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01 दिसंबर 2013

भैरों सिंह की पत्नी को मतदान किए बिना ही लौटना पड़ा

भैरों सिंह की पत्नी को मतदान किए बिना ही लौटना पड़ा

जयपुर। राजस्थान में रविवार को हुए विधानसभा चुनाव के दौरान दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत की पत्नी सूरज कवंर मतदान नहीं कर सकीं क्योंकि उनका नाम मतदाता सूची से हटा दिया गया था। उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि जब वह अपने मतदान केंद्र पहुंची तो पता चला कि मतदाता सूची में उनका नाम ही नहीं है।

शेखावत ने कहा कि वह 1952 में हुए पहले चुनाव से ही वोट डालती आ रही हैं, लेकिन ऎसा पहले कभी नहीं हुआ। उनके अलावा राजस्थान हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति महेश शर्मा और पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस के शर्मा भी मतदाता सूची में नाम न होने के कारण मतदान नहीं कर सके।

महिला नक्सली कमांडर का दावा- हमबिस्तर होने के लिए किया जाता था मजबूर



रायपुर। छत्तीसगढ़ में दो महिला नक्सली कमांडरों ने पुलिस के सामने हथियार समेत आत्मसमर्पण किया है। सुकमा क्षेत्र नक्सलियों ने मलकानगिरी पुलिस के सामने आत्म समर्पण करने के बाद अपने कई साथियों पर यौन उत्पीड़न का आरोप भी लगाया। दोनों महिला नक्सली कलही मेला दलम की सदस्य हैं और एरिया कमांडर और डिप्टी  जैसे महत्वपूर्ण पदों पर काम कर चुकी हैं।दोनों महिलाएं 2007 से नक्सली गतिविधियों में सक्रिय थीं। दोनों ने अपनी 303 की बंदूकें भी पुलिस को सौप दी।  
 
उनके समर्पण से पुलिस को उम्मीद है कि काफी सारी जानकारियां मिल सकती हैं। सिमी के आतंकियों के पकडे जाने के बाद ये भी कयास लगाये जा रहे थे कि हो सकता है कि नक्सली और आतंकी साथ मिलकर अपने नापाक इरादों को अंजाम देने की कोशिश कर रहे हैं। इस बारे में भी जानकारी इन दोनों नक्सलियों से निकाली जाएगी।
 
यह पहली बार नहीं है जब महिला नक्सलियों ने अपने साथियों पर यौन शोषण के आरोप लगाये हैं। एक महिला माओवादी ने अपनी किताब 'एक माओवादी की डायरी' में लिखा है कि उन पर साथी नक्सलियों के साथ हमबिस्तर होने के लिए दबाव बनाया जाता है। मना करने पर कई तरह से प्रताड़ित किया जाता है। इतना ही नहीं, माओवादी अपने साथियों की पत्नियों पर भी बुरी नजर रखते हैं। संगठन में महिलाओं का इस्तेमाल शारीरिक भूख को शांत करने के लिए किया जाता है या फिर किसी बड़ी घटना को अंजाम देने के लिए, यह एक बड़ा सवाल बनकर सामने आया है।

जम्मू रैली में बोले मोदी- सरकार आवाज उठाती तो नहीं होती सरबजीत की मौत


जम्‍मू/नई दिल्‍ली. राजस्‍थान में विधानसभा चुनाव के लिए जारी वोटिंग के बीच भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने रविवार को जम्‍मू में ललकार रैली को संबोधित किया। मोदी से पहले भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष राजनाथ सिंह ने रैली को संबोधित किया। बतौर पीएम कैंडिडेट जम्‍मू कश्‍मीर में अपनी पहली रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने भाषण की शुरुआत में राज्‍य से जुड़ी महान हस्तियों और वीर शहीदों को याद किया। इसके बाद उन्‍होंने केंद्र सरकार पर हमले शुरू किए।
मोदी ने कहा, 'दिल्‍ली में हमारी सरकार सोई हुई है। केंद्र सरकार 2004 से ही ऐसी गहरी नींद में सोई हुई है कि 2014 में भी सोती ही रहेगी। अब इनके जगने की संभावना नहीं बची है। क्‍योंकि, पाकिस्‍तान में दो घटनाएं घटी। पाकिस्‍तान की जेलों में हिंदुस्‍तान के दो नौजवान (पंजाब के भाई सरबजीत और जम्‍मू के चमेल सिंह) बंद थे। पाकिस्‍तान ने जिस जेल में सरबजीत को मारा, उसी जेल में एक हफ्ते पहले चमेल सिंह को मारा गया था। अगर चमेल सिंह की मौत पर केंद्र सरकार आवाज उठाती तो सरबजीत की मौत की नौबत नहीं आती।'
कांग्रेस की तरफ दिए जाने वाले 'सेक्‍युलरिज्‍म के नारे' पर टिप्‍पणी करते हुए मोदी ने धारा 370 का भी जिक्र किया। मोदी ने कहा, 'पंडित नेहरू ने धारा 370 के बारे में कहा था कि यह समय रहते रहते घिस जाएगी। क्‍या केंद्र सरकार नेहरू की यह इच्‍छा पूरा करने के लिए तैयार है। हमें इस वक्‍त इस बात पर विचार करना चाहिए कि धारा 370 की जरूरत है या नहीं। इस पर संसद में बहस होनी चाहिए।'
मोदी ने अपने भाषण में जम्‍मू कश्‍मीर सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हुए सूबे के दलितों, आदिवासियों के लिए समान अधिकार की मांग की। उन्‍होंने कहा, 'महिलाओं और पुरुषों को समान अधिकार मिलने चाहिए। महिलाओं पर होने वाले अत्‍याचार रोके जाने चाहिए।' 'सेपरेट' की जगह 'सुपर स्‍टेट' का आह्वान करते हुए मोदी ने कहा, 'मैं हिंदुओं या मुसलमानों के बारे में बात नहीं कर रहा हूं। मैं जम्‍मू कश्‍मीर के बारे में बात कर रहा हूं। विकास वहीं होता है, जहां एकता होती है।'

