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28 नवंबर 2013

महिला को बाल पकड़ घसीटा

अजमेर।ख्वाजा साहब की दरगाह में प्रबंध संभालने वाली दरगाह कमेटी के कर्मचारियों ने गुरूवार को हद कर दी। उन्होंने एक महिला जायरीन को बाल पकड़ कर घसीटा और दरगाह परिसर से बाहर कर दिया। कमेटी कर्मचारी महिला को झालरा से सर्की गेट तक बेरहमी के साथ घसीटते हुए लेकर गए। इस दौरान महिला का रो-रोकर बुरा हाल था।


वह कर्मचारियों के सामने गिड़गिड़ा कर रहम की गुहार लगाती रही। दरगाह में मौजूद लोगों ने भी उन्हें टोका लेकिन कर्मचारियों का दिल नहीं पसीजा। दरगाह में गुरूवार को एक महिला शाही घाट पर स्थित मजार के पास बैठी थी। बताया जा रहा है कि महिला बार-बार सिर हिला कर दुआ कर रही थी। महिला को ऎसा करता देख दरगाह कमेटी के दो कर्मचारी वहां आए।



उन्होंने महिला को बाहर जाने के लिए कहा। वह नहीं मानी तो दोनों ने उसे घसीटना शुरू कर दिया। इनमें से एक कर्मचारी ने महिला का हाथ पकड़ा और दूसरे ने बाल पकड़ कर उसे घसीटना शुरू कर दिया। महिला को वह पायती गेट, सबील, अंजुमन कार्यालय के सामने से होते हुए सर्की गेट तक इसी अंदाज में लेकर गए।

इनका कहना है


मैं सवाईमाधोपुर हूं। घटना की जानकारी मिलने पर मैंने कर्मचारियों को फोन करके डांटा है। उन्हें इस तरह महिला को घसीटना नहीं चाहिए था। कर्मचारियों का कहना है कि महिला पागलों जैसी हरकत कर दूसरे जायरीन को परेशान कर रही थी। इसलिए उसे बाहर निकाला गया। डॉ. अंसार अहमद, दरगाह नाजिम

महिला को इस तरह घसीट कर ले जाने के लिए मैंने और मेरे मेहमानों ने भी मना किया लेकिन कर्मचारी माने नहीं। यह गलत किया गया है। महिला अगर पागल भी थी तो दरगाह कमेटी कर्मचारी पुलिस को बताते। किसी भी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए।
कुतुबुद्दीन सकी, खादिम

तेजपाल के "खेल" में हो ही गया राजनीति का मेल

तेजपाल के "खेल" में हो ही गया राजनीति का मेल

पणजी/नई दिल्ली। तहलका मैगजीन के पूर्व संपादक तरूण तेजपाल के खिलाफ यौन शोषण के मामले ने आखिरकार राजनीतिक रंग ले ही लिया। कानून जहां इस मामले में अपना काम कर रहा है, वहीं दिल्ली के गलियारों में यह किसी आम यौन प्रताड़ना के मामले जैसा नहीं रहा। हमारे राजनेताओं के "बोल" और "चाल" ने गाहे बगाहे इसे राजनीतिक बवाल बना ही दिया। गोवा, जहां ये मामला विचाराधीन है, वहां के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने इस समस्या से पल्ला झाड़ने के लिए लाख यह कह दिया हो कि इस मामले का भाजपा या कांग्रेस से कोई लेना-देना नहीं, लेकिन पहले उन्हीं की पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने परोक्ष तौर पर इसमें एक केन्द्रीय मंत्री यानी कपिल सिब्बल को बिना नाम लिए घसीट लिया। फिर कपिल सिब्बल ने जबावी हमला कर दिया।

