुगियाल पठानकोट और समीर रामा निवासी हरिद्वार के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक 27 वर्षीय गीता सिटी सेंटर स्थित किसी टेलीकॉम ऑफिस में काम करती थी। समीर बस स्टैंड के पास न्यूडल्स की रेहड़ी लगाता था।दोनों न्यू तहसीलपुरा स्थित सर्बजीत के मकान में किराए पर लिव-इन रिलेशनशिप में रह रहे थे। सर्बजीत के मुताबिक दोनों को उनके यहां रहते हुए दो-तीन महीने हुए होंगे।

एक नेताजी की बेतुकी दलीलः महिला टेढ़ी नजर से देखे तभी मर्द उसे छेड़ेगा!


 भिंड/मोहनखेड़ा. महिलाएं शिकार हो रही हैं और जिम्मेदार लोग बेतुके बयानों से बाज नहीं आ रहे हैं। नया मामला मध्यप्रदेश सरकार में मंत्री रहे कांग्रेसी नेता सत्यदेव कटारे का है। उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि 'जब तक कोई महिला टेढ़ी नजर से हंसेगी नहीं तब तक कोई मर्द उसे छेड़ेगा नहीं।'
हालांकि बयान पर विवाद बढ़ता देख कटारे ने बुधवार को मोहनखेड़ा में माफी भी मांग ली। यहां राहुल गांधी आए हुए
हैं। इससे पहले कटारे ने भिंड में आयोजित कांग्रेस रैली में विवादित बयान दिया था। कटारे अभी मध्यप्रदेश कांग्रेस के महासचिव हैं। वे रैली में भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बात कर रहे थे। उस दौरान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया और अजय सिंह भी मंच पर मौजूद थे।

18 साल जेल में रहा, लौटते ही डाली बच्ची पर नजर तो लोगों ने दे दी दर्दनाक मौत!


 

संगरिया (हनुमानगढ़).समीपवर्ती गांव गुड़िया में सात साल की बच्ची से दुष्कर्म का प्रयास करने के आरोपी की मंगलवार रात अस्पताल में मौत हो गई। पुलिस के अनुसार गांव गुड़िया में सात वर्षीय बच्ची मंगलवार सुबह नौ बजे दुकान से सामान लाने के लिए घर से निकली। इस दौरान आरोपी त्रिलोकसिंह (55) बावरी उसे बहलाकर अपने घर ले गया और दुष्कर्म का प्रयास किया। तभी बच्ची के रोने की आवाज सुनकर आसपास के लोग आ गए जिन्होंने त्रिलोकसिंह की जमकर पिटाई कर दी। इसके बाद आरोपी को पुलिस के हवाले कर दिया। 
 
 
गिरफ्तारी के थोड़ी देर बाद शाम को सांस की तकलीफ होने पर उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।  रात 11:45 बजे उसने दम तोड़ दिया। मृतक त्रिलोकसिंह की बहन की रिपोर्ट पर पुलिस ने गांव के कुछ लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया। बुधवार को पुलिसकर्मियों की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार किया गया।
 
 
18 साल जेल में रहा था 
 
 
त्रिलोक सिंह 18 साल की सजा काटकर कुछ दिन पहले ही जेल से बाहर आया था। अदालत ने 30 सितंबर 1995 को उसे नौ वर्षीय बच्ची का अपहरण और उससे दुष्कर्म का दोषी मानकर आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। पुलिस के अनुसार दुष्कर्मी 23 जून 1991 को गुड़िया से नाइवाला बारात में आया था। उस रोज वह नौ वर्षीय बालिका को खेत में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। मौके पर बरामद जूतों से उसकी पहचान हुई और वह पकड़ा गया।

राजनीतिक खुफियागीरी तक सिमटा इंटेलीजेंस पुलिस का काम : डीजीपी


 

