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15 जून 2013

"भूख -- तुम्हारे लिए होगी एक दर्दनाक मौत की इबारत

"भूख -- तुम्हारे लिए होगी एक दर्दनाक मौत की इबारत
हम तो हैं आढ़तिये हमारी खड़ी होती हैं इसी पर इमारत
हम हैं नेता
हमारे लिए है हर भूख से मरनेवाला मुर्दा बस महज एक मुद्दा
हमारी तो है राशन की दूकान
खरीद सको तो खरीदो बरना तुम्हारी भूख से हमें क्या काम
सुना है आप डॉक्टर हैं सरकारी,
आप भी खाते हैं घूस की तरकारी
डॉक्टर की राय में भूख से मौत नहीं होती
मौत तो खून की कमी से होती है
मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष तो वह होता है
जिसके घूस खाने से पूरा देश ही रोता है
घूस की डकार लेकर वह बताता है कि --
भूख से मौत बहुत बुरी बात है
पर उसका प्रतिशत कम और औसत ज्यादा है
आपके समझ नहीं आई होगी उनकी यह बात
पर देश भी अभी नहीं समझ पाया है
क़ानून के जानकार बताते हैं कि
संविधान में भूख दर्ज ही नहीं है अतः असंवैधानिक है
भूख लेखकों कवियों लफ्फाजों के लिए है साहित्य का कच्चा माल
एनजीओ वाले भूख के नाम पर जो दूकान चलाते हैं
उसके लिए "भूख" एक शुभ सा समाचार है
किसान फसल बो कर भूख मिटा रहा है और हम
और हम भूख उगा रहे हैं
देखना एक दिन
फसल बो कर भूख मिटा रहा किसान भूखा मर जाएगा
और हमने तो शब्दों से कागज़ पर जो भूख की फसल बोई है
उस पर पैसे का खेत लहलहाएगा
पर याद रहे --भूख में जिन्दगी बेहद सुन्दर होती है
कभी देखा है फ़न फैलाए सांप
डाल पर उलटा लटक कर फल कुतरता तोता
चोंच से दाना चुगते चिड़ियों के बच्चे
शिकार का पीछा करता चीता
दूध पीता बछड़ा
अपनी माँ की छाती से चिपटा दूध पी रहा बच्चा
हाथ में हथियार लेकर अधिकार के लिए लड़ता भूखा आदमी
वैसे ही जैसे जिन्दगी के महाभारत में
हाथ में रथ का पहिया ले कर खड़े हों कृष्ण." -----राजीव चतुर्वेदी
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"सुना है संवेदनाओं में भूख एक समृद्ध शब्द है,
हमने कैलोरी में नहीं उसे कविता से नापा है."----राजीव चतुर्वेदी
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"भूखी ख्वाहिश को उम्मीद का निवाला देकर,
उसने कहा सो जाओ सुबह तो आयेगी कभी." -----राजीव चतुर्वेदी
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"भूख पर शब्द उगाने से बेहतर था हम अन्न उगाते खेतों में,
पर वहां हमें अच्छा लिखने की शाबासी कैसे मिलती ?" ----राजीव चतुर्वेदी

कुवैत में भारतीयों पर कहर: सो नहीं पाएं इसलिए रात को जेल में बेल्ट से करते हैं पिटाई



सीकर। सऊदी अरब और कुवैत में इन दिनों राजस्थानी बेहद संकट में हैं। सड़कों पर की जा रही धरपकड़ के बाद जेल के एक-एक बैरक में 200 लोगों को ठूंसा जा रहा है। बैल्ट से पीट-पीटकर इतनी यातनाएं दी जा रही हैं कि वे रातभर सो नहीं पाएं। दिन में मिलने वाले खाने में लिक्विड मिलाकर दिया जाता है। 20 दिन जेल में इसी तरह की यातना झेलकर लौटे हैं शहर के जहूरुद्दीन।
 
 
तीन साल पहले परिवार को आर्थिक तौर पर मजबूत करने का ख्वाब पाले जहूरुद्दीन कुवैत के असारी शहर गए थे। निर्माण कार्य में बतौर श्रमिक नौकरी मिलने के बाद तीन साल से सबकुछ ठीक चल रहा था। कुछ महीने पहले कुवैत से विदेश कामगारों को कम करने के लिए छापेमारी क्या शुरू हुई कि इनका सबकुछ लुट गया। बकौल जहूरुद्दीन करीब 20 दिन पहले वे काम से लौटकर घर जा रहे थे।
 
