आपका-अख्तर खान

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01 जुलाई 2013

सभी धर्मो हिन्दू ..मुस्लिम ..सिख इसाई को देश के अमन चेन और देश के सुकून इश्वर के कहर से मुक्ति के लियें अपने अपने तरीके से प्रार्थना करना चाहिए और सभी को अपने अपने तरीके से त्रासदी का शिकार हुए इस तांडव का पुनर्वास करने के लियें और फंसे हुए लोगों को बचाने के लियें कोशिश करना चाहिए

लोग केदारनाथ त्रासदी का सच तलाशने में लगे है लेकिन यह कुदरत है इश्वर है भगवान है इसका  भेद वही जाने ,,,,, इंसान इस भेद को पता नहीं लगा  सकता है  ....फिर भी देखो कोई कहता है ....के नरेंदर मोदी के ज़ुल्म अत्याचार बढने के बाद भी उसे ताजपोशी की बात इस देश के लोगों द्वारा की जा रही है इसलियें कुदरत का यह तांडव हुआ ...........कुछ कहते है के मनमोहन सिंह ने देश और देश के लोगों का बड़ा गरक कर देश में भ्रष्टाचार बेईमानी और महंगाई के नये आयाम स्थापित किये है और कोंग्रेस की चुप्पी देश की सभी साथी पार्टियों का मिलन  इस अत्याचार को बढ़ा रहा है इसलियें कुदरत का यह कहर हुआ कुछ कहते है गोपालगढ़ भरतपुर राजस्थान नरसंहार के बाद अशोक गहलोत को दोषी होने के बाद भी नहीं हटाया इसलियें यह अत्याचार हुआ है .कुछ कहते है विजय बहुगुणा उत्तराखंड के लायक नहीं होने पर भी उनको सत्ता सोंपी इसलियें यह कहर हुआ है .लेकिन दोस्तों सच क्या है यह तो कुदरत के भेद कुदरत ही जाने ..बस सच यही है के धरती पर कही ना कही पाप तो बढ़ा है और इस पाप के खिलाफ जब कोई खड़ा नहीं हुआ इस पाप के जब लोग समर्थक बन गये तब यह कुदरत का कहर हुआ है और इसके  लियें राहत और पुनर्वास कार्यों के साथ साथ देश के सभी धर्मो हिन्दू ..मुस्लिम ..सिख इसाई को देश के अमन चेन और देश के सुकून इश्वर के कहर से मुक्ति के लियें अपने अपने तरीके से प्रार्थना करना चाहिए और सभी को अपने अपने तरीके से त्रासदी का शिकार हुए इस तांडव का पुनर्वास करने के लियें और फंसे हुए लोगों को बचाने के लियें कोशिश करना चाहिए मानवता का इश्वर के संदेश सभी की मदद करो के सिद्धांत का पालन करते हुए बिना किसी जाती ..धर्म   .. क्षेत्रीयता के लोगों की मदद करना चाहिए .........अख्तर खान अकेला कोटा  राजस्थान

अमरनाथ यात्रा में भक्तों पर हो रहा अत्याचार, खाने-पीने रहने का रेट आसमान पर



जालंधर।अगर आप श्री अमरनाथ यात्रा पर जा रहे हैं तो निर्धारित तारीख पर ही जम्मू जाएं। अगर आप पहले जाते हैं तो बेसकैंप में एंट्री नहीं मिलेगी। संस्थाओं को बेसकैंप से बाहर लंगर बांटने की अनुमति नहीं है।
रविवार रात 12 बजे के बाद संस्थाओं को बेसकैंप के बाहर लंगर बांटने से रोकने पर शिव भक्तों ने जेएंडके पुलिस के खिलाफ प्रदर्शन किया।
शहर से यात्रा पर गए शेखर शर्मा, गौरव शर्मा और वरुण ने बताया कि लोगों को बारिश के बीच स्थानीय दुकानों के आगे बने शैल्टर के नीचे रात बितानी पड़ी। बड़ी गिनती में लोग गेस्ट हाउस व होटलों में ठहरे हुए हैं।

