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03 जून 2013

एसएमएस-ईमेल से भेजेंगे शादी का न्योता, कार्ड पर लगाया बैन



कोटा। शादी-विवाह जैसे समारोह के लिए आज एक से बढ़कर एक महंगे निमंत्रण पत्र छपवाए जा रहे हैं। किसी ने महंगा छपवा दिया तो दूसरे के मन में हमेशा ये कसक रहती है कि फलां ने इतने महंगे निमंत्रण पत्र बंटवाए थे, तो मैं कैसे सस्ता छपवाकर बांटू। 
 
यह सोच फिजुलखर्ची के साथ-साथ हीन भावना को भी बल देती है। इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए दाउदी बोहरा समाज ने शादी-समारोह में निमंत्रण पत्र न छपवाने का निर्णय लिया है। वे अब रिश्तेदारों और नातेदारों को ईमेल और एसएमएस के जरिए बुलाएंगे। सामाजिक बदलाव की यह मिसाल पेश करने वाले बोहरा समाज के लोग अब फिजूल खर्ची रोक, शादी में खाने की क्वालिटी पर ध्यान देंगे। 
 
समाज के आमिल अजीज भाई के मुताबिक यह धर्मगुरु डॉ. सैयदना बुरहानुद्दीन साहब के उत्तराधिकारी व उनके बेटे सैय्यद मुफद्ल सैफुद्दीन साहब का आदेश है। उनका मानना है कि शादी-समारोह में फिजुलखर्ची बड़ी समस्या है। समाज का जो व्यक्ति ज्यादा खर्च नहीं कर पाता उसमें हीन भावना पनपती है। जो आगे चलकर समाजबंधुओं के रिश्तों में खटास पैदा करती हैं। समाज इस बदलाव से सहमत है और धीरे-धीरे इसे अमल में ला रहा है।
 
खाने में क्वालिटी पर ध्यान दो क्वांटिटी पर नहीं
प्रवक्ता जूजर भाई ने बताया कि शादी के भोजन में क्वांटिटी पर ध्यान देने के बजाए क्वालिटी पर जोर रहेगा। शादी में मिठाई चाहे दो ही हो, लेकिन उसमें अच्छी सामग्री का प्रयोग होना चाहिए। शादी-समारोह में ज्यादा आइटम बनवाने के चक्कर में कभी-कभी लोग क्वालिटी से समझौता कर लेते हैं। जिसका सेहत पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। साथ ही बच्चे और डायबिटीज के मरीज छूट मिलने पर अधिक मात्रा में सेवन कर लेते हैं, जो खतरनाक है।
 
 
इन फिजुलखर्चो पर लगेगी रोक
ञ्च शादी कार्ड घर-घर जाकर बांटने में बहुत बड़ी मात्रा में गाड़ी का ईंधन खर्च होता है।
ञ्च कार्ड पर नाम लिखने, जाने-आने और मिलने से समय की बर्बादी होती है।
ञ्च कार्ड पर 1000 रुपए भी खर्च हो जाए तो बाद में उसका कोई उपयोग नहीं होता।
ञ्च शादी की तैयारियों की पूरी प्रक्रिया ही बहुत जटिल होती जा रही है।

पत्थर तोड़ने के खतरनाक रसायन से चली गई एक और व्यक्ति के आंखों की रोशनी




कोटा। खदानों में पत्थर तोड़ने के लिए काम में लिए जा रहे खतरनाक केमिकल से आंखों की रोशनी जाने का एक और मामला सोमवार को सामने आया। इससे पहले 5 श्रमिकों की आंखों की रोशनी छिन चुकी है। उसके बावजूद न तो प्रशासन ने कोई एक्शन लिया, न ही खान मालिकों व ठेकेदारों ने सेफ्टी के उपाय अपनाए।
 
बूंदी जिले के डाबी क्षेत्र के लांबापुरा गांव निवासी 26 वर्षीय कलामसिंह गांव में ही खान पर मजदूरी करता है। रविवार की शाम को उसने पत्थर तोड़ने के लिए केमिकल का घोल तैयार किया और उसे चट्टानों में भर दिया। रात को 12 बजे कलामसिंह एक बार फिर खान में केमिकल का असर देखने के लिए गया। उसने न तो सेफ्टी चश्मा लगा रखा था, न ही कोई दस्ताने पहन रखे थे। जैसे ही उसने चट्टान के होल में देखा, भीतर से उठती गैस उसकी आंखों से टकराई और वो जलन के कारण बिलख उठा। कुछ ही देर में दोनों आंखों में सूजन आ गई और उसे दिखना बंद हो गया।
 
 
परिजन व ठेकेदार उसे लेकर कोटा सुवि नेत्र चिकित्सालय पहुंचे। जहां डॉ. सुरेश पांडेय व डॉ. विदुषी पांडेय ने इलाज शुरू किया। डॉ. पांडेय के अनुसार उसकी दाईं आंख तो बुरी तरह चिपक गई थी। जिसे मुश्किल से खोला गया। केमिकल का असर दोनों आंखों की रोशनी पर पड़ा है। दाईं आंख की रोशनी लगभग 50 प्रतिशत चली गई, जबकि बांई आंख में 20 प्रतिशत असर पड़ा है। 
 
