आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

30 अप्रैल 2013

“प्रेम” का लब्ज़ ,सदियों से सुनते आये;

“प्रेम” का
लब्ज़ ,सदियों से सुनते आये;
हर एक ने समझ लिया,
पर कोई नया अर्थ;
या नया प्रति-शब्द ;
कंहा किसी ने कोई बताया !

“प्रेम ” जो,
वक़्त दर वक़्त चला,
हवा बदली,अन्दाज़ बदला;
एक सी साँसों की गति,
जताने की वही विधी,होंठों पर चली,
कंहा किसी ने कोई बदलाव दिखाया!!

“प्रेम” में,
यह ही साबित हुआ,
घटिया/बढ़िया बहाने भी,
कितने मनमोहक लगे,
प्रेमातुर ही जाने;
कंहा किसी ने कोई ऐतराज़ किया!!!

“प्रेम” के,
शब्द या,
ह़र अन्दाज़;
नई लिपि, नई भाषा,
क्या नया महसूस हो पाया ?
कंहा किसी ने कोई बदलाव किया!!!!

“प्रेम” की,
कविता-पुरानी हो;
या नई या हो जैसी भी,
लगे प्रमिका सिमट आई पास।
रहता है केवल प्रेम”का एहसास,
कंहा कोई बदल पाया कोई परिभाष.

एक दिन आधी रात के बाद

एक दिन आधी रात के बाद
शहर की पांच मूर्तियां
चौराहे के चबूतरे पर मिलीं
और पांचों ही आंसू बहा कर रोने लगीं

महात्मा फुले विलाप करने लगे
'मैं केवल मालियों का होकर रह गया '
छत्रपति शिवाजी बड़ा अफसोस जता रहे थे
'मैं मराठों में ही क़ैद होकर रह गया'
आंबेडकर उंगली उठाकर बता रहे थे
'मैं बुद्ध विहार तक महदूद कर दिया गया’
तिलक कहते रहे
‘मुझ पर चितपावनों का ही घोषित अधिकार है’

गांधी अपनी सिसकियों को गले में ही रोक कर बोले
‘आप सभी बडे नसीब वाले हैं
कम से कम एक समुदाय तो है आप लोगों के पीछे ..
मुझ पर तो सिर्फ और सिर्फ
सरकारी दफ्तरों की
दीवारों का ही दावा हैं।‘

:: कुसुमाग्रज :: अनुवाद मीना त्रिवेदी

अफसर बने वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष

Journalist Afsar Khan
अफसर बने वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
लखनऊ। जनहित भारतीय पत्रकार एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरान असद ने युवा पत्रकार व लेखक एम. अफसर खां सागर को एसोसिएशन का वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। अफसर पत्रकारिता के क्षेत्र में विगत दस सालों से कार्य कर रहे हैं। उनकी लगन व कड़ी मेहनत को देखते हुए उन्हे इस पद से नवाजा गया है।
अफसर ने वरिष्ठ राष्ट्रीय उपध्यक्ष बनने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष कामरान असद को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर उन्होने कहा कि हमारा संगठन पत्रकारों के अधिकारों की रक्षा एवं उनके शोषण के विरूद्ध ठोस प्रयास को वचनबद्ध है। हमारे संगठन के साथ जुड़ने वाले किसी भी पत्रकार का यदि किसी भी तरीके से कोई शोषण किया जाता है जो पत्रकारिता के उद्देष्यों को प्रभावित करता है तो हम हर स्तर पर उसके साथ इस अन्याय के विरूद्ध खडे रहेंगे। हम सदैव पत्रकारों के हितों के लिए लड़ते रहेंगे तथा पत्रकारों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रयास करेंगे।
अफसर के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनने पर, महेन्द्र प्रजापति, अनिल सिंह, चेतन मालवीय, नासिर जफर, नरेश शर्मा, दिनेश कुमार श्रीवास्तव, संतोष यादव, आनन्द गुप्ता, मनमोहन तिवारी, नित्यानंद सिंह, प्रवीण त्रिपाठी, शोएब खां, कृपानन्द यादव, मुन्ना पाण्डेय, अरविन्द सेठ, अरूण चन्द्रवंशी, पंकज शुक्ला, शरद निगम, मुन्नालाल, अखिलेश मिश्रा, अरविन्द त्रिपाठी, किशन पाण्डेय, अजय जौहरी, अनुप श्रीवास्तव, इंतिखाब आलम, शुनील मिश्रा, भानू प्रताप सहित कई अन्य पत्रकारों ने बधाई दी है।

