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24 जून 2013

पूर्व भाजपा अध्‍यक्ष की बेटी से छेड़खानी, अश्लील कॉल करने वाला इंजीनियर गिरफ्तार



चेन्नई. वेंकैया नायडू की बेटी दीपा वेंकट को अश्लील और धमकी भरे कॉल कर परेशान करने वाले एक शख्स को गिरफ्तार किया गया है। रमेश कुमार नाम के शख्स की उम्र 31 साल है और वह एक इंजीनियर ग्रेजुएट है। उसे चेन्नई पुलिस ने बिजनेसवूमन दीप वेंकट की शिकायत पर रविवार रात गिरफ्तार किया। 
 
वेंकट ने पुलिस को बताया था कि उन्हें काफी समय से एक नंबर से अश्लील और धमकी भरी कॉल्स आ रही थीं। पुलिस का कहना है कि उन्हें मामले की शिकायत मिलने पर पहले आरोपी का सिम ब्लॉक करवाया गया। सिम होल्डर की जांच करने पर पता चला कि सिम तिरुमुल्लईवोयल की एक महिला के नाम पर लिया गया था। उक्त महिला से पूछताछ करने पर उसने बताया कि उसका सिम एक साल पहले ही खो गया था। लेकिन महिला ने इस बारे में पुलिस से कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई थी। 
 
पुलिस के मुताबिक मोबाइल के आईईएमआई नंबर की जांच करने पर यह सिम रमेश कुमार के पास मिला और उसे रविवार रात गिरफ्तार कर लिया गया। पुलिस का कहना है कि आरोपी युवक को एक बार पहले भी एक लड़की की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया था। उस लड़की ने कुमार का प्रपोजल ठुकरा दिया था। कुमार का कहना है कि इसके बाद लड़की के रिश्तेदारों और दोस्तों की ओर से उसे धमकी भरे कॉल्स आते थे। इसका बदला लेने के लिए कुमार ने इस सिम से उस लड़की के रिश्तेदारों को धमकाना शुरू किया जो उसे मिला था। उस लड़की के कुछ रिश्तेदार वेंकैया नायडू की बेटी की कंपनी में काम करते थे। एक बार कुमार का फोन वेंकट ने उठाया और तेलगू में उससे बातचीत की तो कुमार ने उसे भी लड़की का रिश्तेदार समझा और उसके बाद से वह वेंकट को घर और ऑफिस में कॉल कर धमकाने लगा। पुलिस का कहना है कि सिम की असल मालकिन की ओर से सिम खोने के बावजूद पुलिस में शिकायत दर्ज न कराना गलत था।

पढऩे-लिखने की उम्र में चढ़ा इश्क का बुखार, प्रणय सूत्र में बंधने के लिए पहुंच गए थाने



जयपुर. कोटा। खेलने-कूदने और पढऩे-लिखने की उम्र में एक नाबालिग प्रेमी युगल थाने पहुंच गए। थाने में शादी की जिद कर बैठे। यह मामला राजस्थान के कोटा स्थित अयाना कस्बे का है। पुलिस ने काफी समझाने का प्रयास किया लेकिन दोनों नहीं माने। बस शादी करने की जिद पर अड़े रहे। सारी कोशिश नाकाम होने पर पुलिस ने दोनों के परिजनों को थाने बुलाया। परिजन अपने-अपने बच्चों को देखकर एक दूसरे पर बिफर पड़े। उन्होंने एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप भी लगाए। लेकिन वे अपने बच्चों को घर ले जाने को तैयार नहीं हुए। लड़की के पिता ने तो साफ तौर पर मना कर दिया और कहा, मैं तो इसे अपने साथ नहीं ले जाऊंगा।