जयपुर.राज्य सरकार और पुलिस मुख्यालय के बीच चल रही असहजता बुधवार को इंटेलीजेंस प्रशिक्षण अकादमी के शिलान्यास समारोह के दौरान सामने आ गई। प्रदेश के डीजीपी हरिश्चंद्र मीना ने कहा कि प्रदेश में फिलहाल इंटेलीजेंस पुलिस का काम सिर्फ राजनीतिक खुफियागीरी तक सिमट कर रह गया है तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने भाषण में जवाब दिया कि पुलिस वाले राजनेताओं की सिफारिशें लेकर घूमना बंद करें। दोनों के भाषणों की कुछ लाइनें पुलिस के जवानों और अधिकारियों में दिन भर चर्चा का विषय रहीं।
 
डीजीपी का सवाल..
 
अमेरिका के बोस्टन में हमला हुआ तो इंटेलीजेंस ने तीन दिन में ही आतंकवादियों को धर दबोचा। हमारी खुफिया पुलिस में भी  ऐसी दक्षता आ सकती है, बशर्ते उसे भी वैसी ही सुविधाएं मिलें।
 
..और मतलब ये है
 
आतंकवादी घटनाओं में इंटेलीजेंस विंग के फेल होने की की असली वजह है, राजनीतिक इस्तेमाल। इसलिए बार-बार पुलिस पर उंगली उठाने की बजाय सत्ता में बैठे जिम्मेदार लोग राजनीतिक का बेजा इस्तेमाल करना बंद करें।
 
सीएम का जवाब..
 
इंटेलीजेंस का अलग कैडर बन रहा है। उसके बाद पुलिसकर्मी पॉलिटिकल सिफारिशें लेकर घूमना तो बंद कर देंगे। अधिकांश डीजीपी ने छाप छोड़ी है। यह परंपरा आगे बढ़े। जो मांगा, हमने दिया है, अब करके आपको दिखाना है। 
..और मतलब ये है
 
पुलिस प्रदेश में अपनी काबिलियत से दिखाए। पुराने पुलिस महानिदेशकों की तारीफ का मतलब मौजूदा डीजीपी को उनसे बेहतर काम की बड़ी लाइन खींचने की नसीहत दी गई है। यह भी कहा कि जो मांगा वह दिया जा रहा है, तो रिजल्ट दिखाइए।
 
उधर सीएम बोले-पुलिसवाले राजनीतिक सिफारिशें लेकर न घूमें
 
होता ये है..
 
>चुनावी साल में इंटेलीजेंस सत्तारूढ़ पार्टी के हथियार की तरह इस्तेमाल होती है।
 
>हर पार्टी ऑफिस और प्रमुख नेताओं के इर्द-गिर्द पुलिस तैनात रहती है। ये छोटी-बड़ी गतिविधियों और मेल मुलाकातों की रिपोर्ट खुफिया विंग के मुखिया के जरिए सरकार के मुखिया तक पहुंचती हैं। यही काम केंद्रीय एजेंसी भी करती है।
 
>सरकार बागी नेताओं और प्रमुख विपक्षी नेताओं की इंटेलिजेंस कराती है।
 
भाजपा शासन में ऐसा हो चुका है
 
पहले भाजपा नेता घनश्याम तिवाड़ी के घर पर इंटेलीजेंस के जवानों की ओर से जासूसी करने के मामले ने खूब तूल पकड़ा था। अभी पिछले दिनों भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में भी जासूसी का मुद्दा उठा था। तब इंटेलीजेंस प्रभारी को एपीओ भी किया गया।
 
ऐसा करना गलत है : मीणा
 
पूर्व डीजी रामजीवन मीणा ने कहा कि इंटेलीजेंस में एक विंग स्थानीय राजनीतिक गतिविधियों पर नजर रखने के लिए होती है। यह विंग पॉलिटिकल सर्वे, पार्टी हित के फीडबैक आदि जुटाती है। ऐसा करना ठीक नहीं है। शेखावत सरकार के जमाने तक इस महकमे में अच्छे और महत्वपूर्ण लोगों को लगाया जाता था, लेकिन बाद में दुरुपयोग बढ़ गया। 
 
