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26 मई 2013

दोस्तों नफरत ..हिंसा और खतरनाक नरसंहार के बाद हम शोक मग्न है


दोस्तों नफरत ..हिंसा और खतरनाक नरसंहार के बाद हम शोक मग्न है ..नक्सल पर चिन्तन मंथन कर रहे है लेकिन हालात कुछ भी रहे हो क्या इस तरह से किसी की भी हत्या को जायज़ ठहराया जा सकता है .दोस्तों हमारे देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की भी हत्या की गयी थी ...........आज गांधी के उस हत्यारे को कुछ मुट्ठी भर देश के गद्दार लोग जायज़ ठहरा कर हत्यारे का महिमा मन्दन करते है तो दिल को तकलीफ होती है उससे भी ज्यादा तकलीफ जब होती है जब सरकार गांधी के हत्यारों को महिमा मंडित करने और गाँधी का अपमान करने पर भी उनके खिलाफ कोई नहीं करती उन्हें कोई ऐसी सजा नहीं देती जिससे दूसरों को इसका उदाहरण मिले और ऐसे अपराध की पुनरावृत्ति न हो .दोस्तों हमारे भारत की सबसे पहली आतंकवादी घटना वन्देमातरम के नाम पर नाथुराम गोडसे द्वारा राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की हत्या करने की थी .और जब इस हत्यारे का महिमा मंडन होने लगा सरकार की ख़ामोशी रही तो आतंवाद और उसका महिमा मंडन चाहे भगवा हो चाहे चाँद तारे वाला हो चाहे किसानों का हो खुलकर होने लगा .नक्सली आतंकवादियों ने एक नहीं दो नहीं सेकड़ों सामूहिक नरसंहार किया है ऐसे में उनका कोई महिमा मंडन करे तो क्या यह अपराध नहीं होगा इसलियें अब आतंकवाद को महिमामंडित करने का खेल खत्म होना चाहिए हत्यारा में रहूँ या गोडसे रहे या कसाब रहे या फिर नक्सली रहे हत्या हत्या है और इसे सजा मिलना चाहिए साथ ही हत्यारों की पेरवी उन्हें कानूनी मदद देना अलग बात है लेकिन उनका महिमा मंडन किसी भी वर्ग किसी भी समाज द्वारा क्या जाए तो उसकी जगह खुले समाज में नहीं जेल में होना चाहिए ......... लेकिन क्या इस मनमोहन जी के रहते यह सब हो पायेगा नहीं ना जनाब क्योंकि नर्सिन्म्मा राव और मनमोहन ने तो देश और कोंग्रेस का बेडा गर्क करने की कसम खाए है भाई ..अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

साढ़े 4 महीने फरार रहे एएसपी ने पेश की अर्जी, कहा दोषी हुआ तो ले लूंगा जल समाधी


अजमेर। थानों से मंथली वसूली और मुकदमों में हेरफेर के लिए रिश्वत लेने के मामले में 3 जनवरी से फरार चल रहे तत्कालीन एएसपी लोकेश सोनवाल शनिवार को भ्रष्टाचार मामलों की विशेष अदालत में हाजिर हुए। हाईकोर्ट के आदेश से फिलहाल एसीबी गिरफ्त से बाहर सोनवाल ने अदालत में अर्जी पेश कर गिरफ्तारी वारंट को जमानती वारंट में तब्दील करने की प्रार्थना की है। अर्जी पर 27 मई को सुनवाई होगी।  
 
दोषी हुआ तो जल समाधि ले लूंगा
शनिवार को सोनवाल जब मीडिया के सामने आए तो उन्होंने खुद को निर्दोष बताने की रट लगा दी। सोनवाल का कहना है कि महकमे की विशिष्ट लॉबी के इशारे पर उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। सोनवाल ने यह भी कहा कि अगर मैं दोषी साबित हुआ तो आनासागर में जलसमाधि ले लूंगा।
 
