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08 मई 2013

हिंदी ब्लोगिंग में लक्ष्य हुआ पार, मेरी पोस्टें हुई दस हजार

दोस्तों! हिंदी ब्लोगिंग में मेरा लक्ष्य हुआ पार, मेरी पोस्टें हुई दस हजार. मेरे बुजुर्गों, मेरे दोस्तों,मेरे हमदर्दों, मेरे आलोचकों और मेरे समालोचको आज आपके आशीर्वाद से मैंने हिंदी ब्लोगिंग की दुनिया में दस हजार हिंदी पोस्टें लिखने का रिकोर्ट बना लिया है.
                    मुझे याद आता है सात मार्च का वो दिन जब मैंने अपने इंजीनियरिंग कर रहे बेटे शाहरूख खान से अपना हिंदी ब्लॉग आपका अख्तर खान अकेला बनवाया था. जिसका लिंक यह www.akhtarkhanakela.blogspot.in है और इसी दिन मैंने अपनी पहली पोस्ट अपने परिचय के रूप में अंग्रेजी लिपि में लिखी थी. मुझे हिंदी टाईप नहीं आती और ना मुझे कम्प्यूटर का संचालन ही आता था. लेकिन पत्रकार और वकील होने के नाते अपने जज्बातों को मैं ब्लोगिंग की दुनिया में उतारना चाहता था. मैंने इसके लिए हिंदी टाइपिंग सिखने का प्रयास किया. लेकिन वकालात और सामाजिक कार्यों के साथ-साथ पारिवारिक मसरूफियत के कारण में हिंदी टाईप सीख नहीं पा रहा था और विचारों को लिखने के लिए दिल मचल रहा था. लिहाज़ा मुझे ट्रांसलिट्रेशन पर लिखने का सुझाव मेरे बेटे शाहरुख ने दिया और तब से मैंने ट्रांसलिट्रेशन पर अंग्रेजी में टाईप कर हिंदी कन्वर्जन में लिखना शुरू किया. उसके बाद तो फिर मैंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.
मेरे साथियों मैंने कोशिश की है कि अपने विचारों को मैं इमानदारी से निष्पक्षता से अपने साथियों के साथ बाँट सकूं.मुझे ब्लोगिंग की तकनीकी समझ नहीं थी और अभी भी इतनी नहीं है. आज भी लिखने में पीछे हूँ लेकिन मैंने अपने दोस्तों से सहयोग लेकर ही आगे बढ़ा हूँ. मुझे हिंदी ब्लोगर ललित शर्मा , डाक्टर अनवर जमाल, एडवोकेट दिनेश राय द्विवेदी, एस मासूम, रमेश कुमार जैन उर्फ निर्भीक सहित दर्जनों साथियों और बहनों ने हौसला दिया और सीख दी. मेरी गलतियों को सुधारा, मेरे ब्लॉग को सजाया संवारा .मुझे फोटो डालना, ट्विटर के खाते पर लिखना सिखाया. फिर फेसबुक की दुनिया ने तो सोशल साईट पर मुझे आम कर दिया.
             मैं लिखता रहा और निरंतर लिखता गया. बीमारी ..पारिवारिक व्यस्तता ....कोटा से बाहर रहने का वक्त...इंटरनेट ..कम्प्यूटर में तकनीकी खराबियों के दिन अगर निकल दे तब सात मार्च दो हजार दस से आज तक इस हिंदी लेखन ब्लोगिंग में सौ दिन कम हो जाते है और अपनी शादी की सालगिरह के दिन दस मार्च मैंने  हिंदी में पोस्टें लिखना शुरू कीं. मैंने सन 2010 में 1811, 2011 में 3861, 2012 में 2900 और 2013 में बाकी पोस्टें लिखकर आज का दिन विजय दिवस के रूप में मना लिया है. मेरी कोशिश थी कि मैं जल्दी ही दस हजार पोस्टें लिखने का लक्ष्य पूरा करूँ ....मैं आभारी हूँ मेरे सभी आलोचकों का जिन्होंने वक्त-बा-वक्त मेरे कान उमेठ कर मुझे इस लेखन क्षेत्र में भटकने से बचाया और सही रास्ता दिखाया ..मैं आभारी हूँ उन लोगों का जिन्होंने मुझे ऊँगली पकड़ कर इस हिंदी ब्लोगिंग के नामुमकिन लक्ष्य को निर्धारित वक्त से पहले पूरा करने का हौसला दिया. दोस्तों मैंने लेख ..आलेख ..कविताएँ ..शायरी तो लिखी ही साथ में कुरान का संदेश हिंदी अनुवाद के रूप में अपने साथियों तक पहुंचाया. मैंने भगवत गीता का पाठ भी अपने साथियों को पढाया है
                    इसके साथ ही त्योहारों, देश के हालातों, सियासत पर लिखी पोस्ट पर मेरी जमकर आलोचना भी हुई. तब किसी ने मुझे मुसलमान लेखक समझकर मेरी आलोचना की तो किसी ने मुझे साहसी बताया और किसी ने मुझे साम्प्रदायिक भी करार दिया.किसी ने मुझे कोंग्रेस तो किसी ने भाजपा का और किसी ने कोमरेड विचारधारा का बताया.कई बार तो मेरे आलोचक जिन्होंने कुरान शरीफ तर्जुमे से नहीं पढ़ा है उन्होंने ने भी मेरी लेखनी पर आपत्ति जताई. कुछ हिन्दू भाइयों ने भी मुझे आईना दिखाने की कोशिश की.मगर फिर भी मुझे इस हिंदी ब्लोगिंग और ट्विटर की दुनिया में मेरे साथियों का बेहिसाब प्यार मिला है.उससे भी ज्यादा प्यार मुझे सोशल साईट फेसबुक पर मिला है.कई लोग मेरी पोस्ट फायरिंग स्टाइल से खुश भी थे और कई लोग वो पिछड़ न जाए इस डर से आहत भी थे. दोस्तों मैंने आपके आशीर्वाद, .आपके मार्गदर्शन और दुआओं से हिंदी ब्लोगिंग का अपना लक्ष्य पूरा किया है.मैं जानता हूँ कुछ लोग मुझे से खुश है और कई लोग मुझ से नाखुश है.लेकिन मैं उनका भी आभारी हूँ और मुझे उनकी आलोचनाओं का इसीलिए इंतजार है कहीं द्वेष भावना में भटक न जाऊं.  यदि अगर भटक जाऊं तब भी रास्ते पर आ जाऊं.
                      मैं शुक्रगुज़ार हूँ मेरी शरीके हयात का. जिसने मुझे हौंसला  दिया और ऐसे हालत दिए कि मैं यह सब कर सका.मैं शुक्रगुज़ार हूँ मेरे पत्रकार साथियों का और मेरे अदालत के वकील साथियों का जिन्होंने मुझे प्यार से नवाज़ा. खासकर पत्रकार के. डी. अब्बासी का भी आभारी हूँ और मेरी एक अनजान खुबसूरत मासूम सी महिला मित्र का भी आभारी हूँ. जिसने मुझे पुराने वक्त से निकाल कर नये अंदाज़ में लाकर खड़ा किया और नया लिखने का हौंसला दिया.मुझे मेरे साथियों के प्यार, आलोचना और समालोचना का उचित मार्गदर्शन के लिए हमेशा इंतजार था, इंतजार है और इंतजार रहेगा. एक बार फिर मेरे सभी साथियों का बहुत-बहुत शुक्रिया!                 -एडवोकेट अख्तरखान अकेला, कोटा-राजस्थान (M-9829086339)

सीबीआई और सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ा, निरुपम बोले- बेवक्‍त की बांसुरी बजा रहा है कोर्ट

नई दिल्ली। कर्नाटक में आए चुनाव नतीजों से बुधवार को कांग्रेस को मिली खुशी सुप्रीम कोर्ट के तल्‍ख रुख से थोड़ी कम जरूर हुई होगी। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को कोयला घोटाले मामले में महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान सीबीआई और सरकार दोनों को फटकार लगाई। इस पर कांग्रेस के नेता संजय निरूपम ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने बेवक्‍त की बांसुरी बजाई है। 
 
सीबीआई के हलफनामे () पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सीबीआई, सरकार के तोते की तरह काम कर रही है और वह सिर्फ वही बोलती है जो तोते के मालिक उससे बुलवाना चाहते हैं। अदालत ने कहा कि सीबीआई स्वतंत्र नहीं है और इसकी स्वतंत्रता बहुत जरूरी है। अदालत ने यह भी पूछा कि सीबीआई को स्वतंत्र करने के लिए सरकार क्या कर रही है और यह कैसे मान लिया जाए कि यह कोयला घोटाले की जांच निष्पक्ष होगी। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद सीबीआई ने कहा है कि जैसे अदालत चाहेगी उसी तरीके से मामले की जांच की जाएगी।  
 
अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई निदेशक के दिए हलफनामे पर सुनवाई चल रही थी। सीबीआई निदेशक ने कोर्ट में कहा था कि केंद्रीय कानून मंत्री के साथ-साथ प्रधानमंत्री कार्यालय और कोयला मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कोयला घोटाले की जांच की स्टेटस रिपोर्ट बदलवाई।
 
माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी कानून मंत्री अश्विनी कुमार पर भारी पड़ेगी। बुधवार को कोर्ट में भी अटॉर्नी जनरल ने सारा ठीकरा कानून मंत्री पर ही फोड़ दिया। उन्‍होंने कहा कि कानून मंत्री के कहने पर ही स्‍टेटस रिपोर्ट की ड्राफ्ट मंगवाई गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि ऐसे में निष्‍पक्ष जांच की उम्‍मीद कैसे की जा सकती है?
अदालत ने अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को भी झूठ बोलने पर फटकार लगाई। वाहनवती ने पहले अदालत में कहा था कि सीबीआई की कोयले घोटाले की जांच रिपोर्ट किसी को नहीं दिखाई गई थी। बाद में सीबीआई ने अपने हलफनामे में कहा था कि रिपोर्ट कानून मंत्री, अटॉर्नी जनरल, पीएम ऑफिस और कोयला मंत्रालय के अधिकारियों तक को दिखाई गई थी। वाहनवती का कहना है कि उन्होंने कानून मंत्री के कहने पर सीबीआई अधिकारियों से मुलाकात की थी। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने न तो रिपोर्ट पढ़ी थी और न ही देखी थी। इस्तीफा दे चुके तत्कालीन एडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल ने कहा था कि राजनेताओं को रिपोर्ट नहीं दिखाई गई थी। अदालत ने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट को दिखाने से इसका भाव ही बदल गया है।

