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10 सितंबर 2013

दोस्तों हमारे देश की सरकार ने देशवासियों को अमेरिका के झांसे में आकर भिखमंगा और निकम्मा बना दिया है

दोस्तों हमारे देश की सरकार ने देशवासियों को अमेरिका के झांसे में आकर भिखमंगा और निकम्मा बना दिया है .....जी हाँ दोस्तों हमारे जमीर ..हमारी महनत ..हमारे कोपितिशन का भाव खत्म कर हमे फिर से हालातों का गुलाम बना दिया है ...जरा आप खुद अपने जमीर से पूंछो और जवाब दो ...हमारे देश का इंजिनियर जो अमेरिका का निर्माण करता है ....उस देश में अगर प्राइमरी से दसवीं तक बच्चों को फेल नहीं करने का  नियम बना दिया जाए तो बच्चों में कोम्पितिशन की प्रतिस्पर्धा खत्म हो जायेगी और बस डल कमजोर बच्चों का विकास होगा ...दसवीं बाहरवीं में प्रतिशत अंक नहीं ...अंक नहीं केवल अंदाज़ा तो फिर किस बात की पढाई ..यह सब अमेरिका के इशारे पर है ..महंगी पढाई ...लेकिन दूसरी तरफ रोज़गार नहीं ..महंगाई आसमान पर है इधर देश के युवाओं ..गरीबों ..बुजुर्गों को नाकारा दर नाकारा बना दिया गया है भिखारियों की तरह से कथित खेरात योजनाये इस पीडी को खत्म कर रही है ...निकम्मा बना रही है ....अनाज घर पर सस्ते दामों में है तो इस परिवार को कमाने की क्या जरूरत है ......मकान फ्री में है तो क्यूँ यह परिवार कमाए ...बुजुर्गों को पेंशन ..दूसरी आर्थिक मदद तो भाई फिर इन लोगों को महनत करने की जरूरत कहां है ...अब देखिये इन हालातों में हमारे देश में भिखारियों और निकम्मों की फोज एक तरफ सरकार तय्यार कर रही है तो दूसरी तरफ पढाई सिस्टम को खत्म कर देने से लापरवाह और कमजोर बच्चों की पोध तय्यार हो रही है इससे हमारा देश बर्बाद हो जाएगा और फिर एक गुलामी की तरफ यह देश धकेला जा रहा है इसलियें कहते है जरा समझो जरा सुधरों दोस्तों इस देश को एक बार फिर गुलाम होने से बचा लो दोस्तों ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

एक कडवा लेकिन नंगा सच है ..

