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26 जून 2013

छवि चमकाने के लिए उत्‍तराखंड त्रासदी को भी भुनाया? मोदी पर उठे सवाल, राजनाथ ने मांगी सफाई



नई दिल्ली. उत्‍तराखंड में फंसे सभी लोगों को आपदा के दस दिन बाद भी पूरी तरह नहीं निकाला जा सका है। लेकिन गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले हफ्ते उत्तराखंड में बाढ़ से घिरे लोगों को बचाने को लेकर अपने 'रैंबो एक्ट' को लेकर चर्चा में थे। लेकिन क्या मोदी सचमुच रैंबो बन गए थे? क्या उनकी अगुवाई में 15,000 गुजरातियों की जान बचाई गई थी? ये आंकड़ा आखिर कहां से आया? 
 
 
रविवार को मोदी के रैंबो बनकर हजारों जिंदगियां बचाने की खबर सामने आने के चार दिन बाद भी औपचारिक तौर पर यह साफ नहीं हो पाया है कि 15,000 गुजरातियों की जान बचाने के आंकड़े की बुनियाद क्या थी? खुद नरेंद्र मोदी या उनकी सरकार के किसी अफसर ने यह दावा नहीं किया है। तो यह बात मोदी की ओर से किसने कही? अगर नरेंद्र मोदी इस खबर से सहमत नहीं थे, तो उन्होंने इसका सार्वजनिक तौर पर खंडन  क्यों नहीं किया? क्या यह खबर मीडिया में प्लांट कराई गई थी?
 
 
इसी बीच, रैंबो बनकर गुजरातियों को बचाने की खबर पर विवाद होने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी 'बैकफुट' पर आ गए हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि नरेंद्र मोदी द्वारा 15 हजार गुजरातियों को बचाए जाने की बात कहां से आई, इसकी जानकारी उन्‍हें नहीं है। इस खबर के बाद उन्‍होंने खुद नरेंद्र मोदी से बात की थी, जिस पर उन्‍होंने साफ किया था कि ऐसा कोई भी बयान उनकी तरफ से नहीं दिया गया है।

राहत का क्रेडिट लेने को लेकर देहरादून एयरपोर्ट पर कांग्रेस-टीडीपी सांसदों में मारपीट


देहरादून. उत्‍तराखंड में आई आपदा के बाद राहत कार्यों को लेकर राजनीति चरम पर है। उत्‍तराखंड की कांग्रेसी सरकार ने जहां सोमवार और मंगलवार में इस मामले में अखबारों में विज्ञापन दिया, वहीं गुरुवार को तो नेताओं ने हद कर दी। देहरादून में कांग्रेस और टीडीपी के नेताओं में मारपीट हो गई। मारपीट इस बात को लेकर हुई कि राहत का श्रेय किसे मिले। उत्‍तराखंड में फंसे आंध्र प्रदेश के लोगों को सुरक्षित निकालने का श्रेय लेने को लेकर इन नेताओं में मारपीट हुई। 
 
इस बीच, बचाव कार्य के दौरान गौरीकुंड के पास मंगलावार को हुए हेलिकॉप्‍टर हादसे में मारे गए सभी 20 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं। इसके लिए आर्मी के स्‍पेशल फोर्स से 26 और 12 एलीट गरुड़ कमांडो ने तलाशी अभियान चलाया। खराब मौसम की वहज से आपदाग्रस्‍त इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य में दिक्‍कत आ रही है। अभी बद्रीनाथ तक हेलिकॉप्‍टर नहीं उड़ सके हैं। वहीं रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन में जुटे एक हेलिकॉप्‍टर की देहरादून में इमरजेंसी लैंडिंग हुई है। यह हेलिकॉप्‍टर मेघालय सरकार का बताया जा रहा है। आर्मी ने राहत एवं बचाव कार्यों से जुड़ी जानकारी अपडेट करने के लिए नई वेबसाइट लॉन्‍च की है। एयरफोर्स चीफ एन ए के ब्राउन जवानों का हौसला बढ़ाने पहुंचे हैं। दुर्घटनाग्रस्‍त हेलिकॉप्‍टर का ब्‍लैक बॉक्‍स मिल गया है। इसकी जांच के बाद हादसे की वजह साफ हो जाएगी। गौचर एयरबेस पर पत्रकारों से बात करते हुए ब्राउन ने कहा, 'समूचा देश हादसे में शहीद हुए 20 जवानों के परिजनों के साथ है। हादसे की वजह तकनीकी गड़बड़ी या मौसम का खराब होना भी हो सकता है, हम किसी आशंका से इनकार नहीं कर रहे हैं। मौके से कॉकपिट वाइस रिकॉर्डर और फ्लाइंग डाटा रिकॉर्डर बरामद कर लिए गए हैं। इनकी जांच हो रही है