कभी मुंतज़िर चश्में

कभी मुंतज़िर चश्में
ज़िगर हमराज़ था,
कभी बेखबर कभी
पुरज़ुनू ये मिजाज़ था,
कभी गुफ़्तगू के हज़ूम तो, कभी
खौफ़-ए-ज़द
कभी बेज़ुबां,
कभी जीत की आमद में मैं,
कभी हार से मैं पस्त था.
कभी शौख -ए-फ़ितरत का नशा,
कभी शाम- ए-ज़श्न ख़ुमार था ,
कभी था हवा का ग़ुबार तो
कभी हौसलों का पहाड़ था.
कभी ज़ुल्मतों के शिक़स्त में
ख़ामोशियों का शिकार था,
कभी थी ख़लिश कभी रहमतें
कभी हमसफ़र का क़रार था.
कभी चश्म-ए-तर की गिरफ़्त में
सरगोशियों का मलाल था,
कभी लम्हा-ए-नायाब में
मैं भर रहा परवाज़ था.
कभी था उसूलों से घिरा
मैं रिवायतों के अजाब में,
कभी था मज़ा कभी बेमज़ा
सूद-ओ- जिया के हिसाब में.
मैं था बुलंदी पर कभी
छूकर ज़मीं जीता रहा,
कभी ये रहा,कभी वो रहा
और जिंदगी चलती रही .........

क्रान्ति का तेरा करिश्मा झूठ का सारांश था

"क्रान्ति का तेरा करिश्मा झूठ का सारांश था
तुमने जब दीवारें ढहा दीं तो छत कहाँ बाकी बची ,
वक्त की वहशी हवाएं और सर पर आसमाँ
भूख तेरी, खेत मेरे , आढ़तें आज भी उनकी
तुमने खेतों में कॉलोनी बसा दी रोटी कहाँ बाकी बची .
जब कभी हैरत से वह देखने लगता है तेरी समृद्धि को
तो समझ लेना क़ि उसमें गैरत कहाँ बाकी बची " ----राजीव चतुर्वेदी

54 रुपये घटे सिलेंडर के दाम, तीन रुपये सस्‍ता हुआ पेट्रोल



नई दिल्ली। पेट्रोल तीन रुपये प्रति लीटर सस्‍ता हो गया है। नई कीमतें मंगलवार आधी रात से लागू होंगी )। वहीं, बिना सब्सिडी वाला सिलेंडर 54 रुपये सस्ता हो गया है। नई कीमतें रात 12 बजे से लागू होगी। अमूल ने दूध की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का ऐलान किया है।
 
दिलचस्प है कि पिछले पांच साल में पेट्रोल के दाम में यह सबसे बड़ी एकमुश्त कटौती हुई है। मार्च के बाद पेट्रोल की कीमतों में यह चौथी कटौती है जिससे दिल्ली में पेट्रोल आज मध्यरात्रि से 63.09 रुपये प्रति लीटर पर उपलब्ध होगा। अभी दाम 66.09 रुपये प्रति लीटर है। पेट्रोल के दाम स्थानीय बिक्री कर या वैट के आधार पर अलग-अलग शहरों में भिन्न होंगे। तीन रुपये की कटौती दिल्ली में वैट सहित है।
 
मुंबई में, पेट्रोल के दाम 3.15 रुपये घटकर 69.73 रुपये प्रति लीटर, जबकि कोलकाता में यह 73.48 रपये के बजाय 70.35 रुपये प्रति लीटर के दाम में पर उपलब्ध होगा। वहीं चेन्नई में दाम में 3.18 रुपये घटकर 65.90 रुपये प्रति लीटर होंगे।
 