एक कडवा लेकिन नंगा सच है .... दोस्तों ..मेरे कोंग्रेस के साथियों ....जरा देखो ...जरा सोचो ..जरा सम्भलो ..कोंग्रेस के कमांडर ....राहुल गाँधी ..भाजपा के नरेंदर मोदी से निरंतर पिछड़ते जा रहे है ......कारण नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता नहीं उनकी कार्यशेली है ..कोंग्रेस के राहुल गांधी को खुद कोंग्रेसी अपरिपक्व मानते हुए ...उनके फेसलों ... उनके आदेशों ..निर्देशों को नज़र अंदाज़ कर रहे है ...जबकि उनके इर्द गिर्द ...वफादारों का कम और चापलूसों का जमावड़ा ज्यादा हो गया है ..मोदी देश की लोकसभा ..विधानसभा ..पंचायत ..नगरपालिका चुनाव की भाग संख्या तक के वोटर्स पर ....चिंतन मंथन कर रहे है ..... जबकि राहुल  गांधी को केवल योजनाओं के नाम पर वोट मांगने का गणित बताया और समझाया  जा रहा है ...कोंग्रेस से मुसलमान ..दलित वोटर्स नाराज़ है ..वोटर्स क्यूँ नाराज़ है ..उनकी नाराजगी  केसे दूर  की जा सकती है  ..उन्हे रिझाने ...पटाने के लिए क्या फार्मूला तय्यार होना चाहिए ...यह सुझाव  राहुल गाँधी और कोंग्रेस के पास नहीं है .....बस मुस्लिम वोट नाराज़ है .... तो कोई बात नहीं ...राहुल गांधी आदिवासियों की तरफ लपक रहे है ....बिहार ..उत्तरप्रदेश में इसी निति पर वोह चापलूसों के घेरे में होने से हार देख चुके है ..नाराज़ वोटर्स जो तुम्हारे अपने है उन्हें पटाओ  उनके बीच जाओ ...वोह नाराज़ क्यूँ है ..उनका दर्द समझो और उन्हें फिर से अपना बनाओं ..लेकिन ऐसा नहीं ... जो तुम्हारा है तुमसे दूर क्यूँ हो रहा है यह जाने बिना तुम गेरो पर भरोसा कर अपनी जमीन खत्म कर रहे हो जीती हुई बाज़ी हार रहे हो ...विकल्प तलाशना सिर्फ हार और हार है .....खुद मोदी इस मेनेजमेंट को समझे है टोपी और बुर्के की राजनीति करने लगे है ..टोपी और बुर्के वालों का साथ रखने लगे है ..अफ़सोस जिस टोपी और बुर्के के बल पर कोंग्रेस ने कई दशक शासन किया उसी टोपी और बुर्के को यह कोंग्रेस के चापलूस राहुल बाबा से पेरो तले रोंदवा रहे है और इधर मोदी ने इसी टोपी और बुर्के को जमीन से उठा कर सर का ताज बनाना शुरू कर दिया है ...सभी जानते है यह टोपी और बुर्के वाले लोग दिल से सोचते है दिमाग से नहीं और जज्बात में आकर इन टोपी बुर्के वालों ने तीर से कमान निकाल दिया तो राहुल बाबा सोचते रह जायेंगे अभी भी वक्त है चापलूसों चमचों से बाहर निकलो ..देश का देश के लोकतंत्र का देश के वोटर मेनेजमेंट का एक विजन तैयार करो और हारी हुई बाज़ी जीतने की तरफ बढो वरना ना समझोगे तो हार जाओगे ..तुम्हारी जीत ना होगी दास्तानों में .......अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

हवलदार अब्दुल हामिद


वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1-जुलाई-१९३३ को, गाजीपुर (उ.प्र.) में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था. वे २७ दिसम्बर १९५४ में सेना में प्रविष्ट हुये थे और अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था. १९६५ में पाकिस्तान युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए महावीर चक्र और परमवीर चक्र प्राप्त हुआ .
८- सितम्बर-१९६५ की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए. वीर अब्दुल हमीद पंजाब के "तारन तारण" जिले के खेमकारन सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे. पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटर्न टैंकों" के के साथ, "खेम करन" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया.
भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला. भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल", और एल.एम्.जी. के साथ पैटर्न टैंकों का सामना करने लगे. हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" थी जो पैटर्न टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी.
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटर्न टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया. उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई. वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात "पाकिस्तानी पैटर्न टैंकों" को नष्ट किया था.
देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पाकिस्तानी पैटर्न टैंकों" की कब्रगाह बन गया. लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन ९-जुलाई को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आफिस्यली घोषणा १०-जुलाई को की गई थी.
इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें पहले महावीर चक्र और फिर सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया. सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है.
इस युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटर्न टैंकों" की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटर्न टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी. लेकिन वो अमरीकी "पैटर्न टैंकों" के सामने केवल साधारण "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" के हौसले को नहीं देख पा रहे थे.

