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15 मई 2013

दामिनी के 'गुनहगार' को जेल में दिया जा रहा जहर, पिटाई से हुई खून की उल्‍टी



नई दिल्‍ली। बीते साल 16 दिसंबर को चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा के साथ बहुचर्चित सामूहिक गैंगरेप कांड के एक और आरोपी विनय शर्मा की जान खतरे में है। आरोप है कि साथी कैदियों द्वारा विनय की जेल में पिटाई की गई है। इसके चलते उसकी हालत काफी गंभीर हुई है।
शर्मा के वकील एपी सिंह ने एक न्‍यूज एजेंसी के साथ बातचीत और फिर अदालत में भी ये बातें कही हैं। सिंह ने कहा, 20 वर्षीय विनय मंगलवार को अचानक खून की उल्टियां करने लगा। इसके बाद उसे तुरंत एलएनजेपी अस्‍पताल ले जाया गया। विनय को तेज बुखार भी है और सीने में तेज दर्द की शिकायत बताई जा रही है। वकील का आरोप यह भी है कि विनय को जेल में खाने में स्‍लो पॉयजन भी दिया जा रहा है।
वकील ने याचिका में तिहाड़ प्रशासन पर यह भी आरोप लगाया है कि जिस अस्पताल में विनय को भर्ती किया गया है उसके डॉक्टर हड़ताल पर हैं। इस वजह से उसे पर्याप्त चिकित्सीय सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। वकील की याचिका पर विशेष अदालत ने तिहाड़ जेल प्रशासन को विनय को समुचित चिकित्सीय सुविधाएं मुहैया कराने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यदि अस्पताल के डॉक्टर हड़ताल पर हों तो उसे किसी अन्य अस्पताल में स्थानांतरित करने को कहा है।
वहीं, इन आरोपों का तिहाड़ जेल के प्रवक्‍ता सुनील गुप्‍ता ने खंडन किया है। उनके अनुसार, विनय शर्मा को कल तेज बुखार की शिकायत थी। इसके बाद उसे पहले दीनदयाल उपाध्‍याय अस्‍पताल और बाद में एलएनजेपी हॉस्‍पीटल में भर्ती कराया गया। यहां उसका उपचार अभी चल रहा है।
स्‍पेशल कोर्ट ने भी तिहाड़ जेल के अधिकारियों को निर्देश दिया है कि विनय को समुचित चिकित्‍सा सुविधा मुहैया कराई जाए। एडिशनल सेशन जज योगेश खन्‍ना ने यह आदेश विनय के वकील के उस दावे के बाद दिया है जिसमें कहा गया है कि उनके मुवक्किल की हालत बेहद गंभीर है और बेहतर मेडिकल सुविधा नहीं मिल रही है क्‍योंकि जिस अस्‍पताल में वह भर्ती है वहां के डॉक्‍टर इस वक्‍त हड़ताल पर हैं।
इससे पहले 11 फरवरी को मुख्य आरोपी 33 वर्षीय राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। राम सिंह ने जेल नंबर तीन में अपनी कमीज की रस्सी बनाकर और नाड़े का फंदा लटककर खुदकुशी कर ली। राम सिंह के साथ मौजूद कैदियों के अनुसार, वह रात दो बजे जेल में टहल रहा था। उन्हें लगा कि उसकी तबीयत ठीक नहीं। जब वह उठे तो सुबह पांच बजे रामसिंह को लटका पाया।

पुलिस, गवाह, वकील जज, सबको साथ मिलाया और बरी हो गए वरुण


नई दिल्ली। भाजपा के महासचिव वरुण गांधी भड़काऊ भाषण मामले में यूं ही बरी नहीं हुए हैं। उन्होंने इसके लिए पुलिस, वकील, जज और गवाहों को अपने साथ मिलाया। केस प्रभावित करने के लिए पार्टी के खिलाफ भी काम किया। तब कहीं जाकर बरी हुए। यह आरोप लगाए हैं तहलका मैगजीन ने। स्टिंग ऑपरेशन के जरिए राज उजागर किया गया है। इसमें वरुण गांधी से जुड़े कई लोगों की बातचीत दर्ज है। 
 
