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19 मई 2013

फिर भी हम साथ है - पंकज त्रिवेदी

फिर भी हम साथ है - पंकज त्रिवेदी

तुम जानती हो
मैं कभी नहीं चाहता तुम्हारी चाहत की
कहीं भी किसी तरह तौहीन हो !

तुम जानती हो
मेरी चाहत किसी दायरे में बंधी नहीं है
और न चाहत की आड में कोई मंशा !

तुम जानती हो
तुम्हारी आँखों में उभरती तसवीर मेरी
तुम्हें ही प्रतिबिंबित करती है खुशी के नाम !

तुम जानती हो
मुझे प्यार जताना नहीं आता कभी
मगर छोटी सी बात पर आँखें नम होती है !

तुम जानती हो
तुम कईंबार कुछ कह देती हो तो मैं चुप और
मेरी बात पे कभी तुम्हारी चुप्पी होती है न?

तुम जानती हो
मैं कुछ न कहकर भी कुछ सह नहीं पाता हूँ
बच्चों की तरह तुम्हारे प्यार को पाने को बेताब !

तुम जानती हो
शायद यही कारण है कि तुम मुझे सह लेती हो
अपने अरमानों को दबाकर भी खुश रखती हो !

तुम जानती हो
कि मैं भी ये सब जानते हुए न जाने कितनी आशा
अपेक्षा के बीच झूलता हुआ, फिर भी हम साथ है !

घड़ोली एक चर्चा



विवाहों पर घड़ोली प्रथा की शुरुवात बहुत पुराने समय में हो गई थी. जब बरात जाती थी तो रस्ते में डाकू .. लुटेरे मिल जाते थे . कोई दुर्घटना इत्यादि की संभावना भी बनी रहती थी. उस पर शकुन शास्त्र के अनुसार यदि यात्रा के समय घर से निकलने पर सामने से पानी लता कोई दिख जाए तो मiन जाता था की शुभ शकुन हुआ. यह विश्वास किया जाता था की यात्रा सुखद एवं सुरक्षित होगी. पंजाबी में इसी पौन्खा कहा जाता है.इसलिए पानी लता कोई मिल जाता था तो उसके पानी में कोई सिक्का डाल दिया जाता था.आभार व्यक्त करने हेतु.
प्रथा चली तो घिसी भी जाने लगी . की बारात चलते समय कोई पाने लता न मिला तो ?घर के किसी व्यक्ति को इस काम पर लगाया जाता था.इस्त्रियाँ ही पानी लेन का काम करती थी.घेर ली लड़की को भेजना है तो बेटी को महत्त्व दिया गया की नेग स्वरुप धन उसी को मिले .घेरी की लड़की का चुनाव है तो ब्याहता को महत्त्व दिया गया की इस बहाने नेग उसकी सुसराल पहुंचे. इस prakaar नेग की रकम सिक्के से बढ़कर रुपया , चाँदी सोना और किसी कीमती उपहार तक जा पहुंची.
दिखावा तो ज़रूरी बन ही गया था इसलिए . लड़कियों की शादी में भी घड़ोली का रिवाज़ चल पड़ा. जबकि कोई बारात या पौन्खा की आवश्यकता नहीं थी. चलो कुछ सोचा जाये. अब इस घड़ोली के पानी के प्रयोग होनी लाहा दूल्हा या दुल्हन के नहाने के लिए.
अब घड़ोली के गीतों का अविष्कार भी हो गया.
भरी घड़ोली शीशेयाँ चाय वद्दि हाँ , मेडे वीर दी शादी हिम जग जश्न मनाई वद्दी हाँ.
मैं डू डू वेस बताये वंज वीरन कुन दिखलाये सरे लगदा विच मान अपना वधाई वड्डी हाँ
हाँ लड़कियों के विवाह पर घड़ोली के गीत की मुझे तलाश है.... कोई तो सहायता करो भाई.

-एक नाराज औरत की डायरी

पुरूष चरित्रम दैवो न जानति

पुरूषों का यह कैसा चरित्र है?कहीं-कहीं वे इस बात पर इतराते मिलते हैं कि उनके कई स्त्रियों से संबंध रहे हैं और उनसे उनकी संतानें भी हैं,तो कहीं वे पुरजोर कोशिश करते हैं कि उनकी रास लीलाएं जग-जाहिर ना हो|इतराने वालों के बेहतरीन उदाहरण
पिछले वर्ष चर्चित वेबसाइट विकीलिक्स के संस्थापक जूलियन असांजे रहे,जो सभा-समाज में भी इस बात की वाहवाही लेते रहे कि दुनिया के अलग-अलग हिस्से में उनके कई बच्चे हैं |उनकी सबसे बड़ी कामना रही कि प्रत्येक महाद्वीप में अधिक से अधिक जूलियन हों | भारत में भी उनके जैसी मानसिकता वालों की कमी नहीं,पर खुलेआम इसे स्वीकार करने का साहस उनमें नहीं आ पाया है|इसके सबसे ताजा सबूत नारायण दत्त तिवारी रहे |तिवारी जी रोहित तिवारी के जैविक पुत्र होने के दावे को लगातार ठुकराए रहे,पर डीएनए के रिपोर्ट ने सच से पर्दा उठा दिया | आखिर क्यों पुरूष अपने किए पर पर्दा डालता है ?अपने प्रेम को पाप बनाते,उसका सारा दोष स्त्री पर डालते उसे एक पल भी नहीं लगता |मधुमिता हत्याकांड भी तो इसी पुरूष-चरित्र का परिणाम था |ऊपर से शास्त्र ने कह दिया -'स्त्री के चरित्र और पुरूष के भाग्य का पता नहीं होता |'और पुरूष ने स्त्री को आहत करने के लिए घातक हथियार की तरह इस फतवे का इस्तेमाल किया |स्त्री हीन-भाव से भर अनकिए अपराधों की सजा पाती रही और पुरूष अपराधी होने पर भी मूछों पर ताव देता रहा |ऐसे रिश्तों से उत्पन्न संतानें भी माँ को ही दोषी मानती रहीं |अपने परित्याग के लिए कुंती को दोष देने वाले कर्ण ने क्या सूर्य को जनता की अदालत में घसीटा ? रोहित शेखर ने जग-हंसाईं की परवाह न करते हुए अपने पुत्र होने को साबित किया और अपनी माँ का मुख उज्ज्वल किया,इसके लिए उन्हें साधुवाद |कम से कम अब तो ऐसे पुरूष-चरित्र उजागर होंगे |मैं तो आज से ही कहती हूँ -पुरूष के चरित्र को देवता भी नहीं समझ सकते.इसलिए स्त्रियों सावधान |भाग्य तुम्हारा भी होता है |पौरूष तुममें भी है |
-एक नाराज औरत की डायरी

