आपका-अख्तर खान

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17 सितंबर 2013

दोस्तों आज हम आपकी मुलाक़ात एक सेठ लेकिन स्वभाव से फकीर ..सादगी के रहन सहन में सात्विक स्वभाव रखने वाले सेठ धनेश अग्रवाल उर्फ़ श्याम जी से करवाते है

दोस्तों आज हम आपकी मुलाक़ात एक सेठ लेकिन स्वभाव से फकीर ..सादगी के रहन सहन में सात्विक स्वभाव रखने वाले सेठ धनेश अग्रवाल उर्फ़ श्याम जी से करवाते है ...जी हां दोस्तों कोटा के स्वतन्त्रता सेनानी वकील सेठ लालचंद के इकलोते सुपुत्र पिता की म्रत्यु के बाद उनके काम को सम्भाल  रहे है ...सारा राजस्थान बल्कि हिन्दुस्तान जानता है के कोटा में पत्थर किंग ..ढोबिया किंग के नाम से मशहूर इस परिवार ने सेकड़ों लोगों को जहां एक तरफ रोज़गार देकर अपने पेरों पर खड़ा होकर चलना सिखाया वहीं हजारों लोगों के दुःख दर्द में मदद कर उनके लिए मसीहा साबित हुए है ..धनेश अग्रवाल पत्थर के जादूगर है जहां हाथ डालते है वहां बहतरीन पत्थर निकल आता है लेकिन अब इनकी खाने फारेस्ट में जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश से बंद हो जाने से इन्होने अपना व्यसाय होटल ...बिल्डर्स ..खेती बाढी कर लिया है ...राधिका सेवा संस्थान के माध्यम से सेठ धनेश अग्रवाल जब लोगों की सेवा करने के लिए निकलते है तो लगता है के यह एक आदमी की तरह से दानवीर बनकर कई लोगों के लियें मददगार साबित हो रहा है ..दोस्तों आप राधिका पेलेस होटल सब्जी मंडी के मालिक और संचालक है ..जबकि कोटा जिले के कई प्रमुख स्थानों पर आपके बढ़े बढ़े फ़ार्म हाउस है ...सेठ धनेश अग्रवाल म्रदुल स्वभावि ...मिलनसार ..हंसमुख ..चिन्तक ..दार्शनिक ..धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करने का स्वभाव रखते है नित पूजा पाठ फिर देनिक जीवन में रोज़गार के लियें अपने सब्जी मंडी स्थित  कार्यालय पर सुबह दस बजे से शाम पांच बजे तक अपने कारोबार का संचालन इनकी जिंदगी है ..इस व्यस्तम माहोल में भी आप धार्मिक आयोजनों ..सामजिक आयोजनों ..खासकर गौ सेवा कार्यक्रमों के लियें विशेष तोर पर वक्त निकालते है .....श्याम जी अग्रवाल उर्फ़ धनेश अग्रवाल कोलेज जीवन में कोंग्रेस से जुड़े थे यूथ कोंग्रेस में रहकर इन्होने बहतरीन सेवा कार्य और संघर्ष किये ..इनके पिता स्वतन्त्रता सेनानी और नगर सेठ होने के अलावा आधुनिक राजस्थान के निर्माता कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमत्री मोहन लाल सुखाडिया के निकटतम होने से अपना प्रभाव रखते थे इन्हें सियासत में कई मोके मिले लेकिन इन्होने सियासत को छोड़ कर केवल समाज सेवा क्षेत्र में ही अपना हुनर दिखाया ....धनेश अग्रवाल उर्फ़ श्याम  जी कहने को तो सेठ है लेकिन लोगों के लिए एक सादगी का अहसास दिलाने वाली मानवता के जज्बे के साथ मानवीय स्वभाव की एक तस्वीर है जिसे देख कर जिससे मिलकर हर शख्स कहता है के वाह बुलंदियों पर बेठे इस व्यक्ति ने अभी धरातल नहीं छोड़ा है और अपने कदम जमीन पर टिका कर जमीन से जुड़े लोगों की खिदमत का जज्बा भी आप में है .....धनेश अग्रवाल को इनकी पिता सेठ लालचंद की स्मरति में एक चेरिटेबल अस्पताल ..व्र्द्धाश्रम ...अनाथालय ..गोशाला ..मदरसा ..निजी चेरिटेबल स्कूल बनाने का सपना है जिसकी योजना अंतिम रूप में है और राधिका सेवा संस्थान सहित कई अन्य समाज सेवी संस्थाओं के मुखिया होने के कारन अभी यह इस कार्य को अंतिम रूप देने के पूर्व अपने साथियों के साथ विचार विमर्श में लगे हुए है .............धनेश जी कहते है हम क्या लाये थे क्या ले जायेंगे इश्वर ने सुकून दिया ..निरोगी काया दी ..जीवन दिया ..फिर क्यूँ हम रूपये पेसे के लियें भागम भाग करे .....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

