आपका-अख्तर खान

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12 नवंबर 2013

दोस्तों आपसे मिलिए आप है भरत सिंह ..राजस्थान में कोंग्रेस से सांगोद विधानसभा से विधायक है और सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री है ...आप राजस्थान में घोषित और स्वीकृत एक मात्र ईमानदार मंत्री है


दोस्तों आपसे मिलिए आप है भरत सिंह ..राजस्थान में कोंग्रेस से सांगोद विधानसभा से विधायक है और सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री है ...आप राजस्थान में घोषित और स्वीकृत एक मात्र ईमानदार मंत्री है .......भरत सिंह के बारे में सब जानते है के भरत सिंह ने अपने मंत्रालय ..कार्यकर्ताओं के लिए भरत सिंह ने अपने मंत्रालय में ईमानदारी से काम करने कि कोशिश कि है चाहे पंचायत मंत्रालय हो चाहे पर्यावरण मंत्रालय हो चाहे सार्वजनिक निर्माण मंत्रालय हो सभी में सांगोद के विकासे के लिए काम हुआ है यहाँ पैसठ साल में सांगोद बदल गया है सांगोद के लोगों कि बल्ले बल्ले है सांगोद के गाँव में विकास है सड़कों का जाल है तो सांगोद केलोगों में विकास कि ख़ुशी है .........कार्यकर्ताओं के लिए सीधे मुलाक़ात का दौर रहा जो काम होना है वोह तुरंत हुआ जो काम नहीं हो सकता था उसका रास्ता निकालने कि कोशिश कि गयी और नहीं हो सका तो सफा इंकार कर दिया गया साफ़ गोई से कार्यकर्ता खुश नज़र आये और इसीलिए कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का प्यार उमड़ रहा है भरत सिंह ने सांगोद के गाँव में एनीकट बनवाकर चारो तरफ किसानों के खेतों में सिंचाई के लिए पानी ही पानी कर दिया ...खाद बीज ..सड़कों का जाल ...डिस्पेंसरी ..स्कूल ...खरंजे ....पंचायत भवन ....स्थानीय जनता के लिए हर ज़रूरत उपलब्ध कराना इनकी प्राथमिकता रही है और इसीलिए आज भरत सिंह स्थानीय जनता के चहेते जनता के लाडले हो गए है और जनता कि एक ही पुकार है के एक बार फिर भरत सिंह भरत सिंह को लाया जाए ताकि सांगोद कि और कायाकल्प हो सके सांगोद राजस्थान कि एक विकसित आदर्श विधानसभ बन सके .................जनता में उत्साह है प्यार है .... उनके समर्थकों की कमी नहीं है .....भरत सिंह राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री जुझार सिंह के पुत्र है जुझार सिंह पहले भारतीय जनसंघ से विधायक थे फिर कोंग्रेस में शामिल हुए कोंग्रेस के विधायक बने और मंत्री बन गए .....भरत सिंह प्रारम्भ से ही ज़िद्दी हो साहसी रहे है कभी शिकार करने वाले भरत सिंह के दिल में पर्यावरण प्रेम जागा तो फिर भरत सिंह वन्य जीव और पर्यारवरण प्रेमी ही नहीं बल्कि रक्षक हो गए .....भरत सिंह ने पहले सांगोद से निर्दलीय चुनाव लड़ा फिर जनता दल से चुनाव लड़ा इसके बाद भरत सिंह कोंग्रेस में शामिल हो गए जो झालावाड़ ज़िले के ज़िला अध्यक्ष रहे वहाँ से विधायक बने फिर वसुंधरा सिंधिया के खिलाफ सांसद का चुनाव लड़ा अब भरत सिंह जी सांगोद से फिर से अपनी क़िस्मत आज़मा रहे है .इनके चुनाव का भी दिलचस्प क़िस्सा है यह समझोता वादी नहीं है ...ईमानदार है इसलिए कड़वे तो है इन्होने सीधे कुछ मुद्दे पर शांतिधारीवाल से खुला पंगा लिया देहात कोंग्रेस में मनमानी भरत सिंह के बर्दाश्त के बाहर रही और इन्होने खुले रूप में कोंग्रेस कि बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने देहात कोंग्रेस पर गम्भीर आरोप लगाये .....