कहा फौजी हूं मेरे पास बंदूक है और निकाल कर दिया फायर, बोला- सब को मार दूंगा



कोटा। जयपुर रेजिमेंट के जवान ने शराब के नशे में स्टेशन क्षेत्र में एक शराब की दुकान पर अपनी लाइसेंसी बंदूक से फायर कर दिया। गोली एक सेल्समैन के पास से होकर गुजरी। इसके बाद लोगों व पुलिस ने उसे पकड़ लिया। लोगों ने मारपीट करते हुए पुलिस को सौंप दिया। पुलिस ने लापरवाही से फायर करने व आर्म्स एक्ट में मामला दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया।
भीमगंजमंडी सीआई नेत्रपालसिंह ने बताया कि थाने के पास स्थित अंग्रेजी शराब की दुकान पर नशे में धुत फौजी सतना निवासी शिवानंद पांडे आया। उसने बीयर मांगी। इस दौरान सेल्समैन रामराज नागर से उसकी कहासुनी हो गई। उसने अपनी लाइसेंसी दोनाली बंदूक निकाली और अचानक फायर कर दिया।
गोली काउंटर पर बैठे रामराज के पास से होकर फर्नीचर में जा घुसी। दुकान में मौजूद धनराज और राजेंद्र सुमन भी घबरा गए। गोली चलने से सबके पसीने छूट गए। फायर से क्षेत्र में हड़कंप मच गया। लोगों ने फौजी को पकड़ लिया। पुलिस भी वहां पहुंच गई। उसे बंदूक सहित पकड़ कर थाने आई।
उसके बाद एक जिंदा कारतूस और मिला है। पुलिस ने रामराज की रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर लिया। फौजी अपनी लाइसेंसी बंदूक के साथ सतना से जयपुर जा रहा था। कोटा रेलवे स्टेशन क्षेत्र में वह शराब की दुकान गया और बीयर ली। इसी बात पर वहां कहासुनी हो गई। सेना को भी इसकी जानकारी दे दी थी। वे भी थाने आ गए थे। सेना ने उससे पूछताछ की है। सेना के प्रवक्ता ने बताया कि सेना भी उसे लेकर आर्मी एक्ट के तहत कार्रवाई करेगी।
मैं सबको मार दूंगा...
दुकान के सेल्समैन धनराज ने बताया कि फौजी नशे में था। उसने आते ही कहा कि उसने 80 रुपए देकर किसी को बीयर लेने भेजा था, लेकिन उसे बीयर नहीं दी। उसने एक बीयर ली और कहने लगा कि उसका नाम शिवानंद पांडे है, फौजी है और उसके पास अपनी बंदूक है।
वह सबको मार देगा। इतना कहकर उसने बंदूक से फायर कर दिया। गोली चलने पर हमारी सांसें थम गई। डर के मारे पसीने छूट गए। लोगों ने उसे पकड़ लिया। कुछ ही देर में पुलिस भी आ गई थी।

उनका बदन ठंड से अकड़ रहा था, वो भूख से तड़पते रहे और मैं मरते हुए देखती रही



कोटा। उनका बदन ठंड से अकड़ रहा था, भूख-प्यास ने उन्हें और बेहाल कर दिया। हमारे पास खाने-पीने को कुछ नहीं था। दो दिन तक हम इसी हाल में रहे। पति की हालत बिगड़ती जा रही थी। मैं चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रही थी। बस उन्हें गोद में लेकर बैठी रही।
दो दिन बाद अचानक उनकी सांसें थम गईं और देखते ही देखते मेरा सबकुछ आंखों के सामने से चला गया। एक तरफ पति का शव था और दूसरी ओर हमें नीचे उतारा जा रहा था। मैं उनका शव साथ लाना चाहती थी, पर पुलिस व सेना वालों ने कहा कि ये संभव नहीं है। पहले जीवित लोगों को निकाला जाएगा। मजबूरन मुझे उनका हाथ छोडऩा पड़ा।
महावीर नगर विस्तार योजना निवासी 60 वर्षीय आशा सैनी यह कहते-कहते बिलख पड़ीं। वे अपने पति 65 वर्षीय गुलाबचंद सैनी के साथ चार धाम गई थीं। साथ में 42 लोग थे। आपदा आने पर सभी भैरवघाट पहाड़ी पर चले गए, लेकिन साथ में कुछ नहीं ले जा पाए।
लगातार बारिश के कारण उनके पति की तबियत बिगडऩे लगी। दवा छोड़कर उनके पास खाने को कुछ नहीं था। पति के शव के साथ मदद के लिए वह पहाड़ी पर भटकती रहीं। तीन दिन गुजरने के बाद सेना की मदद पहुंची लेकिन उनके पति शव कोटा नहीं आ सका। उत्तराखंड में आपदा पता चलने पर उनके बेटे महावीर भी उनकी तलाश में ऋषिकेश पहुंच गए। कई दिनों तक उनकी तलाश की तो केवल मां का पता चल सका। दोनों वहीं गंगाजी में पिता का पिंडदान कर दिया।

