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04 मई 2013

.जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष लेवल तक कोंग्रेस शुद्धिकरण का अभियान चलाए और कोग्रेस को बचाए देश बचाएं कोंग्रेस लायें

दोस्तों देश में कोंग्रेस के आंतरिक शुद्धिकरण के लियें अब समर्पित कोंग्रेसियों को आगे आना होगा वरना यह चार दिन से सरकारी नोकरियाँ छोड़ कर आये मतलबी कोंग्रेसी इस देश और कोंग्रेस को बर्बाद करके रख देंगे ..मोका परस्त ..चमचे ..चापलूस लोग वर्तमान कोंग्रेस का स्वरूप बिगड़ रहे है रोज़ नियमित भ्रष्टाचार के आरोपों से कोंग्रेस बदनाम हो रही है आखिर किसी भ्रष्ट व्यक्ति को बचाने के लियें कोंग्रेस को अपनी छवि बिगाड़ने की क्या जरूरत है जो करेगा सो भरेगा .......जमीनी स्तर से लेकर शीर्ष लेवल तक कोंग्रेस शुद्धिकरण का अभियान चलाए और कोग्रेस को बचाए देश बचाएं कोंग्रेस लायें 

कोटा में तीन माह से आन्दोलनकरी वकीलों से संवेदनशील मुख्यमंत्री गहलोत शीघ्र वार्ता कर समस्या का समाधान करें


संवेदनशील मुख्यमंत्री जनाब अशोक गहलोत साहब राजस्थान के कोटा जिला न्यायालय में कोटा के वकील तीन माह से भी अधिक समय से हड़ताल पर है उनके से एक प्रमुख मांग कोटा में रेवेन्यु बोर्ड की डबल बेंच खोलने की है जिसे आपने खुदने बजट में स्वीक्रति दी है और कोटा के वकीलों के शिष्ट मंडल से इसका वायदा भी किया था ....अब फिर उस वायदे को पूरा करने के लियें ही तो वकील मांग कर रहे है पुराना वायदा ही तो पूरा करने के लियें याद दिल रहे है एक प्लाट की कीमतों की बात है जो राजधानी स्तर पर पालिसी मेटर  के तहत   तय हो चूका है अब उसमे रियायती दर लागू होने के रास्ते साफ़ है ...इधर कोटा में राजस्थान हाईकोर्ट बेंच स्थापना की मांग है जो आपको ही तय करना है जबकि कोटा में अदालत परिसर में आवश्यक सुविधाएँ उपलब्ध करना तो सरकार की प्रमुख ज़िम्मेदारी है जब सभी मांगे वाजिब है तो अव्वल तो सरकार को खुद ही इन्हें पूरा करना थी वकीलों को हड़ताल की जरूरत नहीं थी अब इस हड़ताल से तीन माह में वकीलों ..पक्षकारों ..सरकार और खुद कोंग्रेस पार्टी की साख को काफी  पहुंचा है ...आदरनीय मुख्यमंत्री जी आपकी संवेदन्शीलता के किस्से सभी जानते है आप खुद पावर विकेंद्रीकरण  करना चाहते है ऐसे में कोटा के वकीलों ने आपको करीब एक हजार पत्र ..फेक्स ..संदेश ...ई मेल भेजे है लेकिन तीन माह से भी अह्दिक वक्त से आंदोलनकारी वकीलों के लिए आपके पास वक्त नहीं है इस मामले में राजस्थान के केबिनेट मंत्री भरत सिंह ..कोटा के संसद इजैराज सिंह ...जन आभाव अभियोग के चेयरमेन मुमताज़ मसीह ...बार कोंसिल के सदस्य और कोंग्रेस विधिप्र्कोष्ठ के सुशील शर्मा .बार कोंसिलर इंद्र राज सेनी सहित कई लोग आपसे इस मामले में सिफारिश  कर चुके है ....खेर कोई बात नहीं व्यस्तता हो सकती है लेकिन अब हम कोंग्रेस समर्थित वकीलों के लियें ही सही इस मामले में संवेदन्शीलता दिखाकर कोटा की जनता के सामने हमे गर्व से कहने के लियें के हमारे मान्न्नीय मुख्यमंत्री जी संवेदनशील है राजस्थान का विकास और समस्याओं का समाधान कर रहे है कोटा के विलों की समस्या का समाधान वार्ता के जरिये शीघ्र निस्तारित करें ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एँ...ये क्या बात हुई जी...भांजे को रिमांड और मामा जी को क्लीन चिट...?



ऐसे तो दुनिया भर के भांजों का मामाओं पे से विश्वास ही उठ जाएगा....ये कांग्रेसी तो खून के रिश्तों को बड़ी तवज्जो देते हैं...और कभी कभी तो गैर रिश्ते भी सर आँखों पे बिठा लेते हैं...

इतिहास देख लो...! इंदिरा जी की रसोइय्या राष्ट्रपति और उन का स्टेनो केंद्र में मंत्री..., संजय गाँधी की रखैल केबिनेट मंत्री..., संजय गाँधी के दारुड़े दोस्त मंत्री..., सोनिया के घर में चम्मचगिरी का सब से बड़ा उदाहरण सफाई और प्लंबिंग आदि आदि का काम देखने वाला राजनितिक सचिव..., पुराने वफादार गुलाम चमचे जो कभी चुनाव नहीं लड़े गुलाम नबी वो स्वास्थ मंत्री... मोरारजी देसाई पे एक सभा में चप्पल फेंक कर चर्चा में आया एक पंचर कलमाड़ी मंत्री...सोनिया को हिंदी सिखाने वाला टीचर मंत्री...ऐसे ऐसे रिश्ते निभाने वाली कांग्रेस में बिचारा भांजा...बेगाना...??? उफ्फ....!!!

