आपका-अख्तर खान

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16 जून 2013

" शताब्दियों बाद जब इस देश का इतिहास लिखा जाएगा तब इतिहासकारों द्वारा इस देश के उपहासकारो का चर्चा होगा

" शताब्दियों बाद जब इस देश का इतिहास लिखा जाएगा तब इतिहासकारों द्वारा इस देश के उपहासकारो का चर्चा होगा ...लिखा जाएगा भारत मुगलों, अंग्रेजों के अलावा इटली का भी गुलाम रहा ...सभी सरदार राष्ट्र भक्त और स्वाभिमानी नहीं होते कुछ मनमोहन सिंह जैसे भी होते हैं ...नीतिश कुमार बिहार का आख़िरी मुग़ल शाशक था ...मुलायम सिंह सत्ता का हसीन सपना देखने वाले आख़िरी मुंगेरी लाल थे ...दिग्विजय सिंह को अपने मुग़ल होने का मुगालता था और मुगलों का मानना था कि अपनी कौम से दगा करने वाला किसी का सगा नहीं हो सकता ...बच्चे निबन्ध लिखेंगे कि आतंकियों के मुकदमें वापस लेने के प्रयास से अखिलेश अल -कायदा को क्या फ़ायदा दे सके . इनकी समाजवादी सरकार में समाज सहमा हुआ था और वाद बकैती कर रहा था . क़ानून व्यवस्था में आम आदमी आतंकित था और आतंकियों को सरकार जेल से बाहर निकालने की जुगत में थी जैसे जेल आतंकियों के लिए नहीं आतंकितों के लिए बनी हो ...कश्मीर भारत का हिस्सा कम मुग़ल सल्तनत अधिक थी ...रजिया सुलतान की तरह एक थीं कांसीराम की बहन मायाबती किन्तु रजिया की तरह वह गुण्डों में कभी नहीं फंसी सिवा गेस्ट हाउस काण्ड के ...उच्च न्यायालय का जज बनाने की जुगत जिस्मानी भी थी रूहानी भी और कहानी भी . महेश्वरी आढ़त के अलावा अभिषेक मनु सिंघवी के योग शिविर में भी चरित्र का अनुलोम विलोम करना पड़ता था ...लश्कर -ऐ -तैयबा की आत्मघाती इशरत जहाँ को मार गिराने वाले पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा चलाया गया था ...मंहगाई से त्रस्त हरजिंदर का थप्पड़ खाने के बाद शरद पवार का राजनीतिक पतन शुरू हो गया था ...ह्त्या कर रहे नक्सलियों के मानवाधिकार सब पर भारी थे ...भारत देश में दूसरे नम्बर के बहुसंख्यकों को अल्पसंख्यक कहा जाता था ...संविधान जातिप्रथा को वर्जित करता था किन्तु जाति के आधार पर आरक्षण दिया जा रहा था ... सामाजिक न्याय से प्रेरित भेंसों और गधों ने घुड दौड़ में अपनी आबादी के हिसाब से आरक्षण की माँग की थी ...हर नया संसदीय सत्र पुराने घोटाले को भूल कर नए घोटाले पर चर्चा करता था और उस अन्जाम तक न पहुँचने वाली चर्चा पर खूब खर्चा करता था ...जिस खेल को विश्व के दस प्रतिशत देश भी नहीं खेलते थे उस क्रिकेट की भारत में लोकप्रियता थी ...क्रिकेट और फिल्म से देश के नायक आ रहे थे और यह क्रिकेट और फ़िल्मी नायक दरअसल एक खलनायक दाउद इब्राहिम के गुर्गे थे ...देश में कुछ घोटालेबाज चटवाल, कुछ घोषित आतंकी , कुछ दाउद की मुम्बईया फ़िल्मी रखेलें भी पद्म पुरुष्कार पा रही थीं ...यों तो इस कालखण्ड देश हत्यारों से आक्रान्त था पर फिर भी कुछ लोग गांधी जी की ह्त्या को जायज ठहरा रहे थे और हत्यारे गौडसे को महिमा मंडित कर रहे थे, तो दूसरे लोग नक्सली हत्यारों को जायज ठहरा रहे थे, तीसरे लोग इस्लामिक आतंकवादीयों के कातिलों के कसीदे पढ़ रहे थे , अपनी सामूहिक हत्याओं से छुब्ध एक समुदाय के लोग स्वर्ण मंदिर में भिण्डरावाले जैसे कातिल को महिमामंडित कर संतों /गुरुओं के समकक्ष रख रहे थे कुल मिला कर पूरे राष्ट्र में कातिलों के पक्ष में क़त्ल हो रहे लोग लामबंद हो रहे थे ...हिन्दुओं के छह हजार मंदिर तोड़ने का कोई चर्चा नहीं था पर इससे उकताए लोगों ने जब एक बाबरी मस्जिद तोड़ दी तो अंतरराष्ट्रीय श्यापा था ...हिन्दूओं में लोग अपनी बेटी का नाम 'रति' रखते थे और मुसलमानों में 'सूफियान' जैसे नाम बहुत प्रचलित थे पर इस्लाम के लिए बहुत कुछ करने वाले नाम 'औरंगजेब' का प्रचलन ही ख़त्म हो चुका था ...कोई अपनी औलाद का नाम 'औरंगजेब' नहीं रखता था ...राष्ट्र में एक महाराष्ट्र भी था जहां जहाँ देश के अन्य प्रान्तों के लोग उतने ही असुरक्षित थे जितने भारतवासी ऑस्ट्रेलिया में ...और ...और इतिहास में यह भी शायद इस बार लिखा जाए क़ि इस बार भी इतिहासकार उतने ही वैचारिक बेईमान थे जितने पहले के इतिहासकार ...इतिहासकार गुजरे समय की सीवर की सफाई करते रहे हैं उन्होंने गुजरे समय के सूरज की समीक्षा ही कब की है ?" ----- राजीव चतुर्वेदी

