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02 मई 2013

"कुत्तों ने अक्षांश निहारा अक्षों से


"कुत्तों ने अक्षांश निहारा अक्षों से
देशांतर पर फिर वह भोंके मुस्तैदी से
बहसों का परिदृश्य यहाँ कुछ ऐसा है
हर गूलर का भुनगा कोलम्बस को पढ़ा रहा भूगोल यहाँ
ज्ञान के जुगनू करें विज्ञान की बातें
और घर में लगे कुछ लोग बिजली के मीटर से
सूरज की रोशनी की अब कीमत बताते हैं
यह माना रात है गहरी और आंधीयां जोरों पर हैं
फिर भी तुम सहमे नहीं हो तो बताओ
सूरज के उजाले में अपने ज्ञान का यह टिमटिमाता सा दिया
तुम दिन में क्यूँ जलाते हो ?" ----राजीव चतुर्वेदी

एक अल्पज्ञानी नरेंदर मोदी जी

एक अल्पज्ञानी नरेंदर मोदी जी ने कल कर्नाटक में कोंग्रेस के लियें भाषण में कहा के गाँधी जी ने कहा था के आज़ादी हमे मिल गयी अब कोंग्रेस खत्म कर दो लेकिन कोंग्रेस खत्म नहीं हुई और चल रही है ..जी हाँ दोस्तों यह नरेंदर मोदी जेसे अल्पज्ञानी कह सकते है क्योंकि वोह कोंग्रेस के बारे में तो जानते नहीं उन्होंने या उनके पुरखों ने कोंग्रेस के साथ मिलकर या अकेले भी देश को आज़ाद कराने के लियें कोई कुर्बानी नहीं दी है इसीलियें वोह नहीं जानते के आज़ादी के आन्दॉन में कोंग्रेस थी और फिर जब देश आज़ाद हो गया तो भारतीय राष्ट्रीय कोंग्रेस यानी इन्डियन नेशनल कोंग्रेस बनी और फिर इंदिरा जी के वक्त कोंग्रेस का विभाजन हुआ गाय बछड़े से मुक्ति लेकर पंजे का निशान लिया तो जनाब कोंग्रेस आज़ादी के आन्दॉन वाली पार्टी तो कब की खत्म हो गयी अब तो एक नये लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के विधिक प्रावधानों के तहत लोकतान्त्रिक इन्डियन नेशनल कोंग्रेस है जो इन दिनों कोंग्रेसियों के कब्जे में कम और भाजपा छोड़कर आये जन्संग्घी ताज़े कोंग्रेसियों ..पूंजीपतियों और सेवानिव्रत्त अफसरशाहों के कब्जे में ज्यादा है और कोंग्रेस अपनी निति से हठ कर विधान प्रणाली से हठ कर जब चलने लगी नरेंदर मोदी जेसे लोग कोंग्रेस पर सवाल उठाने लगे है शायद कोंग्रेस के खिलाफ यह हिमाक़त करने की हिम्मत कोंग्रेस की नादानियों चापलूसों की मनमानियों के कारण हुई है वर्ना हमारी कोंग्रेस तो इन्डियन नेशनल कोंग्रेस है जिसमे त्याग समर्पण और राष्ट्रीयता का पाठ पढाया जाता है मनमोहन सिंह ...अहलुवालिया जेसे लोगों की कोकटेल ने कंग्रेस को बदनाम कर दिया है इन्हें हटाओ कोग्न्रेस बचाओ देश बचाओ ..........................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

ऐ नादा तू फ़िक्र ना कर

ऐ नादा
तू फ़िक्र ना कर
तेरी बेवफाई पर
मेरी चुप्पी का ..
यह प्यार व्यार
धोखा और बेवफाई तो
में फिर बाद में देख लूँगा .
अभी तो
में उलझा हूँ
सरबजीत ..
चीन घुसपेठियों
सहित
देश की दूसरी समस्याओं को
सुलझाने के लियें
में कोशिश क्र रहा हूँ
अभी
देश के नोजवानों
और सोती हुई सरकार को
जगाने की ...
ऐ बेवफा
थोडा सब्र कर
में फिर आऊंगा
तेरी बेवफाई के किस्सों पर ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दर्द मेरा हर बार वो कुछ इस तरह सहती गई

दर्द मेरा हर बार वो कुछ इस तरह सहती गई
ओठों पर मुस्कान, खुशियाँ गीत में कहती गई
पाप मेरे धुल जायें और बह खो जाये उन संग
गंग बन कर अश्रुधारा उस आँख से बहती गई

तुम पढ़ो कि वो पढ़े, पढ़ जाये इक माँ भी इसे
नई बात हर बार क्यूँ, यह बात ही लगती गई...

-समीर लाल ’समीर’