वाद विवाद में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने कि घोषणा कि ...सभी सोचते थे के इस बार भरत सिंह नाम का ईमानदार और मज़बूत काँटा सियासत से निकल गया है लेकिन बिना टिकिट मांगे उन्हें कोंग्रेस ने टिकिट दिया ........भरत सिंह टिकिट मिलते ही शोबाज़ नहीं बने उनका स्वागत सत्कार उन्होंने नहीं करवाया और खुद के गाँव कुंदनपुर से सांगोद में पदयात्रा करते हुए आकर नामांकन भरने कि घोषणा कर दी .कोई रेली नहीं ..कोई झंडे बेनर नहीं ...कोई प्रचार प्रसार नहीं ..कोई मनुहार नहीं ..कोई सौदेबाज़ी कार्यकर्ताओं कि खरीद फरोख्त नहीं ..कोई लिफ़ाफ़े वितरण नही बस कल नामांकन भरने अकेले घर से निकले उनके साथ एक फिर दो फिर तीन जुड़े और फिर जब वोह सांगोद पहुंचे तो पन्द्राह किलोमीटर की इस पदयात्रा में भरत सिंह के साथ क़रीब सत्राह अठ्ठारह हज़ार पदयात्रियों का हुजूम जो सभी इनकी विधानसभा क्षेत्र के इनकी गलियों मुहल्लों के थे जो खुद ब खुद अपने घरों से निकला कर इनका साथ चुनाव में बिना इसी प्रतिफल के निकल पढ़े ......सुल्तानपुर के उप प्रधान रईस खान बताते है के भरत सिंह का भाषण मार्मिक और दिल कि गहराइयों को छूने वाला था उनके भाषण में सियासत नहीं स्थानीय लोगों के साथ हमदर्दी थी प्यार था मोहब्बत थी अपनापन था ...भीड़ से भरत सिंह ने निवेदन किया के में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन पार्टी नेपार्टी ने स्थानीय जनताकी मांग पर हुक्म दिया है तो मेने नामांकन भरा है लेकिन मेरे पास झंडे बेनर पोस्टर नहीं है गाड़िया नहीं है खर्चा नहीं है यह चुनाव मेरा नहीं यह चुनाव आपका है आप जाने आपका काम जाने उन्होंने अपील कि महरबानी करके झंडे बेनर का चुनाव ना लड़े पोस्टर बनाकर मुझे दीवारों पर ना टाँके मुझे अपने दिलों में रखे आप भी मेरे दिल में है .....भरत सिंह ने कहा के मेरी यह आखरी रेली है में हारूंगा तो तुम हारोगे और जीतूंगा तो तुम जीतोगे उनके इस भावुक अंदाज़ को सांगोद के मतदाता अपने दिलों कि गहराई में उतार चुके थे और हज़ारो हज़ार कि स्तानीय भीड़ दिल ही दिल में एक बार फिर भरत सिंह को जिताने का संकल्प लेते नज़र आये ....जिस भरत सिंह के लिए उनके अपने कार्यकर्ता असंतुष्ट होकर कहते है के उहोने कार्यकर्ताओ के इए कुछ नहीं किया वाही कार्यकर्ता व्ही जनता उनकी ईमानदारी ..साफ गोई और वक़त कि पाबंदी मिजाज़ में सादगी ..प्यार मोहब्बत के आगे पिघल कर मोम बन गया और भरत सिंह ज़िंदाबाद भरत सिंह ज़िंदाबाद करते हुए उन्हें अधिकतम वोटों से जिताने के संकल्प के साथ बिना किसी लालच बिना किसी प्रतिफल के उन्हें जिताने के लिए चुनाव प्रचार में जुट गया ..यह जादू है या चमत्कार पता नहीं लेकिन कहते है के ईमानदारी सभी बुराइयों पर हावी होती है और भरत सिंह भारत भी है तो सिंह यानि दहाड़ने वाले जंगल के राजा शेर भी है वोह सर्कस के या फिर चिडियाघर के शेर नहीं सचमुच के शेर है लेकिन निर्मल सरल और सभी को जीतने वाले भी है इसीलिए तो आज उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग भरत सिंह ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद कह रहे है ....................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

दोस्तों इन चुनाव में समाज की एकजुटता का रोना खूब रोना गया है .

