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02 दिसंबर 2013

29 साल से जख्म जिंदा, 16 हजार मौत, न्याय का इंतजार



29 साल से जख्म जिंदा, 16 हजार मौत, न्याय का इंतजार

29 साल से जख्म जिंदा, 16 हजार मौत, न्याय का इंतजार

भोपाल। भोपाल गैस त्रासदी को 29 बरस पूरे हो गए। मगर हादसे के जख्म अब भी ताजा हैं। लाखों गैस पीडित उन गुनहगारों को सजा मिलने के इंतजार में हैं, जिनके कारण यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली गैस रिसी और हजारों लोग मारे गए। गंभीर बीमारियां पीढ़ी दर पीढ़ी साल रही हैं। पीडितों के लिए हर दिन एक त्रासदी हो गया है। इस हादसे में अब तक 16 हजार लोगों की मौत हुई और करीब 6 लाख प्रभावित हैं। मुआवजा, इलाज और पुनर्वास के नाम पर करीब 1500 करोड़ रूपए खर्च हो चुके हैं मगर दर्द की कोई इंतिहा नहीं हैं।


जिंदगियां तबाह हो गई

आंसू सूख नहीं पाते थे कि एक और जनाजे को लेकर कब्रिस्तान जाना पड़ता था। रोंगटे खड़े कर देने वाली यह दास्तां भोपाल गैस त्रासदी के पीडितों की है। पत्नी ने पति को, मां ने बेटे को तो किसी ने बेटी और दामाद को अपनी आंखों के सामने बीमारी से जूझते और मौत के मुंह में समाते देखा। गैस का असर इतना अधिक हुआ कि 29 साल बाद भी बीमारियों से पीछा नहीं छूट रहा है। मलहम के नाम पर सरकार ने थोड़ा सा मुआवजा और स्वास्थ्य सुविधाएं जरूर दीं, लेकिन यह भी बेअसर दिख रही हैं। गैस त्रासदी के समय से लगी शारीरिक व मानसिक बीमारियों ने प्रभावितों को शिकंजे में कस रखा है।


भोपाल में सबसे अधिक पेट संबंधी विकार की शिकायतें हैं, जो युवा वर्ग को भी घेरे हुए हैं। त्रासदी के बाद तकरीबन 5 लाख 74 हजार लोग जहरीली गैस से प्रभावित हुए। मोतियाबिंद, भूख न लगना, बार-बार बुखार आना, थकान, के अलावा फेफड़े की टीबी राष्ट्रीय औसत से तीन गुना अधिक है।

कचरे के ट्रीटमेंट के लिए मिले एक करोड़ का उपयोग ही नहीं

आरटीआई के तहत आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे को प्राप्त जानकारी के अनुसार पीथमपुर में खतरनाक कचरे के डिस्पोजल की एक मात्र साईट को बेहतर बनाने के लिए राज्य से मिले दो करोड़ और केन्द्र से मिले 80 लाख रूपए का उपयोग प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने नहीं किया। प्रदेश के 316 स्थानीय संस्थाओं से करीब 65 करोड़ रूपए की वसूली की जानी थी लेकिन प्रबंधन की लापरवाही के कारण ये कई सालों से लंबित है।


सात करोड़ रूपए जलकर के रूप में उद्योगों से भी वसूल होने थे वे भी आज तक लंबित हैं। बोर्ड को मजबूत करने के लिए 9 करोड़ रूपए पिछले तीन सालों में दिए गए लेकिन बोर्ड ने इसका उपयोग नहीं किया। बोर्ड ने अपने भवन के निर्माण के लिए तीन साल में डेढ़ करोड़ की राशि खर्च कर दी लेकिन यह आज तक नहीं बन पाया।

खुलेगा नया अस्पताल

श्याम सखी मेमोरियल सेवा समिति नि:शक्तजनों के लिए अस्पताल की स्थापना करेगी। डॉ. बद्री प्रसाद गुप्ता की अध्यक्षता में हुई बैठक में समुचित ईलाज के लिए विकलांग चिकित्सालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है। इसका उद्घाटन जनवरी में होगा।

गुनहगारों को नहीं मिली सजा

मुख्य आरोपी वारेन एंडरसन अभी भी पकड़ से बाहर है। गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद कोई भी सरकार उसे भारत लाने में सफल नहीं हो पाई। वह अभी अमेरिका में रह रहा है।


