राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थकों सावधान हो जाओ राजस्थान मे अशोक गहलोत में फिर से कोंग्रेस की सरकार के बनते आसारों से कोंग्रेस के आस्तीन के सांप एक बार फिर सक्रिय हो गए है और अब वोह पुरे राजस्थान में योजनाबद्ध तरीके से कोंग्रेस और खासकर अशोक गहलोत उनके समर्थकों के खिलाफ कुप्रचार कर कोंग्रेस की सरकार नहीं बने इस जुगत में लग गये है ...अशोक गहलोत की सादगी ..ईमानदारी और निरंतर बन रही स्वच्छ छवि से वोह तो आम जनता के बीच में लोकप्रियता हांसिल कर रहे है कोंग्रेस का परचम बुलंद कर रहे है और गरीबों पीड़ितों के मसीहा बनकर एक बार फिर राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार बनाने की कामयाब कोशिशों में जुटे है ...सभी जानते है के अल्पमत में रहकर किन विकट परिस्थितियों में तलवार की धार पर चलकर अशोक गहलोत ने पुरे पांच साल सरकार चलाइये और फ्लेगशिप योजना से लेकर स भी योजनाओं को लेकर कोंग्रेस को जिंदाबाद किया है ...सी पी जोशी को भरपूर सम्मान देने के बाद भी वोह अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आये ..कर्नल सोनाराम हो चाहे दुसरे लोग हो अशोक गहलोत को हीरो बनता देख मन ही मन कुड़ते रहे है और कीड़ों की तरह से कुलबुला रहे है ..गहलोत के पास अशोक गहलोत खुद के आलावा केवल शान्तिकुमार धारीवाल और डोक्टर जितेन्द्र सिंह के आलावा जीरों मंत्री रहे है ऐसे में भी जब उनके बनाये हुए बोर्ड कोर्पोरेशन के लोग जनता को गहलोत के खिलाफ करने में लगे हो तब गहलोत ने सरकार की छवि सुधारने और विपक्ष भाजपा खुद कोंग्रेस के विरोधियों को जवाब देने के लियें संदेश यात्रा का जो दोर शुरू किया उससे प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष के साथ कोंग्रेस एक जुट लगी है और कोंग्रेस जनता के सामने एक बार फिर हीरो बनकर उभर रही है ...बस गहलोत का नेतृत्व फिर से राजस्थान में सरकार न बना ले इसीलियें कोंग्रेस के कुछ गद्दार आस्तीन के सांप सक्रीय हो गए है वोह खाते कोंग्रेस की है लेकिन बजा अभी भाजपा की रहे है इतना ही नहीं सरकारी तन्त्र भी उनकी मदद कर रहा है राजस्थान की विजिलेंस और पुसी आई डी रिपोर्ट जिलेवार सरकार के पास सही नहीं पहुंचाई जा आरही है कई मामलों में अशोक गहलोत को गुमराह किया जा रहा है और जिले के एस पी कलेक्टर कुछ स्थानों पर तो आल इस वेळ की फर्जी और झूंठी रिपोर्टें भेज रहे है ऐसे में गहलोत को जब शिकायतों का पता ही नहीं तो समाधान केसे होगा और जो जनता गहलोत के नेत्रत्व में कोग्न्रेस से जुड़ रही है वोह कोंग्रेस से अलग होती जायेगी बस यही मामला राजस्थान के आस्तीन के सांप आकर रहे है कोटा में तीन माह से भी अधिक समय से वकील हड़ताल पर है सही मायनों में सरकार की छवि बिगड़ रही है लेकिन सरकार के पास आल इस वेल की झूंठी रिपोर्टें पहुंचाई जा रही है पहले तो सभी प्रयासों के बाद भी मुख्यमंत्री से वकील मुलाक़ात नहीं कर सके जब कोटा के सांसद इजय्राज सिंह ने मुलाक़ात कराई और काफी हद तक बात बनती नज़र आई तो कोटा में हडताल खत्म ना होजाए इसके लियें कोंग्रेस का एक गुट सक्रिय हो गया कोटा में वकीलों की हड़ताल खत्म ना हो मुख्यमंत्री का गुणगान ना हो इसके लियें इस खास कोंग्रेसी गुट ने पूरी जान लगाकर कोटा में हडताल खत्म करने का विरोध किया और फिर हड़ताल यथावत है कोई कुछ भी कहे लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारन कोटा के वकीलों की हड़ताल सरकार और कोंग्रेस के तो खिलाफ माहोल बना ही रही है ऐसे उदाहरण कोटा में ही नहीं पुरे राजस्थान में चल रहे आंदोलनों और उनके समाधान के मिल जायेंगे इसलियें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों और खुद अशोक गहलोत को अपनी छवि बचाने और सरकार फिर से बनाने के लियें आस्तीन के सापों से सावधान रहने की जरूरत है और सरकारी रिपोर्टों से अलग हठ कर हर जिले हर कस्बे हर विधानसभा क्षेत्र में अपने वफादारों की टीम तय्यार करना चाहिए ताकि सरकार और सरकार के मंत्रियों की रिपोर्टों को क्रोस टेली कर समस्याओं का समाधान वक्त पर हो सके और इस नाज़ुक मोड़ पर जनता को सरकार के खिलाफ होने सरकार से नाराज़ होने से बचाया जा सके अगर कोटा के वकीलों के आन्दोलन को मुख्यमंत्री ने गम्भीरता से नहीं लिया और राजस्थान में चल रहे ऐसे कई आन्दोलन के मामले में मुख्यमंत्री जी आल इस वेळ की फर्जी रिपोर्टों को ख़ारिज करे और खुद अपने वफादारों की सूचि बनाकर उनसे रिपोर्ट मंगवाए तभी आस्तीन के संपो की नाक में नकेल डल सकेगी और कोग्न्रेस की सरकार एक बार फिर बन सकेगी वरना यह आस्तीन के सांप झूंठी खबरे और अफवाहों के अधर पर जनता को कोंग्रेस के खिलाफ भड़काने में कोई कसार नहीं छोड़ रहे है और इससे निश्चित तोर पर कोंग्रेस जीती हुई बाज़ी हार जाएगी हार जायेगी देखते है अशोक गहलोत और उनके समर्थक इस सच को गहलोत तक पहुचाते है या फिर उनके खिलाफ कोंग्रेसियों कोंग्रेस के आस्तीन के सांपो से मिलकर इस खबर को उन तक पहुँचाने से गुरेज़ करते है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
12 मई 2013
अशोक गहलोत विरोधी और कोंग्रेस के आस्तीन के सांप नहीं चाहते के गहलोत के नेतृत्व में फिर से कोंग्रेस की सरकार बने