मौत का आलिंगन: बांहों में एक-दूसरे को जकड़े ही दफन हो गया एक जोड़ा



ढाका. बांग्‍लादेश की रहने वाली तस्‍लीमा नसरीन के अलावा पि‍छले दो तीन दि‍नों से एक दूसरी तस्‍लीमा ने दुनि‍या भर के लोगों को अपने काम से प्रभावि‍त कि‍या है। ढाका में हुई हिंसा के चलते व्‍यापक जनहानि के बीच ही तस्‍लीमा ने प्रेम का आधारभूत पहलू अपनी इस तस्‍वीर से उजागर कि‍या है। दरअसल बांग्‍लादेश में पि‍छले दि‍नों एक फैक्‍ट्री की इमारत गि‍र गई थी जिसके मलबे में दबकर कई लोगों की मौत हो गई थी। तस्‍लीमा ने इसी मलबे में मृत पाए गए पति पत्‍नी की ऐसी तस्‍वीर खींची कि टाइम जैसी पत्रि‍का को भी उनका इंटरव्‍यू करने को मजबूर होना पड़ा।
 
बांग्‍लादेशी फोटोग्राफर और 'पाठशाला' के नाम से साउथ एशि‍यन इंस्‍टीट्यूट ऑफ फोटोग्राफी चलाने वाले शाहि‍दुल आलम बताते हैं कि यह तस्‍वीर अंदर तक बेचैन कर देती है। मानवीय दृष्‍टि से यह बेहतरीन तस्‍वीर है। मौत के आलिंगन में लि‍पटी यह तस्‍वीर बताती है कि हमारी भावनाएं अभी भी जीवि‍त हैं। यह तस्‍वीर अपनी तरफ खींचती है और हटने नहीं देती। सपनों में आने वाली तस्‍वीर संदेश देती है कि, नहीं, अब दोबारा ऐसा नहीं होगा। अख्‍तर ने इस तस्‍वीर के बारे में एक लेख लि‍खा है। इससे पहले यह तस्‍वीर टाइम मैगजीन में डेवि‍ड वॉन ड्रेहले के निबंध के साथ प्रकाशि‍त हो चुकी है। 
 
काबि‍लेगौर है कि पि‍छले महीने ढाके के बाहरी इलाके में कपड़ा बनाने की फैक्टरी की इमारत गि‍र गई थी। सुबह हुए इस हादसे में अब तक मरने वालों की संख्‍या 1400 के पार हो गई है। जि‍स वक्‍त यह हादसा हुआ, उस समय वहां काफी भीड़ थी। बांग्लादेश में दुनिया की सबसे ज्यादा कपड़ा फैक्टरियां हैं। पश्चिमी ब्रांडों के लिए यहां सस्ती कीमत पर कच्चा माल मुहैया कराया जाता है। अग्निशामक दस्ते के एक कर्मचारी का कहना है कि ढाका के जिस सावा इलाके में हादसा हुआ, वहां करीब 2000 लोग थे।
 
टाइम मैगजीन को तस्‍लीमा ने बताया कि इस तस्‍वीर के बारे में उनसे काफी सवाल पूछे जा चुके हैं। वह जवाब देते देते थक चुकी हैं, लेकि‍न अभी तक उन्‍हें इन दोनों के बारे में कोई जानकारी नहीं मि‍ल पाई है। वह यह भी नहीं जान पाई हैं कि वो कौन थे और उनके बीच में क्‍या रि‍श्‍ता था। इमारत ढहने के बाद उन्‍होंने पूरा दि‍न वहां गुजारा, लोगों की लाशें देखीं, उन्‍हें बुरी तरह से घायल देखा। उनके रि‍श्‍तेदारों की आंखों में बुरी तरह से खौफ नुमायां था। दोपहर के लगभग 2 बजे इमारत के मलबे में इन दोनों की लाश दि‍खी। दोनों मृत थे और आलिंगनबद्ध थे। उनकी कमर के नीचे का हि‍स्‍सा पूरी तरह से मलबे में दबा हुआ था। युवक की आखों से खून आंसू की तरह बह रहा था। दोनों को देखने से लगता था कि दोनों प्रेम करते हैं और दोनों ने ही एक दूसरे की जान बचाने की कोशि‍श की।

मंडी: मेला देखने जा रहे लोगों से भरी बस नदी में गिरी, 38 की मौत



 झीड़ी (मंडी)/कुल्लू।  कुल्लू व मंडी जिले की सीमा पर मंडी के झीड़ी के पास बुधवार को एक प्राइवेट बस के ब्यास नदी में गिरने से 38 लोगों की मौत हो गई, जबकि 16 घायल हो गए। इनमें से 6 की हालत गंभीर है।
मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। बस कुल्लू से आनी जा रही थी। हादसा तेज रफ्तार व ओवरलोडिंग के कारण हुआ। लोग छत पर भी सवार थे। बस अनियंत्रित होकर उफनती नदी में जा गिरी और उलट गई। 16 लोगों को राफ्ट्स से बचा लिया गया। कुछ लोग लापता हैं।
शवों को निकालने का काम देर रात तक जारी रहा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार 42 सीटर बस में 60 से 65 लोग सवार थे। आशंका जताई जा रही है कि कुछ लोग बह गए हैं। मरने वालों में स्कूल व आईटीआई के स्टूडेंट्स भी शामिल हैं। बस ढाई बजे कुल्लू से रवाना हुई थी। करीब 3 बजकर 10 मिनट पर जोगणीतर के पास यह दुर्घटनाग्रस्त हो गई।

कुल्लू-मंडी सीमा पर हुआ हादसा :
 
हादसा कुल्लू और मंडी जिले की सीमा पर हुआ। कुल्लू प्रशासन ने हादसे की सूचना मिलते ही 45 मिनट बाद होमगार्ड की सहायता से रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया था। मंडी प्रशासन की टीम ने भी अपने स्तर पर एंबुलेंस सहित फायर ब्रिगेड व होमगार्ड की टीमों के साथ बस में फंसे शवों को निकालने का काम शुरू किया। 
 
राफ्टर्स की मदद से निकाले गए शव :
 
झीड़ी में राफ्टिंग साइट पर मौजूद राफ्टरों ने मौके पर पहुंच राहत कार्य शुरू किया। राफ्टरों ने तीन नावों की मद्द से बस में फंसे लोगों को निकालना शुरू किया। रेस्क्यू ऑपरेशन में 16 लोगों को बचा लिया गया। एसडीएम कुल्लू विनय कुमार और एसडीएम मंत्री पंकज राय ने कहा कि राहत कार्य जारी है। फिलहाल यह बताना मुश्किल है कि कितने लोगों की मौत हुई है। दुर्घटना के कारणों की जांच की जा रही है।
 
आनी मेले में जा रहे थे लोग :
 
आनी में जिला स्तरीय मेला चल रहा है। अधिकतर लोग इसमें शामिल होने जा रहे थे। रास्ते में शमशी-बजौरा स्कूल व आईटीआई के बच्चे भी इसमें सवार हुए। शवों को कुल्लू अस्पताल लाया गया है। 
 
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को दिए 10 हजार रूपए :
 
जिला प्रशासन ने मृतकों के परिजनों को फौरी राहत के तौर पर दस-दस हजार और से घायलों को पांच-पांच हजार रुपए दिए हैं। कुल्लू के डीसी शरभ नेगी ने 38 शव निकाले जाने की पुष्टि की है।

अमरीका में सिख छात्र के साथ बदसलूकीः आतंकी बताकर पगड़ी उतरवाई



वाशिंगटन.अमेरिका में एक सिख छात्र को आतंकी बता कर उसकी पगड़ी उतरवाने के मामले में अमेरिकी न्याय विभाग ने चिंता जाहिर की है। जॉर्जिया में डेकाल्ब काउंटी स्कूल में यह घटना हुई थी। एक गैर सरकारी संगठन ने इस संबंध में न्याय विभाग से लिखित शिकायत की थी। न्याय विभाग ने इस मामले में कार्रवाई न करने पर स्कूल विभाग को कड़ा पत्र लिखा है। इसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
अमेरिका में  बुजुर्ग सिख की साथ गुरुद्बवारे के बाहर हुई बदसलूकी, की पिटाई
अमेरिका में कैलिफोर्निया के फ्रेसनो शहर स्थित गुरुद्वारे के बाहर बुजुर्ग सिख पियारा सिंह को लोहे की छड़ से बुरी तरह पीटा गया। उसकी हालत गंभीर है। पुलिस ने एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया है। पियारा सेवादार के रूप में काम करते हैं। उधर, न्याय विभाग ने जॉर्जिया के स्कूल में एक सिख छात्र को आतंकी बताने की जांच शुरू कर दी है।

बर्बरता : डीएसपी ने कांस्टेबल का बांधा हाथ, सिर पर रखा जूता और बेल्ट से की पिटाई



पीड़ित की फोटो
 
रायपुर/राजनांदगांव/जगदलपुर. अंबागढ़ चौकी के एसडीपीओ महेश्वर नाग ने मंगलवार की रात कोतवाली के आरक्षक नीलकमल की बेल्ट से पिटाई की।
 
इससे पहले उन्होंने उसके हाथ बंधवा दिए और सिर पर जूता भी रखवाया। उसके खिलाफ बोधघाट थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई है।
 
