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09 मई 2013

(वन्दे मातरम् का हिन्दी-काव्यानुवाद)



तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत! हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!
जलवायु अन्न सुमधुर, फल फूल दायिनी माँ! धन धान्य सम्पदा सुख, गौरव प्रदायिनी माँ!!
शत-शत नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!

अति शुभ्र ज्योत्स्ना से, पुलकित सुयामिनी है। द्रुमदल लतादि कुसुमित, शोभा सुहावनी है।।
यह छवि स्वमन धरें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

कसकर कमर खड़े हैं, हम कोटि सुत तिहारे। क्या है मजाल कोई, दुश्मन तुझे निहारे।।
अरि-दल दमन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

तू ही हमारी विद्या, तू ही परम धरम है। तू ही हमारा मन है, तू ही वचन करम है।।
तेरा भजन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

तेरा मुकुट हिमालय, उर-माल यमुना-गंगा। तेरे चरण पखारे, उच्छल जलधि तरंगा।।
अर्पित सु-मन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

बैठा रखी है हमने, तेरी सु-मूर्ति मन में। फैला के हम रहेंगे, तेरा सु-यश भुवन में।।
गुंजित गगन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

पूजा या पन्थ कुछ हो, मानव हर-एक नर है। हैं भारतीय हम सब, भारत हमारा घर है।।
ऐसा मनन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

वन्दे मातरम्



अवनीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा बनाया गया भारतमाता का चित्र
Flag of भारत भारत के राष्ट्रीय प्रतीक
ध्वज तिरंगा
राष्ट्रीय चिह्न अशोक की लाट
राष्ट्र-गान जन गण मन
राष्ट्र-गीत वन्दे मातरम्
पशु बाघ
जलीय जीव गंगा डालफिन
पक्षी मोर
पुष्प कमल
वृक्ष बरगद
फल आम
खेल मैदानी हॉकी
पञ्चांग
शक संवत


वन्दे मातरम् (संस्कृत: वन्दे मातरम्, बाँग्ला: বন্দে মাতরম ) भारत का संविधान सम्मत राष्ट्रगीत है[1]
बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा संस्कृत बाँग्ला मिश्रित भाषा में रचित इस गीत का प्रकाशन सन् १८८२ में उनके उपन्यास आनन्द मठ में अन्तर्निहित गीत के रूप में हुआ[2] था। इस उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम के सन्यासी द्वारा गाया गया है। इसकी धुन यदुनाथ भट्टाचार्य ने बनायी थी।
२००३ में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस द्वारा आयोजित एक अन्तरराष्ट्रीय सर्वेक्षण में, जिसमें उस समय तक के सबसे मशहूर दस गीतों का चयन करने के लिये दुनिया भर से लगभग ७,००० गीतों को चुना गया था और बी०बी०सी० के अनुसार १५५ देशों/द्वीप के लोगों ने इसमें मतदान किया था उसमें वन्दे मातरम् शीर्ष के १० गीतों में दूसरे स्थान पर था। [3]

गीत

यदि बाँग्ला भाषा को ध्यान में रखा जाय तो इसका शीर्षक "बन्दे मातरम्" होना चाहिये "वन्दे मातरम्" नहीं। चूँकि हिन्दीसंस्कृत भाषा में 'वन्दे' शब्द ही सही है, लेकिन यह गीत मूलरूप में बाँग्ला लिपि में लिखा गया था और चूँकि बाँग्ला लिपि में अक्षर है ही नहीं अत: बन्दे मातरम् शीर्षक File:Bharat Mata.jpg से ही बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय ने इसे लिखा था। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए शीर्षक 'बन्दे मातरम्' होना चाहिये था। परन्तु संस्कृत में 'बन्दे मातरम्' का कोई शब्दार्थ नहीं है तथा "वन्दे मातरम्" उच्चारण करने से "माता की वन्दना करता हूँ" ऐसा अर्थ निकलता है, अतः देवनागरी लिपि में इसे वन्दे मातरम् ही लिखना व पढ़ना समीचीन होगा ।
(संस्कृत मूल गीत[4])
वन्दे मातरम्।
सुजलां सुफलां मलय़जशीतलाम्,
शस्यश्यामलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।१।।

शुभ्रज्योत्स्ना पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुरभाषिणीम्,
सुखदां वरदां मातरम् । वन्दे मातरम् ।।२।।

कोटि-कोटि कण्ठ कल-कल निनाद कराले,
कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,
के बॉले माँ तुमि अबले,
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीम्,
रिपुदलवारिणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।३।।

तुमि विद्या तुमि धर्म,
तुमि हृदि तुमि मर्म,
त्वं हि प्राणाः शरीरे,
बाहुते तुमि माँ शक्ति,
हृदय़े तुमि माँ भक्ति,
तोमारेई प्रतिमा गड़ि मन्दिरे-मन्दिरे। वन्दे मातरम् ।।४।।

त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी,
कमला कमलदलविहारिणी,
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्,
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्,
सुजलां सुफलां मातरम्। वन्दे मातरम् ।।५।।

श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्,
धरणीं भरणीं मातरम्। वन्दे मातरम् ।।६।।>


(बाँग्ला मूल गीत)
সুজলাং সুফলাং মলয়জশীতলাম্
শস্যশ্যামলাং মাতরম্॥
শুভ্রজ্যোত্স্না পুলকিতযামিনীম্
পুল্লকুসুমিত দ্রুমদলশোভিনীম্
সুহাসিনীং সুমধুর ভাষিণীম্
সুখদাং বরদাং মাতরম্॥

কোটি কোটি কণ্ঠ কলকলনিনাদ করালে
কোটি কোটি ভুজৈর্ধৃতখরকরবালে
কে বলে মা তুমি অবলে
বহুবলধারিণীং নমামি তারিণীম্
রিপুদলবারিণীং মাতরম্॥

তুমি বিদ্যা তুমি ধর্ম, তুমি হৃদি তুমি মর্ম
ত্বং হি প্রাণ শরীরে
বাহুতে তুমি মা শক্তি
হৃদয়ে তুমি মা ভক্তি
তোমারৈ প্রতিমা গড়ি মন্দিরে মন্দিরে॥

ত্বং হি দুর্গা দশপ্রহরণধারিণী
কমলা কমলদল বিহারিণী
বাণী বিদ্যাদায়িনী ত্বাম্
নমামি কমলাং অমলাং অতুলাম্
সুজলাং সুফলাং মাতরম্॥

শ্যামলাং সরলাং সুস্মিতাং ভূষিতাম্
ধরণীং ভরণীং মাতরম্॥

हिन्दी अनुवाद

आनन्दमठ के हिन्दी,मराठी,तमिल,तेलगू,कन्नड़ आदि अनेक भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेजी-अनुवाद भी प्रकाशित हुए। डॉ० नरेशचन्द्र सेनगुप्त ने सन् १९०६ में Abbey of Bliss के नाम से इसका अंग्रेजी-अनुवाद प्रकाशित किया। अरविन्द घोष ने 'आनन्दमठ' में वर्णित गीत 'वन्दे मातरम्' का अंग्रेजी गद्य और पद्य में अनुवाद किया। महर्षि अरविन्द द्वारा किए गये अंग्रेजी गद्य-अनुवाद का हिन्दी-अनुवाद इस प्रकार है:
मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूँ। ओ माता!
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शान्त,
कटाई की फसलों के साथ गहरी,
माता!

उसकी रातें चाँदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही हैं,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुन्दर ढकी हुई है,
हँसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता! वरदान देने वाली, आनन्द देने वाली।

हिन्दी-काव्यानुवाद

इस गीत का हिन्दी-काव्यानुवाद 'क्रान्त' कृत संस्कृत/हिन्दी बालोपयोगी संस्कार रचनावली अर्चना में[5] मिलता है। यह पुस्तिका लेखक की स्वयं की हस्तलिपि में किंवा प्रकाशन से प्रथम बार १९९२ में प्रकाशित हुई थी। लेखक ने इसे उर्दू के मशहूर शायर मोहम्मद इकबाल के सुप्रसिद्ध कौमी तराने "सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्ताँ हमारा" की धुन को ध्यान में रखकर लिखा था। उक्त कृति में सामूहिक राष्ट्रगान शीर्षक से दिया गया गीत यहाँ पर विकिपीडिया के पाठकों की सेवार्थ उद्धृत किया जा रहा है:
तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत! हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!
जलवायु अन्न सुमधुर, फल फूल दायिनी माँ! धन धान्य सम्पदा सुख, गौरव प्रदायिनी माँ!!
शत-शत नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!

अति शुभ्र ज्योत्स्ना से, पुलकित सुयामिनी है। द्रुमदल लतादि कुसुमित, शोभा सुहावनी है।।
यह छवि स्वमन धरें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

कसकर कमर खड़े हैं, हम कोटि सुत तिहारे। क्या है मजाल कोई, दुश्मन तुझे निहारे।।
अरि-दल दमन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

तू ही हमारी विद्या, तू ही परम धरम है। तू ही हमारा मन है, तू ही वचन करम है।।
तेरा भजन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

तेरा मुकुट हिमालय, उर-माल यमुना-गंगा। तेरे चरण पखारे, उच्छल जलधि तरंगा।।
अर्पित सु-मन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

बैठा रखी है हमने, तेरी सु-मूर्ति मन में। फैला के हम रहेंगे, तेरा सु-यश भुवन में।।
गुंजित गगन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

पूजा या पन्थ कुछ हो, मानव हर-एक नर है। हैं भारतीय हम सब, भारत हमारा घर है।।
ऐसा मनन करें हम, हे मातृभूमि भारत! तुझको नमन करें हम, हे मातृभूमि भारत!!
हे मातृभूमि भारत! हे पितृभूमि भारत!!