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके समर्थकों सावधान हो जाओ राजस्थान मे अशोक गहलोत में फिर से कोंग्रेस की सरकार के बनते आसारों से कोंग्रेस के आस्तीन के सांप एक बार फिर सक्रिय हो गए है और अब वोह पुरे राजस्थान में योजनाबद्ध तरीके से कोंग्रेस और खासकर अशोक गहलोत उनके समर्थकों के खिलाफ कुप्रचार कर कोंग्रेस की सरकार नहीं बने इस जुगत में लग गये है ...अशोक गहलोत की सादगी ..ईमानदारी और निरंतर बन रही स्वच्छ छवि से वोह तो आम जनता के बीच में लोकप्रियता हांसिल कर रहे है कोंग्रेस का परचम बुलंद कर रहे है और गरीबों पीड़ितों के मसीहा बनकर एक बार फिर राजस्थान में कोंग्रेस की सरकार बनाने की कामयाब कोशिशों में जुटे है ...सभी जानते है के अल्पमत में रहकर किन विकट परिस्थितियों में तलवार की धार पर चलकर अशोक गहलोत ने पुरे पांच साल सरकार चलाइये और फ्लेगशिप योजना से लेकर स भी योजनाओं को लेकर कोंग्रेस को जिंदाबाद किया है ...सी पी जोशी को भरपूर सम्मान देने के बाद भी वोह अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आये ..कर्नल सोनाराम हो चाहे दुसरे लोग हो अशोक गहलोत को हीरो बनता देख मन ही मन कुड़ते रहे है और कीड़ों की तरह से कुलबुला रहे है ..गहलोत के पास अशोक गहलोत खुद के आलावा केवल शान्तिकुमार धारीवाल और डोक्टर जितेन्द्र सिंह के आलावा जीरों मंत्री रहे है ऐसे में भी जब उनके बनाये हुए बोर्ड कोर्पोरेशन के लोग जनता को गहलोत के खिलाफ करने में लगे हो तब गहलोत ने सरकार की छवि सुधारने और विपक्ष भाजपा खुद कोंग्रेस के विरोधियों को जवाब देने के लियें संदेश यात्रा का जो दोर शुरू किया उससे प्रदेश कोंग्रेस अध्यक्ष के साथ कोंग्रेस एक जुट लगी है और कोंग्रेस जनता के सामने एक बार फिर हीरो बनकर उभर रही है ...बस गहलोत का नेतृत्व फिर से राजस्थान में सरकार न बना ले इसीलियें कोंग्रेस के कुछ गद्दार आस्तीन के सांप सक्रीय हो गए है वोह खाते कोंग्रेस की है लेकिन बजा अभी भाजपा की रहे है इतना ही नहीं सरकारी तन्त्र भी उनकी मदद कर रहा है राजस्थान की विजिलेंस और पुसी आई डी रिपोर्ट जिलेवार सरकार के पास सही नहीं पहुंचाई जा आरही है कई मामलों में अशोक गहलोत को गुमराह किया जा रहा है और जिले के एस पी कलेक्टर कुछ स्थानों पर तो आल इस वेळ की फर्जी और झूंठी रिपोर्टें भेज रहे है ऐसे में गहलोत को जब शिकायतों का पता ही नहीं तो समाधान केसे होगा और जो जनता गहलोत के नेत्रत्व में कोग्न्रेस से जुड़ रही है वोह कोंग्रेस से अलग होती जायेगी बस यही मामला राजस्थान के आस्तीन के सांप आकर रहे है कोटा में तीन माह से भी अधिक समय से वकील हड़ताल पर है सही मायनों में सरकार की छवि बिगड़ रही है लेकिन सरकार के पास आल इस वेल की झूंठी रिपोर्टें पहुंचाई जा रही है पहले तो सभी प्रयासों के बाद भी मुख्यमंत्री से वकील मुलाक़ात नहीं कर सके जब कोटा के सांसद इजय्राज सिंह ने मुलाक़ात कराई और काफी हद तक बात बनती नज़र आई तो कोटा में हडताल खत्म ना होजाए इसके लियें कोंग्रेस का एक गुट सक्रिय हो गया कोटा में वकीलों की हड़ताल खत्म ना हो मुख्यमंत्री का गुणगान ना हो इसके लियें इस खास कोंग्रेसी गुट ने पूरी जान लगाकर कोटा में हडताल खत्म करने का विरोध किया और फिर हड़ताल यथावत है कोई कुछ भी कहे लेकिन सरकार की हठधर्मिता के कारन कोटा के वकीलों की हड़ताल सरकार और कोंग्रेस के तो खिलाफ माहोल बना ही रही है ऐसे उदाहरण कोटा में ही नहीं पुरे राजस्थान में चल रहे आंदोलनों और उनके समाधान के मिल जायेंगे इसलियें मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के समर्थकों और खुद अशोक गहलोत को अपनी छवि बचाने और सरकार फिर से बनाने के लियें आस्तीन के सापों से सावधान रहने की जरूरत है और सरकारी रिपोर्टों से अलग हठ कर हर जिले हर कस्बे हर विधानसभा क्षेत्र में अपने वफादारों की टीम तय्यार करना चाहिए ताकि सरकार और सरकार के मंत्रियों की रिपोर्टों को क्रोस टेली कर समस्याओं का समाधान वक्त पर हो सके और इस नाज़ुक मोड़ पर जनता को सरकार के खिलाफ होने सरकार से नाराज़ होने से बचाया जा सके अगर कोटा के वकीलों के आन्दोलन को मुख्यमंत्री ने गम्भीरता से नहीं लिया और राजस्थान में चल रहे ऐसे कई आन्दोलन के मामले में मुख्यमंत्री जी आल इस वेळ की फर्जी रिपोर्टों को ख़ारिज करे और खुद अपने वफादारों की सूचि बनाकर उनसे रिपोर्ट मंगवाए तभी आस्तीन के संपो की नाक में नकेल डल सकेगी और कोग्न्रेस की सरकार एक बार फिर बन सकेगी वरना यह आस्तीन के सांप झूंठी खबरे और अफवाहों के अधर पर जनता को कोंग्रेस के खिलाफ भड़काने में कोई कसार नहीं छोड़ रहे है और इससे निश्चित तोर पर कोंग्रेस जीती हुई बाज़ी हार जाएगी हार जायेगी देखते है अशोक गहलोत और उनके समर्थक इस सच को गहलोत तक पहुचाते है या फिर उनके खिलाफ कोंग्रेसियों कोंग्रेस के आस्तीन के सांपो से मिलकर इस खबर को उन तक पहुँचाने से गुरेज़ करते है .अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यह अजीब दौर है
"हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं
युद्ध जारी है प्रबुद्धों में यहाँ
बुद्ध गिद्ध में अंतर करना बहुत कठिन है
शातिरों ने शान्ति के स्कूल खोले हैं
शौर्य की आँखों में खून नहीं
हूर की आँखों में अब वह नूर नहीं
साहित्यकारों का नहीं शब्द हलवाईयों का यह दौर है
अनुप्राश के च्यवनप्राश पर निर्भर है संस्कृति की जीवन रेखा
हर तारा जो टूट रहा है, नक्षत्रों से छूट रहा है
उस से पूछो प्रलय विलय का अंतर क्या है ?