वह अभी मुख्यमंत्री की विकास यात्रा के दौरान डीजी की टीम में जगदलपुर में है। बुधवार की सुबह उसने वहां से घटना की सूचना अपनी पत्नी को दी।
 
इसके बाद पत्नी ने एडिशनल एसपी शशिमोहन सिंह को शिकायती पत्र देकर मामले की जांच की मांग की। बोधघाट थाने के टीआई अब्दुल कादिर ने बताया कि उनके थाने में इस तरह की न तो कोई एफआईआर दर्ज हुई है न कोई घटना हुई है।

अंबानी को वीआईपी सुरक्षा पर सरकार से सवाल


उद्योगपति मुकेश अंबानी को जेड श्रेणी की वीआईपी सुरक्षा प्रदान किए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से सवालिया लहजे में पूछा है कि बड़े लोगों को तो सुरक्षा प्रदान की जा रही है, लेकिन आम आदमी की हिफाजत का क्या हो रहा है।
कोर्ट ने अपनी इस कड़ी टिप्पणी में यह भी कहा कि अगर राजधानी में सुरक्षा व्यवस्था पर्याप्त होती, तो पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार न हुआ होता।
उल्लेखनीय है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी को सरकार की तरफ से ‘जेड’ श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है। हालांकि अंबानी की ओर से कहा गया है कि वह इस खर्चे को स्वयं वहन करेंगे।
अंबानी को इंडियन मुजाहिद्दीन से धमकियां मिलने की बात कही जा रही है और चूंकि निजी सुरक्षा गार्डों के पास अत्याधुनिक हथियार नहीं हो सकते हैं, इसलिए सरकार ने यह सुरक्षा मुहैया कराने का निर्णय लिया।

कुडनकुलम परमाणु संयंत्र को हरी झंडी


रीम कोर्ट ने कुडनकुलम परमाणु संयंत्र शुरू करने के खिलाफ दायर याचिका 6 मई को खारिज कर दी है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि कुडनकुलम परमाणु संयंत्र पूरी तरह सुरक्षित है। यह व्यापक जन हित में और देश के आर्थिक विकास के लिए जरूरी है।
शीर्ष कोर्ट ने यह भी कहा कि वर्तमान एवं भावी पीढ़ियों के लिए देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की जरूरत है। कोर्ट ने अधिकारियों से परमाणु उर्जा संयंत्र में कामकाज शुरू करने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर दर्ज आपराधिक मामले वापस लेने की कोशिश करने के लिए कहा। कोर्ट ने ने संयंत्र की शुरुआत, इससे संबंधित सुरक्षा और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर 15 दिशा निर्देश भी दिए।
न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की पीठ ने हालांकि सरकार को सुरक्षा और संयंत्र के संचालन की देखरेख पर एक विस्तृत निर्देश जारी किया। अदालत ने संयंत्र को चालू करने की अनुमति देते हुए कहा कि परमाणु ऊर्जा देश के विकास के लिए अत्यधिक जरूरी है और जीवन के अधिकार तथा टिकाऊ विकास के बीच संतुलन बिठना जरूरी है।
अदालत ने कहा कि कई विशेषज्ञ समूहों ने कहा है कि विकिरण के कारण परमाणु संयंत्र के आसपास के इलाके में खतरे की कोई सम्भावना नहीं है। अदालत ने कहा कि लोगों को होने वाली थोड़ी असुविधा की जगह व्यापक जनहित को तरजीह दी जानी चाहिए। अदालत ने भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम और परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड को संयंत्र की सुरक्षा के लिए सभी कदम उठाने का निर्देश दिया।
इससे पहले, न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की खंडपीठ ने इस परियोजना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर पिछले साल दिसंबर में सुनवाई पूरी की थी।
परमाणु विरोधी कार्यकर्ताओं ने कुडनकुलम परमाणु परियोजना को सुरक्षा मानकों का पालन नहीं किए जाने के आधार पर चुनौती दी। याचिकाओं में कहा गया था कि इस संयंत्र में सुरक्षा के बारे में विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर अमल नहीं किया गया है।

कुरान का सन्देश

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शाहरुख बोले- वानखेड़े में घुसना चाहा तो क्‍या मुझे गोली मार देंगे?


मुंबई। बॉलीवुड स्‍टार और कोलकाता नाइटराइडर्स के मालिक शाहरुख खान ने आखिरकार अपनी गलती कबूल कर ली है। उनका मानना है कि पिछले साल आईपीएल के दौरान वानखेडे स्‍टेडियम में सिक्‍योरिटी गार्ड से झगड़ा नहीं करना चाहिए था। गौरतलब है कि इस झगड़े की वजह से एमसीए ने स्‍टेडियम में घुसने पर शाहरुख पर पांच साल का बैन लगा दिया है। अब शाहरुख ने कहा है, 'मैंने जब उस घटना के बारे में गहराई से विचार किया तो लगा कि मुझे उस तरह का बर्ताव नहीं करना चाहिए था। दूसरी ओर, यह वाकया ऐसा भी नहीं है जैसा मैं इसके बारे में सोचता हूं।' यह पूछे जाने पर कि सात मई को वानखेडे स्‍टेडियम में जब उनकी टीम मुंबई इंडियंस से भिड़ेगी तो वह क्‍या करेंगे? शाहरुख ने कहा, 'मैं कुछ ऐसा नहीं करना चाहता हूं कि लोगों को बुरा लगे लेकिन अगर मैं स्‍टेडियम में घुसता हूं तो वो क्‍या करेंगे? मुझे गोली मार देंगे क्‍या?' 
उधर, अनुभवी खिलाड़ी गौतम गंभीर को अपने खराब फॉर्म और व्यवहार का खामियाजा चैंपियंस ट्रॉफी से बाहर हो कर चुकाना पड़ा है। शुक्रवार को राजस्थान रॉयल्स के खिलाफ मुकाबले में वे पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ के साथ उलझते नजर आए थे। पूर्व ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी शेन वॉर्न ने ट्वीट कर पूछा है कि क्या गंभीर इस दुनिया में तीन सबसे गुस्सैल खिलाड़ियों में शामिल हैं? (पढ़ें, यूसुफ पठान का ब्लास्ट, 8 विकेट से जीता कोलकाता)
कोलकाता की बैटिंग के दौरान मनविंदर बिसला और शेन वाटसन के बीच झड़प हुई थी। द्रविड़ ने जब बिसला को शांत करने की कोशिश की तो गंभीर बीच में कूद पड़े। द्रविड़ ने अपने कूल अंदाज में सब कुछ शांत करने का प्रयास किया, लेकिन गंभीर बहसबाजी पर उतर आए। अंततः अंपायरों को बीच-बचाव करना पड़ा। अगले ही ओवर में गंभीर वाटसन की गेंद पर स्टंप आउट हो गए थे। हालांकि, गंभीर ने कहा है कि उन्होंने द्रविड़ से कुछ अपमानजनक शब्द नहीं कहे। वे द्रविड़ की बहुत इज्जत करते हैं और अपनी सीमाएं जानते हैं।
इससे पहले गंभीर का बेंगलुरु के कप्तान विराट कोहली से भी झगड़ा हुआ था। उस मैच में दोनों के बीच काफी गाली-गलौच हुई थी और नौबत हाथापाई तक पहुंच गई थी। तब दिल्ली के खिलाड़ी रजत भाटिया ने बीच में पड़कर दोनों को अलग कराया था।
 
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खास खबरें

यहीं एक वेश्या ने दी समाज को चुनौती और राजा को भी खानी पड़ी जिसके सामने मात!

पश्चिमी राजस्थान में सोने की सी चमक लिए स्वर्ण नगरी जैसलमेर देशी-विदेशी सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। अपनी सोने जैसी आभा के कारण लोगों को अपनी ओर खींचने वाली इस नगरी में वैसे तो कई स्थान देखने लायक हैं, लेकिन एक स्थान ऐसा भी है जिसके नाम के आगे 'बदनाम' लगा हुआ है। वैसे वास्तव में यह जगह अपने-आप में खासा ऐतिहासिक महत्त्व रखती है। जहां राजस्थान कई ऐतिहासिक स्थान विभिन्न राजघरानों के कारण प्रसिद्ध हुए हैं, वहीं शायद यह एकमात्र ऐसा स्थान है जो एक वेश्या के कारण प्रसिद्ध हुआ है।

अब रामगंजमंडी न्यायालय में पेश होंगे मुल्जिम


कोटा। कोटा में किसी भी थाने में छोटे से छोटे अपराध में गिरफ्तार होने वाले मुल्जिमों को अब करीब 70 किमी. दूर रामगंजमंडी न्यायालय में पेश किया जाएगा। कोटा में लम्बे समय से चल रही वकीलों की हड़ताल का असर अब व्यापक रूप में दिखने लगा है। पूर्व में जहां राजस्थान उच्च न्यायालय ने कोटा के 18 न्यायिक अघिकारियों को अन्य जिलों का अतिरिक्त कार्यभार देकर यहां से रवाना कर दिया था। अब इससे आगे की कार्यवाही को अपनाते हुए कोटा के न्यायालयों का क्षेत्राघिकार रामगंजमंडी न्यायालय को दिया गया है। यह आदेश उच्च न्यायालय के आदेश की पालना में कोटा के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने दिए हैं।
सीजेएम प्रेमचंद शर्मा ने बुधवार को जारी आदेश में कहा कि कोटा के सभी थानों के अभियुक्त, जो कोटा में अलग-अलग न्यायालयों में पेश होते थे। वे अब तुरंत प्रभाव से रामगंजमंडी न्यायालयों में पेश होंगे। एसीजेएम क्रम एक से लेकर एसीजेएम सात का क्षेत्राघिकारी रामगंजमंडी को और सुल्तानपुर, बूढादीत व सीमलिया का इटावा को व सांगोद व बपावरकला का क्षेत्राघिकार कनवास न्यायालय को दिया गया है। इस आदेश के तहत अब कोटा के सभी अभियुक्त रामगंजमंडी में पेश होंगे।
जमानत कराने से लेकर चालान पेश करने व जब्त वाहन तक को छुड़ाने के लिए अब पुलिस व अभियुक्तों को वहां जाना होगा। अघिकृत सूत्रों के अनुसार राजस्थान न्यायिक इतिहास में ऎसा संभवत: पहली बार हुआ है। इधर, हड़ताल के चलते गिरफ्तार अभियुक्तों की जमानत नहीं होने से जेल में अभियुक्तों की संख्या भी पहले से काफी बढ़ गई है।
सोमवार से सुबह की अदालतें
राजस्थान उच्च न्यायालय व इसके अधीनस्थ न्यायालयों का समय सोमवार से सुबह का हो जाएगा। सोमवार से अदालतें सुबह 7.30 से 12.30 बजे तक खुलेंगी।

