राजस्थान के झालावाड जिले के मेडिकल कोलेज की प्राचार्या डोक्टर सुषमा
पांडे दुसरे सहयोगी चिकत्सकों के खिलाफ वर्ष दो हज़ार आठ में नियुक्ति
घोटाला करने के मामले में कोटा जिला न्यायलय के आदेश पर भ्रष्टाचार निरोधक
विभाग में मुकदमा दर्ज हुआ है ...........डॉक्टर सुषमा पांडे और दुसरे
घोटालेबाज साथियों के खिलाफ कोटा के अब्दुल सलाम शेरवानी ने सभी तथ्य पेश
कर नियुक्तियों में मनमानी और घोटाले भ्रष्टाचार फेला कर नियुक्तिया देने
के मामले में कोटा भ्रष्टाचार निरोधक न्यायलय के जरिये एडवोकेट अख्तर खान
अकेला और आबिद अब्बासी को वकील कर मुकदमा दर्ज कराया था ..इस मामले में
झालावाड चोकी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक भ्रष्टाचार निरोधक विभाग नरेंद्र
कासठ ने प्राथमिक जांच की और पाया के डॉक्टर सुषमा पांडे डोक्टर पी के
गुप्ता ने वर्ष दो हजार साथ में की गयी भर्तियों में भरी घोटाला किया है
इसलियें नरेंदर कासठ अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक चोकी झालावाड ने इस मामले में
प्रथम सुचना रिपोर्ट एक सो सत्ताईस वर्ष दो ह्जार तेरह दर्ज कराई है और
चारा तेराह एक डी व् धारा तेरह पी सी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है
......परिवादी सलाम शेरवानी ने इस प्रथम सुचना रिपोर्ट की नक़ल के साथ
सम्बन्धित समाचार कोटा के सभी टी वी रिपोर्टर्स और अख़बारों के सम्पादकों को
व्यक्तिगत जाकर दी है लेकिन इस मामले में खबर सभी ने गोल कर दी है
.....फरियादी सलाम शेरवानी का खुला आरोप है के अभियुक्त डॉक्टर सुषमा पांडे
के अख़बारों से व्यवसायिक सम्बंध है और इसीलियें इस खबर को कोटा के अख़बारों
और टी वी रिपोर्टरों ने प्रकाशित प्रसारित नहीं की है जबकि अभियुक्त
डॉक्टर सुषमा पांडे इस मामले में राजनितिक प्रभाव और रुपयों के लेनदेन का
प्रभाव बनाकर मामला रफा दफा करवाने के प्रयासों में जुटी है यही कारन है के
अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया है ...............अख्तर खान अकेला
कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
10 मई 2013
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मुझको पहचानते कहाँ हैं लोग
रोज़ मैं चाँद बन के आता हूँ
दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ
खनखनाता हूँ माँ के गहनों में
हँसता रहता हूँ छुप के बहनों में
मैं ही मज़दूर के पसीने में
मैं ही बरसात के महीने में
मेरी तस्वीर आँख का आँसू
मेरी तहरीर जिस्म का जादू
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मुझको पहचानते नहीं जब लोग
मैं ज़मीनों को बे-ज़िया करके
आसमानों में लौट जाता हूँ
—
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मुझको पहचानते कहाँ हैं लोग
रोज़ मैं चाँद बन के आता हूँ
दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ
खनखनाता हूँ माँ के गहनों में
हँसता रहता हूँ छुप के बहनों में
मैं ही मज़दूर के पसीने में
मैं ही बरसात के महीने में
मेरी तस्वीर आँख का आँसू
मेरी तहरीर जिस्म का जादू
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मुझको पहचानते नहीं जब लोग
मैं ज़मीनों को बे-ज़िया करके
आसमानों में लौट जाता हूँ
—मुझको पहचानते कहाँ हैं लोग
रोज़ मैं चाँद बन के आता हूँ
दिन में सूरज सा जगमगाता हूँ
खनखनाता हूँ माँ के गहनों में
हँसता रहता हूँ छुप के बहनों में
मैं ही मज़दूर के पसीने में
मैं ही बरसात के महीने में
मेरी तस्वीर आँख का आँसू
मेरी तहरीर जिस्म का जादू
मस्जिदों-मन्दिरों की दुनिया में
मुझको पहचानते नहीं जब लोग
मैं ज़मीनों को बे-ज़िया करके
आसमानों में लौट जाता हूँ
हम तो लिखते
हम तो लिखते ना थे किसी ज़माने में
पर तेरी आश्की ने शायर बना दिया
दिल तो हसता आया है ज़माने से
पर इक पल तो तूने रुला दिया
जान फिर भी ना निकली इस दीवाने में से
क्योकि तेरे प्यार ने मुझे अमर बना दिया। —
पर तेरी आश्की ने शायर बना दिया
दिल तो हसता आया है ज़माने से
पर इक पल तो तूने रुला दिया
जान फिर भी ना निकली इस दीवाने में से
क्योकि तेरे प्यार ने मुझे अमर बना दिया। —
खो गए सारे शब्द
खो गए सारे शब्द
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल
वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार
रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
..........रश्मि शर्मा
देता नहीं कोई
एक आवाज भी अब
जबकि
जानता है वो
वही थी एक आवाज
मेरे जीने का संबल
वो जा बैठा है
दूर...इतनी दूर
जहां मेरा रूदन
वो सुनकर भी नहीं सुनता
ना ही
पलटकर देखता है कभी
एक बार
रेत के समंदर में
रोज उठता है
एक तूफान
मेरे वजूद को ढक लेती है
रेत भरी आंधियां....
