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22 अक्तूबर 2013

दोस्तों एक राज़ की बात

दोस्तों एक राज़ की बात ...आज सुबह मेरे एक पुराने कोंग्रेसी पत्रकार मित्र अदालत में मेरे साथ थे सियासत पर बात हो रही थी ....कोटा में आज कोन बनेगा मुख्यमंत्री ....विषय पर एक टी वी चेनल का टोक शो शाम सात बजे नाका जी के बाग़ में रखा गया था मुझ से जब संवाददाता ने पूंछा के ......कोन बनेगा मुख्यमंत्री ....आप बताओ मेने कहा के भाई राजस्थान के हालात तो त्रिशंकु विधानसभा के है जिस पार्टी के मुखिया में आकर्षण और तीसरे लोगों को साथ लेकर चलने की क्षमता होगी वाही मुख्यमंत्री बनेगा ..इन पत्रकार महोदय ने सीधा जवाब दिया आप किरोड़ी मीणा की बात कर रहे है किरोड़ी मीणा और राजपा तो कोंग्रेस के साथ है मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति का हिस्सा है ...मेने इस बात पर एतराज़ जताया तो इन पत्रकार जी का दुसरा सवाल था अगर ऐसा नहीं है तो किरोड़ी जी मीणा से कहो के सरदार शहर जोधपुर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ अपना मजबूत प्रत्याक्षी उतारे और दुसरे कोटा उत्तर विधानसभा से अपना प्रत्याक्षी उतारे ...और मजबूत प्रत्याक्षी उतारे अगर ऐसा करते है तो हम मान लेंगे के किरोड़ी कांग्रेस और खसका मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के एजेंट नहीं है वरना आप खुद सच समझ जाओगे ..में इस सवाल के जवाब को लेकर में लाजवाब था ....क्योंकि बात सही है किरोड़ी मीणा जी ने आज तक सरदार शहर और कोटा उत्तर से किसी मजबूत प्रत्याक्षी को उतरने की कोई रणनीति नहीं बनाई है .........

मुहर्रम



मुहर्रम अथवा मोहर्रम हिजरी संवत का प्रथम मास है। पैग़म्बर मुहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन एवं उनके साथियों की शहादत की याद में मुहर्रम मनाया जाता है।[1] मुहर्रम एक महीना है जिसमें दस दिन इमाम, हुसैन के शोक में मनाये जाते हैं। इसी महीने में मुसलमानों के आदरणीय पैग़म्बर हज़रत मुहम्मद साहब मुस्तफा सल्लाहों अलैह व आलही वसल्लम ने पवित्र मक्का से पवित्र नगर मदीना में हिज़रत किया था।
इतिहास

रसूल मोहम्मद साहब की वफ़ात के लगभग 50 वर्ष बाद इस्लामी दुनिया में ऐसा घोर अत्याचार का समय आया जबकि सन् 60 हिजरी में हमीद मावीय के पुत्र याज़ीद राज सिंहासन पर बैठे। उन्होंने सिंहासन पर बैठकर मदीना के राज्यपाल वलीद पुत्र अतुवा को फरमान लिखा कि तुम इमाम हुसैन को बुलाकर कहो कि वह मेरी आज्ञाओं का पालन करें और इस्लाम धर्म के सिद्धांतों को ध्यान में न लायें। यदि वह यह फरमान न माने तो इमाम हुसैन का सिर काट कर मेरे पास भेजा जाये। वलीद पुत्र अतुवा (राज्यपाल) ने 25 या 26 रजब सन् 60 हिजरी को रात्रि के समय हज़रत इमाम हुसैन को राजभवन में बुलाया और उनकों यजीद का फरमान सुनाया। इमाम हुसैन जो उस समय क़ुरान शरीफ़ और मोहम्मद साहिब की वीराम के वारिस थे, वह इस बात को कैसे सहन कर सकते थे कि अल्लाह के सिद्धांत और रसूल साहब का फरमान दुनिया से मिट जाये। उन्होंने वलीद से कहा कि मैं एक व्यभिचारी, भ्रष्टाचारी, दुष्ट विचारधारा वाले, अत्याचारी ख़ुदा रसूल को न मानने वाले, यजीद की आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकता। तत्पश्चात इमाम हुसैन साहब मक्का शरीफ़ पहुँचे ताकि हज की पवित्र प्रथा को पूरा कर सकें किंतु वहाँ पर भी इमाम हुसैन साहब को किसी प्रकार चैन नहीं लेने दिया गया। शाम के बादशाह यजीद ने अपने सैनिकों को यात्रियों के भेष में भेजा ताकि वे हुसैन को कत्ल कर सकें।
उमरा