दोस्तों इन चुनाव में समाज की एकजुटता का रोना खूब रोना गया है .......मीणा ..गुर्जर ..जाट ..के लिए तो कहावत है के यह लोग अपना वोट और रिश्ता किसी पराये को नहीं देते है ...लेकिन दूसरे समाज बिखरे हुए है बटे हुए है ....अब इन समाजों से सीख लेकर मुस्लिम ...ब्राह्मण भी एक जुट होने की नाकाम कोशिशों में लगे है ..........मुसलमान एक जुट होने के लिए राजयभर में सम्मेलन करा चुका है लेकिन गोपालगढ़ हो ...सूरवाल फूलमोहम्मद हो ..स्वाद में क़ुरान कि बेहुरमती हो .टोंक में मस्जिद में घुसकर हत्या हो ..गोपालगढ़ हो ...सांगानेर हो ...वक़फ़ द्वारा मस्जिद बेचने का मामला हो .मदरसा बोर्ड में मुस्लिमों का हक़ गेर मुस्लिमों को देकर नियुक्ति देना का मामला हो ....फ़र्ज़ी मुक़दमों कि कहानी हो .पुलिस ज़ुल्म हो .....अल्पसंख्यक मंत्रालय के साथ खुला भेदभाव हो मुस्लिम कल्याण का  लगातार बिना उपयोग के वापस भेजने का मामला हो . सियासत में उपेक्षा का मामला हो ..टिकिटों में तिरस्कार और परसात पर्यन्त पदों पर नियुक्ति में केवल मुस्लिम कि नियुक्ति ही जहां मजबूरी हो उसके अलावा कही दूसरे पदो पर नियुक्त कि उपेक्षा हो सब कुछ जानकर भी मुसलमान सब्र के साथ मोदी का दर दिखाए जाने पर इस आधुनिक मोदी कि सरकार के समर्थन में है और कोंग्रेस से चिपका बेठा है ..इधर ब्राह्मण समाज भी सभी पार्टियों से उपेक्षा के कारण नाराज़ है ........हाल ही में कोटा में बैठक हुई नतीजा नहीं निकला एक जुट नहीं हो सके .............चर्चा दो लोगों में हो रही थी एक ब्राहम्ण था एक मुस्लिम मुस्लिम का कहना था के भाई हम मुसलमानो के पास कोंग्रेस या भाजपा में संगठन के मुख्य पद नहीं ..नगर विकास न्यास या फिर किसी बढ़े आयोग बढ़े बोर्ड के चेयरमेन पद नहीं ...ख़ास मंत्रालय नहीं अनुपात के आधार पर राजनितिक भागीदारी नहीं टिकिट नहीं पद नहीं .......बाईस प्रतिशत होने पर भी ऐसी सियासी उपेक्षा फिर भी हम कोंग्रेस के खिलाफ या कोंग्रेस में हमारे नेताओ द्वारा बनाये गए आकाओं के खिलाफ कोई कुछ कहता है तो अल्ला रसूल को भुलाकर आपस में लड़ने लगते है एक दूसरे के खून के प्यासे और सुन्नी ...जमाटी तब्लीगी में खुद को बांटने लगते है .लेकिन दूसरी तरफ आप है जिसका कोटा में कोंग्रेस का ज़िला अध्यक्ष ब्राह्मण ...भाजपा का ज़िला अध्यक्ष ब्राह्मण कई पूर्व मंत्री ...पूर्व महापौर ..ज़िलाप्रमुख ब्राह्मण ....पार्टी पदाधिकारी ब्राह्मण ..नगर विकास न्यास के अध्यक्ष पूर्व और वर्मान ब्राह्मण ...उप महापौर ब्राह्मण सर्वत्र ब्राह्मण है फिर भी असंतोष क्यूँ उनका कहना था के भाई आप लोग लकीर के फ़क़ीर हो सियासत नहीं समझते सिर्फ गुलामी ही गुलामी करते हो नेता को आँख नहीं दिखाते इसलिए तुम्हारा हाल है शासन करना हमे आता है इसलिए हम अपनी हिकमत से शासन कर रहे है और हमारी उपेक्षा हुई तो हम सियासत को जाम करने और पार्टियों को झुकाने कि हिम्मत रखे है हमने तो कोंग्रेस भाजपा के सभी ब्राह्मणों को एक मंच पर लाकर चिंतन मंथन कर लिया हिअ तुम्हारी कॉम में तो इतनी सलाहियत भी नहीं के दलगत सियासत कोंग्रेस भाजपा से ऊपर उठ कर समाज के बारे में गेर सियासी मंच पर एकत्रित होकर चिंतन मंथन कर सको ...बात का अंदाज़ कुछ भी रहा हो लेकिन बात दिल को छूने वाली थी ...मेने देखा तो कोंग्रेस हो या भाजपा वहाँ कोई मुसलमान सा नज़र नहीं आया सिर्फ गुलाम गुलाम गुलाम ही नज़र आये ..............अख्तर