"बाबा के मरने के बाद भी

"बाबा के मरने के बाद भी
मैं सुन सकता हूँ उनकी खांसती आवाज
और उस आवाज़ के बीच में गाय का रम्भाना
वह मरफ़ी का ट्रांजिस्टर और उसके साथ भजन गुनगुनाना
पाकिस्तान के हमले की बुलेटिन पर बुदबुदाती विबशता
दूर शहर में बंगले में नाती, गमले के पौधे
और गाँव में गाय को पानी पिलाने की चिंता
वह गाँव में दोपहर को पंहुचता सुबह का अखबार
जिसको पढ़ कर बांचे जाते थे समाचार और समाज के सरोकार
जिन्दगी की शाम को सुबह का इंतज़ार
उम्र के अंतिम दौर में
दादी का अपने सुहाग के दीर्घायु होने का अब भी शर्माता सा सपना
वह रात को सोते समय दूध का गिलास
वह सुबह ..वह आँगन ...वह तुलसी का घरोंदा
वह भूरा और कलुआ जैसा जूठन पर अधिकार जताता कुत्ता
जिसकी आँखों में हिंसा कम और प्यार ज्यादा था
अब तो दादी- बाबा की बस स्मृति शेष है
बाबा की बरसी पर पिता और चाचाओं ने बेच दिया था बाबा का मकान
वह बूढा बैल, श्यामा गाय, शीसम का तखत,
उम्र की दीमग से सहेज कर रखी
दादी के यहाँ से दहेज़ में आयी मेज
जूट के पट्टे पर झूला सा झुलाती वह आराम कुर्सी
वह लोभी आढ़तिया अब भी अपनी गद्दी पर लेटा है
पापा के पढने को दादी की हंसुली गिरवी रखी जहां थी
वह तोता भी उड़ गया कहीं
वह पिजड़ा भी अब खाली है
यह स्मृति है... स्मृति का क्या ?
अब तो स्मृत ही शेष बची है
चलो यहाँ
कल अपनी भी बारी होगी
कुछ ऐसी ही तैयारी होगी." ----राजीव चतुर्वेदी

"गरीबी" किसे कहा जाय ?

"गरीबी" किसे कहा जाय ? --- इसकी कोई आर्थिक परिभाषा नहीं है और डॉक्टरों के अनुसार "भूख से मौत" नहीं होती मौत तो खून की कमी से होती है ...यह दीगर बात है कि खून की कमी का कारण भूख हो ...जब "गरीबी" और "भूख" की कोइ परिभाषा है ही नहीं तो अवधारणा से ही काम चलाया जा रहा है ...कभी योजना आयोग का सिरफिरा सरदार मोंटेक सिंह 32 व 26 रूपये रोज की समृद्धि का अर्थशास्त्र देता है तो अब गरीबी का उपहास उड़ाते हुए दिल्ली की मुख्यमंत्री 5 रूपये रोज में गुजारा करने वालों को गरीब नहीं ...भूखा नहीं बल्कि गरीबी की रेखा से ऊपर माध्यम वर्गीय मानती हैं .ऐसे ही गरीबी का उपहास उड़ाते सरकारी जुमले ही फ्रांस की क्रान्ति के उत्प्रेरक बने थे . फ़्रांस के राजा लुई 14 वें की पत्नी मैरी एंटोयनेट शाम को किले के कंगूरे पर बैठी थी ...किले के चारो और भूखी भीड़ धरना दिए रोटी मांग रही थी ...गरीबी से सर्वथा अनभिग्य मैरी एंटोयनेट ने पूछा कि "इन्हें जब रोटी नहीं मिलती तो केक क्यों नहीं खा लेते ?" मैरी एंटोयनेट की मूर्खता के हमशक्ल इस अबोध वक्तव्य से फ्रांस की क्रान्ति भड़का दी थी ...और अंत में एक दिन भूखी भीड़ फ्रांस के महल में घुस कर मैरी एंटोयनेट को बाल पकड़ कर सड़कों पर घसीट लाई थी ...सोनिया ,मोंटेक ,मनमोहन और अब शीला दीक्षित भी मैरी एंटोयनेटका भारतीय संस्करण हैं .
"समाज के आर- पार गरीबी की रेखा कैसे खींची ? --किसने खींची ? भारत में गरीबी की परिभाषा क्या हो ? --यह सवाल सबसे पहले 1957 में "भारतीय श्रम सम्मलेन" में उठे थे . 1962 में योजना आयोग के विशेषज्ञों ने इसके लिए "दांडेकर -रथ समिति" गठित की जिसने पोषण आवश्यकता" को गरीबी की कसौटी बनाया. दांडेकर -रथ समिति के अनुसार ग्रामीण क्षेत्र के लिए 2400 कैलोरी और शहरी क्षेत्र के लिए 2100 कैलोरी की शक्ति दे सकने वाले भोजन को "न्यूनतम पोषण आवश्यकता" माना गया. विडंबना यह है कि यहाँ भोजन की गरिमा के विषय में कोई बात ही नहीं की गयी. इस प्रकार देश के दूर दराज के हिस्सों में रह रहे दीमक की चटनी खाते लोग. या सांप का फन काट कर शेष हिस्से को खाते लोग या जूठन खाते लोग आवश्यक कैलोरी का भोजन लेने के कारण गरीबी की रेखा के ऊपर हैं और मुम्बई में डोमिनो का पिज्जा खाने वाली करीना कपूर चूंकि मात्र 600 कैलोरी का भोजन लेने के कारण गरीबी की रेखा के नीचे है. इसी क्रम में आया "मनमोहन -मोंटेक सिंह का अर्थ शास्त्र " कि जिसके अनुसार अब वह भारत का नागरिक जो 32 रुपये प्रति दिन पाता है गरीबी की रेखा के नीचे नहीं है. जब देश स्वतंत्र हुआ था तब मात्र 9% लोग ही गरीबी की रेखा के नीचे थे. आज 40 % गरीबी की रेखा के नीचे और 30 % गरीबी की रेखा के ठीक ऊपर हैं, यानी देश के 70 % की आबादी दरिद्रों अतिदरिद्रों की है . देश के कुल 7 % लोगों को ही शुद्ध पेयजल उपलब्ध हो पा रहा है. स्वास्थ सेवा पहाड़ सी हैं पर पिद्दी से मच्छर डेंगू से पराजित होती नज़र आती हैं. टाट - पट्टी स्कूल और अभिजात्य पब्लिक स्कूलों के बीच सामान मुफ्त शिक्षा का नारा हतप्रभ खड़ा है. विश्व की हर सातवीं बाल वैश्या भारत की बेटी है. 30 % महिलायें खुले मैं शौच जाने को अभिशिप्त हैं और झुनझुना बजाया जा रहा है महिलाओं के राजनीति में आरक्षण का. रोशनी , रास्ते , राशन और रोजगारों पर शहरों का कब्जा है और असली भारत बेरोजगार अँधेरे में उदास, अपमानित बैठा है."( श्रोत -- राजीव चतुर्वेदी लिखित पुस्तक "आर्तनाद-- मानवाधिकारों की उपेक्षा और अपेक्षा")" --- राजीव चतुर्वेदी