पहले पूजा पाठ की फिर चबूतरे पर बैठी छह साल की बेटी की गर्दन कुल्हाड़ी से काट दी



सिवनी। सिवनी जिले में पिता ने छह साल की बेटी की बलि दे दी। उसने अपने ससुराल में खेरमाई के चबूतरे पर बेटी की गर्दन कुल्हाड़ी से काट दी। घटना मंगलवार को जिले के तुर्गा गांव की है। पुलिस के मुताबिक संत कुमार (40)  मंगलवार को ही तुर्गा आया था।
छह साल की बेटी रितु को लेकर गांव के बाहर बड़ के पेड़ के पास पहुंचा। वहां खेरमाई के चबूतरे पर पहले पूजा-पाठ की, फिर बेटी की बलि चढ़ा दी। गांव के लोग मौके पर पहुंचे तो संतकुमार कुल्हाड़ी दिखाकर धमकाता रहा। थोड़ी देर बाद पुलिस ने पहुंचकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। लोगों ने बताया कि संतकुमार जनपद सदस्य था। उसका एक बेटा भी है।
मानसिक रूप से बीमार है आरोपी :
ग्रामीणों के मुताबिक आरोपी की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। कभी वह कहता है कि ग्रामीण उसे झूठे दुष्कर्म के मामले में फंसाना चाहते थे। इसलिए बेटी की बलि दी है। कभी कहता है कि घर की सुख-शांति के लिए बलि चढ़ाई है। बेटी की मौत से मां बेसुध है इसलिए उसकी मानसिक स्थिति के बारे में स्पष्ट नहीं हो सका है।
'फिलहाल बच्ची की लाश को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। पुलिस मामले में कार्रवाई कर रही है। बच्ची की बलि देने का कारण क्या था, इसकी जांच चल रही है।'
-भरत यादव, कलेक्टर सिवनी

कुरान का सन्देश

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अब्दुल हमीद के बलिदान दिवस (१० सितम्बर )पर एक श्रद्धांजली


वीर अब्दुल हमीद का जन्म 1-जुलाई-१९३३ को, गाजीपुर (उ.प्र.) में एक साधारण दर्जी परिवार में हुआ था. वे २७ दिसम्बर १९५४ में सेना में प्रविष्ट हुये थे और अपने सेवा काल में सैन्य सेवा मेडल, समर सेवा मेडल और रक्षा मेडल से सम्मान प्राप्त किया था. १९६५ में पाकिस्तान युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए महावीर चक्र और परमवीर चक्र प्राप्त हुआ .
८- सितम्बर-१९६५ की रात में, पाकिस्तान द्वारा भारत पर हमला करने पर, उस हमले का जवाव देने के लिए भारतीय सेना के जवान उनका मुकाबला करने को खड़े हो गए. वीर अब्दुल हमीद पंजाब के "तारन तारण" जिले के खेमकारन सेक्टर में सेना की अग्रिम पंक्ति में तैनात थे. पाकिस्तान ने उस समय के अपराजेय माने जाने वाले "अमेरिकन पैटर्न टैंकों" के के साथ, "खेम करन" सेक्टर के "असल उताड़" गाँव पर हमला कर दिया.
भारतीय सैनिकों के पास न तो टैंक थे और नहीं बड़े हथियार लेकिन उनके पास था भारत माता की रक्षा के लिए लड़ते हुए मर जाने का हौसला. भारतीय सैनिक अपनी साधारण "थ्री नॉट थ्री रायफल", और एल.एम्.जी. के साथ पैटर्न टैंकों का सामना करने लगे. हवलदार वीर अब्दुल हमीद के पास "गन माउनटेड जीप" थी जो पैटर्न टैंकों के सामने मात्र एक खिलौने के सामान थी.
वीर अब्दुल हमीद ने अपनी जीप में बैठ कर अपनी गन से पैटर्न टैंकों के कमजोर अंगों पर एकदम सटीक निशाना लगाकर एक -एक कर धवस्त करना प्रारम्भ कर दिया. उनको ऐसा करते देख अन्य सैनकों का भी हौसला बढ़ गया और देखते ही देखते पाकिस्तान फ़ौज में भगदड़ मच गई. वीर अब्दुल हमीद ने अपनी "गन माउनटेड जीप" से सात "पाकिस्तानी पैटर्न टैंकों" को नष्ट किया था.
देखते ही देखते भारत का "असल उताड़" गाँव "पाकिस्तानी पैटर्न टैंकों" की कब्रगाह बन गया. लेकिन भागते हुए पाकिस्तानियों का पीछा करते "वीर अब्दुल हमीद" की जीप पर एक गोला गिर जाने से वे बुरी तरह से घायल हो गए और अगले दिन ९-जुलाई को उनका स्वर्गवास हो गया लेकिन उनके स्वर्ग सिधारने की आफिस्यली घोषणा १०-जुलाई को की गई थी.
इस युद्ध में असाधारण बहादुरी के लिए उन्हें पहले महावीर चक्र और फिर सेना का सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से अलंकृत किया गया. सारा देश उनकी बहादुरी को प्रणाम करता है.
इस युद्ध में साधारण "गन माउनटेड जीप" के हाथों हुई "पैटर्न टैंकों" की बर्बादी को देखते हुए अमेरिका में पैटर्न टैंकों के डिजाइन को लेकर पुन: समीक्षा करनी पड़ी थी. लेकिन वो अमरीकी "पैटर्न टैंकों" के सामने केवल साधारण "गन माउनटेड जीप" जीप को ही देख कर समीक्षा कर रहे थे, उसको चलाने वाले "वीर अब्दुल हमीद" के हौसले को नहीं देख पा रहे थे.