 रिश्वत और थानों से वसूली का उन्होंने एक भी पैसा नहीं लिया। सोनवाल ने कहा कि वे एसीबी को जांच में पूरी तरह सहयोग करेंगे।   सोनवाल से जब पूछा कि बिचौलिया रामदेव ठठेरा से तो उनके पुराने संबंध थे और वह अजमेर आने पर सबसे पहले उनसे ही संपर्क करता था।
 
इसके जवाब में सोनवाल ने कहा कि ठठेरा के राज्य के कई बड़े अधिकारियों से सीधे संपर्क थे और उसके अजमेर आने पर उससे बातचीत करना उनकी मजबूरी थी। सोनवाल का कहना है कि वे दलित वर्ग से जुड़े अधिकारी हैं, इसके चलते उनसे कई अधिकारी द्वेष रखते थे।
 

मां ने तोड़ा हठ, बेटी को गले लगाया, दूध पिलाया


जोधपुर. उम्मेद अस्पताल में नवजात बदलने के मामले में डीएनए रिपोर्ट शनिवार को आ गई। रिपोर्ट में साफ हो गया कि जीजा ने बेटी को और भंवरी ने बेटे को जन्म दिया है। हालांकि अस्पताल प्रबंधन ब्लड रिपोर्ट के आधार पर यह खुलासा पहले ही कर चुका था, लेकिन परिजनों के इससे मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद डीएनए टेस्ट करवाया गया था।

रिपोर्ट आने के बाद दोनों पक्षों ने इस स्वीकार कर लिया। रिपोर्ट आने के बाद उम्मेद अस्पताल की नर्सरी में पल रहे दोनों नवजातों को उनकी असली पहचान और मां मिल गई। अधीक्षक कक्ष में भंवरी के पति नारायणलाल और जीजा के पति आमीन खां को अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी ने रिपोर्ट का सार पढ़ कर सुनाया। उधर, किशोर न्यायालय ने बच्चे बदलने और दूध नहीं पिलाने के मामले में उम्मेद अस्पताल प्रबंधन से 28 मई को रिपोर्ट मांगी है।

छह दिन। मां के आंचल को तरसती बेटी। न पहचान। न दूध। जैसे ही शनिवार को डीएनए रिपोर्ट आई, ‘बेबी ऑफ जीजा’ को पहचान के साथ मां का दूध मिल गया। नन्ही सी जान छह दिन से अपनी मां के आंचल से लिपटने को आतुर थी, उसे उसका वह अधिकार मिल गया। उधर, भंवरी को बेशक बेटा मिल गया, मगर जीजा भी बेटी मिलने से खुश थी। उसे बेटी की मां होने का मधुर अहसास भी हुआ।

अकाउंटेबिलिटी फिक्स होगी
अधीक्षक डॉ. नरेंद्र छंगाणी ने बताया कि इस मामले में गायनी विभाग ने इसे मानवीय चूक बताया था। इस तरह की कोई गलती नहीं हो इसके लिए डॉक्टर, रेजिडेंट व नर्सेज की अकाउंटेबिलिटी फिक्स की जाएगी।

दादी ने कहा, मुझे तो यकीन था कि बेटी हमारी है..
बेटी तो खुदा की नेमत हैं..
आमीन खां ने रिपोर्ट मिलने के बाद यह कहते हुए बेटी को स्वीकार कर लिया कि यह तो खुदा की नेमत है। उसके परिजनों ने भी यही कहा कि खून उनका मिलना चाहिए। बेटी उनकी है तो दूध पिलाया जाएगा। नारायणलाल बेटे को पाकर खुश थे। दोनों ने गले मिलकर भी खुशी व्यक्त की। आमीन खां को इस बात का भी दुख था कि उसकी पत्नी की नसबंदी हो चुकी हैं।  

दोनों मां को अलग कर दो..
आमीन खां ने डॉक्टरों से आग्रह किया कि साहब दोनों माएं अभी एक ही वार्ड में हैं। इन दोनों को अलग अलग वार्डो में शिफ्ट कर दो, जिससे कोई बात नहीं हो।