हज़रत इमाम हुसैन को पता चल गया कि यजीद ने गुप्त रूप से सैनिकों को मुझे कत्ल करने के लिए भेजा है। मक्का एक ऐसा पवित्र स्थान है कि जहाँ पर किसी भी प्रकार की हत्या हराम है। यह इस्लाम का एक सिद्धांत है। इसी बात को मद्दे-नज़र रखते हुए कि मक्के में किसी प्रकार का ख़ून-ख़राबा न हो, इमाम हुसैन ने हज की एक उप-प्रथा जिसको इस्लामिक रूप से उमरा कहते हैं, अदा किया हज़रत हुसैन उस बड़े हज को छोटा और अदा करके अपने परिवार सहित इराक की ओर चले गये। यहाँ पर यह व्याख्या करना बहुत आवश्यक है कि इमाम हुसैन ने अपने चचाजाद भाई मुस्लिम को इराक के हाल जानने के लिए अपना दूत बनाकर भेजा था। इसी यात्रा के दौरान इमाम हुसैन को पता चला कि इराक के अत्याचारी राज्यपाल इबनेज्याद ने उस दूत को कत्ल कर दिया। इमाम हुसैन को यह सुनकर बहुत सदमा हुआ। किंतु उन्होंने अपनी यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि इस यात्रा का लक्ष्य केवल मानव धर्म अर्थात इस्लाम की रक्षा करना था।
इमाम हुसैन की कर्बला यात्रा

मुहर्रम मास की 2 तारीख सन् 61 हिजरी को इमाम हुसैन अपने परिवार और मित्रों सहित कर्बला की भूमि पर पहुँचे और 9 तारीख तक यजीद की सेना को इस्लामिक सिद्धांतों को समझाया। उन्होंने कहा, "कि लोगों, मैं हज़रत मोहम्मद साहब का धेवता हूँ। रसूल ने मुझे अपने कन्धों पर बिठाया है। मैं अली का बेटा और बीबी फ़ातिमा का पुत्र हूँ। तुम लोग मेरे कत्ल पर क्यों आमादा हो। इस गुनाह से बाज आ जाओं, इंसान को इंसान समझों, किसी पर अत्याचार न करों क़ुरान शरीफ़ के सिद्धांतों का पालन करों, ख़ुदा से डरो, यह संसार मानवता का संसार है। हर एक के साथ भला करो। और अच्छे-बुरे हर एक मसले में ख़ुदा निर्णायक है जो जैसा कर्म करेगा वह वैसा ही फल पायेगा।"