शब्द जलेबी बन जाए तो मुझे बताना कविता की परिभाषा क्या है ?
राग-द्वेष से उबारो तो फिर यह बतलाना राजनीति की भाषा क्या है ?
हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं." ----राजीव चतुर्वेदी
"हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं
युद्ध जारी है प्रबुद्धों में यहाँ
बुद्ध गिद्ध में अंतर करना बहुत कठिन है
शातिरों ने शान्ति के स्कूल खोले हैं
शौर्य की आँखों में खून नहीं
हूर की आँखों में अब वह नूर नहीं
साहित्यकारों का नहीं शब्द हलवाईयों का यह दौर है
अनुप्राश के च्यवनप्राश पर निर्भर है संस्कृति की जीवन रेखा
हर तारा जो टूट रहा है, नक्षत्रों से छूट रहा है
उस से पूछो प्रलय विलय का अंतर क्या है ?
शब्द जलेबी बन जाए तो मुझे बताना कविता की परिभाषा क्या है ?
राग-द्वेष से उबारो तो फिर यह बतलाना राजनीति की भाषा क्या है ?
हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं." ----राजीव चतुर्वेदी
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं
युद्ध जारी है प्रबुद्धों में यहाँ
बुद्ध गिद्ध में अंतर करना बहुत कठिन है
शातिरों ने शान्ति के स्कूल खोले हैं
शौर्य की आँखों में खून नहीं
हूर की आँखों में अब वह नूर नहीं
साहित्यकारों का नहीं शब्द हलवाईयों का यह दौर है
अनुप्राश के च्यवनप्राश पर निर्भर है संस्कृति की जीवन रेखा
हर तारा जो टूट रहा है, नक्षत्रों से छूट रहा है
उस से पूछो प्रलय विलय का अंतर क्या है ?
शब्द जलेबी बन जाए तो मुझे बताना कविता की परिभाषा क्या है ?
राग-द्वेष से उबारो तो फिर यह बतलाना राजनीति की भाषा क्या है ?
हाथ में खंजर लिए तहजीब के मंजर नज़र आते किसे हैं ?
यह अजीब दौर है
खूंरेज़ आँखों में खूबसूरत से ख्वाब सिमटे हैं
यह अजीब दौर है
सभ्यता के सवालों को लिए सलीब सा
हर किसी के हाथ में ढाल तो है तलवार नहीं." ----राजीव चतुर्वेदी
दोस्तों यही फर्क है माँ में और हम तुम झूंठ फरेब धोखा कर समाज में झूंठी अपनी छवि बनाने वाले कुपुत्रों में जो एक अच्छा पति अच्छा बन्ने के चक्कर में माँ को भूल जाता है उपेक्षित कर देता है ...
दिनेश मिश्र
तेरी कही हुई हर बात पर, नहीं कभी इंकार करता हूँ !
मै कभी भी नहीं कहता कि, माँ मै तुझे प्यार करता हूँ !!
दोस्तों हमारे इस के देश में कल केवल एक दिन मदर्स डे के रूप में माँ के बारे में सोचा गया इस संस्क्रती इस सोच को लेकर केवल एक दिन माओं पर बढ़े बढ़े कसीदे पढने वाले ..लिखने वाले घरों में मेने झाँक कर देखा यकीन मानना अलफ़ाज़ झूंठे थे घर में माँ का बुरा हाल था ऐसा दिखावा क्यूँ सच से क्यूँ भागते है हम पत्नी के आगे अपनी व्यस्तता के आगे माँ की उपेक्षा करने वाले हम लोग खुद को झूंठी कहानियाँ गढ़ कर फर्माबरदार बीटा साबित करने में क्यूँ लग गये है खुद अपने दिलों की धड़कन देखे दिलों पर हाथ रख कर देखे और अपनी पत्नी खुद की सोच माँ के प्रति देखें खुद की सेवा देखें खुद के अन्दर का सच तलाशे और सच बोले सच लिखे सच स्वीकारे ताके साल में केवल एक दिन मदर्स डे की जरूरत नहीं हो हर पल हर क्षण हर दिन हर लम्हा सिर्फ और सिर्फ मदर्स डे हो मदर्स डे हो लेकिन क्या इस भाग दोड मोक़परास्ती और खतरनाक बहुओं पत्नियों घरेलु हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना के झूंठे मामलों के इस दोर में हम ऐसा कर पा रहे हैं नहीं न फिर क्यूँ झूंठ बोलते है एक आप है जो माँ की खिदमत किये बगेर बीवी से डर कर माँ की उपेक्षा करने के बाद भी माँ की खिदमत करने के फर्जी और झूंठे कसीदे पढ़ रहे है और दूसरी तरफ एक माँ है जो इतनी उपेक्षा ..इतनी बेईज्ज़ती ..इतनी बेरुखी और अपमान के बाद भी तुम्हारे लियें कहती है मेरा लाल लाखों में एक है लाखों में एक है अल्लाह उसे सलामत रखे दुनिया की खुशियाँ दे तो दोस्तों यही फर्क है माँ में और हम तुम झूंठ फरेब धोखा कर समाज में झूंठी अपनी छवि बनाने वाले कुपुत्रों में जो एक अच्छा पति अच्छा बन्ने के चक्कर में माँ को भूल जाता है उपेक्षित कर देता है ...........अख्तर खान अकेला
तेरी कही हुई हर बात पर, नहीं कभी इंकार करता हूँ !