तो क्‍या लाखों में है मरने वालों की तादाद? रहस्‍य ही रहेगी केदारनाथ की त्रासदी

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उत्तराखंड के केदारनाथ में असल में क्या हुआ था इसका पता कभी किसी को नहीं लग सकेगा। केदारनाथ और उसके आस-पास के इलाके में 16 और 17 जून को कितनी बारिश हुई जो ऐसी भयंकर तबाही मची, इसका भारतीय मौसम विभाग के पास कोई आंकड़ा नहीं है। इसकी वजह यह है कि मौसम विभाग इस इलाके को कवर नहीं करता है। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के उपाध्यक्ष एम शशिधर रेड्डी का कहना है कि उन्हें यह नहीं पता है कि केदारनाथ के पास के इलाके में कितनी बारिश हुई और वहां कैसे इतनी तबाही मची? एनडीएमए के चेयरमैन पीएम मनमोहन सिंह हैं। रेड्डी का कहना है कि अब वैज्ञानिक केवल अनुमान लगा सकते हैं कि वहां पर क्या हुआ होगा? 
 
यही नहीं सरकार उत्तराखंड त्रासदी में मरने वालों की संख्या को भी काफी कम बता रही है। इस राज्य में पीक सीजन में कम से कम तीन लाख टूरिस्ट होते हैं। चार धामों की यात्रा के दौरान इसपहाड़ी राज्य का पीक सीजन माना जाता है। सरकार अब तक मरने वालों का आंकड़ा हजारों में बता रही है इसमें भी राज्य सरकार के नेता एकमत नहीं हैं। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा तो यहां तक कह रहे हैं कि आपदा में मरने वालों की असल संख्या का पता चलना मुश्किल है।
 
यहां चार धाम स्थित हैं लेकिन यहां मौसम का पूर्वानुमान लगाने को कोई साधन नहीं हैं, केदारनाथ और बद्रीनाथ में हुई बारिश को मापने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं। इन धामों के पीछे मौजूद ग्लेशियरों में होने वाली हलचल देखने के लिए भी कोई इंतजाम नहीं हैं। इन सालों में सरकार को यह भी नहीं पता था कि अगर बारिश आएगी तो इसका प्रभाव किन-किन इलाकों पर पड़ सकता है। 
 
रेड्डी का कहना है कि इसी वजह से बारिश के साथ आपदा आने पर राज्य सरकार हक्की-बक्की रह गई और उसे कुछ नहीं सूझा। 19 जून को तबाही मचने के बाद रेड्डी ने भारतीय मौसम विभाग और सेंट्रल वॉटर कमीशन के अधिकारियों की बैठक ली। ये दोनों संस्थाएं बारिश और बाढ़ का पूर्वानुमान लगाती हैं। लेकिन बैठक में अधिकारियों ने बताया कि केदारनाथ और बद्रनीथ के पास के इलाकों में हुई बारिश का उनके पास कोई रिकॉर्ड नहीं है। अधिकारियों से इसका कारण पूछने पर उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है कि यहां कोई उपकरण ही नहीं लगाए गए हैं।

पाकिस्‍तान ने भारत में भेजा मानव बम! भारतीय चौकी के पास पाकिस्‍तानी घुसपैठिये ने खुद को उड़ाया


पुंछ. पाकिस्तान की ओऱ से सीमा पर नापाक हरकतें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कई बार सीजफायर का उल्लंघन करने वाले पाकिस्तान ने अब भारतीय सीमा में एक मानव बम भेज दिया। दोनों देशों की सीमा के पास सोमवार को पाकिस्तान से आए एक संदिग्ध मानव बम ने खुद को धमाके के साथ उड़ा लिया। यह धमाका जम्मू-कश्मीर के पुंछ में भारतीय सेना की एक चौकी के पास हुआ।
 
पुंछ के साजौन में पाकिस्तानी मानव बम ने अपने शरीर में आईईडी से विस्फोट कर लिया। भारतीय सेना ने कहा है कि उन्होंने चौकी के पास एक संदिग्ध आदमी को देखा था। सैनिकों ने चेतावनी देने के बाद उस पर गोली चलाई। हालांकि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि उसके शरीर पर बंधे विस्फोटक में सैनिकों की चलाई गोली से विस्फोट हुआ था या उसने गोली लगने से पहले ही खुद को उड़ा लिया था। 
 
