तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
16 जून 2013
नरेंद्र मोदी अगर देश की सुरक्षा के लियें भावी प्रधानमन्त्री के रूप में एक वायदा करे
नरेंद्र मोदी अगर देश की सुरक्षा के लियें भावी प्रधानमन्त्री के रूप में
एक वायदा करे के अगर भारत की सरहद पर पाक ने नापाक हरकत की तो एक घंटे में
परमाणु बम का रिमोट दबा कर पाकिस्तान का नाम और निशान विश्व के नक्शे से
मिटा देंगे तो शायद पूरा देश उन्हें समर्थन दे और वोह एक तरफा जीत लेकर
प्रधानमन्त्री बन जाए लेकिन लोग कहते है के मोदी ऐसी घोषणा करने की स्थिति
में नहीं है क्योंकि पाकिस्तान के हाकम बने अमेरिका और दुसरे देश मोदी को
प्रोजेक्ट कर रहे है और उनके खिलाफ वोह पकिस्तान की तबाही करने वाला बयान
नहीं दे सकते ..हो सके तो मोदी जी से यह बयाँ दिलवाओ और उन्हें भारत का
प्रधानमन्त्री पाओ .............वायदा व्यापार खत्म करने ...बहुराष्ट्रीय
कम्पनियों को भगाने संसद में निकम्मे सांसदों के खिलाफ कार्यवाही करने
विधायक और सांसदों की आचार संहिता और उनके उलंग्घन पर सज़ा का प्रावधान रखे
देखते है स्वदेशी का नारा अपनाकर मोदी केसे नहीं जीतते है .अब मोदी को देश
..राष्ट्रिय एकता ..देश की जनता और अमेरिका पाकिस्तान में से एक को चुनना
है मेने उन्हें चिट्ठी भी लिखी है देखते है वोह किसे चुनते है देश को या
फिर अमेरिका पाकिस्तान को .........
आज भारत में २३ करोड़ परिवार है और औसत हर घर में एक बेरोजगार है.......
आज भारत में २३ करोड़ परिवार है और औसत हर घर में एक बेरोजगार है.......
मजे की बात देखिये---
पिछड़ा सोचता है उसका हक़ सवर्ण खा रहा है,
सवर्ण सोचता की उसका हक़ एसटी खा रहा है,
एसटी सोचता की उसका हक़ मुस्लिम खा रहे हैं,
यह सब आंकडा नौकरी करते लोगो की संख्या से निर्धारित हो रही है,
लेकिन सच्चाई यह है की इन सब का हक़ विदेशी लोग खा रहे हैं क्योकि भारत में जितना उपभोक्ता बस्तुये बिक रही हैं उनके उत्पादन के लिए कम से कम 14 करोड़ लोगो को पूर्णकालिक और 10 करोड़ लोगो को अप्रतक्ष्य रोजगार मिल सकता है. भारत में विदेशी कंपनिया हर साल करीब 30 लाख करोड़ का व्यापार कर रही हैं जो भारत के वार्षिक बजट से बहुत ज्यादा है.
भारत में जहाज के जहाज भरकर उतर रहा सामान जो विदेशो में बन रहा है और विदेशी लोगो को रोजगार ही नहीं बल्कि उनका कच्चा माल भी खपा रहा हैं. यह सब कांग्रेस के गुर्गो की देंन है.
भारत की डिफेंस का हर सामान विदश से आता है, तेल विदेश से आ रहा है, बाज़ार में १०० में से ९५ वस्तुए हम विदेश की पा रहे हैं तो रोजगार तो विदेश ही में पैदा होगा और हमारे युवा राहजनी करने को मजबूर होंगे....आज लाखों युवा रोजगार ना होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं...!
मजे की बात देखिये---
पिछड़ा सोचता है उसका हक़ सवर्ण खा रहा है,
सवर्ण सोचता की उसका हक़ एसटी खा रहा है,
एसटी सोचता की उसका हक़ मुस्लिम खा रहे हैं,
यह सब आंकडा नौकरी करते लोगो की संख्या से निर्धारित हो रही है,
लेकिन सच्चाई यह है की इन सब का हक़ विदेशी लोग खा रहे हैं क्योकि भारत में जितना उपभोक्ता बस्तुये बिक रही हैं उनके उत्पादन के लिए कम से कम 14 करोड़ लोगो को पूर्णकालिक और 10 करोड़ लोगो को अप्रतक्ष्य रोजगार मिल सकता है. भारत में विदेशी कंपनिया हर साल करीब 30 लाख करोड़ का व्यापार कर रही हैं जो भारत के वार्षिक बजट से बहुत ज्यादा है.
भारत में जहाज के जहाज भरकर उतर रहा सामान जो विदेशो में बन रहा है और विदेशी लोगो को रोजगार ही नहीं बल्कि उनका कच्चा माल भी खपा रहा हैं. यह सब कांग्रेस के गुर्गो की देंन है.
भारत की डिफेंस का हर सामान विदश से आता है, तेल विदेश से आ रहा है, बाज़ार में १०० में से ९५ वस्तुए हम विदेश की पा रहे हैं तो रोजगार तो विदेश ही में पैदा होगा और हमारे युवा राहजनी करने को मजबूर होंगे....आज लाखों युवा रोजगार ना होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं...!
ऐ बेवफा माशूक की तरह मेरी जिंदगी
ऐ बेवफा
माशूक की तरह
मेरी जिंदगी
ऐ बेवफा
माशूक की तरह
मेरी सांस मेरी धड़कन ..
मुझे तुम
छोड़े जा रहे हो ...
जानता हूँ
जिंदगी ..साँसे और धड़कन
बहुत कम बची है मेरी पास ..
लेकिन फिर भी में चाहता हूँ
जितनी धड़कने है सिर्फ उसके लिए हो
जितनी सांसे हों सिर्फ उसके लियें हो
जितनी जिंदगी हो सिर्फ उसके लियें हो
में
कल तक
रोज़ मरने की ख्वाहिश रखने वाला
ना जाने क्यूँ
आज जीना चाहता हूँ
जीना चाहता हूँ
लेकिन कमबख्त
जिंदगी है के साथ छोड़े जा रही है
मोत का अलार्म बजती जा रही है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
माशूक की तरह
मेरी जिंदगी
ऐ बेवफा
माशूक की तरह
मेरी सांस मेरी धड़कन ..
मुझे तुम
छोड़े जा रहे हो ...
जानता हूँ
जिंदगी ..साँसे और धड़कन
बहुत कम बची है मेरी पास ..
लेकिन फिर भी में चाहता हूँ
जितनी धड़कने है सिर्फ उसके लिए हो
जितनी सांसे हों सिर्फ उसके लियें हो
जितनी जिंदगी हो सिर्फ उसके लियें हो
में
कल तक
रोज़ मरने की ख्वाहिश रखने वाला
ना जाने क्यूँ
आज जीना चाहता हूँ
जीना चाहता हूँ
लेकिन कमबख्त
जिंदगी है के साथ छोड़े जा रही है
मोत का अलार्म बजती जा रही है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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