मै कभी भी नहीं कहता कि, माँ मै तुझे प्यार करता हूँ !!
दोस्तों हमारे इस के देश में कल केवल एक दिन मदर्स डे के रूप में माँ के बारे में सोचा गया इस संस्क्रती इस सोच को लेकर केवल एक दिन माओं पर बढ़े बढ़े कसीदे पढने वाले ..लिखने वाले घरों में मेने झाँक कर देखा यकीन मानना अलफ़ाज़ झूंठे थे घर में माँ का बुरा हाल था ऐसा दिखावा क्यूँ सच से क्यूँ भागते है हम पत्नी के आगे अपनी व्यस्तता के आगे माँ की उपेक्षा करने वाले हम लोग खुद को झूंठी कहानियाँ गढ़ कर फर्माबरदार बीटा साबित करने में क्यूँ लग गये है खुद अपने दिलों की धड़कन देखे दिलों पर हाथ रख कर देखे और अपनी पत्नी खुद की सोच माँ के प्रति देखें खुद की सेवा देखें खुद के अन्दर का सच तलाशे और सच बोले सच लिखे सच स्वीकारे ताके साल में केवल एक दिन मदर्स डे की जरूरत नहीं हो हर पल हर क्षण हर दिन हर लम्हा सिर्फ और सिर्फ मदर्स डे हो मदर्स डे हो लेकिन क्या इस भाग दोड मोक़परास्ती और खतरनाक बहुओं पत्नियों घरेलु हिंसा और दहेज़ प्रताड़ना के झूंठे मामलों के इस दोर में हम ऐसा कर पा रहे हैं नहीं न फिर क्यूँ झूंठ बोलते है एक आप है जो माँ की खिदमत किये बगेर बीवी से डर कर माँ की उपेक्षा करने के बाद भी माँ की खिदमत करने के फर्जी और झूंठे कसीदे पढ़ रहे है और दूसरी तरफ एक माँ है जो इतनी उपेक्षा ..इतनी बेईज्ज़ती ..इतनी बेरुखी और अपमान के बाद भी तुम्हारे लियें कहती है मेरा लाल लाखों में एक है लाखों में एक है अल्लाह उसे सलामत रखे दुनिया की खुशियाँ दे तो दोस्तों यही फर्क है माँ में और हम तुम झूंठ फरेब धोखा कर समाज में झूंठी अपनी छवि बनाने वाले कुपुत्रों में जो एक अच्छा पति अच्छा बन्ने के चक्कर में माँ को भूल जाता है उपेक्षित कर देता है ...........अख्तर खान अकेला
अचानक थम जाए, चलती हवा
अचानक थम जाए, चलती हवा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
* * * * *
.......रश्मि शर्मा
अचानक थम जाए, चलती हवा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
* * * * *
.......रश्मि शर्मा
और सांझ डूबने को हो
तो लगता है
किसी के बेवक्त चले जाने का
मातम मना रही हो वादियां....
* * * * *
फिर आया था एक काला बादल
मेरे हिस्से के आस्मां पर
बिन बरसे चला गया
मेरे हाथों में है मरी तितली का पंख
क्या इस बार बरसात
आई भी नहीं और चली गई.....
* * * * *
हो जाओ समर्पित
या करा लो समपर्ण
जब दरमियां पसरा हो तनाव
तो बस यही एक आसरा है
इसके बाद
अहम से बड़ा कुछ और नहीं....
* * * * *
चलो एक बार फिर से खेलते हैं
छुप्पम-छुपाई
जो पकड़ में आया, वो हारा
नहीं तो सब खेल खत्म
बचपन, जाता कहां है हमारे भीतर से.....
* * * * *
.......रश्मि शर्मा
कदम रुक गए, जब पहुंचा मैं बाज़ार में
कदम रुक गए, जब पहुंचा मैं बाज़ार में,
बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापर में।
मैंने पूछा- "क्या भाव है रिश्तों का?"
दुकानदार बोला -" कौनसा चाहिए, बेटा या बाप?
बहेन या भाई? इंसानियत का दूँ या प्यार का?
दोस्ती का या विश्वास का? बाबूजी, क्या चाहिए,
बोलो तो सही, सब चीज़ बिकावु है यहाँ,
आप चुपचाप क्यूँ खड़े हो, मुंह खोलो तो सही?"
मैंने उनसे जब पूछा "माँ के रिश्ते का क्या भाव है?'
तो दुकानदार तुरंत नम होती आँखों से बोला -
"संसार इसी रिश्ते पे तो टिका है बाबु। माफ़ करना,
ये रिश्ता बिकावु नहीं है। इसका कोई मोल नहीं लगा पाएंगा।
ये रिश्ता भी बिक गया तो फिर तो ये संसार भी उजड़ जायेगा !"
कदम रुक गए, जब पहुंचा मैं बाज़ार में,
बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापर में।
मैंने पूछा- "क्या भाव है रिश्तों का?"
दुकानदार बोला -" कौनसा चाहिए, बेटा या बाप?
बहेन या भाई? इंसानियत का दूँ या प्यार का?