रचना की पृष्ठभूमि

सन् १८७०-८० के दशक में ब्रिटिश शासकों ने सरकारी समारोहों में ‘गॉड! सेव द क्वीन’ गीत गाया जाना अनिवार्य कर दिया था। अंग्रेजों के इस आदेश से बंकिमचन्द्र चटर्जी को, जो उन दिनों एक सरकारी अधिकारी (डिप्टी कलेक्टर) थे, बहुत ठेस पहुँची और उन्होंने सम्भवत: १८७६ में इसके विकल्प के तौर पर संस्कृत और बाँग्ला के मिश्रण से एक नये गीत की रचना की और उसका शीर्षक दिया - ‘वन्दे मातरम्’। शुरुआत में इसके केवल दो ही पद रचे गये थे जो संस्कृत में थे। इन दोनों पदों में केवल मातृभूमि की वन्दना थी। उन्होंने १८८२ में जब आनन्द मठ नामक बाँग्ला उपन्यास लिखा तब मातृभूमि के प्रेम से ओतप्रोत इस गीत को भी उसमें शामिल कर लिया। यह उपन्यास अंग्रेजी शासन, जमींदारों के शोषण व प्राकृतिक प्रकोप (अकाल) में मर रही जनता को जागृत करने हेतु अचानक उठ खड़े हुए सन्यासी विद्रोह पर आधारित था। इस तथ्यात्मक इतिहास का उल्लेख बंकिम बाबू ने 'आनन्द मठ' के तीसरे संस्करण में स्वयं ही कर दिया था। और मजे की बात यह है कि सारे तथ्य भी उन्होंने अंग्रेजी विद्वानों-ग्लेग व हण्टर[6] की पुस्तकों से दिये थे। उपन्यास में यह गीत भवानन्द नाम का एक सन्यासी गाता है। गीत का मुखड़ा विशुद्ध संस्कृत में इस प्रकार है: "वन्दे मातरम् ! सुजलां सुफलां मलयज शीतलाम् , शस्य श्यामलाम् मातरम् ।" मुखड़े के बाद वाला पद भी संस्कृत में ही है: "शुभ्र ज्योत्स्नां पुलकित यमिनीम् , फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम् ; सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् , सुखदां वरदां मातरम् ।" किन्तु उपन्यास में इस गीत के आगे जो पद लिखे गये थे वे उपन्यास की मूल भाषा अर्थात् बाँग्ला में ही थे। बाद वाले इन सभी पदों में मातृभूमि की दुर्गा के रूप में स्तुति की गई है। यह गीत रविवार, कार्तिक सुदी नवमी, शके १७९७ (७ नवम्बर १८७५) को पूरा हुआ।

भारतीय स्वाधीनता संग्राम में भूमिका

पण्डित राम प्रसाद 'बिस्मिल' कृत क्रान्ति गीतांजलि[7] में वन्दे मातरम् का मूल पाठ मातृ-वन्दना

बंगाल में चले स्वाधीनता-आन्दोलन के दौरान विभिन्न रैलियों में जोश भरने के लिए यह गीत गाया जाने लगा। धीरे-धीरे यह गीत लोगों में अत्यधिक लोकप्रिय हो गया। ब्रिटिश सरकार इसकी लोकप्रियता से भयाक्रान्त हो उठी और उसने इस पर प्रतिबन्ध लगाने पर विचार करना शुरू कर दिया। सन् १८९६ में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर ने यह गीत गाया। पाँच साल बाद यानी सन् १९०१ में कलकत्ता में हुए एक अन्य अधिवेशन में श्री चरणदास ने यह गीत पुनः गाया। सन् १९०५ के बनारस अधिवेशन में इस गीत को सरलादेवी चौधरानी ने स्वर दिया।
कांग्रेस-अधिवेशनों के अलावा आजादी के आन्दोलन के दौरान इस गीत के प्रयोग के काफी उदाहरण मौजूद हैं। लाला लाजपत राय ने लाहौर से जिस 'जर्नल' का प्रकाशन शुरू किया था उसका नाम वन्दे मातरम् रखा। अंग्रेजों की गोली का शिकार बनकर दम तोड़नेवाली आजादी की दीवानी मातंगिनी हाजरा की जुबान पर आखिरी शब्द "वन्दे मातरम्" ही थे। सन् १९०७ में मैडम भीखाजी कामा ने जब जर्मनी के स्टुटगार्ट में तिरंगा फहराया तो उसके मध्य में "वन्दे मातरम्" ही लिखा हुआ था। आर्य प्रिन्टिंग प्रेस, लाहौर तथा भारतीय प्रेस, देहरादून से सन् १९२९ में प्रकाशित काकोरी के शहीद पं० राम प्रसाद 'बिस्मिल' की प्रतिबन्धित पुस्तक "क्रान्ति गीतांजलि" में पहला गीत "मातृ-वन्दना" वन्दे मातरम् ही था जिसमें उन्होंने केवल इस गीत के दो ही पद दिये थे और उसके बाद इस गीत की प्रशस्ति में वन्दे मातरम् शीर्षक से एक स्वरचित उर्दू गजल दी थी जो उस कालखण्ड के असंख्य अनाम हुतात्माओं की आवाज को अभिव्यक्ति देती है। ब्रिटिश काल में प्रतिबन्धित यह पुस्तक अब सुसम्पादित होकर पुस्तकालयों में उपलब्ध है।

राष्ट्रगीत के रूप में स्वीकृति

स्वाधीनता संग्राम में इस गीत की निर्णायक भागीदारी के बावजूद जब राष्ट्रगान के चयन की बात आयी तो वन्दे मातरम् के स्थान पर सन् १९११ में इंग्लैण्ड से भारत आये जार्ज पंचम की स्तुति-प्रशस्ति में रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा लिखे व गाये गये गीत जन गण मन को वरीयता दी गयी। इसकी वजह यही थी कि कुछ मुसलमानों को "वन्दे मातरम्" गाने पर आपत्ति थी, क्योंकि इस गीत में देवी दुर्गा को राष्ट्र के रूप में देखा गया है। इसके अलावा उनका यह भी मानना था कि यह गीत जिस आनन्द मठ उपन्यास से लिया गया है वह मुसलमानों के खिलाफ लिखा गया है। इन आपत्तियों के मद्देनजर सन् १९३७ में कांग्रेस ने इस विवाद पर गहरा चिन्तन किया। जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में गठित समिति जिसमें मौलाना अबुल कलाम आजाद भी शामिल थे, ने पाया कि इस गीत के शुरूआती दो पद तो मातृभूमि की प्रशंसा में कहे गये हैं, लेकिन बाद के पदों में हिन्दू देवी-देवताओं का जिक्र होने लगता है; इसलिये यह निर्णय लिया गया कि इस गीत के शुरुआती दो पदों को ही राष्ट्र-गीत के रूप में प्रयुक्त किया जायेगा। इस तरह गुरुदेव रवीन्द्र नाथ ठाकुर के जन-गण-मन अधिनायक जय हे को यथावत राष्ट्रगान ही रहने दिया गया और मोहम्मद इकबाल के कौमी तराने सारे जहाँ से अच्छा के साथ बंकिमचन्द्र चटर्जी द्वारा रचित प्रारम्भिक दो पदों का गीत वन्दे मातरम् राष्ट्रगीत स्वीकृत हुआ।
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद डा. राजेन्द्र प्रसाद ने संविधान सभा में २४ जनवरी १९५० में 'वन्दे मातरम्' को राष्ट्रगीत के रूप में अपनाने सम्बन्धी वक्तव्य पढ़ा जिसे स्वीकार कर लिया गया।
डा. राजेन्द्र प्रसाद का संविधान सभा को दिया गया वक्तव्य इस प्रकार है)[8] :
"शब्दों व संगीत की वह रचना जिसे जन गण मन से सम्बोधित किया जाता है, भारत का राष्ट्रगान है; बदलाव के ऐसे विषय, अवसर आने पर सरकार अधिकृत करे, और वन्दे मातरम् गान, जिसने कि भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में ऐतिहासिक भूमिका निभायी है; को जन गण मन के समकक्ष सम्मान व पद मिले। (हर्षध्वनि)। मैं आशा करता हूँ कि यह सदस्यों को सन्तुष्ट करेगा।" (भारतीय संविधान परिषद, द्वादश खण्ड , २४-१-१९५०)

विशेष

वरिष्ठ साहित्यकार मदनलाल वर्मा 'क्रान्त' ने इस गीत का हिन्दी में, स्वाधीनता संग्राम के स्वदेशी आन्दोलन से लेकर साहित्य व आध्यात्मिक साधना के अद्भुत व्यक्तित्व महर्षि अरविन्द ने अंग्रेजी में और वर्तमान राजनीति में राष्ट्रीयता के ध्वजवाहक आरिफ मोहम्मद खान ने इसका उर्दू में अनुवाद किया है।
सन् १८८२ में प्रकाशित इस गीत को सर्वप्रथम ७ सितम्बर १९०५ के कांग्रेस अधिवेशन में राष्ट्रगीत का दर्जा दिया गया था। इसीलिये सन् २००५ में इसके सौ वर्ष पूरे होने पर साल भर समारोह का आयोजन किया गया। ७ सितम्बर २००६ को इस समारोह के समापन के अवसर पर मानव संसाधन मन्त्रालय ने इस गीत को स्कूलों में गाये जाने पर विशेष बल दिया। हालाँकि कुछ लोगों द्वारा इसका विरोध करने पर तत्कालीन मानव संसाधन विकास मन्त्री अर्जुन सिंह ने संसद में वक्तव्य दिया कि 'वन्दे मातरम्' गीत गाना किसी के लिये आवश्यक नहीं किया गया है, यह व्यक्ति की स्वेच्छा पर निर्भर करता है कि वह इसे गाये अथवा न गाये।

विवाद

आनन्द मठ उपन्यास को लेकर भी कुछ विवाद हैं, कुछ कट्टर लोग इसे मुस्लिम विरोधी मानते हैं। उनका कहना है कि इसमें मुसलमानों को विदेशी और देशद्रोही बताया गया है[1]वन्दे मातरम् गाने पर भी विवाद किया जा रहा है। इस गीत के पहले दो बन्द, जो कि प्रासंगिक हैं, में कोई भी मुस्लिम विरोधी बात नहीं है और न ही किसी देवी या दुर्गा की आराधना है। पर इन लोगों का कहना है कि-
  • इस्लाम किसी व्यक्ति या वस्तु की पूजा करने को मना करता है और इस गीत में दुर्गा की वन्दना की गयी है;
  • यह ऐसे उपन्यास से लिया गया है जो कि मुस्लिम विरोधी है;
  • दो अनुच्छेद के बाद का गीत – जिसे कोई महत्व नहीं दिया गया, जो कि प्रासंगिक भी नहीं है - में दुर्गा की अराधना है।
हालाँकि ऐसा नहीं है कि भारत के सभी मुसलमानों को इस पर आपत्ति है या सब हिन्दू इसे गाने पर जोर देते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले विख्यात संगीतकार ए० आर० रहमान ने, जो ख़ुद एक मुसलमान हैं, वन्दे मातरम् को लेकर एक संगीत एलबम तैयार किया था जो बहुत लोकप्रिय हुआ। अधिकतर लोगों का मानना है कि यह विवाद राजनीतिक है। गौरतलब है कि ईसाई लोग भी मूर्ति-पूजा नहीं करते, पर इस समुदाय की ओर से इस बारे में कोई विवाद नहीं है।

