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28 अप्रैल 2013

मेरी बेइज्जती के पीछे सलमान खुर्शीद की साजिश: आजम खान



नई दिल्ली/न्यूयॉर्क. अमेरिकी एयरपोर्ट पर चेकिंग) से खफा उत्तर प्रदेश के कद्दावर मंत्री मोहम्मद आजम खान () ने विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद को निशाने पर लिया है। आजम खान ने आरोप लगाया है कि विदेश में मेरा अपमान करने के लिए खुर्शीद ने साजिश रची। आजम खान ने तो यहां तक दावा किया है कि भारत लौटने पर वे  और अखिलेश यादव मुलायम सिंह से मुलाकातर कर सारी बात बताएंगे और उसके बाद केंद्र सरकार को समर्थन जारी रखने पर फिर से विचार किया जाएगा। )आजम के मुताबिक, 'हमारे नेता को पता है कि असल में क्या हुआ था और उसके पीछे कौन है।' 
 
आजम खान ने अमेरिकी एयरपोर्ट पर खुद के साथ हुई बदसुलूकी की तुलना कलाम, शाहरुख खान या हरदीप सिंह पुरी से किए जाने पर ऐतराज जताते हुए कहा, 'यह साजिश थी क्योंकि मैं भारत का ताकतवर गैर कांग्रेसी मुस्लिम नेता हूं और उन्होंने (खुर्शीद) ने चालाकी से अमेरिका के साथ मिलकर यह साजिश रची थी। बोस्टन लोगन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर मुझे हिरासत में लिए जाने की घटना की तुलना अन्य लोगों के साथ नहीं की जा सकती है क्योंकि मुझे खुर्शीद और उनके लोगों ने निशाना बनाने की कोशिश की। इन लोगों में दम नहीं है कि वे भारत की सरजमीं पर मेरा विरोध कर सकें। जब मैं हिरासत में था तब भारतीय कांसुलेट का प्रोटोकॉल अफसर हमें लेने के लिए वहां आया था। वह अफसर बिल्कुल अनजान शख्स की सब कुछ चुपचाप देखता रहा। मुझे लगता है कि उसे अपने सीनियरों से ऐसा करने का निर्देश दिया गया होगा। 45 मिनट तक हिरासत के दौरान प्रोटोकॉल अफसर न्यू यॉर्क कॉन्सुल जनरल से संपर्क साध सकता था और कॉन्सुल जनरल भारतीय राजदूत निरुपमा राव से संपर्क कर सकते थे। लेकिन किसी ने मुझे परेशानी से बाहर निकालने के लिए एक शब्द नहीं बोला। जब खुर्शीद विदेश मंत्री की कुर्सी संभाले हुए हैं तो आप भारत सरकार से मुझे बचाने की उम्मीद कैसे कर सकते हैं? अगर आप खुर्शीद को नहीं जानते हैं तो मुझे माफ करिएगा। खुर्शीद ने मेरे सूबे में मेरा अपमान करने की कोशिश की और वे बुरी तरह फेल हुए। खुर्शीद भारत के विदेश मंत्री बनने के लायक ही नहीं हैं। पिछले साल खुर्शीद की पत्नी की जमानत जब्त हो गई थी। इसलिए वे मुझसे खार खाते हैं। वे भाग्य से मंत्री बन गए क्योंकि वे संसद में बैठते हैं। वे कूटनीति के बारे में क्या जानते हैं?

स्टंट करते समय इंडिया के वर्ल्‍ड रिकॉर्ड होल्डर की दर्दनाक मौत!

दार्जिलिंग. वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर स्टंटमैन शैलेंद्र नाथ रॉय की रविवार को स्टंट करते समय ही मौत हो गई। वह पश्चिमी बंगाल के सिलिगुड़ी में तीस्ता नदी के ऊपर रोप वे में अपने बालों के सहारे सटक कर इसे पार कर रहे थे। इसी समय हवा में लटके हुए उन्हें दिल का दौरा पड़ा और उनकी जान चली गई।
स्टंटमैन शैलेंद्र होमगार्ड के सिपाही थे और उनकी उम्र 48 साल थी। रविवार के इस स्टंट को देखने के लिए काफी लोगों की भीड़ लगी हुई थी। करीब 2000 फुट की ऊंचाई पर स्टंट करते समय जैसे ही उन्होंने नदी को आधे से ज्यादा पार किया तो उन्हें दिल का दौरा पड़ गया। उन्हें अस्पताल लाने पर पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है। इससे पहले भी वह ट्रक, टॉय ट्रेन के इंजन आदि को खींचने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बना चुके थे।
जानकारी के मुताबिक शैलेंद्र रविवार को भी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने की राह पर थे। रोपवे पर अपने सिर के बालों के सहारे आगे बढ़ रहे थे कि उनके सिर से व्हील अचानक छूट गया। वे हाथों के सहारे रोप वे पर आगे बढ़ने की कोशिश करने लगे तो इसी समय उन्हें दिल का दौरा पढ़ गया। इसके बाद उकी हवा में लटके-लटके ही मौत हो गई। सिलिगुड़ी के पुलिस कमिश्नर के जयरमन ने इस घटना पर दुख जताया। उनका कहना है कि शैलेंद्र छुट्टी पर थे और अपनी पसंद से यह काम कर रहे थे।
पुलिस ने उन्हें यह खतरनाक स्टंट करने से रोका था। लेकिन उन्होंने पुलिस को लिखकर दिया था कि वह अपने रिस्क पर यह स्टंट कर रहे थे। उनके इस खतरनाक खेल के बारे में स्थानीय अखबारों में पहले खबरे भी छपी थीं। लेकिन स्थानीय प्रशासन या पुलिस ने सुरक्षा के लिए कोई इंतजाम नहीं किया हुआ था।