नरेंद्र मोदी अगर देश की सुरक्षा के लियें भावी प्रधानमन्त्री के रूप में एक वायदा करे

नरेंद्र मोदी अगर देश की सुरक्षा के लियें भावी प्रधानमन्त्री के रूप में एक वायदा करे के अगर भारत की सरहद पर पाक ने नापाक हरकत की तो एक घंटे में परमाणु बम का रिमोट दबा कर पाकिस्तान का नाम और निशान विश्व के नक्शे से मिटा देंगे तो शायद पूरा देश उन्हें समर्थन दे और वोह एक तरफा जीत लेकर प्रधानमन्त्री बन जाए लेकिन लोग कहते है के मोदी ऐसी घोषणा करने की स्थिति में नहीं है क्योंकि पाकिस्तान के हाकम बने अमेरिका और दुसरे देश मोदी को प्रोजेक्ट कर रहे है और उनके खिलाफ वोह पकिस्तान की तबाही करने वाला बयान नहीं दे सकते ..हो सके तो मोदी जी से यह बयाँ दिलवाओ और उन्हें भारत का प्रधानमन्त्री पाओ .............वायदा व्यापार खत्म करने ...बहुराष्ट्रीय कम्पनियों को भगाने संसद में निकम्मे सांसदों के खिलाफ कार्यवाही करने विधायक और सांसदों की आचार संहिता और उनके उलंग्घन पर सज़ा का प्रावधान रखे देखते है स्वदेशी का नारा अपनाकर मोदी केसे नहीं जीतते है .अब मोदी को देश ..राष्ट्रिय एकता ..देश की जनता और अमेरिका पाकिस्तान में से एक को चुनना है मेने उन्हें चिट्ठी भी लिखी है देखते है वोह किसे चुनते है देश को या फिर अमेरिका पाकिस्तान को .........

आज भारत में २३ करोड़ परिवार है और औसत हर घर में एक बेरोजगार है.......

आज भारत में २३ करोड़ परिवार है और औसत हर घर में एक बेरोजगार है.......

मजे की बात देखिये---

पिछड़ा सोचता है उसका हक़ सवर्ण खा रहा है,

सवर्ण सोचता की उसका हक़ एसटी खा रहा है,

एसटी सोचता की उसका हक़ मुस्लिम खा रहे हैं,

यह सब आंकडा नौकरी करते लोगो की संख्या से निर्धारित हो रही है,

लेकिन सच्चाई यह है की इन सब का हक़ विदेशी लोग खा रहे हैं क्योकि भारत में जितना उपभोक्ता बस्तुये बिक रही हैं उनके उत्पादन के लिए कम से कम 14 करोड़ लोगो को पूर्णकालिक और 10 करोड़ लोगो को अप्रतक्ष्य रोजगार मिल सकता है. भारत में विदेशी कंपनिया हर साल करीब 30 लाख करोड़ का व्यापार कर रही हैं जो भारत के वार्षिक बजट से बहुत ज्यादा है.

भारत में जहाज के जहाज भरकर उतर रहा सामान जो विदेशो में बन रहा है और विदेशी लोगो को रोजगार ही नहीं बल्कि उनका कच्चा माल भी खपा रहा हैं. यह सब कांग्रेस के गुर्गो की देंन है.

भारत की डिफेंस का हर सामान विदश से आता है, तेल विदेश से आ रहा है, बाज़ार में १०० में से ९५ वस्तुए हम विदेश की पा रहे हैं तो रोजगार तो विदेश ही में पैदा होगा और हमारे युवा राहजनी करने को मजबूर होंगे....आज लाखों युवा रोजगार ना होने के कारण मानसिक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं...!

ऐ बेवफा माशूक की तरह मेरी जिंदगी

ऐ बेवफा
माशूक की तरह
मेरी जिंदगी
ऐ बेवफा
माशूक की तरह
मेरी सांस मेरी धड़कन ..
मुझे तुम
छोड़े जा रहे हो ...
जानता हूँ
जिंदगी ..साँसे और धड़कन
बहुत कम बची है मेरी पास ..
लेकिन फिर भी में चाहता हूँ
जितनी धड़कने है सिर्फ उसके लिए हो
जितनी सांसे हों सिर्फ उसके लियें हो
जितनी जिंदगी हो सिर्फ उसके लियें हो
में
कल तक
रोज़ मरने की ख्वाहिश रखने वाला
ना जाने क्यूँ
आज जीना चाहता हूँ
जीना चाहता हूँ
लेकिन कमबख्त
जिंदगी है के साथ छोड़े जा रही है
मोत का अलार्म बजती जा रही है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कुरान का सन्देश

p659.
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