सड़क पर पुलिस ने बिना कुछ पूछे-कहे गाड़ी में डाल लिया। पहले पांच दिन सोवेक की बड़ी जेल में रखा और फिर अल्बानिया ले गए। यहां 15 दिन रखा। यहां शुरू हुआ यातनाओं का ऐसा सिलसिला, जिसने कुवैत में कभी रूख न करने के लिए तोड़ दिया।
 

बनाया बेहद खास समाज, यहां रहते हैं सिर्फ अंतरजातीय विवाह करने वाले


कोटा। राजपूत समाज, ब्राह्मण समाज, जाट समाज, गुर्जर समाज, पाटीदार समाज और न जाने कितने-कितने समाज। लेकिन जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया हो, उनका कौन-सा समाज। उनके बेटे-बेटियों की शादी किस समाज में होगी। यदि ऐसे परिवारों में विवाद हो जाए तो किस समाज से फरियाद करते।
 
इन सभी चिंताओं और समस्याओं से घिरे परिवारों ने कोटा में शुरुआत की। करीब  80 परिवार जुड़े और अंतरजातीय विवाह करने वालों का समाज ही बना डाला। कोटा में श्रीभारतीय अंतरजातीय संस्था एक समाज का आकार ले रही है। इसमें अब तक  80 परिवार जुड़ गए हैं।
 
जिन्होंने अंतरजातीय विवाह किया था। ये संस्था उनके बेटे-बेटियों की शादी भी अन्य समाजों में करा रही है। अब तक ऐसे दो सामूहिक विवाह सम्मेलन हो चुके हैं। अंतरजातीय विवाह करने के कारण जिन परिवारों के बेटे-बेटियों की शादियां नहीं हो पाती, वे परिवार इस संस्था से जुड़ रहे हैं। 
 
इसके अलावा प्रेम प्रसंग या अन्य कारणों से अंतरजातीय विवाह करने वाला कोई जोड़ा संस्था से जुड़ना चाहे तो उसे बैठक में बुलाकर संस्था के नियम कानून कायदों की जानकारी दी जाती है। वह इन्हें मानने को तैयार हो जाए तो पंच-पटेलों की रायशुमारी से सदस्यता दे दी जाती है।
 
किसी सदस्य परिवार में पति-पत्नी के बीच झगड़ा हो या अन्य कोई विवाद हो तो उसका निबटारा भी संस्था की मीटिंग में किया जाता है। संस्था से जुड़े 80 परिवारों में से 55 परिवार कोटा शहर में रहते हैं। जिले के सांगोद, मोड़क, बारा, अंता, बूंदी और झालावाड़ में भी इस संस्था के सदस्य हैं।
 
इनमें ब्राह्मण, अग्रवाल, जैन, राजपूत, मीणा, खाती, माली, कोली, तेली और मोदी समाज के लोग शामिल हैं। संस्था के अध्यक्ष फतेहलाल बताते हैं कि संस्था के सदस्यों को दहेज से परहेज और मृत्युभोज नहीं करने के लिए पाबंद किया जाता है। साथ ही आर्थिक रूप से संपन्न परिवार गरीब परिवारों में रिश्ते करते हैं।
 
वे खुद खाती जाति से हैं जबकि पत्नी माली जाति की हैं। एक साल के दौरान ही उन्होंने एक बेटे की शादी राजपूत मीणा परिवार की लड़की से की है तो दूसरे बेटे की तेली परिवार की लड़की से। राजपूत मीणा परिवार बहुत गरीब था तो उसकी शादी का खर्चा भी उन्होंने उठाया। 

अब आमजन भी पहन सकेंगे महाराव की शाही पगड़ी


कोटा. कोटा की शाही ‘पाग’ (पगड़ी) जिसे पूर्व महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय पहना करते थे, उसे अब हम-आप भी पहन सकते हैं। आमजन में कोटा वस्त्र शैली को लोकप्रिय बनाने के लिए इसी महीने राव माधोसिंह म्यूजियम ट्रस्ट की बैठक में निर्णय लिया जाएगा। यह पाग मेवाड़ी, मारवाड़ी, जयपुरी एवं बीकानेरी शैली से बिल्कुल अलग है।
 
पूर्व महाराव उम्मेदसिंह द्वितीय (1889-1940) के समय से चली आ रही इस विशेष ऐतिहासिक पाग को आज भी पूर्व राजपरिवार के कार्यक्रमों एवं आयोजनों में पहना जाता है। इसे मर्यादा एवं परंपरा का प्रतीक माना जाता है। यह जल्द ही म्यूजियम में बिक्री के लिए उपलब्ध करा दिया जाएगा। आमजन तक इसे पहुंचाने के लिए ट्रस्ट द्वारा पिछले एक साल से प्रयास किए जा रहे हैं।
 