विविध

क्या किसी को कोई गीत गाने के लिये मजबूर किया जा सकता है अथवा नहीं? यह प्रश्न सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष बिजोय एम्मानुएल वर्सेस केरल राज्य [9] नाम के एक वाद में उठाया गया। इस वाद में कुछ विद्यार्थियों को स्कूल से इसलिये निकाल दिया गया था क्योंकि उन्होने राष्ट्र-गान जन गण मन को गाने से मना कर दिया था। यह विद्यार्थी स्कूल में राष्ट्रगान के समय इसके सम्मान में खड़े होते थे तथा इसका सम्मान करते थे पर गीत को गाते नहीं थे। गाने के लिये उन्होंने मना कर दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी याचिका स्वीकार कर ली और स्कूल को उन्हें वापस लेने को कहा। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि यदि कोई व्यक्ति राष्ट्रगान का सम्मान तो करता है पर उसे गाता नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह इसका अपमान कर रहा है। अत: इसे न गाने के लिये उस व्यक्ति को दण्डित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता । चूँकि वन्दे मातरम् इस देश का राष्ट्रगीत है अत: इसको जबरदस्ती गाने के लिये मजबूर करने पर भी यही कानून व नियम लागू होगा।

एक व्‍हाइट नहीं ग्रीन तोता


एक व्‍हाइट
नहीं
ग्रीन तोता

तोता नहीं लैपटाप
चाहिए
किसी के पास हो
तो संपर्क करें

वैसे जिनके पास भी होगा
वह सैकेंड हैंड तो होगा ही

मन में देने की इच्‍छा
जरूरी है
मैंने अपनी नेटबुक
दे दी थी अपने एक मित्र को

अब चाहता हूं
लूं ऐसा लैपटाप
जो फेसबुक चलाए
टापोटाप

सस्‍ता, सुंदर और टिकाऊ
चाहे न हो बिकाऊ
बेच नहीं सकते
फेसबुक हितार्थ
अनर्थ कर सकते हैं।

संदेश बक्‍से में
इंतजार है
शुभ संदेश का।

तोता नहीं लैपटाप चाहिए
ढीला नहीं, नया नहीं
टापोटाप चाहिए।

दिल लिया है हमसे जिसने दिल्लगी के वास्ते

दिल लिया है हमसे जिसने दिल्लगी के वास्ते
क्या तआज्जुब है जो तफ़रीहन हमारी जान ले

शेख़ जी घर से न निकले और लिख कर दे दिया
आप बी०ए० पास हैं तो बन्दा बीवी पास है

तमाशा देखिये बिजली का मग़रिब और मशरिक़ में
कलों में है वहाँ दाख़िल, यहाँ मज़हब पे गिरती है.

तिफ़्ल में बू आए क्या माँ -बाप के अतवार की
दूध तो डिब्बे का है, तालीम है सरकार की

कर दिया कर्ज़न ने ज़न मर्दों की सूरत देखिये
आबरू चेहरों की सब, फ़ैशन बना कर पोंछ ली

मग़रबी ज़ौक़ है और वज़ह की पाबन्दी भी
ऊँट पे चढ़ के थियेटर को चले हैं हज़रत
-अकबर इलाहाबादी
जो जिसको मुनासिब था गर्दूं ने किया पैदा
यारों के लिए ओहदे, चिड़ियों के लिए फन्दे

हौंसले को सलाम! शत शत नमन.....



राजस्थान प्रांत की 12वीं विज्ञान की राज्य स्तरीय मेरिट में पांचवे और जिला मेरिट में पहले स्थान पर रहे होनहार छात्र प्रखर डोगलिया की दुर्भाग्यवश दोनों किडनियाँ खराब है। उसका हर तीसरे दिन डायलिसिस कराया जाता है। वह अब तक 100 बार इस प्रक्रिया से गुजर चुका है। परीक्षा के दौरान भी चार बार ये हुआ। बावजूद इसके हौंसलों के दम प्रखर ने यह उपलब्धि प्राप्त कर एक मिसाल कायम की है।
जयपुर में तिलक नगर स्थित माहेश्वरी सीनियर सेकंड़री स्कूल के इस प्रतिभापुंज का सपना इंजीनियर बनकर देश की सेवा करने का है। आमीन!

ऐसे ही हौंसलों के नाम कभी मैंने चार पंक्तियाँ कहीं थी-

अभी तो पर फैलाएँ है, उड़ान अभी बाकी है।
नाप लेने को तो सारा आसमान अभी बाकी है।
पंख भले हो जाए जर्जर मगर हौंसला कायम हो,
बाधाओं से कह दो मुझमें जान अभी बाकी है।

प्रखर की प्रखरता कायम रहे। देश की दुआएँ।

10 मई को मत भूलिएगा।


10 मई को मत भूलिएगा। आज ही के दिन 1857 में भारत में अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध प्रथम स्वतंत्रता संग्राम का आगाज़ हुआ था। 1857 की क्रान्ति की सफलता-असफलता के अपने-अपने तर्क हैं पर यह भारत की आजादी का पहला ऐसा संघर्ष था, जिसे अंग्रेज समर्थक सैनिक विद्रोह अथवा असफल विद्रोह साबित करने पर तुले थे, परन्तु सही मायनों में यह पराधीनता की बेड़ियों से मुक्ति पाने का राष्ट्रीय फलक पर हुआ प्रथम महत्वपूर्ण संघर्ष था। यह आन्दोलन भले ही भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति न दिला पाया हो, लेकिन लोगों में आजादी का जज्बा जरूर पैदा कर गया। 1857 की इस क्रान्ति को कुछ इतिहासकारों ने महास्वप्न की शोकान्तिका कहा है, पर इस गर्वीले उपक्रम के फलस्वरूप ही भारत का नायाब मोती ईस्ट इण्डिया कम्पनी के हाथों से निकल गया और जल्द ही कम्पनी भंग हो गयी। 1857 के संग्राम की विशेषता यह भी है कि इससे उठे शंखनाद के बाद जंगे-आजादी 90 साल तक अनवरत चलती रही और अंतत: 15 अगस्त, 1947 को हम आजाद हुए ....आज उन सभी महान लोगों का पुनीत स्मरण जिनकी बदौलत हम खुले माहौल में साँस ले रहे हैं। - कृष्ण कुमार यादव

ज़रा ठहरो अभी इक साँस पुरानी बची है

ज़रा ठहरो अभी इक साँस पुरानी बची है
तिरे आने कि इक उम्मीद भुलानी बची है ...

गली के छोर पे बचपन ठिठरा सा खड़ा है
दिखाई दे रहा बाक़ी कहानी बची है ...

हमें तिरी हर चाल मगर कौन बोले
शक्ल पर और कितनी शक्ल लगानी बची है ...

उम्र बढ़ती रही पर तिफ्ल-मिज़ाजी वही है
लहू कि गर्मजोशी और जवानी बची है ...

फलक पर चाँदनी अब देख नहीं पाता अकेले
‘भरत’ ये उम्र कितनी और बितानी बची है ...

हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि प्रयोग में ला रहे हैं

हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि प्रयोग में ला रहे हैं। माणिक्य भस्म शरीर मे उष्णता और जलन दूर करती है। यह रक्तवर्धक और वायुनाशक है। उदर शूल, चक्षु रोग और कोष्ठबद्धता में भी इसका प्रयोग होता है और इसकी भस्म नपुंसकता को नष्ट करती है।

कैल्शियम की कमी के कारण उत्पन्न रोगों में मोती बहुत लाभकारी होता है। मुक्ता भस्म से क्षयरोग, पुराना ज्वर, खांसी, श्वास-कष्ट, रक्तचाप, हृदयरोग में लाभ मिलता है।

मूंगे को केवड़े में घिसकर गर्भवती के पेट पर लेप लगाने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है। मूंगे को गुलाब जल में बारीक पीसकर छाया में सुखाकर शहद के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट बनता है। खांसी, अग्निमांद्य, पांडुरोग की उत्कृष्ट औषधि है|
पन्ना, गुलाब जल या केवड़े के जल में घोटकर उपयोग में आता है। यह मूत्र रोग, रक्त व्याधि और हृदय रोग में लाभदायक है। पन्ने की भस्म ठंडी मेदवर्धक है, भूख बढ़ाती है, दमा, मिचली, वमन, अजीर्ण, बवासीर, पांडु रोग में लाभदायक है।
श्वेत पुखराज को गुलाबजल या केवड़े में 25 दिन तक घोटा जाए और जब यह काजल की तरह पिस जाए तो इसे छाया में सुखा लें। यह पीलिया, आमवात, खांसी, श्वास कष्ट, बवासीर आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है। 

श्वेत पुखराज की भस्म विष और विषाक्त कीटाणुओं की क्रिया को नष्ट करती है। हीरे की भस्म से क्षयरोग, जलोदर, मधुमेह, भगंदर, रक्ताल्पता, सूजन आदि रोग दूर होते हैं। हीरे में वीर्य बढ़ाने की शक्ति है। पांडु, जलोदर, नपुंसकता रोगों में विशेष लाभकारी सिद्ध होती है।
हजारों वर्षों से वैद्य रत्नों की भस्म और हकीम रत्नों की षिष्टि प्रयोग में ला रहे हैं। माणिक्य भस्म शरीर मे उष्णता और जलन दूर करती है। यह रक्तवर्धक और वायुनाशक है। उदर शूल, चक्षु रोग और कोष्ठबद्धता में भी इसका प्रयोग होता है और इसकी भस्म नपुंसकता को नष्ट करती है।

कैल्शियम की कमी के कारण उत्पन्न रोगों में मोती बहुत लाभकारी होता है। मुक्ता भस्म से क्षयरोग, पुराना ज्वर, खांसी, श्वास-कष्ट, रक्तचाप, हृदयरोग में लाभ मिलता है।

मूंगे को केवड़े में घिसकर गर्भवती के पेट पर लेप लगाने से गिरता हुआ गर्भ रुक जाता है। मूंगे को गुलाब जल में बारीक पीसकर छाया में सुखाकर शहद के साथ सेवन करने से शरीर पुष्ट बनता है। खांसी, अग्निमांद्य, पांडुरोग की उत्कृष्ट औषधि है|
पन्ना, गुलाब जल या केवड़े के जल में घोटकर उपयोग में आता है। यह मूत्र रोग, रक्त व्याधि और हृदय रोग में लाभदायक है। पन्ने की भस्म ठंडी मेदवर्धक है, भूख बढ़ाती है, दमा, मिचली, वमन, अजीर्ण, बवासीर, पांडु रोग में लाभदायक है।
श्वेत पुखराज को गुलाबजल या केवड़े में 25 दिन तक घोटा जाए और जब यह काजल की तरह पिस जाए तो इसे छाया में सुखा लें। यह पीलिया, आमवात, खांसी, श्वास कष्ट, बवासीर आदि रोगों में लाभकारी सिद्ध होता है।

श्वेत पुखराज की भस्म विष और विषाक्त कीटाणुओं की क्रिया को नष्ट करती है। हीरे की भस्म से क्षयरोग, जलोदर, मधुमेह, भगंदर, रक्ताल्पता, सूजन आदि रोग दूर होते हैं। हीरे में वीर्य बढ़ाने की शक्ति है। पांडु, जलोदर, नपुंसकता रोगों में विशेष लाभकारी सिद्ध होती है।

पुलिस थाने में पुलिस से ही दादागिरी, खानी पड़ी जेल की हवा



राजसमंद। एक युवक को पूछताछ के लिए थाने में बुलाना पुलिस के लिए भारी पड़ गया। थाने में पहुंचते ही उसने कांस्टेबल की वर्दी फाड़ दी और धक्का-मुक्की की। इसके बाद वह थाने से भागने भी लगा। हालांकि बाद में उसे अन्य पुलिस वालों की मदद से थाने में ही पकड़ लिया गया। जमीन विवाद के एक मामले में युवक को थाने में पूछताछ के लिए बुलाया गया था।
जानकारी के अनुसार रेलमगरा थाने के एएसआई बाबूलाल ने बताया कि रघुनाथपुरा निवासी सूरजमल (30) पुत्र दीपा गाडरी दत्तक पुत्र प्रताप गाडरी के खिलाफ गांव की चांदी बाई ने पिछले दिनों जमीन विवाद को लेकर शिकायत की थी। मामले में पूछताछ के लिए मंगलवार सुबह उसे थाने पर बुलाया गया। सुबह करीब साढ़े ग्यारह बजे थाने में कांस्टेबल लक्ष्मण लाल उससे पूछताछ कर रहा था।

एसपी ने कॉलोनाइजर से मिलीभगत कर उसे झूठे मुकदमों में फंसाया, किया प्रताड़ित!