 
सीएम ने की ये घोषणाएं
 
: स्टेट इंटेलीजेंस के जवानों का विशेष भत्ता 15 फीसदी बढ़ेगा। राज्य विशेष शाखा को 9 नए वाहन। प्रशासनिक भवन और हॉस्टल के लिए 10.63 करोड़ रु. और 67 नए पद । 30 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती। इसमें 9 हजार भर्ती, 10 हजार की प्रक्रिया जारी। अगले महीने 12 हजार पुलिस कांस्टेबलों की भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। : दो माह में सभी 10 हजार ग्राम पंचायतों में ग्राम रक्षकों की नियुक्ति होगी।

चप्पल से ही सुधरेंगे यूपी के अधिकारीः सपा विधायक बोली



नई दिल्‍ली। दिल्ली में पांच साल की गुड़िया से बलात्‍कार के बाद भी देश भर में नेताओं की बयानबाजी पर लगाम नहीं लग रही है। मध्‍य प्रदेश  कांग्रेस के नेता और पूर्व मंत्री सत्‍यदेव कटारे का मानना है, "जब तक महिला तिरछी नजर से नहीं देखेगी, तब तक पुरुष उसे नहीं छेड़ेंगे।" वहीं सांडी से विधायक राजेश्‍वरी देवी ने बुधवार को कहा कि अधिकारियों को सुधारने के लिए हाथ में चप्‍पल उठाने की जरूरत है। 

नेताओं के आपत्तिजनक बयान का सिलसिला मध्‍य प्रदेश तक ही सीमित नहीं है। हरियाणा की सामाजिक न्याय मंत्री गीता भुक्कल ने अंतरजातीय व प्रेम विवाह पर अब भी पुरानी सोच दर्शाने वाला बयान दिया है। उधर, यूपी में अखिलेश सरकार के कपड़ा मंत्री शिव कुमार बेरिया से सरेआम पुलिस वालों को धमकी दी है और कहा है कि उनकी मर्जी के बिना कोई पुलिस अफसर बैठ तक नहीं सकता। 

20 हजार करोड़ का फर्जीवाड़ा: 36 कारों सहित सुदीप्तो सेन के 35 एकाउंट और 3 ऑफिस जब्त



मुंबई: शारदा चिट फंड मामले में सरकार ने कंपनी के 34 बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है। साथ ही पश्चिम बंगाल सरकार ने शारदा ग्रुप के मालिक सुदीप्तो सेन की सभी 36 कारें और 4 ऑफिस बिल्डिंग भी जब्त कर लिया गया है। मामले की सही जांच को लेकर सरकार ने एक न्यायिक आयोग का गठन भी किया है। वहीं, सुदीप्तो सेन ने भी मामले को लेकर एक नया खुलासा किया है। 
 
सेन ने आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी के नेताओं ने उन्हे ब्लैकमेल किया था। इसके चलते कंपनी ने पार्टी के 22 नेताओं को हर महीने 80 लाख रुपये दिए। इतना ही नहीं, सेन ने इस मामले में टीएमसी सांसद सुजॉय घोष और कुणाल घोष का नाम भी लिया है। हालांकि, राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस बात को खारिज कर दिया।उधर, बाजार नियामक सेबी ने कोलकाता स्थित शारदा रीयल्टी इंडिया को तीन महीने में अपनी सभी योजनाएं बंद करने तथा निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया।
 
समूह के खिलाफ कथित धोखाधड़ी को लेकर जारी विरोध प्रदर्शन के बीच यह आदेश आया है। सेबी ने देर रात जारी 12 पृष्ठ के अपने आदेश में शारदा रीयल्टी इंडिया तथा उसके प्रबंध निदेशक सुदीप्तो सेन पर तब तक प्रतिभूति बाजार में लेन-देन करने से रोक लगा दी है जबतक कंपनी की सभी सामूहिक निवेशक योजनाएं बंद नहीं हो जाती और निवेशकों का पैसा लौटा नहीं दिया जाता।
 