सैदपुर: गुप्तकालीन स्वर्णयुग का शहर


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01
गंगा नदी के तट पर बसा सैदपुर भारत की सांस्कृतिक राजधानी काशी (वाराणसी) से 43 किमी0 पूरब में स्थित है। गौरवशाली गुप्तकालीन इतिहास की गवाह यह नगरी अपने धार्मिक पहचान के लिए विख्यात है। फकीरों व सिद्ध ऋषियों की तपोभूमि और महान मुगल प्रशासक सैय्यद शाह की कर्मस्थली के रूप में चिन्हित सैदपुर अपने सामाजिक और सांस्कृतिक एकता के लिए विख्यात है।
सन् 1942 के स्वतन्त्रता आन्दोलन की गवाह यह भूमि अनेक आन्दोलनों का दंश झेला है। रजवाड़ी हवाई अड्डा फूँकने से लेकर कचहरी पर झण्डारोहड की गवाह यह धरती भारत के गौरवशाली इतिहास का प्रतीक है। सैदपुर का प्राचीन नाम सिद्धपुरी या सैय्यदपुर था इसपर लोगों का अपना मत है। स्थानीय निवासी सुरेन्द्र प्रताप यादव ने बताया कि सिद्ध ऋषियों की कर्मस्थली रहने के कारण इसे सिद्धपुरी के नाम से जाना जाता था जिसका परिवर्तित नाम आज सैदपुर है जबकि स्थानीय मुगल प्रशासक सैय्यद शाह के नाम पर इसे सैय्यदपुरी के नाम से जाना जाता है जिसका प्रमाण स्थनीय रेलवे स्टेशन का बोर्ड है जिस पर सैय्यदपुर ही लिखा है।
02धार्मिक सौहार्द के लिए जाना जाने वाला यह शहर अपने गोद में अनेकों ऐतिहासिक विरासत सम्हाले हुए है। माँ गंगा के तट पर स्थित परमहंस आश्रम रंग महल महान ऋषियों की तपोस्थली रहा है। अपने घोर तपस्या से ऋषियों ने इसे सिद्धपुरी का नाम दिया तथा समाज को नया दिशा देने का काम किया है। मुगलकालीन समय में यह स्थल मुगल प्रशासक के रंग महल या आमोद-प्रमोद केन्द्र के रूप में प्रयुक्त होता था। मगर समय के बदलाव से इसका भाग्य भी बदला और ऋषियों की तपोस्थली के रूप में विख्यात हुआ। परमहंस आश्रम के महन्त महर्षि चन्द्रानन्द सरस्वती ने बताया कि कभी-कभी निर्माण के वास्ते खुदायी के दौरान मोटी दीवाले मिलती हैं जिससे कि यह सिद्ध होता है कि पहले यहाँ महल रहा होगा।
03महर्षि चन्द्रानन्द सरस्वती ने एक वाकये का जिक्र करते हुए कहा कि एक रात मैं आश्रम में मुख्य भवन पर सो रहा था तभी मुझे थूकने की जरूरत महसूस हुआ मैं लेटे ही थूक दिया जिसपर अचानक एक दुबले पतले महात्मा जैसे व्यक्ति का दर्षन हुआ तथा उन्होने मुझसे क्या कहा मैं कुछ समझ पाने में असमर्थ था। इससे यह सिद्ध होता है कि रंग महल आश्रम में ऋषियों की आत्मायें आराम करती हैं। परमहंस आश्रम रंगमहल में उत्तरी तरफ स्वामी परमहंस जी का मन्दिर है जहाँ पुर्वी उत्तर प्रदेश समेत बिहार से श्रद्धालु दर्शन-पुजन वास्ते हमेशा आते हैं। आश्रम में प्रत्येक वर्ष सद्गुरू समर्थ स्वामी परमहंस जी महाराज के महानिर्वाण दिवस अष्विन मास कृष्ण पक्ष की दशवीं तिथि को भव्य समारोह का आयोजन होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त भाग लेते हैं। रंगमहल के उत्तर दिशा में दादा साहिब की मजार स्थित है लोग इन्हे दाता साहब के नाम से जानते हैं लोगों का मत है कि इनके दरबार से कोई खाली हाथ नहीं जाता है।
टाउन नेशनल इण्टर कालेज सैदपुर की शिक्षा का आधार स्तम्भ है। शिक्षा के उच्च प्रतिमान को समेटे यह विद्यालय क्षेत्र के लोगों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराता है। इसकी स्थापना स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आत्माराम पांडे ने 1946 मे किया था। टाउन नेशनल इण्टर कालेज के पूरब तरफ ही रंगमहल मन्दिर व परमहंस आश्रम स्थित है। इसके मुख्य द्वार से पष्चिम तरफ बाबा साहिब की मजार स्थित है । स्थानीय नागरिक सुरेन्द्र प्रताप यादव का मानना है कि पुर्व में यह स्थान मुगल बादशाह के निवास के रूप मे प्रयुक्त होता रहा होगा। एक खास बात यह है कि टाउन नेशनल इण्टर कालेज के की्रड़ा मैदान पर ही प्रत्येक वर्ष सुशीला देवी क्रिकेट प्रतियोगिता होता है जिसमें राष्ट्रीय व राज्य स्तर के क्रिकेट खिलाड़ी व फिल्म कलाकार आते है ।
सैदपुर स्थित सब्जी मण्ड़ी से वाराणसी, बिहार व अन्य जगहों के लिये सब्जीयाँ भेजी जाती है। यहाँ सस्ती व अच्छी सब्जियाँ मिलती हैं। हर प्रकार के फल व सब्जियों के प्रसिद्ध सैदपुर सब्जी मण्डी अपने तरफ बरबस ही ग्राहकों को आकर्षित करती है। सैदपुर स्थित गंगा नदी पर बना पीपा का पुल चन्दौली व गाजीपुर जनपद को जोड़ता है। प्रत्येक वर्ष अक्टुबर माह से जून माह तक रहता है जिससे कि दोनों जनपदों के व्यापारीयों समेत आम नागरिकों को जोड़ने का काम करता है। पीपा पुल से व्यापर को काफी लाभ मिलता है इसके सहारे छोटे व्यापरी व किसान आसानी से गंगा नदी को लांघ कर अपनी उगायी सब्जीयों को बेच लेते हैं।
