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04 अगस्त 2013

दुनिया के इस इकलौता पेड़ पर खिलते 'सोने के फूल',


लखनऊ. विश्व का अकेला पांडवकालीन परिजात वृक्ष जिसकी डालियों में सोने के फूल खिलते हैं। यह यूपी की राजधानी से महज 28 किलोमीटर दूर बाराबंकी जिले के सिरौली गौसपुर तहसील के बरौलिया गांव में स्थित है।
 
यह वृक्ष महाभारत काल का एक मात्र जीवित प्रतीक माना जाता है। यह वही वृक्ष है, जिसे अर्जुन स्वर्ग से लाये थे। माता कुंती इसी वृक्ष के फूलों से भगवान शंकर की उपासना करती थी।
 
इस वृक्ष की कई वर्षों से देख रेख कर रहे पंडित रामदास बताते है कि अज्ञातवास के समय पांचों पांडव बाराबंकी के पास घने वन में शिकार कर लौटे और माता कुंती से भोजन मांगा, उस समय माता कुंती भगवान भोले नाथ की भविष्य वाणी सुन चिंतित थी।

17 साल बाद श्रावणी सोमवार पर पुष्य व मास शिवरात्रि का संगम


 
17 साल बाद श्रावणी सोमवार पर पुष्य व मास शिवरात्रि का संगम
जयपुर। सावन में इस बार दूसरे सोमवार को मास शिवरात्रि (कृष्ण पक्ष चतुर्दशी) और पुष्य नक्षत्र का महासंगम होगा। यह संयोग 17 साल बाद आ रहा है। शिवजी के वार सोमवार को मास शिवरात्रि व पुष्य नक्षत्र का संयोग सुख-समृद्धिकारक व पूजा अर्चना के लिए श्रेष्ठ फलदायी साबित होगा।

पंडित बंशीधर जयपुर पंचांग निर्माता पंडित दामोदर प्रसाद शर्मा बताते हैं कि ये संयोग इससे पहले वर्ष 1996 में आया था। आगे 27 साल बाद वर्ष 2040 में दूसरे सोमवार पर ये संयोग बनेगा। पुष्य नक्षत्र इस दिन शाम 5.15 बजे और कर्क का चंद्रमा सुबह 10.33 बजे आ जाएगा। पुष्य नक्षत्र के साथ ही सर्वार्थसिद्धियोग भी शुरू हो जाएगा।

इसलिए खास
चूंकि मास शिव रात्रि में महाशिवरात्रि के समान पूजा अर्चना की जाती है। इसी प्रकार शिवजी की पूजा का विधान है। राजस्थान ज्योतिष परिषद के महासचिव डॉ. विनोद शास्त्री के मुताबिक इस दिन चंद्रमा अपनी स्व राशि कर्क राशि में आना श्रेष्ठ फलदायी साबित होगा। इसमें नक्षत्रों के राजा पुष्य व सोमवार का योग होना काफी दुर्लभ है।

कुरान का सन्देश

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