आसुर की रात

हज़रत इमाम हुसैन की इन बातों का यजीद की फ़ौज पर कोई असर नहीं हुआ क्योंकि वह सब अत्याचार और कपट से अन्धे हो चुके थे। जब वह किसी प्रकार भी नहीं माने तो हज़रत इमाम हुसैन ने कहा कि तुम मुझे एक रात की मोहलत दे दो ताकि मैं उस सर्व शक्तिमान ईश्वर की इबादत कर सकूं। यजीद की फ़ौजों ने किसी प्रकार इमाम हुसैन साहब को एक रात की मोहलत दे दी। उस रात को आसुर की रात कहा जाता है। हज़रत इमाम हुसैन साहब ने उस पूरी रात अपने परिवार वालों तथा साथियों के साथ अल्लाह की इबादत की। मुहर्रम की 10 तारीख को सुबह ही यजीद के सेनापति उमर बिल साद ने यह कहकर एक तीर छोड़ा कि गवाह रहे सबसे पहले तीर मैंने चलाया है। तत्पश्चात लड़ाई आरम्भ हो गई। सुबह नमाज़ से असर तक (लगभग चार-साढ़े चार बजे तक) इमाम हुसैन के सब साथी जंग में मारे गये। इमाम हुसैन मैदान में अकेले रह गये। उन्होंने तीन दिन तक भूखे-प्यासे रहकर आवाज़ लगाई कि मैं रसूल का नवासा कर्बला में आवाज़ दे रहा हूं कि कोई है जो इस्लाम की मदद करे। हज़रत इमाम हुसैन यह कह रहे थे। कि उनमें खेमे में शोर हुआ। इमाम साहब खेमे में गये तो क्या देखा कि उनका 6 महीने का बच्चा अली असगर प्यास से बेहाल है। हज़रत इमाम हुसैन ने ने अपने बच्चे को अपने हाथों में उठा लिया और मैदाने कर्बला में ले आये।

हज़रत इमाम हुसैन साहिब ने यजीद की फ़ौजों से कहा कि बच्चे को थोड़ा-सा पानी पिला दो किंतु यजीद की फ़ौजों की तरफ से एक तीर आया और बच्चे के गले पर लगा और बच्चे ने बाप के हाथों में तड़प कर दम तोड़ दिया। तत्पश्चात हज़रत इमाम हुसैन पर जो ज़ुल्म हुआ उसका किसी प्रकार भी शब्दों में वर्णन नहीं हो सकता। उन्होंने तीन दिन से भूखे-प्यासे हज़रत इमाम हुसैन साहब को कत्ल कर दिया। उनको कत्ल करने के बाद उनके खेमे में आग लगा दी और हज़रत इमाम हुसैन के परिवार वालों तथा बच्चों को कैदी बना लिया। फिर उनकों इराक के राज्यपाल इब्नेजाद के पास ले जाया गया। दुष्ट, भष्ट और नास्तिक इब्नेजाद ने इस क़ाफिले को शाम के बादशाह यजीद के पास भेज दिया।
बादशाह यजीद

बादशाह यजीद जो इस्लाम का दुश्मन था और हज़रत मोहम्मद साहब का मजाक उड़ाता था वह इस क़ाफिले को इस हालत में देखकर बहुत खुश हुआ, किंतु कुछ दिनों के बाद ही अत्याचारी यजीद की बादशाहत खत्म हो गई और वह बुरी मौत मरा। हज़रत इनाम हुसैन ने इस्लाम पर तथा मानवता पर अपनी जान कुर्बान की जो अमर है। हुसैन साहब पर जुल्म करने वाले कोई गैर नहीं थे बल्कि वही थे जो अपने आपको मुसलमान समझते थे। इस्लाम आज भी ज़िंदा है, क़ुरान शरीफ़ आज भी बाकी है, रोजा, नुपाश अब भी ऐसी ही है और आगे भी रहेंगे। यह सब कुछ हुसैन साहब की कमाई है।

--
akhtar khan akela

धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र..... कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -

अब कुछ ज्ञान की बात हो जाए ... तो पढिए और
बताइए कैसी लगी आपको ये जानकारी .....
पाँच पाण्डव तथा सौ कौरवों के नाम ये थे :--
पाण्डव पाँच भाई थे जिनके नाम हैं -
1. युधिष्ठिर
2. भीम
3. अर्जुन
4. नकुल
5. सहदेव
( इन पांचों के अलावा , महाबली कर्ण भी कुंती के
ही पुत्र थे , परन्तु उनकी गिनती पांडवों में
नहीं की जाती है )
यहाँ ध्यान रखें कि... पाण्डु के उपरोक्त
पाँचों पुत्रों में से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन
की माता कुन्ती थीं ......तथा , नकुल और सहदेव
की माता माद्री थी ।
वहीँ .... धृतराष्ट्र और गांधारी के सौ पुत्र.....
कौरव कहलाए जिनके नाम हैं -
1. दुर्योधन
2. दुःशासन
3. दुःसह
4. दुःशल
5. जलसंघ
6. सम
7. सह
8. विंद
9. अनुविंद
10. दुर्धर्ष
11. सुबाहु
12. दुषप्रधर्षण
13. दुर्मर्षण
14. दुर्मुख
15. दुष्कर्ण
16. विकर्ण
17. शल
18. सत्वान
19. सुलोचन
20. चित्र
21. उपचित्र
22. चित्राक्ष
23. चारुचित्र
24. शरासन
25. दुर्मद
26. दुर्विगाह
27. विवित्सु
28. विकटानन्द
29. ऊर्णनाभ
30. सुनाभ
31. नन्द
32. उपनन्द
33. चित्रबाण
34. चित्रवर्मा
35. सुवर्मा
36. दुर्विमोचन
37. अयोबाहु
38. महाबाहु
39. चित्रांग
40. चित्रकुण्डल
41. भीमवेग
42. भीमबल
43. बालाकि
44. बलवर्धन
45. उग्रायुध
46. सुषेण
47. कुण्डधर
48. महोदर
49. चित्रायुध
50. निषंगी
51. पाशी
52. वृन्दारक
53. दृढ़वर्मा
54. दृढ़क्षत्र
55. सोमकीर्ति
56. अनूदर
57. दढ़संघ
58. जरासंघ
59. सत्यसंघ
60. सद्सुवाक
61. उग्रश्रवा
62. उग्रसेन
63. सेनानी
64. दुष्पराजय
65. अपराजित
66. कुण्डशायी
67. विशालाक्ष
68. दुराधर
69. दृढ़हस्त
70. सुहस्त
71. वातवेग
72. सुवर्च
73. आदित्यकेतु
74. बह्वाशी
75. नागदत्त
76. उग्रशायी
77. कवचि
78. क्रथन
79. कुण्डी
80. भीमविक्र
81. धनुर्धर
82. वीरबाहु
83. अलोलुप
84. अभय
85. दृढ़कर्मा
86. दृढ़रथाश्रय
87. अनाधृष्य
88. कुण्डभेदी
89. विरवि
90. चित्रकुण्डल
91. प्रधम
92. अमाप्रमाथि
93. दीर्घरोमा
94. सुवीर्यवान
95. दीर्घबाहु
96. सुजात
97. कनकध्वज
98. कुण्डाशी
99. विरज
100. युयुत्सु
( इन 100 भाइयों के अलावा कौरवों की एक बहन
भी थी... जिसका नाम ""दुशाला"" था,
जिसका विवाह "जयद्रथ" से हुआ था..