वह फूल सी निखरी और सुगंध सी बिखरी थी ,

वह फूल सी निखरी और सुगंध सी बिखरी थी ,
यह दायरे थे प्यार के या किसी बहार के
समेटना की कोशिश में मैं यूँ ही बिखर गया
समेट लोगे तुम उसे तो चहक उठूँगा मैं
सूँघ लेना स्नेह से महक उठूँगा मैं
ख्वाब की तरह खो तो जाऊंगा नहीं
सो कर उठोगे जब सुबह और खिड़की खोलोगे
याद यूँ ही आयेगी ...लोग कह रहे होंगे
वह फूल सी निखरी और सुगंध सी बिखरी थी ." ----- राजीव चतुर्वेदी

हिन्दू भी ग़मज़दा हैं और मुस्लिम भी ग़मज़दा

हिन्दू भी ग़मज़दा हैं और मुस्लिम भी ग़मज़दा
दंगाई खुश हैं लाशों की तादाद देखकर....!
.....................
जलता और सुलगता मुज़फ्फर नगर
फ़िरक़ावाराना फ़सादात ..की उठती
लपटें, ..............
रोते बिलखते लोग, ........
ख़ून से लतपथ सड़कों और चौराहों पर
हर रोज़ पड़ी लाशें, ........
सरकार और सरकारी मशीनरी पर
से लोगों का उठता विश्वास,
पूरी उम्र खपा कर अपने ख़ून और पसीने की
कमाई से बने अपने आशियाने (घर)..........
को जलता हुआ देखतीं बेबस, असहाय, बूढ़ी
आँखें..................
.......................
आख़िर कौन है इन सबका ज़िम्मेदार......
बेबस और नकारी सरकारें,..........
गूँगी बहरी दिल्ली..........
या फ़िर जाति और मज़हब के नाम पर की जाने वाली गंदी सियासत...........
............................
.............................
शायद इन सवालों के जवाब न तो......
हमारी सूबाई हुकूमत के पास है.......और न ही
मरकज़ी हुकूमत के पास........
क्योंकि उनके पास वक़्त नहीं है..........
अभी उन्हें ढेर सारे लैपटाप बाँटने हैं,
अभी उन्हें संसद में ढेर सारी खोखली..योजनाओं पर बहस करानी है....
ताकि आने वाले लोकसभा चुनाव में.....उनके
वोट बैंक मज़बूत हो सकें......!
इन्हें कोई परवाह नहीं........
लोग मरते हैं तो मर जायें........
घर जलते हैं तो जलते रहें, ..........
लाशें और बिछ जायें कोई फ़िक्र नहीं........
......................
अफ़सोस इनकी सोच और इनकी सियासत पर........
और गर्व (फ़ख्ऱ) भी के हमें आज़ाद हुये ६७ साल होगये................
.................लेकिन..याद रखना
सियासी भेड़ियों............
जौहर साहब का वो शेर......के.....
......................
हवेली झोंपड़ी सबका मुक़द्दर फ़ूट जायेगा
अगर ये साथ हिन्दू मुस्लिमों का छूट जयेगा
दुआ किजिये के हम में प्यार के रिश्ते रहें क़ायम
ये रिश्ते टूट जायेंगे तो भारत टूट जायेगा..! shahzada kaleem