नंगे सिर रहना वर्जित था
इतिहासविद् फिरोज अहमद ने बताया कि धार्मिक उत्सवों पर इसे पहनने का रिवाज रहा है। नंगे सिर रहना अच्छा नहीं माना जाता था। सेठ साहूकारों से लेकर सभी लोग इसे बांधते थे। कपड़ा भले ही पाग का अलग हो, लेकिन इसे पहनने का अंदाज इकसार था।  
 
रंग बदल जाते हैं
धार्मिक उत्सवों एवं शुभ कार्यो पर केसरिया, कुसुम रंग (मजेंडा कलर) की पाग पहनी जाती थी। वहीं शोक में सफेद व हरे रंग की पाग का प्रचलन था। 
 
18.28 मीटर की है पाग
कोटा शाही पाग 18.28 मीटर की है। यह मलमल, कॉटन और कोटा डोरिया से निर्मित है। इसकी चौड़ाई 6 से 8 इंच है। इस पाग में आगे का भाग तिकोना होता है।
 
‘कोटा की शाही पाग को आमजन तक पहुंचाने के लिए पिछले एक साल से योजना चल रही है। राव माधोसिंह म्यूजियम ट्रस्ट गढ़ पैलेस की होने वाली बैठक में इसका निर्णय लिया जाएगा।
पं. आशुतोष दाधीच, निरीक्षक राव माधोसिंह म्यूजियम ट्रस्ट

500 रुपए लेकर भर रही थीं पेंशन फॉर्म पकड़ी गईं तो लिया महापौर का नाम


 
कोटा। पेंशन बनवाने के नाम पर 500-500 रुपए वसूलने वाला इन दिनों शहर में सक्रिय है। ऐसी दो महिलाओं को पकड़कर एक पार्षद ने पुलिस के हवाले किया तो महिलाओं ने बचने के लिए महापौर तक के शामिल होने का आरोप लगा दिया। इस पर महापौर थाने पहुंची और सवाल किए तो महिलाएं पलट गईं। फिर कहा कि एक महिला और चाय की थड़ी लगाने वाला एक व्यक्ति यह काम करवा रहा है।
 
प्रेमनगर प्रथम में सुबह एक महिला कांति और एक युवती पार्वती वृद्धों व विधवाओं से पेंशन के फार्म भरवाकर 500-500 रुपए ले रही थी। इसकी शिकायत पर पार्षद गिर्राज महावर वहां पहुंचा और उद्योगनगर पुलिस को सूचना दी। पुलिस दोनों महिलाओं को थाने ले गई।
 
पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया कि वे रुपए ले रही थीं। वो महापौर की सहेली हैं और उन्होंने ही उन्हें ऐसा करने के लिए कहा था। महापौर का नाम आने पर पार्षद व पुलिस ने महापौर से शिकायत की। कुछ ही देर में महापौर भी थाने पहुंच गई।
 
महापौर के सामने आते ही महिला पलट गई और कांता नामक महिला का नाम लिया। महापौर ने उनसे मोबाइल नंबर लेकर फोन किया तो कांता भी थाने आ गई। उसने अदालत के बाहर चाय की थड़ी लगाने वाले राजू का नाम लिया। उद्योगनगर थाने के एएसआई कमलकिशोर पूरी के अनुसार महिलाओं ने गीता देवी, विद्या देवी, कंवर लाल आदि से रुपए लिए थे। पार्षद महावर व पीड़ितों की रिपोर्ट पर दोनों को धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जहां से उन्हें 17 जून तक जेल भेज दिया गया।
 
किसी के बहकावे में न आए
‘वो महिलाएं जिस कांता नामक महिला को मेरी सहेली बता रही थी, उससे मैं 5 माह पहले मिली थी। उसे मैंने क्षेत्र की गरीब महिलाओं को एसजेएसआरवाई के तहत स्वरोजगार की ट्रेनिंग दिलवाने के दिलवाने के लिए कहा था। लोगों से अपील है कि वे किसी के बहकावे में न आए और सीधे अपने फार्म जमा करवाए।’-डॉ. रत्ना जैन महापौर
 
॥वो महिलाएं जिस कांता नामक महिला को मेरी सहेली बता रही थी, उससे मैं 5 माह पहले मिली थी। उसे मैंने क्षेत्र की गरीब महिलाओं को एसजेएसआरवाई के तहत स्वरोजगार की ट्रेनिंग दिलवाने के दिलवाने के लिए कहा था। लोगों से अपील है कि वे किसी के बहकावे में न आए और सीधे अपने फार्म जमा करवाए।
—डॉ. रत्ना जैन, महापौर

कुरान का सन्देश

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