शारदा समूह द्वारा पश्चिम बंगाल में विभिन्न निवेश योजनाओं से जुड़े निवेशक तथा एजेंट पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इस बीच, सेन को जम्मू कश्मीर में गिरफ्तार कर लिया गया।
 

मनोज पर सात वर्षीय साली की मौत का भी शक, आज पंचायत करेगी उसका फैसला


नई दिल्ली. गांधीनगर की गुडिय़ा से गैंगरेप के आरोपी मनोज से बिहार पुलिस एक और गुडिय़ा के मामले में पूछताछ कर सकती है। मनोज की सात साल की साली की एक वर्ष पहले संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। चिकनौटा रूपवाड़ा प्रखंड के मुखिया व बिहार मुखिया संघ के महासचिव उमेश महतो ने फोन पर बताया कि साली की हत्या के समय मनोज ससुराल में ही था।
तब बदनामी को देखते हुए परिजनों ने इंसाफ के लिए इस मामले की अधिक पैरवी नहीं की थी। लेकिन मनोज के कारनामे उजागर होने के बाद पंचायत ने इस मामले की जांच कराने का निर्णय लिया है। पीडि़त परिवार एवं पंचायत मामले की जांच के लिए कर्जा पुलिस को शिकायत देगी।
मुखिया ने बताया कि इस बारे में गुरुवार को चिकनौटा गांव में एक पंचायत का आयोजन किया गया है। इसमें मनोज के ससुर महेंद्र, उसके चचेरे भाई से लेकर परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहेंगे। इस बारे में कर्जा पुलिस के एसएचओ आरके शर्मा ने कहा है कि यह मामला बंद हो चुका है, लेकिन इस मामले में अगर कोई शिकायत उनके पास फिर से आती है तो वह इस मामले में मनोज से पूछताछ करेंगे।
इस बीच, बुधवार को महावीर जयंती के उपलक्ष्य में अवकाश होने के कारण तिहाड़ जेल प्रशासन कड़कडड़ूमा में एएसजे संजय गर्ग की अदालत में पेश नहीं कर सका। अब गुरुवार को उसे पेश किया जाएगा।

गुडिय़ा के पिता ने घूस देने वाले पुलिसकर्मी को पहचाना
गुडिय़ा के पिता ने फोटो देखकर मामला दबाने के लिए २००० रुपए रिश्वत देने वाले पुलिसकर्मी की पहचान कर ली है। रिश्वत देने वाले पुलिसकर्मी का नाम धरमपाल है। धरमपाल ने मामले की जांच कर रहे सतर्कता विभाग के अधिकारियों को कथित तौर पर बताया कि सीनियर इंस्पेक्टर के कहने पर मामला दबाने के लिए दो हजार रुपए दिए थे।
मामले में एक और पुलिसकर्मी की पहचान बाकी है। सतर्कता विभाग के अधिकारी पहचान कराने के लिए एम्स में गांधी नगर थाने के सभी पुलिसकर्मियों की फोटो लेकर गए। इसमें से एक के फोटो की पहचान हो गई। इस बारे में सतर्कता शाखा के अधिकारियों ने जांच प्रक्रिया प्रभावित होने की बात कहकर बोलने से इंकार किया हैं।

10 में से हर चौथे रेप के दोषी हैं रिश्तेदार: बताएं कौन जिम्मेदार.. आप, हम या सरकार?