आस भरी आंखों में अब है
रेत....केवल रेत
मिर्च सी भरी है आंखों में....अब रोउं भी तो कैसे....देखो जानां....एक तेरे न होने से क्या-क्या बदल जाता है.....
..........रश्मि शर्मा
उस दिन ट्रेन लेट होकर रात्रि 12 बजे पहुँची।
उस दिन ट्रेन लेट होकर रात्रि 12 बजे पहुँची।
बाहर एक
वृद्ध रिक्शावाला ही दिखा जिसे कई
यात्री जान बूझकर
छोड़ गए थे। एक बार मेरे मन में भी आया, इससे
चलना पाप
होगा,फिर मजबूरी में उसी को बुलाया, वह
भी बिना कुछ पूछे
चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद ओवरब्रिज की चढ़ाई थी, तब
जाकर पता चला, उसका एक ही हाथ था। मैंने
सहानुभूतिवश पूछा, ‘‘एक
हाथ से रिक्शा चलाने में बहुत
ही परेशानी होती होगी?’’
‘‘बिल्कुल नहीं बाबूजी, शुरू में कुछ दिन हुई थी।’’
रात के सन्नाटे में वह एक ही हाथ से
रिक्शा खींचते हुए पसीने–
पसीने हो रहा था । मैंने पूछा, ‘एक हाथ
की क्या कहानी है?’’
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह बोला, ‘‘गाँव में
खेत के बँटवारे में रंजिश हो गई, वे लोग दबंग और
अपराधी स्वभाव के थे,
मुकदमा उठाने के लिए दबाव डालने लगे।’’
वह कुछ गम्भीर हो गया और आगे की बात बताने से
कतराने
लगा, किन्तु मेरी उत्सुकता के आगे वह विवश
हो गया और
बताया, ‘‘एक रात जब मैं खलिहान में सो रहा था,
जान मारने
की नीयत से मुझ पर वार किया गया। संयोग से
वह गड़ासा गर्दन पर गिरने के बजाए हाथ पर
गिरा और वह कट
गया।’’
‘‘क्या दिन की मजदूरी से काम नहीं चलता जो इस
उम्र में रात
में रिक्शा चला रहे हो?’’ मुझे उस पर दया आई।
‘‘रात्रि में भीड़ कम होती है जिससे
रिक्शा चलाने में
आसानी होती है।’’ उसने धीरे से कहा।
उसकी विवशता समझकर घर पर मैंने पाँच रूपए के
बजाए दस रुपए
दिए। सीढि़याँ चढ़कर
दरवाजा खुलवा ही रहा था कि वह
भी हाँफते हुए पहुँचा और पाँच रुपए का नोट वापस
करते हुए
बोला, ‘‘आपने ज्यादा दे दिया था।’’
‘‘आपकी अवस्था देखकर और रात की मेहनत सोचकर
कोई
अधिक नहीं है, मैं खुशी से दे रहा हूँ।’’ उसने जवाब
दिया, ‘‘मेरी प्रतिज्ञा है एक हाथ के रहते हुए
भी दया की भीख नहीं लूँगा, तन ही बूढ़ा हुआ है
मन नहीं।’’
मुझे लगा पाँच रुपए अधिक देकर मैंने उसका अपमान
कर
दिया है।
बाहर एक
वृद्ध रिक्शावाला ही दिखा जिसे कई
यात्री जान बूझकर
छोड़ गए थे। एक बार मेरे मन में भी आया, इससे
चलना पाप
होगा,फिर मजबूरी में उसी को बुलाया, वह
भी बिना कुछ पूछे
चल दिया।
कुछ दूर चलने के बाद ओवरब्रिज की चढ़ाई थी, तब
जाकर पता चला, उसका एक ही हाथ था। मैंने
सहानुभूतिवश पूछा, ‘‘एक
हाथ से रिक्शा चलाने में बहुत
ही परेशानी होती होगी?’’