इस बार समाज इनको किसी भी कीमत पर वोट नहीं देगा।

दोस्तों इस को पूरा पड़े एंव अधिक से अधिक पोस्ट करके फेलायें। यह काम सभी खास करके मुस्लिम भाइयों का हे देखते हें की कितने जागरूक मुस्लिम समाज के लोग फेसबुक को यूज़ करते हें
राहुल गाँधी जी के नाम एक खुला पत्र
जनाब राहुल गाँधी जी
उपाध्यक्ष अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी नई दिल्ली
विषय :- राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनावं में उचित भागेदारी दी
जावे एंव मुस्लिम बहुल्लय सीटों पर और किसी समाज के कांग्रेस नेताओं को
टिकट ना दिया जावे।
महोदय ,
राजस्थान में आने वाले 1 दिसंबर 2013 को विधान सभा का
चुनावं होना हे इन चुनावों में इन चुनावों में मुस्लिम समाज आप से इंसाफ
की उम्मीद करता हे और अपना हक मांगता हे मुस्लिम समाज को आप पर पूरा
भरोसा हे की आप समाज को इंसाफ देंगे और निराश नहीं करेंगे। राजस्थान में
25 सीटें ऐसी हे जहाँ पर 32000 हज़ार वोट से अधिक मुस्लिम समाज के हें
इन सीटों में से 13 पर दुसरे समाज के कांग्रेस के नेता 2008 में
कांग्रेस के टिकट पर चुनावं लड़े थे और यह वोह नेता हे जो की समाज कि
उपेक्षा भी करते हें इन नेताओं से मुस्लिम समाज खुश नहीं हे इस बार समाज
इनको किसी भी कीमत पर वोट नहीं देगा।
आज के माहोल को देखते हुए राजस्थान में सरकार बनाना कांग्रेस के लिए बहुत
मुश्किल हे जिस की ख़ास वजह मुस्लिम समाज बनेगा। अगर राजस्थान में आप को
कांग्रेस की सरकार बनाना हे तो आप का कर्नाटक फार्मूला अपनाना पड़ेगा और
मुस्लिम समाज को कम से कम 25 सीटें विधान सभा टिकट की देनी पड़ेगी
इन २५ सीटों का विवरण लिख रहा हूँ जो 13 सीटें यह हे जहाँ पर दुसरे समाज के
लोग को 2008 में कांग्रेस पार्टी ने टिकट दिया था ......................................
(1)शान्ति कुमार धारीवाल कोटा उत्तर मुस्लिम वोट 64413 (2) श्रीमती सुनीता जेसलमेर मुस्लिम वोट 47536 (3) राजेन्द्र पारिक सीकर मुस्लिम वोट 44572 (4)
हिरेन्द्र मिर्धा नागोर मुस्लिम वोट 44365 (5) ब्रज किशोर शर्मा हवा महल मुस्लिम वोट 42320 (6) तिरलोक पुरबिया उदयपुर मुस्लिम वोट 38168 (7) बजेन्द्र सिंह ओला झुंझुनूं मुस्लिम वोट 38114 (8) नरेंद्र शर्मा अलवर शहर मुस्लिम वोट 37714 (9) जुगल काबरा जोधपुर शहर मुस्लिम वोट 37687 (10) अतर सिंह बढाना नगर मुस्लिम वोट 35838 (11) उम्मीद सिंह राठोड़ शेरगढ़ जोधपुर मुस्लिम वोट 35704 (12) मेवाराम जेन बाड़मेर मुस्लिम वोट 32978 (13) डा. बी डी कल्ला बीकानेर वेस्ट मुस्लिम वोट 32801 ...................................................
इनके अलावा 2008 में इन विधानसभा सीटों से मुस्लिम कांग्रेस के टिकट पर
चुनावं जीते हे जो 8 हे (1) कामां मुस्लिम वोट 76642 (2) शिव मुस्लिम
वोट 68567 (3) फतहपुर मुस्लिम वोट 48547 (4) मकराना मुस्लिम वोट 47286
(5) टोंक मुस्लिम वोट 41642 (6) चुरू मुस्लिम वोट 40514 (7) तिजारा
मुस्लिम वोट 40170 (8) स. माधोपुर मुस्लिम वोट 32973 . एंव दो
सीटे ऐसी हे जहाँ मुस्लिम समाज कीसंख्या कम हे पर मुस्लिम उम्मीदवार
चुनावं जीते हें (1)पुष्कर अजमेर एंव (2) पोकरण जैसलमेर व चार सीटें ऐसी
हे जहाँ पर मुस्लिम वोट अधिक होते हुए भी मुस्लिम उम्मीदवार कांग्रेस के
टिकट पर चुनावं लडे पर हार गए इस की वजह यह पाई गई की टिकट के बंटवारे
में सही उम्मीदवार का चयन ठीक नहीं हुआ जेसे (1) अश्क अली टांक किशन पोल
जयपुर (2) आदर्श नगर जयपुर से माहिर आज़ाद (3) सूर सागर जोधपुर से सईद
अंसारी (4) रामगढ़ अलवर से जुबेर खान
इस तरह टोटल सीटों की संख्या 13+8+2+4 = 27 हे इन मुस्लिम बहुल्लय सीटों
पर मेरा आप से विन्रम आग्रह हे कि टिकटों का सही बंटवारा करते हुए सही
मुस्लिम उम्मीदवार का चयन करके कांग्रेस पार्टी का टिकट दिया जाये ताकि
मुस्लिम समाज की नाराज़गी दूर हो सके एंव कांग्रेस पार्टी के पक्ष में
वोट करें।
अगर इस पर विचार नहीं किया गया एंव मुस्लिम समाज की उपेक्षा की गई तो
किसी भी कीमत पर किसी भी लोलीपोप के बहकावे में मुस्लिम समाज नहीं आएगा
चाहे वोट नहीं देगा पर कांग्रेस को वोट नहीं देगा और इसकी संख्या कम से
कम 50 से 60 पर्तिशत की हे और मुस्लिम समाज ने वोट का बहिष्कार कर दिया
या वोट देने नहीं गया तो अच्छी तरह समझ लेना चाहिए की राजस्थान में
कांग्रेस की सरकार नहीं बन सकती हे ....ABDUL RASHEED QADRI KOTA