भारत का अमेरिकी सरकार के पास प्रत्यर्पण आवेदन वष्ाü 2011 से पेंडिंग है, लेकिन इसमें अमेरिका ने कोई जवाब नहीं दिया है। सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता में जब यूनियन कार्बाइड से मुआवजे की राशि तय हुई तो यह भी समझौता हुआ कि इस मामले में कार्बाइड के खिलाफ सभी आपराधिक मामलों को खत्म कर दिया जाएगा। इस मामले में सीबीआई ने अमेरिका स्थित यूनियन कार्बाइड कॉरपोरशन, यूनियन कार्बाइड इंडिया लिमिटेड, यूनियन कार्बाइड ईस्टर्न हांगकांग आदि में कंपनी अध्यक्ष वारेन एंडरसन के खिलाफ चल रहा केस बंद कर दिया। जब गैस पीडित संगठनों और प्रबुद्ध लोगों ने आवाज उठाई तो यूनियन कार्बाइड के खिलाफ दोबारा वष्ाü 1992 में केस शुरू कराए गए। दोबारा एंडरसन के खिलाफ वारंट जारी हुआ लेकिन अभी तक वह अदालत के सामने पेश नहीं हुआ है।


गिरफ्तारी के बावजूद छोड़ा

एंडरसन 5 दिसंबर 1984 को भोपाल आया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उसे यूका के गेस्ट हाउस में रखा गया। लेकिन थोड़ी ही देर में न सिर्फ उसकी जमानत हो गई बल्कि सरकार ने उसे विशेष विमान से दिल्ली भिजवाया। दिल्ली से वह तत्काल अमेरिका के लिए रवाना हो गया।

रिहाई का रिकार्ड नहीं

तत्कालीन पायलट एचएस अली ने जांच आयोग को बताया था कि तत्कालीन सीएम के आदेश पर एंडरसन को छोड़ने के लिए विमान उपलब्ध कराया गया। मुख्यमंत्री के तत्कालीन सचिव एनआर कृष्णन ने बताया था कि केन्द्रीय केबिनेट सचिव ने तत्कालीन मुख्य सचिव ब्रम्हस्वरूप से चर्चा कर उन्हें एंडरसन के लिए सरकारी विमान उपलब्ध कराने को कहा था।


कोचर जांच आयोग ने इस मामले में पीएमओ से रिकार्ड मांगा तो वहां से जवाब आया कोई रिकार्ड उपलब्ध नहीं है। ये सवाल अनसुलझे हैं कि इतने बड़े अपराध में इतनी जल्दी जमानत कैसे हो गई और आखिर एंडरसन को दिल्ली जाने के लिए अपना विमान क्यों उपलब्ध कराया।


साढ़े पांच लाख को 50 हजार रूपए

गैस कांड के सालों बाद बाद भी पीडितों को अधूरा मुआवजा मिला। करीब साढ़े पांच लाख गैस पीडित ऎसे हैं जिन्हें 29 सालों में केवल पचास हजार रूपए मिले। यानि 50 रूपए हर रोज। यूनियन कार्बाइड से 1989 में 715 करोड़ रूपए मुआवजे का समझौता हुआ। सामान्य पीडितों को पचास हजार और मरने वाले के परिवारों को इसमें से एक-एक लाख रूपए दिए गए। मुआवजे का ये मामला 2010 में एक बार फिर उठा। केन्द्रीय मंत्री समूह ने 50 हजार गंभीर पीडितों के लिए 750 करोड़ रूपए का पैकेज दिया। इसके तहत गैस कांड में मारे गए लोगों के परिवारों को 10 लाख, स्थाई विकलांगों को 5 लाख और गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों को दो-दो लाख बांटे जा रहे हैं।

थोड़ी मदद के बाद भूल गए

पुनर्वास के नाम पर पहला प्लान 1990 से 1995 तक बनाया था, जो 252 करोड़ रूपए का था। बाद में इसे 1999 तक बढ़ाया गया। इस प्लान के तहत आर्थिक पुनर्वास के नाम पर सिलाई सेंटर, आईटीआई प्रशिक्षण दिया गया। इसी प्रकार सामाजिक पुनर्वास के नाम पर विधवा महिलाओं को आवास बनाकर दिए गए, फ्री राशन, दूध वितरण और विधवाओं को 750 रूपए के हिसाब से पेंशन दी गई। पांच साल बाद बंद कर दी गई। जबकि 2000 के बाद मिले मुआवजा राशि में से भी वह पेंशन राशि काट ली गई। 2010 में दूसरा एक्शन प्लान बना, जो 272 करोड़ का है, जिसमें 104 करोड़ रूपए आर्थिक पुनर्वास, 85 करोड़ रूपए सामाजिक पुनर्वास व शेष्ा चिकित्सकीय पुनर्वास के लिए है।