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के मद्देनजर पेट्रोल के दाम में आज की गई कटौती से पहले लगातार तीन बार कटौती की जा चुकी है। सार्वजनिक क्षेत्र की पेट्रोलियम कंपनियां हर पखवाड़े दरों में संशोधन करती हैं। 
इससे पहले, तेल कंपनियों ने 16 अप्रैल को दिल्ली में पेट्रोल के दाम में 1.20 रपये लीटर की कटौती की थी। वहीं इन्होंने 16 मार्च को कीमतों में 2.40 रुपये और इसके अगले पखवाड़े एक रुपये लीटर की कटौती की थी।

कोर्ट ने कहा, बेटे-बहू पर नजर रखने के लिए घर में लगओ कैमरे



जोधपुर।  बेटे-बहू की प्रताडऩाओं से दुखी एक वृद्धा विमला धारीवाल की निगरानी के लिए राजस्थान हाईकोर्ट ने चार सप्ताह के भीतर घर में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया है। अपने बचाव में बेटे ने ही वकील के मार्फत अदालत में कहा था कि वह घर में कैमरे लगाने को तैयार है, ताकि यह देखा जा सके कि घर में दोनों पक्षों के बीच कुछ गलत तो नहीं हो रहा। अदालत ने इन कैमरों का खर्च बेटे को ही वहन करने को कहा है।इलाके के थानाधिकारी हर 15 दिन में फुटेज देख बनाएंगे रिपोर्ट

अदालत ने आदेश दिया कि थानाधिकारी 15 दिन में एक बार इन कैमरों के फुटेज देख कर रिपोर्ट बनाएंगे कि बेटा-बहू मां के साथ दुव्र्यवहार तो नहीं कर रहे। यदि मां के प्रति किसी तरह की घरेलू हिंसा होती है तो थानाधिकारी एसीजेएम (आर्थिक अपराध), जोधपुर को रिपोर्ट करेंगे। एसीजेएम मां की सुरक्षा के लिए आवश्यक आदेश जारी कर सकेंगे। यह निर्णय न्यायाधीश संदीप मेहता ने महामंदिर क्षेत्र में धारीवालों का मोहल्ला निवासी 72 वर्षीय महिला विमला पत्नी स्व.शांतिलाल धारीवाल की निगरानी याचिका का निस्तारण करते हुए दिया। उन्होंने अपने पुत्र अरुण, उसकी पत्नी, दो पुत्रियों और एक पुत्र के विरुद्ध घरेलू हिंसा मामले में  निगरानी याचिका दायर की थी। अदालत ने अरुण को अपनी मां को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पांच हजार की बजाय आठ हजार रुपए देने के आदेश भी दिए हैं।
संपत्ति पर कब्जे और मां को प्रताडि़त करने का आरोप है पुत्र पर: विमला धारीवाल की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता नदीश सिंघवी ने बताया कि उनके पति शांतिलाल धारीवाल की गोल बिल्डिंग सरदारपुरा क्षेत्र में व्यावसायिक और महामंदिर में आवासीय संपत्ति है। अपनी मृत्यु से पहले शांतिलाल ने वसीयत के जरिए दोनों संपत्ति विमला के नाम कर दी थी। पिता की मृत्यु के बाद अरुण ने सरदारपुरा स्थित व्यावसायिक संपत्ति पर कब्जा कर लिया और वहां आइसक्रीम पार्लर चला रहा है।

साथ ही वह अपने परिवार सहित महामंदिर स्थित घर में आकर रहने लग गया और मां को प्रताडि़त कर घर से निकालने का प्रयास कर रहा है। इस संबंध में वर्ष 2009 में अधीनस्थ अदालत में परिवाद भी दायर किया गया था। सिंघवी का कहना था कि अरुण अभी अपनी मां को भरण-पोषण के लिए प्रतिमाह पांच हजार रुपए दे रहा है, जो काफी कम राशि है। सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से अधिवक्ता राजलक्ष्मी ने पैरवी की।

हाथ-पैर जोड़ लूंगा, कहूंगा मुझे टिकट मत दो", मंच पर ही पकड़ लिए दिग्गी ने कान!