दोस्ती का या विश्वास का? बाबूजी, क्या चाहिए,
बोलो तो सही, सब चीज़ बिकावु है यहाँ,
आप चुपचाप क्यूँ खड़े हो, मुंह खोलो तो सही?"
मैंने उनसे जब पूछा "माँ के रिश्ते का क्या भाव है?'
तो दुकानदार तुरंत नम होती आँखों से बोला -
"संसार इसी रिश्ते पे तो टिका है बाबु। माफ़ करना,
ये रिश्ता बिकावु नहीं है। इसका कोई मोल नहीं लगा पाएंगा।
ये रिश्ता भी बिक गया तो फिर तो ये संसार भी उजड़ जायेगा !"
बिक रहे थे रिश्ते खुले आम व्यापर में।
मैंने पूछा- "क्या भाव है रिश्तों का?"
दुकानदार बोला -" कौनसा चाहिए, बेटा या बाप?
बहेन या भाई? इंसानियत का दूँ या प्यार का?
दोस्ती का या विश्वास का? बाबूजी, क्या चाहिए,
बोलो तो सही, सब चीज़ बिकावु है यहाँ,
आप चुपचाप क्यूँ खड़े हो, मुंह खोलो तो सही?"
मैंने उनसे जब पूछा "माँ के रिश्ते का क्या भाव है?'
तो दुकानदार तुरंत नम होती आँखों से बोला -
"संसार इसी रिश्ते पे तो टिका है बाबु। माफ़ करना,
ये रिश्ता बिकावु नहीं है। इसका कोई मोल नहीं लगा पाएंगा।
ये रिश्ता भी बिक गया तो फिर तो ये संसार भी उजड़ जायेगा !"
"च्यवनप्राश बहुत मँहगा है
Rajiv Chaturvedi
"च्यवनप्राश बहुत मँहगा है
माँ , मेरे पास अब कुछ भी नहीं
सिवा तेरे दिए दीर्घायु होने के आशीर्वाद के
वह दठोना तो कब का मिट गया
जो तैने लोगों की बुरी नज़र न लगने के लिए लगाया था
तेरे रहने तक मैं दीर्घायु नहीं होना चाहता था
अब मेरा छोटा सा बेटा है
मैं चाहता हूँ वह दीर्घायु हो
पर च्यवनप्राश बहुत महगा है
बाहर चल रही हैं विषैली हवाएं दवाएं बहुत महगी हैं
दुआएं मिलती नहीं बाज़ार में
इस गंदी दुनियाँ में गुजारा कर लिया मैंने
अब गुजर जाऊं तो अफ़सोस मत करना
तुम्हें फिर भी दीर्घायु होना है
क्योंकि दवाएं नकली ,दुआएँ फर्जी
और च्यवनप्राश बहुत मँहगा है ." -----राजीव चतुर्वेदी
"अगर यह युग पूछ सकता तो पूछता कर्ण की माँ से माँ बनने का सबब
"अगर
यह युग पूछ सकता तो पूछता कर्ण की माँ से माँ बनने का सबब ... अगर यह युग
पूछ सकता तो पूछता मरियम से माँ बनने का सबब ... अगर यह युग पूछ सकता तो
पूछता फातिमा से माँ बनने का सबब ...आज भी बहुत सी लडकियां माँ तो बनती हैं
पर लोकलाज के कारण यह सच छिपाने को अभिशिप्त हैं ...हमारी संस्कृति में
"ममता" नारी स्वभाव है ...गुण है ...विशेषण है ... तभी तो लोग अपनी कुमारी
बेटियों का नाम भी ममता रखते हैं ...लेकिन सभ्य समाज में भी किसी स्त्री
के "माँ" बनने का लाईसेंस समाज जारी करता है ...ममता वह रिश्ता है जिसके
लिए विवाह नहीं निर्वाह जरूरी है ...हर उस स्त्री को प्रणाम जिसके मन में
सभ्यता,सृजन और संस्कृति के प्रति ममता है .
तमाम तरह के वैज्ञानिकों
को एक जगह इकट्ठा कर दें . उनको चोकर /भूसा /बरसीम और जो कुछ मांगें वह भी
दे दें पर वह दूध नहीं बना सकते क्योकि इस सब के अलावा दूध बनाने के लिए
चाहिए ममता का रसायन जो सिंथेटिक नहीं होता ...वह कहाँ से लाओगे ?"
यह
वनस्पति की ममता है कि अन्न हो रहा है ...यह गाय /भेंस /बकरी आदि की ममता
है कि दूध हो रहा है ...यह मुर्गी की ममता है जिसे अण्डा आप खा रहे हैं
...ममता नहीं होगी तो यह सभ्यता भूखी कुपोषित ही मर जायेगी --- प्रकृति में
माँ की प्राकृतिक भूमिका और ममता को प्रणाम ...गौर से देखो धरा,धरणी ,
प्रकृति, बेटी ,पत्नी ,प्रेमिका ,महिला मित्र सभी में ममता है ...ममता
स्त्री का आवश्यक और अपरिहार्य प्राकृतिक गुण है ....सभी प्रकार की
प्राकृतिक ममता को प्रणाम !!" ---- राजीव चतुर्वेदी
तमाम तरह के वैज्ञानिकों को एक जगह इकट्ठा कर दें . उनको चोकर /भूसा /बरसीम और जो कुछ मांगें वह भी दे दें पर वह दूध नहीं बना सकते क्योकि इस सब के अलावा दूध बनाने के लिए चाहिए ममता का रसायन जो सिंथेटिक नहीं होता ...वह कहाँ से लाओगे ?"