जयपुर। धोखाधड़ी के शिकार व्यक्ति ने दौसा पुलिस अधीक्षक की शिकायत पुलिस मुख्यालय को की है। उसका आरोप है कि एसपी ने कॉलोनाइजर से मिलीभगत कर उसे झूठे मुकदमों में फंसाया और प्रताड़ित किया। इधर डीजीपी हरीश चन्द्र मीणा ने तत्काल एडीजी क्राइम को मामले की जांच के निर्देश दिए हैं।
 
दौसा में जीरोता के श्याम सरोवर निवासी संजीव शर्मा ने अमित कॉलोनाइजर के मालिक विजय कुमार विजयवर्गीय व अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला सदर थाने में दर्ज कराया था। हालांकि पुलिस ने कार्रवाई के बजाय पीड़ित को ही मामला रफा-दफा करने की सलाह दे डाली।     
 
सरकारी जमीन पर दे दिए आवासीय पट्टे
संजीव ने कॉलोनाइजर विजयवर्गीय से 16.5 लाख रु.  में दौसा के श्याम सरोवर में एक मकान खरीदा था। कॉलोनाइजर ने इस आवासीय योजना के लिए नगर परिषद से भू-रूपांतरण नहीं करा रखा था और रामगढ़ बांध नहर की जमीन पर अवैध कब्जे कर लोगों को पट्टे दे दिए।
 
इससे लोगों को पानी-बिजली व अन्य सुविधाएं नहीं मिलने से परेशानी हो रही थी। इस संबंध में संजीव ने सदर थाने में भूमाफिया के खिलाफ धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। इसके बाद पुलिस अधिकारियों ने पीड़ित को केस वापस लेने की सलाह दी। जब उसने ऐसा नहीं किया तो कॉलोनाइजर से जुड़े तीन अन्य जनों ने संजीव के खिलाफ एसटी-एससी सहित कई केस दर्ज करा दिए। एसपी सत्यनारायण खिंची ने बिना जांच के ही सदर थाना प्रभारी को संजीव को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया।  
 
इस मामले में दौसा एसपी सत्यनारायण खिंची का कहना है कि मैं किसी कॉलोनाइजर को नहीं जानता। मुझ पर जो आरोप लगाए  हैं, वे गलत हैं। संजीव शर्मा के खिलाफ मामले दर्ज थे, इसलिए उसे गिरफ्तार किया था। संजीव ने जो मामले दर्ज कराए थे, उनमें जांच चल रही है।

कोटा में अवैध निर्माण मामले में धारीवाल ने बनाई कमेटी



जयपुर। कोटा में दो अवैध निर्माणों को लेकर उठे विवाद के बाद नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने दोनों भवनों की जांच के लिए कमेटी गठन करने के निर्देश दिए हैं। दो सदस्यीय कमेटी में अधिकारी कोटा से बाहर के होंगे। इस बीच दोनों भवनों में निर्माण कार्य रुकवा कर वहां चौबीसों घंटे के लिए गार्ड बिठा दिए गए हैं। धारीवाल ने कहा कि अगर कहीं अवैध निर्माण हैं तो कार्रवाई होनी चाहिए, पहले भी हुई है और आगे भी होगी। 
 
 
पीडब्ल्यूडी मंत्री भरत सिंह ने बुधवार को कोटा के टीचर्स कॉलोनी और सिविल लाइन्स में खुद के आवास के पीछे हो रहे निर्माण को लेकर आपत्ति की और नगर निगम के सीईओ को साथ ले जाकर मौका दिखाया था। नगरीय विकास मंत्री धारीवाल से लंबे समय से चल रही अनबन के चलते सिंह की इस कार्रवाई को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। सिंह का आरोप है कि दस बार शिकायत करने के बाद भी न तो अवैध निर्माण रोका जा रहा है और न ही हटाने की कार्रवाई की जा रही है।
 
धारीवाल ने गुरुवार को ‘भास्कर’ से बातचीत में कहा कि जब-जब नोटिस में आता है, अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाए जाते हैं। किसी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं करते। लेकिन अगर कोर्ट स्टे आ जाए या मामला जांच में हो तो कार्रवाई नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कोटा दो प्रकरण में से एक में जांच चल रही है। अतिक्रमण है या अवैध, यह जांच के बाद तय होगा। उन्होंने कोटा में बुधवार को सीईओ को ले जाकर मौका दिखाने की घटना पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।
 
उन्होंने कहा कि अगर कोई बड़ी शख्सियत कोई मामला उठा रही है तो जांच होनी ही चाहिए। काम रुकवा दिया और गार्ड बिठा दिए हैं : संधू  नगरीय विकास विभाग के एससीएस जी.एस. संधू का कहना है कि विवादित स्थलों पर निर्माण रुकवा दिया और चौबीसों घंटे के लिए गार्ड बिठा दिए हैं। साथ ही नगरीय विकास मंत्री के निर्देश पर दो अधिकारियों की कमेटी गठित कर दी है। ये निर्माण किसी पार्षद के रिश्तेदार के हैं या नहीं, इसकी जानकारी नहीं है। निर्माण अगर अवैध है तो वो किसी का भी हो, हटेगा।
 
मुझे अवैध दिखता है, निगम के अफसरों को क्यों नहीं : भरत सिंह 
पीडब्ल्यूडी मंत्री भरत सिंह ने कहा कि कोटा में दो स्थानों पर अवैध निर्माण दो साल से चल रहा है। मैं जब भी वहां से निकलता हूं तो मुझे दस बार दिखता है, निगम के अफसरों को क्यों नहीं दिखता। मैं इस सरकार में मंत्री हूं और मेरे सामने यह गलत काम हो रहा है, यह कैसे हो सकता है। इसके बारे में नगरीय विकास विभाग के एसीएस जी.एस. संधू और निगम के सीईओ को दस बार बताया, फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई। अवैध निर्माण के ऑर्डर एक्जीक्यूट ही नहीं हो रहे। मुझे हैरानी है कि कोई कार्रवाई नहीं हो रही। 
 
कार्रवाई तो सीईओ ही करेगा : महापौर 
कोटा की महापौर डॉ. रत्ना जैन ने माना कि अतिक्रमण था, काफी बार मुझे भी बताया गया, मैंने सीईओ को शिकायत बता दी थी। अब कार्रवाई तो सीईओ और अफसरों को ही करनी है, मैं मौके पर थोड़े ही जाऊंगी। इस मामले में मंत्रियों के हस्तक्षेप पर कहा, इसमें भरत सिंह का व्यक्तिगत हित नहीं और शांति धारीवाल का भी नहीं है। फाइल कहां हैं और क्यों भेजी गई है, इस बारे में उनका कहना था कि वे फाइल देखकर ही बता पाएंगी। 
 
काम रुकवा दिया और गार्ड बिठा दिए हैं : संधू 
नगरीय विकास विभाग के एससीएस जी.एस. संधू का कहना है कि विवादित स्थलों पर निर्माण रुकवा दिया और चौबीसों घंटे के लिए गार्ड बिठा दिए हैं। साथ ही नगरीय विकास मंत्री के निर्देश पर दो अधिकारियों की कमेटी गठित कर दी है। ये निर्माण किसी पार्षद के रिश्तेदार के हैं या नहीं इसकी जानकारी नहीं है। निर्माण अगर अवैध है तो वो किसी का भी हो, हटेगा। इससे पहले मिली शिकायतों पर हर बार सीईओ को निर्माण रुकवाने के निर्देश दिए और पालना भी हुई है।

12 साल के लड़के ने 6 साल की बच्ची से चाकू दिखाकर किया दुष्कर्म


लुधियाना. बस्ती जोधेवाल के कर्मसर कॉलोनी इलाके में एक 12 साल के किशोर ने एक 6 साल की बच्ची के साथ चाकू के बल पर रेप किया। घटना के बाद आरोपी फरार हो गया। आरोपी कर्मसर कॉलोनी इलाके का रहने वाला प्रेम है। लड़की के पिता ने बताया कि वे कपड़े की फड़ी लगाता है।
बुधवार की रात करीब 8 बजे उसकी 6 साल की बच्ची बाहर गली में खेल रही थी। इसी दौरान आरोपी बच्ची को चाकू दिखाकर अपने कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया। इंस्पेक्टर बलविंदर सिंह ने बताया कि बच्ची का मेडिकल कराया जा रहा है। पुलिस आरोपी की तलाश में छापेमारी कर रही है, जल्द ही उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

जल्‍द बंद हो जाएंगे कागज के नोट, अब खुद रिचार्ज करें मेट्रो कॉर्ड



रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव ने कहा कि केंद्रीय बैंक परीक्षण के तौर पर जल्दी ही प्लास्टिक का नोट जारी करेगा। कागज के नोट के मुकाबले प्लास्टिक के नोट ज्यादा चलते हैं जिसके कारण रिजर्व बैंक यह कदम उठा रहा है।
 
कश्मीर यूनिवर्सिटी के बिजनेस स्कूल के छात्रों के साथ बातचीत में सुब्बाराव ने कहा, ‘हम प्लास्टिक के नोटे लाने की कोशिश कर रहे हैं, हम इसे परीक्षण के तौर पर पेश करने पर विचार कर रहे हैं और अगर यह सफल होता है तो इसे पूरे देश में जारी किया जाएगा।’
 
उन्होंने जोर देकर कहा कि प्लास्टिक नोट पर्यावरण अनुकूल होते हैं क्योंकि कागज के नोट के मुकाबले ये ज्यादा चलते हैं। ऑस्ट्रेलिया और सिंगापुर में प्लास्टिक के नोट जारी किए गए हैं।
 