यहां तक बात बयानबाजी तक सीमित थी, कि रही सही कसर गुरूवार को दिल्ली के ही भाजपा नेता विजय जौली ने पूरी कर दी। तहलका की पूर्व प्रबंध सम्पादक शोमा चौधरी के घर के बाहर प्रदर्शन, उनकी नेम प्लेट पर कालिख पोतना, जैसी बचकानी हरकतों से जौली ने बिना बात इस मामले की एक और शाखा निकाल दी। एक और मामला अब उनके खिलाफ दर्ज हो गया है। भाजपा ने जौली के कृत्य से पल्ला झाड़ लिया है। लेकिन टीवी चैनलों की पैनल टॉक में कांग्रेसियों को जॉय के लिए जौली सबजेक्ट मिल गया। जानिए एक महिला उत्पीडन के मामले को कैसे चढ़ा "भाजपा-कांगे्रेसी" रंग...


गोवा सीएम की सफाई

गोवा के सीएम मनोहर पार्रिकर ने हाल ही तेजपाल केस का राजनीति से कोई संबंध ना बताते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि यौन शोषण पीडित लड़की को न्याय दिलाया जाए। क्योंकि अपराध गोवा में हुआ है। मनोहर ने कहा कि मैं राज्य का मुख्यमंत्री हूं और एक मुख्यमंत्री होने के नाते मेरी जिम्मेदारी पीडिता के न्याय को सुनिश्चित करने की बनती है।

गोवा पुलिस पर भाजपा के दबाव का खंडन करते हुए कहा कि गोवा पुलिस पर किसी तरह का कोई दबाव नहीं है। राज्य सरकार इस केस में किसी तरह की कोई मॉनिटरिंग नहीं कर रही है। राज्य सरकार केवल पुलिस को जल्द से जल्द निपटाने के लिए बोल सकती है। साथ ही उन्होंने कहा कि उन्होंने पुलिस को किसी भी तरह के दबाव में जांच करने के लिए मना किया है।

एक ओर गोवा के भाजपा सीएम मनोहर पार्रिकर इस केस में राजनीति को बिल्कुल नकार रहे हैं लेकिन दूसरी ओर भाजपा की अन्य नेता इस केस को राजनीति रंग देने की कोशिश कर रहे हैं। भाजपा की नेता सुषमा स्वराज ने इस केस में तेजपाल का बचाव करने के लिए एक केंद्रीय मंत्री का हाथ बताया है।


क्या दिया था सुषमा ने बयान

विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने बुधवार को एक केंद्रीय मंत्री का बिना नाम लिए आरोप लगाया था कि तेजपाल का वह बचाव कर रहे हैं। भाजपा नेता ने किसी का नाम लिए बिना बुधवार को ट्वीट किया था कि केन्द्रीय मंत्री जो कि तहलका के संस्थापक और पैट्रन हैं तरूण तेजपाल का बचाव कर रहे हैं। भाजपा ने कहा कि कांग्रेस तेजपाल को बचा रही है।

सुषमा ने ट्वीट बिना नाम के किया लेकिन कपिल सिब्बल भड़क गए। राजनीति आगे बढ़ी और सिब्बल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि उसका तहलका में किसी तरह का कोई पैसा नहीं लगा है। तेजपाल उसका कोई रिश्तेदार नहीं है। कांग्रेस उसका कोई बचाव नहीं कर रही है। केस की एफआइआर दर्ज हो गई। कानून अपना काम कर रहा है।


जहां भाजपा और कांग्रेस एक ओर इसको लेकर एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यरोप कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इसे राजनीति से दूर भी बता रहे हैं। दोनों पारि्टयां अपना अपना पक्ष रख रही हैं। दोनों पारि्टायों का कहना है कि उनकी पारि्टयों का उस केस से कोई लेना देना नहीं है। कानून अपना कार्रवाई कर रहा है। लेकिन गुरूवार को भाजपा नेता विजय जॉली की ताजा हरकत देखने को मिली