वेन्टीलेटर पर गैस पीडितों के अस्पताल

गैस पीडितों के इलाज के लिए सुपर स्पेशलिटी भोपाल मेमोरियल अस्पताल के अलावा राजधानी में 6 अस्पताल संचालित हैं। मरीजों का इलाज करने इनमें करीब 1600 का स्टाफ तैनात है। बावजूद इसके गैस पीडितों को अधूरा इलाज मिल रहा है। इनमें विशेष्ाज्ञ चिकित्सकों के कई पद खाली है। वहीं करोड़ों रूपए के उपकरणों की खरीदी तो हुई मगर इन्हें चलाने तकनीशियन की कमी है। ऎसे में ये कबाड़ होने की नौबत आ गई है। गैस पीडित अस्पतालों में हर रोज करीब चार हजार गैस पीडित इलाज के लिए पहुंचते हैं। अस्पतालों में डायलेसिस मशीन तो हैं मगर ज्यादा खराब है।

21 साल बाद भी दिखाया असर

रिसालदार कॉलोनी निवासी आठ साल का आफाक गैस कांड के 21 साल बाद आफाक का जन्म हुआ। पैदाइश के दौरान सामान्य दिखने वाले इस बच्चे की उम्र जैसे-जैेसे बढ़ी बीमारियां नजर आने लगी। सामान्य बच्चे की तरफ ये न तो चल पाया और न ही उसका दिमाग इतना विकसित था। पिता नईम ने जहरीली गैस झेली। उसका असर भी उन पर हुआ। उन्होंने बताया कि ये गैस बच्चों को भी निशाना बनाएगी ऎसा कभी सोचा भी था।

त्रासदी ने कहर ढाया

जेपी नगर निवासी पांच साल की पूजा जन्म से विकलांग है। न चल पाती है और न ही कुछ करने के लायक है। अपने हर काम के लिए दूसरों की मोहताज है। इस बच्ची के पिता सूरज को जहरीली गैस ने बुरी तरह से प्रभावित किया। उसका असर अब इनकी दूसरी पीढ़ी पर पड़ने लगा है। मजदूरी कर गुजर बसर करने वाले इस परिवार पर गैस त्रासदी कहर बन कर टूटी। वे बच्चे भी इससे प्रभावित हो रहे हैं जिन्होंने कभी गैस कांड का नाम भी सुना है।

दूसरी और तीसरी पीढ़ी में पहुंचा जहर

जनता नगर करोद निवासी पांच साल की मंतशा न तो चल पा रही है और न कुछ करने में सक्षम में हैं। पैदाइश से ही वह मानसिक रूप से पनप नहीं पाई। इस बच्ची को तो गैस कांड का नाम भी नहीं पता। मगर उसका ये दंश झेल रही है। मंतशा के पिता फरीह अहमद गैस कांड की चपेट में आए थे। फरीद के मुताबिक बच्ची की इस हालत के लिए गैस कांड जिम्मेदार हैं। इलाज में हजारों रूपए खर्च हो चुके है मगर हर डॉक्टर ने जवाब दे दिया। अब बच्चे भी इसे झेलने को मजबूर हैं।

भयानक था उस रात का मंजर, मौत के मुंह में समा गए हजारों

2 और 3 दिसम्बर 1984 की वो दरमियानी भयानक रात। ठंड के दिन थे। करोंद के पास यूनियन कार्बाइड कारखाने से करीब 42 टन जहरीली गैस का रिसाव हुआ। ये गैस कारखाने के ई-610 टैंक से रिसी थी। कोहरे की तरह नजर आने वाली इस गैस ने शहर में मौत का तांडव मचा दिया। दम घोंट देने वाली ये गैस जैसे ही फैली हर तरफ चीख पुकार मच गई थी। घरों में सो रहे लोगों का दम घुटने लगा। कुछ ही देर में फैक्टरी के आसपास की कई बस्तियों में हजारों लाशें बिछती गई। शहर में भी गैस के असर से लोगों की हालत खराब हो चली थी। गैस रिसने की खबर फैलते ही पूरे शहर में भगदड़ मच गई थी। आलम ये था कि हर किसी को अपनी जान बचाने की पड़ी थी। जो रह गए उनकी लाशें सुबह होने तक सड़कों पर पड़ी थीं।

लाहौर का फव्वारा चौक अब भगत सिंह चौक होगा ?