दिल्ली वालों से हवा की भी कीमत वसूलती है शीला सरकार



नई दिल्ली। राजधानीवासियों से दिल्ली जल बोर्ड के नए मीटर पानी के साथ हवा की भी कीमत वसूल रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) ने राजधानी में बिजली-पानी की बढ़ी दरों को लेकर जंतर मंतर पर प्रदर्शन के दौरान यह खुलासा किया। आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बोर्ड ने तीन लाख नए मीटर लगाए हैं।
 
लेकिन जब से यह नए मीटर लगे हैं तभी से घरों में पानी के बिल काफी  ज्यादा आ रहे हैं। दरअसल ये मीटर पानी की सप्लाई से पहले आने वाली हवा के तेज दबाव के दौरान भी चलते हैं। यह दिखाने के लिए मंच पर अरविंद ने एक मीटर में फूंक मारकर दिखाया कि कैसे यह तीस सेकेंड की फूंक से एक लीटर पानी की आपूर्ति का बिल दिखा रहा है।
 
 
उन्होंने कहा कि सिर्फ इस फूंक से करीब एक हजार का बिल आना निश्चित है। दिल्ली की जनता हवा के बिल का भुगतान कर रही है। उन्होंने कहा पानी के साथ बिजली के मीटरों का भी जल्द ही खुलासा किया जाएगा। 
 
 
71 घोषणापत्र जारी करेगा आप
अरविंद ने कहा कि इस चुनाव में आप दिल्ली के कुल 70 विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग घोषणा पत्र जारी करेगा क्योंकि सभी क्षेत्रों की अलग-अलग समस्याएं है। घर-घर जाकर उनकी समस्याओं पर विचार करने के बाद ही घोषणापत्र तैयार किया जाएगा। इसके अलावा पूरी दिल्ली के लिए एक समग्र घोषणा पत्र भी तैयार किया जाना है। इससे सभी क्षेत्रों की समस्याओं पर काम किया जा सकेगा। 
 
दिल्लीवालों का पानी चुरा रहे है भाजपा-कांग्रेस के टैंकर माफिया
अरविंद ने आरोप लगाया कि राजधानी में पानी की कमी की बड़ी वजह बीजेपी और कांग्रेस के टैंकर माफिया हैं। उन्होंने सवाल किया कि यदि दिल्ली में पानी नहीं है तो ये टैंकर कहां से इतनी संख्या में पानी लेकर आते हैं? इसके जिम्मेदार ये दोनों पार्टियां हैं। उन्होंने कहा कि जनता के साथ धोखाधड़ी के खिलाफ इन नेताओं को तिहाड़ में डालने की जरूरत है। 
 
9 मई को अपने-अपने क्षेत्रों के विधायकों का करेंगे घेराव-
केजरीवाल ने लोगों को आह्वान किया कि वे अपने-अपने क्षेत्रों के विधायकों के घरों का घेराव करें और उनसे सवाल करें कि उन्होंने पिछले तीन साल से बिजली-पानी के बढ़े बिलों के खिलाफ क्या किया। इस विषय को विधानसभा में क्यों नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि जबतक बिलों को लेकर हमारी तमाम मांगों को पूरा नहीं किया जाता। हमारी लड़ाई जारी रहेगी।

कुरान का सन्देश

    

