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05 जुलाई 2013

मुझे पता है में डूबता सूरज हूँ

मुझे पता है
में डूबता सूरज हूँ
मुझे पता है
बहुत जल्द अब में
बादलों की ओट में डूब जाउंगा
इसीलियें तो
तुम मुझ से अलग हो गए
चलो अच्छा हुआ
तुम्हे निजात मिली
मेरे डूब जाने के गम से
बस
खुदा  से मेरी
एक ही इल्तिजा है
ऐ खुदा
मेरे डूब जाने के बाद
उनकी जिंदगी में
तू अँधेरा न करना
ऐ खुदा
उनको तो चांदनी की निर्मल ताज़ी चांदनी की रौशनी देना
उनकी जिंदगी में
मेरे डूब जाने के बाद अँधेरा न रहे
बस इसीलियें
उनकी जिंदगी चांदनी की रौशनी से रोशन रहे आबाद रहे
वोह खुश रहे
वोह खुशहाल रहे
बस खुदा से
यही मेरी इल्तिजा है ..
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

केदारनाथ: खतरे में हैं भगवान, प्रशासन ने भी छोड़ा राम भरोसे


केदारनाथ. उत्तराखंड में आई तबाही के हफ्तों बाद भी केदारनाथ मंदिर में सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं किया गया है। स्थानीय प्रशासन ने मंदिर की बहुमूल्य मूर्तियों और सोने के आभूषणों को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। इनके चोरी होने और तस्करी होने का खतरा बना हुआ है। मंदिर को सुरक्षा देने की बजाए उत्तराखंड पुलिस और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने इसे स्थानीय लोगों की इमानदारी पर छोड़ दिया है। यही नहीं पुलिस वालों का तो यहां तक मानना है कि इस दुर्गम इलाके में आकर कोई चोरी करने की नहीं सोच सकता है। 
 
स्थानीय विद्वानों के मुताबिक यह मंदिर पांडवों ने बनाया था और आठवीं सदी में आदिगुरु शंकराचार्य ने इसका पुनर्निमाण किया था। हालांकि कई वैज्ञानिकों का मानना है कि मंदिर कई साल पहले बना था और कुछ शोधों के मुताबिक तो यह मंदिर 3000 साल पहले बनाया गया था। 
 
इस मंदिर में पुरातत्विक महत्व की कई कलाकृतियां हैं। इसमें पांडवों की पत्थरों की मूर्तियां, दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियां, तांबे का बना नंदी बैल, चांदी के कई आभूषण और 150 किलो का छत्र मौजूद है। यह सब केदारनाथ में आई तबाही के बाद बिना किसी सुरक्षा के वहां पड़ा हुआ है। 
 

...तो ऐसे बनी एमपी के वित्‍त मंत्री की सेक्‍स सीडी! पत्नी ने कहा- मैं कुछ नहीं पूछूंगी उनसे


...तो ऐसे बनी एमपी के वित्‍त मंत्री की सेक्‍स सीडी! पत्नी ने कहा- मैं कुछ नहीं पूछूंगी उनसे
भोपाल. राघवजी को जिस विवादित सीडी के कारण इस्तीफा देना पड़ा, उसके मास्टर माइंड भाजपा के ही एक नेता शिवशंकर पटेरिया हैं। पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती के कार्यकाल में पटेरिया वन विकास निगम के अध्यक्ष रह चुके हैं। उन्हें राघवजी के कट्टर समर्थक के रूप में जाना जाता है। भास्कर के पूछने पर पटेरिया ने स्वीकार किया कि उन्होंने ही यह सीडी बनवाई है। बताया जा रहा है कि विदिशा की राजनीति में पटेरिया ने शिवराज सिंह चौहान के बदले हमेशा राघवजी का ही साथ दिया। इसका उन्हें नुकसान भी हुआ। राघवजी से कोई मदद नहीं मिलने पर पटेरिया ने सीडी बनवाने का निर्णय लिया। उसके लिए राघवजी के घर रहने वाले युवक को तैयार किया और कैमरा उपलब्ध कराया। हाल ही में पटेरिया का राघवजी के स्टाफ में पदस्थ एसडी रिछारिया से भी कुछ विवाद हुआ था। रिछारिया ने पटेरिया को बेइज्जत किया। तभी से नाराजगी चल रही थी।
 
पहले भी उड़ीं सीडी की खबरें
डेढ़ साल पहले भी एक सीडी की खबरें राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय थीं। तब भी राघवजी का नाम चर्चा में था। पुख्ता सबूत नहीं होने पर मामला दब गया था। 
 
वे मंत्री हैं, इस भय से सब सहता रहा 
राघवजी ने नौकरी दिलाने के नाम पर मेरा लगातार यौन शोषण किया। वे मंत्री हैं, इस भय से मैं सहता रहा। लेकिन अब नहीं सहूंगा। उन्हें सजा दिलाने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ूंगा। -पीडि़त युवक  
 