खुदा का शुक्र है के उत्तेजित कार्यकर्ताओं में आपसी खुनी संघर्ष होने से बच गया

दोस्तों आज कोटा में आनंद बाज़ार पत्रिका यानी ऐ बी पी न्यूज़ चेनल की तरह से कोण बनेगा मुख्यमंत्री विषय पर चर्चा थी लेकिन ...जो हालात वहा दिखे वोह या तो मेच फिक्सिंग के हालात थे या किसी नोसिखिये का प्रबंधन था जिसने इस बहतरीन प्रोग्राम का जनाज़ा निकाल दिया ..खुदा का शुक्र है के उत्तेजित कार्यकर्ताओं में आपसी खुनी संघर्ष होने से बच गया ......अजीब मंज़र अजीब नजारा कोंग्रेस और भाजपा के कार्यकर्ता जिंदाबाद और मुर्दाबाद के नारे लगा रहे थे ...बुलंद नारों से हम अगर कोन बनेगा मुख्यमंत्री का अर्थ लगाये तो कोटा के शान्तिधारिवाल राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री होंगे ....कार्यक्रम में जेसे है सडकों की बदहाली ..सड़क दुर्घटनाओं सहित कुछ मुद्दे उठे तो बस फिर तो धारीवाल समर्थक लोगों ने जिंदाबाद ..हाडोती का एक ही लाल धारीवाल धारीवाल ..के नारे बुलंद कर दिए ....कोंग्रेस की तरफ से नगर विकास न्यास के अध्यक्ष रविन्द्र त्यागी पैरोकार थे जबकि भाजपा की तरफ से ओम बिरला विधायक कोटा दक्षिण पेरवी करने आये थे ..लेकिन शोर शराबे और अव्यवस्था को भेंट छाडे इस कार्यक्रम में कार्यकर्ता आमने सामने थे और ओम बिरला को गिनती के कार्यकर्ताओं ने सुरक्षा के घेरे में ले रखा था ...अजीब बात थी मुद्दे उठाने की बात थी मुद्दे नहीं उठे ..सवाल नहीं उठे ..अनुत्तरित सवालों के जवाब नहीं मिले और कार्यक्रम टाँय टाँय फीस्स ..शायद आन्नद बाज़ार पत्रिका के और प्रबंधन का यह बालबुद्धि वाला पहला और आखरी कार्यक्रम होगा जो तमाशा बन गया ..कोई कहता था मेच फिक्सिंग है ..कोई कहता था जानबूझ कर सार्वजनिक स्थान पर कोंग्रेस भाजपा सम्मेलन की तरह से यह कार्यकर्ता सम्मेलन स्टाइल का कार्यक्रम रखा ...लेकिन सब्जी मंडी की आडट की दूकान की तरह का माहोल था और शहर के गिनती के लोग जो इंटेलेक्चुअल निष्पक्ष बुद्धिजीवी थे वोह इस तमाशे को देख ऐ बी पी के चेनल प्रबंधकों की बुद्धि पर तरस खा रहे थे ..लेकिन इस कार्यक्रम में पहुंचे कोंग्रेस और खासकर राजस्थान सरकार के मंत्री शांति कुमार धारीवाल के समर्थकों ने धारीवाल को जिंदाबाद कर यह साबित कर दिया के के मुख्यमंत्री कोई और नहीं शान्ति कुमार धारीवाल ही बनेंगे और कोण बनेगा सवाल का एक ही जवाब रहा शान्ति धारीवाल शान्ति धारीवाल ...........