दर्ज़ा, वो मकाम ‘हुनर-ओ-फन’ चाहिए

दर्ज़ा, वो मकाम ‘हुनर-ओ-फन’ चाहिए
हमदर्दी नहीं ... तुम्हारी जलन चाहिए

दोस्तों से .... जी भर गया .. अब बस
हमें कायदे का .... एक दुश्मन चाहिए

साथ इज्ज़त के ... जिंदा रहने के लिए
हौसला जिगर में, सर पे कफन चाहिए

सूझ रहा है कोई खेल .... नया शायद
दिल हमारा उन्हें ... दफ’अतन चाहिए

जो कहते है खुद को आइना समाज का
दिखाने को उन्हें .... एक दरपन चाहिए

बोझ दिल का हल्का करने को ‘अमित’
शायरी में ..…… और .. वज़न चाहिए

उसके पैरों की पायल

उसके पैरों की पायल
खनकती आवाज
दूर से ही सुनाई पड़ जाती
उसके घुंघरू
जब भी बोलते
लगता मानो
पूरी कायनात
खिलखिला रही है
दिल झूम उठता
मैं बाहें फैलाए
उसके आलिंगन
को बेताब हर दिन
ठीक वैसे ही
जैसे आज ही हो
मेरा पहला मिलन
याद कर वो बीते पल
ढलक आते हैं क्यूँ
ये बुलबुले और
धुंधला जाती हैं क्यूँ
ये आँखें
क्यों खुद को
रोका नहीं जाता और
भावनाओं में बंध
हर बार उसकी
पायलों पर हाथ
पहुँच जाता है मेरा
उन बजती पायलों में
उसके होने का अहसास
बहुत सुकून दे जाता है
और भावनाओं में बह जाते हैं
आवेग के साथ कुछ आंसू
और मिल जाता है सूकून
उसके साथ कुछ पल बिताने का..अंजना

पत्रकारों को अख़बार का शीर्षक लेने से लेकर घोषणा पत्र भरने और फिर अख़बार प्रकाशन से वितरण प्रणाली तक जिन तकलीफों परेशानियों का सामना करना पढ़ता है

पत्रकारों को अख़बार का शीर्षक लेने से लेकर घोषणा पत्र भरने और फिर अख़बार प्रकाशन से वितरण प्रणाली तक जिन तकलीफों परेशानियों का सामना करना पढ़ता है उसमे से अगर कुछ मामलो में पुलिस और प्रशासन संवेदनशील बन जाए तो पत्रकारों को काफी दिक्क़तों से नुजात मिल जायेगी ...उक्त उदगार प्रकट करते हुए आज यहाँ आयोजित पत्रकारिता समस्या समाधान विषय पर संगोष्ठी में बोलते हुए इलेक्ट्रोनिक मिडिया कोटा के जिला अध्यक्ष रजत खन्ना ने कहा के कोटा में आये दिन पत्रकारों के अपमान की खबरें आती है उससे मन आहत होता है ..खन्ना आज पत्रकार मित्र मंडल द्वारा आयोजित गोष्ठी में अध्यक्ष पद से बोल रहे थे ....रजत खन्ना ने कहा के कोटा में शीर्षक लेने के लियें आवेदन करते वक्त पत्रकारों को परेशान किया जाता है फिर घोषणा पत्र की पुलिस जांच के नाम पर उत्पीडन का शिकार होना पढ़ता है ..रजत खन्ना ने पत्रकारों की कई परेशानियों का करना प्रशासन और पुलिस के मनमानी भी बताया .................गोष्ठी में मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए कोटा नगर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण गोड ने कहा के उन्हें पुलिस रवय्ये की आज ही शिकायत मिली है वोह वायदा करते है के भविष्य में पत्रकारों के घोषणा पत्र और अधीस्वीकरण जाँच को सरलीकरण कर संवेदन्शीलता बरती जाएगी ......लक्ष्मण गोड़ ने कहा के एक तरफ तो कोटा के न्यायिक अधिकारी मनीष  अग्रवाल बेठे है और दूसरी तरफ पत्रकार साथी है कुछ बोलूँगा तो न्यायालय स्वप्रेरित प्रसंज्ञान  का दर है और पत्रकारों के खिलाफ मुंह से निकल गया तो कल पत्रकार मेरी सेवा कर  देंगे उन्होंने कहा के यह तो हुई मजाक की बात लेकिन हकीक़त यह है के कोटा शहर के पत्रकारों का मुझे बेहद प्यार मिला है उन्होंने  व्यक्तिगत जब भी अवसर आया है मेरा साथ दिया है मेरा सम्मान किया है और पचास महीनों की कोटा की इस नोकरी में में कोटा के लोगों के स्वभाव और प्यार का ऋणी हूँ ...लक्ष्मण गोड़ ने कहा के पत्रकारों को भी रिपोर्टिंग में थोड़ा बदलाव लाना होगा उन्होंने उदहारण दिया कल सेम्टेल के लोग टंकी पर चढ़े ..उन्हें रोकने और कानून व्यवस्था बनाये रखने के लियें पुलिस ने अपना काम किया अख़बारों ने खबर छापी ठीक थी हम उसका सम्मान करते है लेकिन अख़बार वालों को सेम्टेल के मजदूरों के बारे में यह भी सोचना होगा के उनसे समझोता कोण नहीं कर रहा है फेक्ट्री मालिक उनका शोषण क्यूँ कर रहे है कोई भी अख़बार मालिकों के खिलाफ खबर बनाने के लियें तहकीकात नहीं करना चाहता है ऐसे में तकलीफ होती है उन्होने कहा के मुझे सभी साथियों ने बुलाया ...कार्यक्रम के दोरान स्थायी लोक अदालत के सचीव मनीष अग्रवाल ने भी पत्रकारों की समस्याओं और समाधान विषय पर विचार प्रकट किये ...एडवोकेट अख्तर खान अकेला ने गोष्ठी में पत्रकारों का शीर्षक लेने से लेकर अख़बार छापने  और घोषणा पत्र तस्दीक करवाने तक की समस्याओं पर प्रकाश डाला उन्होंने अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लक्ष्मण गोड को नारियल की तरह बताया जो कानून व्यस्था लागु करते वक्त ऊपर से  सख्त रहते है और फरियादी या पीड़ित की मदद करते वक्त अन्दर से नरम हो जाते है ............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान ..