दादी की गोद में खिलखिलाई नन्ही दुलारी
नर्सरी से जीजा की बेटी को लाकर उसकी दादी के हाथ सौंपा जिसे बाद में जीजा को सौंप दिया गया। हालांकि रिपोर्ट खुलने से पहले जीजा की सास यह कहती रही कि उसका तो पता ही है। जीजा की तबीयत ठीक नहीं होने से बच्ची को भी वापस नर्सरी भेज दिया गया। दोनों बच्चे नर्सरी में हैं। इधर, भंवरी का बेटा अभी संक्रमण से पीड़ित है, इसलिए उसे नर्सरी में रखा गया है। भंवरी उसे दूध पिलाने पहुंच गई।

बीच समुद्र में 29 लोगों को बना रखा है बंधक, 4 महीने से पिला रहे समुंदर का पानी



जयपुर। समुद्र की मिट्टी खोदकर जहाजों का रास्ता क्लियर करने वाली मुंबई की कंपनी जैसू पर अब कांडला के बाद मुंबई के पास समुद्र में खड़े जहाज में 29 लोगों को चार महीने से बंधक बनाने का आरोप लगा है। बंधकों में जयपुर के मानसरोवर शिप्रा पथ निवासी विनोद कुमार भी हैं। उन्होंने ई-मेल के जरिए मानवाधिकार आयोग से कंपनी की शिकायत की है। पीड़ितों ने इस संकट का मुख्य कारण कंपनी के संचालकों में विवाद होना बताया है।
 
 
विनोद इस कंपनी में थर्ड इंजीनियर के पद पर कार्यरत हैं। वे अन्य साथियों के साथ कमल-33 नामक जहाज के डैक पर बगैर पंखे के अंधेरे में रातें काट रहे हैं। उन्होंने जब कंपनी के डायरेक्टरों से छोड़ने व वेतन देने को कहा, तो उनके संचार साधन ही बंद कर दिए गए। जहाज में ईंधन न होने के चलते ये डूब भी सकता है। कंपनी के डायरेक्टरों ने फोन तक बंद कर दिया है। पीड़ित समुद्री पानी को पेयजल में मिलाकर पी रहे हैं।
 

आत्मरक्षा के लिए राइफल लेकर मैदान में उतरीं छात्राएं, डाला सबको हैरत में



जयपुर। विश्व हिंदू परिषद के महिलाओं के अग्रिम संगठन दुर्गावाहिनी का जवाहर नगर के सरस्वती बाल उच्च माध्यमिक विद्यालय में सात दिवसीय वर्ग शिविर संपन्न हुआ। समापन समारोह में छात्राओं व महिलाओं ने आत्मरक्षा का जोरदार प्रदर्शन किया।
 
इस दौरान आत्मरक्षा के लिए नियुद्ध ही नहीं दुर्गावाहिनी ने राइफल लेकर दमखम दिखाया। वहीं दंड, तलवारबाजी से दुश्मन को पछाड़ने के करतबों के साथ-साथ गुफा से निकलना, बाधा दौड़ जैसे करतब दिखाकर सबको हैरत में डाल दिया। सात दिन तक चले शिविर में 100 छात्राओं व महिलाओं ने भाग लिया। 

एक किसान की लड़ाई से शुरू हुआ और 1500 करोड़ का बन गया 'नक्सलवाद'!


एक बहुत पुरानी कहावत है -''बुढ़िया के मरने का गम नहीं, गम तो इस बात का है, मौत ने घर देख लिया। इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सीमा पर अवस्थित दो जिलों में नक्सली पदचाप सुनाई दी है। इनमें से एक बालाघाट काफी 
अरसे से नक्सवाद के जहर से ग्रसित है, तो अब भगवान शिव की नगरी के नाम से पहचाने जाने वाले सिवनी जिले में लाल गलियारे की आमद की खबरें लोगों की नींद में खलल डाल रही है। 6जून को वन विभाग के बेहरई डिपो में नक्सली पर्चा मिलने की खबरों ने प्रशासन की पेशानी पर पसीने की बूंदे छलका दी हैं। यद्यपि पुलिस द्वारा इस तरह की घटना की पुष्टि नहीं की जा रही है, पर स्थानीय लोगों द्वारा इसकी पुष्टि की जा रही है।
 