देश पर मर मिटने वालों की जाति ,धर्म एक ही होता है राष्ट्रप्रेम .यूँ तो हमारे देश के इतिहास में देश के लिए शहीद होने वाले रणबांकुरों की सूची इतनी लंबी है कि उल्लेख करना एक प्रकार से असंभव ही  है,परन्तु गाजीपुर जिले के   एक छोटे से गाँव धामपुर के एक दर्जी परिवार में  1933  में जन्मे अब्दुल हमीद  उन युवाओं के लिए  प्रेरणा स्त्रोत्र हैं ,जिनके हृदय में देश प्रेम के अंकुर विद्यमान रहते हों.
आजीविका के लिए कपड़ों की सिलाई का काम करने वाले मोहम्मद उस्मान के पुत्र  अब्दुल हमीद की रूचि  अपने इस पारिवारिक  कार्य में बिलकुल नहीं थी.कुश्ती के दाँव पेंचों में रूचि रखने वाले पिता का प्रभाव अब्दुल हमीद पर भी था.लाठी चलाना ,कुश्ती का अभ्यास  करना,,पानी से उफनती नदी को पार करना,गुलेल से  निशाना लगाना एक ग्रामीण बालक  के रूप में इन सभी  क्षेत्रों में हमीद  पारंगत थे.उनका एक बड़ा गुण था  सबकी यथासंभव सहायता करने को तत्पर रहना . .
किसी अन्याय को सहन करना उनको नहीं भाता था.यही कारण है कि एक बार जब किसी गरीब किसान की फसल बलपूर्वक काटकर लेजाने के लिए जमींदार के 50 के लगभग गुंडे उस किसान के खेत पर पहुंचे तो हमीद ने उनको ललकारा , परिणाम   उनको बिना अपना मन्तव्य पूरा किये लौटना पडा.इसी प्रकार बाढ़ प्रभावित गाँव की नदी में डूबती दो  युवतियों के प्राण बचाकर   अपने  अदम्य साहस का परिचय दिया.
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21 वर्ष के अब्दुल हमीद   जीवन यापन के लिए रेलवे में भर्ती होने के लिए गये परन्तु उनके संस्कार उन्हें प्रेरित कर रहे थे ,सेना में भर्ती होकर देश सेवा के लिए अतः उन्होंने एक सैनिक के रूप में 1954 में अपना कार्य प्रारम्भ किया.जम्मू काश्मीर में तैनात अब्दुल हमीद पकिस्तान से आने वाले घुसपैठियों की खबर तो लेते  हुए मजा चखाते रहते थे , ऐसे ही एक आतंकवादी डाकू इनायत अली को जब उन्होंने पकड़वाया  तो प्रोत्साहन स्वरूप उनको प्रोन्नति देकर सेना में लांसनायक बना दिया गया.
1962 में जब चीन ऩे भारत की पीठ में छुरा भोंका तो अब्दुल हमीद उस समय नेफा में तैनात थे ,उनको अपने अरमान पूरे करने का विशेष अवसर नहीं मिला .उनका अरमान था कोई विशेष पराक्रम दिखाते हुए शत्रु को मार गिराने का
.अधिक समय नहीं  बीता औ 1965 में पाकिस्तान ऩे भारत पर आक्रमण  कर दिया .अब्दुल हमीद को पुनः सुअवसर प्राप्त हुआ अपनी जन्मभूमि के प्रति अपना कर्तव्य निभाने का.मोर्चे पर जाने से पूर्व ,उनके अपने भाई को कहे  शब्द            ‘पल्टन में उनकी बहुत इज्जत होती है  जिन के पास कोई चक्र होता है.देखना झुन्नन हम जंग में लडकर कोई न कोई चक्र जरूर लेकर ही लौटेंगे।”उनके स्वप्नों को अभिव्यक्त करते हैं.