ठीक इसी के बगल से गंगा नदी पर सेतु बनाने का कार्य विगत कई वर्षों से काफी कच्छप गति से चल रहा है। हाल यह है कि सन् 2000 से जारी यह कार्य केवल कुछ अर्धनिर्मित खम्भे ही खड़ा कर पाया है। धनाभाव के चलते काम रूक गया था। इस पुल के बन जाने से दोनों जिलों की दूरीयां सिमट जायेगी। गंगा घाट पर ही बूढ़े महादेव की विशाल मन्दिर है। गंगा घाट से स्नान कर भक्त बाबा के दर्शन-पूजन करते हैं। इनके बारे में कहा जाता है कि जब विश्वामित्र जी श्रीराम व लक्ष्मण जी के साथ ताड़ूका वध के लिए जा रहे थें तो सैदपुर में ही गंगा घाट पर एक दिन का प्रवास किया था तभी बूढ़े महादेव की स्थापना की थी। इसी लिए लोग इनकी उत्पत्ती पृथ्वी से मानते हैं। यहाँ पर रामनवमी के दिन मेले का आयोजन होता है जिसमें भक्त इनका अभिषेक व पूजन-अर्चन का भव्य कार्यक्रम करते हैं।
04बूढ़े महादेव से मात्र पाँच सौ मीटर की दूरी पर शेख सम्मन बाबा की मजार स्थित है। धार्मिक सौहार्द की नगरी में एक अनुठी मिशाल है शेख सम्मन बाबा की मजार , यहाँ पर रामनवमी के ठीक बाद उर्स का आयोजन किया जाता है। शेख सम्मन बाबा के बारे में स्थानीय बूजुर्ग जमाल अहमद बताते हैं कि ‘‘एक ब्राह्मण दम्पत्ति को संतान नहीं थे वे काफी निराश थें तभी कहीं से एक फकीर का गुजरना उधर से हुआ उन्होने फकीर से अपनी व्यथा सुनायी। तब फकीर ने उस ब्राह्मण दम्पत्ति को आर्षीवाद दिया और कहा कि जा तुम्हे आठ संतान होंगे मगर मुझे तुम्हारा आठवां संतान चाहिए। ऐसा ही हुआ और समय बीतता गया तब एक दिन अचानक उस फकीर का गुजरना उधर से हुआ और फकीर ने वादा के मुताबिक ब्राह्मण दम्पत्ति से पुत्र माँगा मगर उन्होने लड़के को छिपा दिया जिसपर फकीर ने आवाज लगाया कि चल रे सम्मना और बालक फकीर के पीछे चल पड़ा। सम्मन के माने आठवां होता है। आगे जाकर बालक बहुत बड़ा फकीर बना।’’ सम्मन बाबा के बारे प्रचलित है कि एक बार कोई राजा कोढ़ की बीमारी से पीड़ीत था हर जगह से थक कर काशी में देह त्यागने की इच्छा रख कर नाव से जा रहा था कि रात के समय नाविक को आग की जरूरत हुई और नाविक ने नाव नदी के किनारे लगाया तो देखा कि एक फकीर अपनी साधना में लिप्त है आग जल रहा है। नाविक फकीर के तेज से प्रभवित हो कर राजा से उससे मिलने को कहा राजा ने न चाहते हुए भी नाविक के बात पर फकीर के सामने जा कर अपनी व्यथा कहने लगा तब उन्होने राजा को पास पड़ी राख उठा कर दिया और कहा कि जा इसे लगाना। राजा को पहले विष्वास न हुआ मगर उसने बाबा के कहे के अनुसार किया और कोढ़ मुक्त हो गया। सम्मन बाबा के बार में अनेक किस्से प्रचलित है।
06सैदपुर तहसील के पास ही माँ काली की मन्दिर है जहाँ हर समय लोगों की भीड़ दर्शन-पूजन के लिए जमा रहती है। लोग इनको जीवित देवी के रूप में पूजते हैं। नवरात्र के दिनो में देवी पूजन के समय भक्तों का रेला लगा रहता है। स्थानीय नागरिक सुरेन्द्र प्रताप यादव ने बताया कि प्रज्ञा पुरूश श्री आनन्द प्रभु जी जो कि अभी जीवित हैं गाय घाट पर तपस्या करते थें तथा रोजाना माँ काली की पूजा किया करते थें एक बार आपको माता ने साक्षात दर्शन दिया था। सैदपुर स्थित वन बिहार लोगों के लिए शान्ति स्थल का काम करता है। यह पार्क बच्चों के लिए मनोरंजन का केन्द्र है। इसमें नाना प्रकार के वृक्ष हैं तथा शान्त स्थल पर्यावरण को सिंचित करता शहर के लिए शुद्ध हवा उपलब्ध कराता है।
05सैदपुर से 6 किमी0 पूर्वोत्तर की दिशा में स्थित भीतरी गाँव गुप्तकालीन इतिहास के स्वर्णयुग का गवाह है। यहाँ गाजी बाबा की मजार स्थित है। ऐसी मान्यता है कि इन्ही के नाम पर गाजीपुर जनपद का नाम पड़ा है। भीतरी में ही बुद्ध शताब्दी लाट स्थित है। भीतरी में ही गुप्त सम्राट स्कन्दगुप्त ने मध्य एशिया के हुडों को हराने के बाद विजय स्तम्भ व विजय लाट का निर्माण करवाया था। खुरदरी लाल पत्थर पर बना यह स्तम्भ 28 फीट उँचा तथा जमीन से उपर 10 फिट तक का भाग वर्गाकार तथा शेष भाग वृत्ताकार है। इसका उपरी हिस्सा घण्टानुमा है। इसपर विकसित कमल की अधोमुखी पंखुडि़यां अंकित हैं। इस वृत्ताकार स्तम्भ का व्यास 2 फुट 3 इंच है। इस स्तम्भ के उपर एक गोल चैकी पर एक सिंह की आकृति बनी थी जिसका अब कोई चिन्ह शेष नहीं है। स्तम्भ के नीचे अंकित शिलालेख अब समाप्त प्राय हो चुका है। गाजीपुर गजेटियर के अनुसार यह प्रस्तर स्तम्भ जो कभी एक किले के अन्दर स्थित था वर्तमान में किले के भगनावशेष एवं भूगर्भ स्थित एक विशाल कक्ष को साकार करती ईंटों की खण्डित प्राचीर के पास खुले आकाष में खण्डित रूप में विद्यमान है। इस स्तम्भ के बगल में घण्टानुमा एक कक्ष स्थित है जो गुप्तकालीन स्वर्णयुग की याद दिलाती है। स्तम्भ के पास ही खुदायी में विशाल कक्ष मिला है जिसका जीर्णोद्धार भारत सरकार के सौजन्य से किया जा रहा है। ऐसी अनेकों ऐतिहासिक विरासत सम्हाले सैदपुर भारतीय इतिहास में अपना उच्च स्थान रखता है। सामाजिक सौहार्द की यह नगरी सामाजिक ताना बाना को एक सुत्र में पिरोने का काम करती है।