स्कूल जाने के दौरान शुरू हुआ इश्क का सिलसिला: पुलिस ने बताया कि दोनों नाबालिग है। किशोर 10वीं का छात्र है तो किशोरी 8वीं की छात्रा है। दोनों अगल-अगल स्कूल में पढ़ते हैं। स्कूल जाने के दौरान दोनों एक दूसरे के करीब हो गए। बताया जा रहा है कि पिछले एक साल से दोनों के बीच के प्रेम प्रसंग चल रहा है।

उत्तराखंड आपदा: किसी की पत्नी बिछड़ गई तो किसी के पिता, पढ़िए दर्दभरी कहानियां


कोटा। उत्तराखंड से आ रही ट्रेन जैसे ही इंदौर स्टेशन पर रुकी तो कोटा के कुन्हाड़ी निवासी रमेश की आंखें अपनी पत्नी रश्मि को तलाशने लगीं। हालांकि वह जानता है कि रश्मि अब कभी नहीं लौटेगी। लेकिन, उम्मीद कभी नहीं मरती। सभी परिजन उतर गए, लेकिन रमेश इंतजार करता रहा कि कोई और भी ट्रेन से उतरे और तभी ट्रेन चल पड़ी।
कुन्हाड़ी में ब्याही रश्मि इंदौर अपने पीहर गई थी। वहीं से अन्य रिश्तेदारों के साथ केदारनाथ के दर्शन को चली गई। अन्य परिजन तो बच गए, लेकिन गौरीकुंड में आया मौत का सैलाब रश्मि को बहा ले गया।
जब से खबर मिली, तभी से रमेश इंदौर में है। कोटा जिले से तीर्थयात्रा पर गए 626 लोगों में से अब भी 88 लोगों का पता नहीं चला है। इस बीच 22 यात्री सोमवार को कोटा लौटे, जिसमें से बीमार होने पर पांच को एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

मां तो मिल गई, पिता का कोई पता नहीं
पिछले शनिवार से लापता अपने माता-पिता को ढूंढने हरिद्वार व ऋषिकेश पहुंचे महावीर को मां आशा तो मिल गई, लेकिन पिताजी का पता नहीं चला। महावीर की 16 जून को मां से बात हुई थी। वे हरिद्वार सहित सभी क्षेत्रों में घूमे, सोमवार को किसी के मोबाइल से मां ने बात की। वे उत्तराखंड तक हैलीकॉप्टर से और वहां से बस द्वारा ऋषिकेश पहुंची हैं। पिताजी गुलाबचंद के बारे में जानकारी नहीं है।

60 से में 32 जने लापता
लौटकर आए हरिमोहन दाधीच ने बताया कि वे सात जने कार से कोटा पहुंचे हैं। वहीं मोहन व्यास ने बताया कि वे 60 तीर्थयात्रियों के साथ उत्तराखंड पहुंचे थे। इसमें से 28 लोग ही कोटा पहुंच पाए हैं, बाकी 32 जनों का पता नहीं चला है। कोटा लौटने वालों में देईखेड़ा के रमेश चंद, चौथमल, कलावती, संतोषबाई, गुणकंवर व भंवरीबाई को तबीयत खराब होने पर एमबीएस में भर्ती कराया गया है।

जिसने देखा, वही जुट गया बीमार-पीडि़त यात्रियों की सेवा में
सात दिन तक बांटेंगे यात्रियों का खाना
प्रभुप्रेमी संघ व रघुबाला कंस्ट्रक्शन कंपनी के पदाधिकारियों ने सोमवार को कोटा पहुंची उत्तरांचल एक्सप्रेस में यात्रियों को खाने के 500 पैकेट व पानी की बोतलें बांटी।