शहंशाह बनकर जेल का मजा लेना चाहते थे आसाराम, भक्‍तों के सामने खुल कर जताई थी ख्‍वाहिश



नई दिल्‍ली. बलात्‍कार के आरोप में इन दिनों जोधपुर जेल में बंद विवादित कथावाचक आसाराम की तिहाड़ जेल जाने की दिली इच्‍छा थी। आसाराम ने एक प्रवचन के दौरान अपने भक्‍तों के सामने ऐसी ख्‍वाहिश जताई थी। इसमें आसाराम ने एक शहंशाह की तरह तिहाड़ जेल में कुछ दिन बिताने की इच्‍छा जाहिर की थी। आसाराम ने शेखी बघारने के अंदाज में सरकार पर उन्‍हें जेल भेजने की साजिश रचने का भी आरोप लगाया था। इस प्रवचन का वीडियो इन दिनों लोगों के बीच खूब शेयर किया जा रहा है।  
वीडियो के मुताबिक आसाराम कहते हैं कि उन्‍होंने जेल जाने का संकल्‍प किया है और भगवान उनका संकल्‍प देर-सबेर जरूर पूरा करेंगे। आसाराम कहते हैं, 'मुझे तिहाड़ जेल में जाने का संकल्‍प हो रहा है। सच बोल रहा हूं। क्‍या पता किस निमित्‍त जाऊंगा। ऐसे ही जाऊं नहीं तो सरकार महीने-दो महीने में ऐसी कोई योजना कर दे कि तिहाड़ में रहने दे।'
आसाराम यह भी दावा करते हैं कि अगर वो तिहाड़ गए तो पूरी जेल को बदल देंगे। वीडियो में आसाराम प्रवचन के दौरान भक्‍तों से कहते हैं, 'जरा पता करना कि दिल्‍ली में तिहाड़ के कैदियों के लिए दो-पांच दिन...दिल्‍ली वाले भी सुन रहे होंगे।' तभी भक्‍तों की तरफ से एक स्‍वर में आवाज आती है 'नहीं...' तो आसाराम पूछते हैं 'तिहाड़ नहीं जाऊं, तो साबरमती में?' इस बीच, भक्‍तों की बात सुनकर वह कुछ देर के लिए रुकते हैं। भक्‍तों की तरफ से आवाज आती है 'नहीं..नहीं'। इस पर आसाराम अपने भक्‍तों से पूछते हैं, 'साबरमती में जाऊं? मेरा मन कर रहा है जेल जाने का। नानक जी दो बार जाकर आए तो हम भी मजा ले लें (हंसते हुए)। मेरा भी मन कर रहा है जेल का मजा लेने का।' फिर आवाज आती है 'नहीं...', तो आसाराम पूछते हैं, 'अच्‍छा तो कहां, अमेरिका में...' इस बार भी आवाज आती है, 'नहीं...' 
तो आसाराम कहते हैं, 'कहीं नहीं? जेल में नहीं? अरे जेल में बंद लोगों को निकालना भी तो है..।'
आसाराम एक घटना का जिक्र करते हुए कहते हैं कि वो दिल्‍ली स्थित तिहाड़ जेल का नजारा भी ले चुके हैं। वो कहते हैं, 'मैंने तिहाड़ के ऊपर से हेलीकॉप्‍टर भी घुमवाया है। मैंने देखा कि कैसा है तिहाड़ जेल। बाहर से तो चहारदीवारी है, लेकिन ऊपर से देखने पर कौन रोकेगा। मैंने पायलट को बोला जरा राउंड ले लेना। उसने कहा कि बापू यह तिहाड़ जेल है। मैंने कहा जरा ले जाना उधर। कभी तिहाड़ जाने का सोच रहा था, लेकिन कैसे जाऊं।'
भक्‍तों से मुखातिब आसाराम कहते हैं, 'अरे, कैदी की तरह नहीं जाऊंगा, शहंशाह की तरह जाऊंगा।' बापू के इतना कहते ही भक्‍तों की तरफ से तालियों की गड़गड़ाहट गूंजती है। आसाराम आगे कहते हैं, 'गुनहगार होकर क्‍या जाना। गुनहगारों को बेगुनाह बनाने के लिए जेल जाऊंगा।'