कोई दीवाना कहता है

कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है
मै तुझसे दूर कैसा हू तू मुझसे दूर कैसी है ये मेरा दिल समझता है या तेरा दिल समझता है
मोहबत्त एक अहसासों की पावन सी कहानी है कभी कबीरा दीवाना था कभी मीरा दीवानी है
यहाँ सब लोग कहते है मेरी आँखों में आसूं है जो तू समझे तो मोती है जो ना समझे तो पानी है
मै जब भी तेज़ चलता हू नज़ारे छूट जाते है कोई जब रूप गढ़ता हू तो सांचे टूट जाते है
मै रोता हू तो आकर लोग कन्धा थपथपाते है हँसता हू तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते है
समंदर पीर का अन्दर लेकिन रो नहीं सकता ये आसूं प्यार का मोती इसको खो नहीं सकता

किसी के लिए अमृत

किसी के लिए अमृत
तो किसी के लिए ज़हर है जिंदगी
किसी के लिए शब
तो किसी के लिए सहर है जिंदगी
किसी के लिए गुल
तो किसी के लिए जार है जिंदगी
मगर फिर भी नाशाद
चलते रहने का ही नाम है जिंदगी
चलने से तय है मंजिल
हर सफ़र का यही अंजाम है जिंदगी
= नरेश नाशाद

पांच डॉक्टर और एक शिक्षक

पांच डॉक्टर और एक शिक्षक
हेलीकाप्टर की रस्सी में लटक रहे थे..

पायलट बोला : 'वजन अधिक है,
एक आदमी को रस्सी छोड़ना पड़ेगा..!'

शिक्षक कहता हैं : 'ये कुर्बानी मैं दूँगा,
आप सभी ताली बजाओ..!!'

सभी डॉक्टर ताली बजाने लगे,
और वजन कम हो गया..!!!
Moral :
"डॉक्टर बनो या इंजीनियर
गुरु तो गुरु होता है....!!!"

जब से चूड़ियों ने

जब से चूड़ियों ने
सुन्दरता को छोड़
कमजोरी को चुना है
मैंने चूड़ीयाँ पहननी छोड़ दी है !
और वैसे भी .....
उनकी मांग .....
सत्ता के गलियारों में ज्यादे है !!
मनिहारन गली का मंदा धंधा
चल निकला है
अब हर नाप की चूड़ियाँ
तादाद में बन रही हैं ..!!!
~s-roz~

सुबह तो हुई मित्रों, पर कैसे कहूँ मैं सुप्रभात-

सुबह तो हुई मित्रों, पर कैसे कहूँ मैं सुप्रभात-
'एक तरफ चीन की हरकत,दूसरी तरफ पाक-नापाक ,
देश में दरिंदगी का आलम, दूजी और नाकाम सरकार ,
कैसे कहूँ मैं सुप्रभात,
सम्भावनाओं की उदित किरणें संध्या मायूस हो जाती हैं.
सुबह जगी जो आस, वह सूर्यास्त तक बुझ जाती है ..!
मित्रों कैसे कहूँ आज सुप्रभात..

कृष्ण उस प्यार की समग्र परिभाषा है जिसमें मोह भी शामिल है

"कृष्ण उस प्यार की समग्र परिभाषा है जिसमें मोह भी शामिल है ...नेह भी शामिल है ,स्नेह भी शामिल है और देह भी शामिल है ...कृष्ण का अर्थ है कर्षण यानी खीचना यानी आकर्षण और मोह तथा सम्मोहन का मोहन भी तो कृष्ण है ...वह प्रवृति से प्यार करता है ...वह प्राकृत से प्यार करता है ...गाय से ..पहाड़ से ..मोर से ...नदियों के छोर से प्यार करता है ...वह भौतिक चीजो से प्यार नहीं करता ...वह जननी (देवकी ) को छोड़ता है ...जमीन छोड़ता है ...जरूरत छोड़ता है ...जागीर छोड़ता है ...जिन्दगी छोड़ता है ...पर भावना के पटल पर उसकी अटलता देखिये --- वह माँ यशोदा को नहीं छोड़ता ...देवकी को विपत्ति में नहीं छोड़ता ...सुदामा को गरीबी में नहीं छोड़ता ...युद्ध में अर्जुन को नहीं छोड़ता ...वह शर्तों के परे सत्य के साथ खडा हो जाता है टूटे रथ का पहिया उठाये आख़िरी और पहले हथियार की तरह ...उसके प्यार में मोह है ,स्नेह है,संकल्प है, साधना है, आराधना है, उपासना है पर वासना नहीं है . वह अपनी प्रेमिका को आराध्य मानता है और इसी लिए "राध्य" (अपभ्रंश में हम राधा कहते हैं ) कह कर पुकारता है ...उसके प्यार में सत्य है सत्यभामा का ...उसके प्यार में संगीत है ...उसके प्यार में प्रीति है ...उसके प्यार में देह दहलीज पर टिकी हुई वासना नहीं है ...प्यार उपासना है वासना नहीं ...उपासना प्रेम की आध्यात्मिक अनुभूति है और वासना देह की भौतिक अनुभूति इसी लिए वासना वैश्यावृत्ति है . जो इस बात को समझते हैं उनके लिए वेलेंटाइन डे के क्या माने ? अपनी माँ से प्यार करो कृष्ण की तरह ...अपने मित्र से प्यार करो कृष्ण की तरह ...अपनी बहन से प्यार करो कृष्ण की तरह ...अपनी प्रेमिका से प्यार करो कृष्ण की तरह ... .प्यार उपासना है वासना नहीं ...उपासना प्रेम की आध्यात्मिक अनुभूति है और वासना देह की भौतिक अनुभूति ." ----राजीव चतुर्वेदी

चीखते-पुकारते महिला थाने पहुंची लेकिन पुलिस ने कहा-जब रेप हो जाए तब आना!