झूले लाल

यह पृष्ठ निर्माणाधीन है. आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है. हम जल्द इस इस पृष्ठ को संपादित करने की कोशिश करेंगे. पुनः पधारें !भारतीय धर्मग्रंथों में कहा गया है कि जब-जब अत्याचार बढ़े हैं, नैतिक मूल्यों का क्षरण हुआ है तथा आसुरी प्रवृत्तियाँ हावी हुई हैं, तब-तब किसी न किसी रूप में ईश्वर ने अवतार लेकर धर्मपरायण प्रजा की रक्षा की। संपूर्ण विश्व में मात्र भारत को ही यह सौभाग्य एवं गौरव प्राप्त रहा है कि यहाँ का समाज साधु-संतों के बताए मार्ग पर चलता आया है।

ऐसी ही एक कथा भगवान झूलेलालजी के अवतरण की है। शताब्दियों पूर्व सिन्धु प्रदेश में मिर्ख शाह नाम का एक राजा राज करता था। राजा बहुत दंभी तथा असहिष्णु प्रकृति का था। सदैव अपनी प्रजा पर अत्याचार करता था। इस राजा के शासनकाल में सांस्कृतिक और जीवन-मूल्यों का कोई महत्व नहीं था। पूरा सिन्ध प्रदेश राजा के अत्याचारों से त्रस्त था। उन्हें कोई ऐसा मार्ग नहीं मिल रहा था जिससे वे इस क्रूर शासक के अत्याचारों से मुक्ति पा सकें।

लोककथाओं में यह बात लंबे समय से प्रचलित है कि मिर्ख शाह के आतंक ने जब जनता को मानसिक यंत्रणा दी तो जनता ने ईश्वर की शरण ली। सिन्धु नदी के तट पर ईश्वर का स्मरण किया तथा वरुण देव उदेरोलाल ने जलपति के रूप में मत्स्य पर सवार होकर दर्शन दिए। तभी नामवाणी हुई कि अवतार होगा एवं नसरपुर के ठाकुर भाई रतनराय के घर माता देवकी की कोख से उपजा बालक सभी की मनोकामना पूर्ण करेगा।

समय ने करवट ली और नसरपुर के ठाकुर रतनराय के घर माता देवकी ने चैत्र शुक्ल 2 संवत्‌ 1007 को बालक को जन्म दिया एवं बालक का नाम उदयचंद रखा गया। इस चमत्कारिक बालक के जन्म का हाल जब मिर्ख शाह को पता चला तो उसने अपना अंत मानकर इस बालक को समाप्त करवाने की योजना बनाई। बादशाह के सेनापति दल-बल के साथ रतनराय के यहाँ पहुँचे और बालक के अपहरण का प्रयास किया, लेकिन मिर्ख शाह की फौजी ताकत पंगु हो गई। उन्हें उदेरोलाल सिंहासन पर आसीन दिव्य पुरुष दिखाई दिया। सेनापतियों ने बादशाह को सब हकीकत बयान की।

उदेरोलाल ने किशोर अवस्था में ही अपना चमत्कारी पराक्रम दिखाकर जनता को ढाँढस बँधाया और यौवन में प्रवेश करते ही जनता से कहा कि बेखौफ अपना काम करे। उदेरोलाल ने बादशाह को संदेश भेजा कि शांति ही परम सत्य है। इसे चुनौती मान बादशाह ने उदेरोलाल पर आक्रमण कर दिया। बादशाह का दर्प चूर-चूर हुआ और पराजय झेलकर उदेरोलाल के चरणों में स्थान माँगा। उदेरोलाल ने सर्वधर्म समभाव का संदेश दिया। इसका असर यह हुआ कि मिर्ख शाह उदयचंद का परम शिष्य बनकर उनके विचारों के प्रचार में जुट गया।

उपासक भगवान झूलेलालजी को उदेरोलाल, घोड़ेवारो, जिन्दपीर, लालसाँईं, पल्लेवारो, ज्योतिनवारो, अमरलाल आदि नामों से पूजते हैं। सिन्धु घाटी सभ्यता के निवासी चैत्र मास के चन्द्रदर्शन के दिन भगवान झूलेलालजी का उत्सव संपूर्ण विश्व में चेटीचंड के त्योहार के रूप में परंपरागत हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं।

चूँकि भगवान झूलेलालजी को जल और ज्योति का अवतार माना गया है, इसलिए काष्ठ का एक मंदिर बनाकर उसमें एक लोटी से जल और ज्योति प्रज्वलित की जाती है और इस मंदिर को श्रद्धालु चेटीचंड के दिन अपने सिर पर उठाकर, जिसे बहिराणा साहब भी कहा जाता है, भगवान वरुणदेव का स्तुतिगान करते हैं एवं समाज का परंपरागत नृत्य छेज करते हैं।

झूलेलाल उत्सव चेटीचंड, जिसे सिन्धी समाज सिन्धी दिवस के रूप में मनाता चला आ रहा है, पर समाज की विभाजक रेखाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह सर्वधर्म समभाव का प्रतीक है।

तीन मिनट में हो गई छह लाख रुपए की लूट, बगल में था कंट्रोल रूम फिर भी नहीं पहुंची पुलिस

। शहर में सीएडी सर्किल के पास स्टेट बैंक ऑफ पटियाला की शाखा में शनिवार सुबह घुसे चार हथियारबं बदमाश गार्ड को गोली मारकर 6.05 लाख रु. लूट ले गए। लुटेरों ने एक अन्य गार्ड और बैंककर्मियों से भी मारपीट की और महज तीन मिनट में वारदात को अंजाम देकर भाग गए।
वे अपने साथ गार्ड की राइफल भी ले गए। घटना सुबह करीब 10:36 बजे की है। स्प्रिंगडेल्स स्कूल के कर्मचारी वीएस माथुर 5 लाख रु. जमा कराने आए थे। उन्होंने बैंक के हैड कैशियर दीपमाला को राशि दी ही थी कि 4 बदमाश बैंक में आ धमके। उन्होंने गार्ड सुवालाल मीणा से राइफल छीनने की कोशिश की। 
इस दौरान एक बदमाश ने उन पर चार फायर किए। इनमें से दो गोली बाईं जांघ और एक दाईं जांघ में लगी। बदमाश उन्हें घसीटकर रिकॉर्ड रूम में पटक आए। दूसरे गार्ड प्रभुलाल ने बदमाशों को पकड़ा तो उन्होंने राइफल के बट से हमला कर दिया। आंख के नीचे चोट लगने से प्रभुलाल एक तरफ गिर गए। इसके बाद दो बदमाश हैड कैशियर की ओर बढ़े और मारपीट कर धमकाया।

बासी खाने से प्रसन्न होती है यह देवी, हर लेती है दुःख तकलीफ!

शीतला सप्तमी पर्व के अवसर पर आज (3 अप्रैल) को राजस्थान के साथ -साथ पूरे देश में जगह-जगह मेलों का आयोजन की जाएगा।खासतौर से समूचे राजस्थान में यह पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।इस अवसर पर खास प्रस्तुति में dainikbhaskar.com आपको बताता है शीतला माता से जुड़े कुछ रोचक तथ्य..
बासी खाने से प्रसन्न होती है यह देवी
देश के कई क्षेत्रों में शीतला सप्तमी और अष्टमी का पर्व हर्षोल्लास का साथ मनाया जाता है। यह पर्व होली के ठीक सात दिन बाद मनाया जाता है।खासतौर से समूचे राजस्थान के साथ-साथ मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और हरियाणा आदि प्रदेशों में इस पर्व की धूम रहती है। होली सम्पन्न होते ही लोग इसकी तैयारी में जोर-शोर से लग जाते हैं।
शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन लोग माता शीतला की पूजा करते हैं।मान्यता के अनुसार इस दिन देवी को बासी (ठन्डे) खाने का भोग लगाया जाता है, साथ ही जिन परिवारों में यह पर्व मनाया जाता है, उनमें भी बासी (ठंडा) खाना खाने का रिवाज है।
इस दिन न केवल माता का पूजन किया जाता है बल्कि व्रत भी रखा जाता है और इस व्रत को रखने वाले स्त्री/पुरुष को जरूरी होता है कि वह या उसके परिवार के सदस्य शीतला सप्तमी और अष्टमी के दिन बासी यानि ठंडा खाना खाएं।

सात घंटे तक टावर पर चढ़े रहे विधायक महोदय, बोले, 'इसे हटाओ'