वरुण ने 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान एक समुदाय विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण दिया था। उनके खिलाफ उत्तरप्रदेश में पीलीभीत के बरखेड़ा थाने में तीन केस दर्ज हुए। कुछ समय तक उन्हें जेल में रहना पड़ा। फिर जमानत पर रिहा हो गए। इस साल चार मई को पीलीभीत की अदालत ने उनके खिलाफ कोई सबूत न मिलने के कारण उन्हें रिहा करने का फैसला सुनाया। राज्य सरकार इसके खिलाफ ऊपरी अदालत में अपील की तैयारी कर रही है। 
 
तहलका के दावे 
 
-गवाहों के बयानों के दौरान कई मौके ऐसे आए जबकि जज अदालत में मौजूद ही नहीं थे। 
-कई गवाहों के बयान पुलिस ने लिखे। फिर उनके अंगूठे लगवा लिए। पुलिस अधीक्षक अमित वर्मा ने हिंदू गवाहों को पक्ष में किया। 
-सरकारी वकील ने वीडियो की जांच करने वाले फॉरेंसिक विशेषज्ञों से जिरह ही नहीं की। 
-उत्तरप्रदेश के 2012 के विधानसभा चुनाव में वरुण ने पीलीभीत से भाजपा के प्रत्याशी सतपाल गंगवार को हारने के लिए कहा। 
-इस तरह समाजवादी पार्टी के रियाज अहमद को जिताया गया। बाद में रियाज ने मुस्लिम गवाहों को वरुण के पक्ष में करने में मदद की। 
-रियाज पहले वरुण की मां मेनका गांधी के सहयोगी रहे हैं। अब प्रदेश में मंत्री हैं। 
-भड़काऊ भाषण रिकॉर्ड करने वाले तीन पत्रकार-तारिक अहमद, रामवीर सिंह, शारिक परवेज भी बयान से पलट गए। उन्हें खरीदा गया। 

बड़े सिर वाली बच्ची के सिर में पाइप डाल कर बाहर निकाला गया फ्लूड



गुडग़ांव। त्रिपुरा के जिरानिया गांव की रहने वाली रूना की उम्र महज 16 माह है। जन्म के बाद से ही उसका सिर बड़ा होता जा रहा था। पिछले महीने उसकी फोटो और खबर मीडिया में आई। इसके बाद गुडग़ांव का एक हॉस्पिटल मदद को सामने आया। रूना के पिता अब्दुल रहमान और मां फातिमा खातून दिहाड़ी मजदूर हैं। 
 
हाइड्रोसिफलस से जूझ रही 19 महीने की मासूम रूना के सिर में ड्रेनेज पाइप डाल कर फ्लूड बाहर निकाला गया था। फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों ने बताया कि सिर में फ्लूड की मात्रा अधिक होने के कारण इसे पेट से बाहर नहीं निकाला जा सकता था। बच्ची की स्थिति में सुधार को देखकर डॉक्टर भी उत्साहित हैं। रूना का सभी टेस्ट पहले ही हो चुका था। चेस्ट का इंफेक्शन भी कम हो गया। रूना के सिर के ऑपरेशन में लगभग एक घंटे का समय लगा। ऑपरेशन के बाद भी रूना को दो से तीन सप्ताह डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा।
 
रूना सामान्य बच्चों की तरह ही हाथ-पैर मारती है। सिर का आकार बड़ा होने के बाद भी आंखें खोल ले रही है। रूना के सिर का आकार 37 इंच था, जो पेट के आकार से बड़ा है। सिर में कम से कम 8 से 9 लीटर पानी जमा था। 

संजय दत्त आज करेंगे सरेंडर, जेल में खाना बनाएंगे या बागवानी करेंगे?