मदनगंज-किशनगढ़.देश में दुष्कर्म की आए दिन हो रही घटनाओं से पूरा देश आंदोलित है, दूसरी ओर पुलिस अब भी रवैया बदलने को तैयार नहीं है।
 
अरांई थाना क्षेत्र में दुराचार के प्रयास का मुकदमा दर्ज कराने गई पीड़िता व उसके पति को थाना पुलिस ने यह कहकर भगा दिया कि ज्यादती हो जाए तो मुकदमा दर्ज कराना। अब कोर्ट ने अरांई थाना पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं।

स्टिंग ऑपरेशन: 15 हजार रु.लिए और बताया - गर्भ में लड़का है!



जयपुर.चिकित्सा विभाग की पीसीपीएनडीटी इकाई की स्टेट विंग ने गुरुवार शाम शहर में दो स्थानों पर स्टिंग ऑपरेशन कर भ्रूण परीक्षण करते दो डॉक्टरों को रंगे हाथों पकड़ा।
 
सांगानेर में फागी रोड पर किरण नर्सिग होम में गर्भवती से पांच हजार रुपए लेकर गर्भ में लड़की बताई। आदर्श नगर के अनिल हॉस्पिटल में 15 हजार में डॉक्टर ने गर्भ में लड़का बताया। दोनों स्थानों से सोनोग्राफी मशीन जब्त कर केस दर्ज किया गया है।

कुरान का सन्देश

1 अगस्त से जयपुर में शुरू होगी मेट्रो, मानसरोवर से चांदपोल तक होगा पहला सफर



जयपुर। जयपुर में मेट्रो ट्रेन अब 1 अगस्त से शुरू होगी। पहले सरकार ने इसे 30 जून,2013 से चलाने की घोषणा की थी। रेलवे से समय पर मंजूरी नहीं मिलने और इसका काम कर रही डीएससी कंपनी के पास प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं होने की वजह से इस काम में देरी हुई है। अब कंपनी को 30 जून, 2013 तक मेट्रो रूट का सिविल वर्क पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि 1 जुलाई से मेट्रो का ट्रायल शुरू किया जा सके। नगरीय विकास मंत्रीशांतिधारीवाल ने गुरुवार को अपने निवास पर जयपुर मेट्रो के कामकाज की समीक्षा के बाद मीडिया को यह जानकारी दी। धारीवाल ने बताया कि सरकार मेट्रो चलाने में किसी तरह की जल्दबाजी नहीं करना चाहती।
सरकार के लिए जन सुरक्षा पहली प्राथमिकता है, भले ही मेट्रो कुछ समय लेट हो जाए। उन्होंने बताया कि हमारी मेट्रो के लिए बेंगलूर से कोच रवाना हो चुके हैं। इस बीच दिल्ली मेट्रो से भी कुछ कोच मंगवाए गए हैं। इनके कोच 20 मई तक जयपुर पहुंचने की संभावना है।इधर, हमारी मेट्रो का काम कर रही कंपनियों को अब टाइम बाउंड प्रोग्राम दिया गया है। बैठक में नगरीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव जी.एस. संधू और जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन के सीएमडी एन.सी. गोयल समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
प्रयास चांदपोल तक के लिए ही :धारीवाल ने बताया कि पहले चरण में जयपुर मेट्रो को मानसरोवर से चांदपोल तक ही चलाने के प्रयास किए जा रहे हैं। फिर भी अगर कोई तकनीकी समस्या आई तो मेट्रो को रेलवे स्टेशन तक तो चलाया ही जाएगा।
चांदपोल से बड़ी चौपड़ का शिलान्यास जुलाई में: जयपुर मेट्रो के चांदपोल स्टेशन से आगे बड़ी चौपड़ तक ले जाने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई है। मानसरोवर से चांदपोल रूट तक मेट्रो शुरू होने के साथ ही जुलाई में चांदपोल से बड़ी चौपड़ तक के लिए भी शिलान्यास कर दिया जाएगा।
हां, कंपनी की लेटलतीफी: नगरीय विकास मंत्री ने माना कि मेट्रो का प्रोजेक्ट डीएससी कंपनी की वजह से ही लेट हो रहा है। कंपनी की ओर से श्रमिकों और वेंडर्स को समय पर भुगतान नहीं करने, प्रशिक्षित कर्मचारी नहीं होने और एमओयू की शर्तों का उल्लंघन होने के बावजूद इसी कंपनी से काम करवाने की मजबूरी को लेकर धारीवाल ने कहा कि कंपनी से इस स्टेज पर काम वापस नहीं लिया जा सकता।ऐसा करेंगे तो काम वापस लेकर नई कंपनी को देने में काफी समय लगेगा और कानूनी अड़चनें भी पैदा हो सकती हैं।इसलिए काम तो इसी कंपनी से करवाना पड़ेगा।
रविवार 5 मई को फिर समीक्षा बैठक: धारीवाल ने बताया कि जयपुर मेट्रो के काम को अब तेज किया गया है। मेट्रो रूट पर 24 घंटे काम चल रहा है। सिविल वर्क समय पर पूरा हो, इसके लिए रविवार 5 मई को दोपहर 12.30 बजे फिर मेट्रो की समीक्षा बैठक रखी गई है।