चित्तौड़गढ़.रिहायशी क्षेत्र से मोबाइल टावरों को हटवाने के लिए बड़ी सादड़ी से कांग्रेसी विधायक प्रकाश चौधरी सोमवार सुबह साढ़े सात बजे टावर पर चढ़ गए। चौधरी व 10 अन्य लोग करीब सात घंटे तक टावर पर बैठे रहे। टावर सीज होने के बाद ही विधायक दोपहर दो बजे नीचे उतरे।
सात घंटे तक टावर पर रहे विधायक
अपने मोहल्ले में लगे मोबाइल टावरों को हटवाने के लिए सत्तासीन विधायक प्रकाश चौधरी को खुद टॉवर पर चढ़ना पड़ा। बड़ीसादड़ी कस्बे में विधायक चौधरी सोमवार सुबह साढ़े सात बजे टावर पर चढ़कर बैठ गए। उनके पीछे दस अन्य लोग भी टावर पर चढ़ गए। ये लोग करीब सात घंटे तक टावर पर ही बैठे रहे। इस दौरान नीचे स्कूली बालिकाएं व महिलाएं भी धरने पर बैठी रही। बड़ी संख्या में लोगों व प्रशासनिक लवाजमे का मजमा लगा रहा। मोबाइल टावर सीज करने की कार्रवाई पूरी होने के बाद करीब दो बजे विधायक नीचे उतरे।
बड़ीसादड़ी की आदर्श कॉलोनी में एक ही खाली भूखंड में तीन प्राइवेट सेल्यूलर कंपनियों के टावर लगे है। विधायक सहित क्षेत्रवासियों का कहना है कि काफी उच्च क्षमता के इन टावरों की विकिरणों के दुष्प्रभाव से डेढ़ साल में तीन मौतें हो गई और कई लोग बीमार है। कुछ काफी गंभीर हालत में है। 
नपा व प्रशासन सहित कलेक्टर, मंत्री व मुख्यमंत्री तक गुहार के बावजूद जब ये टावर नहीं हटे। हालात लगातार बिगड़ने के कारण विधायक ने रविवार रात को मुख्यमंत्री तक भी यह अल्टीमेटम पहुंचा दिया था कि यदि अब तत्काल कार्रवाई नहीं हुई तो सोमवार सुबह सवा सात बजे वह खुद टावर पर चढ़ जाएंगे। सुबह तय समय पर विधायक टावर पर पहुंच गए। 
तब सिर्फ तहसीलदार विनोद मल्होत्रा ही उनको समझाने के लिए मौके पर थे। साढ़े सात बजे विधायक टावर पर चढ़कर बैठ गए। इसके बाद करीब 10-12 और लोग भी टावर पर चढ़ गए। तब बारी-बारी से सीआई भैरूलाल मीणा, एसडीएम गीतेश श्रीमालवीय, डीएसपी मय जाब्ता पहुंचे। विधायक सहित लोगों के टावर पर चढ़ने का पता चलते ही नीचे लोग जमा होने लगे। अधिकारी मोबाइल फोन के माध्यम से विधायक को समझाने का प्रयास करते रहे। 
चौधरी सभी मोबाइल टॉवरों को तत्काल सीज करने के अलावा प्रत्येक मौत पर संबंधित कंपनियों से एक-एक करोड़ का मुआवजा, गंभीर बीमारों को 50-50 लाख तथा अन्य बीमारों को भी उपचार खर्च दिलाने की मांग पर अड़े रहे। मामला बढ़ता देख निंबाहेड़ा डीएसपी सहित आसपास के अन्य थानों से भी जा
एएसपी आशाराम चौधरी, एडीएम नरेंद्र कोठारी बड़ीसादड़ी पहुंचे और विधायक को समझाने का प्रयास किया। इसके बाद भी बात नहीं बनी। इस बीच गर्मी को देखते हुए विधायक ने बालिकाओं को धरने से उठा दिया, लेकिन मौके पर बड़ी संख्या में गांवों से भी लोग जमा होने लगे। कलेक्टर रवि जैन के निर्देश पर अधिकारियों ने मोबाइल टावर सीज किए व कार्रवाई की कॉपी विधायक के पास पहुंचाई।
ब्ता लगा दिया गया। मांग के समर्थन में साढ़े दस बजे टावर के समीप स्थित गल्र्स स्कूल की करीब सौ छात्राएं तथा विधायक की पत्नी पुष्पा चौधरी की अगुवाई में महिलाएं भी धरने पर बैठ गई। 
 एएसपी आशाराम चौधरी, एडीएम नरेंद्र कोठारी बड़ीसादड़ी पहुंचे और विधायक को समझाने का प्रयास किया। इसके बाद भी बात नहीं बनी। इस बीच गर्मी को देखते हुए विधायक ने बालिकाओं को धरने से उठा दिया, लेकिन मौके पर बड़ी संख्या में गांवों से भी लोग जमा होने लगे। कलेक्टर रवि जैन के निर्देश पर अधिकारियों ने मोबाइल टावर सीज किए व कार्रवाई की कॉपी विधायक के पास पहुंचाई।

वाह ! कैसी है यह व्यवस्था


सीकर.एसके अस्पताल के फीमेल मेडिकल वार्ड में भर्ती एक वृद्धा की शुक्रवार शाम मौत हो गई। इससे गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में चल रहे कार्यक्रम में कुर्सियां फेंकी। कार्यक्रम में उद्योग मंत्री राजेंद्र पारीक बतौर खास मेहमान मौजूद थे। परिजनों ने डॉक्टरों पर इलाज नहीं करने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। इस कारण वृद्धा का शव पांच घंटे तक वार्ड में पड़ा रहा। 
देर रात अस्पताल में पुलिस व प्रशासन के साथ वार्ता के बाद शव मोर्चरी में रखवाया गया। मामले की जांच के लिए एडीएम,एएसपी व सीएमएचओ की तीन सदस्य कमेटी बनाई गई है। कमेटी की ओर से ही शनिवार को वृद्धा का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा।हंगामे के दौरान एसके अस्पताल में भारी पुलिस बल तैनात किया गया। 
जानकारी के मुताबिक शेषमा का बास कुचामन निवासी गोरधनी देवी (65) पत्नी हनुमान प्रसाद को फेफड़ों में पानी भरने की शिकायत पर गुरुवार को परिजन सीकर लेकर आए थे। उन्होंने उसे फिजीशियन डॉक्टर मंशाराम सहारण को घर पर दिखाया। हालत खराब होने पर डॉक्टर ने उसे एसके अस्पताल में भर्ती करवा दिया।  
शुक्रवार को डॉक्टर मंशाराम छुट्टी पर होने के कारण सुबह राउंड पर आए डॉक्टर देवेंद्र दाधीच ने महिला को देखा और इलाज जारी रखा। परिजनों का आरोप है कि सुबह 11 बजे ही वृद्धा की तबीयत बिगड़नी शुरू हो गई थी। उन्होंने वार्ड इंचार्ज को कहा तो उसने डॉक्टर से संपर्क करने के लिए कहा। 
इस पर परिजन डॉ सहारण के घर गए। वहां से जवाब मिला कि ‘मैं छुट्टी पर हूं आप ड्यूटी डॉक्टर को दिखाओ’ इस पर परिजन वापस एसके अस्पताल आए और डॉक्टर को ढूंढने लगे। दोपहर तीन बजे तक परिजनों ने इधर उधर चक्कर लगाए लेकिन कोई डॉक्टर नहीं मिला। शाम करीब चार बजे परिजन वृद्धा को टॉयलेट में लेकर गए तो उसकी हालत और बिगड़ गई। वार्ड इंचार्ज ने इसकी सूचना ट्रोमा में दी तो वहां से डॉक्टर को कॉल किया गया। 
डॉक्टर दर्शन भार्गव वार्ड में पहुंचे लेकिन तब तक महिला की मौत हो चुकी थी। इसी दौरान अस्पताल में लायंस क्लब सीकर क्राउन की ओर से एंबुलेंस और डेड बॉडी फ्रीज भेंट करने पर भामाशाह सम्मान समारोह चल रहा था जिसमें उद्योग मंत्री मौजूद थे। परिजन वहां पहुंचे और डॉक्टर भेजने की मांग की। वहां से डॉक्टर साथ नहीं चलने पर परिजन आक्रोशित हो गए और कुर्सियां फेंकने लगे। 
इस पर कार्यक्रम बंद हो गया और उद्योग मंत्री भी वार्ड में पहुंचे। वहां डॉक्टर से बातचीत के बाद मंत्री चले गए। इसके बाद गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया और वार्ड से शव नहीं उठाया। कुछ ही देर में दर्जनों युवक अस्पताल पहुंच कर हंगामा करने लगे। सूचना पर एसडीएम बीएल बासनीवाल व सीओ सिटी योगेंद्र फौजदार मौके पर पहुंचे और समझाइश के प्रयास किए। 
रात दस बजे तक प्रशासन व परिजनों की वार्ता चलती रही। परिजनों ने डॉक्टरों के खिलाफ लापरवाही का मुकदमा दर्ज करने की रिपोर्ट दी गई। इस पर प्रशासन ने कमेटी गठन करने का आश्वासन दिया।
ये दिया गया है आश्वासन
डॉक्टरों के खिलाफ दी गई शिकायत की जांच एडीएम, एएसपी व सीएमएचओ की कमेटी करेगी। इसके बाद मुकदमा दर्ज करवाने का फैसला होगा। शनिवार को वृद्धा के शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा। अगर मामला मुआवजे का बनता है तो इसके लिए नागौर कलेक्टर को पत्र लिखा जाएगा।
एसडीएम से तनातनी
बातचीत के दौरान लोगों की एसडीएम बीएल बासनीवाल से तनातनी हो गई। एसडीएम की बात पर लोग भड़क गए और बात तूं तू मैं मैं तक  पहुंच गई। पुलिस ने बीच बचाव कर मामला शांत करवाया।