मुंबई। फिल्म अभिनेता संजय दत्त गुरुवार को टाडा कोर्ट में समर्पण करेंगे। उन्होंने पुणे की यरवदा जेल में समर्पण करने की अर्जी वापस ले ली है। वहीं जेल को संजय को मारने की धमकी भरी गुमनाम चिट्ठी मुंबई की आर्थर रोड जेल को मिली है। वहीं, संजय दत्त के घर के बाहर हिंदू राष्ट्र सेना के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया है। इसके बाद उनके घर के बाहर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 
 
बुधवार को टाडा कोर्ट में संजय दत्त के वकील ने एक अर्जी दी। इसमें उन्होंने यरवदा जेल में सरेंडर करने की अपील को वापस लेने की मांग की। साथ ही कहा गया कि संजय दत्त टाडा कोर्ट में ही सरेंडर करेंगे। इसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हालांकि अपील वापस लेने का कोई कारण नहीं बताया गया। उधर, मुंबई की आर्थर रोड स्थित सेंट्रल जेल को एक गुमनाम चिट्ठी मिली है। इसमें संजय दत्त को मारने की धमकी दी गई है। जेल अधिकारियों ने कहा कि वे दत्त की सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम करेंगे। 
 
सुप्रीम कोर्ट ने संजय दत्त को अवैध हथियार रखने के मामले में पांच साल की सजा सुनाई है। यह मामला १९९३ के मुंबई सीरियल ब्लास्ट से जुड़ा हुआ है। उन्हें साढ़े तीन साल की सजा काटनी है। केस की सुनवाई के दौरान वे डेढ़ साल जेल में पहले ही काट चुके हैं। 
 
अभी तय नहीं है कि संजय को किस जेल में भेजा जाएगा। लेकिन यह लगभग तय है कि जेल मैनुअल के मुताबिक सजा के दौरान उन्हें कोई न कोई काम करना होगा। पिछली बार कैद के दौरान उन्होंने कारपेंटर का काम किया था। एक कुर्सी भी बनाई थी। इस बार उन्हें खाना बनाने या बागवानी का काम सौंपा जा सकता है। काम के बदले रोज उन्हें 25 से 40 रुपए मेहनताना मिलेगा। वे 1500 रुपए हर माह अपने परिवार वालों से भी ले सकेंगे।

बहू को नौकरानी नहीं, परिवार का हिस्सा समझें:-



नई दिल्ली। दहेज की खातिर ससुराल में बहुओं के उत्पीड़न और जलाए जाने की घटनाओं पर चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बहू के साथ परिवार के सदस्य की तरह बर्ताव होना चाहिए, नौकरानी की तरह नहीं। ससुराल वालों की यातनाओं से तंग आकर खुदकुशी करने वाली महिला के पति को पांच साल कैद की सजा सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की।
जस्टिस केएस राधाकृष्णन व जस्टिस दीपक मिश्रा की पीठ ने कहा, बहू को ससुराल में अन्य परिजनों के जितना ही प्यार और लगाव मिलना चाहिए, न कि अजनबी के जैसा घृणित व्यवहार किया जाए। हर बात पर ऐसी धमकी नहीं दी जानी चाहिए कि उसे कभी भी ससुराल से बेदखल किया जा सकता है। पत्नी अमरजीत कौर की हत्या के आरोप में सात साल की सजा को चुनौती देने वाले गुरनैब सिंह की अपील पर अदालत ने ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। पीठ ने गुरनैब को हत्या के आरोप से तो मुक्त किया, लेकिन खुदकुशी के लिए उकसाने का दोषी पाया और पांच साल की सजा सुनाई।
घटनाक्रम के मुताबिक, वर्ष 1996 में शादी के बाद से दहेज को लेकर अमरजीत को यातनाएं मिलने लगीं। उसने दो साल बाद ही कीटनाशक पीकर खुदकुशी कर ली। ट्रायल कोर्ट ने गुरनैब की मां और भाई को भी सात साल की सजा सुनाई थी। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने गुरनैब की सजा बरकरार रखी, लेकिन उसके भाई को बरी कर दिया। हाई कोर्ट में अपील लंबित रहने के दौरान गुरनैब की मां की मौत हो गई।
अदालत ने फैसले में लिखा, 'ससुराल में बहू को सम्मान, विवाह की पवित्रता और महत्व को बढ़ाने के अलावा सभ्य समाज की संवेदनशीलता को प्रदर्शित करता है। यह वास्तव में शादी के बाद बेशुमार खुशियां मिलने के लड़की के सपनों को पूरा करता है। लेकिन कभी कभार पति, ससुरालीजन और अन्य रिश्तेदारों की ओर से बहू के साथ होने वाले बर्ताव से समाज के संवेदनशून्य होने का अहसास होता है। इससे लड़की की जिंदगी की बर्बाद हो जाती है। ससुराल पहुंचते ही दहेज के लिए बहू के साथ क्रूरता और उत्पीड़न से जीने की उसकी ख्वाहिश खत्म हो जाती है और खुदकुशी करने को मजबूर कर देती है।'