7 महिलाओं से रेप के आरोपी बाबा की चप्‍पल से निकले 2 लाख रुपये



मुंबई। जादू-टोना की आड़ में सात महिलाओं से दुष्कर्म के आरोप में आर्थर रोड जेल में बंद बंगाली बाबा की चप्पल से दो लाख रुपए बरामद हुए हैं। इस घटना से जेल प्रबंधन में हलचल मच गई है। यह पैसे बाबा के पास कैसे और कहां से आए इसे लेकर माथापच्ची जारी है। 
 
20 अप्रैल को बाबा मेहंदी कासिम खान को सत्र न्यायालय में पेश किया गया था। पेशी के बाद लौटते समय जेल के प्रवेश द्वार पर तैनात पुलिसकर्मियों की नजर बाबा की भारी भरकम चप्पल पर पड़ी। जब इसके बारे में बाबा से पूछा गया तो वह संतोषजनक जवाब नहीं दे सका। तलाशी लेने पर बाबा की दोनों चप्पलों से एक- एक लाख रुपए बरामद हुए। असल में कोर्ट जाते समय बाबा ने स्लीपर पहन रखे थे और लौटते समय वह मोटी चप्पल पहने हुए था। जेल सुरक्षाकर्मियों ने फौरन उसे ताड़ लिया। जेल सुरक्षाकर्मियों को ध्यान था कि बाबा कोर्ट स्लीपर पहनकर गया था। जो पुलिसकर्मी उसे कोर्ट में पेशी के लिए ले गए थे, वे बाबा की करामात को नहीं भांप सके। बाबा ने कब और कहां चप्पल बदली पुलिस को भनक तक नहीं लगी। बाबा के पास बरामद हुई रकम पुलिस ने जप्त कर ली है। 
 
बाबा से पूछे जाने पर उसने बताया कि उसे यह पैसे उसकी चाची ने दिए हैं। उसे वकील की फीस देेने व अन्य खर्च के लिए पैसों की जरूरत थी। डीआईजी (जेल) विनोद लोखंडे के मुताबिक बाबा जेल में पैसे ले जा रहा था। उसके पास कोई संवेदनशील वस्तु नहीं थी। इसलिए बाबा पर मामला दर्ज नहीं किया गया है। वह पैसे जेल में क्यों और किसलिए ले जा रहा था। पुलिस क्या कर रही थी, पैसे देनेवाली चाची जैसे पहलुओं की जांच पड़ताल की जा रही है। बाबा को मई 2009 में महानगर के भिंडी बाजार में रहनेवाली सात लड़कियों से दुष्कर्म के मामले में गिरफ्तार किया गया था। बाबा पर आरोप है कि जादू टोना का प्रपंच रचकर उसने एक विवाहित महिला, उसकी बहन, दो बेटियों व उनके मकान में किराए पर रहनेवाली महिला के साथ दुष्कर्म किया। बाबा के कल्याण स्थित मकान से एक करोड़ रुपए बरामद हुए थे।

एक दिन में 25 ग्राहकों से सेक्‍स, मुफ्त में भी बेचना पड़ता है जिस्‍म



न्‍यूयॉर्क. अमेरि‍का में सेक्‍स स्‍कैंडल का बड़ा मामला सामने आया है। यहां वेश्‍यावृत्‍ति करने वाली महि‍लाओं का काफी बुरा हाल है। अमेरि‍की अधि‍कारि‍यों के मुताबि‍क मेक्‍सि‍को से जवान लड़कि‍यां इस धंधे में जबरदस्‍ती लाई जा रही हैं। कुछ को तो न्‍यूजर्सी में कि‍सानों के लि‍ए छोड़ दि‍या जाता है जहां रोजाना कम से कम 25 लोग एक लड़की के साथ शारीरि‍क संबंध बनाते हैं। इनमें से कुछ को न्‍यूयॉर्क भेज दि‍या जाता है जहां उन्‍हें वेश्‍यावृत्‍ति के लि‍ए बहुत कम पैसा मि‍लता है। कभी कभी तो इन्‍हें मुफ्त में भी अपना जिस्‍म सौंपना पड़ता है। 
 
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब 13 लोगों के खि‍लाफ महि‍लाओं से जबरन वेश्‍यावृत्‍ति कराने की शि‍कायत दर्ज हुई। बुधवार को इनकी मैनहट्टन की अदालत में पेशी हुई जहां उनमें से 8 को जेल भेज दि‍या गया। 4 लोगों को अभी न्‍यायि‍क हि‍रासत में रखा गया है जबकि एक को रि‍हा कर दि‍या गया। 
 
अमेरि‍की अटॉर्नी प्रीत भरारा ने अपने बयान में कहा कि इन सभी को अमेरि‍का में रहने के सपने दि‍खाए गए और उसके बाद इन्‍हें नरक में ढकेल दि‍या गया। न्‍यूयॉर्क के इमि‍ग्रेशन डि‍पार्टमेंट के हेड जेम्‍स हायस ने बताया कि जांच का मकसद उस रास्‍ते को बंद करना था जो सेक्‍स ट्रैफि‍किंग के लि‍ए इस्‍तेमाल होता है। यह महि‍लाएं टेनान्‍सिंगो, मेक्‍सि‍को से लाई जाती हैं। 
 
टेनान्‍सिंगो टैक्‍सला राज्‍य में है और लंबे समय से वेश्‍यावृत्‍ति के लि‍ए कुख्‍यात है। यहां पर शादि‍यां सिर्फ तोड़ने के लि‍ए की जाती हैं। कम उम्र की बच्‍चि‍यों को गुलाम बनाकर उन्‍हें वेश्‍यावृत्‍ति में धकेला जाता है। यहां से मैक्‍सि‍को और अमेरि‍का के ज्‍यादातर शहरों में लड़कि‍यों को वेश्‍यावृत्‍ति के लि‍ए भेजा जाता है।