"सवा अरब की आबादी में प्यार की कविताए कहते लोग सुनो तुम

( "कविता बच्चियों पर कम और बूढीयों पर भूल चूक से ही लिखी जाती हैं. अधिकाँश कविता युवतियों पर ही लिखी जाती हैं. --- तो क्या कविता केवल प्रणय निवेदन की गुटुर-गूं है ? वह बातें और शैली जो सामान्य वार्तालाप में छिनरफंद ही कही जाती हैं, कविताओं में सराही क्यों जाती हैं ? विडंबना है, सवा अरब की आबादी वाले देश में अधिकाँश कवितायें प्यार पर लिखी जा रही हैं वक्त की मार पर नहीं . अगर मीरा महान थी तो लोग अपनी बेटी, बहन,पत्नी या मां को मीरा के रूप में क्यों नहीं देखना चाहते ? जाहिर है प्रणय आखेट के लिए दूसरों के घर में मीरा तलाशी जा रही है अपने घर में नहीं. पुरुष प्रधान समाज में शातिर शब्दों के चुगे को कविता समझ कर कहीं कहीं हम सामूहिक चरित्र हीनता की ओर नहीं बढ़ रहे ?" ----राजीव चतुर्वेदी )

"सवा अरब की आबादी में प्यार की कविताए कहते लोग सुनो तुम
सच्चाई से आँख मूँद कर बेतुक से हेतुक साध रहे
हर कायर शब्दों के शिल्पकार को कवि न समझो
ध्यान रहे धृतराष्ट्र यहाँ था, सौ बच्चों को नाम दे गया
देखो, नेताओं के भाषण के धारें समय के शिलालेख पर पैनी होती जाती हैं
और कतारें राशन की गलियाँ लांघ
सड़क की पैमाइश करती हैं असली भारत की
जहां हमारे देश की सूरत और घिनौनी होती जाती है
भूखी गरिमा सहमी सी मर्यादा में कैद
तुम्हारी नज़रों के हर खोट भांप
महगाई की अब चोट से घायल झीने से कपड़ों में कातर कविता सी दिखती है
कामुकता की करतूतों को जो प्रेम कहा करते हैं
उनसे पूछो सच बतलाना
घर की दहलीजों के भीतर सहमी सी बेटी पिता की आँखों में क्या- क्या पढ़ती है ?
वात्सल्य का शल्य परीक्षण कर डालोगे,
कलम तुम्हारी कविता लिख कर काँप उठेगी
शब्दों की अंगड़ाई में सच की साँसें सहमेंगी फिर हांफ उठेंगी
बहन सहम के क्यों ठहरी हैं दालानों में ?
भाई, ...भाई के मित्र निगाहों से किस रिश्ते की पैमाइश करते हैं
फब्तियों के वह झोंके और झपट्टा हर निगाह का,
... एक दुपट्टा जाने क्या क्या सह जाता है
और गाँव का वह जो गुरु है गिद्ध दृष्टि उसकी भी देखो
पढ़ पाओ तो मुझे बतान--- वात्सल्य था या थी करुणा या श्रृंगार था
कामुकता को कविता जो समझे बैठे हैं मटुकनाथ से हर अनाथ तक
हर भूखा वक्तव्य काव्य की अभिलाषा में बाट जोहता
शहरों के अब ठाठ देख कर खौल रहा है
और सभ्यता के शब्दों की पराक्रमी पैमाइश करते
छल के कोष शब्दकोषों की नीलामी करते भी देखो तो कविता दिखती है
अपनी माँ का दूध न पी पा रहे गाय के बछड़े की निगाहों में भी देखो झाँक कर
कविता में वात्सल्य गुमशुदा है वर्षों से
कविता में सौन्दर्य था तो फिर क्यों गुमनाम हो गया
गौहरबानो को देखा था कभी शिवा ने
वह बातें क्यों अब याद नहीं आती हैं हमको
कामुकता को आकार दे रहे शब्दों के संयोजन को संकेतों से कहने वालो
सहमी है बुलबुल डालों पर और गिद्ध वहीं बैठा है
सहमी है बेटी घर पर अब पिता जहां लेटा है
गाँव के बच्चे शहरों से सहमे हैं
सिद्धो के शहरों में गिद्धों के वंशनाश के क्या माने ?
पर गौरईया पर गौर करो तो कविता हो
सहवासों, बनवासों, उपवासों में उलझा आद्यात्म यहाँ
यमदाग्नी से जठराग्नी तक की बात करो तो कविता हो
कामुकता को कविता कहने वालो
सवा अरब की आबादी में
क्या तुमको यह अच्छा लगता है ?" ------राजीव चतुर्वेदी

एक ब्रेक ब्रेक के बाद

एक ब्रेक
ब्रेक के बाद
देखते हैं क्‍या होगा

या तो नींद आएगी
या नहीं आएगी
आ गई तो सोऊंगा

नहीं आई तो
पढूंगा
समझ आ गया तो
हो सकता है हंसू
अगर हंसने की बात हुई

न हंसने की बात हुई
और हंस दिया
तो पत्‍नी रिमांड ले लेगी

रिमांड तो ठीक है
पर अगर उसने
फेसबुक में खाता
खोलने की रख दी डिमांड
तो पगला जाएगा माइंड

अब सोच रहा हूं
ब्रेक लूं या एक्‍सीलेटर का
करूं इस्‍तेमाल
और फेसबुक की गाड़ी को
यूं ही दौड़ाता रहूं।

कुछ आप भी बतलायें
आप भी चला रहे हैं
फेसबुक की गाड़ी
मैं ही हूं अनाड़ी
गैर मान्‍यता प्राप्‍त
बिना लाइसेंस के
बाकी सबके पास
है लाईसेंस