10 में से हर चौथे रेप के दोषी हैं रिश्तेदार: बताएं कौन जिम्मेदार.. आप, हम या सरकार?
नई दिल्‍ली। 105 दिन में 178 रेप और हर चौथे रेप का दोषी कोई रिश्तेदार, ये कहानी है देश की राजधानी दिल्ली की। लेकिन दिल्ली से महज 600 किलोमीटर दूर जम्मू में हुई दुष्कर्म की घटना एक गंभीर सवाल खड़ा करती है जो अब तक पर्दे के पीछे है। सवाल को समझने से पहले उन घटनाओं पर नजर डालना जरूरी है जो हमारे सामजिक संरचना पर प्रश्न चिन्ह खड़ा करती हैं ...
 
पहली घटना, मामला मंगलवार का है जम्मू पुलिस के पास दो बहनें पहुंची. उनमें से एक ने अपने खिलाफ बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराई. बलात्कार की इस घटना में जो असामान्य बात है, वो ये कि लड़की ने अपने जेठ, चाचा और पति पर पिछले छह साल से लगातार दुष्कर्म किये जाने का आरोप लगाया है. छह साल तक यह मामला खुल नहीं सक क्योंकि इन तीनों आरोपियों ने लड़की की शादी मानसिक रूप से विक्षिप्त एक व्यक्ति से करा दी थी और उसे घर से निकलने नहीं दिया जाता था. अपनी बहन की मदद से वह किसी तरह वहां से भागने में सफल हो सकी और सीधे पुलिस के पास पहुंची (मामले की पूरी जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक करें -
 
दूसरी घटना दिल्ली से जुडी है जहां पिछले साल 16 दिसंबर की रात वसंत विहार इलाके में चलती बस में एक लड़की (दामिनी) के साथ सामूहिक बलात्कार हुआ. इसके बाद पुलिस और सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूटा. मामला इतना गंभीर हो गया कि सरकार को रेप के मौजूदा कानून तक में बदलाव करने को मजबूर होना पड़ा.  
 
तीसरी घटना भी देश की राजधानी की ही है जहां 18 अप्रैल को एक बार फिर रेप की दर्दनाक घटना सामने आई. चार साल की एक मासूम के साथ बेहद अमानवीय तरीके से दुष्कर्म किया गया. इस घटना के बाद दिल्ली एक बार फिर उबल पड़ी. इस बार फिर से सबकी शिकायत सरकार और पुलिस के खिलाफ थी. 
 
इन तीन घटनाओं में से दिल्ली में होने वाली दोनों वारदात के बाद जमकर हंगामा हुआ जबकि इससे कहीं ज्यादा गंभीर है पहली घटना जो एक बड़ा सवाल खड़ा करती है. सवाल जानने से पहले एक नजर इन आंकड़ों पर डालें ...
 
दिल्ली में महज 95 दिन में 178 रेप हुए और हर चौथे रेप का दोषी कोई रिश्तेदार निकला, ये कहानी है देश की राजधानी की. इन आंकड़ों को पेश करने का मकसद उस सच्चाई को सामने लाना है जिसमें दुष्कर्म के लिए अपने ही सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं. इस सच्चाई को और पुख्ता करने का काम दिल्ली में 1 जनवरी से 15 अप्रैल के बीच हुई दुष्कर्म की घटनाएं खुद करती हैं.(बीवी के साथ भी रेप कर चुका है मनोज, भागा ससुराल)
 
इस दौरान हर दो दिन में तकरीबन तीन महिलाएं रेप का शिकार हुईं. पूरे आंकड़ों पर नजर डालें तो राजधानी में पिछले साढ़े तीन महीने के दौरान हुए 178 रेप के वारदातों में रिश्तेदार और परिचित ही शामिल रहे हैं. देखें आंकड़ें .
 
सहकर्मी-15,  
 
परिवार/संबंधी-12 
 
पिता-10, 
 
पूर्व पति या पति- 9 
 
पत्‍नी का भाई-9 
 
मकान मालिक-8 
 
शिक्षक/प्रिंसिपल-3 
 
किराएदार-3 
 
सौतेला पिता-2 
 
ससुर-2 
 
डाक्‍टर-2
 
अब तक की खबर पढने के बाद आप इस सच्चाई से काफी हद तक तो रूबरू हो गए होंगे कि दुष्कर्म की ऐसी घटनाओं का असल जिम्मेदार कौन है...आप, हम या सरकार? 
 