समर्थकों संग पोत आए नाम पर कालिख

तहलका पत्रिका की प्रबंध संपादक शोमा चौधरी के पद से इस्तीफा देने के बाद उनके घर पर भाजपा नेता की गुंडागर्दी देखने को मिली है। भाजपा के नेता विजय जॉली ने कार्यकर्ताओं के साथ चौधरी के घर के बाहर प्रदर्शन करने लगे। और इसके साथ ही चौधरी के घर पर काली स्याही फेंकी और शोमा चौधरी की नेम प्लेट पर "आरोपी" भी लिख दिया। फिर चैनलों की पैनल टॉक शुरू हुई और जमात के बीच जौली बोले कि तेजपाल ही जब खुला घूम रहा है, तो उन्होंने क्या गुनाह कर दिया।


भाजपा ने बताया व्यक्तिगत प्रतिक्रिया

दिल्ली भाजपा के नेता विजय जॉली की इस हरकत को भाजपा पार्टी ने व्यक्तिगत प्रतिक्रिया बताया है। इस बारे में एक न्यूज चैनल को दिल्ली भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नितिन गडकरी ने बताया कि अगर विजय जॉली ने गलत किया तो कार्रवाई होगी। यह भाजपा का प्रायोजित कार्यक्रम नहीं था। यह उन लोगों की व्यक्तिगत प्रतिक्रिया थी।


जॉली की हरकत है "अपराध"?

भाजपा नेता जॉली ने चौधरी के घर पर जिस तरह की हरकत की है वह कम से कम कानून के दायरे में तो अपराध है। दिल्ली प्रीवेंशन ऑफ डिफेसमेंट ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 2007 के मुताबिक, अगर कोई स्याही, चॉक, पेंट या किसी और ढंग से किसी संपत्ति की शक्ल बिगाड़ता है तो वह अपराध है। इसके लिए दोषी को एक साल तक की सजा , 50000 रूपये तक का जुर्माना या दोनों एक साथ हो सकते हैं।

"लिव इन रिलेशनशिप न तो पाप है और न क्राइम"


"लिव इन रिलेशनशिप न तो पाप है और न क्राइम"

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा है कि लिव इन रिलेशनशिप में रहना न तो क्राइम है और न ही पाप। कोर्ट ने इस तरह की रिलेशनशिप में रहने वाली महिलाओं और रिलेशनशिप के दौरान पैदा होने वाले बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए संसद को कानून बनाने को कहा है।

कोर्ट ने कहा कि लिव इन रिलेशनशिप शादी की प्रकृति जैसा नहीं है। न ही इसे कानूनी मान्यता है। दुर्भाग्य से ऎसे संबंधों को रेगुलेट करने के लिए वैधानिक प्रावधान भी नहीं है। न्यायाधीश के.एस राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली बैंच ने लिव इन रिलेशनशिप को शादी की प्रकृति जैसे संबंध के दायरे में लाने और महिलाओं को घरेलू हिंसा कानून के तहत सुरक्षा प्रदान करने के लिए दिशानिर्देश तैयार किए हैं।

कोर्ट ने कहा संसद को इन मामलों पर ध्यान देना चाहिए,सही कानून लाना चाहिए और कानून में संशोधन करना चाहिए ताकि महिलाओं और इस तरह के रिलेशनशिप के दौरान पैदा होने वाले बच्चों को प्रोटेक्ट किया जा सके हालांकि इस तरह के संबंध शादी के प्रकृति जैसे नहीं हो सकते। ये संबंध न तो पाप है और न ही अपराध। हालांकि इस तरह के संबंध समाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है।

शादी करना या नहीं करने का फैसला या विपरित लिंगी संबंध रखने का फैसला पूरी तरह निजी है। कई देशों ने इस तरह के संबंधों को मान्यता प्रदान करना शुरू कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि कानून जरूरी है क्योंकि इस तरह के संबंधों के टूटन पर महिलाओं को ही हमेशा कष्ट उठाना पड़ता है। हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि कानून शादी से पहले के संबंधों को प्रमोट नहीं कर सकता। लोग इसके पक्ष और विरोध में अपने विचार रख सकते हैं।

क़ुरान का सन्देश

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