उनकी भविष्यवाणी पूर्ण हुई और 10 सितम्बर 1965 को जब पाकिस्तान की सेना अपने कुत्सित इरादों के साथ अमृतसर को घेर कर उसको अपने नियंत्रण में लेने को तैयार थी,अब्दुल हमीद ऩे  पाक सेना को अपने अभेद्य पैटन टैंकों  के साथ आगे बढ़ते देखा .अपने प्राणों की चिंता न करते हुए अब्दुल हमीद ऩे अपनी तोप युक्त जीप को टीले के समीप खड़ा किया और गोले बरसाते  हुए शत्रु के तीन टैंक ध्वस्त कर डाले.पाक अधिकारी क्रोध और आश्चर्य में  थे , उनके मिशन में बाधक   अब्दुल हमीद पर उनकी नज़र पडी  को  और उनको  घेर कर गोलों की वर्षा प्रारम्भ कर दी.इससे पूर्व  कि वो उनका एक और टैंक समाप्त कर पाते ,दुश्मन की गोलाबारी से वो शहीद हो गये.अब्दुल हमीद का शौर्य और बलिदान  ने सेना के शेष जवानों में जोश का संचार किया और दुश्मन को खदेड दिया गया.
32 वर्ष की आयु में ही अपने प्राणों को देश पर न्यौछावर करने वाले इस वीर को उसकी शहादत पर नमन.
उन्होंने
अपनी अद्भुत वीरता से पाकिस्तानी शत्रुओं के खतरनाक,कुत्सित इरादों को तो ध्वस्त करते हुए  अपना  नाम इतिहास में सदा के लिए स्वर्णाक्षरों में अंकित कराया साथ ही एक सन्देश भी दिया कि .केवल साधनों के बलबूते युद्ध नहीं जीता जाता ,उसके लिए देशप्रेम +साहस और मर मिटने की भावना आवश्यक है ..
अपने भाई से किया वायदा उन्होंने पूर्ण किया और मरणोपरांत उनको सबसे बड़े सैनिक सम्मान परमवीरचक्र  से सम्मानित किया गया, जो उनकी पत्नी श्रीमती रसूली बीबी ने प्राप्त किया.इसके अतिरिक्त भी उनको समर सेवा पदक,सैन्य सेवा पदक और रक्षा पदक प्रदान किये गए.
उनकी समाधि जो  उनके बलिदान की स्मृति में बनी है एक प्रेरणा स्त्रोत्र है,परन्तु एक दिन समाचार पत्र में पढ़ा था कि उनकी पत्नी और परिवार की स्थिति दयनीय है और वर्तमान में जो सहायता उनको मिलनी चाहिए उसके लिए चक्कर काटते थक चुके हैं वो लोग.इसमें कुछ आश्चर्यजनक नहीं क्योंकि उस समय तो नियमों व जनता के दवाब के कारण घोषणाएँ कर दी  जाती हैं परन्तु बाद में उनको ऐसे परेशान किया जाता है,मानों वो भिक्षा मांग रहे हों.भगत सिंह हों,या आतंकवादियों का सामना करते हुए अन्य शहीद सबके परिवारों को अनेकानेक कष्ट सहने पड़ते हैं.
आज हमारे देश में राष्ट्र के प्रति प्रेम और चिंता अपवाद स्वरूप दिखती है ऐसे  ऐसे में ये उपेक्षापूर्ण व्यवहार कैसे जोश भरते हुए प्रेरित कर  सकता है,सैन्य सेवाओं में युवाओं को प्रवेश के लिए.  क्या विडंबना है कि एक ओर तो हम अपना धन कसाब और अजमल जैसे कुख्यात ,मानवता के शत्रुओं पर लुटा रहे हैं और दूसरी ओर देश के लिए अपना जीवन न्यौछावर करने वालों के परिवार की देख रेख करने या उनके परिवार की स्थाई आजीविका की व्यवस्था करने का समय या आवश्यकता नहीं समझते. अब्दुल हमीद तथा अन्य सभी शहीदों के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजली यही है कि उन शहीदों के परिवारों को आर्थिक रूप से दर दर की ठोकरें न कहानी पड़ें.इसके अतिरिक्त भी विविध कारपोरेट  समूह जिस प्रकार खिलाडियों के लिए धन प्रदान करते हैं इन शहीदों के परिवार के कम से कम एक सदस्य को रोज़गार की व्यवस्था कर सकते हैं.