इसके बाद जिन सवालों का जवाब तलाशने की हमें जरूरत है, वो है कि घर, कार्यस्थल या पास-पड़ोस में किसी सम्बन्धी या परिचित द्वारा किए जाने वाले हर रेप के लिए सिर्फ सरकार और पुलिस ही दोषी है? क्या खुद की मानवता को जगाए बिना केबल व्यवस्था के खिलाफ कैंडल मार्च और विरोध प्रदर्शन मात्र से इस बुराई पर रोक संभव है? क्या ऐसे अपराधों को रोकने के लिए परिवार, संबंधी या पड़ोसी के तौर पर हमारी कोई जिम्मेदार नहीं है

यही है वो स्थान जहां मिले थे दो महाबली और हनुमानजी की पूंछ तक न हिला सके भीम!



कहते हैं कि आज के घोर कलयुग में इवल एक देवता ऐसे हैं जो साक्षात रूप में उपस्थित हैं और वे देव हैं रामभक्त हनुमान।संकटमोचन के रूप में पूजे जाने वाले इन देव के वैसे तो पूरे भारतवर्ष में कई धाम होंगे लेकिन राजस्थान के सरिस्का अभ्यारण के सुरम्य वातावरण में पवनपुत्र एक ऐसे रूप में विराजमान हैं जो शायद ही पूरी दुनिया में कहीं और होगा।
 
यहां हनुमान जी की जो प्रतिमा विराजमान है वह देश ही नहीं विदेशों में भी अपने अनोखेपन के कारण प्रसिद्ध हुई है अर्थात विदेशियों का जमावड़ा भी हनुमानजी के इस मंदिर बखूबी देखा जा सकता है।

कुरान का सन्देश

 

" कैसे गीत लिखूं ..फूलों के ;

" कैसे गीत लिखूं ..फूलों के ;
जब अधखिली कलियाँ मसली जाती !!
कैसे वर्णन करू....मधुबन का ;
जब नन्हीं परियां ...कुचली जाती !!
कन्या पुजती ..देवी समझ ...!
माता का रूप होती सहज ...!!
कोई ...' नर '...' पिशाच ' बन जाता क्यों ?
बच्ची पर ज़ुल्म है .ढआता क्यों ?
क्यों इन मासूम फरिश्तों पर ...
राक्षसो को दया नहीं आती ??
क्यों नन्ही कलियाँ ........!!
जब भी सुनती ...शब्द ..' बलात्कार '
मै डर से सहम सी जाती हूँ ;
अपनी छोटी सी बिटिया को ;
आँचल में छुपा ले जाती हूँ !!
हर पल दहशत की परछाई ;
पीछे पीछे ...मेरे आती ।
क्यों नन्ही कलियाँ ......।।।।।???? "
( बीना उनियाल )

अपराधी का मोबाइल टावर मोके वारदात का नहीं है इसलियें कोटा की मासूम बेबस गुडिया के अत्याचारी को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है