कुरान का सन्देश

राहुल गांधी ने साधा नरेंद्र मोदी पर निशाना, पढ़ें भाषण की मुख्‍य बातें



बारां (राजस्‍थान). कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने गरीबों के हक में आवाज बुलंद करते हुए विपक्ष पर जोरदार निशाना साधा है। बारां में मंगलवार को एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा कि गरीबों को भी विमान उड़ाने का सपना देखने का हक है लेकिन विपक्ष नहीं चाहता कि गरीब लोग ऐसे सपने देखें। राहुल ने भाषण के दौरान अपने नए नारे को भी दोहराते हुए कहा, 'पूरी रोटी खाएंगे, कांग्रेस पार्टी को लाएंगे।' बारां वही जिला है जहां 2008 में राहुल गांधी ने मनरेगा के काम में एक मजदूर के तौर पर काम किया था।
राहुल ने नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना कहा, 'काम बड़े-बड़े भाषणों से नहीं होता है। जब गरीब को रोजगार देने की बात होती है तो विपक्ष पूछती है कि पैसा कहां से आएगा। हमने दिखा दिया कि पैसा कहां से आएगा। लेकिन जब अमीरों को जमीन देने की बात होती है तो वो (विपक्ष) कभी यह नहीं पूछते की पैसा कहां आएगा। वो जमीन को सौंप देते हैं।' बीजेपी की तरफ इशारा करते हुए राहुल ने कहा, 'ये जब चुनाव हार गए तो संसद की कार्यवाही रोकने की कोशिश की, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए।'
राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी ने जो भी वादे किए थे उन सभी को पूरा करके दिखाया है। उन्‍होंने कहा, 'किसी भी कल्याणकारी योजना की शुरुआत में विपक्ष ने हमेशा रोड़े अटकाए। मनरेगा के बारे में जब कांग्रेस ने तैयारी शुरू की तो विपक्ष ने कहा कि पैसा कहां से आएगा। सरकार ने लाखों लोगों को रोजगार उपलब्ध कराकर दिखा दिया।'
राहुल के भाषण की मुख्‍य बातें: 
आज की राजनीति में दो विचारधाराएं हैं। पहली कांग्रेस पार्टी की और दूसरी विपक्षी दलों की। 
बीजेपी केवल अमीरों के लिए काम करती है। आम आदमी के बारे में उसके पास कोई योजना नहीं है। 
हम चाहते हैं कि गरीब से गरीब सबसे बड़ा सपना देख पाए, नहीं तो हमारे लिए राजनीति में कोई रुचि नहीं है।
21वीं सदी का मतलब है कि गरीब से गरीब व्यक्ति का सपना पूरा हो।
हमने गरीबों को भोजन की गारंटी दी है।
किसानों को उनकी जमीन का हक दिया। 
हम चाहते हैं कि गरीब भी बड़े सपने देखें। इसीलिए हमने यहां सिंचाई परियोजनाएं शुरू की हैं। 
यहां लाखों लोगों को पीने का पानी उपलब्‍ध कराया गया। इससे बड़ा कोई काम नहीं है। 
सरकार यहां गरीबों को दवाइयां देती है। जल्‍द ही ऐसी व्‍यवस्‍था देश के बाकी हिस्‍सों में भी लागू होगी।  
गरीबी की बड़ी वजह बीमारी है। एक मजदूर बीमार हो जाता है तो वह उस दिन के लिए रोटी नहीं जुटा सकता है।
हम चाहते हैं कि हमारा इंफ्रास्‍टक्‍चर इस्‍तेमाल करने वाले भूखे नहीं रहें। 
हमारी राजनीति आपके सपनों की राजनीति है। सपना है आम आदमी को रोजगार देना। 
विपक्ष चाहता है कि केवल 500 से 1000 लोगों को ही फायदा हो। यह उनके राजनीति करने का आइडिया है। 
देश को आगे बढ़ाना है। इंफ्रास्‍टक्‍चर डेवलपमेंट की जरूरत है लेकिन वो (विपक्षी दल) चाहते हैं कि केवल अमीर लोग ही इसका इस्‍तेमाल करें। 
यह युवाओं का देश है जो दुर्भाग्‍य से गरीब हैं लेकिन उन्‍हें उम्‍मीद की किरण दिखाई दे रही है। सरकार उनकी मदद करेगी।
हम आपके खून और आंसुओं की इज्‍जत करते हैं, इसीलिए हम भूमि अधिग्रहण बिल लाए हैं।
राहुल गांधी के भाषण पर मुख्‍य विपक्षी दल बीजेपी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी नेता बलबीर पुंज ने कहा है कि राहुल गांधी सपनों की दुनिया में रहते हैं। राहुल और मोदी की तुलना नहीं की जा सकती है।
बीजेपी के एक और नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा है कि राहुल गांधी के बयान से साबित हो गया है कि अधिकतर लोगों को अब भी पूरी रोटी नहीं मिलती है।

कभी टिन बेचकर कमाते थे पांच पैसे, आज हैं पीएम पद के उम्मीदवार!