‘‘बिल्कुल नहीं बाबूजी, शुरू में कुछ दिन हुई थी।’’
रात के सन्नाटे में वह एक ही हाथ से
रिक्शा खींचते हुए पसीने–
पसीने हो रहा था । मैंने पूछा, ‘एक हाथ
की क्या कहानी है?’’
थोड़ी देर की चुप्पी के बाद वह बोला, ‘‘गाँव में
खेत के बँटवारे में रंजिश हो गई, वे लोग दबंग और
अपराधी स्वभाव के थे,
मुकदमा उठाने के लिए दबाव डालने लगे।’’
वह कुछ गम्भीर हो गया और आगे की बात बताने से
कतराने
लगा, किन्तु मेरी उत्सुकता के आगे वह विवश
हो गया और
बताया, ‘‘एक रात जब मैं खलिहान में सो रहा था,
जान मारने
की नीयत से मुझ पर वार किया गया। संयोग से
वह गड़ासा गर्दन पर गिरने के बजाए हाथ पर
गिरा और वह कट
गया।’’
‘‘क्या दिन की मजदूरी से काम नहीं चलता जो इस
उम्र में रात
में रिक्शा चला रहे हो?’’ मुझे उस पर दया आई।
‘‘रात्रि में भीड़ कम होती है जिससे
रिक्शा चलाने में
आसानी होती है।’’ उसने धीरे से कहा।
उसकी विवशता समझकर घर पर मैंने पाँच रूपए के
बजाए दस रुपए
दिए। सीढि़याँ चढ़कर
दरवाजा खुलवा ही रहा था कि वह
भी हाँफते हुए पहुँचा और पाँच रुपए का नोट वापस
करते हुए
बोला, ‘‘आपने ज्यादा दे दिया था।’’
‘‘आपकी अवस्था देखकर और रात की मेहनत सोचकर
कोई
अधिक नहीं है, मैं खुशी से दे रहा हूँ।’’ उसने जवाब
दिया, ‘‘मेरी प्रतिज्ञा है एक हाथ के रहते हुए
भी दया की भीख नहीं लूँगा, तन ही बूढ़ा हुआ है
मन नहीं।’’
मुझे लगा पाँच रुपए अधिक देकर मैंने उसका अपमान
कर
दिया है।
चर्ख़ से कुछ उम्मीद थी ही नहीं
चर्ख़ से कुछ उम्मीद थी ही नहीं
आरज़ू मैं ने कोई की ही नहीं
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
चाहता था बहुत सी बातों को
मगर अफ़सोस अब वो जी ही नहीं
जुरअत-ए-अर्ज़-ए-हाल क्या होती
नज़र-ए-लुत्फ़ उस ने की ही नहीं
इस मुसीबत में दिल से क्या कहता
कोई ऐसी मिसाल थी ही नहीं
आप क्या जानें क़द्र-ए-'या-अल्लाह'
जब मुसीबत कोई पड़ी ही नहीं
शिर्क छोड़ा तो सब ने छोड़ दिया
मेरी कोई सोसाइटी ही नहीं
पूछा ‘अकबर’ है आदमी कैसा
हँस के बोले वो आदमी ही नहीं
-अकबर इलाहाबादी
चर्ख़ से कुछ उम्मीद थी ही नहीं
आरज़ू मैं ने कोई की ही नहीं
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
चाहता था बहुत सी बातों को
मगर अफ़सोस अब वो जी ही नहीं
जुरअत-ए-अर्ज़-ए-हाल क्या होती
नज़र-ए-लुत्फ़ उस ने की ही नहीं
इस मुसीबत में दिल से क्या कहता
कोई ऐसी मिसाल थी ही नहीं
आप क्या जानें क़द्र-ए-'या-अल्लाह'
जब मुसीबत कोई पड़ी ही नहीं
शिर्क छोड़ा तो सब ने छोड़ दिया
मेरी कोई सोसाइटी ही नहीं
पूछा ‘अकबर’ है आदमी कैसा
हँस के बोले वो आदमी ही नहीं
-अकबर इलाहाबादी
आरज़ू मैं ने कोई की ही नहीं
मज़हबी बहस मैं ने की ही नहीं
फ़ालतू अक़्ल मुझ में थी ही नहीं
चाहता था बहुत सी बातों को
मगर अफ़सोस अब वो जी ही नहीं
जुरअत-ए-अर्ज़-ए-हाल क्या होती
नज़र-ए-लुत्फ़ उस ने की ही नहीं
इस मुसीबत में दिल से क्या कहता
कोई ऐसी मिसाल थी ही नहीं
आप क्या जानें क़द्र-ए-'या-अल्लाह'
जब मुसीबत कोई पड़ी ही नहीं