उज्जैन/महू। उज्जैन में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजयसिंह ने घोषणा कर दी कि वे न विधानसभा चुनाव लड़ेंगे और न ही मुख्यमंत्री पद के दावेदार होंगे। पार्टी चाहेगी तो लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे।
यहां आयोजित परिवर्तन रैली में उन्होंने यह भी कहा कि राजगढ़ सीट से नारायणसिंह उम्मीदवार होंगे। सभा के बाद मीडिया से चर्चा में दिग्विजय से जब पूछा गया कि यदि पार्टी विधानसभा टिकट देगी तो क्या करेंगे? उन्होंने कहा- मैं हाईकमान के हाथपांव जोड़ लूंगा, कहूंगा कि मुझे टिकट मत दो। यह पूछने पर कि आपका विकल्प क्या है, उन्होंने आसपास बैठे कांतिलाल भूरिया और अजयसिंह की तरफ इशारा करते हुए कहा- ये हैं तो सही।
इधर, महू  में परिवर्तन यात्रा के दौरान सिंह ने कहा कि महू के विधायक व उद्योगमंत्री कैलाश विजयवर्गीय चंदा वसूली के उस्ताद हैं। कभी भंडारे तो कभी कथा के नाम पर चंदा वसूली करने में इनसे बड़ा कलाकार कोई हो ही नहीं सकता...।

लोगों पर छाई दारू की दीवानगी : बाइक पर.. कहीं डिग्गी में, कोई पैदल ही ले गया


लोगों पर छाई दारू की दीवानगी : बाइक पर.. कहीं डिग्गी में, कोई पैदल ही ले गया
चंडीगढ़. एक-दो बोतल नहीं, बल्कि दो से तीन पेटियां एक साथ। मंगलवार को शराब के ठेकों पर ऐसा लग रहा था मानो सेल लगी हो। हालत यह थी कि लोग गाड़ियों की डिग्गियों में व्हिस्की, वाइन व बीयर की पेटियां ले जाते रहे। 
 
कोई साइकिल पर कोई पैदल ही शराब की पेटी ले जा रहा था तो कोई बाइक और कार पर। शाम तक अधिकांश ठेकों से प्रीमियम ब्रांड की बोतलें गायब हो चुकी थीं। 1 मई से शहर में शराब की कीमतें बढ़ रही हैं। 
 
इकोनॉमी ब्रांड की बोतलें जहां 60 से 80 रुपए महंगी हो जाएंगी, वहीं प्रीमियम ब्रांड की बोतलों में 80 से 100 रुपए वृद्धि संभावित है। बीयर की बोतलें 20 रुपए तक महंगी हो जाएंगी। एक्साइज पॉलिसी के अनुसार एक व्यक्ति घर में अंग्रेजी शराब की 18, वाइन की 18 बोतलें व बीयर की 3 पेटियां रख सकता है।

यहां सरेराह चलती कार में लुटती रही आबरू और सोता रहा शहर


Next Image
गुड़गांव. साइबर सिटी में चलती कार में एक 23 वर्षीया महिला से दो युवकों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म किए जाने का मामला सामने आया है। पीड़िता के अनुसार एक युवक से वह पहले से परिचित थी। उसने आरोप लगाया है कि लिफ्ट के बहाने आरोपियों ने उसे कार में बिठाया और फिर चलती कार में बारी-बारी से उससे दुष्कर्म किया।

वारदात के बाद आरोपी उसे सोहना-पलवल रोड पर सड़क किनारे छोड़कर फरार हो गए। पुलिस कमिश्नर आलोक मित्तल के दखल के बाद सोहना थाना पुलिस ने मामले में एफआईआर दर्ज की है।

सरबजीत 'ब्रेन डेड': इजाजत मिलते ही होगा मौत का ऐलान, जेल चीफ के 'आदेश' पर हुआ था हमला!