मोदी का 'मिशन दिल्ली' औपचारिक तौर पर शुरू हो गया है। बीजेपी ने 9 जून, 2013 (रविवार) को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर चुनाव प्रचार समिति का अगुवा घोषित कर दिया गया था। हालांकि, पार्टी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी भाजपा के इस फैसले से खुश नहीं थे और उन्होंने पार्टी के सारे पदों से इस्तीफ़ा दे दिया था। बाद में आडवाणी को मना लिया। चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा के बाद मोदी पार्टी के 'नंबर एक' नेता बन गए।  
 
सितंबर में एक बार भाजपा में उस समय घमासान मच गया, जब नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार बनाने की कवायद तेज हो गई। इस समय आडवाणी के साथ-साथ पार्टी के और भी कई बड़े नेता मोदी के खिलाफ नजर आए। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने किसी की परवाह किए बगैर 13 सितंबर, 2013 को नरेन्द्र मोदी को भाजपा की ओर से पीएम पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया।  
 
राजनाथ सिंह के इस फैसले में बाद में आडवाणी को छोड़कर मोदी के अन्य विरोधी भी उनके समर्थन में दिखाई दिए। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चुनावी समर में भाजपा की कमान संभालने जा रहे कभी टिन बेचकर पांच पैसे कमाने वाले नरेन्द्र मोदी के छोटे भाई ही उनके खिलाफ रहते हैं!
पूरा नाम:
 
17 सितंबर, 1950 को गुजरात के वडनगर में एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे मोदी का पूरा नाम है नरेन्द्र दामोदरदास मोदी।
मिलते थे पांच पैसे:
 
मोदी परिवार को सहारा देने के लिए अपने घर के आसपास से तेल के खाली टिन एकत्र कर पास की मिल में जमा कराते थे। बदले में हर टिन पर पांच पैसे मिलते थे।
मगरमच्छ का बच्चा ले आए:
 
मोदी के दोस्त भरत भाई बताते हैं कि मोदी बचपन में झील से मगरमच्छ का बच्चा घर ले आए थे। बाद में मां ने डांटते हुए कहा कि कोई तुझे भी इस तरह उठा ले जाए तो कैसा लगेगा। मोदी तुरंत झील पर लौटे और मगर के बच्चे को छोड़ आए। (
मोदी बनना चाहते थे साधु:
 
मोदी एक जमाने में साधु बनना चाहते थे। दो साल हिमालय की खाक भी छानी। पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम में भी रहे। एक दिन अचानक यह विचार छोड़ वे घर लौट आए।
खोलनी पड़ी चाय की दुकान:
 
घर चलाने के लिए मोदी को अहमदाबाद में स्टेट ट्रांसपोर्ट ऑफिस के बाहर चाय की दुकान तक खोलनी पड़ी। यहीं पर शाखा से लौटते संघ कार्यकर्ताओं से होने वाली मुलाकातों ने मोदी को बदल डाला। उन्होंने दुकान समेटी और संघ के साथ जुड़ गए।
20 साल की उम्र में संघ प्रचारक:
 
बचपन में ही स्‍कूल के बाद संघ की शाखाओं में नजर आने वाले मोदी 20 साल की उम्र में संघ प्रचारक बन गए थे।
आडवाणी के करीबी:
 
1975 में आपातकाल के दौरान नरेंद्र मोदी लालकृष्‍ण आडवाणी के नजदीक आए। आडवाणी ने उनकी संगठनात्‍मक क्षमता को पहचाना और 1985 में गुजरात बीजेपी में संगठन महामंत्री बनवाया।
रामरथ यात्रा:
 
जब राममंदिर आंदोलन परवान पर था तो मोदी ने आडवाणी को सोमनाथ मंदिर को प्रतीक बनाने का सुझाव दिया। उनके सुझाव का नतीजा 1990 में रामरथ यात्रा के रूप में सामने आया।
एकता यात्रा:
 
