"कुत्तों ने अक्षांश निहारा अक्षों से
देशांतर पर फिर वह भोंके मुस्तैदी से
बहसों का परिदृश्य यहाँ कुछ ऐसा है
हर गूलर का भुनगा कोलम्बस को पढ़ा रहा भूगोल यहाँ
ज्ञान के जुगनू करें विज्ञान की बातें
और घर में लगे कुछ लोग बिजली के मीटर से
सूरज की रोशनी की अब कीमत बताते हैं
यह माना रात है गहरी और आंधीयां जोरों पर हैं
फिर भी तुम सहमे नहीं हो तो बताओ
सूरज के उजाले में अपने ज्ञान का यह टिमटिमाता सा दिया
तुम दिन में क्यूँ जलाते हो ?" ----राजीव चतुर्वेदी
"कुत्तों ने अक्षांश निहारा अक्षों से
देशांतर पर फिर वह भोंके मुस्तैदी से
बहसों का परिदृश्य यहाँ कुछ ऐसा है
हर गूलर का भुनगा कोलम्बस को पढ़ा रहा भूगोल यहाँ
ज्ञान के जुगनू करें विज्ञान की बातें
और घर में लगे कुछ लोग बिजली के मीटर से
सूरज की रोशनी की अब कीमत बताते हैं
यह माना रात है गहरी और आंधीयां जोरों पर हैं
फिर भी तुम सहमे नहीं हो तो बताओ
सूरज के उजाले में अपने ज्ञान का यह टिमटिमाता सा दिया
तुम दिन में क्यूँ जलाते हो ?" ----राजीव चतुर्वेदी
देशांतर पर फिर वह भोंके मुस्तैदी से
बहसों का परिदृश्य यहाँ कुछ ऐसा है
हर गूलर का भुनगा कोलम्बस को पढ़ा रहा भूगोल यहाँ
ज्ञान के जुगनू करें विज्ञान की बातें
और घर में लगे कुछ लोग बिजली के मीटर से
सूरज की रोशनी की अब कीमत बताते हैं
यह माना रात है गहरी और आंधीयां जोरों पर हैं
फिर भी तुम सहमे नहीं हो तो बताओ
सूरज के उजाले में अपने ज्ञान का यह टिमटिमाता सा दिया
तुम दिन में क्यूँ जलाते हो ?" ----राजीव चतुर्वेदी