रिजर्व बैंक तथा सरकार ने 10 रुपये के एक अरब प्लास्टिक नोट जारी करने का निर्णय किया था। परीक्षण के तौर पर इन नोटों को कोच्चि, मैसूर, जयपुर, भुवनेश्वर तथा भुवनेश्वर में जारी किया जाना था।

इधर महिला के कपड़े उतार बरसाए डंडे, उधर प्रेमी जोड़े को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा



जलालाबाद.  पंजाब में गुरुवार को 3 ऐसी घटनाएं सामने आईं जिन्होंने बर्बरता का एक नया अध्याय लिखा गया। पहले मामले में आपसी रंजिश के चलते जलालाबाद में एक महिला को सात लोगों ने सरेआम निर्वस्त्र कर बुरी तरह से पीटा वहीं होशियारपुर के चब्बेवाल में एक दंपति को अंतर जातीय विवाह करने की सजा मिली जिसके फलस्वरूप उन्हें दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। इसी प्रकार पटियाला में एक नर्स को कुछ लोगों ने गाड़ी में अगवा कर पीटा और झाड़ियों में फेंक दिया।    
कमरेवाला गांव में सात लोगों ने एक महिला के घर में घुसकर हमला किया। बदमाशों ने गाली गलौच के बाद महिला से मारपीट की। बाद में उसके कपड़े फाड़ कर निर्वस्त्र पेड़ से बांध दिया। ग्रामीणों ने महिला को हमलावरों के चंगुल से छुड़ाया। पुलिस फरार बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है। महिला ने सिटी पुलिस को बताया कि बुधवार रात को वह घर पर अकेली थी तभी ये वारदात घटी।

गांव का ही जगसीर सिंह छह  हमलावरों को लेकर उसके घर आया और उससे मारपीट की। पुलिस ने जगसीर सिंह के अलावा सोनू, जग्गी, रानो बाई, गुलजार सिंह निवासी कमरे वाला, विक्रम सिंह और शिंदरो के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है। उनकी गिरफ्तारी की कोशिश हो रही है

 
 
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जो बनना चाहते हैं देश के प्रधानमंत्री, वो नहीं रख सकते दाढ़ी, क्योंकि उन्हें सताता है एक डर



कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद देश में प्रधानमंत्री पद के दो सबसे बड़े दावेदारों को लेकर बहस फिर से शुरू हो गई है। इस चुनाव में कांग्रेस की अभूतपूर्व सफलता और भारतीय जनता पार्टी की पराजय को राहुल गांधी के बढ़ते प्रभाव और नरेंद्र मोदी की कम हो रही लोकप्रियता से जोड़कर देखा जा रहा है।

जिस दिन कर्नाटक चुनाव के परिणाम  आए उस दिन राहुल गांधी पंचकुला में थे। इस दौरान एक दिलचस्प घटना ने राहुल की दाढ़ी से जुड़े एक सवाल ने मीडिया का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। एक सीधा सा सवाल राहुल से किया गया कि जब दाढ़ी उन पर फब्ती है तो उसे वो क्लीन शेव क्यों रहते हैं। इसका राहुल ने एक दिलचस्प जवाब दिया।

यह जवाब अगली स्लाइड पर पढ़ने को मिल जाएगा लेकिन एक बड़ा सवाल ये पैदा होता है कि प्रधानमंत्री पद के दूसरे सबसे बड़े दावेदार नरेंद्र मोदी घनी दाढ़ी और मूंछ रखते हैं। अब राहुल के दाढ़ी ना रखने का जवाब तो लोगों को मिल गया लेकिन मोदी दाढ़ी क्यों रखते हैं ये अभी भी एक राज बना हुआ है।

ये है राहुल का जवाब

तनाव। हंसी तो दूर, कोई मुस्कुरा भी नहीं रहा था। मुस्कुराए भी कैसे? पार्टी और सरकार की परीक्षा जो थी। बहरहाल जैसे-तैसे मीटिंग निपटी तो राज्य के कांग्रेसी नेताओं ने राहत की सांस ली। राहुल गांधी भी विदाई ले रहे थे। तभी ऐसा मौका आया कि वहां मौजूद राहुल समेत हर शख्स खिलखिला पड़ा।

पंचकूला के कांग्रेसी नेता ओमप्रकाश ने सेशन में ब्रेक के दौरान राहुल से कहा कि वह हल्की दाढ़ी क्यों नहीं रखते, उन्हें सूट करेगी? इस पर राहुल हंस पड़े। वह ओमप्रकाश को जवाब देने ही वाले थे कि एक नेता ने बीच में कोई और बात छेड़ दी।

मीटिंग खत्म होने के बाद जब राहुल मुख्यमंत्री के साथ जा रहे थे, तो ओमप्रकाश ने कहा कि जाते-जाते मेरे सवाल का जवाब तो देते जाइए। इस पर राहुल मुड़े..कुछ पल सोचा और फिर बोले-‘मैं चेहरे पर बाल रख लेता हूं, पर जब वह बड़े हो जाते हैं, तो मम्मी बोलती हैं। बस इसीलिए मैं बड़ी दाढ़ी नहीं रखता।’

हाई कोर्ट की अवमानना पर कई कद्दावर अफसर घंटों रहे हिरासत में




हाईकोर्ट के आदेशों को नजरअंदाज करने वाले उत्तर प्रदेश सरकार के कई कद्दावर अफसर 7 मई को उस समय पसीना- पसीना हो गए, जब उन्‍हें अवमानना का दोषी मानते हुए न्‍यायालय ने हिरासत में ले लिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट की अलग- अलग बेंचों ने प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्‍तव, प्रमुख सचिव (स्टाप व निबंधन) बीएम मीना, ​फैजाबाद के ​अपर आयुक्त (प्रशासन) शैलेन्द्र कुमार सिंह समेत तमाम अधिकारियों को दिन भर हिरासत में रखा गया।
शाम चार बजे हाई कोर्ट ने इन अफसरों को बिना शर्त माफी मांगने और भविष्‍य में ऐसी गलती दोबारा नहीं करने के शपथ पत्र के साथ 10-10 हजार रुपये का जुर्माना अदा करने के बाद जाने दिया। हालांकि प्रमुख सचिव (गृह) पर हाई कोर्ट की तलवार अभी भी लटक रही है। अदालत ने उन्‍हें बिना शर्त माफी मांगे जाने ​के बाद ​मामले में अपना पक्ष रखने के लिए 8 मई को सुबह 10 बजकर 15 मिनट तक की मोहलत दी। ​
न्यायमूर्ति सतीश चन्द्रा ने मायावती सरकार में मंत्री रहे रामवीर ​​उपाध्याय की वाई श्रेणी सुरक्षा के मामले में न्यायालय के आदेश​ ​की अवमानना के कारण प्रमुख सचिव (गृह) आरएम श्रीवास्तव को ​हिरासत में लेने का आदेश दिया।​ दरअसल मामले में​ न्यायालय ने बसपा नेता को वाई ​​श्रेणी सुरक्षा मुहैया कराने का आदेश दिया था लेकिन राज्य​ ​सरकार ने उन्हें भुगतान के आधार पर सुरक्षा मुहैया कराई। ​न्यायालय ने इस पर कड़ी नाराजगी भी जताई।​
7 मई को दोपहर करीब एक बजे आरएम श्रीवास्‍तव को अदालत ने हिरासत में ले लिया गया। उनसे घंटे भर के अंदर जवाब देने के लिए कहा गया। इसके बाद आरएम श्रीवास्‍तव ने जो जवाब दिया जिस पर अदालत संतुष्‍ट नहीं हुई। शाम करीब 4 बजे आरएम ​​​​श्रीवास्तव को स्पष्टीकरण ​के साथ​ 8 मई की सुबह​ फिर तलब किया​ गया​।

पीठ ने सुनवाई के समय सरकारी अफसरों के रवै​ये​ पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि प्रत्येक अधिकारी को चार्ज लेते समय सुनिश्चित करना चाहिए कि अदालत से संबंधित कितने मामले चल रहे हैं। अधिकारी यह बहाना बनाकर बच नहीं सकते कि पूर्व अधिकारी की जिम्मेदारी थी। पहले पीठ ने सुबह ​11 बजे बीएम मीना को हिरासत में लेते हुए तीन दिन जेल की सजा सुना दी​ लेकिन बाद में उनकी तरफ से बिना शर्त माफी का हलफनामा लेकर याची को 10 हजार रुपये हर्जाना देने की बात पर छोड़ा गया। ​
उधर, ​न्यायमूर्ति अजय​ ​लां​​बा की अदालत ने​ ​एसके ​​सिंह को जेल भेजते​ ​हुए उनके मामले की अगली सुनवाई 10 मई तय की। याची के​ ​वकील फाकिर अली के अनुसार न्यायालय ने ​​अंबेडकरनगर जिले के​ ​अकबरपुर तहसीलदार को 23 अप्रैल 2012 को एक मामले के​ ​निपटारे के लिए 6 महीने का समय दिया था। तहसीलदार ने 6 ​​जुलाई की तारीख सुनवाई के लिए तय की थी।
इसी बीच कुछ​ ​लोगों ने अपर आयुक्त (प्रशासन) के न्यायालय में तहसीलदार के ​​आदेश के खिलाफ याचिका दायर कर दी। अपर आयुक्त ने तहसीलदार​ ​के आदेश पर स्थगनादेश दे दिया। अपर आयुक्त ने हाईकोर्ट में ​​न्यायालय के आदेश की जानकारी नहीं होने की बात कही लेकिन​ ​न्यायालय ने उनके आग्रह को ठुकरा दिया और उन्हें तीन दिन के ​लिए जेल भेजने का आदेश दे दिया।
शैलेन्द्र सिंह द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर​ ​न्यायालय ने वादी वि​​ष्‍णुदत्त तिवारी को 10 हजार रूपए का हर्जाना​ ​देने के आदेश दिए। साथ ही ​​वादी के खिलाफ उ​त्‍पीड़न ​​के मामले को​ ​तुरंत निस्तारित करने के आदेश दिए और याची की याचिका को भी ​​खारिज कर दिया।​