अब तक के सबसे बड़े हमले ने धीमी कर दी इंटरनेट की रफ्तार



लंदन. इंटरनेट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला हुआ है जिससे दुनियाभर में लाखों लोगों का इंटरनेट कनेक्शन प्रभावित होने की संभावना है। 
यह हमला इंटरनेट फर्म स्पैमहौज के जेनेवा स्थित इंटरनेट मुख्यालय में बदला लेने की नीयत से किया गया है। लेकिन इसका असर अब अन्य वेबसाइटों पर भी पड़ रहा है और नतीजतन ईमेल जैसी सेवाएं प्रभावित होने लगी हैं। 
इस हमले के नतीजे से दुनियाभर में इंटरनेट की गति धीमी पड़ गई है। साइबर विशेषज्ञों के मुताबिक यह इंटरनेट पर अब तक का सबसे बड़ा हमला है। स्पैमहौज के मुताबिक यदि यह हमला किसी देश की सरकारी वेबसाइटों पर किया जाता तो वेबसाइटों पूरी तरह काम करना बंद कर देती। फिलहाल स्पैमहौज के इंजीनियर इससे निपटने में लगे हैं। 
स्पैमहौज इंटरनेट पर स्पैम रोकने का काम करती है। कंपनी ने एक वेबसाइट को ब्लैकलिस्ट कर दिया था जिसका बदला लेने के लिए यह हमला किया गया है। 
यह हमला इतना बड़ा है कि इसका असर नेटफ्लिक्स जैसी चर्चित सेवाओं पर भी दिखने लगा है। स्पैमहौज के मुताबिक हमले का उद्देश्य इंटरनेट की गति धीमी करना है। 
इंटरनेट पर अब तक के इस सबसे बड़े हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए क्लाउडप्लेयर के सीईओ मैथ्यू प्रिंस ने न्यूयॉर्क टाइम्स से कहा, 'इंटरनेट पर यह हमला ऐसे है जैसे परमाणु हमला हो।'
गौरतलब है कि लंदन और जेनेवा स्थित कंपनी स्पैमहौज ईमेल और अन्य वेबसाइटों से स्पैम हटाने का काम करती है। इस नॉन प्रॉफिट कंपनी ने साइबरबंकर को ब्लैकलिस्ट कर दिया था जिसके नतीजे में यह हमला हुआ है। स्पैमहौज के प्रवक्ता के मुताबिक हमला साइबरबंकर ने बदला लेने की नीयत से किया है। 
यह हमला ऐसा ही है जैसे किसी सड़क पर ज्यादा गाड़िया उतारकर ट्रैफिक जाम कर देना। इंटरनेट एक्सेस की अधिकाधिक रिक्वेस्ट भेज कर इंटरनेट पर ट्रैफिक को धीमा कर दिया गया है। 
इस हमले को दो इंटरनेट कंपनियों की आपसी लड़ाई के रूप में भी देखा जा सकता है लेकिन इसका सबसे विध्वंसक पहलू यह है कि इसका असर आम इंटरनेट उपभोगताओं पर भी पड़ना शुरू हो गया है। अकामाई नेटवर्क्स के मुख्य इंजीनियर पैट्रिक गिलमोर के मुताबिक स्पैमहौज का काम ही इंटरनेट पर स्पैम अटैक करने वालों को रोकना है लेकिन साइबरबंकर को लगता है कि उसे इंटरनेट पर स्पैम करने की इजाजत होनी चाहिए। 
उन्होंने हमले के स्तर का अनुमान बताते हुए कहा कि यह ऐसे ही है जैसे किसी एक व्यक्ति की जान लेने के उद्देश्य से भीड़ पर मशीन गन से फायरिंग कर देना। उन्होंने बताया, 'बोटनेट कंप्यूटरों के द्वारा किए गया यह इंटरनेट हमला कई देशों के समूचे इंटरनेट कनेक्शन से बड़ा  है। यह लोग इंटरनेट एक्सेस करने की भारी रिक्वेस्ट भेज रहे हैं जिस कारण इंटरनेट धीमा होता जा रहा है।'

ये हैं भारत की 10 सबसे डरावनी जगह, जहां आज भी घूमते हैं भूत, अकेले नहीं जाते लोग

ये हैं भारत की 10 सबसे डरावनी जगह, जहां आज भी घूमते हैं भूत, अकेले नहीं जाते लोग
10- भानगढ़ का किला, अलवर (राजस्थान)
राजस्थान का भानगढ़ किला सन् 1613 ई. में राजा मधू सिंह के द्वारा बनवाया गया था। भानगढ़ के किले को इसके निर्माण के कुछ समय पश्चात ही तांत्रिकों के शाप द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था। बताया जाता है कि तांत्रिक ने शाप दिया था कि कोई यहां पर कोई भी अपने भवन की छत नहीं बना सकेगा। यहां तक कि यहां के मंदिरों और अन्य सभी घरों में भी छत नहीं है। यहां के स्थानीय निवासी बताते हैं कि जो व्यक्ति भी इस किले में सूरज ढलने के बाद इस किले में रूकता है वो कभी भी लौट कर नहीं आता है। भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने परीक्षण के उपरांत यहां पर इस संदर्भ में एक बोर्ड लगा दिया है कि सूरज ढलने के बाद यहां रूकना सख्त मना है। यहां तक कि उन्होंने अपना ऑफिस भी इस शापित किले से एक किमी दूर बनाया था।

इसलिए जरूरी है ये मांग

 आंदोलन के लिए अब सभी संगठनों को जोड़ेंगे वकील
राजनीतिक रंग में बिगड़ रहा आंदोलन, कोर्ट खुली तो आम जनता से लेकर पुलिस तक को होगा फायदा वाल्मिकी समाज ने किया प्रदर्शन
वाल्मिकी समाज के लोगों ने शहर जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री हेमचंद पंवार के समर्थन में आईजी कार्यालय पर प्रदर्शन किया। उन्होंने आईजी को ज्ञापन देकर वकीलों को गिरफ्तार करने की मांग की। पंवार ने कहा कि अगर तीन दिन में वकीलों को गिरफ्तार नहीं किया गया तो तीन दिन बाद शहर की सफाई व्यवस्था ठप कर दी जाएगी।
टाइपिस्ट ने किया मारपीट से इंकार
टाइपिस्ट उमेश मीणा ने मंगलवार को हुई घटना से साफ इंकार किया है। एसआई अनिष अहमद ने बताया कि टाइपिस्ट ने प्रार्थना पत्र देकर कहा कि हेमचंद पंवार के साथ कोई मारपीट नहीं की है। इसके बाद पुलिस ने प्रार्थना पत्र नयापुरा थाने पहुंचा दिया। अभिभाषक परिषद की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट बैंच एवं रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की स्थापना की मांग को लेकर आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया गया है।
परिषद ने इस आंदोलन को भव्य रूप देने के लिए शहर के व्यापारी संगठन, राजनैतिक दल, धार्मिक संगठन, आर्यसमाज, शहरकाजी, ईसाई संगठन, हिन्दू संगठन एवं अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों की सर्वदलीय बैठक गुरुवार को दोपहर 2 बजे कोर्ट परिसर के परिषद हॉल में बुलाई है। बुधवार शाम चार बजे परिषद व हाईकोर्ट बैंच स्थापना संघर्ष समिति के सभी सदस्यों की बैठक संपन्न हुई। बैठक में हाईकोर्ट बैंच की मांग के लिए चलाए जा रहे आंदोलन आंदोलन में जनसमर्थन जुटाने के संबंध में चर्चा की गई। मनोजपुरी ने बताया कि परिषद ने सर्वदलीय बैठक बुलाई है, राजस्थान बार कौंसिल के सदस्य व वरिष्ठ एडवोकेट महेशचंद गुप्ता ने कोर्ट परिसर में घुसकर वकीलों के साथ मारपीट का प्रयास करने को लेकर डीजे से पुलिस को शिकायत भेजने की मांग की है।

कोटा के वकील बीते 27 दिन से हाईकोर्ट बैंच व रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच खोलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन जयपुर में वकीलों व पुलिस के बीच हुई झड़प के बाद कोटा संभाग की जनता से जुड़ा महत्वपूर्ण मुद्दा भटकने लगा है। आंदोलन को कुचलने के लिए राजनैतिक चालें चली जा रही है। कभी पुलिस के समर्थन में प्रदर्शन हो रहे है तो कभी कुछ अन्य। लेकिन, हाईकोर्ट व डबल बैंच का मुद्दा कोटा संभाग से जुड़े लोगों का है। इस मांग को भुलाया नहीं जा सकता।
कोटा संभाग के लोगों को सस्ता, सुलभ व शीघ्र न्याय दिलाने के लिए होई कोर्ट की मांग काफी पुरानी है, रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की तारीख पेशी पर जाने के लिए किसानों व पक्षकारों के पास पैसे तक नहीं होते हैं, लेकिन, अभी तक इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है। अभिभाषक परिषद के अध्यक्ष मनोज पुरी का कहना है कि लॉ कमीशन की रिपोर्ट में देश में 19 नई हाईकोर्ट बैंच खोलने की सिफारिश की है। राजस्थान बार कौंसिंल ने अपनी 14 सूत्रीय मांग पत्र में इस सिफारिश की पालना को भी शामिल किया है। लेकिन, क्रियान्विति नहीं की जा रही है। इसी प्रकार राज्य के बजट में रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच की घोषणा राज्य के वर्ष 2011 के बजट में की गई थी। लेकिन दूसरा बजट आने के बाद अभी तक बैंच नहीं खुल सकी है। अभी भी पक्षकारों को सुनवाई के लिए अजमेर ही जाना पड़ता है।
मुद्दे का राजनीतिकरण न करे कांग्रेस-बिरला
विधायक ओम बिरला ने कहा कि हाईकोर्ट बैंच का आंदोलन हाड़ौती के न्याय की लड़ाई है। कांग्रेस इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने पर आमादा है। सरकार किसी तरह इस मुद्दे की दिशा बदलना चाहती है। शहर की जनता हाईकोर्ट बैंच और रेवेन्यू बोर्ड की डबल बैंच के लिए किए जा रहे वकीलों के आंदोलन के साथ है। इन दोनों बैंच की स्थापना से समूचे हाड़ौती के लोगों को राहत मिलेगी।