नई दिल्‍ली। चीन के खिलाफ जहां भारत में लोगों का गुस्‍सा भड़क रहा है, वहीं पाकिस्‍तान से भी अच्‍छी खबर नहीं आ रही है। लाहौर की कोर्ट लखपत जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को 'ब्रेन डेड' बता दिया गया है। वहीं, सरबजीत पर हमले के आरोप में गिरफ्तार दो आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्‍होंने जेल सुपरिटेंडेंट के कहने पर इस भारतीय कैदी पर हमला किया था। 
 
पाकिस्‍तान लगातार सरबजीत के बारे में जानकारी दबा रहा है। जिन्‍ना अस्‍पताल के डॉक्‍टरों ने पहले सरबजीत को 'ब्रेन डेड' घोषित कर दिया फिर कुछ घंटों के बाद सफाई दी गई कि सरबजीत 'ब्रेन डेड' नहीं है। पाकिस्‍तान पर पहले से ऐसा शक जताया जा रहा है कि वह सरबजीत की मौत की बात छिपा रहा है। मंगलवार को एससी-एसटी कमीशन के अध्‍यक्ष राजकुमार वीरका ने बताया कि उनकी दलबीर कौर से बातचीत हुई है। डॉक्‍टरों ने उन्‍हें सरबजीत के 'ब्रेन डेड' होने की जानकारी दी है। सरबजीत के वकील के मुताबिक डॉक्‍टरों ने पूछा कि क्‍या सरबजीत को वेंटिलेटर से हटाया जाए तो परिवारवालों ने कहा कि नहीं, सरबजीत को वेंटिलेटर पर ही रहने दिया जाए। ऐसे में अगर परिवार वेंटिलेटर से हटाने की इजाजत दे देता है तो सरबजीत की मौत का ऐलान हो जाएगा।
 
दिल्‍ली में भले जी सज्‍जन कुमार को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई हो, लेकिन सरबजीत और उनके परिवार की मुश्किल कम नहीं हो रही है। सरबजीत की बहन दलबीर कौर वाघा बॉर्डर के रास्‍ते भारत लौट रही हैं। सरबजीत के परिवारवालों ने वहां के अधिकारियों के रवैये से नाराजगी जताई है। दलबीर ने बताया कि उन्‍हें पाकिस्‍तान में न तो उनके भाई से मिलने दिया जाता है न ही उन्‍हें मीडिया से बात करने दिया जा रहा है। वह भारत आकर यह सलाह-मशविरा करना चाहती हैं कि क्‍या वेंटीलेटर हटाने की डॉक्‍टरों को इजाजत दे दी जाए?
 
इस बीच, ऐसी भी खबर आ रही है कि सरबजीत पर हमला लश्कर-ए-तैयबा की सोची-समझी साजिश के तहत हुआ है।  भारतीय खुफिया एजेंसियों की गोपनीय रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। गृह मंत्रालय के आला सूत्रों के मुताबिक यह रिपोर्ट लाहौर के डीआईजी की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करती है। लाहौर के डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में इस हमले की वजह अचानक कैदियों के बीच बदले की भावना से हुई झड़प बताया है।
 

कुरान का सन्देश

   

'मेरे पिता और जीजा को जिंदा जलाने वाला कातिल है सज्‍जन कुमार'

 

