जूनापानी गांव की मीराबाई ने ढाई माह पहले बेटी कोमल को जन्म दिया। यह उसकी दूसरी बेटी थी। बेटी के जन्म पर गांववाले उसे अपशगुन बताते रहे, लेकिन माता-पिता उनकी बातों को कोई तरजीह नहीं देकर बेटी की परवरिश करते रहे। दो दिन बाद ही गांव में भारी वर्षा हुई, जिससे उनके मकान का किवाड़ टूट गया। टूटा किवाड़ कोमल के सिर पर लगा, जिससे मासूम गंभीर घायल हो गई। यह घटना ग्रामीणों को पता चली तो किसी ने कोई मदद नहीं की।
मजदूर पिता रमेश ने उसके इलाज में सारा पैसा खर्च कर दिया। झालावाड़ और कोटा तक के बड़े प्राइवेट अस्पतालों में दिखाया। तंगहाली आ गई, लेकिन बेटी की हालत में कोई सुधार नहीं आया। पिता ने भी रिश्तेदारों-परिचितों और ननिहाल पक्ष से भी कर्जा लेकर मासूम बेटी का इलाज करवाया। चूडिय़ां-नथ सभी जेवर बेच डाले। मां ने आखिरकार ममता की खातिर सुहाग की निशानी मंगलसूत्र तक बेच दिया।
कोमल के सिर पर 25 टांके आए हैं। इलाज करवाते हुए पूरे परिवार पर भारी कर्जा हो गया है। अब उन्हें आर्थिक मदद की दरकार है। कोमल एमबीएस अस्पताल के मेल न्यूरो सर्जिकल वार्ड में बेड नंबर 4 पर भर्ती है। मंगलवार को एमबीएस की कैंटीन ने उन्हें खाना मुहैया करवा दिया। बुधवार को सुबह तो खाना खाया, लेकिन रात को रिंकूबाई अपनी मां नैनीबाई के साथ भूखी ही सोई।