साहित्य में होली

   
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होली
होली
होली के अवसर पर गुलाल से रंगीन चेहरा।
आधिकारिक नाम होली
अन्य नाम फगुआ, धुलेंडी, दोल
अनुयायी हिन्दू, भारतीय, भारतीय प्रवासी
प्रकार धार्मिक, सामाजिक
उद्देश्य धार्मिक निष्ठा, उत्सव, मनोरंजन
आरम्भ अत्यंत प्राचीन
तिथि फाल्गुन पूर्णिमा
अनुष्ठान होलिका दहनरंग खेलना
उत्सव रंग खेलना, गाना-बजाना, हुड़दंग
समान पर्व होला मोहल्ला, याओसांग इत्यादि
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।[1]
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है।[2] राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों में डूब जाते हैं। चारों तरफ़ रंगों की फुहार फूट पड़ती है।[3] होली के दिन आम्र मंजरी तथा चंदन को मिलाकर खाने का बड़ा माहात्म्य है।[4]
होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका[5] नाम से मनाया जाता था। वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव और काम-महोत्सव भी कहा गया है।

राधा-श्याम गोप और गोपियो की होली
इतिहासकारों का मानना है कि आर्यों में भी इस पर्व का प्रचलन था लेकिन अधिकतर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। इस पर्व का वर्णन अनेक पुरातन धार्मिक पुस्तकों में मिलता है। इनमें प्रमुख हैं, जैमिनी के पूर्व मीमांसा-सूत्र और कथा गार्ह्य-सूत्र। नारद पुराण औऱ भविष्य पुराण जैसे पुराणों की प्राचीन हस्तलिपियों और ग्रंथों में भी इस पर्व का उल्लेख मिलता है। विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से ३०० वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है। संस्कृत साहित्य में वसन्त ऋतु और वसन्तोत्सव अनेक कवियों के प्रिय विषय रहे हैं।
सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने ऐतिहासिक यात्रा संस्मरण में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक मुस्लिम कवियों ने अपनी रचनाओं में इस बात का उल्लेख किया है कि होलिकोत्सव केवल हिंदू ही नहीं मुसलमान भी मनाते हैं। सबसे प्रामाणिक इतिहास की तस्वीरें हैं मुगल काल की और इस काल में होली के किस्से उत्सुकता जगाने वाले हैं। अकबर का जोधाबाई के साथ तथा जहाँगीर का नूरजहाँ के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता है। अलवर संग्रहालय के एक चित्र में जहाँगीर को होली खेलते हुए दिखाया गया है।[6] शाहजहाँ के समय तक होली खेलने का मुग़लिया अंदाज़ ही बदल गया था। इतिहास में वर्णन है कि शाहजहाँ के ज़माने में होली को ईद-ए-गुलाबी या आब-ए-पाशी (रंगों की बौछार) कहा जाता था।[7] अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह ज़फ़र के बारे में प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाया करते थे।[8] मध्ययुगीन हिन्दी साहित्य में दर्शित कृष्ण की लीलाओं में भी होली का विस्तृत वर्णन मिलता है।
इसके अतिरिक्त प्राचीन चित्रों, भित्तिचित्रों और मंदिरों की दीवारों पर इस उत्सव के चित्र मिलते हैं। विजयनगर की राजधानी हंपी के १६वी शताब्दी के एक चित्रफलक पर होली का आनंददायक चित्र उकेरा गया है। इस चित्र में राजकुमारों और राजकुमारियों को दासियों सहित रंग और पिचकारी के साथ राज दम्पत्ति को होली के रंग में रंगते हुए दिखाया गया है। १६वी शताब्दी की अहमदनगर की एक चित्र आकृति का विषय वसंत रागिनी ही है। इस चित्र में राजपरिवार के एक दंपत्ति को बगीचे में झूला झूलते हुए दिखाया गया है। साथ में अनेक सेविकाएँ नृत्य-गीत व रंग खेलने में व्यस्त हैं। वे एक दूसरे पर पिचकारियों से रंग डाल रहे हैं। मध्यकालीन भारतीय मंदिरों के भित्तिचित्रों और आकृतियों में होली के सजीव चित्र देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए इसमें १७वी शताब्दी की मेवाड़ की एक कलाकृति में महाराणा को अपने दरबारियों के साथ चित्रित किया गया है। शासक कुछ लोगों को उपहार दे रहे हैं, नृत्यांगना नृत्य कर रही हैं और इस सबके मध्य रंग का एक कुंड रखा हुआ है। बूंदी से प्राप्त एक लघुचित्र में राजा को हाथीदाँत के सिंहासन पर बैठा दिखाया गया है जिसके गालों पर महिलाएँ गुलाल मल रही हैं।[9]

कहानियाँ


भगवान नृसिंह द्वारा हिरण्यकशिपु का वध
होली के पर्व से अनेक कहानियाँ जुड़ी हुई हैं। इनमें से सबसे प्रसिद्ध कहानी है प्रह्लाद की। माना जाता है कि प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के दर्प में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा। हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती। हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई, पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है।[10] प्रतीक रूप से यह भी माना जता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका (जलाने की लकड़ी) जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद (आनंद) अक्षुण्ण रहता है।[11]
प्रह्लाद की कथा के अतिरिक्त यह पर्व राक्षसी ढुंढी, राधा कृष्ण के रास और कामदेव के पुनर्जन्म से भी जुड़ा हुआ है।[12] कुछ लोगों का मानना है कि होली में रंग लगाकर, नाच-गाकर लोग शिव के गणों का वेश धारण करते हैं तथा शिव की बारात का दृश्य बनाते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण ने इस दिन पूतना नामक राक्षसी का वध किया था। इसी खु़शी में गोपियों और ग्वालों ने रासलीला की और रंग खेला था।[13]

परंपराएँ

होली के पर्व की तरह इसकी परंपराएँ भी अत्यंत प्राचीन हैं, और इसका स्वरूप और उद्देश्य समय के साथ बदलता रहा है। प्राचीन काल में यह विवाहित महिलाओं द्वारा परिवार की सुख समृद्धि के लिए मनाया जाता था और पूर्ण चंद्र की पूजा करने की परंपरा थी। । वैदिक काल में इस पर्व को नवात्रैष्टि यज्ञ कहा जाता था। उस समय खेत के अधपके अन्न को यज्ञ में दान करके प्रसाद लेने का विधान समाज में व्याप्त था। अन्न को होला कहते हैं, इसी से इसका नाम होलिकोत्सव पड़ा। भारतीय ज्योतिष के अनुसार चैत्र शुदी प्रतिपदा के दिन से नववर्ष का भी आरंभ माना जाता है। इस उत्सव के बाद ही चैत्र महीने का आरंभ होता है। अतः यह पर्व नवसंवत का आरंभ तथा वसंतागमन का प्रतीक भी है। इसी दिन प्रथम पुरुष मनु का जन्म हुआ था, इस कारण इसे मन्वादितिथि कहते हैं।[14]

होलिका दहन
होली का पहला काम झंडा या डंडा गाड़ना होता है। इसे किसी सार्वजनिक स्थल या घर के आहाते में गाड़ा जाता है। इसके पास ही होलिका की अग्नि इकट्ठी की जाती है। होली से काफ़ी दिन पहले से ही यह सब तैयारियाँ शुरू हो जाती हैं। पर्व का पहला दिन होलिका दहन का दिन कहलाता है। इस दिन चौराहों पर व जहाँ कहीं अग्नि के लिए लकड़ी एकत्र की गई होती है, वहाँ होली जलाई जाती है। इसमें लकड़ियाँ और उपले प्रमुख रूप से होते हैं। कई स्थलों पर होलिका में भरभोलिए[15] जलाने की भी परंपरा है। भरभोलिए गाय के गोबर से बने ऐसे उपले होते हैं जिनके बीच में छेद होता है। इस छेद में मूँज की रस्सी डाल कर माला बनाई जाती है। एक माला में सात भरभोलिए होते हैं। होली में आग लगाने से पहले इस माला को भाइयों के सिर के ऊपर से सात बार घूमा कर फेंक दिया जाता है। रात को होलिका दहन के समय यह माला होलिका के साथ जला दी जाती है। इसका यह आशय है कि होली के साथ भाइयों पर लगी बुरी नज़र भी जल जाए।[15] लकड़ियों व उपलों से बनी इस होली का दोपहर से ही विधिवत पूजन आरंभ हो जाता है। घरों में बने पकवानों का यहाँ भोग लगाया जाता है। दिन ढलने पर ज्योतिषियों द्वारा निकाले मुहूर्त पर होली का दहन किया जाता है। इस आग में नई फसल की गेहूँ की बालियों और चने के होले को भी भूना जाता है। होलिका का दहन समाज की समस्त बुराइयों के अंत का प्रतीक है। यह बुराइयों पर अच्छाइयों की विजय का सूचक है। गाँवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं।

सार्वजनिक होली मिलन
होली से अगला दिन धूलिवंदन कहलाता है। इस दिन लोग रंगों से खेलते हैं। सुबह होते ही सब अपने मित्रों और रिश्तेदारों से मिलने निकल पड़ते हैं। गुलाल और रंगों से सबका स्वागत किया जाता है। लोग अपनी ईर्ष्या-द्वेष की भावना भुलाकर प्रेमपूर्वक गले मिलते हैं तथा एक-दूसरे को रंग लगाते हैं। इस दिन जगह-जगह टोलियाँ रंग-बिरंगे कपड़े पहने नाचती-गाती दिखाई पड़ती हैं। बच्चे पिचकारियों से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं। सारा समाज होली के रंग में रंगकर एक-सा बन जाता है। रंग खेलने के बाद देर दोपहर तक लोग नहाते हैं और शाम को नए वस्त्र पहनकर सबसे मिलने जाते हैं। प्रीति भोज तथा गाने-बजाने के कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।
होली के दिन घरों में खीर, पूरी और पूड़े आदि विभिन्न व्यंजन पकाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयाँ बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। बेसन के सेव और दहीबड़े भी सामान्य रूप से उत्तर प्रदेश में रहने वाले हर परिवार में बनाए व खिलाए जाते हैं। कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं। इस अवसर पर उत्तरी भारत के प्रायः सभी राज्यों के सरकारी कार्यालयों में अवकाश रहता है, पर दक्षिण भारत में उतना लोकप्रिय न होने की वज़ह से इस दिन सरकारी संस्थानों में अवकाश नहीं रहता ।