नई दिल्‍ली। पाकिस्‍तान में सरबजीत पर हमला, चीन की बढ़ती घुसपैठ और कोयला घोटाले पर संकट में घिरती दिख रही केंद्र की कांग्रेस नीत सरकार को बड़ी राहत मिली है। 1984 सिख दंगा मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कांग्रेस के वरिष्‍ठ नेता सज्‍जन कुमार को बरी कर दिया है। हालांकि पांच अन्‍य आरोपियों को दोषी ठहराया गया है। महिंदर यादव, बलवान खोखर, कृष्‍ण खोखर, कैप्‍टन भामल और गिरधारी लाल को दोषी ठहराया गया है। इन पर हत्या, डकैती, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, समुदायों के बीच द्वेष फैलाने, आपराधिक षड्यंत्र रचने के आरोप हैं। अदालत के फैसले से नाखुश एक दंगा पीडित ने कहा, 'मेरे पिता सोहन सिंह और जीजा को दंगाइयों ने जिंदा जला दिया था। सज्‍जन कुमार ने दंगाइयों को उकसाया तो भीड़ ने गुरुद्वारे पर हमला कर दिया था। हम गुरुद्वारे को बचाने गए तो दंगाइयों ने हमारे ऊपर हमला कर दिया था।' ()
 
अदालत का यह फैसला आते ही कोर्ट परिसर में विरोध प्रदर्शन ( शुरू हो गया है। हंगामा बढते देख रैपिड एक्‍शन फोर्स की तैनाती कर दी गई है। फैसला सुनाने वाले जज पर एक शख्‍स ने जूता फेंककर अपने विरोध का इजहार किया। जज पर जूता फेंकने वाले शख्‍स करनैल सिंह को हिरासत में ले लिया गया है। करनैल सिंह के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल का मकसद जज को चोट पहुंचाना नहीं बल्कि यह महज विरोध प्रदर्शन का तरीका था। इस घटना की एक गवाह और याचिकाकर्ता जगदीश कौर कड़कड़डूमा कोर्ट में ही धरने पर बैठ गई हैं। उनकी जिद है कि जब तक उनके हक में फैसला नहीं आ जाएगा, तब तक वह कोर्ट परिसर से बाहर नहीं जाएंगी। 
 
सज्‍जन कुमार अदालत का फैसला सुनने के बाद रो पड़े। मामला दिल्‍ली कैंट इलाके में हुए कत्‍लेआम से जुड़ा है जिसमें सज्‍जन कुमार पर सिखों का कत्‍लेआम करने वाली भीड़ को उकसाने के आरोप लगे थे।
 
दंगे में मारे गए एक शख्‍स के परिजन ने कहा कि अदालत के फैसले से उन्‍हें बेहद निराशा हुई है। यह बेहद दुर्भाग्‍यपूर्ण है। इस फैसले की निंदा होनी चाहिए। हम केवल यही उम्‍मीद करते हैं कि ईश्‍वर दोषियों को सजा देगी। दंगा पीडितों के परिजन ने कहा है कि वह अदालत के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देंगे। दंगा पीडितों के परिजनों ने आज के दिन को 'ब्‍लैक डे' घोषित किया है।
 
कड़कड़डूमा कोर्ट के बाहर एक प्रदर्शनकारी का कहना था, 'हमें पता है कि आगे क्‍या होगा। कुछ भी नहीं बदलेगा और सीबीआई क्‍लोजर रिपोर्ट दाखिल कर देगी।' एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'जब तक इस देश में कांग्रेस का राज है तब तक सिखों को इंसाफ नहीं मिल सकता।' वहीं एक और प्रदर्शनकारी ने कहा, 'आज का दिन हिंदुस्‍तान के इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा।' कुछ प्रदर्शनकारियों ने 'शीला दीक्षित हाय-हाय..., सज्‍जन कुमार मुर्दाबाद... के नारे भी लगाए।

जेल सुपरिटेंडेंट के 'आदेश' पर हुआ था सरबजीत पर हमला!