नक्सलियों के निशाने पर अमूमन राजस्व, पुलिस और वन विभाग के कर्मचारी ही हुआ करते हैं, इसलिए सिवनी में भी इन विभागों के लोगों को सतर्क रहने की आवश्यक्ता है। अभी हाल ही में सिवनी सहित नौ जिलों को केंद्र सरकार द्वारा नक्सल प्रभावित जिलों की फेहरिस्त में स्थान देकर सतर्कता बरतना आरंभ ही किया है कि नक्सली पदचाप ने लोगों को दहला दिया है।
 
अस्सी के दशक में ही सुनाई दे गई थी दस्तक
 
अस्सी के दशक में मध्य संयुक्त मध्य प्रदेश में नक्सलवाद की आहट सुनाई दी थी। आंध्र से जंगलों के रास्ते नक्सली लाल गलियारा संयुक्त मध्य प्रदेश में प्रवेश कर गया था। नक्सलवादियों ने संयुक्त मध्य प्रदेश के उपरांत प्रथक हुए छत्तीगढ़ को अपनी कर्मस्थली बनाना उचित समझा। कहा जाता है कि जब भी आंध्र प्रदेश में नक्सलवादियों के खिलाफ अभियान तेज किया जाता है वे भागकर छत्तीगढ़ पहुंचते हैं। नक्सलवादियों को मध्य प्रदेश के बालाघाट और मण्डला जिले शरणस्थली के बतौर मुफीद प्रतीत होते रहे हैं।
 
उस दौरान भी परिवहन मंत्री का रेत डाला था गला
 
नक्सलियों के हौसले मध्य प्रदेश में इस कदर बुलंद रहे हैं कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन परिवहन मंत्री लिखी राम कांवरे को उन्हीं के आवास पर नक्सलियों ने गला रेतकर मार डाला था। कभी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पर हमला होता है तो कभी पुलिस पार्टी को एक्बु्रश लगाकर उड़ा दिया जाता है। बालाघाट में नक्सलवाद के प्रभाव को देखकर मध्य प्रदेश सरकार द्वारा पहले उप महानिरीक्षक पुलिस बाद में महानिरीक्षक पुलिस का कार्यालय संभागीय मुख्यालय जबलपुर में स्थापित किया गया। बाद में जब जबलपुर से बालाघाट की सड़क मार्ग से दूरी लगभग ढाई सौ किलोमीटर और मण्डला की दूरी सवा सौ किलोमीटर के करीब पाई गई जिससे काम में व्यवहारिक अड़चने सामने आईं तब इसको संस्कारधानी जबलपुर से उठाकर बालाघाट में ही आईजी का कार्यालय बना दिया गया।
 
बालाघाट में आई जी के पद पर सी.व्ही.मुनिराजू लंबे समय तक पदस्थ रहे। मुनिराजू सिवनी और बालाघाट की फिजां को बेहतर इसलिए जानते थे, क्योंकि बावरी विध्वंस के तत्काल बाद ही उन्हें सिवनी में पुलिस अधीक्षक बनाया गया था। कहा जाता है कि उनके पहले 1992तक पदस्थ रहे पुलिस अधीक्षक राजीव श्रीवास्तव (वर्तमान में पुलिस महानिरीक्षक, छत्तीगढ़) ने सिवनी के नक्लस प्रभावित संभावित क्षेत्र केवलारी, कान्हीवाड़ा, पाण्डिया छपरा आदि में भेष बदलकर साईकल से यात्रा कर जमीनी हकीकत की जानकारी उच्चाधिकारियों को भोपाल भेजी थी।
 
