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19 अगस्त 2013

केन्द्रीय वक्फ संशोधन अधिनियम आम मुसलमानों के लिए लोलीपोप और वक्फ के कब्जेदारों के लियें फिर से वरदान साबित होगा

केन्द्रीय वक्फ संशोधन अधिनियम आम मुसलमानों के लिए लोलीपोप और वक्फ के कब्जेदारों के लियें फिर से वरदान साबित होगा इस कानून में कब्जेदारों को बेदखल करने के लियें वक्फ के मुख्यकार्यकारी अधिकारी या फिर स्थानीय कमेटियों को कोई भी कानूनी अधिकार सीधे  दिए गए है ...........उक्त कानून में संशोधन प्रस्तावों में मेरे द्वारा सरकार को सुझाव भेजे गए थे के राजस्व कानून ..नगर विकास न्यास कानून और दुसरे कानूनों की तरह अतिक्रमियों को वक्फ के अधिकारी को सीधे जेल भेजने का अधिकार मिलना चाहिए तथा पुलिस इमदाद से तुरतं वक्फ सम्पत्ति पर से अतिक्रमण हटाने के लियें जिला कलेक्टर और पुलिस प्रशासन की बाध्यता होना चाहिए लेकिन इन सुझावों को इस कानून में शामिल नहीं किया गया है ...केवल एक झुनझुना मात्र यह संशोधन साबित हुआ है . ...इसी तरह से राज्य वक्फ बोर्ड और जिला कमेटियों के बैठकें आयोजित करने और बैठकों में लिए गए निर्णयन की पालना करने के बारे में कोई नियम नहीं है जबकि राज्य बोर्ड में एक सांसद ..दो विधायक एक प्रशासनिक अधिकारी इसीलियें मनोनीत किया जाता है के राज्य से संबधित कोई भी परेशानी हो तो वोह वक्फ के सम्बन्धित मामलों को  विधानसभा में उठाये जबकि सांसद केंद्र स्तर की समस्या हो तो राज्यसभा या फिर लोकसभा में इस समस्या को उठाये और समाधान करवाए ..लेकिन इतिहास गवाह है के राजस्थान के किसी भी सांसद या फिर विधायक ने आज तक कोई भी सवाल वक्फ के मुताल्लिक नहीं किया है यहाँ तक के यह लोग तो बैठकों में गए भी नहीं है प्रशासनिक अधिकारी जो राजस्थान के सभी प्रशासनिक अधिकारीयों से मिलकर वक्फ की समस्या समाधान के प्रयास के लियें लगाये जाते है वोह भी या तो बैठकों में नहीं आते या फिर जिला कमेटियों के नाम पर बंदर बाँट करते नज़र आते है .........राजस्थान में अरबों अरब रूपये की सम्पत्ति पर कब्जेदारों के कब्जे है काफी सम्पत्ति पर सरकार काबिज़ है ...वर्ष दो हजार से लगातार सर्वे ही सर्वे हो रहे है लेकिन नई अधिसूचना राजस्थान सरकार के मुख्यमंत्री ने आजतक जारी नहीं की है इस वजह से वक्फ के रिकोर्ड संधारित करने में काफी दिक्कते आ रही है ..राजस्थान के सांसद ...राजस्थान के विधायक जो वक्फ बोर्ड में मनोनीत है उन्होंने सरकार में यह बात आजतक नहीं उठाई है लानत है ऐसे सिस्टम ऐसे कानून पर जो  खुदा की राह में समर्पित सम्पात्ति और आमदनी को खुदा के बताये हुए रास्ते पर खर्च करने के सिस्टम को तमाशा बना दे ......वक्फ सम्पत्ति के देखरेख के नाम पर यह संशोधन मात्र दिखावा और छलावा ही साबित होगा जब तक इस कानून में अतिक्रमी को सजा देने ..अतिक्रमण को पुलिस इमदाद से तुरतं हटाने ..पुलिस और प्रशासनिक इमदाद चोबीस घंटे में इमदाद देने की बाध्यता रखने ... और सांसद को प्रत्येक बैठक में उपस्थित होने और विधानसभा ...लोकसभा राज्यसभा में इस मामले में प्रत्येक बैठक की रिपोर्ट देने की बाध्यता का कानून होना चाहिए .....वक्फ बोर्ड की बैठक एक माह में कमसे कम एक बार बुलाने और सभी सदस्यों की उसमे अनिवार्य उपस्थित का कानून बनाने .....वक्फ के खातों का संधारण और जांच लेख सेवा नियमों के अनुरूप करवाने और कमेटियों के गठन के वक्त बंदर बाँट खरीद फरोख्त की कार्यवाही जब तक रोकने का कानून नहीं होगा वक्फ ऐसे ही लुटता रहेगा ऐसे ही लुटता रहेगा और शायद यह सरकारे यही चाहती है इसीलियें तो कानून संशोधन के नाम पर सिर्फ और सिर्फ लोलीपोप दिखावे के सिवा कुछ नहीं है ...............