अध्यक्ष सुनील गर्ग ने बताया कि यह व्यवस्था 7 दिन तक रहेगी। वहीं, शहर जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से गुमानपुरा स्थित कांग्रेस कार्यालय पर शोकसभा में शहर कांग्रेस अध्यक्ष पंडित गोविंद शर्मा, महासचिव डॉ. विजय सोनी, प्रदेश महासचिव पंकज मेहता, ब्लॉक अध्यक्ष सलीम भाई सहित अन्य ने दो मिनट का मौन रखा। इधर, कुन्हाड़ी आर्यसमाज के प्रधान पीसी मित्तल के निवास पर रविवार को शाम यज्ञ हुआ। पंडित बिरदीचंद शास्त्री ने यज्ञ करवाया। उधर, शिवसेना हिन्दुस्तान के 50 कार्यकर्ता बुधवार को उत्तराखंड में बचाव कार्य के लिए रवाना होंगे।

प्रशासन की ओर से आज जाएगी सामग्री
जनसहयोग से एकत्रित की गई एक ट्रक राहत सामग्री मंगलवार को प्रशासन द्वारा प्रभावित क्षेत्र के लिए रवाना होगी। नायब तहसीलदार गजेंद्र सिंह ने बताया कि 16 कार्टून बिस्किट के तैयार कर लिए गए हैं। मंगलवार को इसमें और इजाफा हो जाएगा, इसके बाद रवाना किया जाएगा।


ये भी जुटे रहे पीडि़तों की मदद के लिए
मुस्लिम नौजवान कमेटी के सदस्यों ने जैफ खां मंसूरी के नेतृत्व में शबे बारात पर दुआ मांगी। भाजपा अध्यक्ष श्याम शर्मा के नेतृत्व में दादाबाड़ी मंडल में धन संग्रह किया गया। क्षत्रिय लोधी राजपूत समाज की ओर से अध्यक्ष रणजीतसिंह लोधी के नेतृत्व में श्रद्धांजलि दी गई।

रास्तेभर शवों को देखता रहा, कहीं कोई अपना तो नहीं
रामबाड़ा के यहां पहाड़ी पर चढ़कर जान बचाई। उसके बाद अपने ग्रुप से बिछड़ गया। अकेला जंगल और पहाडिय़ों से होता हुआ 15 किलोमीटर भूखा-प्यास चलकर गौरीकुंड तक पहुंचा। रास्ते भर मिलने वाले शवों की शक्ल देखता रहा। कहीं कोई मिलने वाला तो नहीं। वहां सैनिकों के अलावा कोई मदद नहीं कर रहा है। लोग भूखे-प्यासे फंसे हुए हैं। - चौथमल, दहीखेड़ा

भगवान ने ही बचाया
भारी बारिश और नीचे बहती मौत के बीच फंसे हुए थे। जंगल में भीगते हुए दो दिन गुजारे। चार दिन तक कुछ खाने को नहीं मिला। हर पल बस यह लगता था कि कब विनाश की चपेट में आ जाएंगे। सब लोगों की हिम्मत से हमने खतरनाक रास्ते को पार किया। शवों के ऊपर से भी गुजरना पड़ा। गौरीकुंड में आने के बाद हमें मदद मिली। वहां बिस्कुट का पैकेट भी 40 रुपए में मिल रहा था।
- संतोषबाई, दहीखेड़ा

पिता शराब पीकर मारता था इसलिए मांग रहा भीख, सड़क पर कट रही रातें



कोटा। पिता द्वारा शराब पीकर मारपीट करने से परेशान 12 साल का पवन डेढ़ साल पहले घर से भाग गया और आज तक घर नहीं पहुंचा। वह भीख मांगकर व पन्नी बेचकर अपना गुजारा कर रहा है। रात को फुटपाथ पर सोता है। यह कहानी उसने बाल कल्याण समिति के सामने सुनाई तो समिति के सदस्य भी सोच में पड़ गए कि कोई पिता ऐसा भी कर सकता है। समिति ने उसके पिता को पुलिस के माध्यम से बुलाया है।
दो दिन पहले चाइल्डलाइन व अन्य संस्थाओं के माध्यम से शहर में भीख मांगते 44 बच्चों को पकड़ा गया था, उन्हें विभिन्न संस्थाओं में रखा गया। सोमवार को बाल कल्याण समिति के समक्ष सभी बच्चों के परिजनों ने उपस्थित होकर उन्हें छोडऩे के लिए कहा।