बताओ नरेंदर मोदी को क्यूँ दोष देते हो वोह तो कमसेकम ऐसा नहीं करता

दोस्तों आज टी वी चेनल ऐ बी पी यानी आनंद बाज़ार पत्रिका चेनल का कोटा में कोन बनेगा मुख्यमंत्री मामले को लेकर सीधा प्रसारण था ...सभी कोंग्रेसी भाजपाई और निष्पक्ष लोग मोजूद थे .....कार्यक्रम में अल्पसंख्यक के कुछ लोग चर्चा कर रहे थे के वसुधरा तो ठीक है लेकिन नरेंदर मोदी के आने की वजह से मुसलमान अब भाजपा को नहीं कोंग्रेस को ही वोट देंगे ..इसी बीच एक भाजपा के नेता ने सलाहियत से एक सवाल उछाला और पूंछा भाई एक बात बताओ .............राजस्थान में गोपालगढ़ में जो नरसंहार हुआ ....मदरसा बोर्ड में मुसलमानों की जगह जो गेर मुस्लिमों की नियुक्तिया हुई ...मदरसों को विकसित नहीं किया गया ......मुसलमानों के कल्याण के लिए आया बजट वापस बिना उपयोग के चला गया ..मुसलमानों के कल्याण के लिए अल्पसंख्यक कल्याण म्न्त्राल्ये में भ्रष्टाचार और लापरवाही मनमानी होती ..आज की तरह कर्मचारियों की नियुक्तिया नहीं होती ....पन्द्रह सूत्रीय कार्यक्रम की क्रियानाविती बैठकों में अधिकारी सांसद नहीं जाते कार्यक्रम की इसी तरह उपेक्षा होती .....सरवाड़ अजमेर में कुरान की आयतों की बेहुरमती होती .टोंक की मस्जिद में पुलिस घुसकर आदमी मार देती .....कोटा के मंडावरा में सरपंच के साथ जो दुर्व्यवहार और फिर उसकी गिरफ्तारी हुई और बाद उन्हें पद से हटा दिया है ऐसा होता ....वक्फ कमेटियों में रूपये लेकर कमेटियां बनाई जाती ..मस्जिदें बेचीं जाती ..अतिक्रमण कारियों से साठगांठ होती ..उर्दू विषय स्कूलों में बंद किये जाते ..पैरा टीचर्स क्म्प्य्हुतर पेरातिचर्स उर्दू टीचर्स नियुक्त नहीं होते ..उर्दू बर्बाद होती .....हाजियों को परेशानी होती .....निर्दोशो मुसलमानों को जेल में बंद किया जाता ..बेरोजगारों को रोज़गार नहीं दिया जाता ..मुस्लिम बस्तियों की बदहाली होती और अगर इन सब हालातों में जो अभी चल रहे है अगर अशोक गहलोत की जगह नरेंदर मोदी मुख्यमंत्री होते तो मुसलमानों की क्या प्रतिक्रिया होती ..उसका सवाल था यह सब कोंग्रेस के शासन में इस नेत्रत्व में हुआ है तो बताओ नरेंदर मोदी को क्यूँ दोष देते हो वोह तो कमसेकम ऐसा नहीं करता ..उसका सवाल था फिर भी तुम क्या जनाब ..इसी बिच जिंदाबाद मुर्दाबाद का हां हुल्लड़ शुरू हुआ और मुझ सहित दुसरे लोग जो यह सब सुन रहे थे इस सवाल का जवाब देने बच गए ..वेसे भी सही मायनों में इन सवालों का जवाब हमारे पास था भी नहीं इसलिए हम हंगामे के शुक्रगुजार है जो इस सवाल के आगे हमे लाजवाब होने से बचा लिया तो जनाब हंगामाइयों का एक बार फिर शुक्रिया ........