मोदी ने सोनिया और कांग्रेस को कोसा, वसुंधरा की तारीफ के पुल बांधे



जयपुर। सुबह से ही जयपुर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के रंग में रंगा रहा। अमरूदों के बाग में मंगलवार को भाजपा का 'सुराज संकल्प सम्मेलन' का समापन कार्यक्रम वसुंधरा राजे के भाषण से शुरू हुआ। उसके बाद नरेंद्र मोदी ने राजस्थान में चुनाव अभियान का शंखनाद किया।
मंच पर आते ही मोदी ने भारत माता के जयकारे लगाए। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस जहर पी-पीकर सत्ता पर राज कर रही है। कांग्रेस के रहते भ्रष्टाचार समाप्त नहीं हो सकता। इसे खत्म करने का तरीका कांग्रेस की शुद्धि करना है।
उन्होंने कहा कि हवा का रूख बदल रहा है। राजस्थान की धरती पर परिवर्तन की आंधी आएगी। यहां दिख रही भीड़ को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। बहन वसुंधरा ने सुराज संकल्प यात्रा के जरिए तपस्या की है। हजारों किलोमीटर की यात्रा कर जनता जनार्दन की पीड़ा सुनी है। इनको यात्रा का पुण्य मिलेगा। राजस्थान में परिवर्तन की आंधी आएगी। प्रवासी राजस्थानियों में भी इस यात्रा का क्रेज रहा है।
मोदी ने कहा कि जयपुर राजघराने की दीया कुमारी और ओलम्पिक पदक विजेता राज्यवर्द्धन सिंह का भाजपा में स्वागत है। जो भी भाजपा में आता है वे परिवार के सदस्य बनते हैं। आपसी रिश्ता जुड़ता है। मोदी ने दोनों का राजस्थान की धरती से स्वागत किया। उन्होंने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस में जहर के गीत गाने की परम्परा है, इसलिए गहलोत भी जहर पीने की बात करते हैं।

प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हुए मोदी ने कहा कि जी-20 समिट से लौटने के बाद मनमोहन सिंह ने समिट में देश के पक्ष को रखने वाला कोई बयान नहीं दिया। पूरा देश उम्मीद कर रहा था कि उन्होंने देश के हित की वहां कई बातें की होंगी। लेकिन लौटने पर जो बयान उन्होंने दिया वह निराशाजनक था।

गत 10 वर्षो में केन्द्र की कांग्रेस सरकार जवाबदेही नहीं रही। कोई देश के लिए जवाब नहीं देता। कांग्रेस के कारनामे ऎसे हैं कि आने वाले समय में देश का बच्चा रोएगा और पढ़ेगा कि ए का मतलब आदर्श घोटाला, सी का मतलब होता है कोयला घोटाला...। उन्होंने कहा कि बच्चे नई एबीसीडी सीखेंगे। आजादी के बाद की कांग्रेस एक ही परिवार तक सीमित रह गई। कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचारियों को तरक्की मिलती है। भाजपा इस देश को भ्रष्टाचार से मुक्त कर सकती है।