शिर्क छोड़ा तो सब ने छोड़ दिया
मेरी कोई सोसाइटी ही नहीं
पूछा ‘अकबर’ है आदमी कैसा
हँस के बोले वो आदमी ही नहीं
-अकबर इलाहाबादी
राजा ने खाया धोखा, लिखीं स्त्री के सौंदर्य से जुड़ी आंखें खोल देने वाली ये बातें!
प्रेम को जानने-समझने के कई पहलू हो सकते हैं। अगर धर्म के नजरिए से गौर करें तो सत्य, प्रेम की भावना और प्रेम, क्षमा भाव को बढ़ाता है। वहीं प्रेम की गहराई को इस आसान तरीके से भी समझाया गया है कि प्रेम जब शरीर तक रहे तो वासना बन जाता है। मन तक पहुंचे तो भावना बन जाता है और आत्मा को छू ले तो साधना बन जाता है।
आज के दौर में जबकि आए दिन स्त्री पर अपराध या प्रेम में असफलता से उपजी निराशा और बदले की भावना से घात या आत्मघात के प्रसंग सामने आते रहते हैं। ऐसे में हिन्दू धर्म संस्कृति और इतिहास से स्त्री प्रेम से जुड़े कई प्रसंग न केवल ज़िंदगी से जुड़ी बातों और सच्चाइयों को नजदीक से समझने और जानने का नजरिया देते हैं, बल्कि उनमें समाया गूढ़ ज्ञान कई उलझनों से बचने और निपटने का तरीका भी उजागर करता हैं।
इसी कड़ी में सदियों पहले उज्जयिनी (वर्तमान उज्जैन ) के न्यायप्रिय राजा विक्रमादित्य (जिनके नाम से ही हिन्दू वर्ष विक्रम संवत पुकारा जाता है) के बड़े भाई का स्त्री के मोह और प्रेम में जकड़कर धोखा खाना और फिर राजा होकर भी प्रतिशोध के बजाए क्षमा भाव के साथ स्त्री प्रेम को आत्मज्ञान के रूप में जीवन में उतार, स्त्री और उसके सौदर्य से जुड़ी कई आंखे खोल देने वाली बातें उजागर करना रोचक होने के साथ ही केवल स्त्री मोह व आकर्षण में उलझकर पतन के रास्ते पर न जाने की नसीहत भी है।
सदियों पुरानी उनकी प्रसिद्ध किताब में समाई ये बातें हिन्दू धर्म और साहित्य का अहम अंग है। जानिए कौन थे राजा विक्रमादित्य के बड़े भाई? और सदियों पुरानी उनकी किताब में समाई स्त्री व उसके सौदर्य से जुड़ी वे बातें, जिनको केवल ऊपरी तौर पर विचार करने वाले कई लोग भोग-विलासी बातें मानते हैं, वहीं विद्वानों के मुताबिक ये बातें इंसानी मन व जीवन की बुनियादी सच्चाई हैं –
राजा विक्रमादित्य के ये बड़े भाई थे – राजा भर्तृहरि। राजा भर्तृहरि न्याय, नीति, धर्मशास्त्र, भाषा, व्याकरण के विद्वान होने के साथ प्रजा और प्रकृति को भी चाहने वाले थे। वे धर्म विरोधियों को कड़ी सजा देने से नही चूकते थे। वे धर्मनिष्ठ, दार्शनिक व अमरयोगी भी माने जाते हैं। लेकिन वैरागी होने के पीछे उनके जीवन का यह अहम प्रसंग जुड़ा है –
राजा भर्तृहरी ज्ञानी और 2 पत्नियां होने के बावजूद भी पिंगला नाम की अति सुंदर राजकुमारी पर मोहित हुए। राजा ने पिंगला को तीसरी पत्नी बनाया। पिंगला के रूप-रंग पर आसक्त राजा विलासी हो गए। यहां तक कि वे पिंगला में मोह में उसकी हर बात को मानते और उसके इशारों पर काम करने लगे। किंतु इसका फायदा उठाकर पिंगला भी व्यभिचारी हो गई और घुड़साल के रखवाले से ही प्रेम करने लगी। आसक्त राजा इस बात और पिंगला के बनावटी प्रेम को जान ही नहीं पाए।