BLOG: जज पर यौन शोषण का आरोप लगाने वाली इंटर्न वकील की आपबीती पढ़ें



सुप्रीम कोर्ट के हाल ही में रिटायर हुए जज पर यौन शोषण का सनसनीखेज आरोप लगाने वाली इंटर्न महिला वकील स्‍टेला जेम्‍स ने ब्लॉग को अपनी आपबीती कहने का माध्यम बनाया है। यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्‍यीय कमेटी का गठन कर दिया है। 'जर्नल ऑफ इंडियन लॉ' में स्‍टेला जेम्‍स की ओर से लिखे गए एक ब्‍लॉग में खुद को जज के हाथों यौन शोषण का शिकार बताया है।  पढ़िए स्टेला ने क्या लिखा है ब्लॉग में 
 
पिछले साल दिसंबर में दिल्ली गैंगरेप के बाद आंदोलन चल रहा था और पूरा देश एकसुर में आवाज उठा रहा था। ठीक उसी समय मैं अपने फाइनल ईयर की सर्दी की छुट्टियों के दौरान दिल्ली में इंटर्नशिप करने आई थी। मुझे हाल ही में रिटायर हुए और सम्मानित सुप्रीम कोर्ट के जज के साथ इंटर्नशिप करने का मौका मिला। इसी दौरान उन्होंने मेरा यौनशोषण किया। मैं ज्यादा डीटेल में नहीं जाऊंगी लेकिन इतना जरूर कह सकती हूं कि मैं होटल के कमरे से काफी देर बाद बाहर निकली. उस घटना को मैं आज भी नहीं भूल पा रही हूं।
सच बताऊं तो मैं काफी सदमे में थी. एक इंसान जो सुप्रीम कोर्ट का जज है- आप उम्मीद नहीं कर सकते कि सुप्रीम कोर्ट का जज किसी का शोषण करे. मैंने सुना है कि तीन और लड़कियों का उसी जज ने यौन शोषण किया है और मैं चार ऐसी लड़कियों को जानती हूं जो दूसरे जजों का शिकार बनीं. इन लड़कियों का यौन शोषण चैंबर में ही किया गया।  
 
मेरी उनके प्रति न तो कोई दुर्भावना थी और न है लेकिन मैंने ये जिम्मेदारी समझी ताकि दूसरी लड़कियां भी इस स्थिति तक न पहुंचे। मैंने उनके लिए छह महीने तक काम किया और उन्होंने मेरे साथ अच्छा बर्ताव भी किया। ये मेरे लिए अजीब था लेकिन मैंने उन्हें इसके लिए कभी माफ नहीं किया। उनकी इस हरकत की वजह से उनको लेकर मेरा नजरिया ही बदल गया। अगर उन्होंने ये हरकत न की होती तो एक इंसान के तौर पर मेरे विचार उनके प्रति कुछ और ही होते।
एक बार ये बात बाहर आ जाएगी कि उन्होंने कुछ और लड़कियों के साथ ऐसा किया है तो लोग उन्हें इसी नजर से देखेंगे। वहां पर कोई दूसरा चश्मदीद नहीं था। सिर्फ मैं थी.. वो एक होटल का कमरा था। लोगों ने मुझे स्वेच्छा से भीतर जाते देखा और आराम से बाहर आते देखा। बाहर आते वक्त मेरे चेहरे पर डर भी नहीं था।  उस वक्त मुझे लगा कि मैं आराम से होटल से बाहर चली जाऊं। मैने किसी को उस दिन कुछ नहीं बताया। मैं डरी हुई थी। जिन दोस्तों से मैंने इस बारे में बात की उनके करियर में जजों की अहम भूमिका है और उन्हें करियर का जोखिम में पड़ जाने का डर है। मुझे इसकी चिंता नहीं है। मेरे पास एक टीम है और तीन साथी हैं जिन्होंने ब्लॉग पोस्ट करने से पहले इसे पढ़ा। मेरे लिए अच्छी बात ये है कि मैं एक संस्था से जुड़ी हूं और अगर मैं सच सामने लाती हूं तो पच्चीस लोग हैं जो मेरे साथ खड़े हैं।