हिन्दी माध्यम की दुर्दशा पर पूरा उपन्यास या महाकाव्य लिखा जा सकता है ,

हिन्दी माध्यम की दुर्दशा पर पूरा उपन्यास या महाकाव्य लिखा जा सकता है , लिख भी रहा हूँ '' सांप सीढी का खेल '' .. यूपीएससी के ताज़ा सुधारों का सबसे छिपा पर सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य था नामुराद हिन्दी माध्यम के गलीज़ लोगों को लोक सेवा से बाहर का रास्ता दिखाना ..वह तो अच्छा हुआ ,तेलगू -कन्नड़ -मराठी वाले भिड गये वरना ''क्षेत्रीय भाषा '' के रूप में भी कोई पूंछन हार न मिलता हिन्दी का !.. सेना , सिविल सेवा , उच्च शिक्षा ( आई आई टी , आई आई एम ...) सबसे बाहर हैं हिन्दी वाले ( या सत्ता प्रतिष्ठान द्वारा अछूत रखे गये हैं )... पर दोष क्या केवल एलीट वर्ग का ही है ?..उत्तर आता है ,बिल्कुल नहीं .. हिन्दी पट्टी ने अपनी दुर्दशा की कहानी खुद लिखी है .. यह वही हिन्दी पट्टी है जो लालू जैसे मसखरे को अपने ऊपर १५ साल राज करने की इज़ाज़त देती रही है ..पूरब का ऑक्सफोर्ड व हिन्दी पट्टी का ह्रदय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के छात्रों का स्तर यह है कि उन्होंने उन्हें अपना अध्यक्ष व महामंत्री कोई शरीफ व पढ़ा लिखा आदमी नहीं मिला जो अकेडमिक सुधारों के बारे में कुछ सोच भी सकें ...
हिन्दी माध्यम की शिक्षा की शुरूआत होती है प्रायमरी स्कूलों से , एक मास्टर साहब हैं ..५ क्लास लगीं हैं दरी पर ..मास्टर साहब कूद -२ कर हर क्लास को डील कर रहे हैं .. एक इंटर कालेज है जिसके सारे टीचर स्टाफ रूम में गप्प मार रहे हैं और पूरा स्कूल मैदान में आज़ादी का आनंद ले रहा है ..और फ़िर ''उच्च शिक्षा '' के क्या कहने ..कानपुर , अवध , आगरा ,पूर्वांचल ..जैसे कारखाने खुले हैं गधे -खच्चर बनाने के ..हर साल लाखों निकल रहे हैं इन फैक्तरियों से .. निकले और चल दिये '' आई ए एस -पीसीएस '' '' ज्वाइन '' करने .. घर पर रहेंगे तो गोबर काढना पड़ेगा , गेहूं काटना पड़ेगा ... इलाहाबाद में बाप के वजीफे पर ऐश ही ऐश फुरसत हो गयी ४० साल तक ( जय हो मुलायम सिंह यादव ).. ठीक से बोल नहीं सकते ,लिख नहीं सकते पर बनेगें आई ए एस ही ...
और सौ में से एक बंदा कोई सीरियस भी हो गया तो एक से भयंकर अनूदित हिन्दी माध्यम की पुस्तकें .. कोई माई का लाल उन्हें पढ़ के तो दिखाए ... और देशकाल - आदर्शों की यह स्थिति की मैंने इलाहाबाद विवि की एम ए की क्लास से उनका आदर्श पूंछा तो राजा भैया , सोने लाल पटेल , अमर मणि त्रिपाठी भी दर्जनों छात्रों के आदर्श थे ,पूरी क्लास में किसी ने चे गुएरा का नाम किसी ने नहीं सुना था ....
हिन्दी माध्यम के आई ए एस के इंटरव्यू का एक हाहाकारी अनुभव ही दुर्दशा को बताने के लिए काफी है ( छात्र घुसता है ,पहुंचते ही चेयरमैन उससे अंग्रेजी में कुछ पूंछते हैं .. वह भकुआ जैसा विवश मुह बनाता है , तो लोग समझ जाते हैं ..तो दुभाषिया उसे बताता है कि आपसे यह पूंछा जा रहा है ..छात्र कुछ बताता है तो चेयरमैन साहब समझ नहीं पाते .. दुभाषिया उन्हें बताता है .. छात्र फिलोसिफ़ी में चिदाणु के बारे में कुछ बताना चाहता है ..उसे न दुभाषिया समझ पा रहा है न चेयरमैन... अंत में पता चलता है कि छात्र को ६० अंक मिले इंटरव्यू में और ३० अंक से वह चूक गया सूची में स्थान पाने से )...
इस लिए भय्या द्विभाषी बनो , नोर्मन लुईस की वर्ड पॉवर मेड इजी लो उसका भयंकर अभ्यास करके शब्द ज्ञान बढ़ाओ ..हिन्दू पढ़ो ..ग्रुप बनाकर उसमे अंग्रेजी में बोलने का अभ्यास करो .. हिन्दी माध्यम वालों आप वर्ण व्यवस्था के असली अछूत हैं ..इसलिए अपनी मेहनत व लगन से अपना अभिशाप तोडें ....आमीन ....

लोकतन्त्र



एक

लोकतन्त्र में तुम्हे हक़ है
किसी को भी चुन लेना का मगर
कुछ भी बदलने का नहीं

दो

तुम्हे पता भी नहीं होता
तुम्हारे द्वारा चुने जाने के पहले कोई
उसे चुन चुका होता है

तीन

तुम उसको चुनते हो अथवा
वह चुनता है तुमको कि तुम चुनो उसे
ताकि वह राज करे।

चार

तुम सरकार बदल सकते हो
मगर उसे चलाने का अधिकार वे तुम्हें
कभी नहीं देने वाले हैं।

पाँच

बिके हुए लोगो की कोई
कौम नहीं होती ऐसे में उन्हे चुनना
कौम से विश्वासघात करना है।

छः

जब कभी सत्ताधारियों का गिरोह
बन जाता है तब राजतन्त्र से भी
बदतर हो जाता है लोकतन्त्र।