मुरली मनोहर जोशी की कन्‍याकुमारी से कश्‍मीर तक की एकता यात्रा में मोदी को फिर जिम्‍मेदारी सौंपी गई। जोशी की सभाओं में मोदी मेवाड़ी पाग पहने सबसे पीछे खड़े जनता की नब्‍ज समझने की कोशिश करते नजर आते थे।
बने राष्ट्रीय महासचिव, फिर मुख्यमंत्री:
 
1995 में मोदी को भाजपा ने राष्ट्रीय महासचिव बना दिया और पांच राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी। 2001 में केशुभाई के हटने के बाद भाजपा ने मोदी को गुजरात का मुख्यमंत्री बना दिया।
पहली बार सीएम बनने पर सामने आईं मां:
 
पहली बार जब उन्‍होंने सीएम पद की शपथ ली तो मां हीरा बेन को भीड़ में बमुश्किल पहचाना गया। 2011 में 13वीं विधानसभा के चुनाव के बाद मोदी अपनी मां का आशीर्वाद लेते नजर आए।
भाई ही है खिलाफ:
 
मोदी पांच भाइयों में तीसरे नंबर पर हैं। उनके छोटे भाई प्रहलाद मोदी अहमदाबाद के ओधाव इलाके में दुकान चलाते हैं। वह कोटे के दुकानदारों के नेता हैं, जो सरकार के खिलाफ हमेशा तेवर दिखाते रहते हैं।
शादीशुदा हैं या अविवाहित!
 
यह आरोप लगाया जाता है कि मोदी शादीशुदा हैं, मगर पत्नी के साथ नहीं रहते।गुजरात विधानसभा चुनावों के दौरान विरोधियों की तरफ से यह बात बार-बार उठाई जाती है, लेकिन मोदी इसका न तो खंडन करते हैं और न ही पुष्टि।
 

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत समाज सेवी संस्थाओं के लिए नगर विकास न्यास और प्राधिकरण सहित बाबूगिरी के तहत समाज सेवा क्षेत्र में दी जाने वाली मुफ्त जमीन मामले के सभी बहाने बाज़ी पर रोक लगाते हुए मुफ्त में जमीन देने का रास्ता साफ़ कर

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  समाज सेवी संस्थाओं के लिए नगर विकास न्यास और प्राधिकरण सहित बाबूगिरी के तहत समाज सेवा क्षेत्र में दी जाने वाली मुफ्त जमीन मामले के सभी बहाने बाज़ी पर रोक लगाते हुए मुफ्त में जमीन देने का रास्ता साफ़ कर कोटा के समाज सेवी संस्था अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी सहित कई संस्थाओं को मुफ्त में जमीन देने का रास्ता साफ़ कर दिया है ........ध्यान रहे के अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी लगातार समाज सेवा क्षेत्र से जुडी हुई है और उसके सेवा कार्यों का अपना इतिहास है राजस्थान में ऐसी कई संस्थाएं है जो समाज सेवा क्षेत्र में मुखर कायर करना चाहते है लेकिन उनके पेरों तले उनकी खुद की अपनी जमीन नहीं है ..और इसी लिए अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी सहित राजस्थान की कई समाज सेवी संस्थाए मुफ्त में जमीन आवंटन की हकदार होने पर भी उन्हें मुफ्त में जमीन नहीं देकर चक्कर कटाया जा रहा था ..कोटा में अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी ने तो इस मामले में एक विशेष आग्रह अभियान चलाकर सरकार से लगातार आग्रह करने के लियें सोशल मिडिया पर अभियान चलाया हुआ था लेकिन उन्हें स्थानीय निकायों में विधि नियमों का हवाला देकर निराश कर भेजा जाता रहा था ...खुदा का शुक्र है के कुछ विशिष्ठ समाज सेवा कार्यों के लियें राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विशाल ह्र्दयता दिखाई और तारीख बाईस अगस्त दो हजार तेराह को एक परिपत्र जारी कर ऐसी संस्थाओं को निशुल्क भूमि आवंटन का रास्ता साफ़ कर दिया है ...सरकार ने अपने आदेश में लिखा है के राजस्थान नगर सुधर नगरीय भूमि निष्पादन नियम 1974 के नियम अट्ठारह और राजस्थान सरकार द्वारा  गयी निति दिनांक  ग्यारह अप्रेल दो हजार ग्याराह के बिंदु संख्या दो तथा एक एनी राज्य सरकार के आदेश चार अप्रेल दो हजार तेरह के बिंदु संख्या दो के नियम एक के उपनियम आठ में शिथीलता बरतते हुए राजस्थान के सभी निकायों नगर विकास न्यास और प्राधिकरणों को निर्देशित किया गया है के समाज सेवी संस्थाए जो वाचनालय पुस्तकालय .वृद्धाश्रम  ..अनाथालय ..शोचालय ..सुलभ शोचालय ...मूक बधिरों के लियें स्वावलम्ब बनाने की योजन बनाने सहिटी कुछ विशिष्ठ कार्यों के लियें अगर भूमि की मांग करते है तो ऐसी संस्थाओं को एक हजार वर्ग मीटर का भूखंड निशुल्क उपलब्ध कराया जाएगा ......अब कोटा के अल्फ्लाह वेलफेयर सोसाइटी वाचनालय और पुस्तकालय सहित कई शेक्षणिक गतिविधियों के लियें भूखंड आवंटन की मांग कर रही है ऐसे में इस नियमों की  शिथिलता के बाद इस संस्था सहित राजस्थान की कई संस्थाओं को मुफ्त में समाज सेवा क्षेत्र में कार्य करने के लिए भूखंड आवंटित होने का रास्ता साफ़ हो गया है ..मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को बधाई और गुजारिश है के वोह इस कार्य को शीघ्र ही बिना अफसर शाही की बन्दर बाँट के तुरंत करवाएं ........अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