इसमें एक बालक पवन ने अपने परिवार के पास जाने से इंकार कर दिया। उसने बताया कि विज्ञाननगर निवासी उसके पिता सुसान विश्वास उसे शराब पीकर पीटते थे, इससे परेशान होकर डेढ़ साल पहले वह घर से भाग गया था। इसलिए उसे वहां नहीं भेजा जाए। उसे उत्कृष्ट संस्था को पढ़ाने की व्यवस्था करने के लिए भेजा गया है। उसके पिता को भी बुलाया गया है ताकि उसे समझाया जाए।

26 बच्चे परिजनों को सौंपे
समिति के सदस्य विमल जैन ने बताया कि 44 बच्चों में से 4 को तो उसी दिन छोटी उम्र होने के कारण छोड़ दिया था, 40 में से 26 को उनके परिजनों की ओर से दिए गए शपथपत्र पर उनके हवाले कर दिया गया। इन परिजनों की आईडी समिति ने अपने पास रख ली है, जब वे बच्चों को पढ़ाने के प्रमाण प्रस्तुत करेंगे तब उन्हें आईडी लौटाई जाएगी। इसमें तीन विधवा महिलाओं को समाज कल्याण विभाग के माध्यम से विधवा पेंशन व बच्चों को पालनहार योजना का लाभ दिलाने के निर्देश दिए गए।

वकील ने भी नहीं छोड़ा
जैन ने बताया कि इन बच्चों के परिजनों से शपथपत्र तैयार कराने के लिए एक वकील ने पांच-पांच सौ रुपए लिए हैं, शिकायत मिलने पर समिति की अध्यक्ष पुखराज भाटिया ने उन्हें फटकार लगाते हुए रुपए वापस लौटाने को कहा है। समिति की बैठक में शाहिना परवीन व कुसुम विजय भी मौजूद थी।

बीमार मां को देखने आए युवक को पुलिस ने पीटा, बाइक भी तोड़ी दी



कोटा। जेकेलोन में भर्ती मां की तीमारदारी में लगे बेटों का आरोप है कि नयापुरा सीआई सुभाष पूनिया ने उनके साथ बिना वजह मारपीट की और उनकी बाइक भी तोड़ दी। वहीं सीआई का कहना है कि कोई मारपीट नहीं की गई है। बाइक की हैडलाइट जीप में रखते समय टूट गई।
बूंदी के खटखड़ गांव निवासी पवन कुमार बागड़ी ने बताया कि उनकी मां निर्मला देवी बुधवार से भर्ती थी। सोमवार को वह अपनी दादी रामधनी (67) को लेकर अस्पताल में मिलाने लाया था। अस्पताल के बाहर उसने सीने में दर्द की शिकायत की तो सड़क पर बाइक खड़ी की और सामने स्कूल के अंदर मैदान में बैठकर दादी को संभालने लगा। फोन करने पर उसका भाई सोनू भी आ गया।
इतनी देर में पुलिस की जीप आई। उसमें बैठे सीआई नीचे उतरे और बाइक को लात मारकर गिरा दिया। सोनू भागकर बाइक तक पहुंचा तो उसके भी सीआई ने थप्पड़ जड़ दिए। वह और उसकी दादी वहां गए तो उन्हें भी धक्का दिया। इसी दौरान कांस्टेबल ने उसे खींच लिया, जिससे शर्ट फट गई।
पुलिसकर्मियों ने बाइक को लात मारकर तोड़ दिया। घटना के बाद वे नयापुरा थाने में भी गए, जहां रिपोर्ट दी है। वहीं सीआई सुभाष पूनिया ने कहना है कि बाइक लावारिस हालत में सड़क पर खड़ी थी। बाइक को जीप में रखते समय वह गिर गई और उसकी हेडलाइट टूट गई। पवन और उसके भाई ने मां के बीमार होने के बारे में बताया तो बाइक देकर वापस आ गए। उसके साथ मारपीट नहीं की है।