त्रिपदियाँ / मदन कश्यप

कल बहुत प्रज्ञापराध हुए।


कल बहुत प्रज्ञापराध हुए।
मेरे पूर्व पड़ौसी, बेहतरीन प्रगतिशील और रूमानी शायर फारूक बख्शी की किताब 'वो चांद-चेहरा सी लड़की' का लोकार्पण समारोह था। साढ़े चार बजे घर से रवाना हुआ तो घर के भीतर का तापमान 30 31 से 35 डिग्री था। लेकिन बाहर निकलते ही भीषण गर्मी का अहसास हुआ। बाद में पता लगा कि बाहर तापमान 43.4 तक जा रहा था। खैर वर्धमान खुला विश्वविद्यालय के उस सभागार में जहाँ कार्यक्रम था ताप वातानुकूलन के माध्यम से मात्र 28 डिग्री था। तीन घंटे कार्यक्रम चला। शानदार कार्यक्रम रहा। तकरीरों के साथ ग़ज़ल संध्या का भी आनन्द लिया। आठ बजे सभागार बाहर निकले तो लू की लपट सी लगी।
आम तौर पर सुबह का नाश्ता ही लंच होता है। लंच में एक कप कॉफी और घर के बने स्नेक्स, शाम को फिर 9 बजे डिनर। लेकिन कल सुबह 9 बजे वास्तव में नाश्ता हुआ। फिर 12 बजे लंच भी हुआ। शाम छह बजे समारोह में मलाईदार मिठाई, कचौड़ी और वेफर्स भी मिेले और खूब शीतल जल भी। घर आ कर डिनर होते होते दस बज गए।
प्रज्ञापराधों का नतीजा आज सुबह देखने को मिला। सुबह साढ़े चार नींद खुली तो फिर लगी नहीं। अपनी ब्लेक कॉफी बना कर सुड़कते हुए ऑफिस में आ बैठा। उत्तमार्ध उठी और अगली काफी मिली तब तक सिर में दर्द हो चला। गनीमत ये रही कि पेट में कब्ज जमी नहीं। वर्ना बुरा हाल होता। खैर! पैरासिटामोल की एक टेबलेट गटक कर फिर से ऑफिस में आ बैठा हूँ। आखिर आज रविवार है, सब नहीं तो कुछ तो ऑफिस के पेंडिंग काम निपटाने पडेंगे।

दुष्कर्म समस्या की जड़ तलाशे समाज - प्रणव मुखर्जी


जड़ तलाश कर उसे काटने का अधिकार तो कानून के हाथ में है , नहीं तो जड़ भी तलाश लेंगे उसको समूल नष्ट करने की ताकत भी रखता है ये समाज ? क्यों दुष्कर्मियों को चेहरा छिपा कर अदालत ले जाया जाता है ?. उनको तो(जड़ से) जेल में ही बंद कैदी ख़त्म कर दें,
अगर संरक्षण पुलिस का न हो ? भारत की पुलिस और कानून हमेशा अपराधी के साथ होते हें, अपराधी का मानवाधिकार भी जरुरी होता हें ? पीड़ित की धज्जिया उड़ाई जाती हें ,अपराधी के षडयंत्रो का लाभ अपराधी को मिलता हें, संदेह के लाभ में बरी,
40 साल तक (क्रप्या शांत रहें न्यायालय वयस्त हें ) देखते हुए न्याय की आशा बांधे पीड़ित, न्यायालय के आदेश से लुटा-पिटा महंगी न्याय प्रडाली को कोसता अन्याय सहन करने को मजबूर होता हें ,? क्या ये न्याय हें ? न्याय किसे दिया जाता हें ? पीड़ित को या अपराधी को ?
एडवोकेट,झाँसी, मोबा.09415509233

दूर से देखा तो सोने जैसी दुनियां

दूर से देखा तो सोने जैसी दुनियां
हाथ लगाया तो मिट्टी जैसी दुनियां
आज है शातिर बूढों जैसी
कल थी बच्चों जैसी दुनियां
ख्वाब देखा कल मैने
साथ मेरे जागी दुनियां
जितने खुदा है सबने मिलकर
बांट ली अपनी-अपनी दुनियां

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है,

नींद से आँख खुली है अभी देखा क्या है,
देख लेना अभी कुछ देर में दुनिया क्या है,

बाँध कर रखा है किसी सोच ने घर से हमको ,
वरना दर-ओ-दीवार से रिश्ता क्या है,

रेत की ईंट के पत्थर की हो या मिटटी की,
किसी दीवार के साए का भरोसा क्या है,

अपनी दानिश्त में समझे कोई दुनिया,शाहिद
वरना हाथों में लकीरों के अलावा क्या है

चलो छोड़ो..


चलो छोड़ो.. शाम यूँ हीं शरबत-से समुंदर पर शक्कर-से सूरज-सी सरकती हुई बुझ जाएगी..
तुम्हें क्या! तुम तो रात की चटाई पे राई-से तारों को बिछाकर चुनने लगोगे कालिखों के ढेले,
गर कभी चाँद हाथ आया भी तो कहकर उजला कंकड़ फेंक दोगे उसे उफ़क की नालियों में...
सुबह होते-होते तारे समा चुके होंगे कोल्हू में.. सुबह होते-होते तुम बन चुके होगे एक कोल्हू...
खैर छोड़ो, तुम्हें क्या...

तुम नहीं साथ तो फिर याद भी आते क्यूँ हो

तुम नहीं साथ तो फिर याद भी आते क्यूँ हो
इस कमी का मुझे एहसास दिलाते क्यूँ हो

डर जमाने का नहीं दिल में तुम्हारे तो फिर
रेत पर लिखके मेरा नाम मिटाते क्यूँ हो

दिल में चाहत है तो काँटों पे चला आयेगा
अपनी पलकों को गलीचे सा बिछाते क्यूँ हो

हमपे उपकार बहुत से हैं तुम्हारे,माना
उँगलियों पर उसे हर बार गिनाते क्यूँ हो

जाने कब इनकी ज़ुरूरत कहीं पड़ जाए तुम्‍हें
यूं ही अश्‍कों को बिना बात बहाते क्यूँ हो

ज़िन्दगी फूस का इक ढेर है इसमें आकर
आग ये इंतज़ार की सरकार लगाते क्यूँ हो .....

आज विरह के चार दोहे राजस्थानी मे-

आज विरह के चार दोहे राजस्थानी मे-
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आजा अब तो साहिबा,लागे दूखण नैण,
कान बावरे हो लिये,मीठे सुणे न बैण,

कतनी मन की मैं सुणू,या जाणै ना कोय,
बिन सिळवट की सेज पे,भोळा नैणा रोय,

रात को उपर डागळे,चन्दो मिलियो आय,
सासू पूछे राज तो,कह दी सुपणो आय,

नस नस तणगी तार सी,जरा लोच ना खाय,
भीजे बिन ना मोड़ ले,तड़क तड़क मर जाय,
-गोविन्द हाँकला

आज फिर वो याद आया देर तक

आज फिर वो याद आया देर तक
भूल जो मुझको न पाया देर तक

दिल मेरा उसने जलाया देर तक
संगदिल फिर मुस्कुराया देर तक

सारे रिश्ते यूँ बिखरने से लगे
कोई अपना रह न पाया देर तक

जब तलक़ बेटी न घर लौटी मिरी
खौफ़ से दिल थरथराया देर तक

मेरी माँ भूखी है कितनी देर से
मेरे बिन उसने न खाया देर तक

मैं भी तेरे बिन नहीं थी चैन से
दूर तू भी रह न पाया देर तक

रौशनी जब हद्द से बाहर आ गयी
उसने तन मन धन जलाया देर तक

राष्ट्रकवि दिनकर के मकान पर उप मुख्यमंत्री के भाई का कब्जा, केंद्र ने बिहार सरकार को पत्र लिखा...