चैंबर में यौन शोषण करते हैं सुप्रीम कोर्ट के जज! 'पीडि़त' वकील ने बताई आपबीती तो बनी जांच कमेटी



नई दिल्‍ली/कोलकाता. महिला वकील स्‍टेला जेम्‍स की ओर से जज पर यौन शोषण के आरोप लगाए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच के लिए तीन सदस्‍यीय कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी में तीन जज रखे गए हैं, जो आरोपों की जांच करेंगे।
 
'जर्नल ऑफ इंडियन लॉ' में स्‍टेला जेम्‍स की ओर से लिखे गए एक ब्‍लॉग में सुप्रीम कोर्ट के कई जजों पर लड़कियों के यौन शोषण का सनसनीखेज आरोप लगाया गया है। इसमें ब्‍लॉगर ने खुद को एक जज के हाथों यौन शोषण का शिकार बताया है और संक्षेप में अपनी आपबीती बयां की है। साथ ही, यह भी दावा किया है कि उस जज ने तीन अन्‍य लड़कियों का यौन शोषण किया। उनका यह भी दावा है कि वह चार और लड़कियों को जानती हैं जिनका अलग-अलग जजों ने अपने चैंबर में ही यौन शोषण किया
 
स्‍टेला ने लिखा है कि उनके दादा की उम्र के जज ने उस समय दिल्‍ली में होटल के कमरे में उनका यौन शोषण किया जब दिल्‍ली सहित पूरे देश में 'दामिनी' के गैंगरेप के बाद बलात्‍कारियों के खिलाफ आक्रोश चरम पर था। 6 नवंबर को लिखे इस ब्‍लॉग में लेखक ने बताया है कि जिस जज ने उनका यौन शोषण किया, वह हाल ही में रिटायर हुए हैं।

क़ुरान का सन्देश

दोस्तों आपसे मिलिए आप है भरत सिंह ..राजस्थान में कोंग्रेस से सांगोद विधानसभा से विधायक है और सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री है ...आप राजस्थान में घोषित और स्वीकृत एक मात्र ईमानदार मंत्री है