"वह तेरी आहट थी

"वह तेरी आहट थी
या मेरी बौखलाहट
मौन टूट गया
मौन ने तनहाई से तंग आकर तरन्नुम का तराना छेड़ा
मौन मुझको देखा तो कुछ लोगों ने फ़साना छेड़ा
मौन मेरे मन से टकराया तो आहट निकली
और उस आहट से जो अक्षर निकले
मौन से भयभीत से लोगों की वही भाषा थी
कहीं भड़का वह लावा बन कर
भूगोल में ज्वालामुखी की तरह फूट गया
कहीं अंगार ...कहीं श्रृगार ...कहीं संसार के सदमे
कहीं दहका ...कहीं महका ...
कहीं चहका वह चिड़ियों जैसा
ओस की बूँद में नहाया वो तितलियों जैसा
जमा तो दर्द हिमालय की वर्फ बन बैठा
उड़ा तो वह जलजले की गर्द बन बैठा
मेरे अन्दर के समंदर से वो उठता रहा भाप बन बन कर
गिरा तो बंजर भी बरसात में सरसब्ज हुए
मौन मेरा मेरे मन में पिघला
आँख से टपका था ...गाल से हो कर गुजरा
वह तेरी आहट थी
या मेरी बौखलाहट
मौन टूट गया ." ----राजीव चतुर्वेदी

जब तन्हा मन मचलता है ...


जब तन्हा मन मचलता है ....
ख्यालों में जब कोई न रहता है ...
बुझती हुई एक चिंगारी में ....
हवा एक लौ रौशन कर जाती है ....
कभी बुझती हुई , कभी जलती हुई ....
वो जीने के हर गुर सीखा जाती है .....
धीमी रफ़्तार में चलकर .....
किसी से कुछ भी न कह कर ...
वो रफ्तार - ए - जिंदगी समझा जाती है |

बावजूद इसके तेरा साथ निभाया मैंने


बावजूद इसके तेरा साथ निभाया मैंने
तू फटा नोट था पुरे में चलाया मैंने

उम्र भर कोई मददगार मयसर ना हुआ
अपनी पहचान का खुद बोझ उठाया मैंने

तुझसे शर्मिंदा हूँ दो वक़्त की रोटी के लिए
…ज़िन्दगी तुझको बहुत नाच नचाया मैंने

अब तो कतरे भी समझने लगे खुद को दरिया

मैं समंदर था किसी को ना बताया मैंने

पांव में बांध ली जंजीर ख़ुशी से लेकिन
ताज रखने के लिए सर ना झुकाया मैंने .

एक साज़ , एक आवाज़ और कुछ भी तो नहीं ,

एक साज़ , एक आवाज़ और कुछ भी तो नहीं ,
सुर - लहरियों सी थिरकती रहती है जिंदगी ,
न सवाल किसी से और न जवाब मांगती ,
किसी मौन कवि की कल्पना है जिंदगी ,
अपने ख्यालों की दुरी तय करती हुई ,
बहुत दूर तलक जा - जाके लौटती है जिंदगी ,
कई निशान छोडती , कुछ खुद संग जोडती ,
हाँ इसी अहसास सुकुन का नाम है जिंदगी |
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