46 साल का हो गया नक्सलवाद
वैसे देखा जाए तो 1967में पश्चिम बंगाल के नक्सलवाडी से आरंभ हुआ नक्सलवाद आज 46 साल की उम्र को पार चुका है। आजाद भारत में विडम्बना तो देखिए कि 45साल में केंद्र और सूबों में न जाने कितनी सरकारें आईं और गईं पर किसी ने भी इस बीमारी को समूल खत्म करने की जहमत नहीं उठाई। उस दौरान चारू मजूमदार और कानू सन्याल ने सत्ता के खिलाफ सशस्त्र आंदोलन की नींव रखी थी। इस आंदोलन का नेतृत्व करने वाले चारू मजूमदार और जंगल संथाल के अवसान के साथ ही यह आंदोलन एसे लोगों के हाथों में चला गया जिनके लिए निहित स्वार्थ सर्वोपरि थे, परिणाम स्वरूप यह आंदोलन अपने पथ से भटक गया। कोई भी केंद्रीय नेतृत्व न होने के कारण यह आंदोलन अराजकता का शिकार हो गया।

आंध्र प्रदेश के इनामी मास्टर ट्रेनर ने किया था नक्सली हमले को लीड



रायपुर. छतीसगढ़ में हुए नक्सली हमले के सम्बन्ध में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है, सूत्रों के मुताबिक इस हमले को लीड करने वाला आन्ध्र प्रदेश का इनामी नक्सल उग्रवादी बताया जा रहा है. विनोद उर्फ़ पांडु के नाम का यह नक्सली आन्ध्र प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा से लगे मलाजखंड क्षेत्र में नक्सलियों को ट्रेनिंग देता है. आँध्रप्रदेश सरकार ने इसपर पांच लाख का इनाम रखा था. बताया जा रहा है कि विनोद ने इस हमले के लिए 90 महिलाओं को भी ट्रेनिंग दे थी. आंध्र प्रदेश के बड़े नक्सली रमन्ना का ख़ास बताया जाने वाला पांडू एक नक्सली ट्रेनर है. इस हमले का मास्टर माइंड सीपीआई माओवादी का सचिव सुरेंद्र बताया जाता है। विनोद लगातार उसके संपर्क में था।
सूत्रों के मुताबिक इस हमले के संबंध में छत्तीसगढ़ सरकार को पहले ही चेताया गया था. आंध्रप्रदेश और छत्तीसगढ़ के बीच पुलिस की हुई इंटरस्टेट मीटिंग में आंध्र प्रदेश के बड़े पुलिस अधिकारियों ने इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया था कि छत्तीगढ़ की सीमा के आस-पास नक्सलियों की गतिविधियां काफी बढ़ गई हैं. इस चेतावनी के बाद छत्तीसगढ़ प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया जिसकी वजह से छत्तीसगढ़ में अब तक के सबसे बड़े नक्सली हमले को अंजाम दिया गया.
नक्सली चिल्ला रहे थे बंद करो ग्रीन हंट, वरना नहीं बचेंगे कांग्रेसी नेता 
 
नक्सलियों ने कांग्रेस नेताओं की हत्या करने के बाद उनकी मौत पर जश्न भी मनाया। वे बार-बार मानवता की सारी हदें पार कर रहे थे। पूर्व नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की लाश पर नक्सलियों ने जमकर तमाशा किया। लाश को घेर कर देर तक नाचते रहे।  लाश पर उछलकूद करते हुए वे बार-बार बंदूक के बट से शव को मारते जा रहे थे। बीच-बीच में उनका नाम लेकर गाली-गलौज भी कर रहे थे।  नक्सली हमले में घायल हुए लोगों ने रामकृष्ण केयर अस्पताल में चौंकाने वाली जानकारी दी है। घायल कांग्रेस नेता डॉ. शिवनारायण द्विवेदी ने बताया कि फायरिंग के बाद पूरे काफिले को रोकने के बाद नक्सलियों ने सारी गाड़ियों को घेर लिया था। उसके बाद वे एक-एक कार के पास पहुंचकर पूछ रहे थे कि नंद कुमार पटेल कौन है? दिनेश कौन है? महेंद्र कर्मा, दीपक और सत्यनारायण शर्मा का भी नाम लिया। शुरू में सब खामोश बैठे रहे। गुस्से में आकर नक्सलियों ने कार से लोगों को निकाल-निकालकर मारना शुरू कर दिया।हत्या के बाद नक्सली माओवाद जिंदाबाद का नारा लगा रहे थे। बोल रहे थे कि अगर ग्रीन हंट ऑपरेशन बंद नहीं होगा तो कांग्रेस के बाकी नेता भी नहीं बचेंगे। इस दौरान कांग्रेस के अन्य नेता व कार्यकर्ता सहमे रहे। नक्सलियों के नंगा नाच के बीच वे भगवान से यही प्रार्थना करते रहे कि किसी तरह उनकी जान बच जाए।
 