दोस्तों आपसे मिलिए आप है भरत सिंह ..राजस्थान में कोंग्रेस से सांगोद विधानसभा से विधायक है और सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री है ...आप राजस्थान में घोषित और स्वीकृत एक मात्र ईमानदार मंत्री है .......भरत सिंह के बारे में सब जानते है के भरत सिंह ने अपने मंत्रालय ..कार्यकर्ताओं के लिए कुछ ख़ास काम नहीं किया है ...फिर भी उनके समर्थकों की  कमी नहीं है .....भरत सिंह राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री जुझार सिंह के पुत्र है जुझार सिंह पहले भारतीय जनसंघ से विधायक थे फिर कोंग्रेस में शामिल हुए कोंग्रेस के विधायक बने और मंत्री बन गए .....भरत सिंह प्रारम्भ से ही ज़िद्दी हो साहसी रहे है कभी शिकार करने वाले भरत सिंह के दिल में पर्यावरण प्रेम जागा तो फिर भरत सिंह वन्य जीव और पर्यारवरण प्रेमी ही नहीं बल्कि रक्षक हो गए .....भरत सिंह ने पहले सांगोद से निर्दलीय चुनाव लड़ा फिर जनता दल से चुनाव लड़ा इसके बाद भरत सिंह कोंग्रेस में शामिल हो गए जो झालावाड़ ज़िले के ज़िला अध्यक्ष रहे वहाँ से विधायक बने फिर वसुंधरा सिंधिया के खिलाफ सांसद का चुनाव लड़ा अब भरत सिंह जी सांगोद से फिर से अपनी क़िस्मत आज़मा रहे है .इनके चुनाव का भी दिलचस्प क़िस्सा है यह समझोता वादी  नहीं है ...ईमानदार है इसलिए कड़वे तो है इन्होने सीधे कुछ मुद्दे पर शांतिधारीवाल से खुला पंगा लिया देहात कोंग्रेस में मनमानी भरत सिंह के बर्दाश्त के बाहर रही और इन्होने खुले रूप में कोंग्रेस कि बैठक में वरिष्ठ पदाधिकारियों के सामने देहात कोंग्रेस पर गम्भीर आरोप लगाये .....वाद विवाद में उन्होंने चुनाव नहीं लड़ने कि घोषणा कि ...सभी सोचते थे के इस बार भरत सिंह नाम का ईमानदार  और मज़बूत काँटा सियासत से निकल गया है लेकिन बिना टिकिट मांगे उन्हें कोंग्रेस ने टिकिट दिया ........भरत सिंह टिकिट मिलते ही शोबाज़ नहीं बने उनका स्वागत सत्कार उन्होंने नहीं करवाया और खुद के गाँव कुंदनपुर से सांगोद में  पदयात्रा करते हुए आकर नामांकन भरने कि घोषणा कर दी .कोई रेली नहीं ..कोई झंडे बेनर नहीं ...कोई प्रचार प्रसार नहीं ..कोई मनुहार नहीं ..कोई सौदेबाज़ी कार्यकर्ताओं कि खरीद फरोख्त नहीं ..कोई लिफ़ाफ़े वितरण नही बस कल नामांकन भरने अकेले घर से निकले उनके साथ एक फिर दो फिर तीन जुड़े और फिर जब वोह सांगोद पहुंचे तो पन्द्राह किलोमीटर की इस पदयात्रा में भरत सिंह के साथ क़रीब सत्राह अठ्ठारह हज़ार पदयात्रियों का हुजूम जो सभी इनकी विधानसभा क्षेत्र के इनकी गलियों मुहल्लों के थे जो खुद ब खुद अपने घरों से निकला कर इनका साथ चुनाव में बिना इसी प्रतिफल के निकल पढ़े ......सुल्तानपुर के उप प्रधान रईस खान बताते है के भरत सिंह का भाषण मार्मिक और दिल कि गहराइयों को छूने वाला था उनके भाषण में सियासत नहीं स्थानीय लोगों के साथ हमदर्दी थी प्यार था मोहब्बत थी अपनापन था ...भीड़ से भरत सिंह ने निवेदन किया के में चुनाव नहीं लड़ना चाहता था लेकिन पार्टी ने हुक्म दिया है तो मेने नामांकन भरा है लेकिन मेरे पास झंडे बेनर पोस्टर नहीं है गाड़िया नहीं है खर्चा नहीं है यह चुनाव मेरा नहीं यह चुनाव आपका है आप जाने आपका काम जाने उन्होंने अपील कि महरबानी करके झंडे बेनर का चुनाव ना लड़े पोस्टर बनाकर मुझे दीवारों पर ना टाँके मुझे अपने दिलों में रखे आप भी मेरे दिल में है .....भरत सिंह ने कहा के मेरी यह आखरी रेली है में हारूंगा तो तुम हारोगे और जीतूंगा तो तुम जीतोगे उनके इस भावुक अंदाज़ को सांगोद के मतदाता अपने दिलों कि गहराई में उतार चुके थे और हज़ारो हज़ार कि स्तानीय भीड़ दिल ही दिल में एक बार फिर भरत सिंह को जिताने का संकल्प लेते नज़र आये ....जिस भरत सिंह के लिए उनके अपने कार्यकर्ता असंतुष्ट होकर कहते है के उहोने कार्यकर्ताओ के इए कुछ नहीं किया वाही कार्यकर्ता व्ही जनता उनकी ईमानदारी ..साफ गोई और वक़त कि पाबंदी  मिजाज़ में सादगी ..प्यार मोहब्बत के आगे पिघल कर मोम बन गया और भरत सिंह ज़िंदाबाद भरत सिंह ज़िंदाबाद करते हुए उन्हें अधिकतम वोटों से जिताने के संकल्प के साथ बिना किसी लालच बिना किसी प्रतिफल के उन्हें जिताने के लिए चुनाव प्रचार में जुट गया ..यह जादू है या चमत्कार पता नहीं लेकिन कहते है के ईमानदारी सभी बुराइयों पर हावी होती है और भरत सिंह  भारत भी है तो सिंह यानि दहाड़ने वाले जंगल के राजा शेर भी है वोह सर्कस के या फिर चिडियाघर के शेर नहीं सचमुच के शेर है लेकिन निर्मल सरल और सभी को जीतने वाले भी है इसीलिए तो आज उनके विधानसभा क्षेत्र के लोग भरत सिंह ज़िंदाबाद ज़िंदाबाद कह रहे है ....................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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