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राष्ट्रकवि दिनकर के मकान पर उप मुख्यमंत्री के भाई का कब्जा, केंद्र ने बिहार सरकार को पत्र लिखा...

समर शेष है इस स्वराज को सत्य बनाना होगा,
जिसका है यह न्यास, उसे सत्वर पहुँचाना होगा,
धारा के मार्ग में अनेक पर्वत जो खड़े हुए हैं,
गंगा का पथ रोक इन्द्र के गज जो अड़े हुए हैं,
कह दो उनसे झुके अगर तो जग में यश पाएंगे,
अड़े रहे तो ऐरावत पत्तों से वाह जायेंगे,
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध,
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।”
श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’

इन पंक्तियों को उद्धृत करते हुए केंद्र सरकार ने पिछले महीने बिहार के मुख्य मंत्री नीतीश कुमार से अनुरोध किया है कि राष्ट्रकवि श्री रामधारी सिंह ‘दिनकर’ लिखित जिन ओजस्वी कविताओं को सुनकर हम सभी बड़े हुए और भारतीय सैनिकों ने तीन-तीन युद्ध में अपनी ‘विजय पताका’ लहराई थी, आज उनके ही बहु और बच्चों को सरकार के समक्ष अपना दामन फैला कर ‘न्याय की भीख’ मांगनी पड़े, यह दुखद है।

सरकार ने बिहार के मुख्य मंत्री से गुजारिश की है कि “इस मसले को भावनात्मक दृष्टि से हल करने की दिशा में अगर राज्य सरकार की ओर से पहल की जाती है, तो भारत के अब तक के एकमात्र “राष्ट्रकवि” के सम्मान से सम्मानित रामधारी सिंह दिनकर का अपमान नहीं होगा।

संभवतः सरकार का यह कदम लोकसभा अध्यक्ष श्रीमती मीरा कुमार, राज्य सभा के अध्यक्ष और उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी और केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री कपिल सिब्बल की “विशेष पहल” और पिछले फरवरी माह में राष्ट्रकवि की पुत्र-वधू हेमंत देवी द्वारा प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को समर्पित एक ज्ञापन पर लिया गया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में संभवतः यह पहला कदम होगा जब स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान अपने ओजस्वी कविताओं और लेखनी के बल पर राष्ट्र को एक नई दिशा की ओर उन्मुख करने वाले लेखक के बारे में समग्र रूप से सुध ली गयी हो।

इलाहाबाद में अली सरदार जाफ़री से पहला परिचय

इलाहाबाद में अली सरदार जाफ़री से पहला परिचय, तब से अब तक उम्र काफी पुरानी हो चली है, मगर ये नज्म रोज ही ताजी होती जा रही है, उम्र को बांधती हुई, उम्र को मुक्त करती हुई और उम्र के पार जाती हुई........

"तुम नहीं आये थे जब, तब भी तो मौजूद थे तुम

आँख में नूर की और दिल में लहू की सूरत
दर्द की लौ की तरह, प्यार की ख़ुशबू की तरह
बेवफ़ा वादों की दिलदारी का अन्दाज़ लिये

तुम नहीं आये थे जब, तब भी तो तुम आये थे

रात के सीने में महताब के ख़ंजर की तरह
सुबह के हाथ में ख़ुर्शीद के साग़र की तरह

तुम नहीं आओगे जब, तब भी तो तुम आओगे......

" मैंने वह बोला जो खुरचा था ह्रदय के पंकिल तलों से

" मैंने वह बोला जो खुरचा था ह्रदय के पंकिल तलों से
तुम ये बोले सच तो था पर संजीदा नहीं था
मैने पूछा वह भी कभी इतना तो पाकीज़ा नहीं था
मैंने भेजे शब्द सच के सैनिकों से रक्त रंजित
तुम ये बोले शब्द तो थे पर उनका उचित श्रिंगार नहीं था
मैं तो बोला था तरुणाई के माने युद्धों की अंगड़ाई है
मैं करुणा की पैमाइश करके क्रान्ति लिखा करता था
तुम कविता में कामुकता का रस घोल रहे थे
शब्दों का सौन्दर्य समझते तुम भी थे
शब्दों से मैं शौर्य उकेरा करता था
प्यार की प्यारी परिधियों की परिक्रमा कर तुम कहाँ पहुंचे ?
मैं केंद्र में था हर पराक्रम के
शब्द मेरे युद्धरत थे जिन्दगी की शाम को घायल से आते
उस समय तुम प्यार की पेंगें बढाने जा रहे थे
तुमने चाहा दुल्हनो से शब्द ही स्वीकार करलूं
मैं ये बोला जनपथों की वेदना का अनुवाद करदूं
मैं ये बोला राजपथ पर युद्ध लड़ना है मुझे." ------राजीव चतुर्वेदी

कविता ह्म्ल नहीं ढोती

कविता ह्म्ल नहीं ढोती
गर्भिणी स्त्री की तरह
शापित दुखी होती है
पर बाँझ भी नहीं होती .

बहार की तरह खिलती है
और पलभर में पतझर के
सूखे पात सी झर जाती है
कभी किसी लब पर
बेखास्ता चढ़ जाती है

और कभी कभी यूँही -
अनदेखी अपेक्षित सी
पहले प्रसव में -
बमौत भी मर जाती है .