कुरान का सन्देश

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वो बोलता बहुत है


वो बोलता बहुत है
पर दिल की कुछ कहता नहीं
सबसे बात कर लेगा पर
मेरे आगे जुबान खोलता नहीं
चाह कर भी मौन अपना
तोड़ नहीं पाता ..ना जाने क्यूँ
कुछ कहते कहते चुप हो जाना
कुछ लिखते लिखते रुक जाना
कभी सामने बैठ घंटों चुप बिता जाना
कभी कुछ कहने के लिए उकसाना
उसकी हर बात समझ आती है मुझे
पर वह खुद कुछ नहीं कहता
वह बोलता बहुत है पर
उसका मौन कभी नहीं टूटता
कभी राजनीति पर चर्चा तो
कभी किसी नेता पर शब्दों का बेमतलब खर्चा
कभी सामाजिक बातें तो कभी कैसे गुजरीं तनहा रातें
सब कह जाता है पर उसका मौन नहीं टूटता
चींख चींख कर अपना दर्द बयाँ करता है
क्या उसकी चींख पहुँच जाती है वहां तक
जहाँ वह पहुंचाना चाहता है
शायद हाँ ...ओह सचमुच हाँ
यह उसका मौन ही तो है जो
सब कुछ बयाँ कर जाता है
बिन कानो तक पहुंचे भी दिल तक पहुँच जाता है
हाँ मैं कह सकती हूँ
उसका मौन बिन कहे भी उसके दिल की हर बात
उसके हालात बयाँ कर जाता है
उसका मौन ही उसकी असल जुबान है
उसके बिन कहे उसकी हर बात पहुँच जाती है मुझ तक
आखिर तुमने बिन कहे ही
अपनी हर बात को मुझ तक पहुंचा ही दिया ना
कभी कुछ ना कहना बस मौन ही रहना
क्योंकि मैं समझ जाती हूँ हर बात
और डर जाती हूँ यह सोचकर
की जब तुम बोलोगे तो क्या होगा ........अंजना

सबसे पहला धर्म हमारा, वन्दे मातरम देश हमारा सबसे न्यारा, वन्दे मातरम

Girish Pankaj
सबसे पहला धर्म हमारा, वन्दे मातरम
देश हमारा सबसे न्यारा, वन्दे मातरम

देश है सबसे पहले, उसके बाद धर्म आये
सोचो इस पर आज दुबारा, वन्दे मातरम

हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई बातें हैं बेकार
देश हमें हो प्राण से प्यारा, वन्दे मातरम

जहां रहें, हम जहां भी जाएँ रखे वतन को याद
जिसने अपना आज संवारा, वन्दे मातरम

देश विरोधी लोगों को हम सिखलाएँ यह बात
सुबह-शाम बस एक हो नारा, वन्दे मातरम

देश हमारी आन-बान है देश हमारी शान
लायेंगे घर-घर उजियारा, वन्दे मातरम

भारत मटा तुम्हें बुलाती लौटो अपने देश
घर आओ ये कितना प्यारा, वन्दे मातरम

जातिधर्म की ये दीवारे कब तक कैद रहें?
तोड़ो-तोड़ो अब ये कारा, वन्दे मातरम

ध्वज अपना है, भाषा अपनी, राष्ट्रगान का मान
राष्ट्र प्रेम की सच्ची धारा, वन्दे मातरम

देश प्रेम ही विश्व प्रेम की है सच्ची शुरुआत,
बिन इसके न होय गुजारा, वन्दे मातरम
अख्तर खान अकेला
3 hours ago
फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम
दोस्तों कल संसद में बसपा के एक मुस्लिम सांसद ने वन्देमातरम गीत का बहिष्कार किया उस पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है बात भी सही है के जिसे हम राष्ट्रगीत कहते है उसे हमे बोलने सुनने में दिक्क़त है लेकिन जरा हम अपने सीने पर हाथ रख कर देखे क्या हम इस गीत का सम्मान करते है या फिर इस गीत के नाम पर राजनीति कर वोट कबाड़ने और एक दुसरे को नीचा दिखने की सोचते है ..देश की संसद में इस मामले में चुनाव हुआ और बहुमत के आधार पर राष्ट्रगान जन गन मन सुना गया ..बस वोह राष्ट्रगान हो गया देश के मान सम्मान का प्रतीक होने के कारन इस गायन को सम्मान देने के लियें राष्ट्रिय सम्मान कानून बनाया गया और इस गान के अपमान करने वाले को सजा देने का प्रावधान रखा गया लेकिन चाहे कोंग्रेस सत्ता में रही हो चाहे भाजपा सत्ता में रही हो किसी ने भी वन्दे मातरम गीत को गाने और इसका सम्मान करने के मामले में कोई आचार संहिता कोई कानून नही बनाया केवल ऐच्छिक रखा गया अब ऐच्छिक अगर कोई चीज़ है तो उस मामले में की जीद काम नहीं देती खेर यह तो अलग बात हो गयी है लेकिन जरा सोचिये अपने दिल पर हाथ रखिये जो लोग संसद में राष्ट्रगीत वन्देमातरम गा रहे थे क्या उन्हें इस ईत को गाने का हक है क्या वोह लोग देश से प्यार करते है क्या संसद में बेठे लोगों का चरित्र उन्हें इस गीत को गाने की इजाज़त देता है जो लोग बलात्कारी हो ..बेईमान हो ..मक्कार हो ..फरेबी हो ..रिश्वतखोर हो ..भ्रष्ट हो देश के कानून का मान सम्मान नहीं करते हो दश की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हो जिनके दिलों में गीता ..कुरान .बाइबिल ...गुरुवाणी या किसी भी द्र्ह्मे का सम्मान नहीं हो तो क्या वोह लोग उनकी नापाक जुबान से वन्देमातरम जेसा गीत गाने के हकदार है क्या संसद में बेठे बेईमान लोग शपथ लेकर देश के संविधान की धज्जियां उढ़ा कर इस गीत को गाने के हकदार है नहीं न तो फिर यह तमाशा क्यूँ वन्देमातरम पर राजनीति क्यूँ ..एक कट्टर हिन्दू वन्देमातरम पर मुसलमानों को इस गीत का दुश्मन बताकर अपने कट्टरवादी वोट मजबूत करने की कोशिशों में जुटा रहता है तो एक मुसलमान सांसद सिर्फ मुस्लिम वोटों को प्रापत् करने के लियें संसद में इस गीत के गायन के वक्त इस गीत का बहिष्कार करता है हमे शर्म आती है दिल में तो बेईमानी और जुबान पर राजनीति वोह भी पवित्र गीत के नाम पर इस गीत का अहसास कोई समझ नहीं सकता मुख्तलिफ शायरों और मुख्तलिफ विचारधाराओं के लोगों ने इस गीत की व्याख्या अपने आने तरीके से की है मुसलमान कहते है के देश की मिटटी से प्यार करने और इसी मिटटी में फना हो जाने को वन्देमातरम कहते है मुसलमानों का तर्क है के यह उन लोगों के लियें संदेश है जो लोग जुबान से देशभक्ति का दिखावा करते है और इस देश की मीट्टी में मिलने की जगह नदी के जरिये विदेशों के समुन्द्र में समां जाते है ..मुसलमान कहते है के हम जब नमाज़ पढ़ते है तो इस देश की मिटटी पर सर झुका कर अपने खुद तक पहुंचने का रास्ता बनाते है ..मुसलमान कहते है के जब नमाज़ के पहेल उन्हें पानी नहीं मिलता या बीमारी के कारण उनका पानी से परहेज़ होता है तो इसी देश की मिटटी से तहममुम यानी सूखा वुजू कर खुद को पाक कर लेता है और फिर खुद के दरबार में नमाज़ के जरिये इसी सर जमीन पर सजदा कर अपनी हाजरी लगाता है ...इतना ही नहीं मुसलमान इस धरती पर पैदा होता है बढ़ा होता है और मरने पर इसी मिटटी में दफन होकर खुद को फना कर लेता है जबके दुसरे समाज के लोग दिखावे को तो इस मिटटी से दिखावे का नाटक करते है लेकिन जिस धरती में सीता मय्या ने समाकर इस धरती की पवित्रता और मिटटी में मिलजाने का संदेश दिया था वही लोग राख बनकर नदी में भाये जाते है और नदी इनको बहा कर दूर विदेशी समुन्द्रों में लेजाती है ऐसा क्यूँ होता है मुसलमान तो इस मिटटी से अपना रिश्ता मरने के बाद भी रखता है लेकिन दुसरे लोग मरने के बाद इस मिटटी से अपना रिश्ता क्यूँ तोड़ कर दूर विदेशी समुन्द्रों में चले जाते है ........दूसरी तरफ दुसरे समाज का कहना है के मुसलमान वन्देमातरम का अपमान करते है धरती भारत की धरती पर अपना शीश नहीं झुकाते है ..उन्हें भारत से प्यार नहीं और वोह भारत को माँ नहीं मानते भारत माँ का सम्मान नहीं करते इसीलियें इस गीत का अपमान करते है अब वक्त आ गया है के गीतों के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को पकड़ा जाए उनसे सवाल किये जाए उनकी राष्ट्रीयता को परखा जाए और कम से कम मुंह में राम बगल में छुरी रखें वाले चोर बेइमान नेताओं से तो इस गीत को गाने का हक छीन लिया जाए इस गीत को गाने ..इसके सम्मान ..इसके गाने के तरीके स्थान और गीत गाने के हकदारों और इसकी उपेक्षा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को लेकर कोई आचार संहिता बनाने की जरूरत है इस गीत के नाम पर राजनीति करने वालों को रोकने की भी आचार संहिता बनाने की जरूरत है और जुबान से नहीं दिल से कर्म से मन से वचन से वन्देमातरम कहने वालों की जरूरत है इसलियें एक बार फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

सौतन बन गयी फेस बुक

सौतन बन गयी फेस बुक
मैडम करती हूट -
उसका बस चल जाए तो -
करदे हमको शूट .

ना पहले सा प्यार है
ना पहले से ढंग
लगता है इस उम्र में
किया किसी का संग .

सुबह सवेरे - उठ रहे
कर लेते हैं बात -
जग जाए वो नींद से
फिर कैसा परभात .

लगा प्रेम का रोग ये
काले करके बाल - किसे
पता -ढूंढे किसे
दागे रोज सवाल .

बच बचकर रहता प्रभु
नाथ हुए - अ नाथ
जान बची - कहलायें
तो उनके प्राणनाथ

जीना मरना कठिन है
सौ बातों की बात -
बातें होंगी - नेट पर
मोबाइल लो साथ .

प्रश्नों की मंडी में सवाल सजाये हुए हैं

प्रश्नों की मंडी में
सवाल सजाये हुए हैं
किसी ने कहा - ये
संसद के पटल से
अनुतरित उठाये हुए हैं .

कोई कहता है -
ये आयातित हैं -
अमरीका इटली से
हाल ही में मंगाए हुए हैं .

भारत महाभारत तो
आज भी वही है -
पर युधिसठर नहीं है
जो दे सके -
यक्षप्रश्नों के सही जवाब .

फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम

दोस्तों कल संसद में बसपा के एक मुस्लिम सांसद ने वन्देमातरम गीत का बहिष्कार किया उस पर देश भर में बहस छिड़ी हुई है बात भी सही है के जिसे हम राष्ट्रगीत कहते है उसे हमे बोलने सुनने में दिक्क़त है लेकिन जरा हम अपने सीने पर हाथ रख कर देखे क्या हम इस गीत का सम्मान करते है या फिर इस गीत के नाम पर राजनीति कर वोट कबाड़ने और एक दुसरे को नीचा दिखने की सोचते है ..देश की संसद में इस मामले में चुनाव हुआ और बहुमत के आधार पर राष्ट्रगान जन गन मन सुना गया ..बस वोह राष्ट्रगान हो गया देश के मान सम्मान का प्रतीक होने के कारन इस गायन को सम्मान देने के लियें राष्ट्रिय सम्मान कानून बनाया गया और इस गान के अपमान करने वाले को सजा देने का प्रावधान रखा गया लेकिन चाहे कोंग्रेस सत्ता में रही हो चाहे भाजपा सत्ता में रही हो किसी ने भी वन्दे मातरम गीत को गाने और इसका सम्मान करने के मामले में कोई आचार संहिता कोई कानून नही बनाया केवल ऐच्छिक रखा गया अब ऐच्छिक अगर कोई चीज़ है तो उस मामले में की जीद काम नहीं देती खेर यह तो अलग बात हो गयी है लेकिन जरा सोचिये अपने दिल पर हाथ रखिये जो लोग संसद में राष्ट्रगीत वन्देमातरम गा रहे थे क्या उन्हें इस ईत को गाने का हक है क्या वोह लोग  देश से प्यार करते है क्या संसद में बेठे लोगों का चरित्र उन्हें इस गीत को गाने की इजाज़त देता है जो लोग बलात्कारी हो ..बेईमान हो ..मक्कार हो ..फरेबी हो ..रिश्वतखोर हो ..भ्रष्ट हो देश के कानून का मान सम्मान नहीं करते हो दश की सीमाओं का सम्मान नहीं करते हो जिनके दिलों में गीता ..कुरान .बाइबिल ...गुरुवाणी या किसी भी द्र्ह्मे का सम्मान नहीं हो तो क्या वोह लोग उनकी नापाक जुबान से वन्देमातरम जेसा गीत गाने के हकदार है क्या संसद में बेठे बेईमान लोग शपथ लेकर देश के संविधान की धज्जियां उढ़ा कर इस गीत को गाने के हकदार है नहीं न तो फिर यह तमाशा क्यूँ वन्देमातरम पर राजनीति क्यूँ ..एक कट्टर हिन्दू वन्देमातरम पर मुसलमानों को इस गीत का दुश्मन बताकर अपने कट्टरवादी वोट मजबूत करने की कोशिशों में जुटा रहता है तो एक मुसलमान सांसद सिर्फ मुस्लिम वोटों को प्रापत्  करने के लियें संसद में इस गीत के गायन के वक्त इस गीत का बहिष्कार करता है हमे शर्म आती है दिल में तो बेईमानी और जुबान पर राजनीति वोह भी पवित्र गीत के नाम पर इस गीत का अहसास कोई समझ नहीं सकता मुख्तलिफ शायरों और मुख्तलिफ विचारधाराओं के लोगों ने इस गीत की व्याख्या अपने आने तरीके से की है मुसलमान कहते है के देश की मिटटी से प्यार करने और इसी मिटटी में फना हो जाने को वन्देमातरम कहते है मुसलमानों का तर्क है के यह उन लोगों के लियें संदेश है जो लोग जुबान से देशभक्ति का दिखावा करते है और इस देश की मीट्टी में मिलने की जगह नदी के जरिये विदेशों के समुन्द्र में समां जाते है ..मुसलमान कहते है के हम जब नमाज़ पढ़ते है तो इस देश की मिटटी पर सर झुका कर अपने खुद तक पहुंचने का रास्ता बनाते है ..मुसलमान कहते है के जब नमाज़ के पहेल उन्हें पानी नहीं मिलता या बीमारी के कारण उनका पानी से परहेज़ होता है तो इसी देश की मिटटी  से तहममुम यानी सूखा वुजू कर खुद को पाक कर लेता है और फिर खुद के दरबार में नमाज़ के जरिये इसी सर जमीन पर सजदा कर अपनी हाजरी लगाता है ...इतना ही नहीं मुसलमान इस धरती पर पैदा होता है बढ़ा  होता है और मरने पर इसी मिटटी में दफन होकर खुद को फना कर लेता है जबके दुसरे समाज के लोग दिखावे को तो इस मिटटी से दिखावे का नाटक करते है लेकिन जिस धरती में सीता मय्या ने समाकर इस धरती की पवित्रता और मिटटी में मिलजाने का संदेश दिया था वही लोग राख बनकर नदी में भाये जाते है और नदी इनको बहा कर दूर विदेशी समुन्द्रों में लेजाती है ऐसा क्यूँ होता है मुसलमान तो इस मिटटी से अपना रिश्ता मरने के बाद भी रखता है लेकिन दुसरे लोग मरने के बाद इस मिटटी से अपना रिश्ता क्यूँ तोड़ कर दूर विदेशी समुन्द्रों में चले जाते है ........दूसरी तरफ दुसरे समाज का कहना है के मुसलमान वन्देमातरम का अपमान करते है धरती भारत की धरती पर अपना शीश नहीं झुकाते है ..उन्हें भारत से प्यार नहीं और वोह भारत को माँ नहीं मानते भारत माँ का सम्मान नहीं करते इसीलियें इस गीत का अपमान करते है अब वक्त आ गया है के गीतों के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों को पकड़ा जाए उनसे सवाल किये जाए उनकी राष्ट्रीयता को परखा जाए और कम से कम मुंह में राम बगल में छुरी रखें वाले चोर बेइमान नेताओं से तो इस गीत को गाने का हक छीन लिया जाए इस गीत को गाने ..इसके सम्मान ..इसके गाने के तरीके स्थान और गीत गाने के हकदारों और इसकी उपेक्षा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही को लेकर कोई आचार संहिता बनाने की जरूरत है इस गीत के नाम पर राजनीति करने वालों को रोकने की भी आचार संहिता बनाने की जरूरत है और जुबान से नहीं दिल से कर्म से मन से वचन से वन्देमातरम कहने वालों की जरूरत है इसलियें एक बार फिर दिल से कहो हम इस मिटटी से प्यार करते है इसी मिटटी में मिलकर फना हो जाना चाहते है और वन्देमातरम कहते ही नहीं वन्देमातरम करके भी दिखाते है वन्देमातरम वन्देमातरम ..............अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 

डॉक्टर बोला, तीन हजार नहीं दोगे तो टांके नहीं खोलूंगा



अजमेर। एक बुजुर्ग महिला की किडनी से स्टोन निकालने के लिए किए ऑपरेशन की एवज में रिश्वत लेते जेएलएन अस्पताल के वरिष्ठ सर्जन डॉ शरद जैन को एसीबी ने धर दबोचा। डॉ जैन ऑपरेशन के लिए 2000 रुपए पहले ही ले चुके थे। जबकि 3000 रुपए टांके खोले जाने, ड्रेसिंग करने और पेट से कैथेड्रल नली निकालने की एवज में लिए जाने शेष थे। पीडि़ता के भतीजे की शिकायत पर एसीबी की स्पेशल टीम ने डॉ जैन को धर दबोचा। एसीबी मामले की जांच कर रही है। एडीशनल एसपी करणी सिंह राठौड़ के मुताबिक जेएलएन अस्पताल के प्रोफेसर एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ शरद जैन को गिरफ्तार किया गया। डॉ जैन की पेंट के जेब से 3000 रुपए नकद बरामद किए गए।

श्रीमद्भागवत कथा में हुई फायरिंग और पत्थरबाजी, बाल-बाल बचे संसदीय सचिव



करौली। भांकरी गांव में श्रीमद्भागवत कथा के समापन अवसर पर पहुंचे दौसा सांसद किरोड़ी लाल मीणा व संसदीय सचिव रमेश मीणा के समर्थकों में झड़प हो गई। दोनों ओर से पत्थर फेंके गए और एक दर्जन से अधिक हवाई फायर हुए। संसदीय सचिव की कार में तोड़फोड़ की गई।
 
इसे पेट्रोल डालकर फूंकने का प्रयास भी हुआ। संसदीय सचिव ने समर्थकों के साथ भागकर जान बचाई। पथराव में एक पुलिसकर्मी व कई ग्रामीण घायल हो गए। सूचना मिलने पर कई थानों से पहुंची पुलिस ने स्थिति काबू में की। पुलिस संसदीय सचिव की क्षतिग्रस्त कार लांगरा थाने ले गई।
 
 
घटना बुधवार दोपहर करीब दो बजे की है। कथा के समापन कार्यक्रम में भंडारा व किसान सम्मेलन का आयोजन था। सपोटरा विधायक व संसदीय सचिव रमेश मीणा समर्थकों के साथ करीब पौने दो बजे कार्यक्रम में पहुंचे। इसके पंद्रह मिनट बाद ही सांसद डॉ. किरोड़ी मीणा समर्थकों के साथ मंच पर पहुंच गए। 
 

मेरे तो छोटे-छोटे समोसे जैसे हैं- इस डायलॉग पर 'गिप्‍पी' को कोर्ट में घसीटने की धमकी


नई दिल्‍ली। अपने डॉयलाग के कारण विवादों में हो चुकी फिल्‍म ‘गिप्‍पी‘ के लीड रोल के लिए 30 हजार बच्‍चों में से रिया विज का चयन किया गया था। यह खुलासा खुद फिल्‍म की निर्देशक सोनम नायर ने एक इंटरव्‍यू में किया। सोनम कहती हैं कि अपने अपनी फिल्‍म की कहानी के अनुसार एक एक ऐसी लड़की की तलाश थी तो 14 साल की किशोरी की भूमिका कर सके। दिल्‍ली और मुंबई में कई बार ऑडिशन लिए गए। तब जाकर 30 हजार बच्‍चों में से एक कुछ को शार्टलिस्‍टेड किया गया। इसके बाद इन बच्‍चों के साथ कई दौर की वर्कशॉप की गई। मुझे उम्‍मीद नहीं थी कि इसमें कोई बहुत शानदार अभिनय कर पाएगे। लेकिन रिया ने सबको पछाड़ दिया।
 
फिल्‍म गुरुवार को यूएई में रिलीज हो गई है। भारत में शुक्रवार को रिलीज होनी है। इसमें एक विवादित डायलॉग है कि मेरे तो छोटे-छोटे समोसे जैसे हैं (प्रोमो से गायब हुए गिप्पी के छोटे-छोटे समोसे)। मध्‍य प्रदेश बाल आयोग का कहना है कि अगर फिल्‍म इस डायलॉग के साथ रिलीज होती है आयोग इसके खिलाफ कोर्ट जाएगा।
 
फिल्‍म के निर्माता करण जौहर कहते हैं कि रिया को देखकर हमने पहले ही दिन से जान लिया था कि यह लड़की गिप्‍पी जैसी दिखती है। शुरूआत में रिया में कुछ अधिक झिझक थी लेकिन जैसे जैसे शूटिंग बढ़ती गई, उसकी झिझक दूर होती गई। 
 