नई दिल्‍ली। चीन के खिलाफ जहां भारत में लोगों का गुस्‍सा भड़क रहा है, वहीं पाकिस्‍तान से भी अच्‍छी खबर नहीं आ रही है। लाहौर की कोर्ट लखपत जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को 'ब्रेन डेड' बता दिया गया है। वहीं, सरबजीत पर हमले के आरोप में गिरफ्तार दो आरोपियों ने कबूल किया है कि उन्‍होंने जेल सुपरिटेंडेंट के कहने पर इस भारतीय कैदी पर हमला किया था। 
 
पाकिस्‍तान लगातार सरबजीत के बारे में जानकारी दबा रहा है और उनके 'ब्रेन डेड' होने की भी आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। पाकिस्‍तान पर पहले से ऐसा शक जताया जा रहा है कि वह सरबजीत की मौत की बात छिपा रहा है। मंगलवार को एससी-एसटी कमीशन के अध्‍यक्ष राजकुमार वीरका ने बताया कि उनकी दलबीर कौर से बातचीत हुई है। डॉक्‍टरों ने उन्‍हें सरबजीत के 'ब्रेन डेड' होने की जानकारी दी है। सरबजीत के वकील के मुताबिक डॉक्‍टरों ने पूछा कि क्‍या सरबजीत को वेंटिलेटर से हटाया जाए तो परिवारवालों ने कहा कि नहीं, सरबजीत को वेंटिलेटर पर ही रहने दिया जाए।
 
दिल्‍ली में भले जी सज्‍जन कुमार को कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई हो, लेकिन सरबजीत और उनके परिवार की मुश्किल कम नहीं हो रही है। सरबजीत की बहन दलबीर कौर वाघा बॉर्डर के रास्‍ते भारत लौट रही हैं। सरबजीत के परिवारवालों ने वहां के अधिकारियों के रवैये से नाराजगी जताई है। दलबीर ने बताया कि उन्‍हें पाकिस्‍तान में न तो उनके भाई से मिलने दिया जाता है न ही उन्‍हें मीडिया से बात करने दिया जा रहा है। वह भारत आकर यह सलाह-मशविरा करना चाहती हैं कि क्‍या वेंटीलेटर हटाने की डॉक्‍टरों को इजाजत दे दी जाए?
 
इस बीच, ऐसी भी खबर आ रही है कि सरबजीत पर हमला लश्कर-ए-तैयबा की सोची-समझी साजिश के तहत हुआ है।  भारतीय खुफिया एजेंसियों की गोपनीय रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। गृह मंत्रालय के आला सूत्रों के मुताबिक यह रिपोर्ट लाहौर के डीआईजी की रिपोर्ट को सिरे से खारिज करती है। लाहौर के डीआईजी ने अपनी रिपोर्ट में इस हमले की वजह अचानक कैदियों के बीच बदले की भावना से हुई झड़प बताया है

करना सियासत, तिजारत की ख़ातिर

करना सियासत, तिजारत की ख़ातिर
इससे तो अच्छा है नाक़ारा रहते ।

चूल्हे बुझाकर, अलावों का मजमा ।
इससे तो अच्छा है कुहरे में रहते ।।

गर है लियाक़त का आग़ाज़ सजदा ।
इससे तो अच्छा है आवारा रहते ।।

महलों की खिड़की से रिश्तों को तकना ।
इससे तो अच्छा है गलियों में रहते ।।

ग़ैरों की महफ़िल में बेवजहा हँसना ।
इससे तो अच्छा है तन्हा ही रहते ।।

बेमानी वादों से जनता को ठगना ।
इससे तो अच्छा है तुम चुप ही रहते

यह तो बताईये

यह तो बताईये कि आपकी नज़र का नज़रिया क्या है ?
और यह भी बताते तो कुछ बेहतर होता कि --
आपके ज्ञान का जरिया क्या है ?
आपकी सिद्धि किस विधा में है और उसका अंत कहाँ होता है ?
सिद्धि के अंत को सिद्धांत कहा जाता है
इससे आपका किस तरह का नाता है ?
सार्वभौमिक हो संबोधन और लोक का मानक हो
लोकप्रिय उसको कहा जाता है
"मैं " का उद्बोधन अहंकार की टंकार है क्या ?
या क़ि आत्मा के अक्षांश से अंगार बढ़ा आता है ." ----राजीव चतुर्वेदी