आओ हम सब मिलकर हमारे देश और देशवासियों की सुरक्षा का संकल्प ले।

रक्षा बंधन के  अवसर पर सभी भारतीयों।  भाई बहनों को मुबारकबाद बधाई आओ हम सब मिलकर   हमारे देश और देशवासियों की सुरक्षा का संकल्प ले।

बिहार: 37 मौतों से गुस्‍साए लोगों ने लगाई ट्रेन में आग, ड्राइवर को पहले पीटा फिर गला रेत कर हत्या



पटना. बिहार के खगड़िया में राजरानी एक्सप्रेस से कटकर करीब 37 लोगों की मौत हो गई है। वहीं दो दर्जन से ज्यादा लोग घायल हैं। मरने वालों में 30 महिलाएं, चार बच्चे और तीन पुरुष हैं। यह घटना खगड़िया के बदलाहाट और धमाराघाट के बीच में हुई। हादसा ट्रेन के सहरसा से पटना जाते समय हुआ। यह ट्रेन खगड़िया से पटना जा रही थी। यह हादसा सुबह 9 बजे हुआ। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी 37 लोगों के मरने की पुष्टि कर दी है और मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई है।
इससे गुस्साए लोगों ने पहले तो ड्राइवर की पीट-पीट कर और धारदार हथियार से हत्या कर दी। इसके बाद ट्रेन को आग लगा दी जिसमें ट्रेन के एसी कोच समेत कम से कम दस डिब्बे जलकर खाक हो गए (देखिए, हादसे के बाद की तस्वीरें)। गार्ड को भी गुस्साए लोगों ने काफी पीटा, जिससे उसकी हालत भी गंभीर हो गई। गुस्साए लोगों के डर से रेलवे, स्थानीय प्रशासन और फायर ब्रिगेड के अधिकारी मौके पर नहीं पहुंच सके थे। गुस्साए लोगों के डर फायर ब्रिगेड की टीम कोपरिया स्टेशन पर रुक गई थी। मौके पर पहुंचे स्थानीय डीएम परवेज आलम की टीम को भी गुस्साए लोगों ने मौके से खदेड़ दिया था। गुस्साए लोगों ने सहरसा से समस्तीपुर जा रही पैसेंजर समेत दो पैसेंजर ट्रेनों में भी आग लगा दी थी। हादसे के बाद रेलवे ने सहरसा व कटिहार से मेडिकल ट्रेनें भेजी थीं लेकिन वह भी स्थानीय लोगों के गुस्से से घबराकर वह भी मौके पर नहीं पहुंच सके थे।
हादसे के बाद सामने आए बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कहा कि हादसे की जिम्मेदार रेलवे है। उन्होंने रेलवे से मृतकों के आश्रितों को दस-दस लाख रुपए और नौकरी देने की मांग की। जद-यू नेता शरद यादव शरद यादव का कहना था कि रेलवे लाइन के पास कात्यायनी देवी का मंदिर है जिसके पास काफी लोग खड़े थे। करीब 80 किमी प्रति घंटे की स्पीड से ट्रेन आई। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की पीड़ितों को हादसे का मुआवजा जल्द दिलाने की कोशिश होगी। पीएम मनमोहन सिंह ने गृह मंत्रालय को राहत कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए और स्थानीय लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की थी। बिहार के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एसके भारद्वाज ने कहा है कि हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने मृतक के परिजनों को 2-2 लाख रुपए देने की घोषणा की। और घायलों का मुफ्त इलाज किया जाएगा। रेल राज्यमंत्री अधीर रंजन चौधरी ने हादसे के लिए स्थानीय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब इतना बड़ा मेला चल रहा था तो सुरक्षा की व्यवस्था क्यों नहीं की गई।
सोमवारी मेले और कांवड़ियों की भी़ड़ बनी ट्रेन का शिकार
सोमवार होने की वजह से रेलवे लाइन के पास बने मंदिर में काफी भीड़ थी। सूत्रों के मुताबिक मरने वालों में कांवड़िए भी शामिल थे जो कात्यायनी मंदिर में जल चढ़ाने जा रहे थे। सावन का आखिरी सोमवार होने के कारण कांवरियों की ज्यादा भीड़ थी। इस दिन वहां सोमवारी मेला भी लगता है। ऐसे में लोग सीधे रेलवे ब्रिज की जगह लाइन पार कर रहे थे, इसी बीच राजरानी एक्‍सप्रेस धड़धड़ाते हुए यहां आ गई। इस ट्रेन का यहां स्‍टापेज नहीं था।
प्रत्यक्षदर्शी प्रखंड शिक्षा अधिकारी नित्यानंद ठाकुर ने बताया कि आक्रोशित लोगों ने चालक और गार्ड के साथ मारपीट की। उन्होंने कहा कि ट्रेन स्टेशन पर रूकती नहीं थी, इसके बावजूद ट्रैक पर भारी तादाद में कांवरिए थे। ट्रेन की रफ्तार तेज थी, जिससे उसकी चपेट में आकर कई कांवरियों की मौत हो गई। इसके बाद आक्रोशित लोगों ने ट्रेन के कई बोगियों में आग लगा दी। बता दें कि नित्यानंद उसी ट्रेन में सवार थे

कुरान का सन्देश

 
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