राहुल ने सरबजीत के परिवार को किया 'हाइजैक', बीजेपी का आरोप



नई दिल्‍ली. सरबजीत की मौत के बाद उसके परिवारवालों की सहानुभूति लेने की होड़ लग गई है। मुख्‍य विपक्षी दल बीजेपी ने आरोप लगाया है कि सरबजीत के जिंदा रहते कांग्रेस ने सुध नहीं ली लेकिन अब मौत के बाद इसका सियासी फायदा उठाने में जुट गई है। बीजेपी प्रवक्‍ता शाहनवाज हुसैन ने कहा, 'लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्‍वराज सरबजीत के परिजनों से मिलने जा रही थीं कि पता चला कि राहुल गांधी मिलने आए थे और परिवार को ले गए। इस सूचना के बाद सुषमा लौट आईं। सुषमा सरबजीत के परिवार के लोगों से दर्द बांटना चाहती थी लेकिन विपक्ष का कोई भी व्‍यक्ति नहीं सरबजीत के परिजनों से नहीं मिल सका।'
 
उन्‍होंने कहा, 'गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे और कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी अगर पहले भी इतना ज्‍यादा सक्रिय होते और सरबजीत की चिंता करते तो उनकी जान बचाई जा सकती थी। अकाली दल से सांसद हरसिमरत कौर बादल ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार ने समय रहते सरबजीत की रिहाई के लिए कड़े कदम उठाया होता तो आज ऐसे दुखद हालात नहीं होते।

पाकिस्‍तान के अड़ंगे के बाद भी भारत आया सरबजीत का शव



लाहौर/नई दिल्ली। पाकिस्‍तान की जेलों में 22 साल गुजराने के बाद लाहौर के जिन्‍ना अस्‍पताल में आखिरी सांस लेने वाले सरबजीत सिंह का शव गुरुवार रात उनके पैतृक गांव भिखीविंड ले जाया गया। इससे पहले लाहौर से शव लेकर एयर इंडिया का विशेष विमान जब अमृतसर एयरपोर्ट पर उतरा तो वहां विदेश राज्‍य मंत्री परनीत कौर, पंजाब के डिप्‍टी सीएम सुखबीर सिंह बादल और पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष प्रताप सिंह बाजवा समेत कई नेता मौजूद रहे। लेकिन सरबजीत का शव लेकर लाहौर एयरपोर्ट से इस विमान के उड़ान भरने में वहां के अधिकारियों की वजह से देरी हुई। सरबजीत की लाश को भारत भेजते समय आखिरी वक्‍त में पाकिस्‍तान की लालफीताशाही आड़े आई। पहले पाकिस्‍तान के कस्‍टम अधिकारियों ने सरबजीत का शव भारत भेजने से रोका, फिर वहां की एंटी नारकोटिक्‍स फोर्स ने अड़ंगा डाला। 
 
कस्‍टम अधिकारी शव को भारत भेजने से पहले एनओसी, पोस्‍टमॉर्टम रिपोर्ट और पुलिस रिपोर्ट मांग रहे थे। पाकिस्‍तानी अधिकारी विदेश मंत्रालय से भी क्लियरेंस मांग रहे थे। इसके बाद एंटी नारकोटिक्‍स टीम ने सरबजीत का शव भारत भेजने की मंजूरी देने से पहले हॉस्पिटल की तरफ से क्लियरेंस की मांग की। इस तरह सरबजीत का शव लेने गया एयर इंडिया का विशेष विमान एयरबस 319 लाहौर एयरपोर्ट पर करीब तीन घंटे से अधिक समय तक खड़ा रहा। कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद शव को भारतीय विमान में रखा जा सका। (57 पाकिस्तानी कैदियों को भारतीय कैदियों से अलग किया)
 
सरबजीत को शव को पोस्‍टमॉर्टम के लिए पहले पट्टी ले जाया जाएगा। इसके बाद शव को परिजनों को सौंप दिया जाएगा। सरबजीत का परिवार दिल्‍ली से विमान के जरिये अमृतसर और फिर वहां से हेलिकॉप्‍टर के जरिये भिखीविंड पहुंचा जहां कल दोपहर दो बजे सरबजीत का अंतिम संस्कार होगा। लाहौर के जिन्‍ना अस्‍पताल में सरबजीत के शव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सरबजीत की मौत का कारण टॉर्चर को बताया गया है। पोस्टमार्टम के बाद शव भारतीय अधिकारियों को सौंप दिया गया। गत 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में पाकिस्‍तानी कैदियों के हमले में सरबजीत को गंभीर चोट आई थी जिसके बाद उन्‍हें अस्‍पताल में भर्ती कराना पड़ा था। गुरुवार आधी रात के बाद करीब डेढ़ बजे सरबजीत के मौत की खबर आई। (
 
इस बीच, जीते जी सुध नहीं लेने वाली सरकार मरने के बाद सरबजीत और उनके परिवार वालों पर कृपा बरसा रही है। मनमोहन सिंह ने प्रधानमंत्री राहत कोष से सरबजीत के परि‍वार वालों को 25 लाख रुपये देने की घोषणा की तो पंजाब सरकार ने एक करोड़ रुपये देने का ऐलान कर दिया। पंजाब सरकार सरबजीत को शहीद का दर्जा देने के साथ सरबजीत की बेटियों को सरकारी नौकरी भी देगी। सरबजीत का अंतिम संस्‍कार भी पूरे राजकीय सम्‍मान के साथ किया जाएगा। पंजाब में तीन दिन के राजकीय शोक की घोषणा की गई है