कुरान का सन्देश

  

हाँ मेने नहीं लिखा उत्तराखंड त्रासदी पर .....हां हा हां यह सच है और सच है


 दोस्तों माफ़ी चाहता हूँ ..इन दिनों मेने लिखा और  कुछ लिखा किसी को पसंद आया किसी ने नापसंद किया ..कोई गुस्से हुआ तो किसी ने झल्ला कर गुस्से में सलाह दी के उत्तराखंड त्रासदी पर क्यूँ नहीं लिखते ...दोस्तों मेरे लिखने पर मुझे शाबाशी  वाले भी मेरे भाई है ..मेरा उत्साहवर्धन करने वाले भी मेरे भाई है और मेरी आलोचना कर मुझ पर गुस्से होकर उत्तराखंड त्रासदी पर लिखने की सलाह देने वाले भी मेरे भाई है मेरे सभी  भाइयों को सलाम ..मुझ पर गुस्सा होने वाले मेरे भाइयों को मुबारकबाद के मुझे यह पोस्ट लिखने के लियें उन्होंने प्रेरित किया ..दोस्तों उत्तराखंड का दुःख ..संवेदना सभी के साथ है ..उत्तराखंड में प्रबंध का खून हुआ ..सरकारी मेनेजमेंट का खून हुआ ..सरकार की मानवता और राजधर्म का खून हुआ ..मेने  से लेकर आज तक इस मामले में बहुत कुछ लिखा सबसे पहले मेने दुर्घटना के बारे में  चाहने के लियें आपात नम्बर  फिर त्रासदी की भयावह हालातों को लिखा ..फिर राहत कार्यों में ढिलाई के बात की ..आपदा प्रबन्धन कानून और सरकार की लापरवाही पर लिखा ...मेने देश के जवानो द्वारा बूढ़े और बच्चों को बचाने की तस्वीरों के साथ उनको शाबाशी लिखी लेकिन अफ़सोस मेरे दोस्तों को वोह नहीं दिखा ..................में कभी माहोल को हल्का करने के लियें शायरी की बात की तो कभी खबरों का रुख बदल कर माहोल को बदलने की कोशिश की लेकिन इलज़ाम तो इलज़ाम है मेरे दोस्तों का गुस्सा जायज़ है ....लेकिन जरा मुझे बताये में इससे ज्यादा जो लिख चूका था इस त्रासदी पर क्या लिखता ..क्या में इश्वर ने जो तबाही मचाई उस इश्वर के खिलाफ लिखता ..क्या देश के आपदा प्रबन्धन की सरकार आपदा मंत्रालय और आपदा समितियों के नाम पर अरबों का घोटाला कर रही है उस पर लिखता ..क्या त्रासदी के वक्त जश्न मनाने और सेर तफरीह करने के लियें जाने की कोशिश में जुटे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के जज्बातों के बारे में लिखता ..क्या हमारे राजस्थान के मुख्यमंत्री पुरे उत्तराखंड को केवल दो करोड़ रूपये की सहायता दे रहे है यह बेशर्मी की बात लिखता ....क्या हमारे मुख्यमंत्री इतने दिनों में भी राजस्थानियों को नहीं बचा पा रहे है और गुजरात के  मोदी अपने लोगों को डंके की चोट पर बचा कर लगाये इसके लियें लिखता ..क्या में लिखता के उत्तराखंड के मुख्यमंत्री को बदल दो ..इश्वर खुद भगवान ने उसके घर आने वालों को तबाह किया इसलियें उसे मानना छोड़ दो ..क्या में लिखता के केंद्र सरकार निखट्टू है वोह इस मामले में न तो पूर्व त्य्यारियों के तहत कुछ लिख स्की है ना ही मोसम विभाग का मेनेजमेंट और अग्रिम वैज्ञानिक जानकारियों के लियें नए उपकरण खरीद सखी है क्या में यह लिखता ....