सोमवार को ही दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों के एक गश्ती दल पर की गोलीबारी के दौरान एक सुरक्षाकर्मी की मौत हो गई और तीन सैनिक घायल हो गए। पुलवामा में आतंकियों और सुरक्षाबलों के बीच काफी देर तक गोलीबारी हुई। इस गोलीबारी में एक आतंकी भी मारा गया। एक पुलिस अधिकारी का कहना था कि, आतंकी दो या तीन की संख्या में आए थे और उन्होंने गोलीबारी शुरू की थी। 
 

कुरान का सन्देश

उत्‍तराखंड: प्रेशर कुकर में कटी उंगलियों के साथ अंगूठी ले जा रहे थे लुटेरे, पकड़े गए



नई दिल्‍ली. उत्‍तराखंड में कुदरत का कहर झेल रहे लोगों के साथ बलात्‍कार की खबरों पर राज्‍य के मुख्‍यमंत्री विजय बहुगुणा का कहना है कि पुलिस-प्रशासन के पास ऐसी एक भी शिकायत नहीं आई है। उनका कहना है कि शिकायत आने पर कार्रवाई होगी। आफत से बचे कई लोगों ने अपनी आपबीती सुनाते हुए पीडि़तों के साथ बलात्‍कार और लूटपाट की घटनाओं का जिक्र किया था। 
 
मुख्‍यमंत्री ने कहा है कि राज्‍य में 16 जून को भारी बारिश और बाढ़ के बाद मरने वालों की तादाद के बारे में निश्चित तौर पर कभी कुछ नहीं कहा जा सकता। अब राज्‍य में मलबों में दबे लोगों का दाह संस्‍कार करना सबसे पहली चुनौती है।
 
कुदरत की इस तबाही के बीच कुछ लोग शवों से ही अपनी जेब भरने में जुटे हैं। राहत एवं बचाव कार्य में जुटी सेना ने ऐसे दो लोगों को पकड़ा है जिनके पास हजारों रुपये और सोने के जेवर मिले हैं। केदारनाथ और गौरीकुंड में आपदा प्रभावितों को मेडिकल सुविधाएं मुहैया कराने में जुटी टीम के एक सदस्‍य डॉक्‍टर प्रदीप भारद्वाज ने सनसनीखेज खुलासा किया है। पिछले दिनों इनका कैंप गौरीकुंड में चल रहा था कि दो लोग वहां इलाज के लिए आए। राहत टीम के एक सदस्‍य ने इन लोगों के पास प्रेशर कुकर देखा तो उन्‍हें शक हुआ। इन्‍होंने सेना के जवानों को खबर कर दी। जवानों ने जब प्रेशर कुकर खोले तो सभी दंग रह गए। उसमें दर्जनों हाथ की कटी उंगलियां थीं जिनमें अंगूठी थी।  
 
इस बीच, हिमालय क्षेत्र में आने वाले इन राज्‍यों में झील फटने से आने वाली बाढ़ का खतरा बना हुआ है। हिमालय की गोद में बसे उत्‍तराखंड, हिमाचल और जम्‍मू-कश्‍मीर के आसपास 8000 ऐसी झीलें हैं जो हिमालय से पिघलने वाले बर्फ से बनी हुई हैं। इनमें 200 झीलें बेहद खतरनाक हैं।    
  
केदारनाथ में हुआ हादसा ऐसी ही झील गांधी सरोवर के फटने का नतीजा है। ये झीलें फटने के बाद पानी के साथ मलबे का ढेर लेकर चलती हैं और बड़े इलाके में कीचड़ की बाढ़ आ जाती है। इसके आगोश में आने वाला सब कुछ तहस नहस हो जाता है। इनसे जुड़ी चेतावनी जारी करने का कोई सिस्‍टम नहीं है ताकि ऐसे हालात में लोगों को सुरक्षित स्‍थान पर ले जाया जा सके। हिमालय की गोद में बसे नेपाल में भी ऐसी घटनाएं अक्‍सर सामने आती हैं
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