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13 जून 2013

३ साल में एक बार भी कोटा नहीं आए अल्पसंख्यक कल्याण प्रभारी
कोटा आते तो यह काम आसानी से हो जाते
अनदेखीत्न 15 सूत्रीय कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री ने अश्क अली टॉक को बनाया था कोटा समेत पांच जिलों का प्रभारी, बोले- कोटा में कोई समस्या नहीं है
ञ्च वर्ष 2001 में वक्फनगर स्थित यूपीएस विद्यालय के भवन निर्माण के लिए 6 लाख का बजट पारित हुआ, लेकिन 12 वर्ष बीत गए, आज तक भवन नहीं बना।
ञ्च वर्ष 2011 बजट भाषण में कोटा में 100 छात्राओं के लिए छात्रावास बनाने की बात की गई, लेकिन छात्रावास का निर्माण नहीं हुआ।
कोटा से नहीं पहुंचा आवेदन
मौलाना आजाद एजुकेशन फाउंडेशन के सचिव एमडब्ल्यू अंसारी ने भी एक समारोह में चिंता जताते हुए कहा था कि फाउंडेशन माइनॉरिटी छात्राओं के हॉस्टल के लिए 30 लाख रुपए तक देता है, लेकिन आज तक कोटा से कोई आवेदन नहीं आया। उन्होंने कहा कि ऐसी स्कीमों को समझाने के लिए उन्होंने दिल्ली में भी 16 सांसद-विधायकों की आवश्यक बैठक बुलाई थी। जिसमें 5 तो आए ही नहीं। जो आए, उन्होंने कोई रुचि नहीं ली।
समकित जैनत्नकोटा
केन्द्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वरोजगार जैसे 15 सूत्रीय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कार्यक्रम के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने राज्य सभा सांसद अश्क अली टॉक को 2011 में कोटा समेत राजस्थान के पांच जिलों का प्रभारी नियुक्त किया था। लेकिन कार्यक्रम को लेकर वे इतने उदासीन हैं कि आज तक कोटा की ओर मुखातिब ही नहीं हुए।

इस बाबत जब उनसे पूछा गया तो उनका कहना था कि कार्यक्रम के लिए वे पूरे राजस्थान के प्रभारी हैं। जहां समस्या होगी वहीं विजिट करेंगे। जबकि भास्कर के पास मौजूद दस्तावेज और वेबसाइट पर साफ-साफ लिखा है कि उन्हें अलवर, भरतपुर, धौलपुर, बीकानेर और कोटा का प्रभारी नियुक्त किया गया है। संवाददाता ने जब उनसे यह कहा, मान लेते हैं कि आपके पास पूरे राजस्थान का प्रभार है, तो बताइए अभी तक कितने जिलों की विजिट की है। इस पर टॉक ने कहा कि वे अब तक 13 जिलों की विजिट कर चुके हैं। कोटा के बारे में पूछने पर कहा कि यहां अल्पसंख्यकों को लेकर कोई समस्या नहीं है, इसलिए मेरे आने की जरूरत ही क्या है!

वहीं, जिले की अल्पसंख्यक कल्याणकारी समिति के सदस्य एडवोकेट अख्तर खान 'अकेला' कहना है कि जब टॉक को यहां की समस्याओं से अवगत कराया जाता है, तो उनकी ओर न कोई जवाब आता है और न ही कोई सुझाव। जिले में अल्पसंख्यकों की 4 लाख से ज्यादा आबादी है। उनके यहां न आने से जहां योजनाएं प्रभावी ढंग से लागू नहीं हो पा रहीं। वहीं, बहुत से अधूरे काम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।

कुरान का सन्देश

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