॥रिपोर्ट ये स्पष्ट हो गया है कि खदानों में खतरनाक केमिकल का उपयोग हो रहा है। अभी ये तय नहीं है कि केमिकल का उपयोग प्रतिबंधित है या नहीं। इसके लिए पुलिस विभाग से रिपोर्ट मांगी गई है। संभागीय आयुक्त के साथ भी इस बात पर विचार विमर्श हो चुका है।’
- जोगाराम, जिला कलेक्टर
 
केवल एक दिन कार्रवाई असर कुछ नहीं 
केमिकल से अब तक 6 जनों की रोशनी छिन चुकी है। भास्कर ने मामले का खुलासा किया तो कलेक्टर जोगाराम ने माइंस विभाग को रिपोर्ट तैयार करने के आदेश दिए। 26 मई को माइंस एंड जियोलॉजी विभाग के सीनियर माइंस फोरमैन सुरेश व्यास तथा माइंस इंजीनियर पीएल मीणा मंडाना क्षेत्र में लिसाडिया वाली खान पर पहुंचे।
 
उन्हें वहां पर खान में होल और उसमें केमिकल भरने के निशान मिले। मौके पर फ्यूज केमिकल पाउडर (यूज किया जा चुका) भी मिला। उन्होंने एक रिपोर्ट कलेक्टर को सौंपी। जिसे कलेक्टर ने खारिज कर विस्तृत रिपोर्ट मांगी। उसके बाद आज तक कुछ नहीं हुआ।

मंत्री जी इतने नाराज हो गए की बैठने से भी कर दिया इंकार



कोटा। सोमवार दोपहर को ग्रामीण एसपी दफ्तर में फोन पर रिंग बजी। उधर, मंत्री भरतसिंह ने केवल इतना ही कहा-ऑफिस में बैठे हो, मैं आ रहा हूं। एसपी विकास पाठक ने जवाब दिया कि मैं ही आ जाता हूं, लेकिन मंत्री ने कहा-नहीं मुझे ही आना पड़ेगा। वैसे भी हमें तो अब आपके पास आना ही है।
वे पाठक के कार्यालय पहुंचे और खड़े-खड़े बात की। एसपी ने उन्हें कुर्सी पर बैठने के लिए कहा तो मंत्री बोले, शुक्रवार को जब आपसे मिलने जनप्रतिनिधि आए तो आपने कुर्सियां हटा ली। आज कह रहे हैं बैठो, मैं बैठने नहीं आया। उन्होंने कहा-सीमल्या मामले में निष्पक्ष जांच करो।                
मामले एक जैसे, रवैया अलग क्यों 
प्रकरण.1. सीमल्या में एक आरोपी राजेन्द्र खारौल के थाने से भागने पर पुलिस ने दूसरे व्यक्ति को कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया था। थानाप्रभारी सहित पुलिस कर्मी लाइन हाजिर।
यह कहा भरतसिंह ने: इस मामले में जो जांच हुई है, वह ठीक नहीं है, इसकी दुबारा से निष्पक्ष जांच कराई जाए। जब जनप्रतिनिधि पूर्व में ही निष्पक्ष जांच की मांग कर चुके हैं तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की जा रही। इसी प्रकार सीमल्या टोल नाके पर पिछले दिनों लूट की घटना हुई थी, जिसमें भी पुलिस की भूमिका ठीक नहीं थी, नाके पर लूट व मारपीट की घटना हुई, जिसे पुलिस ने सामान्य मारपीट का मामला बना दिया, अधिकारियों ने कुछ नहीं किया।
खारौल मिला एसपी से
प्रकरण-2: बपावर में धाकड़ समाज के सम्मेलन में जुआ खेलते कुछ लोग पकड़े, पथराव भी हुआ। पुलिस ने ६ जने नामजद किए, जिसमें समाज के लोगों ने परेशान करने का आरोप लगा था।
यह कहा मंत्री ने: उनके खिलाफ चुनाव लड़े हीरालाल नागर ने शिकायत की थी, इसमें पुलिस की भूमिका ठीक नहीं थी। इसकी जांच कौन करेगा। क्या जांच के दौरान थानाप्रभारी व अन्य को लाइन हाजिर किया जाएगा। जब सीमल्या में कर दिया तो फिर यहां क्यों नहीं की जा रही कार्रवाई।
फोटो: कोटा ग्रामीण एसपी विकास पाठक के दफ्तर में कुर्सी के लिए मना करते मंत्री भरतसिंह। कुछ दिन पहले जनप्रतिनिधि एसपी के दफ्तर में गए थे तो उन्होंने बैठने की जगह नहीं दी। मंत्री ने भी 14 मिनट तक खड़े-खड़े बात की। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि हम तो तीन महीने बाद सड़क पर होंगे, आपको तो 30 साल कुर्सी पर बैठना है।              
फोटो: जितेन्द्र जोशी

कुरान का सन्देश

 
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