पिता को वैष्णो देवी छोड़ आया बेटा और गांव में करवा दी शोकसभा



मौत की झूठी कहानी : पत्नी और बेटा वैष्णोदेवी छोड़ आए, गांव में बता दिया मौत हो गई, शोक पत्रिका भी छपवा दी

करावन (झालावाड़). मुझे वैष्णो देवी के दर्शन कराने की बात कहकर ले गए थे, लेकिन पता नहीं मेरी पत्नी और बेटे के मन में क्या खोट आया। वे मुझे सीढिय़ों पर बैठाकर दर्शन करने चले गए। मैं दो दिन तक सीढिय़ों पर बैठा रहा, लेकिन कोई नहीं आया। स्थानीय लोगों की मदद से यहां पहुंचा तो पता लगा कि पत्नी और बेटे ने मुझे मृत बताकर बारहवें और पगड़ी रस्म की तैयारी कर रखी थी। यह कहानी है बिस्तुनिया ग्राम पंचायत के ठिगनी गांव के 75 वर्षीय बुजुर्ग प्यारेलाल की।

उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले उनकी पत्नी सुंदर बाई, बेटा शिवलाल, बेटे की सास गागलियाखेड़ी निवासी काली देवी और साली दर्शन कराने के लिए वैष्णो देवी ले गए थे। उन्हें यह कहकर नीचे ही सीढिय़ों पर बैठा दिया गया था कि आपकी उम्र ज्यादा है, ऊपर चढऩे में परेशानी होगी। प्यारेलाल वहीं रुक गए। दो दिन बीत गए, लेकिन न पत्नी-बेटा लौटे, न ही अन्य रिश्तेदार। आखिर वहां के लोगों से मदद मांगी। उन्होंने खाना खिलाकर ट्रेन में बैठाया। इसके बाद जैसे-तैसे अपने घर पहुंच पाया।

बेटे ने ग्रामीणों से कहा -दर्शन करने के बाद थम गई थीं सांसें

बुजुर्ग के बेटे शिवलाल और उसकी मां से जब ग्रामीणों ने पूछा कि कि प्यारेलाल कहां रह गए? तो उन्होंने कहा-वैष्णोदेवी के दर्शन करने के बाद जब वे नीचे उतर रहे थे तो उनकी सांसें रुक गईं। पुलिस ने उनका अंतिम संस्कार करा दिया। इनकी बातों पर प्यारेलाल के दामाद राधुलाल को शक हुआ तो उन्होंने पूछा-उनकी अस्थियां कहां हैं? बेटे शिवलाल ने कहा-दाह संस्कार इलेक्ट्रिक मशीन से हुआ था, अस्थियां कैसे मिलती?

पैसे लेकर लिपिक भर्ती मामले में जज से चली 7 घंटे तक पूछताछ


 जयपुर। अजमेर कोर्ट में लिपिक और स्टेनोग्राफर परीक्षा में रुपए लेकर भर्ती कराने के मामले में एसीबी ने तत्कालीन जिला जज अजय कुमार शारदा से शनिवार को सात घंटे तक पूछताछ की। एसीबी के अनुसार जज शारदा सुबह करीब 9:45 बजे एसीबी ऑफिस पहुंचे। वहां से एसीबी अधिकारी उन्हें सरकारी गेस्ट हाउस ले गए। वहां 11 बजे से शाम 6 बजे तक पूछताछ की गई। प्रदेश में पहली बार किसी जज से पूछताछ हुई है।


एसीबी ने ये सवाल पूछे
वकील हेमराज से क्या संबंध है? उसे कब से जानते हंै? उनका घर आना-जाना कब से है? हेमराज की जज से फोन पर हुई बातचीत की रिकार्डिंग एसीबी के पास है। ऐसे में दोनों में फोन पर कोर्ट में भर्ती संबंधी जो बातें की हैं, उनके बारे में भी जज से पूछताछ की गई।


अब तक क्या हुआ?
कोर्ट में लिपिक भर्ती परीक्षा स्थगित कर दी गई। जज शारदा का स्थानांतरण कर दिया गया। एसीबी ने वकील हेमराज, नाजिर राजेश शर्मा, इनके भाई और कोर्ट एलडीसी हितेश शर्मा एवं एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। दोनों भाइयों के घर की तलाशी में 14 लाख रुपए नकद मिले थे। वकील हेमराज को पुलिस ने छह मई तक रिमांड पर ले रखा है। वकील हेमराज ने एसीबी की पूछताछ में जज शारदा से अच्छे संबंध होने की बात कही थी। इस मामले में और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।

घर में घुसा सरपंच का बेटा, दुष्कर्म का विरोध करने पर महिला को जिंदा जला दिया



 हनुमानगढ़ / कोटा । मंदरपुरा गांव में शुक्रवार रात दुष्कर्म का विरोध करने पर एक दलित महिला को जिंदा जला दिया गया। पुलिस ने इस मामले में आरोपी जीतू उर्फ जीतिया को शनिवार शाम गिरफ्तार कर लिया। आरोपी गांव के पूर्व सरपंच का बेटा है।
पीडि़ता 23 वर्षीय मंजू ने मरने से पहले मजिस्ट्रेट को दिए बयान में बताया कि वह शुक्रवार रात अपने घर में सो रही थी। उसका पति तूड़ी की रखवाली के लिए घर के बाहर सोया हुआ था। रात 11 बजे आरोपी जीतिया (20) पुत्र नारायणसिंह ने घर में घुसकर उसके साथ दुष्कर्म करने का प्रयास किया।
सहायता के लिए शोर मचाने पर आरोपी ने पास में रखे केरोसीन को उसके ऊपर डालकर आग लगा दी और मौके से भाग निकला। शोर सुनकर परिजन घर में आए और आग बुझाई। उपचार के लिए उसे सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया।

मैंने वसुंधरा के खिलाफ चुनाव लड़ा तो कांग्रेसी ही उनसे मिल गए : भरतसिंह


जयपुर । पीडब्लूडी मंत्री भरतसिंह ने कहा है कि उन्होंने जब भाजपा नेता वसुंधरा राजे के खिलाफ 1998 में झालावाड़ से लोकसभा चुनाव लड़ा तो कांग्रेस के नेता ही उनसे जा मिले थे। सरकारी मुख्य सचेतक रघु शर्मा उनसे इसलिए नाराज हो गए थे कि उन्होंने उनके (रघु के) इलाके में नरेगा के तहत जेसीबी से काम जांच के बाद बंद करवा दिए थे। यह जांच भी उन्होंने रातोरात करवाई थी और कलेक्टर तक को इसका पता नहीं था। पढि़ए उनसे बेबाक बातचीत :

क्या नरेगा में भ्रष्टाचार की बहुत शिकायतें नहीं हैं?
शुरू में अनियमितताएं थीं। खातों में गड़बडिय़ां थीं। फर्जी भुगतान उठ रहे थे। हमने सिस्टम बदला और बहुत से दोषियों को जेल पहुंचाया।