ऐन वक्त पर रूट बदलने से खड़े हुए सवाल, योजना गादीरास होते हुए जगदलपुर जाने की थी
 
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल और महेंद्र कर्मा की सहमति से काफिला जिस रास्ते से जाना था, उसे ऐन वक्त बदल दिया गया। योजना सुकमा से दंतेवाड़ा जाने वाले वाया गादीरास होते हुए जगदलपुर जाने की थी। ऐन वक्त पर कांग्रेसियों के साथ बैठे दंतेवाड़ा के एक स्थानीय नेता के कहने पर रूट बदल दिया गया। इसके बाद काफिला गादीरास के बजाय सुकमा से तोंगपाल, दरभा होते हुए जगदलपुर के लिए निकला।  इस मार्ग में नेताओं के स्वागत के लिए झंडे-बैनर भी नहीं लगे थे। गादीरास वाले रास्ते पर कई गांवों में परिवर्तन यात्रा के काफिले के स्वागत की तैयारियां थीं। बावजूद इसके वो दूसरे रास्ते से निकले। यह फैसला उन्हें महंगा पड़ा। अब पुलिस तहकीकात में लगी है कि आखिर किसके कहने पर और क्यों दरभा होते हुए आने का फैसला लिया गया?
 
मृतकों के नाम
 
नंदकुमार पटेल- पीसीसी अध्यक्ष, रायगढ़ 
दिनेश पटेल- नंदकुमार पटेल के पुत्र, रायगढ़ 
उदय मुदलियार- भूतपूर्व विधायक राजनांदगांव 
अल्लाह नूर - कांग्रेस कार्यकर्ता, राजनांदगांव 
महेंद्र कर्मा - भूतपूर्व विधायक एवं नेता प्रतिपक्ष, दंतेवाड़ा 
योगेंद्र शर्मा - कांग्रेस कार्यकर्ता, धरसींवा (रायपुर) 
राजेश चंद्राकर - योगेंद्र शर्मा का ड्राइवर, गिरा (बलौदाबाजार) 
मनोज जोशी - वाहन स्वामी व चालक, दरभा  
अभिषेक गोलछा - कांग्रेस कार्यकर्ता, नगरी 
गनपत नाग - कांग्रेस कार्यकर्ता, दरभा 
गोपीचंद माधवानी - कांग्रेस कार्यकर्ता, जगदलपुर 
सदासिंह नाग - कांग्रेस कार्यकर्ता, छिंदावाड़ा (दरभा) 
भागीरथी - कांग्रेस कार्यकर्ता , छिंदावाड़ा (दरभा) 
राजकुमार -हेल्पर, दरभा 
चंदरराम - मजदूर, बम्हनी (ओडिशा) (ट्रक में बैठकर आ रहा था) 
प्रहलाद - मजदूर, बम्हनी (ओडिशा) (ट्रक में बैठकर आ रहा था) 
एमानुएल केरकेट्टा- सहायक उप निरीक्षक, रक्षित केंद्र जगदलपुर 
प्रफुल्ल शुक्ला - सहायक उप निरीक्षक प्रथम वाहिनी छस बल भिलाई 
अशोक कुमार - प्रधान आरक्षक 4थी वाहिनी छस बल सुरक्षा कंपनी रायपुर 
चंद्रहास ध्रुव - आरक्षक, आमागांव नगरी, (रक्षित केंद्र जगदलपुर) 
पात्रिक खलखो - प्रधान आरक्षक, गोरिया जशपुर (रक्षित केंद्र जगदलपुर) 
राहुल प्रताप सिंह - आरक्षक, अनूपपुर मप्र (रक्षित केंद्र जगदलपुर) 
तरुण देशमुख - आरक्षक, खेपली दुर्ग (रक्षित केंद्र जगदलपुर) 
 