गृह मंत्री द्वारा जारी किया हुआ
यहां सारी सत्‍ता
गृहिणी मंत्री के पास है
आपका क्‍या हिसाब किताब है

झूठ बोल दिया
या लिख दिया
तो ऑडिट के लिए
रेफर कर दूंगा
ध्‍यान रहे
और सावधान रहना।

एक बार एक मछुआरा समुद्र किनारे आराम से

एक बार एक मछुआरा समुद्र किनारे आराम से
छांव में बैठकर शांति से बीडी पी रहा था ।
अचानक एक बिजनैसमैन वहाँ सेगुजरा और
उसने मछुआरे से पूछा "तुम काम करने के बजाय
आराम क्यों फरमा रहे हो?"
इस पर गरीब मछुआरे ने कहा"मैने आज के लिये पर्याप्त मछलियाँ पकड चुका हूँ ।"
यह सुनकर बिज़नेसमैन गुस्से में आकर बोला "
यहाँ बैठकर समय बर्बाद करने से बेहतर है
कि तुम क्यों ना और मछलियाँ पकडो ।"
मछुआरे ने पूछा "और मछलियाँपकडने से
क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : उन्हे बेंचकर तुम औरज्यादा पैसे
कमा सकते हो और एक बडी बोट भी लेसकते
हो ।
मछुआरा :- उससे क्या होगा ?
बिज़नेसमैन :- उससे तुम समुद्र में और दूर तक
जाकर और मछलियाँ पकड सकते हो और ज्यादा पैसे कमा सकते हो ।
मछुआरा :- "उससे क्या होगा?"
बिज़नेसमैन : "तुम और अधिक बोट खरीद
सकते हो और कर्मचारी रखकर और अधिक
पैसेकमा सकते हो ।"
मछुआरा : "उससे क्या होगा ?" बिज़नेसमैन : "उससेतुम मेरी तरह अमीर
बिज़नेसमैन बन जाओगे ।"
मछुआरा :- "उससे क्या होगा?"
बिज़नेसमैन : "अरे बेवकूफ उससे तू
अपना जीवन शांति सेव्यतीत कर सकेगा ।"
मछुआरा :- "तो आपको क्या लगता है, अभी मैं क्या कर रहा हूँ ?!!"

मासूमों से दुष्कर्म: सरकार भी भागीदार, CBI को सौंप देना चाहिए केस



 
जयपुर.मूक-बधिर बच्चों की पीड़ा जानना वाकई बहुत मुश्किल है। उनको शिक्षा देने वाली संस्थाओं ने सारे नियम-कायदे ताक में रख दिए हैं। एक स्कूल से पढ़कर निकलने वाला बच्चा दूसरे स्कूल के बच्चे की पूरी बात तक नहीं समझ सकता क्योंकि  री-हैबिलिटेशन कांउसिल आफ इंडिया (आरसीआई) की ओर से मूक-बधिरों को पढ़ाने के लिए तय भाषा (लिप रीडिंग) को पूरी तरह से लागू ही नहीं किया गया। हर स्कूल व संस्थान ने अपने स्तर पर साइन लैंग्वेज बना रखी है। 
 
‘आवाज’ फाउंडेशन संस्थान में मूक-बधिर बालिकाओं से दुष्कर्म की घटना पर रविवार को भास्कर ने टॉक शो किया। ऐसे बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों व बाल कल्याण समिति के पदाधिकारियों ने यह खुलासा किया। उनका सुझाव था कि यहां या तो लिप रीडिंग पूरी तरह से लागू हो अन्यथा अमेरिकन या ब्रिटिश साइन लैंग्वेज बनाई जाए ताकि ये बच्चे आसानी से अपनी बात व्यक्त कर सकें।  टॉक शो में शामिल डॉक्टर, वकील, शिक्षक, पुलिस अफसर, व्यापारी व निजी संस्थाओं से जुड़े लोगों ने कहा कि इस घटना से हर वर्ग परेशान  है। लोग पूरे सिस्टम को जिम्मेदार मान रहे हैं। यह केस सीबीआई को सौंप देना चाहिए। आरोपियों को कड़ी सजा देने के लिए केस फास्ट ट्रैक अदालत में भेजा जाना चाहिए। 
 
न तो समय पर काउंसलिंग, न मॉनिटरिंग  : मूक-बधिर, नेत्रहीन व निशक्त बालक बालिकाओं को शिक्षा देने वाली ऐसी संस्थाओं की नियमित मॉनिटरिंग नहीं हो रही है। मूक-बधिर बच्चों की काउंसलिंग तक समय पर नहीं होती। नियमों के अनुसार तीन माह के भीतर काउंसलिंग होनी चाहिए जबकि इनसे जुड़ी संस्थाएं नियम-कायदों का पालन नहीं कर रहीं। ऐसे आश्रित बच्चों को समझाने व पढ़ाने के लिए बाल मन समझने वाले शिक्षक तक नहीं हैं और जो हैं, वे पूरी तरह से सक्षम नहीं हैं।

विदेशी बालाओं संग डांस करने को लेकर हुए झगड़े में डीआईजी के बेटे की हत्या


पटना। बिहार में पूर्णिया रेंज के डीआईजी बच्चू सिंह मीणा के बेटे रक्षित मीणा की गंगटोक के एक डिस्को क्लब में झगड़े के बाद हुई पिटार्ई से मौत हो गई। गंगटोक के एसपी मनोज तिवारी ने इस घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि इस सिलसिले में सात लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है। सभी बड़े बाप के बेटे हैं।

डीआईजी मीणा का बेटा मणिपाल यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था। बताया जाता है कि बीती रात वह अपने दोस्तों के साथ गंगटोक गया था। वहां के एक डिस्को क्लब में रक्षित ने दोस्तों के साथ बियर पी। क्लब में पहले से ही कुछ विदेशी लड़कियां थीं।
शराब पीने के बाद लड़के उन लड़कियों के साथ डांस करना चाहते थे। इसी दौरान रक्षित की दूसरे गुट के लड़कों से कहा सुनी हो गई। उनलोगों ने रक्षित की इतनी पिटाई कर कर दी कि अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसकी मौत हो गयी। एसपी तिवारी ने बताया कि आंतरिक खून के रिसाव की वजह से रक्षित की मौत हो गयी।
रक्षित के परिजन शव को लाने के लिए सिक्किम पहुंच गये हैं। एसपी ने बताया कि हत्या के आरोप में पकड़े गये सातों लड़के बड़े घरों से ताल्लुक रखते हैं। हाउसिंग डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी रहे गुरमर वानचुंग और पावर सेक्रेटरी रह चुके एक अधिकारी के बेटे गिरफ्तारों में शामिल हैं।

10 बच्चियों से रेप: सिर्फ एक नहीं, दरिन्दे कई जगह तार-तार करते रहे आबरू!