राजस्थान के कोटा जिले के  दादाबाड़ी थाना इलाके की पुलिस एक पुलिस जवान की चार साल की गुडिया के साथ दुसरे पुलिस कर्मी के बेटे द्वारा जबरदस्ती करने के मामले में इंसाफ नहीं कर पा रही है और केवल मोबाइल टावर किसी और स्थान पर होने के कारण अभियुक्त को खुला छोड़ रखा है ...दोस्तों दिल्ली की दामिनी हो चाहे दिल्ली की गुडिया हो उन्हें तो समाजसेवक और सियासी पार्टी से जुड़े लोगों ने मिडिया की मदद से इंसाफ दिलाने में कामयाबी हांसिल कर ली है लेकिन अत्याचार ज़बरदस्ती की मासूम शिकार कोटा की इस गुडिया को कहीं इन्साफ नहीं मिल रहा है मामला कोटा के दादा बड़ी थाने में दर्ज है पुलिस ताफ्तिशें बदल रही है ....आरोपी लडके का मोबाइल टावर और गुडिया में माता पिता के बयानों में वक्त के मामूली से विरोधाभास का सहारा लेकर पुलिस ने अत्याचार के इस मामले को कचरे की टोकरी में डाल दिया है ............अब मोबाइल अगर कोई दूसरी जगह भूल जाए और अपराध करते वक़्त अपने साथ नहीं ले जाए तो क्या ऐसे व्यक्ति को सिर्फ इसलियें के अपराधी के साथ मोबाईल नहीं था और उसका मोबाइल टावर घटना स्थल पर नहीं है आरोपी को छोड़ दिया जाएगा जबकि मासूम गुडिया चीख चीख कर आरोपी को पहचान रही है और इन्साफ की गुहार लगा रही है कोटा की गुडिया सहमी सहमी डरी डरी सी कोटा पुलिस की इस तरह के बेवकूफी भरी तफ्तीश अपर ज्यादा शोर भी इसलियें नहीं मचा पा रही है के अत्याचारी भी पुलिस और अत्याचारी की मददगार भी पुलिस है जो उसके पिता को धमका रहे है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

फेसबुक के जरिए 8 लाख में बिका तीन दिन का बच्‍चा



लुधि‍याना. यहां तीन दिन के एक मासूम को तीन बार बेच दिया गया। पहले 45 हजार रुपए, फिर साढ़े तीन लाख रुपए और फिर दिल्ली के कारोबारी से आठ लाख रुपए में सौदा किया गया। गनीमत रही कि पुलिस ने 10 दिन बाद बच्चे को सही सलामत उसकी मां को सौंप दिया। सबसे पहले सौदा बच्चे के नाना ने ही किया था। उसे पुलिस ने सहारनपुर से हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मामला पता चला। 
 
दस दिन से तड़प रही मां को देख आसपास के लोगों ने भी पुलिस की काफी मदद की। पुलिस ने नर्स को गिरफ्तार किया है। नर्स के साथी और एक अन्य बिचौलिए की तलाश की जा रही है। एडीसीपी एनके शर्मा ने बताया कि कारोबारी से बच्चे का सौदा फेसबुक के जरिए किया गया था। 
 
पीडि़ता नूरा की शादी 2012 में मेरठ के शहजाद से हुई थी। तलाक के बाद इस साल फरवरी में जब वह मायके आई थी तब वह सात महीने की गर्भवती थी। आठ अप्रैल को उसने अस्पताल में बेटे को जन्म दिया। इसके बाद शराबी नाना को नर्स और उसके साथी ने बहलाकर बच्चे का 45 हजार रुपए में सौदा कर लिया। नर्स और उसके साथी ने बच्चे को साढ़े तीन लाख रुपए में एक बिचौलिए को और उसने फेसबुक फ्रेंड के जरिए दिल्ली के एक कारोबारी को बेच दिया।

जानें खुदाई में जब निकली 15 प्रतिमाएं तो क्यो धरने पर बैठ गईं महिलाएं



जहाजपुर  (भीलवाड़ा)। महावीर जयंती पर शीतला माताजी चौक में अल्पसंख्यक समुदाय के एक व्यक्ति के मकान की नींव की खुदाई के दौरान 15 प्रतिमाएं निकली। पुरा महत्व की इन प्रतिमाओं की खुदाई पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों की देखरेख में की जा रही है।
 
मूर्तियों को सौंपे जाने को लेकर कई बार जैन समाज के लोगों व अधिकारियों के बीच बहस हुई। रात में जैन समाज की महिलाएं प्रतिमाएं लेने के लिए धरने पर बैठ गई। प्रशासन ने सभी 15 प्रतिमाओं को कब्जे ले लिया है। पुलिस व प्रशानिक अधिकारियों की देखरेख में जेसीबी मशीन से खुदाई का काम शुरू किया गया।
 