क़ुरान का सन्देश

टमाटर दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ी है. इसे पहले वानसप्तिक नाम लाइकोपोर्सिकान एस्कुलेंटक मिल है

सरफ़राज़ ख़ान
टमाटर दुनिया में सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली सब्ज़ी है. इसे पहले वानसप्तिक नाम लाइकोपोर्सिकान एस्कुलेंटक मिल है. अब इसे सोलेनम लाइको पोर्सिकान के नाम से जाना जाता है. टमाटर रोआनौक द्वीप का है. कई व्यक्तियों की यही धारणा है कि इसकी उत्पत्ति दक्षिण अमेरिका की एंडीज नाम की जगह पर हुई थी. वहां यह प्रावासी रेड इंडियनों के ज़रिये खेतों में लगाया जाता था. कई व्यक्ति इसे अपनी क्यारियों में लगाने लगे. मैक्सिको में तो इसे टोमाटो नाम और मय जाति के व्यक्तियों ने इस फिन्टो मैंटल नाम से भी पुकारा और इसकी उत्तम खेती करने लगे. टमाटर के पौधों को लोग कालांतर में तो मेटल या हौमेटो कहने लगे. उसी 16वीं शताब्दी लाईन लगाओ यूरोप टमाटरों को ले गए. वहां 18 वीं शताब्दी तक लोग इसे साग सब्ज़ी नहीं, बल्कि सजावट की चीज़ मानते थे. कई लोग टमाटर को सजावट के पौधो के तौर पर अपने गुलदान में लगाते थे. कई लोगों की ये धारणाएं थीं कि टमाटर में लाल दिखाई देने वाला पदार्थ रक्त होता है. इस पौधे का इस्तेमाल केवल खाने की मेज़ सजाने के लिए किया जाता था. टमाटर यहीं तक ही सीमित था. टमाटर को पहले केवल एक सुंदर चीज़ की नज़रों से परखा जाता था, वहीं धीरे-धीरे टमाटर को प्रयोग में लाया जाने लगा. एक के बाद एक चीज़ टमाटर की बने लगी. कई तरह की टमाटर की चटनियां बनाई गईं, जो कई प्रकार के खानों में भी उपयोगी साबित हुईं. 1812 ई. में अमेरिका के जहाज़ पर रगंसाज़ी का काम करने वाले एक व्यक्ति ने टमाटर के जुड़ी हुई भ्रांतियों की सच्चाई का पता लगाने की कोशिश की. उसे बहुत रोका गया, लेकिन वह अपनी ज़िद पर पूरी तरह से अड़ा रहा कि वह टमाटर ज़रूर खाएगा. जब उसके दोस्तों ने देखा कि टमाटर खाकर वह ज़िंदा है, मरा नहीं. न ही उसे किसी तरहे की पीड़ा हुई, तो सारे दोस्तों ने झटपट टमाटर खाने शुरू कर दिए, एक अख़बार ने यह ख़बर छापी थी.
उस राज्य में टमाटर उगाए जाने लगे और वे हर व्यक्ति के खाने का उपयोगी हिस्सा बनते जा रहे थे. इसे विश्वभर में शौहरत दिलावाने में जोसेफ़ कैम्प बेले ने बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उन्होंने बड़े-बड़े पके लाल टमाटरों को सर्वप्रथम डिब्बों में भर कर सूप की शुरुआत की. फिर यह दुनियाभर में मशहूर एकमात्र चीज़ बन गया. इसका प्रयोग हर वर्ग के लोगों में लोकप्रय हुआ.
यहां तक कि लोग अनेक क़िस्मों के टमाटरों की खेती करने लगे. यह भी लोकप्रिय साबित हुई. टमाटर की संकर क़िस्में भी विकसित की जाने लगीं. एक तरफ़ जहां इसे फल का नाम दिया गया, वहां दूसरी ओर पकी हुई सब्ज़ी का स्वाद बढ़ाने के लिए इसका प्रयोग किया जाने लगा. इसे पौष्टिकता के लिए नहीं, बल्कि इसके स्वाद की वजह से भी लोकप्रियता मिली. टमाटर रसोई घर का हिस्सा बन गया. टमाटर विटामिनों से भरपूर है. इसमें विटामिन ए होता है, जो मुख्य रूप से चिकनाई युक्त खाद्य पदार्थो जैसे दूध, मक्खन घी मे मिलता है. टमाटर घी-दूध की अपेक्षा ज़्यादा सरलता से शरीर में उपयोग में आता है. टमाटर में विटामिन बी पर्याप्त मात्रा में रहता है, जो पेट साफ़ करने के साथ साथ नाड़ी मंडल को भी पुष्ट करता है. यह रक्त संवर्धन और रक्त को शुध्द रखता है. जो 200-250 ग्राम टमाटर खाने वाला हो, वह कभी विटामिन सी की कमी का शिकार नहीं रहता है.
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