जयपुर.कानोता स्थित आवाज फाउंडेशन संस्था के कर्मचारियों ने न केवल गांधीनगर स्थित बालिका गृह की मूक-बधिर बच्चियों से दुष्कर्म किया, बल्कि आवाज फाउंडेशन में रहने आईं अन्य जगहों की मूक-बधिर बच्चियों को भी शिकार बनाया। सभी की उम्र 14 से 17 साल के बीच है। बालिका गृह की दुष्कर्म पीड़िता दो बच्चियों ने रविवार को काउंसलिंग के दौरान यह खुलासा किया। 
 
दोनों ने बताया कि उनके सहित करीब 10 बच्चियों से दुष्कर्म किया गया। इनमें चार गांधीनगर स्थित बालिका गृह की तथा शेष अन्य संस्थानों की थीं। दोनों पीड़िताओं ने जिन बच्चियों से दुष्कर्म हुआ, उनके नाम भी बताए हैं। बाल कल्याण समिति ने इनके बयानों के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर पुलिस को दी है। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के कारण बच्चियां अपने घर चली गई हैं। ऐसे में कानोता पुलिस को सभी पीड़ित बालिकाओं व उनके परिजनों से संपर्क कर बयान लेने को कहा गया है।
 
दुष्कर्म पीड़िताओं के नाम भी पुलिस को सौंपे गए हैं। इस मामले में पुलिस आवाज फाउंडेशन की संचालिका अल्पना शर्मा, वार्डन अशोक प्रजापत, लिपिक सुरेश बैरवा, सहायक गीता व सुरक्षाकर्मी महेश माली को गिरफ्तार कर चुकी है।गीता को जमानत मिल चुकी है।
 
कुछ और बालिकाओं से दुष्कर्म की बात सामने आई 
 
बाल कल्याण समिति जयपुर के अध्यक्ष रामप्रकाश बैरवा का कहना है कि पीड़िताओं ने कई बालिकाओं के नाम बताकर उनके साथ दुष्कर्म होने की बात कही है। ऐसी बालिकाओं की नाम मय सूची पुलिस को जांच के लिए सौंपी है। क्योंकि जिन बालिकाओं के नाम बताए गए हैं उनमें से कुछ बालिकाएं बाहर की हैं। हम लोग भी ऐसी बालिकाओं से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं।

कुरान का सन्देश

"आचरण और व्याकरण की तंग गलियों से गुजरते शब्द की सिसकी सुनी तुमने ?

"आचरण और व्याकरण की तंग गलियों से गुजरते शब्द की सिसकी सुनी तुमने ?
सुनो !
संवेदना के सेतु से जाता हुआ वह हादसा देखो !!
बताओ लय-प्रलय के द्वंद्व के इस दौर में जो जन्मा है सृजन है क्या ?
फिर न कहना इस उदासी से कभी, ढह चुके विश्वास के टुकड़े उठाये --
दूर तक इस दर्द का विस्तार जिन्दगी के छोर का स्पर्ष करता है
देख पाओ तो तुम भी देखो जिन्दगी के उस तरफ
रात के बोझिल पलों में बूढ़े बरगद की टहनी जब खड़कती है
तो चिड़िया काँप जाती है
आचरण और व्याकरण की तंग गलियों से गुजरते शब्द की सिसकी सुनी तुमने ?
सुनो !!
संवेदना के सेतु से जाता हुआ वह हादसा देखो !!" ----- राजीव चतुर्वेदी

यह मनोहन सिंह के प्रधानमन्त्री वाली कोंग्रेस का ही कमाल है जिसके शासन में देश के अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के हत्यारों की पूजा और महिमामंडन किया जाने लगा

यह मनोहन सिंह के प्रधानमन्त्री वाली कोंग्रेस का ही कमाल है जिसके शासन में देश के अहिंसा के पुजारी राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के हत्यारों की पूजा और महिमामंडन किया जाने लगा है और इस अपराध को रोकने के लियें देश के पहले आतंकवादी के समर्थकों के खिलाफ कोई कानून नहीं बनाया गया है ऐसे लोग देश में राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को बदनाम कर उनके हत्यारे का महिमामंडन कर श्रीमती इंदिरा गाँधी और राजीव गाँधी के हत्यारों को भी उनके समर्थकों द्वारा म्हिमाम्न्दन की छुट देना चाहते है ताके देश में अराजकता के हालात हो कहा गयी गाँधी तेरी कोंग्रेस कहा गया गाँधी तेरा राष्ट्रपिता का सम्मान कोंग्रेस तेरे नामकी तो रोटियां सकती है लेकिन तेरी हत्या करने वालों के समर्थकों और तेरे खिलाफ अनर्गल बयानबाज़ी आरोप प्रत्यारोप लगाने वालों के खिलाफ कोई कार्यवाही का कानून तेरी कोंग्रेस नहीं बना रही है क्योंकि अभी कोंग्रेस में अधिकतम लोग गांधी विचारधारा के खिलाफ वाले लोग काबिज़ है फिर वोह राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी हो चाहे श्रीमती इंदिरा गाँधी हो या फिर आधुनिक भारत के निर्माता राजीव गाँधी हो .सत्ता के लियें भ्रष्टाचार के दल दल में धंसे इन लोगों ने कोंग्रेस में च्म्चावाद चापलूसी से कोंग्रेस को बना लिया है जय हो जय हो गाँधी तेरी कोंग्रेस और तेरे हत्यारे गोडसे के समर्थकों की यह करने का साहस कर रहे है ...अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दिन-रात जलता हूँ मैं

दिन-रात जलता हूँ मैं
खुद में ही पिघलता हूँ मैं !
खुद को गलाने से क्या होगा
व्यर्थ ही जलाने से क्या होगा
अक्सर ही ये सोचता हूँ मैं !
लोग इस तरह क्यूँ रहते हैं
औरों को जो दुःख देते हैं
किसी को इससे क्या मिलता है !
सब ये जानते हैं कि
जो भी बोया है
वो ही काटा जायेगा
आज जो हाथ आया लगता है
कल ही हाथ से चला जाएगा
सब कुछ समझकर भी
सब कुछ जानकार भी
जिस तरह लोग जीते हैं
कि जैसे औरों का लहू पीते हैं
समझ नहीं आता कि
क्यूँ इस तरह ये सब हो रहा है
दिन-रात जलता हूँ मैं
खुद में ही पिघलता हूँ मैं !!