जब छोटे भाई विक्रमादित्य को यह बात मालूम हुई और उन्होंने बड़े भाई के सामने इसे जाहिर किया। तब भी राजा ने पिंगला की चालाकी से रची बातों पर भरोसा कर विक्रमादित्य के चरित्र को ही गलत मान राज्य से निकाल दिया।
इस बात के बरसों बाद पिंगला की चरित्रहीनता तब उजागर हुई जब एक तपस्वी ब्राह्मण ने घोर तपस्या से देवताओं से वरदान में मिला अमर फल (जिसे खाने वाला अमर हो जाता है) राजा को अमर करने की इच्छा से भेंट किया। आसक्त राजा ने इसे पिंगला को दे दिया, ताकि वह लंबे वक्त तक रूप व सौंदर्य का सुख भोग सके। किंतु पिंगला ने उसे घुडसाल के रखवाले को दे दिया। उस रखवाले ने उस वैश्या को दे दिया, जिससे वह प्रेम करता था।
वैश्या यह सोचकर कि इस अमर फल को खाने से ज़िंदगीभर वह पाप कर्म में डूबी रहेगी, वह राजा को यह कहकर भेंट करने लगी कि आप के अमर होने से प्रजा भी लंबे वक्त तक सुखी रहेगी।
राजा भर्तृहरि के पिंगला को दिए उस फल को वैश्या के पास देख होश उड़ गए। उनको भाई की बातें और पिंगला का विश्वासघात समझ में आ गया। राजा भर्तृहरि की आंखे खुलीं और पिंगला के लिए घृणा भी जागी। फिर भी पिंगला व उस रखवाले को सजा न देकर वे स्त्री और संसार को लेकर विरक्त हो गए। फौरन सारा राज-पाट छोड़ दिया।
आत्मज्ञान की स्थिति में राजा भर्तृहरि ने भर्तृहरि शतक ग्रंथ में समाए "श्रृंगार शतक" के जरिए सौंदर्य खासतौर पर स्त्री सौंदर्य से जुड़ी वे पहलू उजागर किए, जिनको कोई मनुष्य नकार नहीं सकता।
स्मितेन भावेन च लज्जया भिया
परांमुखैरर्द्ध कटाक्ष वीक्षणैः।
वचोभिरीर्ष्या कलहेन लीलया।
समस्त भावैः खलु बन्धानं स्त्रियः।।
सरल शब्दों में मतलब है कि स्त्री की मोहित करने वाली हल्की हंसी, शरमाना, शिकायत के भाव से नजरें फेरना, मीठे बोल या फिर तानों से भरी बात ही व तरह-तरह के हाव-भाव किसी भी सांसारिक व्यक्ति को बंधन में बांध देते हैं या मोह जाल में फंसा लेते हैं।
गाड़ी कुर्क करने गए, जब नहीं लगी हाथ तो कुर्सी ले लाए साथ
उदयपुर। अदालत के 1 लाख 51 हजार रुपए के डिक्री आदेश की पालना न
करने पर गुरुवार को लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य अभियंता (एडिशनल
चीफ इंजीनियर) की कुर्सी कुर्क कर ली गई। एडीजे-4 अदालत के डिक्री आदेश की
पालना न करने व लंबे समय से टालमटोल करने पर कोर्ट के सेल अमीन के.एस.झाला
ने अतिरिक्त मुख्य अभियंता की कुर्सी कुर्क करने की कार्रवाई की।
अदालत सूत्रों के अनुसार हेमा कंस्ट्रक्शन कंपनी के हरीश गौरव ने लोक
निर्माण विभाग प्रबंधन के खिलाफ 27 जुलाई 2009 को 1 लाख 51 हजार रुपए अमानत
राशि व 30 हजार रुपए ब्याज दिलाने का दावा एडीजे 4 की अदालत में पेश किया
था। अदालत ने प्रार्थी का दावा सही मानकर 6 अगस्त 2012 को लोक निर्माण
विभाग के खिलाफ डिक्री आदेश जारी किया था। अदालत के आदेश की पालना में सेल
अमीन झाला 26 अप्रैल को गुलाबबाग स्थित लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त
मुख्य अभियंता कार्यालय गए थे।