मोदी ने कहा कि देश में रुपये की ताकत सबसे ज्यादा मारवाड़ी और गुजराती जानते हैं, लेकिन कांग्रेस सरकार के राज में रुपया अस्पताल में पड़ा है। कांग्रेस के पास एक ही विकल्प बचा है कि गिरती हुई सरकार को बचाए या रूपये को। कांग्रेस को अपनी इज्जत बचाने की चिंता ज्यादा है। कांग्रेस के पास नेता, नैतिकता, नीति, नीयत नहीं है।
उन्होंने कहा कि राजस्थान में 40 फीसदी युवा है। युवाओं में भाजपा के लिए बहुत उत्साह है। ऎसे में युवाओं से उन्होंने मतदाता सूची में ज्यादा से ज्यादा लोगों के नाम जुड़वाने की अपील की। यूथ कांग्रेस के लिए युवा वोटर हैं, लेकिन भाजपा के लिए वे ताकत हैं। युवाओं में 18 साल का होते ही देश का नागरिक बनने यानी मताधिकार का उत्साह होना चाहिए। मोदी ने राजस्थान भाजपा के जोश और उत्साह की सराहना की।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश भाजपा को एकजुट करने के मकसद से आए मोदी ने कार्यकर्ताओं में जोश भरा। प्रदेश अध्यक्ष वसुंधरा राजे ने मोदी और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह का स्वागत किया।
गौरतलब है कि मोदी प्रदेश भाजपा की पांच महीने तक चली सुराज संकल्प यात्रा का समापन करने आए हैं। प्रदेश भाजपा मोदी की इस सभा को राजस्थान सत्ता में वापसी के लिए बूस्टर डोज मान रही है। सभा पर कांग्रेस की भी पूरी नजर है।

जज ने फैसले में कहा, दोषियों जैसा 'गुनाह' आज तक न देखा गया और न सुना गया



नई दिल्‍ली। दामिनी गैंगरेप केस में कोर्ट का फैसला हो गया है। 16 दिसंबर 2012 की रात चलती बस में पैरामेडिकल छात्रा ‘दामिनी’ के साथ दरिदंगी करने वाले गुनहगारों को साकेत कोर्ट के अतिरिक्‍त सत्र न्‍यायाधीश योगेश खन्‍ना की अदालत ने दोषी ठहराया। अदालत आरोपी मुकेश, विनय शर्मा, पवन गुप्‍ता और अक्षय ठाकुर को दामिनी की हत्‍या, सामूहिक बलात्‍कार और अप्राकृतिक सेक्‍स का दोषी करार दिया। सभी दोषियों की सजा पर बहस 11 सितंबर को होगी। इन्‍हें कम से कम उम्रकैद और अधिकतम सजा-ए-मौत हो सकती है। फैसला सुनते ही आरोपी विनय कुमार रोने लगा, जबकि बाकी तीन आरोपी सहमे हुए खड़े रहे। दामिनी के माता-पिता ने दोषियों के लिए फांसी मांगी है। उन्‍होंने कहा, 'जज ने उन्‍हें दोषी करार दिया है। उन्हें फांसी होनी चाहिए। इससे कम कोई सजा नहीं। मेरी बेटी को न्‍याय मिलेगा।'
अदालत ने माना है कि यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया अपराध था, जिसमें दोषियों ने यूनिक मोडस ओप्रेंडी अपनाई, जो दामिनी की मौत की वजह बनी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, दोषियों ने गैंग रेप करने के बाद रॉड को पीडि़ता के गुप्‍तांग में कई बार डाला जोकि गैंग रेप के किसी मामले में कभी नहीं देखा गया और न ही सुना गया। दोषियों ने जानबूझकर ऐसा किया।

अदालत ने चारों आरोपियों को हत्या, सामूहिक बलात्कार और अप्राकृतिक यौन संबंध समेत आईपीसी की 11 धाराओं के तहत दोषी करार दिया गया है। इन्‍हें 13 धाराओं के तहत अदालत ने दोषी करार दिया है। अदालत का जजमेंट 230 पन्‍नों का है। अदालत ने माना है कि यह एक सुनियोजित तरीके से किया गया अपराध था, जिसमें दोषियों ने Unique modus operandi अपनाई, जो दामिनी की मौत की वजह बनी। अदालत ने अपने फैसले में कहा, 'दोषियों ने गैंग रेप करने के बाद पीडि़ता के गुप्तांग में कई बार रॉड डाला जो कि गैंग रेप के किसी मामले में कभी नहीं देखा गया और न ही सुना गया। दोषियों ने जानबूझकर ऐसा किया।'