विशिष्ट उत्सव

भारत में होली का उत्सव अलग-अलग प्रदेशों में भिन्नता के साथ मनाया जाता है। ब्रज की होली आज भी सारे देश के आकर्षण का बिंदु होती है। बरसाने की लठमार होली[16] काफ़ी प्रसिद्ध है। इसमें पुरुष महिलाओं पर रंग डालते हैं और महिलाएँ उन्हें लाठियों तथा कपड़े के बनाए गए कोड़ों से मारती हैं। इसी प्रकार मथुरा और वृंदावन में भी १५ दिनों तक होली का पर्व मनाया जाता है। कुमाऊँ की गीत बैठकी[17] में शास्त्रीय संगीत की गोष्ठियाँ होती हैं। यह सब होली के कई दिनों पहले शुरू हो जाता है। हरियाणा की धुलंडी में भाभी द्वारा देवर को सताए जाने की प्रथा है। बंगाल की दोल जात्रा[18] चैतन्य महाप्रभु के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। जलूस निकलते हैं और गाना बजाना भी साथ रहता है। इसके अतिरिक्त महाराष्ट्र की रंग पंचमी[19] में सूखा गुलाल खेलने, गोवा के शिमगो[20] में जलूस निकालने के बाद सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन तथा पंजाब के होला मोहल्ला[21] में सिक्खों द्वारा शक्ति प्रदर्शन की परंपरा है। तमिलनाडु की कमन पोडिगई[22] मुख्य रूप से कामदेव की कथा पर आधारित वसंतोतसव है जबकि मणिपुर के याओसांग[23] में योंगसांग उस नन्हीं झोंपड़ी का नाम है जो पूर्णिमा के दिन प्रत्येक नगर-ग्राम में नदी अथवा सरोवर के तट पर बनाई जाती है। दक्षिण गुजरात के आदिवासियों के लिए होली सबसे बड़ा पर्व है, छत्तीसगढ़ की होरी[24] में लोक गीतों की अद्भुत परंपरा है और मध्यप्रदेश के मालवा अंचल के आदिवासी इलाकों में बेहद धूमधाम से मनाया जाता है भगोरिया[25], जो होली का ही एक रूप है। बिहार का फगुआ[26] जम कर मौज मस्ती करने का पर्व है और नेपाल की होली[27] में इस पर धार्मिक व सांस्कृतिक रंग दिखाई देता है। इसी प्रकार विभिन्न देशों में बसे प्रवासियों तथा धार्मिक संस्थाओं जैसे इस्कॉन या वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में अलग अलग प्रकार से होली के शृंगार व उत्सव मनाने की परंपरा है जिसमें अनेक समानताएँ और भिन्नताएँ हैं।

साहित्य में होली

प्राचीन काल के संस्कृत साहित्य में होली के अनेक रूपों का विस्तृत वर्णन है। श्रीमद्भागवत महापुराण में रसों के समूह रास का वर्णन है। अन्य रचनाओं में 'रंग' नामक उत्सव का वर्णन है जिनमें हर्ष की प्रियदर्शिकारत्नावली[क] तथा कालिदास की कुमारसंभवम् तथा मालविकाग्निमित्रम् शामिल हैं। कालिदास रचित ऋतुसंहार में पूरा एक सर्ग ही 'वसन्तोत्सव' को अर्पित है। भारवि, माघ और अन्य कई संस्कृत कवियों ने वसन्त की खूब चर्चा की है। चंद बरदाई द्वारा रचित हिंदी के पहले महाकाव्य पृथ्वीराज रासो में होली का वर्णन है। भक्तिकाल और रीतिकाल के हिन्दी साहित्य में होली और फाल्गुन माह का विशिष्ट महत्व रहा है। आदिकालीन कवि विद्यापति से लेकर भक्तिकालीन सूरदास, रहीम, रसखान, पद्माकर[ख] , जायसी, मीराबाई, कबीर और रीतिकालीन बिहारी, केशव, घनानंद आदि अनेक कवियों को यह विषय प्रिय रहा है। महाकवि सूरदास ने वसन्त एवं होली पर 78 पद लिखे हैं। पद्माकर ने भी होली विषयक प्रचुर रचनाएँ की हैं।[28] इस विषय के माध्यम से कवियों ने जहाँ एक ओर नितान्त लौकिक नायक नायिका के बीच खेली गई अनुराग और प्रीति की होली का वर्णन किया है, वहीं राधा कृष्ण के बीच खेली गई प्रेम और छेड़छाड़ से भरी होली के माध्यम से सगुण साकार भक्तिमय प्रेम और निर्गुण निराकार भक्तिमय प्रेम का निष्पादन कर डाला है।[29] सूफ़ी संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया, अमीर खुसरो और बहादुर शाह ज़फ़र जैसे मुस्लिम संप्रदाय का पालन करने वाले कवियों ने भी होली पर सुंदर रचनाएँ लिखी हैं जो आज भी जन सामान्य में लोकप्रिय हैं।[7] आधुनिक हिंदी कहानियों प्रेमचंद की राजा हरदोल, प्रभु जोशी की अलग अलग तीलियाँ, तेजेंद्र शर्मा की एक बार फिर होली, ओम प्रकाश अवस्थी की होली मंगलमय हो तथा स्वदेश राणा की हो ली में होली के अलग अलग रूप देखने को मिलते हैं। भारतीय फ़िल्मों में भी होली के दृश्यों और गीतों को सुंदरता के साथ चित्रित किया गया है। इस दृष्टि से शशि कपूर की उत्सव, यश चोपड़ा की सिलसिला, वी शांताराम की झनक झनक पायल बाजे और नवरंग इत्यादि उल्लेखनीय हैं।[30]

संगीत में होली


वसंत रागिनी- कोटा शैली में रागमाला शृंखला का एक लघुचित्र
भारतीय शास्त्रीय, उपशास्त्रीय, लोक तथा फ़िल्मी संगीत की परम्पराओं में होली का विशेष महत्व है। शास्त्रीय संगीत में धमार का होली से गहरा संबंध है, हाँलाँकि ध्रुपद, धमार, छोटेबड़े ख्याल और ठुमरी में भी होली के गीतों का सौंदर्य देखते ही बनता है। कथक नृत्य के साथ होली, धमार और ठुमरी पर प्रस्तुत की जाने वाली अनेक सुंदर बंदिशें जैसे चलो गुंइयां आज खेलें होरी कन्हैया घर आज भी अत्यंत लोकप्रिय हैं। ध्रुपद में गाये जाने वाली एक लोकप्रिय बंदिश है खेलत हरी संग सकल, रंग भरी होरी सखी। भारतीय शास्त्रीय संगीत में कुछ राग ऐसे हैं जिनमें होली के गीत विशेष रूप से गाए जाते हैं। बसंत, बहार, हिंडोल और काफ़ी ऐसे ही राग हैं। होली पर गाने बजाने का अपने आप वातावरण बन जाता है और जन जन पर इसका रंग छाने लगता है। उपशास्त्रीय संगीत में चैती, दादरा और ठुमरी में अनेक प्रसिद्ध होलियाँ हैं। होली के अवसर पर संगीत की लोकप्रियता का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि संगीत की एक विशेष शैली का नाम ही होली हैं, जिसमें अलग अलग प्रांतों में होली के विभिन्न वर्णन सुनने को मिलते है जिसमें उस स्थान का इतिहास और धार्मिक महत्व छुपा होता है। जहां ब्रजधाम में राधा और कृष्ण के होली खेलने के वर्णन मिलते हैं वहीं अवध में राम और सीता के जैसे होली खेलें रघुवीरा अवध में। राजस्थान के अजमेर शहर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर गाई जाने वाली होली का विशेष रंग है। उनकी एक प्रसिद्ध होली है आज रंग है री मन रंग है,अपने महबूब के घर रंग है री।[31] इसी प्रकार शंकर जी से संबंधित एक होली में दिगंबर खेले मसाने में होली कह कर शिव द्वारा श्मशान में होली खेलने का वर्णन मिलता हैं।[32] भारतीय फिल्मों में भी अलग अलग रागों पर आधारित होली के गीत प्रस्तुत किये गए हैं जो काफी लोकप्रिय हुए हैं। 'सिलसिला' के गीत रंग बरसे भीगे चुनर वाली, रंग बरसे और 'नवरंग' के आया होली का त्योहार, उड़े रंगों की बौछार, को आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं।

आधुनिकता का रंग

होली रंगों का त्योहार है, हँसी-खुशी का त्योहार है, लेकिन होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते है। प्राकृतिक रंगों के स्थान पर रासायनिक रंगों का प्रचलन, भांग-ठंडाई की जगह नशेबाजी और लोक संगीत की जगह फ़िल्मी गानों का प्रचलन इसके कुछ आधुनिक रूप हैं।[33] लेकिन इससे होली पर गाए-बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरों, फाग, धमार, चैती और ठुमरी की शान में कमी नहीं आती। अनेक लोग ऐसे हैं जो पारंपरिक संगीत की समझ रखते हैं और पर्यावरण के प्रति सचेत हैं। इस प्रकार के लोग और संस्थाएँ चंदन, गुलाबजल, टेसू के फूलों से बना हुआ रंग तथा प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की परंपरा को बनाए हुए हैं, साथ ही इसके विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी दे रहे हैं।[34] रासायनिक रंगों के कुप्रभावों की जानकारी होने के बाद बहुत से लोग स्वयं ही प्राकृतिक रंगों की ओर लौट रहे हैं।[35] होली की लोकप्रियता का विकसित होता हुआ अंतर्राष्ट्रीय रूप भी आकार लेने लगा है। बाज़ार में इसकी उपयोगिता का अंदाज़ इस साल होली के अवसर पर एक अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठान केन्ज़ोआमूर द्वारा जारी किए गए नए इत्र होली है से लगाया जा सकता है।[36]
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