राघव जी के यहां मैं घर का काम करता था। वे उस युवक का यौन शोषण करते थे। मैंने कई बार देखा। उसकी मोबाइल फोन पर रिकार्डिंग की। राघव जी मेरे साथ भी अश्‍लील हरकतें करने लगे थे। - गवाही देने वाला युवक
 
एफिडेविट लेने गया, फिर नहीं लौटा 
शिकायतकर्ता ने लिखित आवेदन के साथ एफिडेविट की एक प्रति दी थी। पुलिस ने ओरिजनल एफिडेविट मांगा तो वह थाने से चला गया और वापस नहीं लौटा। पुलिस उसके घर जाएगी। वह राजी हुआ तो उसका मेडिकल परीक्षण करवाया जाएगा। इसके बाद ही अगली कार्रवाई की जाएगी।  -डीआईजी, डी श्रीनिवास

जान मेरी ! मैं अभी

जान मेरी !
मैं अभी
खुद तलाश में हूँ
जवाब के ..
मिल जाये मुझे तो
भेजूंगी तुम्हें भी ,
कि
इश्क चीज़ क्या है ?

कि नदी क्यूँ उफनती है
समंदर से मिलने ,
कि शमा क्यूँ जलती गलती है
परवाने के अंग संग ,
कि धरती क्यूँ गमकती है
बारिश कि पहली बूंदों से ,
कि कोयल क्यूँ बौराती है
अमिया के फूलने पर
कि चाँद और चकोर का
क्या नाता है आपस में ,
कि चातक क्यूँ तरसता है
स्वाति की इक बूंद को,
कि बीज !
धरती की कोख में उतरकर
कैसे पाता है
नया आकार ,
कि क्यों तुम्हारा ज़िक्र -
जैसे
शंखों और अजानों की
गूंज ,
कि क्यों तुम्हारी याद की छुवन
जैसे
स्थिर ताल में
कंकर से बनी लहर ,
कि क्यों तुमसे मिलने की ललक
कच्चे घड़े से पार करती नदी ,
कि क्यों दुआओं में
तुम्हारे नाम करती
अपनी सारी खुशियाँ
और अपनी पूरी जिंद .
जान !
पहले मैं जान लूं
इन सबके मतलब
तब फिर तुम्हें भी
समझाऊं मानी
मुहब्बत के ............!

मैंने तो सूरज से शर्तें पूछी थीं ,

मैंने तो सूरज से शर्तें पूछी थीं ,
इन बातों से बल्बों को क्यों रंज हुआ ?
उसकी सुन्दरता ही कुछ ऐसी थी,
हर लक्मे की डिब्बी शर्मा जाती थी
वह गहनों में भी बहनों जैसी लगती थी
हर सौन्दर्य प्रसाधन को उससे क्यों रंज हुआ ?
मैंने तो बस सागर से पानी की परिभाषा ही पूछी थी,
ख़बरें सुन कर हर गागर को क्यों रंज हुआ ?
कोर्ट कचहरी के बाहर जो दूकाने थी
मैंने उनसे पूछा यह न्याय कहाँ बिकता है,
मेरी बातें सुन कर सब सदमें में थे,
हर व्यापारी को इस पर फिर क्यों रंज हुआ ?
आत्मा बिखरी है हर घर के दालानों में,
प्यार बिका करता है अब दूकानों में
भूख तरसती है अब खलियानों में
सेठ मुनाफ़ा गिनता है गोदामों में
मैंने तो बस कह डाला था देश हमारा भी है
यह सुन कर वह नेता था, उसको क्यों रंज हुआ ?
मैंने तो सूरज से शर्तें पूछी थीं ,
इन बातों से बल्बों को क्यों रंज हुआ ?
उसकी सुन्दरता ही कुछ ऐसी थी,
हर लक्मे की डिब्बी शर्मा जाती थी
वह गहनों में भी बहनों जैसी लगती थी
हर सौन्दर्य प्रसाधन को उससे क्यों रंज हुआ ?" ---- राजीव चतुर्वेदी

जुटे थे विधायक के स्वागत की तैयारी में और देखते-देखते सो गए मौत की नींद

सुल्तानपुर (कोटा)। बूढ़ादीत कस्बे में करंट लगने से शुक्रवार को दो युवकों की मौत हो गई। दोनों युवक कस्बे का स्वास्थ्य केंद्र क्रमोन्नत होने पर कांग्रेस विधायक प्रेमचंद नागर के स्वागत समारोह की तैयारी के लिए स्वागतद्वार लगा रहे थे। स्वागतद्वार खड़ा करते समय ऊपर से गुजर रही 11 केवी की लाइन से टकरा गया, जिससे दोनों की मौत हो गई। घटना के बाद कस्बे में मातम पसर गया। इसके लिए मुख्य बस स्टैंड टाकरवाड़ा बड़ौद तिराहे पर प्रमोद मेघवाल (21), गिरिराज सुमन (26), रमेशचंद मेघवाल व प्रभुलाल स्वागतद्वार खड़ा कर रहे थे। लोहे के स्वागतद्वार को प्रमोद व गिरिराज पकड़ कर ऊंचा कर रहे थे। कुछ ही दूरी पर रमेश व प्रभुलाल स्वागतद्वार को रस्से से खींचकर इस कार्य में सहयोग कर रहे थे। इसी दौरान द्वार ऊपर से गुजर रही बिजली लाइन से टकरा गया। गेट को हाथों से पकड़े हुए प्रमोद व गिरिराज को जोरदार करंट लगा।