यह वनस्पति की ममता है कि अन्न हो रहा है ...यह गाय /भेंस /बकरी आदि की ममता है कि दूध हो रहा है ...यह मुर्गी की ममता है जिसे अण्डा आप खा रहे हैं ...ममता नहीं होगी तो यह सभ्यता भूखी कुपोषित ही मर जायेगी --- प्रकृति में माँ की प्राकृतिक भूमिका और ममता को प्रणाम ...गौर से देखो धरा,धरणी , प्रकृति, बेटी ,पत्नी ,प्रेमिका ,महिला मित्र सभी में ममता है ...ममता स्त्री का आवश्यक और अपरिहार्य प्राकृतिक गुण है ....सभी प्रकार की प्राकृतिक ममता को प्रणाम !!" ---- राजीव चतुर्वेदी
जब खुला सेना की जैकेट में छुपे खजाने का राज तो खड़े हो गए पुलिस के कान
जयपुर। सेना के जैकेट में छिपाकर ले जा रहे 30 किलो सोना
पकड़ने के मामले में नया खुलासा हुआ है। यह सोना जिस द्वारका ज्वैलर्स के
मालिक द्वारका दास ने मंगाया था, वे जैसलमेर कोतवाली के हिस्ट्रीशीटर हैं।
उन पर सोने की तस्करी के 7 मामले दर्ज हैं और 1992 में राष्ट्रीय सुरक्षा
कानून (रासुका) के तहत गिरफ्तार भी हो चुके हैं।
पुलिस ने शनिवार रात द्वारका दास से पूछताछ की। इसके बाद उन्हें छोड़
दिया। एडिशनल पुलिस कमिश्नर डॉ. गिर्राज मीणा ने बताया कि जोधपुर निवासी
द्वारका दास सोनी का जैसलमेर में सोने की तस्करी का गिरोह था। उन पर 1989
में पहला मुकदमा जैसलमेर कोतवाली में दर्ज हुआ था। वे पड़ोसी देश से सोने
की तस्करी मामले में 1992 में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार हो
चुके हैं।
इसके बाद उनकी जैसलमेर कोतवाली में हिस्ट्रीशीट खोली गई थी। इस
हिस्ट्रीशीट की जांच जून 2005 में जोधपुर एसपी को ट्रांसफर कर दी गई थी।
द्वारकादास अभी तक सिर्फ 1989 में दर्ज हुए पहले मामले में ही बरी हुए हैं,
जबकि अन्य मामलों में जांच चल रही है।
गहलोत का सीपी जोशी को पत्र, विकास नहीं कर सकते तो हमें सौंप दें हाईवे
जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह क्षेत्र जाने वाले मार्ग
‘बर से जोधपुर’ तक के 106 किमी लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का विस्तार चार
साल से अब तक नहीं हो पाया। यह मार्ग केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग
मंत्रालय ने अटका रखा है। इसके मंत्री डॉ. सी.पी. जोशी हैं।
इस मार्ग को चार लेन का करने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र को कई
प्रस्ताव भेजे, लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं हुई। बावजूद इसके मंत्रालय न
अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर रहा और न इसका काम करा रहा। यह खुलासा
मुख्यमंत्री की ओर से सीपी जोशी को लिखे गए एक पत्र से हुआ।
मुख्यमंत्री ने यह लिखा पत्र में
इस मार्ग को उपेक्षित रखने के साथ ही इसे सिर्फ दो लेन में विकसित
करने की तैयारी पर मुख्यमंत्री ने केंद्रीय मंत्री को लिखा है कि इसके
विकास कर चार लेन बनाने के लिए तत्काल एनओसी जारी की जाए। चार लेन बनाने के
लिए खर्च होने वाली राशि में राजस्थान का हिस्सा भी लगेगा। इस हिस्सा राशि
का 40 फीसदी केंद्र से मिलने वाले अनुदान में से खर्च की मंजूरी दी जाए।
अगर ऐसा नहीं हो सके तो इस राष्ट्रीय राजमार्ग को डी-नोटिफाइड किया जाए
ताकि राज्य सरकार अपने स्तर पर विकास कर सके।
रेशमा ने सुनाई आपबीती- ड्राई फ्रूट बीन कर खाया, नाली का पानी पीया और मरे लोगों के कपड़े पहने
रेशमा ने 17 दिनों तक खुद को जिंदा रखने के लिए मलबे के अंदर गिरे ड्राई फ्रूट बीन कर खाया। रेशमा बताती हैं कि अंतिम दो दिनों तक मेरे पास कुछ भी नहीं बचा था। आसपास पानी की कुछ बोतलें गिरी हुई थीं। जिनके सहारे मेरी जिंदगी कुछ दिन और बची रहीं। मलबे के अंदर एक नाली थी। जिसका पानी भी पीकर उन्होंने अपनी जान बचाई। इतना ही नहीं, हादसे के कारण उसके कपड़े तक फट गए थे तो उसने अपने तन को ढंकने के लिए मरे लोगों के कपड़े पहने।
19 साल की रेशमा इमारत की दूसरी मंजिल पर मिली थी। हादसे में अब तक 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।
रेशमा बताती हैं कि वह कई दिनों से बचावकर्मियों की आवाज सुन रही थीं।
उन्होंने उन तक पहुंचने के लिए कई बार ईंट और लोहे की रॉड से आवाज करने
की भी कोशिश की लेकिन मेरी सभी कोशिश नाकाम साबित हुई।
रेशमा की आवाज जैसे ही बचावकर्मियों तक पहुंची, उन्होंने तुरंत
बुलडोजर्स को काम रोकने का आदेश दिया और सावधानीपूर्वक हाथों से मलबे को
साफ करने लगे। उन्हें अचानक रेशमा का हाथ दिखा। वह ऑयरन रॉड के बीच में
फंसी हुई थी। उन्हें काटकर रेशमा को बाहर निकाला गया।
पोप की ड्रेस पहन प्राइवेट पार्ट पर बनाया क्रॉस और लोगों को बांटने लगी कंडोम
अमेरिका की कारनेग मेलन यूनिवर्सिटी (सीएमयू) की एक फीमेल स्टूडेंट को
पोप की ड्रेस पहन कर न्यूड परेड करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
वह अपने शरीर के ऊपर हिस्से पर पोप का चोगा डाल कर और सिर पर उनका जैसा