विभाग द्वारा 10 दिन की मोहलत मांगी गई थी। 9 मई दोपहर 12 बजे सेल
अमीन फिर अतिरिक्त मुख्य अभियंता के दफ्तर गए। अतिरिक्त मुख्य अभियंता के न
मिलने पर उनकी सरकारी गाड़ी कुर्क करने की योजना बनाई गई। गाड़ी भी
कार्यालय में दिखाई न देने पर सेल अमीन ने निजी सहायक व अन्य अधिकारियों की
मौजूदगी में कुर्सी कुर्क कर ली।
यह है मामला
प्रतापगढ़ जिले में सड़क निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने निविदा
प्रकाशित कराई थी। निविदा में अंकित राशि के अक्षरों तथा शब्दों की छपाई
में अंतर था। मेसर्स हेमा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने भी निविदा भरी थी। अमानत
राशि लौटाने के दौरान विभाग ने शब्दों के बजाए अक्षरों को सही मानते हुए
हेमा कंस्ट्रक्शन का 1 लाख 51 हजार रुपए अमानत राशि का भुगतान नहीं किया
था। अदालत ने 1 लाख 51 हजार की डिक्री लोक निर्माण विभाग पर करते हुए 30
हजार रुपए ब्याज भी देने के आदेश दिए थे।
ऐसे हुई कुर्सी की कुर्की
कोर्ट के सेल अमीन के.एस.झाला लोक निर्माण विभाग के अतिरिक्त मुख्य
अभियंता की सरकारी संपत्ति कुर्क करने उनके कार्यालय पहुंचे। झाला के साथ
डिक्री धारी हेमा कंस्ट्रक्शन के हरीश गौरव भी थे। सेल अमीन ने अतिरिक्त
मुख्य अभियंता की कुर्सी कुर्क कर मौतबिर मोहम्मद जुनैद को सुपुर्द कर दी।
उन्हें वह कुर्सी अदालत में पेश करने की हिदायत दी गई। अतिरिक्त मुख्य
अभियंता अदालत से कुर्सी रिलीज करने पर ही बैठ सकेंगे।
वार्ड पंच को महिला सदस्यों ने चप्पलों से धुना, वोटिंग के दौरान पाला बदलने का आरोप
कुंभलगढ़/उदयपुर. केलवाड़ा उप सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद गुस्साई महिला वार्ड पंचों ने पाला बदलने वाले वार्ड पंच की चप्पलों से धुनाई कर दी। वार्ड पंच की धुनाई करने वाली महिला पंचों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई हैं।
शुक्रवार को केलवाड़ा उप सरपंच मनोहर टॉक के खिलाफ पंचायत के दस वार्ड पंचों की ओर से एक माह पहले लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर उपखण्ड अधिकारी गोविंद सिंह राणावत के निर्देशन में वोटिंग हुई।
इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हुई। इसमें सरपंच सहित कुल 9 वार्ड पंचों ने भाग लिया, जबकि तीन वार्ड पंच नदारद रहे। वोटिंग के दौरान दो वार्ड पंचों ने उपसरपंच के पक्ष में और सात वार्ड पंचों ने खिलाफ मतदान किया। इससे उपसरपंच के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया।
अविश्वास प्रस्ताव गिरते ही उप सरपंच मनोहर टॉक ज्यों ही पंचायत से बाहर आए, उनके समर्थन में बाहर खड़े पंचायत समिति सदस्य, मेवाड़ युवा मंडल अध्यक्ष किशन पालीवाल, शक्ति सिंह, अरविंद उपाध्याय, सोहनलाल टॉक, देवी सिंह सहित अन्य समर्थकों ने माला पहनाकर स्वागत किया और चारभुजा नाथ के जयकार लगाए।