सोनम कहती हैं कि गिप्‍पी की स्‍टोरी कोई काल्‍पनिक स्‍टोरी नहीं है बल्कि ऐसा घटना उनके व्‍यक्तिगत जीवन में घट चुकी है। पहले तो मैं सिर्फ फिल्‍म की कहानी लिखना चाहती थी। जिंदगी में जो भी घटा, उसके शब्‍दों के माध्‍यम से कागजों पर उतारना शुरू भी कर दिया था। बचपन में मैं मोटापे की शिकार थी जिसके कारण हर जगह मेरा मजाक उड़ाया जाता था। जिंदगी के उतार चढ़ाव को जब लिखने बैठी तो यह फिल्‍म के लिए बन गई। इस फिल्‍म की कहानी को लेकर सोनम निर्देशक अयान मुखर्जी के पास पहुंचीं तो उन्‍होंने इसे करण जौहर को दिखाने की सलाह दी। सोनम को लगा कि शायद करण इस कहानी को पसंद नहीं करेंगे। लेकिन जब वह करण को स्‍टोरी दिखाई तो उन्‍हें वह बहुत पसंद आई। इसके बाद फिल्‍म में पैसा लगाने के लिए करण तैयार हो गए।

135 करोड़ की जमीन के मामले में धारीवाल के खिलाफ एसीबी में शिकायत



जयपुर।  भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव किरीट सोमैया के नेतृत्व में गए प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को नगरीय विकास विभाग मंत्री शांति धारीवाल और मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसरों के खिलाफ गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को 135 करोड़ रुपए बाजार मूल्य की जमीन गैर कानूनी तरीके से आवंटित करने की एसीबी में शिकायत की है। उन्होंने यूडीएच के अधिकारी, मंत्री धारीवाल, सीएमओ के अफसर और जेडीए अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। 
 
 
एसीबी में शिकायत बापू नगर के रामशरण सिंह चौधरी की तरफ से की गई हैं। भाजपा कार्यालय में बुधवार शाम इस संबंध में पत्रकार वार्ता करके किरीट सोमैया ने मुख्यमंत्री कार्यालय और शांति धारीवाल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए। सोमैया ने बताया कि इस भ्रष्टाचार से जुड़े 160 पेज के दस्तावेज एसीबी को सौंपे हैं।
 
राजेंद्र आदर्श गृह निर्माण सहकारी समिति के दुर्गा विहार योजना में गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को नियमों के खिलाफ जमीन आवंटित कर 29 जून, 2011 को एकल पट्टा जारी कर दिया। सोमैया ने दावा किया कि इस कंपनी को 27 हजार वर्ग मीटर जमीन देकर फायदा पहुंचाया है। उन्होंने जमीन की कीमत 135 करोड़ से अधिक बताई।
 
135 करोड़ की जमीन.
 सोमैया ने दोषी अफसरों और धारीवाल के खिलाफ जांच की मांग की है। साथ ही कहा कि सीएमओ ने इस फर्जीवाड़े के लिए जेडीए से पत्राचार कर भूमाफिया की मदद की। धारीवाल की अनुमति से यह फर्जी पट्टा जारी किया गया। प्रतिनिधि मंडल में विधायक अशोक परनामी, प्रदेश मंत्री सुनील कोठारी, पूर्व महापौर पंकज जोशी, एडवोकेट कान सिंह राठौड़, आरटीआई प्रकोष्ठ सह संयोजक गजेंद्र सिंह शेखावत थे।

प्‍यार के लिए तोड़ी मजहब की दीवार तो कोर्ट में हुई पिटा


आगरा. उन दोनों ने प्‍यार के खातिर मजहब की दीवार भी तोड़ दी। लेकिन उन दोनों के मजहब मानने वालों ने उसे अदालत में भी नहीं छोड़ा। शादी करने पर गुरुवार को युवक-युवती के परिवारवाले दीवानी अदालत परिसर में ही भिड़ गए। दोनों ने पहले युवक-युवती को पीटना शुरू किया इसके बाद दो तरफा जबरदस्‍त मारपीट हुई। 
 
दोनों तरफ से करीब पचास लोग पहुंचे थे। युवती बुर्का पहनकर आई थी। ताकि किसी को पता न चल सके। लेकिन उसके परिवार वालों ने पहचान लिया। गुस्‍साए परिजनों ने उसका बुर्का फाड़ दिया। इसके बाद दोनों तरफ के वकील आमने सामने आ गए।
 
माहौल गर्म हुआ और मारपीट शुरू हो गई। इस दौरान यहां का माहौल भगदड़ जैसा होने लगा। हालात पुलिस के काबू से बाहर होने लगा। तब पीएसी बुलाई गई। इस दौरान कई घायल हो गए।

पाकिस्तानः बीच सड़क से पूर्व पीएम गिलानी का बेटा अगवा


लाहौर. पाकिस्तान के पूर्व पीएम यूसुफ रजा गिलानी के बेटे को चुनावों से ऐन पहले अगवा कर लिया गया है। पूर्व पीएम के बेटे अली हैदर गिलानी को गुरुवार को दिनदहाड़े कुछ हथियारबंद लोगों ने बीच सड़क से उठा लिया। मुल्तान में पीपीपी की रैली हो रही थी। अली हैदर वहीं मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हथियारबंद लोग एक सफेद कार में आए थे और उन्होंने मौके पर गोलीबारी भी की। 
 
पाकिस्तान में गुरुवार को चुनाव प्रचार का आखिरी दिन है और तमाम पार्टियां ताबड़तोड़ सभाएं कर रही हैं। चोटिल इमरान खान तो अस्पताल के बेड से ही लोगों को संबोधित कर रहे हैं। तहरीक ए इंसाफ के प्रमुख इमरान खान दो दिन पहले चुनावी सभा के दौरान चोटिल हो गए थे। पाकिस्तानी राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इमरान खान के गंभीर तौर पर चोटिल होने का फायदा उनकी पार्टी ततहरीक ए इंसाफ को चुनावों में मिल सकता है। उनके मुताबिक इमरान के चोटिल होने के बाद उन्हें लोगों की सहानुभूति मिल रही है। लोग उन्हें देखने, उनकी आवाज सुनने और उनकी खबर लेने को बेताब हैं। पाकिस्तान में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इमरान और उनकी तबीयत के बारे में चर्चाएं हो रही हैं। अगर उनकी पार्टी और वे इसे कैश करा सकें तो चुनावों में फायदा उठा सकते हैं। हालांकि इस दुर्घटना से पहले एक राजनेता के तौर पर उनकी लोकप्रियता बहुत ज्यादा नहीं थी। मीडिया के एक धड़े ने उन्हें तालिबान खान का भी नाम दिया था। लेकिन इस दुर्घटना से चीजें बदल गई हैं। पाकिस्तान में और उससे बाहर भी इमरान खान को जानने वाले उनकी तबीयत पर नजर रखे हुए हैं। वे लगातार इमरान खान से जुड़ी जानकारियां हासिल कर रहे हैं। इसकी बड़ी वजह इमरान खान की अंतर्राष्ट्रीय पहचान भी है। 
 
इमरान के सीटी स्कैन के मुताबिक उनके सिर में आया एक फ्रैक्चर थोड़ा गंभीर है, बाकी पांच फ्रैक्‍चर मामूली हैं। इमरान का सीटी स्कैन देखने वाले जिन्ना हॉस्पिटल के एक सीनियर ऑर्थोपैडिक सर्जन का कहना है कि इमरान को एक फ्रैक्चर की वजह से कम से कम तीन से चार हफ्ते तक बिस्तर पर ही रहना होगा। उनके सिर और शरीर में आए दूसरे फ्रैक्चर कम खतरनाक हैं।
 
पाकिस्तान के आम चुनावों में प्रचार के लिए गुरुवार आखिरी दिन है। इमरान अस्पताल से ही इस्लामाबाद की रैली को संबोधित करेंगे। वह यहां से वीडियो स्पीच देंगे। पीटीआई के एक नेता असद उमर का कहना था कि अगर इमरान परेशानी महसूस नहीं करेंगे तो वह अस्पताल से ही लोगों को लाइव संबोधित करेंगे वरना उनका भाषण रिकॉर्डे किया जाएगा।

शादीशुदा होती हैं पॉर्न एक्‍ट्रेस, एक सीन में कमाती हैं 1000 डॉलर


न्‍यूयॉर्क. जब आप यह खबर पढ़ रहे होंगे, वि‍श्‍व का शायद ही ऐसा कोई महानगर होगा, जहां कम से कम 30 हजार लोग पॉर्न मूवी या वेबसाइट नहीं देख रहे होंगे। ऐसे ही लोगों की डि‍मांड पूरी करने के लि‍ए पॉर्न इंडस्‍ट्री हर 39वें मि‍नट पर एक नई वीडि‍यो क्‍लि‍प पॉर्न वेबसाइट पर अपलोड करती है। यूट्यूब के नंबर टेन चैनल के मुताबि‍क 20 फीसद पुरुष काम के दौरान पॉर्न देखते हैं। 
 
इतना ही नहीं, इंटरनेट पर पॉर्न देखने वालों में से 25 से 33 फीसद महि‍लाएं हैं। अब ये दीगर बात है कि सिर्फ दो फीसद महि‍लाएं ही पॉर्न वेबसाइट पर वीडि‍यो देखने के लि‍ए फीस देती हैं। अब यह जानना और भी दि‍लचस्‍प होगा कि पॉर्न फि‍ल्‍मों में काम करने वाली महि‍लाएं उन फि‍ल्‍मों के हीरो से कहीं ज्‍यादा पैसे पाती हैं। पॉर्न के एक सीन के लि‍ए उन्‍हें 600 से 1000 डॉलर तक मि‍लता है, जबकि पुरुषों को एक सीन के लि‍ए 150 डॉलर से भी कम मि‍लता है। 
 
पॉर्न इंडस्‍ट्री के बारे में अभी और भी कई ऐसी बाते हैं जो आपको आश्‍चर्यचकि‍त कर देंगी। नंबर टेन चैनल के मुताबि‍क पॉर्न इंडस्‍ट्री से जुड़े 80 फीसद लोगों को आम लोगों की तुलना में यौन रोग नहीं होते हैं। ऐसा तब हो रहा है, जब पॉर्न इंडस्‍ट्री में कंडोम का कम से कम प्रयोग होता है। पॉर्न इंडस्‍ट्री का अमेरि‍का में इतना जलवा है कि वहां के राजनीति‍ज्ञ भी इस इंडस्‍ट्री के खि‍लाफ कोई कड़ा कानून बनाने से डरते हैं। पि‍छले चुनाव में ओबामा को पॉर्न इंडस्‍ट्री ने अपने सपोर्ट के लि‍ए वोट भी दि‍या था
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