 
मारे गए लोगों में 1२ कांग्रेसी, 8 पुलिस और सीएएफ के जवान व 4 अन्य ग्रामीण हैं 
-नक्सलियों के हमले में शहीद आठ जवानों के हथियार नक्सलियों ने लूट लिए।
 
घायलों के नाम
 
पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, विधायक कवासी लखमा नागारास जिला सुकमा, पूर्व विधायक फूलोदेवी नेताम केशकाल, पूर्व विधायक धमतरी हर्षद मेहता, राजीव नारंग जगदलपुर, शिव सिंह ठाकुर रायपुर, चंद्रभान झाड़ी जगदलपुर, पीएसओ अब्दुल रशीद रायपुर, राजू टोप्पो, महेंद्र कर्मा के वाहन चालक रौशन दुल्हानी, लखन, बालसिंह बघेल, डॉ. विवेक बाजपेयी का चालक राजीव सिंह, पीएसओ नंदकिशोर डिगोरसे, ड्राइवर विवेक कुमार बिलासपुर, नंदकुमार पटेल का ड्राइवर निकेतन दास खरसिया, विद्याचरण शुक्ल का ड्राइवर के. बाला रायपुर, हेड कांस्टेबल शफीक खान, साहू समाज के उपाध्यक्ष मोतीलाल साहू, एएसआई डीएफ अमर सिंह, पायलट ड्यूटी चौथी बटालियन लखन सिंह, ड्राइवर दशाराम सिदार, अंजय शुक्ला रायपुर, डॉ. शिवनारायण रायपुर, सुरेंद्र शर्मा, मलकीत सिंह गैदू जगदलपुर, विवेक बाजपेयी, चोलेश्वर चंद्राकर, अब्दुल शाहीद, 
सतार अली कोंटा, सियाराम सिंह, दशरूराम, ओईराम।
 

कुरान का सन्देश

 

रेप पर कानून का कुछ महिलाएं कर रही हैं बेजा इस्तेमाल: हाई कोर्ट



 
नई दिल्ली. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि रेप को लेकर बने सख्त कानून का कभी-कभी महिलाओं द्वारा दुरुपयोग करने का मामला सामने आता है जिसमें महिलाएं पहले मर्जी से प्रेमी के साथ संबंध स्थापित करती हैं, लेकिन अलगाव हो जाने के बाद रेप के झूठे मुकदमे दर्ज कराती हैं और प्रेमी पर शादी का दबाव बनाती हैं। ऐसे मामलों में कानून को बतौर हथियार इस्तेमाल कर बदला लेने की मंशा छुपी होती है।
 
हाई कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए अपनी टिप्पणी में कहा कि रेप व आपसी सहमति से संबंध में काफी अंतर होता है, जिसे समझना चाहिए। जस्टिस कैलाश गंभीर ने कानून के दुरुपयोग के मामलों पर अपनी टिप्पणी में कहा कि यह साफ तौर पर कानून के साथ खिलवाड़ करना है। पीठ ने उक्त टिप्पणी एक मामले की सुनवाई करते हुए दी, जिसमें एक महिला ने आरोपी युवक के साथ आपसी सहमति से शारीरिक संबंध बनाए, लेकिन जब दोनों में आपसी विवाद के चलते अलगाव हो गया तो रेप का मामला दर्ज करा दिया।
 
कोर्ट ने आरोपी युवक को जमानत देते हुए कहा कि कई मामलों में यह बात सामने आई है कि अपने मित्र से संबंध टूटने के बाद उसके खिलाफ रेप का फर्जी मामला दर्ज करा कर प्रेमी को प्रताड़ित किया गया। अक्सर मामले इस लिए भी दर्ज करा दिए जाते हैं, ताकि मित्र पर शादी के लिए दबाव बनाया जा सके। पीठ ने कहा कि अदालत को इस बात के लिए सजग रहना चाहिए कि कहीं रेप का मामला फर्जी तो नहीं है।
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