मुकुट पहने हुई थी। आरोपी छात्रा ने कमर से नीचे कुछ नहीं पहना था और उसके
हाथ में सिगरेट और एक क्रॉस का चिन्ह भी था। आरोप है कि उसने अपने प्राइवेट
पार्ट के बालों को क्रॉस की शेप में शेव किया था और वह लोगों को कंडोम भी
बांट रही थी।
इस छात्रा की शिकायत एक कैथोलिक बिशप डेविड ज्यूबिक ने पुलिस से की थी
जिससे उसे अमर्यादित व्यहवार के आरोप में शुक्रवार को पकड़ा गया। अपनी इस
हरकत के बाद यह छात्रा विवादों में घिर गई है। छात्रा का नाम कैथरीन
ओ'कॉर्नर है और उसकी उम्र महज 19 साल है।
इस छात्रा के साथ एक छात्र रॉब एस गॉडशॉ को भी न्यूड परेड करने के
आरोप में पकड़ गया है। हालांकि यह पता नहीं चला है कि युवक पिट्सबर्ग स्कूल
की स्प्रिंग फाइन आर्ट्स की परेड में क्या कर रहा था। छात्र इलिनॉय
यूनिवर्सिटी का है और उस पर भी छात्रा की तरह अमर्यादित व्यवहार का आरोप
लगाया गया है।
सीएमयू प्रेसीडेंट जैरेड कोहोन ने बताया कि दोनों स्टूडेंट्स पर गलत काम
करने के आरोप लगाए गए हैं। इसके अलावा यूनिवर्सिटी की ओर से उन पर कोई
कार्रवाई नहीं की जाएगी। उनका कहना था कि यूनिवर्सिटी कलात्मक अभिव्यक्ति
को बढ़ावा देती है लेकिन सार्वजनिक स्थानों पर न्यूड होना गैरकानूनी है।
कोहोन का कहना था कि सीएमयू में सभी विचारों, पृष्ठभूमि, विश्वासों के
छात्रों के लिए जगह है। यहां पर हर विचार को व्यक्त करने और उस पर बहस की
गुंजाइश है। हालांकि कोहोन ने छात्रा के इस बर्ताव के लिए माफी मांगी थी।
वहीं ज्यूबिक ने शुक्रवार को कहा था कि सीएमयू ने इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना
को गंभीरता से लिया है।
हवन शुरू होते ही भड़क गए पुलिसवाले, पत्थर बरसे तो चलीं गोलियां
रोहतक. प्रदेश में सतलोक आश्रम का विवाद रविवार को फिर भड़क गया। पुलिस व ग्रामीणों के बीच हिंसक झड़प में पानीपत जिले के गांव शाहपुर निवासी संदीप (अध्यापक), रोहतक जिले के गांव करौंथा की प्रोमिला देवी और गांव बलियाणा के उदयवीर की मौत हो गई। तहसीलदार व महम थाना प्रभारी सहित 110 से ज्यादा लोग घायल हो गए।
आक्रोशित ग्रामीणों ने रोडवेज की तीन बसों, पुलिसकर्मियों की 26 मोटरसाइकिलों और एक एंबुलेंस को जला दिया। मीडियाकर्मियों के कैमरे भी तोड़ दिए। पथराव रोकने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवाई फायर भी किए।
यूं चला घटनाक्रम
6.00 बजे आर्य समाज के लोगों ने आश्रम के सामने हवन शुरू किया। पुलिस ने इसका विरोध किया। इससे मामला भड़क गया।
8.00 बजे आचार्य बलदेव को हिरासत में लेने से भीड़ ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। भीड़ आगजनी पर उतर आई।
10.20 बजे पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फायरिंग की, पानीपत के संदीप को गोली लगी, जिससे उसने दम तोड़ दिया।
9.00 बजे रात में प्रदेश के डीजीपी एसएन वशिष्ठ रोहतक पहुंचे। उन्होंने मामले को निपटाने के लिए नए सिरे से रणनीति बनाई।
आचार्य बलदेव के खिलाफ मामला दर्ज: हिंसक झड़प के बाद पुलिस ने आर्य प्रतिनिधि सभा के अध्यक्ष आचार्य बलदेव सहित कई समर्थकों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस ने उनके खिलाफ हिंसा भड़काने का केस दर्ज कर लिया है।
रेपिड एक्शन फोर्स तैनात: प्रदर्शनकारियों व पुलिस के बीच शाम ७ बजे भी झड़प हुई। हालात बेकाबू हो जाने के बाद रेपिड एक्शन फोर्स की पांच कंपनियां तैनात की गई हैं। समाचार लिखे जाने तक रोहतक-झज्जर हाइवे पर जाम लगा था। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रदेश के डीजीपी एसएन वशिष्ठ रोहतक पहुंच गए थे
औरतों के लिए 'खतरा' बने खूबसूरत मर्द को दिया देश निकाला
ओटावा (कनाडा) . ये हैं उमर बोरकान अल गाला। 25 साल के इस
मॉडल/एक्टर की सुंदरता पर सऊदी अरब की लाखों बुर्कानशीं मर मिटी हैं।
लड़के इनसे रश्क करते हैं और सऊदी अरब की सरकार इनकी सुंदरता से इतना डरती
है कि उसने इन्हें देशनिकाला दे दिया है। फेसबुक पर इनके 8 लाख
फॉलोअर्स थे, लेकिन फेसबुक ने बगैर उमर को कुछ बताए उनका एकाउंट डिलीट कर
दिया है। उमर गाला फिलवक्त कनाडा में हैं। उमर को देशनिकाला मिलने के
बाद पहली बार उन्होंने कई मुद्दों पर अपनी बात मीडिया के सामने रखी है।
याहू को दिए एक इंटरव्यू में उमर गाला ने कहा कि उनकी सुंदरता
अल्लाह का दिया हुआ तोहफा है। अगर अल्लाह ने उन्हें यह तोहफा दिया है
तो वह इसे सही दिशा में ही लगाएंगे। फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर
अपने बेशुमार फॉलोअर्स के बारे में उमर का कहना है कि यह अद्भुत अहसास है
और हर समय महसूस होता है। उन्होंने कहा कि देश से निकाले जाने के बाद से
उन्होंने सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट्स पर जो दो हफ्ते बिताए हैं, वह अद्भुत
हैं। वह दुनिया भर में रहने वाले अपने चाहने वालों से सोशल नेटवर्किंग
वेबसाइट से जुड़े। फेसबुक ने इसी हफ्ते उनका एकाउंट डिलीट कर दिया।