जब मै मायूस होता हूँ

जब मै मायूस होता हूँ
कभी मायूस होता हूँ या थक कर टूट जाता हूँ
किसी एकांत में जाकर ग़ज़ल को गुनगुनाता हूँ
मुझे आराम मिलता है मेरी हालत सुधरती है
सभी गम दूर होते हैं सभी दुःख भूल जाता हूँ
आज कंगाल हूँ माना कोई छप्पर नहीं सिर पर
पुरानी याद कर करके मै खुद ही मुस्कराता हूँ
मैं जब जब भी गिरा हूँ इस गजल ने ही संभाला है
प्रेयसी मान कर इसको मै सीने से लगाता हूँ
मैं गूँगा था मैं बहरा था मै लंगड़ा और लुल्हा था
इसी के पुण्य से मैं आजकल कुछ बोल पाता हूँ
कभी उपहास करती है कभी खिल्ली उड़ाती है
इस अंदाज़ में भी कुछ न कुछ गंभीर पाता हूँ
कोई न देख ले मुझको कभी रोते हुवे साथी
मैं इसकी पीठ के पीछे मेरा चेहरा छुपाता हूँ .
"चरण"

खुश रहना चाहते हो तो

खुश रहना चाहते हो तो-

- यदि तुम एक घंटे के लिए खुश रहना चाहते हो तो एक झपकी ले लो |
- यदि तुम एक दिन के लिए खुश रहना चाहते हो तो पिकनिक पर चले जाओ |
- यदि तुम एक सप्ताह के लिए खुश रहना चाहते हो तो कहीं घूम-फिर आओ |
- यदि तुम एक महीने के लिए खुश रहना चाहते हो तो शादी कर लो |
- यदि तुम एक साल के लिए खुश रहना चाहते हो तो बड़ी जायदाद के वारिस बन जाओ |
- और यदि तुम ज़िंदगी भर के लिए खुश रहना चाहते हो तो अपने काम से प्यार करना सीखो

इँसाफ़ की चाह में चप्पलें क्या उमर भी घिस जाती हैं,

इँसाफ़ की चाह में चप्पलें क्या उमर भी घिस जाती हैं,
कचहरी की सीढियां चढ़ते ही तकदीरें भी पिस जाती है ।
मिलती तारीखों का रोना ही लेकर बैठा रहे इन्सान !
फैसला आने तक नये वकीलों की खेप लग जाती है ।
उसके हिस्से झुर्रियाँ चढ़तीं साल दर साल ही सदा,
उधर वकील-बाबू की झोलियाँ भरती चली जाती है ।
काला कोट, यदि कमज़र्फ़ मिला तो फिर समझिये !
जीते जी बन्दे की जिन्दगानी, दफ़न होती जाती है ।
कोई ईश्वरी चेतना मिल जाये तो ठीक ! नहीं तो,
यमदूत की शक्ल ले, वसूलियाँ कर ली जाती हैं ।
दाग नही लगता काले लिबास पर कभी भी,
इसीलिए वकील को काले कोट की पोशाक दी जाती है ।
बंधी पट्टी कानून की देवी की आँखों में हमेशा से,
मुल्तवी होते केशों से, बन्दों की आँख खुल जाती है ।

भिखारी भी भीख नही मांगते, दर्द में डूबे बेज़ारों से !
पर कचहरी में इन्हें कोई तवज्जो नही मिल पाती है ।

कोर्ट है ... साहिब ...ये कचहरी है !
मरने की ज़रुरत नही, जीते जी जहन्नुम दिख जाती है ।......अनुराग

"अब बसंत की ह्त्या होते

"अब बसंत की ह्त्या होते पतझड़ में मैं देख रहा हूँ ,
और तितलियाँ बंगलों के गमलों पर बैठी
जंगल के जज़्बात समझती देवदार को दुआ दे रहीं
सरहद का हर देवदार आंधी की पैमाइश करता दावानल की दहशत में है
अंगारों के श्रृंगारों की चिंता अब चिंगारी को है
कुछ ऐसी ही असमंजस में घिसे पिटे जुमलों पर बैठी परिभाषाएं
सच की सीमा परिधि नापती हांफ रही हैं ." ----राजीव चतुर्वेदी
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...