फिर भी हम साथ है - पंकज त्रिवेदी
तुम जानती हो
मैं कभी नहीं चाहता तुम्हारी चाहत की
कहीं भी किसी तरह तौहीन हो !
तुम जानती हो
मेरी चाहत किसी दायरे में बंधी नहीं है
और न चाहत की आड में कोई मंशा !
तुम जानती हो
तुम्हारी आँखों में उभरती तसवीर मेरी
तुम्हें ही प्रतिबिंबित करती है खुशी के नाम !
तुम जानती हो
मुझे प्यार जताना नहीं आता कभी
मगर छोटी सी बात पर आँखें नम होती है !
तुम जानती हो
तुम कईंबार कुछ कह देती हो तो मैं चुप और
मेरी बात पे कभी तुम्हारी चुप्पी होती है न?
तुम जानती हो
मैं कुछ न कहकर भी कुछ सह नहीं पाता हूँ
बच्चों की तरह तुम्हारे प्यार को पाने को बेताब !
तुम जानती हो
शायद यही कारण है कि तुम मुझे सह लेती हो
अपने अरमानों को दबाकर भी खुश रखती हो !
तुम जानती हो
कि मैं भी ये सब जानते हुए न जाने कितनी आशा
अपेक्षा के बीच झूलता हुआ, फिर भी हम साथ है !
फिर भी हम साथ है - पंकज त्रिवेदी
तुम जानती हो
मैं कभी नहीं चाहता तुम्हारी चाहत की
कहीं भी किसी तरह तौहीन हो !
तुम जानती हो
मेरी चाहत किसी दायरे में बंधी नहीं है
और न चाहत की आड में कोई मंशा !
तुम जानती हो
तुम्हारी आँखों में उभरती तसवीर मेरी
तुम्हें ही प्रतिबिंबित करती है खुशी के नाम !
तुम जानती हो
मुझे प्यार जताना नहीं आता कभी
मगर छोटी सी बात पर आँखें नम होती है !
तुम जानती हो
तुम कईंबार कुछ कह देती हो तो मैं चुप और
मेरी बात पे कभी तुम्हारी चुप्पी होती है न?
तुम जानती हो
मैं कुछ न कहकर भी कुछ सह नहीं पाता हूँ
बच्चों की तरह तुम्हारे प्यार को पाने को बेताब !
तुम जानती हो
शायद यही कारण है कि तुम मुझे सह लेती हो
अपने अरमानों को दबाकर भी खुश रखती हो !
तुम जानती हो
कि मैं भी ये सब जानते हुए न जाने कितनी आशा
अपेक्षा के बीच झूलता हुआ, फिर भी हम साथ है !
तुम जानती हो
मैं कभी नहीं चाहता तुम्हारी चाहत की
कहीं भी किसी तरह तौहीन हो !
तुम जानती हो
मेरी चाहत किसी दायरे में बंधी नहीं है
और न चाहत की आड में कोई मंशा !
तुम जानती हो
तुम्हारी आँखों में उभरती तसवीर मेरी
तुम्हें ही प्रतिबिंबित करती है खुशी के नाम !
तुम जानती हो
मुझे प्यार जताना नहीं आता कभी
मगर छोटी सी बात पर आँखें नम होती है !
तुम जानती हो
तुम कईंबार कुछ कह देती हो तो मैं चुप और
मेरी बात पे कभी तुम्हारी चुप्पी होती है न?
तुम जानती हो
मैं कुछ न कहकर भी कुछ सह नहीं पाता हूँ
बच्चों की तरह तुम्हारे प्यार को पाने को बेताब !
तुम जानती हो
शायद यही कारण है कि तुम मुझे सह लेती हो
अपने अरमानों को दबाकर भी खुश रखती हो !
तुम जानती हो
कि मैं भी ये सब जानते हुए न जाने कितनी आशा
अपेक्षा के बीच झूलता हुआ, फिर भी हम साथ है !