''बहू को जलाकर मार देने या जिंदगी भर शारीरिक और मानसिक यातनाएं देने की घटनाएं शर्मनाक हैं।''

-सुप्रीम कोर्ट

और इक इम्तिहान बाक़ी है


और इक इम्तिहान बाक़ी है
इसलिए थोडी जान बाक़ी है

सर से हर बोझ हट गया मेरे
सिर्फ़ इक आसमान बाक़ी है

मैं खतावार हूँ तिरा लेकिन
तेरे दिल का बयान बाक़ी है

मेरे हाथों में अब लकीरें नहीं
तेरे लब का निशान बाक़ी है

न रहा मैं तो कोई ग़म कैसा
अब भी तो ये जहान बाक़ी है

ज़ख्म तो कब के भर गये यारों
ज़ख्मों की दास्तान बाक़ी है

और इक इम्तिहान बाक़ी है
इसलिए थोडी जान बाक़ी है

सर से हर बोझ हट गया मेरे
सिर्फ़ इक आसमान बाक़ी है

मैं खतावार हूँ तिरा लेकिन
तेरे दिल का बयान बाक़ी है

मेरे हाथों में अब लकीरें नहीं
तेरे लब का निशान बाक़ी है

न रहा मैं तो कोई ग़म कैसा
अब भी तो ये जहान बाक़ी है

ज़ख्म तो कब के भर गये यारों
ज़ख्मों की दास्तान बाक़ी है

मेरी तन्हाई में साये को जरा आने दे

मेरी तन्हाई में साये को जरा आने दे
ऐ मेरे दिल मुझे चिराग तो जलाने दे
वो मेरे पास नहीं है, उसकी यादें तो है
उसके हर खत को होठों सो लगाने दे
आईने में बड़ा मायूस तेरा चेहरा है
कम से कम अक्स को तो मुस्कुराने दे
बांध न तू मुझे ऐ जिंदगी दुनिया से
इस नशेमन से परवाज को उड़ जाने दे

"ख्वाब जब ठहरे हुए हों तेरी आँखों में

"ख्वाब जब ठहरे हुए हों तेरी आँखों में
और तुझको नींद से कोई जगा दे
सोच लेना शीर्षकों के बाद जिन्दगी का शेष पन्ना
चीख कर चुप हो गया है
पढ़ चुका हूँ ध्यान देकर उस इबारत को
जो नहीं लिख पाए तुम सपनो की स्याही से
आत्मा की चीख भाषा में समाती नहीं है
शब्दों की जरूरत शेष है क्या ?-- तुम बताना
आज सपना देखना मत, गुनगुनाना
नीद अब तुमको यूँही आती नहीं है
लौटता हूँ युद्ध से मैं रक्तरंजित
पूछता हूँ तेरे तकिये से -- नमी का राज क्या है ? "--- राजीव चतुर्वेदी

कुरान का सन्देश

 
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