राजस्‍थान: मंत्री पर रेप का आरोप, नौकरी देने के बहाने अस्‍मत लूटने का केस



जयपुर. राजस्‍थान की सियासत में एक बार फिर से भूचाल आ गया है। राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और नर्स भंवरी देवी कांड की राख अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि सूबे के एक और मंत्री पर रेप का आरोप लगा है। यह मंत्री बाबूलाल नागर हैं। हालांकि नागर ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से इंकार किया है।
राज्य सरकार के मंत्री बाबूलाल नागर के खिलाफ एक युवती ने दुष्कर्म का आरोप लगाया है। युवती का आरोप है कि नागर ने नौकरी दिलाने के नाम पर दुष्कर्म किया है। पीडि़ता की शिकायत पर अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रम 9 जयपुर महानगर ने सोडाला थाना पुलिस को जांच के निर्देश दिए है। पीडि़ता ने कोर्ट में 13 सितंबर को शिकायत की थी। कोर्ट ने सोडाला थाना प्रभारी को प्राथमिकी दर्जकर नतीजा रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए है।
इस्तगासे में पीडि़ता ने बताया कि खादी एवं डेयरी मंत्री बाबूलाल नागर ने 11 सितंबर 2013 को नौकरी लगाने के नाम पर दोपहर घर पर बुलाया। इस दिन पीडि़ता बाबूलाल नागर के घर पर शाम को पांच बजे पहुंची। वहां पर नागर के अलावा कोई नहीं था। नागर पीडि़ता को अपने कमरे में ले गए और गेट बंद करके पीडि़ता व उसके परिजनों को नौकरी लगाने का झांसा देकर उसके साथ दुष्कर्म किया और घटना के बाद किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

आसाराम केस: जेठमलानी बोले- लड़की को है मर्दों के करीब जाने की बीमारी, मीडिया को कहा पागल


आसाराम केस: जेठमलानी बोले- लड़की को है मर्दों के करीब जाने की बीमारी, मीडिया को कहा पागल
जोधपुर. नाबालिग छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में घिरे आसाराम की पैरवी कर रहे सीनियर वकील राम जेठमलानी ने मीडिया को पागल करार दिया है। जेठमलानी का यह बयान कोर्ट में उनकी इस दलील को लेकर मचे बवाल की प्रतिक्रिया में आया है, जिसमें उन्‍होंने आसाराम पर दुष्‍कर्म का आरोप लगाने वाली लड़की को मर्दों के करीब जाने की 'गंभीर' बीमारी से ग्रस्‍त बता दिया था। 
 
हाईप्रोफाइल वकील राम जेठमलानी कोर्ट में दलीलों के माहिर माने जाते हैं। लेकिन आसाराम को जमानत दिलाने के लिए सोमवार को राजस्थान हाईकोर्ट में उनकी कोई दलील नहीं चली। जेठमलानी के तर्कों पर जज निर्मलजीत कौर ने यह कह कर उन्हें चुप कर दिया कि वे मुकदमे की ट्रायल पर बहस कर रहे हैं या जमानत अर्जी पर? 
 