बेहोश हुए प्रमोद, गिरिराज व रमेशचंद को कस्बेवासी सुल्तानपुर अस्पताल ले गए, जहां डॉ. राजेश सामर ने प्रमोद व गिरिराज को मृत घोषित कर दिया। रमेशचंद का उपचार चल रहा है। बाद में एसडीएम केसी शर्मा, विधायक प्रेमचंद नागर, कांग्रेस देहात जिलाध्यक्ष रुक्मणी मीणा मृतक के परिजनों के घर पहुंचे तथा ढांढस बंधाया। गिरिराज सुमन के दो मासूम बच्चे हैं। प्रमोद मेघवाल के पुत्र-पुत्री है। प्रमोद के पिता बचपन में ही गुजर जाने से वह मां के साथ बूढ़ादीत में नाना के यहां रहता था। पति की मौत से पहले ही टूट चुकी प्रमोद का मां का इकलौते पुत्र की मृत्यु के बाद हाल बेहाल है।

डर से सहमे दिखाई दिए पुलिस वाले, बस आईजी साहब की गाड़ी के आगे न जाए


 
यातायात थाने का शुभारंभ करने के बाद आईजी अमृत कलश की गाड़ी जब पुलिस कंट्रोल रूम से निकली तो पूरा जाब्ता सीएडी सर्किल रोड पर ट्रैफिक को रोकने और संभालने में जुटा हुआ था। बेचारे इंसान तो समझ गए, लेकिन सड़क पर घूम रही एक गाय इशारा समझ नहीं पाई और गाड़ी की तरफ भागी। इसे देखते ही पुलिस वाले उसकी तरफ लपके कि कहीं आईजी साहब की गाड़ी के सामने न आ जाए और उसे दूर भगाया।
इधर, गलियों में गाय की वजह से तीन दिन में दूसरी मौत
रेलवे कॉलोनी क्षेत्र में गुरुवार को गाय की टक्कर से एक वृद्ध की मौत हो गई। वृद्ध रोजाना की तरह नहर के पास लगे हैंडपंप से पानी भरने गए थे। एएसआई महावीर सिंह के अनुसार तुल्लापुरा निवासी विद्यानंद शर्मा (८5) जब हैंडपंप से पानी ला रहे थे, तभी दूसरी ओर से भागती हुई गाय आई और उन्हें सींग मारकर नीचे गिरा दिया। परिजनों ने उन्हें एमबीएस में भर्ती करवाया। जहां शुक्रवार सुबह उन्होंने दम तोड़ दिया। पेशे से किसान विद्यानंद जी हमेशा हैंडपंप का ही पानी पीते थे। गुरुवार को घरवालों ने उनको मना भी किया था, लेकिन वे नहीं माने और चले गए।
दो दिन पहले भी हुई मौत
शहर में आवारा पशुओं के कारण लोगों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा। पहले भी गायों को चारा डालने जाते समय वल्लभबाड़ी में सुअर द्वारा टक्कर मारने से एक युवक की मौत हुई थी। दो दिन पहले बुधवार को भी कोटड़ी निवासी रामगोपाल जी (78) की गाय द्वारा टक्कर मारने से मौत हुई थी। वे रोजाना की तरह अपने मोहल्ले में ही गाय को चारा डालने गए थे।

आवारा नहीं पालतू हैं पशु: नगर निगम की स्वास्थ्य समिति अध्यक्ष मंजू मेहरा का दावा है कि निगम द्वारा हर दिन 20 से 25 पशु सड़क से घूमते हुए पकड़े जाते हैं, जो आवारा नहीं हैं। इनके मालिकों द्वारा दूध निकालने के बाद छोड़ दिया जाता है। दूसरे दिन उन पशुओं को उनके मालिक जुर्माना देकर छुड़वा ले जाते हैं। दिन में पशु पकडऩे जाते हैं तो पशु पालक हमला कर देते हैं।
10 पत्र लिख चुका, व्यवस्था नहीं सुधरी: बिगड़ रही ट्रैफिक व्यवस्था से परेशान ट्रैफिक डीएसपी नारायण राजपुरोहित इन पशुओं को हटाने के संबंध में नगर निगम को 10 बार पत्र लिख चुके हैं। वे बताते हैं व्यवस्था तो नहीं सुधरी, हारकर उन्होंने ही पत्र लिखना छोड़ दिया। कुछ तो पशुपालक दोषी हैं, जिनमें सिविक सेंस है ही नहीं और कुछ निगम उन पर अंकुश नहीं लगा पा रही है।

कुरान का सन्देश

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