तिहाड़ में आराम की रोटी तोड़ रहे 11 पाकिस्तानी आतंकी



नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। सुबह जगते ही ब्रेड के साथ चाय। फिर 11 बजते ही खाने की थाली हाजिर। मन किया तो वार्ड से निकलकर टहल लिया वरना खाना खाने के बाद सेल में खर्राटे लेने चले गए। दोपहर में चाय लेने के बाद पाकिस्तानी कैदियों के साथ गप शप व सूर्य के ओझल होते ही खाना खाकर बेड पकड़ लिया। यह दिनचर्या किसी रईस के नहीं। बल्कि तिहाड़ जेल में बंद 11 आतंकवादियों की है। पाकिस्तान की लखपत जेल में भले ही सरबजीत की पिट पिटकर हत्या कर दी गई। लेकिन ये पाकिस्तानी आतंकवादी आराम की रोटी तोड़ रहे हैं।

सर्वजीत की मौत के बाद तिहाड़ जेल के कैदियों में भी पाकिस्तान के प्रति गुस्सा है। उन्हें पाकिस्तानी कैदियों से मिलने पर रोक लगा दी गई है। तिहाड़ में फिलहाल 20 पाकिस्तानी हैं। जिसमें 11 आतंकवादी हैं। इसके अलावा पाकिस्तानी राजधानी दिल्ली में चरस, अफीम, हेरोइन, गांजा जैसे नशीला पदार्थ भी पहुंचा रहे हैं। यही वजह है कि नौ कैदी एनडीपीएस एक्ट में बंद है। जेल सूत्रों के अनुसार एनडीपीएस एक्ट में बंद पाकिस्तानियों को सामान्य कैदियों के साथ जनरल वार्ड में रखा जाता था। तिहाड़ के कैदियों में गुस्से को देखते हुए इनकी सुरक्षा चौकस कर दी गई है। इन्हें जनरल वार्ड के बैरख से हटाकर अलग सेल में रख दिया गया है। जबकि 11 आतंकवादियों को अलग-अलग जेलों के हाई सिक्यूरिटी वार्ड में रखा गया है। वार्ड के बाहर तमिलनाडु पुलिस के जवानों का पहरा है। सीसीटीवी से भी निगरानी रखी जा रही है।

पाकिस्तानी आतंकवादियों को सुबह करीब 5.30 बजे जगते ही नमाज अता करने के बाद करीब सात बजे तक चाय व दो ब्रेड नास्ते में मिल जाता है। सुबह 11 बजे दाल, रोटी, सब्जी व चावल की थाली खाने को मिलती है। इन्हें खाना लेने भी जाना नहीं पड़ता। खाना वार्ड में पहुंचाया जाता है। दोपहर में तीन बजे चाय व शाम 6.30 बजे फिर खाना मिल जाता है। सब कुछ टाइम पर होता है। इसके अलावा वे जिस जेल में बंद होते हैं, उस जेल में दूसरे पाकिस्तानी कैदियों से मिलने भी दिया जाता है। भारतीय कैदियों से भी बातचीत करते हैं। जेल सूत्रों के अनुसार सरबजीत की हत्या से पाकिस्तानी कैदी सहमे हुए हैं। फिलहाल वे वार्ड से बाहर नहीं निकल रहे।

आतंकवादियों से नहीं लिया जाता काम

यहां बंद पाकिस्तानी आतंकवादियों में मोहम्मद हीदर, मोहम्मद हनीफ, मोहम्मद जावेद, अमजद अली हैं। ये दस साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। सुरक्षा कारणों से इन्हें जेल में काम नहीं करना पड़ता। तबियत बिगड़ने पर इलाज भी मुफ्त में हो जाती है। डाक्टर इन के वार्ड तक चलकर जाता है। लाल किला कांड का दोषी मोहम्मद आरिफ को फांसी की सजा हुई है। जो इन दिनों तिहाड़ का खास मेहमान है।

मजहब तुम्हारे आँगन के

मजहब
तुम्हारे आँगन के
गुलमोहर की शरारती डाल
मेरी छत तक पहुँचकर
इठलाया करती थी साधिकार
जाड़े की धूप में
उसकी चटख हरी पत्तियों को देखकर
मेरा मन भी हो जाता था हरा
हम दोनों के बीच था
अनाम मह-मह करता रिश्ता
नहीं थी भाषा और मजहब की दीवार
आज तुमने निर्ममता से
खींच ली है वह डाल
जो अब धूल-धूसरित
छिन्न-भिन्न पड़ी है
तुम्हारे आँगन में
खो चुका है उसका हरापन
पर तुम खुश हो
कि मजहब को कैद कर लिया है
अपनी चारदीवारी में |

हमारा प्राचीन संस्कृति वाला महान देश

हमारा प्राचीन संस्कृति वाला महान देश "बड़े लोगों" का कुछ नहीं बिगाड़ सकता- लोग दंगे करवाते हैं और आज़ाद हो जाते हैं.
हमारा देश "गरीबों और कमजोरों" के लिए कुछ नहीं कर सकता- सरबजीत की मौत हो गयी. कोई कुछ कर पाया?
याद है- इसी देश ने एक मंत्री की पुत्री के अपहरण के बदले कई आतंकवादियों को छोड़ दिया था. क्या सरकार सच में कुछ नहीं कर सकती थी? कब तक दोनों देशों की नफ़रत की राजनीति में गरीब लोग बलि का बकरा बनते रहेंगे?
मैं राजनीति शास्त्र की विद्यार्थी रही हूँ. मुझे पता है कि अंतर्राष्ट्रीय राजनीति बहुत जटिल होती है, लेकिन मुझे यह भी मालूम है कि कमजोरों और सबलों के लिए नीतियाँ अलग-अलग होती हैं. चाहे देश के अन्दर की राजनीति हो या अंतर्राष्ट्रीय राजनीति.

जब कभी तुम्हारी

जब कभी तुम्हारी
आँखों में,
सावन के बादल डोलेंगे,
मैं भी उस बादल में छुपकर,
उन आँखों में
बस जाउंगी......
या फिर
नैनों के कोरों से,
गिरकर,छूकर
तेरे कपोल,
तेरे अधरों के
कोनों पर
दो पल रूककर,
तेरी ऊँगली की
पोरों पर,
सो जाउंगी.....
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