जेठमलानी ने कहा- पीडि़ता ने आरोप किसी के सिखाने पर लगाए। वह मानसिक रोगी है। कुटिया में यौन उत्पीडऩ की बातें भी झूठी हैं। रामजेठमलानी ने कोर्ट में यह भी कहा 'लड़की (पीड़िता) ऐसी गंभीर बीमारी से ग्रस्त है जिसमें वह पुरुषों की ओर आकर्षित होती है। इसकी जांच कराई जानी चाहिेए'
 
जज ने कहा- आप जो कह रहे हैं, उनका आधार क्या है? पीडि़ता गलत आरोप लगा रही है तो बताएं कि किसके कहने पर और क्यों? 
 
जेठमलानी ने कहा-लड़की बालिग है। पुलिस शाहजहांपुर की नगरपालिका क्यों नहीं गई? वहां जाती तो उसके जन्म का रिकॉर्ड मिल जाता। स्कूल में भर्ती दो साल बाद हुई थी। 
 
जज ने कहा -स्कूल में भर्ती होने से पहले का रिकॉर्ड पता नहीं लगाया जाता, बोर्ड का प्रमाण पत्र ही माना जाता है। 
 
फिर जज ने टोका। कहा-आप ट्रायल की तरह बहस कर रहे हैं, जबकि सुनवाई जमानत याचिका पर हो रही है। आप तो जमानत का आधार बताइए। 
 
जेठमलानी ने कहा -परिजनों ने जाप व मंत्रोच्चार करने और आशीर्वाद देने की जिद की थी, आश्रम में ऐसे साधक आते रहते हैं और आध्यात्मिक ध्यान करते हैं। पीडि़ता व उसके परिजन भी अपनी मर्जी से मणई आए थे। 
 
जज ने पूछा- आसाराम के आश्रमों में स्कूलों से लड़कियों को बुलाना क्या नॉर्मल प्रैक्टिस है? 
 
इसके बाद जेठमलानी ने आसाराम के आध्यात्मिक गुरु होने, जांच में सहयोग करने, गवाहों को प्रभावित न करने की दलीलें दी। तर्क सुनने के बाद जज ने केस डायरी तलब की और कहा- अब सुनवाई 18 सितंबर को होगी। 
 
आसाराम की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। सोमवार को जोधपुर सेशन कोर्ट मे उनकी हिरासत 30 सितंबर तक के लिए बढ़ा दी। यानी अब आसाराम को 30 सितंबर तक जेल में ही रहना पड़ेगा। उधर राजस्थान हाईकोर्ट में रामजेठमलानी ने उनकी पैरवी की लेकिन वे भी जमानत दिलाने में नाकामयाब रहे। अब हाइकोर्ट में बुधवार को सुनवाई होनी है।
 
आसाराम की न्यायिक हिरासत की अवधि रविवार तक ही थी। इसलिए उन्‍हें सोमवार को जोधपुर सेशंस कोर्ट में पेश किया गया। वहां आसाराम ने जज के सामने हाथ जोड़ लिए। उन्‍होंने जज से बीमारी का हवाला देते हुए जमानत देने की अपील की। लेकिन जज ने उनकी नहीं सुनी। कुछ ही मिनट की सुनवाई के बाद उन्‍हें 30 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में रखने का हुक्‍म सुना दिया। 
 
दूसरे पक्ष के वकील ने कहा कि अगर आसाराम रिहा हुए तो वह जांच प्रक्रिया को बाधित करेंगे। अब आसाराम को हाईकोर्ट से उम्‍मीद है जहां उनकी जमानत अर्जी पर बुधवार को सुनवाई होनी है।
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