एक मूर्ति जैन समाज के लोग ले जा चुके थे। रात में अजमेर से पुरातत्व विभाग की टीम व भीलवाड़ा से एडीएम टीसी बोहरा भी मौके पर पहुंचे।
 
शीतला माताजी मंदिर के सामने अब्दुल रसीद के मकान की नींव की खुदाई का काम चल रहा था। मंगलवार दोपहर में नींव खुदाई में पहले भगवान महावीर की एक प्रतिमा निकली। इसी बीच जैन समाज के सैकड़ों की संख्या में महिला व पुरुष एकत्र हो गए और इन प्रतिमाओं को अपनी बताते हुए मांगने लगे।
 
खुदाई का काम जारी रहने पर लगातार एक के बाद एक मूर्तियां निकलती रही। इन मूर्तियों में तीन भगवान महावीर स्वामी की बताई जा रही हैं। गौरतलब है कि कस्बे में कई स्थानों पर खुदाई के दौरान कई प्रतिमाएं निकल चुकी हैं। संभावना जताई जा रही है कि कस्बा पुरातन काल में जैन समाज का कोई बड़ा ऐतिहासिक तीर्थ स्थल रहा हो।
 
एक काले रंग की चौदह सफेद रंग की प्रतिमाएं
खुदाई में निकली एक काले रंग की बड़ी प्रतिमा भगवान महावीर की है, जबकि अन्य प्रतिमाएं भगवान महावीर व पदमावती की बताई जा रही हैं, वह सफेद रंग की है। महावीर जयंती पर जहाजपुर में सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल भी दिखाई दी। अल्पसंख्यक समुदाय के घर में निकली प्रतिमाओं की खुदाई के दौरान दोनों समुदाय के लोगों ने एक दूसरे की मदद की।

विकलांग कोच में चढ़े पुलिसवालों की यातना सहन नहीं कर सका तो चलती ट्रेन से कूद गया


विकलांग कोच में चढ़े पुलिसवालों की यातना सहन नहीं कर सका तो चलती ट्रेन से कूद गया
कोटा। ग्वालियर में पनिहार गांव के पास रविवार रात मिले युवक के शव के मामले में सामने आया है कि उसे ट्रेन में मध्यप्रदेश पुलिस के जवानों ने प्रताड़ित किया था। उसे बाथरूम में बंद करने की धमकी दे दी थी। पुलिसकर्मी ट्रेन के विकलांग कोच में चढ़े गए थे।
 
 
विकलांग अख्तर को ट्रेन में बैठने को सीट भी नहीं मिली थी। उसके बाद पुलिसकर्मियों की प्रताड़ना को सहन नहीं कर पाया और खुद ही ट्रेन से कूद गया। यह बात कोच में सवार एक प्रत्यक्षदर्शी ने पुलिस को दिए गए बयान में कही है। पुलिस अब कोच में सवार अन्य यात्रियों की भी खोज कर रही है। 
 
अख्तर का शव मंगलवार शाम को कोटा लाया गया। यहां उसका अंतिम संस्कार किया। छावनी निवासी अख्तर ग्वालियर बाबा की दरगाह पर जियारत करने गया था। रविवार को लौटते समय भिंड इंटरसिटी एक्सप्रेस में आते समय उसकी ट्रेन से गिरने से मौत हो गई थी।
 
पुलिस मामले की जांच में जुटी हुई थी। पुलिस ने कोच में सवार शिवपुरी निवासी शिवनारायण के बयान लिए। इसमें उसने अख्तर को पुलिसकर्मियों द्वारा परेशान करने की बात कही है। उसने बताया कि इसके ही अख्तर गेट तक पहुंचा और धीरे-धीरे सीढ़ियों से उतरकर नीचे कूद गया। इससे उसकी मौत हो गई।
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