कहाँ हो तुम ऐ मेरे सुकून

कहाँ हो तुम
ऐ मेरे सुकून
ऐ मेरे चेन
खाना हो तुम
एम मेरे लोकतंत्र
ऐ मेरी स्वंतत्रता
कहाँ हो तुम
ऐ मेरे इन्साफ
ऐ मेरी इंसानियत
ऐ मेरी इमानदारी
कहा हो तुम
ऐ मेरे जोश
ऐ मेरे बुराई से लड़ने का आक्रोश
ऐ मेरे राम राज्य
ऐ मेरी धर्म परायणता
कहा हो तुम
ऐ मेरी निष्पक्षता
ऐ मेरे साहस
ऐ मेरी साफ़ गोई
ऐ मेरी निडरता
ऐ मेरी निर्भीकता
कहा हो तुम कहा हो तुम
बहुत हुआ
चपड चपड ना कर
में तेरे देश में
तेरे भारत महान में हूँ
तलाश कर बुराइयां नेतओं में
बुराइयां धर्मगुरुओं में है
तो कामचोरी
काहिली
नाकारापन
डर और खोफ
तुझ में है तुझ में है
तुझ में है .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

41 मानव बम तैयार, वीआईपी और चुनावी सभा में कर सकते हैं विस्फोट


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रायपुर. बस्तर में चुनावी सभाओं या वीआईपी के दौरों के लिए नक्सलियों ने मानव बम का बड़ा खतरा पैदा कर दिया है। दिल्ली से इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) ने अलर्ट किया है कि श्रीलंका से खत्म हो चुके लिट्टे (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) की मदद से नक्सलियों ने 41 मानव बम तैयार किए हैं।
इन्हें केरल और आंध्रप्रदेश के जंगलों में ट्रेनिंग दी गई है। इनके जरिए नक्सली बस्तर में चुनावी सभाओं अथवा वीआईपी को निशाना बनाने की साजिश रच सकते हैं। आईबी ने यह अलर्ट भी दिया है कि नक्सलियों ने इसकी रेकी भी शुरू कर दी है।
इस अलर्ट ने छत्तीसगढ़ पुलिस को भी चौकन्ना कर दिया है। राज्य की एसआईबी और अन्य खुफिया इकाइयों को बस्तर में नक्सल गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। झीरम घाटी हमले की वजह से आईबी के इस अलर्ट को और गंभीरता से लिया गया है।
सूत्रों ने बताया कि चुनावी सभाओं पर ही खतरा सर्वाधिक है, क्योंकि नक्सली चुनाव बहिष्कार की घोषणा कर चुके हैं। हफ्तेभर से छिटपुट वारदातें भी शुरू हो गई हैं

कुरान का सन्देश

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