परिवर्तन...??

परिवर्तन...???

पहले जब घर में शादी समारोह होता तो
घर की महिलाये खाना बनाती थी और
भाडे की महिलाओं से नाच करवाते थे..!

और अब
भाडे की महिलाओं से खाना बनवाते है
और घर की महिलाओं से नाच...!!

"देखो, तो अब भी कितनी चुस्त-दुरुस्त और पुरअसर है

"देखो, तो अब भी कितनी चुस्त-दुरुस्त और पुरअसर है
हमारी सदी की नफ़रत,
किस आसानी से चूर-चूर कर देती है
बड़ी-से-बड़ी रुकावटों को!
किस फुर्ती से झपटकर
हमें दबोच लेती है!

यह दूसरे जज़्बों से कितनी अलग है --
एक साथ ही बूढ़ी भी और जवान भी।
यह खुद उन कारणों को जन्म देती है
जिनसे पैदा हुई थी।
अगर यह सोती भी है तो हमेशा के लिए नहीं,
निद्राहीन रातें भी इसे थकाती नहीं,
बल्कि और तर-ओ-ताज़ा कर जाती हैं।

यह मज़हब हो या वह जो भी इसे जगा दे।
यह देश हो या वह जो भी इसे उठा दे।
इंसाफ भी तभी तक अपनी राह चलता है
जब तक नफ़रत इसकी दिशा नहीं बदल देती।
आपने देखा है इसका चेहरा
-- कामोन्माद की विकृत मुद्राओं वाला चेहरा।

ओह! दूसरे जज़्बात इसके सामने
कितनी कमज़ोर और मिमियाते हुए नज़र आते हैं।
क्या भाई-चारे के नाम पर भी किसी ने
भीड़ जुटाई है?
क्या करुणा से भी कोई काम पूरा हुआ है?
क्या संदेह कभी किसी फ़साद की जड़ बन सका है?
यह ताक़त सिर्फ़ नफ़रत में है।
ओह! इसकी प्रतिभा!
इसकी लगन! इसकी मेहनत!

कौन भुला सकता है वे गीत
जो इसने रचे?
वे पृष्ठ जो सिर्फ़ इसकी वजह से
इतिहास में जुड़े!
वे लाशें जिनसे पटे पड़े हैं
हमारे शहर, चौराहे और मैदान!

मानना ही होगा,
यह सौंदर्य के नए-नए आविष्कार कर सकती है,
इसकी अपनी सौंदर्य दृष्टि है।
आकाश के बीच फूटते हुए बमों की लाली
किस सूर्योदय से कम है।
और फिर खंडहरों की भव्य करुणा
जिनके बीच किसी फूहड़ मज़ाक की तरह
खड़ा हुआ विजय-स्तंभ!

नफ़रत में समाहित हैं
जाने कितने विरोधाभास --
विस्फोट के धमाके के बाद मौत की ख़ामोशी,
बर्फ़ीले मैदानों पर छितराया लाल खून।

इसके बावजूद यह कभी दूर नहीं जाती
अपने मूल स्वर से
ख़ून से सने शिकार पर झुके जल्लाद से।
यह हमेशा नई चुनौतियों के लिए तैयार रहती है
भले ही कभी कुछ देर हो जाए
पर आती ज़रूर है।
लोग कहते हैं नफ़रत अंधी होती है।
अंधी! और नफ़रत!
इसके पास तो जनाब, बाज की नज़र है
निर्निमेष देखती हुई भविष्य के आर-पार
जो कोई देख सकता है
तो सिर्फ़ नफ़रत।..."

- नफ़रत / विस्साव शिम्बोर्स्का

एक्ट्रेस, जिसने प्रभु देवा से शादी करने के लिए अपना लिया था हिंदू धर्म


जामनगर। गुजरात के जामनगर शहर की स्टूडेंट और हॉट एक्ट्रेस नयनतारा साउथ सिनेमा में सबसे ज्यादा चर्चित और विवादास्पद नाम हैं। हाल ही में नयनतारा दो वजहों से काफी चर्चा में रही थीं। पहला, साउथ फिल्मों के सुपर स्टार और डांसर प्रभु देवा से शादी करने के लिए ईसाई धर्म छोड़ हिंदू बनने का और दूसरा, शाहरुख खान की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में आइटम सॉन्ग करने से मना करने का।

यहां उल्लेखनीय है कि नयनतारा का मूल नाम डायना मरियम कुरियन है। नयनतारा के पिता का नाम कुरियन कोदियात्तु और मां का नाम ओमाना कुरियन है। पिता कुरियन एयर फोर्स में थे। नयनतारा ने देश के कई शहरों में पढ़ाई की, जिसमें चेन्नई, गुजरात और दिल्ली जैसे शहरों का भी समावेश है।

पिता के रिटायरमेंट के बाद परिवार केरला में शिफ्ट हो गया। नयनतारा ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई यहीं से की। नयनतारा चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना चाहती थीं।

रह-रह कर आवाज देती थी आत्मा, नकली लाश बना करना पड़ा अंतिम संस्कार



रांची/बुढ़मू।  वह तीन महीने से लापता है। पर, मां को बार-बार अहसास होता कि वह घर आया है। कभी आवाजें सुनाई देतीं, कभी लगता पास से गुजरा है। मां को लगा कि उसकी हत्या हो गई है और बेटे की आत्मा भटक रही है।
 
समाज और परिवार से बात की और तय हुआ कि उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाए, तो भटकती आत्मा को शांति मिल जाएगी। तीन दिनों का अंतिम संस्कार आयोजन किया गया। पुआल से उसका शव बनाया, अंतिम यात्रा निकाली गई और शनिवार को बाकायदा बेटे से मुखाग्नि दिलाकर दाह संस्कार कर दिया गया।
 
घटना रांची से 30 किलोमीटर दूर स्थित बुढ़मू थाना क्षेत्र के हुटपई गांव की है। यहां का 36 वर्षीय कोले उरांव नामक व्यक्ति तीन माह से लापता है। पुलिस में उसके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज है, लेकिन परिवार और पुलिस दोनों ही उसे ढूंढ़ने में नाकाम रहे।
 
इसी के चलते उसकी मां ने अंतिम संस्कार का निर्णय लिया। कोले की पत्नी सुनीता देवी, बच्चों के साथ समाज के लोगों को भी यही सही लगा। उसके 12 वर्षीय बेटे ने मुखाग्नि देकर शनिवार को उसका बाकायदा अंतिम संस्कार कर दिया।