पैरों में छाले और जख्म
आशा देवी कई किलोमीटर तक पथरीली जमीन चलती रहीं। अगला कदम कहां पड़ रहा है उन्हें कुछ नहीं मालूम पड़ रहा था। आपदा उनके पीछे-पीछे चलती रही। पैरों में छाले और बड़े-बड़े जख्म हो गए। बुधवार दोपहर को कोटा पहुंचने पर उन्हें डॉक्टर को दिखाया गया। इस घटना का पता चलने पर भाजपा जिलाध्यक्ष श्याम शर्मा व भाजपा प्रवक्ता योगेन्द्र गुप्ता उनके घर पहुंचे और ढांढस बंधाया।

एक- एक चेहरे पर दिखा मौत का खौफ
मुसीबतों से बचते-बचाते 50 श्रद्धालुओं का दल बुधवार को जब करणीमाता मंदिर पहुंचा, तो लगा कि उन्हें नया जन्म मिल गया हो। एक-एक चेहरा बता रहा था कि मौत ने उनका कब तक और कितनी दूर तक पीछा किया। मंदिर आते ही सभी डबडबाई आंखों के साथ परिजनों से लिपट गए।

ड्राइवर की देरी ने बचा लिया
यह किस्मत ही थी कि ड्राइवर गंगोत्री से 90 किमी पहले नेताला के पास टायर चेक करने लगा। 20 मिनट लगे। ५ किमी आगे मनेरी में 500 मीटर सड़क बहकर भागीरथी में गिर गया है और 10 बसें भी उसमें समा गईं। ड्राइवर ने इतना समय न लगाया होता तो हादसे में हम भी नहीं बचते।  - लोकेश दाधीच, छावनी चौराहा

प्रशासन ने तो हद कर दी
हम नेताला में ही फंस गए। वहां से 5 किमी आगे और ढाई किमी पीछे की सड़क के टुकड़े पानी में बह चुके थे। प्रशासन से संपर्क करते रहे लेकिन वे 5 दिनों तक सड़क ठीक करवाने का झूठा आश्वासन देते रहे। गणेशपुरा के लोगों ने हमें बचाया। - बनवारी दाधीच

चट्टान ऐसी कि रूह कांप जाए:
प्रशासन के मदद न करने पर स्थानीय लोगों ने हमें दूसरा रास्ता बताया। लेकिन 1 किमी खड़ी चढ़ाई देख मेरी रूह कांप उठी। सोचने लगा कि मैं तो जवान हूं, पर साथ आए बुजुर्ग कैसे चढ़ेंगे। लेकिन, हम किसी तरह सही-सलामत चढ़कर रास्ता पार कर गए।
- डॉ. भास्कर दाधीच

नेपालियों का हमेशा लगा रहा डर
जब हम खतरनाक रास्ते से गुजर रहे थे, तभी तीन महिलाएं गिरते-गिरते बचीं। ऊपर से जब ये सुना कि नेपाली लोग श्रद्धालुओं से लूट-खसोट कर रहे हैं तो घबराहट में पांव सही जगह नहीं पड़ रहे थे।
- गजेन्द्र राठौड़ (50) टूर आर्गेनाइजर

अब एक क्लिक पर पेरेंट्स भी देख सकेंगे बच्चे ने परीक्षा में क्या लिखा


कोटा। इंजीनियरिंग छात्रों के अभिभावक परीक्षा के बाद अपने बच्चों की कॉपियां एक क्लिक पर देख सकेंगे। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी (आरटीयू) में नवंबर-दिसंबर,2013 सेमेस्टर परीक्षा से कॉपियां जांचने का काम ऑनलाइन कर दिया जाएगा। बाद में इसे सभी सेमेस्टर परीक्षाओं पर लागू किया जाएगा।

इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि छात्रों को कॉपियां देखने के लिए यूनिवर्सिटी के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। उन्हें ईमेल से स्केन कॉपियां भेज दी जाएगी, जिसे उनके पेरेंट्स भी घर बैठे देख सकेंगे।  कंप्यूटर पर कॉपी चेक करते समय लेक्चरर जल्दबाजी नहीं कर सकेंगे।

प्रत्येक सिस्टम के साथ टाइमर लगा होगा, जिससे एक्जामिनर को प्रत्येक कॉपी को निर्धारित समय तक चेक करना होगा। इतनी ही नहीं, 10 नंबर के प्रश्न में इससे ज्यादा नंबर देने पर कंप्यूटर उसे स्वीकार नहीं करेगा, जिससे मार्कशीट में गलतियां नहीं आएंगी। सभी प्रश्नों को चेक करने के बाद टोटलिंग या किसी प्रश्न को चेक करने से छूट जाने जैसी गलतियां नहीं होंगी।


स्क्रीन पर चेक होगी कॉपियां
परीक्षा नियंत्रक प्रो.एन पी कौशिक के अनुसार, राज्य के सभी परीक्षा केंद्रों से कॉपियां पहले रीजनल सेंटरों पर पहुंचेगी। वहां कॉपियों की कम्प्यूटर पर स्केनिंग व कोडिंग की जाएगी। इस सॉफ्ट कॉपी को सर्वर पर अपलोड किया जाएगा। ऐसे कॉलेज जहां 50 से 100 कंप्यूटर होंगे, वहां एक्जामिनर स्क्रीन पर कॉपियां चेक करेंगे। हर प्रश्न का सही जवाब भी उनके सामने डिस्प्ले होगा। मार्किंग की रिकार्डिंग भी साथ-साथ होगी। इससे रिजल्ट बहुत जल्द तैयार हो जाएंगे।

नहीं मिल पा रहे 10 हजार एक्जामिनर
ञ्चप्रतिवर्ष 35 लाख कॉपियों की जांच के लिए 10 हजार से ज्यादा एक्जामिनर चाहिए जो नहीं मिल रहे। कॉपियां मैन्युअल चेक करते समय टोटल में त्रुटि, प्रश्न जांचने से छूट जाने, सही नंबर मेन पृष्ठ पर नहीं चढ़ाने जैसी गलतियां सामने आ रही हैं।

संदेह के चलते 30 फीसदी से ज्यादा छात्र रिवेल के लिए आवेदन कर रहे हैं।छात्रों को कॉपी दिखाने के लिए बंडल में से कॉपियां निकालना मुश्किल होता है।
आगे यह होगी व्यवस्था
ञ्च ऑनलाइन मूल्यांकन से राज्य के बाहर के प्रोफेसरों को भी कॉपियां ईमेल की जा सकेंगी, उन्हें यहां आने की जरूरत नहीं होगी।

रिवेल के मामले कम हो जाएंगे। कॉपी दिखाने के लिए कंप्यूटर पर रोल नंबर फीड करते ही कॉपी सामने होगी।
रिजल्ट घोषित करने में एक माह से कम समय लगेगा।

पेपर भी डिजिटल होंगे
कई कॉलेजों में पेपर लीक होने की घटनाओं को रोकने के लिए आरटीयू सभी परीक्षा केंद्रों पर डिजिटल पेपर भेजने की योजना बना रहा है। डिजिटल पेपर होने से प्रिंटिंग मिस्टेक के मामले कम हो जाएंगे। ये पेपर आधे घंटे पहले सेंटर पर पहुंचेंगे, जिसकी कैमरे में लाइव रिकार्डिंग भी होगी। इसके लिए ऐसे सर्वर व मशीनें लगाई जाएंगी जिनका दूसरी मशीनों से कनेक्शन नहीं होगा। उन्हें यूपीएस बेकअप के साथ कड़ी सिक्योरिटी दी जाएगी।


॥अभी गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित देश की चुनिंदा यूनिवर्सिटी में ही कॉपियां ऑनलाइन चेक की जा रही हैं। इससे छात्रों का मूल्यांकन निष्पक्ष व पारदर्शी रहेगा।
- प्रो.आरपी यादव, कुलपति, आरटीयू

कुरान का सन्देश

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