नरेगा में खर्च 6500 करोड़ से घटकर 3000 करोड़ ही क्यों रह गया है? क्या यह विफलता नहीं?
यह गौरव की बात है। ये डवलपिंग स्टेट का पैमाना है। मजदूर अब सरकार के सौ सवा सौ के बजाय बाजार की महंगी दर काम करने जा रहा है।
बीओटी व टोल पॉलिसी में खामियां क्यों हैं?
सड़कों पर कहीं भी गड्ढ़ा दिखना ही नहीं चाहिए। ये उनकी जिम्मेदारी है। टोल नाके सिर्फ टोल एकत्र करने के लिए नहीं हैं। लोगों को चाहिए कि वे टोल नाके पर रुकें और वहां रखे रजिस्टर पर अपनी शिकायतें दर्ज करें। चंद्रभागा और बनास टोल पर अवैध वसूली हो रही थी। रात को पुलिस वाले, टोल वाले मिलकर पैसा बटोर रहे थे। हमने ट्रैप करवाया। मोरेल के पास नेशनल हाईवे पर टोल लगने जा रहा था, मैंने केंद्र को मना कर दिया। खराब सड़क हो तो टोल क्यों लगे!

क्या निर्माण सेक्टर में इंजीनियरों-अफसरों की कमीशनखोरी संस्थागत भ्रष्टाचार नहीं?
भ्रष्टाचार तो दिखता है। असल बात है इसे साबित करना। हमें सड़क खराब दिखती है, लेकिन कैसे साबित करें कि भ्रष्टाचार हुआ है। इसके लिए ऐसे विशेषज्ञों की मदद लेते हैं, जो भ्रष्टाचार बंद करने में दिलचस्पी रखता हो। ये तो ऐसा महकमा है, जहां भारी गड़बड़ की गुंजाइश है। लेकिन इसका कोई टॉनिक नहीं है। रंग का डिब्बा नहीं कि लाओ और पेंट कर दो। प्रयास करते हैं। लेकिन मैं पूरे सिस्टम को ठीक करने के लिए नहीं आया हूं।

रघु शर्मा ने आपके खिलाफ खुले बयान दिए थे?
चुप रहकर बहुत अच्छा जवाब दिया जा सकता है। मैंने यही किया। मैं उनके बयानों से विचलित नहीं हुआ। मैं उनका तहेदिल से आभारी हूं कि उन्होंने मेरा इम्तिहान लिया और मैंने अपना संयम नहीं खोया।

इस गुस्से की वजह?
नरेगा के कामों में उन दिनों मजदूरों से काम करवाने के बजाय जेसीबी से काम करवाने की शिकायतें आ रही थीं। मैंने रातोरात एक स्पेशल टीम भेजकर जांच करवाई थी। शिकायत सही पाई गई थी।

रघु का जेसीबी से क्या लेना-देना था?
मैं अब डिटेल में नहीं जाता। विभाग का मंत्री था। अगर उन्हें ध्यान में रखकर या कलेक्टर को सूचित करके कार्रवाई करता तो यह मैसेज जाता कि मैं शक्ल देखकर कार्रवाई कर रहा हूं।

मुख्यमंत्री के रूप में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत में तुलना करें तो?
मैं तब विपक्ष में था। विपक्ष में कंपलेशन कम होते हैं। अब मैं कुछ ही बोल सकता हूं, सब कुछ नहीं। अशोक गहलोत ने मुझे दोनों बार चुनौतीपूर्ण महकमे दिए। फ्रीहैंड दिया और मैंने अचीव किया।

नरेगा में भ्रष्टाचार रोकने की कोशिश की तो सीएम ने आपका विभाग क्यों बदल दिया?
लोग ऐसी बात करते हैं। लेकिन मैं ऐसा नहीं सोचता हूं। उन्होंने जब विभाग बदलना चाहा तो मुझसे कहा कि सड़कें देश-प्रदेश के लिए अहम हैं। इन्हें दो साल में सुधार दो। मैंने डेढ़ साल में ये करने की कोशिश की।

धारीवाल व आपके बीच विवाद क्यों रहता है?
मैं सिर्फ इतना कहूंगा कि हम एक ही टीम के दो खिलाड़ी हैं। हमारा मूल्यांकन उसी आधार पर करें।

आप पेंटर हैं और पॉलिटिक्स में आ गए।
मैं बड़ौदा से फाइन आट्र्स का ग्रेजुएट हूं, लेकिन पॉलिटिक्स से बड़ी कोई फाइन आर्ट नहीं है। यही आर्ट है। अब इससे विचित्र बात और क्या होगी कि मैं पॉलिटिकल कैनवास पर तस्वीरें पेंट करने की कोशिश कर रहा हूं।

आपको पहली बार कांग्रेस से टिकट लेने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा?
78 में मैं पहली बार सरपंच रहा। तीन बार सरपंच और दो बार प्रधान रहा। एमएलए का टिकट मांगा, लेकिन नहीं दिया। लोगों ने निर्दलीय लड़वाया। जिला प्रमुख के लिए लड़ा, लेकिन कांग्रेस ने मदद नहीं की।

सबसे बड़ा पित्ताशय निकालने का वल्र्ड रिकॉर्ड



 जयपुर ।सवाई मानसिंह अस्पताल के जनरल एवं लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉ. जीवन कांकरिया ने ऑपरेशन से सबसे बड़ा गाल ब्लेडर निकालकर गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराया है। शास्त्री नगर जयपुर निवासी 23 वर्षीय मेनका का दूरबीन से ऑपरेशन के जरिए 29 नवंबर, 2012 को 25.8 सेमी का गाल ब्लेडर (पित्ताशय) निकाला गया था। उनका दावा है कि इससे पहले विश्व रिकॉर्ड इस्लामाबाद (पाकिस्तान) के डॉ. मोहम्मद नईम ताज के नाम था। उन्होंने 14 जून, 2011 25 सेंटीमीटर लंबे पित्ताशय का ऑपरेशन किया था। डॉ.कांकरिया ने बताया कि मरीज की जांच में पाया कि उसके पित्ताशय में पथरियों के कई टुकड़े तथा सूजन थी।