इधर, उप सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव गिरने और वार्ड पंच प्रवीण उर्फ रिंकू बायती के अचानक पाला बदलने से नाराज महिला वार्ड पंच पार्वती और कैलाश देवी बायती ने पंचायत भवन के बाहर रिंकू की चप्पल से धुनाई शुरू कर दी।
इस दौरान रिंकू बायती ने दोनों महिला वार्ड पंचों के खिलाफ मौके पर ही उपस्थित पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट दर्ज कराई। गौरतलब है कि अविश्वास प्रस्ताव के दौरान पंचायत भवन के बाहर भारी मात्रा में पुलिस जाप्ता चारभुजा थाना अधिकारी मांगीलाल डांगी व सहायक उप निरीक्षक करण सिंह के नेतृत्व में तैनात था।
हवलदार ने बलि देने के लिए दो बच्चियों को किया किडनैप, मंदिर से मिले कंकाल
धनबाद/रांची। अंधी आस्था के नाम पर जान देने और लेने से जुड़ी एक नई घटना सामने आई है। आरपीएफ हवलदार मुनीलाल पर गुरुवार को बलि देने के मकसद से दो सगी बहनों का अपहरण करने का आरोप लगा। छह और चार साल की ये बच्चियां रांगाटांड़ खटाल निवासी उमेश यादव की बेटियां हैं।
हवलदार अपने रांगाटांड़ स्थित रेलवे क्वार्टर में दोनों के हाथ-पैर बांधकर उनकी पूजा कर रहा था। तंत्र-मंत्र की ध्वनि गूंज रही थी। इससे पहले कि वह अपने मकसद में सफल होता, बच्चियों की तलाश करते हुए उनके परिजन वहां पहुंच गए। उन्हें अपने घर में देख हवलदार ने त्रिशूल से हमला कर दिया।
इससे बच्चियों के दादा राजनाथ यादव और पिता उमेश यादव जख्मी हो गए। परिजनों ने किसी तरह हवलदार को पकड़ लिया और पिटाई कर सदर थाने की पुलिस को सौंप दिया। वह नशे में था। बच्चियों के परिजनों ने अगवा कर हत्या की कोशिश की एफआईआर दर्ज कराई है। आरपीएफ ने भी परिजनों के खिलाफ मारपीट की शिकायत दर्ज कराई है।
हवलदार के घर से नरकंकाल बरामद हुए हैं। दो बच्चियां मुक्त की गईं। बच्चियों के परिजनों के मुताबिक, उनकी बलि चढ़ाने की तैयारी की जा रही थी। दोनों पक्षों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
मां की ममता या फिर अफसोस, हत्या के बाद 19 दिन छुपाए रखा लाश
लुधियाना। मॉडल टाउन में एक मां ने अपनी 4 साल की बेटी की हत्या कर दी। घटना के 19 दिन तक महिला ने हत्या का राज छिपाए रखा। लेकिन बदबू आने के बाद शुक्रवार को बच्ची का शव बरामद हुआ। बेटी की हत्या के बाद मां ने 5 बार आत्महत्या की कोशिश की। आत्महत्या के अंतिम प्रयास में उसकी एक टांग कट गई। महिला डीएमसी अस्पताल में भर्ती है।
मरने वाली बच्ची जसकरण सिंह की बेटी जसमाइला है। आरोपी महिला हरसिमरनजीत कौर है। जसकरण सिंह गुज्जर की पांच साल पहले ही शादी हुई थी। दहेज की मांग को लेकर हरसिमरनजीत ने दिसंबर 2012 में जसकरण पर थाना वुमन में केस दर्ज कराया था। दो महीने पहले जसकरण घर छोड़ कर मॉडल टाउन के आर-100 नंबर में पत्नी व बेटी के साथ रहने लगा।
17 अपै्रल को घर से चला गया था जसकरण : इंस्पेक्टर दविंदर चौधरी ने बताया कि झगड़ा निपटाने के लिए १७ अप्रैल को दोनों परिवारों ने शिअद नेता मदन लाल बग्गा के घर में मीटिंग रखी। मगर हरसिमरनजीत व उसके रिश्तेदारों के आने से आपस में तू-तू मैं-मैं हो गई। नाराज जसकरण घंटाघर के एक होटल में आ गया।