उन्होंने कहा कि वह इस बारे में नहीं जानते कि आखिरकार फेसबुक ने ऐसा
किया क्यों। हालांकि उन्हें शक है कि फेसबुक ने इसे फेक एकाउंट माना
होगा, इसलिए डिलीट किया होगा।
उन्होंने कहा कि उन्हें फेसबुक के साथ काफी समस्या हुई। दरअसल लोग
यह नहीं जानते हैं कि क्या असली है और क्या नकली। अल गाला ने इस बात का
भी खुलासा किया कि उनकी एक फिल्म का प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है और जून
में उसकी शूटिंग दुबई में होगी। हालांकि एक्टिंग उनके लिए नया क्षेत्र
है, फिर भी उन्हें यकीन है कि स्क्रीन पर उनका शानदार काम दिखेगा। ऐसा
इसलिए क्योंकि वह कैमरे के सामने आने में कोई दिक्कत नहीं महसूस करते।
पाकिस्तान में 'लॉयन ऑफ पंजाब' की 14 साल बाद सत्ता में वापसी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान में आम चुनाव
के लिए वोटिंग खत्म होते ही वोटों की गिनती भी शुरू हो गई है। रुझानों के
मुताबिक नवाज शरीफ की पार्टी पीएमएल-एन ने मजबूत बढ़त बना ली है। दूसरे
नंबर के लिए सत्तारूढ़ पीपीपी और इमरान खान की पाकिस्तान तहरीके इंसाफ
(पीटीआई) में कड़ी टक्कर है। ) इमरान
खान ने अपनी हार स्वीकार कर ली है। वहीं, कौमी मूवमेंट के नेता अल्ताफ
हुसैन ने नवाज शरीफ को बधाई दी। सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर उन्हें 'लॉयन
ऑफ पंजाब' के नाम से नवाजा जा रहा है और देश भर में उनकी जीत की खुशियां(देखें, तस्वीरों में नवाज की जीत का जश्न) मनाई जा रही हैं। ये पढ़े: (
अब तक 272 में से 234 के नतीजे घोषित हो चुके हैं। पाकिस्तान मुस्लिम
लीग को 107, तहरीके इंसाफ़ को 32, पाकिस्तान पीपल्स पार्टी को 28 और
एमक्यूएम को 12 और अन्य को 55 सीटें मिली हैं।
नवाज शरीफ सरगोधा ने चुनाव जीत गए हैं। जबकि इमरान खान ने पेशावर में
जीत दर्ज की है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने लाहौर में पार्टी के
मुख्यालय में अपने समर्थकों को संबोधित करते कहा, ''अल्लाह ने एक बार फिर
देश की सेवा करने का मौका दिया है। हम सबको साथ लेकर चलेंगे।''
शरीफ ने कहा, ''मैं सभी पार्टियों से अपील करता हूं कि वे मेरे साथ
वार्ता करें और देश की समस्याओं का मिलकर समाधान करें। चुनाव में जो
कामयाबी हमें मिली है, उसमें सबकी भागीदारी है। हम अपने देश के लिए काम
करेंगे। हमें जिसने भी बुरा-भला कहा है, मैं सबको माफ कर रहा हूं। इस देश
की हालत को बदलना ही हमारी मुख्य योजना है। हमने अपने युवाओं से जो वादे
किए हैं, हम सबको पूरा करेंगे।"
भारतीय पीएम मनमोहन सिंह और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने
नवाज शरीफ को चुनाव जीतने पर बधाई दी है। वहीं जम्मू और कश्मीर के
मुख्यमंत्री उमर अबदुल्ला ने नवाज शरीफ को बधाई देते हुए कहा कि मुझे
उम्मीद है कि पाकिस्तान हुए हिंसक चुनाव को देखते हुए लोगों को यक़ीन हो
गया होगा कि चरमपंथी अच्छे या बुरे नहीं होते, हर तरह का चरमपंथ बुरा होता
है। नवाज शरीफ को बधाई, मुझे उम्मीद है कि वो अपने वादों पर खरे उतरेंगे और
साल 1999 से बंद पड़ी शांति प्रक्रिया रफ्तार पकड़ पाएगी। (पाक चुनाव का पूरा रिजल्ट देखें)
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री चुनाव हारे
पाकिस्तान में सत्ता पर काबिज जरदारी की पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स
पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। जरदारी की पार्टी तीसरे स्थान पर खिसकती
दिख रही है। इमरान खान की पार्टी तहरीक़-ए-इंसाफ़ दूसरे स्थान पर जगह
बनाने में कामयाब रही है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की पार्टी
पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज़ (पीएमएल एन) सबसे आगे है। चौकाने वाले चुनाव
परिणाम में जरदारी की पार्टी से प्रधानमंत्री रहे राजा परवेज अशरफ चुनाव
हार गए हैं। अभी 272 सीटों के लिए वोटों की गिनती जारी है। पाक के पूर्व
पीएम यूसुफ रजा गिलानी मुल्तान से चुनाव हार गए हैं। उनके बेटे को चुनाव से
पहले अज्ञात लोगों ने किडनैप कर लिया था।
सत्ता के लिए चाहिए 170 जादुई आंकड़ा
पाकिस्तान में सत्ता की चाभी पाने के लिए 170 सीटों पर जीतना जरूरी है। शनिवार को पाकिस्तान की
नेशनल असेंबली के 272 सीटों और चारों प्रांतीय असेंबली के लिए वोटिंग हुई।
आयोग के मुताबिक करीब 54 फीसदी वोटिंग हुई है। 2008 में 44 प्रतिशत वोटिंग
हुई थी। चुनाव के दौरान कई जगहों पर बम विस्फोट भी हुए। इन घटनाओं में 24
लोग मारे गए हैं। कुछ जगहों पर वोटिंग का समय एक से तीन घंटे तक बढ़ाया
गया। इससे पहले 2008 में तत्कालीन फौजी शासक परवेज मुशर्रफ ने चुनाव कराए
थे। पाकिस्तान में पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी चुनी हुई सरकार ने पांच साल
का कार्यकाल पूरा किया है और उसके बाद चुनाव हुआ हो।
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