दस लाख में से एक : महिला का पित्ताशय सामान्य से करीबन तीन गुना अधिक बड़ा था और उसमें पथरियों के 20 से 25 टुकड़े मिले थे। साधारणतया गाल ब्लेडर पूर्ण रूप से दाईं और होता है, लेकिन इसमें पित्ताशय बाईं ओर से शुरू होकर कुण्डलीनुमा बनकर दाईं पित्त वाहिनी से जुड़ा हुआ था, जो दस लाख में से एक के पाया जाता है। मरीज की कम उम्र के कारण तीन माह बाद विवाह होने के कारण कॉस्मेटिक का पूरा ध्यान रखते हुए 1.2 सेमी सूक्ष्म चीरे से गाल ब्लेडर को निकाला गया।


ऐसे दर्ज हुआ नाम : 30 नवंबर, 2012 को ही गिनीज वल्र्ड रिकॉर्ड में क्लेम के लिए आवेदन किया। इसके बाद में चार सदस्यों की टीम व मैनेजमेंट सर्वेयर ने मरीज, डॉक्टर एवं वेबसाइट से जानकारी ली। हर तरह से जांच व रिकॉर्ड से संतुष्ट होने के बाद 30 अप्रैल, 2013 को स्वीकृति मिली। जो सवाई मानसिंह अस्पताल के इतिहास में एक नई उपलब्धि है।

तबादले रुकवाने के लिए मंत्री कहते हैं अपनी औरत को मेरे घर भेज देना: MP कांग्रेस अध्यक्ष



सागर। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया भाजपा सरकार व मंत्रियों पर आरोप लगाते हुए शब्दों की मर्यादा लांघ बैठे। शनिवार को यहां कलेक्टोरेट के सामने सभा में उन्होंने यह कह दिया कि प्रदेश की भाजपा सरकार के मंत्री अधिकारियों का तबादला करके उसे रुकवाने के लिए उनसे कहते हैं कि अपनी औरत को मेरे घर पर भेज दो।
 
 
 
भूरिया यहीं नहीं रुके। उन्होंने पशुपालन मंत्री अजय विश्नोई का बाकायदा नाम लिया और कहा कि इस मंत्री ने एक डॉक्टर का ट्रांसफर कर दिया, फिर उससे कहा कि अपनी औरत को मेरे घर भेज देना। मुख्यमंत्री इस मंत्री को गले लगाए रहते हैं।

साइकिल की दुकान चलाने वाले के पीओ बेटे ने पास की आईएएस की परीक्षा

नई दिल्ली/जोधपुर। भारत-पाकिस्‍तान और चीन में तनातनी, सीरिया पर इजरायली हमलों के बीच सिविल सर्विस परीक्षा-2012 के नतीजे शुक्रवार को घोषित कर दिए गए। केरल की हरीथा वी. कुमार टॉपर हुई हैं। यानी लगातार तीसरे साल भी महिला ने ही बाजी मारी। ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट में दूसरे नंबर पर केरल के ही वी. श्रीराम हैं।
 
जोधपुर की बेटी स्तुति चारण को तीसरा स्थान मिला है। स्तुति ने लाचू कॉलेज से बीएससी की। तीसरे प्रयास में चयनित स्तुति के पिता रामकरणसिंह जयपुर में राजस्थान स्टेट वेयर हाउस कॉपरेरेशन में डिप्टी डायरेक्टर और मां सुमन स्कूल लेक्चरर हैं।
 
उनकी छोटी बहन नीति डॉक्टर हैं। स्तुति का तीन माह पहले ही यूको बैंक में प्रोबेशनरी ऑफिसर के पद पर चयन हो गया था। वे अभी अहमदाबाद में ट्रेनिंग कर रही हैं। केंद्रीय लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) की 2010 की परीक्षा में दिव्यदर्शी अग्रवाल और 2011 में शीना अग्रवाल टॉपर रही थीं।
 
इस साल तो एक और रिकॉर्ड बना। सामान्य के अलावा एससी और एसटी वर्गो में भी महिलाएं ही अव्वल रहीं। इस बार की टॉपर हरीथा 2011 बैच की आईआरएस प्रोबेशनर हैं। वह इस वक्त नेशनल एकेडमी ऑफ कस्टम एक्साइज एंड नारकोटिक्स में ट्रेनिंग ले रहीं हैं। उन्होंने केरल युनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग में डिग्री ली है। यह कामयाबी उन्हें चौथे प्रयास में मिली।
 
बिहार में सुपौल के सुब्रत कुमार सेन ने 93वां स्थान हासिल किया है। सुब्रत के पिता सुपौल के सिंगराही में साइकिल की दुकान चलाते हैं। दिल्ली के भीमराव आंबेडकर कॉलेज से स्नातक करने के बाद सुब्रत फिलहाल मध्यप्रदेश में बैंक ऑफ इंडिया में पीओ हैं।
 
एमबीए होकर भी स्तुति ने चुने एग्रीकल्चर व बॉटनी सब्जेक्ट
 
आईएएस परीक्षा में तीसरी रैंक हासिल करने वाली जोधपुर की स्तुति चारण (बारहठ) ने प्री एग्जाम से लेकर मुख्य परीक्षा तक खुद ही तैयारी की। स्तुति ने बॉटनी, जूलॉजी व बायोटेक में बीएससी किया। वे एचआर और मार्केटिंग में एमबीए (आईआईपीएम दिल्ली से) भी हैं।
 
खास बात यह रही कि स्तुति ने आईएएस परीक्षा में बॉटनी के साथ एग्रीकल्चर विषय चुना। आमतौर पर आईएएस परीक्षा में टॉप रैंक पर इंजीनियरिंग या आर्ट्स विषय के अभ्यर्थी रहते हैं, लेकिन स्तुति गैर परंपरागत विषयों के साथ टॉप थ्री में जगह बनाने में सफल रहीं।
 
 
स्तुति अभी भी अहमदाबाद में हैं। अपनी सफलता के बारे में भास्कर के साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि उनके मन में हमेशा ऐसे विषयों के साथ आईएएस परीक्षा में सफलता हासिल करने की इच्छा थी, जो बहुत कम लोग चुनते हैं। एग्रीकल्चर विषय चुनने के पीछे उनकी भावना यह थी कि हमारे देश में आधी आबादी का जीवन इसी से चलता है, जबकि जीडीपी में योगदान महज 3.3 प्रतिशत है। वे इस क्षेत्र में कुछ करना चाहती हैं। स्तुति का कहना है कि सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि विषय क्या है, सफलता तब मिलती है जब हम उस विषय को गंभीरता से लेते हैं।
इसलिए गैर परंपरागत विषयों के साथ भी उन्हें कोई परेशानी नहीं हुई।
 
कविताएं भी करती हैं स्तुति
 
पढ़ने के अलावा उनका शौक कविताएं लिखना भी है। स्तुति अपने पिता    को अपना आदर्श मानती हैं। वे अपनी सफलता का श्रेय पिता के अलावा मां व बहन को देती हैं।

कुरान का सन्देश

काली मिर्च के 5 दानों का 1 रामबाण उपाय



काफी लोगों के साथ ऐसा होता है कि वे मेहनत अधिक करते हैं लेकिन धन लाभ बहुत कम होता है। ऐसे में पैसों की तंगी बन जाती है।
यदि आप भी पैसों की पैसों की कमी से परेशान हैं तो यहां काली मिर्च का एक चमत्कारी रामबाण उपाय बताया जा रहा है। इस उपाय को समय-समय पर करने से आपको धन लाभ अवश्य होगा...