क्या में यह लिखता के हमारे नो जवान जो रेस्क्यू के लियें उत्तराखंड जाना चाहते है उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिल रही है .क्या में यह लिखता के वहन लाशों का तांडव है सिर्फ और सिर्फ आम आदमी ही मरा है कोई भी नेता कोई भी मंत्री कोई बढ़ा अधिकारी इस त्रासदी की चपेट में नहीं आया है ...क्या में लिखता के मोदी जी की मनहूस यात्रा को लेकर यह सब दुखान्तिका खुदा ने क्रोध में की है ..क्या में लिखता के मरने वाला न हिन्दू था न मुसलमान ना सिक्ख था न इसाई वोह तो केवल और केवल इंसान था ..क्या में लिखता के वहा राहत कार्यों के नाम पर इंसान शेतान हो गया है ..लाशों को लूटा जा रहा है साधू संत नोटों की बोरियां भर कर ले जाते पकड़े जा रहे है .क्या में लिखता नेतागिरी सिर्फ नेतागिरी कर रहे है लेकिन हमारे देश के जवान ..............समप्रित अधिकारी और कर्मचारी जाना की बाज़ी लगाकर लोगों की जान बचाने के काम में जुटे है .....क्या में लिखता के वहां पुनर्वास कार्य धीमी गति से चल रहे है क्या में लिखता के केंद्र सरकार वहां आज भी संवेदनशील नहीं है और गुजरात के भुख्म्प के बाद गुजरात को खड़ा करने वाले मोदी मेनेजमेंट  की तरह उत्तराखंड को भी पुनर्वासित कर फिर से खड़ा किया जाए ..लोगो की आस्थाओं को फिर मरम्मत की जाए फिर से लोगों की आस्थाओं के म्न्दरी पुनर्निर्माण किये जाए .....क्या में लिखता के त्रासदी हो चुकी है और क्रिकेट क्यूँ  खेला जा रहा है ..कवि सम्मेलन ..मुशायरे क्यूँ हो रहे है ..सरकारी कार्यक्रम क्यूँ हो रहे है सरकारें क्यूँ चल रही है लोग साँस थाम कर ////खामोश गूंगे बनकर क्यूँ नहीं बेठे है ..हा दोस्तों में नहीं लिख सका यह सब बाते ..मुझे नहीं लिखना यह सच ..मुझे नहीं देखना ऐसा सपना जो हमारे सरकार हमरे नेता पूरा न कर सकें ......दोस्तों त्रासदी और पुनर्वास कार्यक्रम का सच आप जानते है में जानता हूँ दुनिया जानती है फिर लिखने से नहीं लोगों को जागरूक करने लोगों को इस मामले में जगाने से ही कुछ हो सकेगा ...शायद अब मेरे उन आलोचक मित्रों ने जो मुझे बार बार त्रासदी पर लिखें के लियें उत्प्रेरित कर रहे है वोह समझ गए होंगे के मेने क्यूँ त्रासदी पर नहीं लिखा में चुप क्यूँ हो में खामोश क्यूँ हूँ अभी मेरे पास सिर्फ और सिर्फ अफ़सोस करने .....म्रत्तात्माओ की आत्मा को शांति मिले इसकी दुआ करने ..जो लोग पीड़ित है उन्हें पुनर्वासित करने और भविष्य में फिर से केदारनाथ और वहा की आस्थाए वहां के लोग खड़े हो लोगों को आकर्षित करे और सुखद अहसास दे इसकी प्रार्थना और इस मामले में कामयाबी की कोशिश करने के अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है ......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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