नई दिल्ली. पांच साल के इंतजार के बाद आईएनएस विक्रमादित्य 16
नवंबर को भारत को सौंप दिया जाएगा। रक्षा मंत्री एके एंटनी इसके लिए रूस जा
रहे हैं। विमानवाहक युद्धपोत को सौंपे जाने का समारोह रूस के
सेवेराद्विन्स्क बंदरगाह में होगा।
एंटनी इस समारोह में युद्धपोत पर तिरंगा फहराएंगे। रक्षा मंत्री एंटनी
उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ शुक्रवार को चार दिवसीय यात्रा के लिए
रूस जाएंगे। उनके साथ रक्षा सचिव आरके माथुर भी रहेंगे। इस दौरान रूसी
रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु के साथ एंटनी भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की बैठक
की सह-अध्यक्षता करेंगे।
रूस के पोत निर्माण कारखाने सेवमाश ने बताया कि फिलहाल इस युद्धपोत को
भारत तक पहुंचाने के लिए चालक-दल के सदस्यों को चुनने का काम चल रहा है।
भारत की राह में आईएनएस विक्रमादित्य 14 बंदरगाहों पर रुकेगा। यह फरवरी तक
मुंबई पहुंचेगा।
आईएनएस विक्रमादित्य को 2008 में सौंपा जाना था। बाद में तय हुआ कि 4
दिसंबर, 2012 को सौंपा जाएगा। लेकिन दो महीने पहले परीक्षण के दौरान पता
चला कि बॉयलर पूरी तरह काम नहीं कर रहा है। फिर मरम्मत हुई। अब यह भारतीय
नौसेना में शामिल होने को तैयार है। इसका सौदा 2004 में करीब 5,990 करोड़
रु. में हुआ था। बाद में राशि बढ़ाकर लगभग 14,548 करोड़ रुपए कर दी गई।
सामरिक ताकत बढ़ेगी
आईएनएस विक्रमादित्य से भारत की सामरिक ताकत कई गुना बढ़ जाएगी।
फिलहाल नौसेना के पास एक ही विमानवाहक पोत है- आईएनएस विराट। ब्रिटेन से
खरीदा यह पोत 55 साल पुराना है। इससे 11 सी-हैरियर जम्प-जेट्स ही ऑपरेट
होते हैं। वहीं सेंसर और हथियारों से सुसज्जित आईएनएस विक्रमादित्य दोगुना
बड़ा है। एक साथ 24 मिग-29के और 10 हेलिकॉप्टर तैनात हो सकते हैं। एक दिन
में 600 नॉटिकल माइल्स के सफर की क्षमता जल्द से जल्द दुश्मन के तट तक
पहुंचने योग्य बनाती है।
ऐसा है आईएनएस विक्रमादित्य
रूस के युद्धपोत एडमिरल गोर्शकोव को ही भारतीय नौसेना ने आईएनएस
विक्रमादित्य नाम दिया है। एक तरह से तैरता हुआ शहर। 45 हजार टन वजनी
युद्धपोत पर हवाई अड्डा 284 मीटर लंबा और 60 मीटर चौड़ा है। तीन फुटबॉल
मैदान के बराबर। यह युद्धपोत 20 मंजिला इमारत जितना ऊंचा है। 22 छतें हैं।
इस पर 1,608 नौसैनिक होंगे। इनके लिए 16 टन चावल, एक लाख अंडे, 20 हजार
लीटर दूध आवश्यक होगा। विक्रमादित्य लगातार 45 दिन समुद्र में रह सकता है।
इसकी क्षमता आठ हजार टन ईंधन की है। इसके हवाई अड्डे से सात हजार समुद्री
मील या 13,000 किमी तक अभियान चलाया जा सकता है। यानी इस जहाज की छत से
उड़े लड़ाकू विमान अमेरिका तक तबाही मचा सकते हैं।