अदालत के फैसले के बाद दिल्ली पुलिस के अधिकारी काफी खुश नजर आए। जैसे ही अदालत ने चारों आरोपियों को सजा सुनाई तो अदालत में मामले से जुड़े अधिकारी एक दूसरे से हाथ मिलाने लगे। हालांकि दोषियों के वकील ने फैसले पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा कि सत्ता और राजनीति के दवाब में यह फैसला सुनाया गया है। आरोपी विनय और अक्षय के वकील एसपी सिंह ने कहा कि इस फैसले से दिलों में गर्मी पैदा हुई है। अदालत में अभियोजन पक्ष के साक्ष्य माने गए, लेकिन बचाव पक्ष के सबूत, सबूत नहीं माने गए। अदालत ने सभी आरोपित धाराओं के हिसाब से उन्हें दोषी करार दिया जबकि चार दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर वारदात से पहले ही महाबोधि एक्सप्रेस से अपने बिहार स्थित गांव में जा चुका था। यानी आरोपी वारदात की वक्त था ही नहीं जबकि उसे अदालत ने दोषी करार दिया। उन्होंने कहा कि यह फैसला पूरी तरह से सत्ता के दबाव में आकर सुनाया गया है। वकील ने कहा कि युवती ने अपने बयान में यह कहा था कि उसके साथ केवल दो लोगों ने ही बलात्कार किया, जो राम सिंह और नाबालिग आरोपी ने किया था।  लेकिन अदालत ने अन्य को भी बलात्कार की धाराओं में दोषी माना। दोषियों के वकील ने इस फैसलों को हाईकोर्ट में चुनौती देने की बात भी कही है।
अदालत के फैसले के दौरान आरोपी राम सिंह के बुजुर्ग माता-पिता भी कोर्ट में मौजूद थे, लेकिन फैसले के बाद उन्होंने मीडियाकर्मियों से बात करने से इंकार कर दिया। राम सिंह की रहस्‍यमय परिस्थितियों में जेल में मौत हो गई थी। आरोपी विनय और अक्षय के वकील एसपी सिंह इस फैसले से दिलों में गर्मी पैदा हुई है। अभियोजन पक्ष के साक्ष्‍य माने गए, लेकिन हमारे सबूत, सबूत नहीं माने गए।
16 दिसंबर क्रांति ऑफिशल नाम एक ग्रुप अदालत परिसर के बाहर मौजूद था, जो दोषियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा था। यह ग्रुप 16 दिसंबर 2012 की घटना के बाद बना है।

इससे पहले इस मामले के नाबालिग आरोपी को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने 31 अगस्‍त को तीन साल कैद की सजा सुना चुका है। मुख्‍य आरोपी बस चालक राम सिंह तिहाड़ जेल में कथित तौर पर  फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुका है।  अदालत ने 5 सितंबर को मामले में अंतिम जिरह पूरी होने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जज योगेश खन्‍ना की अदालत ने 5 सितंबर को मामले की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें आरोपियों के वकील ने जिरह के लिए कुछ और समय मांगा था। अदालत ने बचाव की याचिका को खारिज करते हुए कहा,  ‘आपने इस मामले के फैसले को बहुत टाल दिया है और इस मामले में मैं 10 सितंबर को  फैसला दूंगा।‘
राजनीतिक दलों ने भी दोषियों के लिए फांसी की मांग की है। लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि कानून में बदलाव हुए हैं और नए बदलावों के तहत अगर इन आरोपियों को फांसी की सजा दी जाती है, तो यह अपनी तरह का पहला निर्णय होगा। इस फैसले से गैंगरेप के मामलों की आई बाढ़ पर भी रोक लगेगी।
सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा कि चारों आरोपियों को दोषी करार दिया यह अच्छी बात है, लेकिन फैसला आने में नौ महीने का समय नहीं लगना चाहिए था। उन्होंने कहा कि इस मामले में सभी साक्ष्य मौजूद थे उसके बाद भी इतना समय लगा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अन्य बलात्कार के मामलों में क्या होता होगा। वृंदा करात ने कहा कि बलात्कार के मामलों में समय सीमा निर्धारित होनी चाहिए।

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