किन्नरों ने पेश किया चांदी का कलश



अजमेर। सूफी संत हजरत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती के 801वें उर्स के बड़े कुल की रस्म सोमवार को अदा की जाएगी। बड़े कुल में शरीक होने के लिए शनिवार को भी खासी तादाद में अकीदतमंद पहुंचे। इधर दरगाह क्षेत्र में रौनक बनी हुई है और किन्नरों के अलग-अलग समूह जुलूस के रूप में चादर लेकर दरगाह पहुंच रहे हैं। दिल्ली के एक किन्नर ने पांच किलो चांदी का कलश धूमधाम से पेश किया। 
 
आज भी सुबह से ही चादरों के जुलूस दरगाह पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। फव्वारा सर्किल से जायरीन के विभिन्न समूह खूबसूरत और आकर्षक चादरों को जुलूस के रूप में लेकर रवाना हुए। ढोल ढमाकों के बीच निकले जुलूसों में खासी तादाद में आशिकान ए ख्वाजा शरीक हुए।
 
ख्वाजा का दामन नहीं छोड़ेंगे, मेरा ख्वाजा हिंद का राजा, नारा ए तकबीर अल्लाह ओ अकबर समेत विभिन्न सदाएं लगाते हुए जायरीन चल रहे थे। जुलूस में खासी तादाद में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हुए। गंज, देहली गेट और दरगाह बाजार होते हुए जुलूस दरगाह पहुंचे। इन जायरीन ने अपने-अपने दुआगो की वकालत में ये चादरें गरीब नवाज की मजार पर पेश कीं और मन्नत मांगी। 
 
 
किन्नरों की चादरें भी पहुंचने लगीं 
इधर दोपहर बाद देश के विभिन्न हिस्सों से आए किन्नर भी अलग-अलग जुलूस के रूप में चादर लेकर दरगाह पहुंचे। धानमंडी व मोती कटला से शुरू हुए जुलूसों में कुछ किन्नर ढोल ढमाकों की थाप पर थिकरते हुए चल रहे थे। किन्नरों की चादरों के जुलूस को देखने के लिए दरगाह बाजार में खासी भीड़ जमा हो गई। बाजार में स्थित विभिन्न गेस्ट हाउस और मकानों के झरोखों में भी लोग जमा थे। इधर मकानों व गेस्ट हाउस में रह रहे किन्नरों ने चादरों के जुलूस के दौरान नोट लुटाए और इन्हें लूटने के लिए लोगों में होड़ लगी नजर आई। जैसे ही जुलूस दरगाह के सामने पहुंचता, किन्नर अदब में सिर ढंक लेते और चादर को आस्ताना शरीफ चढ़ाने के लिए ले जाते।

नॉर्थ कोरि‍या ने फिर से दागी मिसाइल, नहीं माना अमेरिका की बात



सि‍योल. उत्तर कोरिया ने पूर्वी सागर में तीन मिसाइलें दागने के एक दिन बाद रविवार को फिर से एक कम रेंज की मिसाइल दागी है। दक्षिण कोरिया की समाचार एजेंसी योनहैप ने इस बात की जानकारी दी है कि पश्चिमी शक्तियों की चेतावनी की अनदेखी करते हुए उत्तर कोरिया ने यह कदम उठाया है। हालांकि उत्तर कोरिया की ओर से मिसाइल दागने का कारनामा नया नहीं है लेकिन परमाणु युद्घ की आशंका के बाद भी उत्तर कोरिया के ऐसी हरकतें जारी रखने पर पश्चिमी देश भी चिंतित हैं। दक्षिण कोरिया के सैन्य सूत्रों ने मिसाइल दागने की पुष्टि की है। 
 
नॉर्थ कोरि‍या ने शनि‍वार को ही कम दूरी तक मार करने वाली तीन मि‍साइल फायर की थीं। इन्‍हें टेस्‍टिंग के लि‍ए जापानी समुद्री सीमा की तरफ फायर कि‍या गया। साउथ कोरि‍या के रक्षा मंत्रालय ने यह जानकारी दी थी। रक्षा मंत्रालय के मुताबि‍क नॉर्थ कोरि‍या ने शनि‍वार की सुबह दो मि‍साइलें दागीं और तीसरी मि‍साइल दोपहर में दागी गई। साउथ कोरि‍या नॉर्थ कोरि‍या की लगभग सभी हरकतों पर नजर रखे हुए है। (पढ़ें- दो सौ मि‍साइलें एक साथ दाग सकता है नॉर्थ कोरि‍या
 
रक्षा मंत्रालय का कहना है कि नॉर्थ कोरि‍या ने यह मि‍साइल युद्धाभ्‍यास के तहत दागी हैं। इससे पहले इसी हफ्ते साउथ कोरि‍या और अमेरि‍का की सेना संयुक्‍त युद्धाभ्‍यास कर चुकी हैं। इस युद्धाभ्‍यास को नॉर्थ कोरि‍या ने युद्ध की तैयारी कहा था। बता दें कि नॉर्थ कोरि‍या के न्‍यूक्‍लि‍यर टेस्‍ट के बाद से उसकी अमेरि‍का और साउथ कोरि‍या के साथ तनातनी चल रही है और नॉर्थ कोरि‍या ने अपनी धमकि‍यों से अमेरि‍का की नाक में दम कर रखा है। इस वजह से अमेरि‍का ने भी अपनी सेना वहां तैनात कर दी है। वहां तैनात अमेरि‍की सेना के पास परमाणु क्षमता से लैस लड़ाकू वि‍मान भी हैं। पि‍छले हफ्ते हुए युद्धाभ्‍यास में इन्‍हें भी टेस्‍ट करके देखा जा चुका है। 
 
अमेरि‍की रक्षा वि‍भाग के एक अधि‍कारी ने पि‍छले हफ्ते बताया था कि नॉर्थ कोरि‍या ने अपने राष्‍ट्रि‍य दि‍न 15 अप्रैल को अपने दो मि‍साइल लांचर मौके से हटा लि‍ए थे। साउथ कोरि‍या और अमेरि‍का के रक्षा वि‍भाग के अधि‍कारि‍यों को इस बात की चिंता है कि अगर नॉर्थ कोरि‍या ने अपनी मुसुडान मि‍साइल का टेस्‍ट किया तो कोरि‍यन प्रायद्वीप में तनाव बढ़ जाएगा।