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई ग्रह दोष होते हैं तो वह धन संबंधी मामलों में भी सफलता प्राप्त नहीं कर पाता है। ग्रह दोषों के कारण ही उसे सुख नहीं मिलता। यदि उचित ज्योतिषीय उपचार किया जाए तो व्यक्ति पैसों की परेशानियों से निजात पा सकता है।
ज्योतिष के उपायों में तरह-तरह की चीजों का इस्तेमाल किया जाता है। जीवनमंत्र पर कई चीजों के उपाय बताए गए हैं। यहां आज जानिए काली मिर्च के किस उपाय से धन की कमी दूर हो सकती है।
 यदि आप मालामाल होना चाहते हैं तो काली मिर्च के 5 दानों का यह उपाय करें। उपाय के अनुसार काली मिर्च के 5 दाने लें और उन्हें अपने सिर पर से 7 बार वार लें। इसके बाद किसी चौराहे पर खड़े होकर या किसी सुनसान स्थान पर चारों दिशाओं में 4 दाने फेंक दें। इसके बाद 5वें दाने को ऊपर आसमान की ओर फेंक दें। 
यह एक टोटका है और इसके लिए ऐसा माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यह उपाय करता है उसके लिए अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
ऐसे उपाय केवल श्रद्धा और विश्वास पर काम करते हैं। यदि मन में शंका या संशय होगा तो यह उपाय निष्फल हो जाता है। इसके साथ ही ऐसे उपायों को किसी के सामने जाहिर भी नहीं करना चाहिए।
  इस उपाय से कई लाभ हैं। जैसे यदि किसी बुरी नजर के कारण आपकी आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है तो वह दोष भी दूर हो जाएगा। इस उपाय से बुरी नजर भी उतर जाती है। इसके साथ ही यदि किसी नकारात्मक शक्ति के कारण परेशानियां आ रही हैं तो उन शक्तियों का प्रभाव भी खत्म हो जाएगा।

सीरिया में इजरायल ने बोला हवाई हमला



वाशिंगटन।  इजराइल ने एक बार फिर से सीरिया पर हवाई हमला कर दिया है। पहले तो खबर आई थी कि इजरायल ने यह हमला सीरिया के रासायनिक हथियारों के गोदामों पर किया था। लेकिन बाद में इजरायल के अधिकारियों ने साफ कर दिया है हमले का लक्ष्‍य हिजबुल्लाह लड़ाकों के लिए भेजी जा रही मिसाइलों की खेप थी। मिसाइलें पड़ोसी मुल्‍क लेबनान भेजी जा रही थीं।
 
शनिवार को इजरायल ने इस हमले की पुष्टि कर दी है। इससे पहले अमेरिका के एक अधिकारी ने सीरिया पर हवाई हमले की जानकारी दी थी। इस अधिकारी ने कहा था कि गुरुवार को हुए हवाई हमले में कई गोदामों और ऐसे स्‍थानों को निशाना बनाया गया, जहां रासायनिक हथियार रखे जाने की आशंका थी। इस अधिकारी ने कहा कि मामला दो देशों के बीच का है, इसलिए वह अपनी पहचान जगजाहिर नहीं कर सकते। 
 
लेबनान के नागरिक युद्ध के दौरान स्थापित किया गए हिजबुल्लाह के नेता हसन नसरूल्लाह ने कुछ दिनों पहले ही कहा था कि सीरिया के साथ कई सच्चे दोस्त हैं जो उसे अमरीका, इसराइल या इस्लामी चरमपंथियों के हाथ में नहीं पड़ने देंगे। नसरूल्‍लाह कह चुका है कि सीरिया का विपक्ष इतना कमजोर है कि वो बशर अल असद की सत्ता को लड़ाई के बल पर नहीं उखाड़ सकता। 
 
इजराइल की ओर से अभी तक इस हमले को लेकर कोई बयान नहीं आया है। इजराइल के राजनायिक आरोन सागुई ने कहा, "यदि इजराइल अपने रासायनिक हथियारों को किसी आतंकी के हाथ में सौंपना चाहे तो उससे बचाना इजराइल का अधिकार है। इस पर और क्‍या कहा जा सकता है।"

गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई

गए लम्‍हों की बारि‍श में डूब गई
अरमानों की छोटी-छोटी कि‍श्‍ति‍यां
कच्‍ची उमर की धूप में पकी ख्‍वाब़ें
गुम हुई आवाजों का पता मांगती है

......रश्‍मि शर्मा

क्या फरक कि मैं चला या तू चला है ,

क्या फरक कि मैं चला या तू चला है ,
बात है कि फासला कुछ कम हुआ है |

एक अरसे से नहीं रूठी है मुझसे ,
मुझको किस्मत से फ़कत इतना गिला है |

टूटने वाला हूँ मैं कुछ देर में ,
ये मेरी अपनी अकड़ का ही सिला है |

तू भी इक दिन फेर लेगा मुंह यकीनन ,
खून में तेरे वही पानी मिला है |

आईने से मुंह चुराते हो भला क्यूँ ,
एक तेरा ही तो मुंह दूधों धुला है |

आज नाजायज है अपने ही शहर में ,
वो गुनाह जो सबकी गोदी में पला है |

दफ्न कर डाले हैं सबने फ़र्ज अपने ,
दौर ये अंगुली उठाने का चला है |

एक दिन बदलेगी ये तस्वीर, लेकिन
बोलने से क्या कभी पर्वत हिला है ?

----------------{Aakash Mishra}
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