उसके बाद वह घर नहीं लौटा। 21 अप्रैल को हरसिमरनजीत ने दीवार पर सुसाइड नोट लिखा। इसमें उसकी और उसकी बेटी की मौत का जिम्मेदार जेठ जसमीत सिंह उर्फ सोनू बत्रा, जेठानी पुश्पिंदर कौर उर्फ गुडिय़ा बत्रा व जेठानी का भाई आशु को ठहराया। उसके बाद उसने रोशन दान से दो फंदे बनाकर एक बेटी के गले में डाल दिया व दूसरे से खुद झूल गई।
हरसिमरनजीत के पैर जमीन पर लग गए। मगर बेटी की मौत हो गई। उसने पंखे के साथ फिर से फंदा लगाया। मगर फंदा टूट गया। तीसरी बार आग लगाकर मरने की कोशिश की। चौथी बार उसने सल्फॉस निगल लिया। हालत बिगडऩे पर दीप अस्पताल में जाकर भर्ती हो गई।
अगले दिन जब पुलिस उसका बयान लेने पहुंची तो बहाने बनाती रही। 25 अप्रैल को हरसिमरत चुपचाप अस्पताल से निकल गई। पक्खोवाल रोड पर विकास नगर रेलवे लाइन पर रेल गाड़ी के सामने कूद कर उसने आत्महत्या की कोशिश की। मगर वहां भी उसकी किस्मत दगा दे गई। एक राहगीर ने उसे ट्रेन के नीचे आने से बचा लिया। मगर उसकी एक टांग कट गई। घटना के बाद हरसिमरनजीत के परिवार ने समझौता करने के एवज में जसकरण के परिवार से 60 लाख मांगने शुरू कर दिए।
महिला को घर से उठाया, कपड़े उतारे, पेड़ से टांगा और सरेआम की पिटाई
कमरेवाला गांव में सात लोगों ने एक महिला के घर में घुसकर हमला किया। बदमाशों ने गाली गलौच के बाद महिला से मारपीट की। बाद में उसके कपड़े फाड़ कर पेड़ से बांध दिया। ग्रामीणों ने महिला को हमलावरों के चंगुल से छुड़ाया। पुलिस फरार बदमाशों को गिरफ्तार करने के लिए छापेमारी कर रही है। महिला ने सिटी पुलिस को बताया कि बुधवार रात को वह घर पर अकेली थी तभी ये वारदात घटी।
रेल और कानून मंत्री का इस्तीफा : बंसल ने खुद पुष्टि की, अश्वनी पिछले दरवाजे से निकले
नई दिल्ली. आखिरकार केंद्र सरकार के दोनों दागी मंत्रियों की
छुट्टी हो ही गई। रेलमंत्री पवन कुमार बंसल और कानून मंत्री अश्वनी कुमार
ने शुक्रवार रात करीब नौ बजे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपना इस्तीफा
सौंप दिया।
इससे पहले शुक्रवार शाम को सियासी घटनाक्रम तेजी से घूमा। बंसल की
विदाई तभी तय लगने लगी थी, जब सोनिया गांधी प्रधानमंत्री से मिलने पहुंचीं।
चर्चा भी चली कि इस्तीफा हो गया है। लेकिन, पुष्टि किसी ने नहीं की। बाद
में करीब 8:30 बजे बंसल और अश्वनी प्रधानमंत्री निवास पहुंचे। आधे घंटे बाद
बंसल बाहर निकले।
पत्रकारों ने पूछा-क्या इस्तीफा दे दिया? तो बंसल बोले यस और चले गए।
इसके आधा घंटे बाद अश्वनी अंदर से निकले और पिछले दरवाजे से चले गए। कोई
35 से 40 मिनट बाद अधिकृत रूप से एलान कर दिया गया कि कानून मंत्री से भी
इस्तीफा ले लिया गया है।
कर्नाटक में सीएम बनने से चूके मल्लिकाजरुन खड़गे या सीपी जोशी
रेलमंत्री बन सकते हैं। वहीं, मनीष तिवारी या कपिल सिब्बल को कानून
मंत्रालय सौंपा जा सकता है। फेरबदल 22 मई से पहले हो सकता है।
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