हि‍लेरी के प्राइवेट पार्ट में गोली मारना चाहता है रेडि‍यो होस्‍ट



वाशिंगटन. अमेरि‍का में रेडि‍यो होस्‍ट पीट सैंटि‍ली ने पूर्व सेक्रेटरी ऑफ स्‍टेट हि‍लेरी क्‍लिंटन के बारे में चौंका देने वाला बयान दि‍या है। उनका कहना है कि हि‍लेरी क्‍लिंटन अमेरि‍की सैनि‍कों की हत्‍या में शामि‍ल रही हैं इसलि‍ए उन्‍हें गोली मार देनी चाहि‍ए। शनि‍वार को अपने शो के दौरान पीट ने कहा कि हि‍लेरी क्‍लिंटन पर मुकदमा चलाया जाना चाहि‍ए और उन्‍हें दोषी सि‍द्ध करना चाहि‍ए। इसके बाद उन्‍हें उनके प्राइवेट पार्ट में गोली मार देनी चाहि‍ए। पीट ने यहां तक कह दि‍या कि वह खुद पि‍स्‍तौल का ट्रि‍गर दबाना चाहते हैं।
बि‍ल क्‍लिंटन को कहा ओबामा बि‍न लादेन 
 
पीट ने हि‍लेरी क्‍लिंटन को ही नहीं, अमेरि‍का के पूर्व राष्‍ट्रपति बि‍ल क्‍लिंटन और वर्तमान राष्‍ट्रपति बराक ओबामा की भी बेइज्‍जती की है। उन्‍होंने अमेरि‍का के पूर्व राष्‍ट्रपति बि‍ल क्‍लिंटन को आतंकवादी का दर्जा देते हुए ओबामा बि‍न लादेन का नाम दि‍या। उनका कहना था कि राष्‍ट्रपति बराक ओबामा पर भी मुकदमा चलाए जाने की जरूरत है। उन्‍होंने अमेरि‍का के खि‍लाफ माफ न कि‍ए जाने वाले अपराध कि‍ए हैं। उन्‍हें भी गोली मार देनी चाहि‍ए। इतना ही नहीं, पीट ने यह भी कहा कि जो भी उनके कहे से सहमत नहीं है, वह अमेरि‍का का दुश्‍मन है।
 
पीट सैंटि‍ली का पूरा बयान 
 
दरअसल पीट सैंटि‍ली 11 सि‍तंबर 2012 को बेनगाजी, लीबि‍या पर हुए अमेरि‍की हमले का वि‍रोध कर रहे हैं। उन्‍होंने कहा कि वह हि‍लेरी क्‍लिंटन को उनके प्राइवेट पार्ट में गोली मारना चाहते हैं और वह चाहते हैं कि हि‍लेरी की मौत तुरंत न हो। वह दर्द को महसूस करें और जब वह दर्द से बि‍लख रही होंगी, वह उनकी आंखों में आंखें डालकर देखना चाहेंगे। यह सब वह उन अमेरि‍की सैनि‍कों की ओर से करना चाहते हैं जि‍नकी मौत अमेरि‍की सैन्‍य अभि‍यानों में हुई है।

थर्ड डिग्री के दौरान पुलिस ने प्राइवेट पार्ट में डाला तेजाब


एटा/कुशीनगर. यूपी पुलिस ने बर्बरता की हदें पार कर दी। एटा जिले में सगे भाई की हत्या के आरोपी से जुर्म कबूल करवाने के लिए उसने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। पुलिस ने आरोपी बलवीर के प्राइवेट पार्ट में पेट्रोल और तेजाब का इंजेक्शन लगाया। इससे पहले तो उसकी हालत बिगड़ी, फिर शुक्रवार को मौत हो गई। मामला सामने आया तो दारोगा शैलेंद्र सिंह सहित दो होमगार्ड को निलंबित कर उनके खिलाफ केस दर्ज किया गया है। मजिस्ट्रेट से मामले की जांच कराने के आदेश भी दिए गए हैं।
 
वहीं, कुशीनगर के पडरौना में रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना सामने आई है। पुलिस ने एक शव के साथ भी बदसलूकी की। पहले शव को कार से खींचकर निकाला गया और फिर एक महिला को उसे उठाने को कहा गया। जबकि वहीं एक पुलिसवाला वहां खड़ा था। जानकारी के मुताबिक, एक झोलाछाप डॉक्टर की गलती से महिला की मौत हो गई थी। उसी का शव लेकर पुलिस अस्पताल पहुंची थी। वहां शव को सामान से भरी बोरी की तरह घसीटा गया।
 
यह मामला 23 अप्रैल 2013 का है। मुजफ्फरनगर में पुलिस ने पांच युवकों को स्कूटर चोरी के आरोप में देर रात घर से जबरदस्ती उठा कर थाने ले आई। थाना प्रभारी के अगुआई में पुलिस वालों ने युवकों को जेल में बंद कर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। पूरी रात डंडे से इस कदर बेरहमी से पिटा, जैसे कोई कसाई किसी जानवर को पीटा हो। इतना ही नहीं दों युवको के गुप्तांगों पर बिजली का करंट देकर टॉर्चर किया गया। अगले दिन उन्हें गंभीर हालत में छोड़ दिया गया। पर पुलिस के बर्बरता की निशानी उनके शरीर पर ही रह गई। इसे देख लोगों के रौंगटे खड़े हो गए। इसके बाद ग्रामिणों ने पुलिस के खिलाफ इंसाफ के लिए आंदोलन छेड़ दिया। पुलिसिया यातना को सहने वाले युवकों ने इंसाफ के लिए ग्रामीणों के साथ एसएसपी मुज़फ्फरनगर के आवास पर धरना दे दिया। पुलिस के खिलाफ नारे लगाए गए।

इस पर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही करते हुए थाना अध्यक्ष समेत पांच पुलिसकर्मियों पर मुकदमा दर्ज करते हुए जेल भेजने की तैयारी कर ली। आरोप के मुताबिक, मंसूरपुर थाना क्षेत्र में थाना इंचार्ज पंकज त्यागी पुलिस टीम के साथ रविवार देर रात गांव मनव्वरपुर में एक स्कूटर चोरी के मामले में दबिश के लिए गए। पांच बेकसूर युवकों को हिरासत में ले थाने ले आए। फिर शुरू हुआ पुलिस का वो नंगा नाच जिसे देख कर आप भी सोचने पर मजबूर हो जायेंगे। किसी जानवर की तरह थाना अध्यक्ष ने रात भर उन बेकसूर युवकों की बड़ी बेरहमी से पिटाई ही नहीं की बल्कि सभी युवको के नाजुक अंगो पर बिजली के करंट देकर टॉर्चर किया। इतनी यातना के बाद सभी युवक बेहोश हो गए।
 
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