लाहौर का फव्वारा चौक अब भगत सिंह चौक होगा ?

लाहौर। पाकिस्तान की सरकार ने इतिहास की पुस्तकों से बेशक स्वतंत्रता संघर्ष के कुछ अध्याय हटा दिए हों, लेकिन आम पाकिस्तानी नागरिकों ने भगत सिंह जैसे कई स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानी नहीं भूलाया है। पाकिस्तान के वामपंथी संगठन आवामी वर्कर्स पार्टी ने मांग की है कि जिला लाहौर जेल कम्पाउंड में स्थित फव्वारा चौक का नाम स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह के नाम से किया जाए।

23 मार्च 1931 भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को इसी चौक में ब्रिटिश सरकार ने फांसी दी थी। भगत सिंह ने लाहौर में ही अपनी युवाअवस्था के दिन बिताए थे। पढ़ाई करते हुए ही भगत सिंह पहले मार्क्सवादी नेता बने और उसके बाद स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ गए थे। लाहौर शहर प्रशासन ने 2012 में दिलकशा लाहौर कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को बनाने का उद्देश्य शहर की प्रमुख गलियों के नाम शहर से जुड़ी नामी हस्तियों के नाम करने की मांग के मामले देखना था।

वामपंथी पार्टी की सलाह के आधार पर कमेटी ने फव्वारा चौक का नाम भगत सिंह के नाम करने की सिफारिश की थी। बाद में लाहौर शहर प्रशासन ने भी इसकी मंजूरी दे दी थी। लेकिन लाहौर के धार्मिक कट्टरपंथियों ने इस फैसले का विरोध किया और फैसले के खिलाफ कोर्ट में चले गए। कट्टरपंथियों का कहना है कि इस्लामिक देश में शहर की नामचिन जगह का नाम एक सिख के नाम से नहीं होना चाहिए। हालांकि कोर्ट ने अभी इस पर रोक लगा रखी है, लेकिन वामपंथी लगातार इसकी मांग कर रहे हैं।

23 मार्च को आवामी वर्क्स पार्टी के कार्यकर्ताओं सहित अन्य संगठनों ने इस चौक पर एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया था। इस प्रार्थना सभा का हाफिज सइद की पार्टी जमात उल दावा के कार्यकर्ताओं द्वारा विरोध किया गया था। इसके अलावा आवामी वर्क्स पार्टी ने 27 सितंबर को चौक पर भगत सिंह का जन्मदिन भी मनाया था। इस मौके पर एक अनोखी घटना यह देखने को मिली कि जिस बेकरी हाउस को 50 किलोग्राम का केस ऑर्डर किया था। उस बेकरी हाउस ने 25 किलो अतिरिक्त केक भिजवाया और बाकी केक की कीमत में भी छूट दी। इस आयोजन के वक्त करीब 200 लोग चौक पर पहुंचे थे। इनमें से कुछ लोग लाहौर से कुछ दूरी पर स्थित भगत सिंह के पैतृक गांव से भी लोग शामिल होने आए थे। आवामी वर्क्स पार्टी का कहना है कि आम पाकिस्तानी नागरिकों की ऎसी प्रतिक्रियाओं से हमारा मनोबल बढ़ता है।

6 प्रोफेसर्स अपने नाम की पर्चियां उछाल बारी-बारी से करते थे छात्रा का रेप



पाटण (गुजरात)। गुजरात हाईकोर्ट ने सेशन कोर्ट के फैसले को यथावत रखते हुए शनिवार को पाटण के पीटीसी कॉलेज के 6 प्रोफेसर्स में से 5 को आजीवन कैद और एक को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुना दी। 
 
उल्लेखनीय है कि 4 फरवरी 2008 में रेप का यह चौंकाने वाला सामने आया था। पीटीसी कॉलेज के 6 प्रोफेसर कॉलेज की ही एक दलित स्टूडेंट का सामूहिक बलात्कार किया करते थे। आरोपियों ने छात्रा की वीडियो क्लिीपिंग भी बना ली थी और इसके अलावा परीक्षा में फेल कर देने की धमकी देकर उसका मुंह बंद करवा रखा था। 
 
सामाजिक डर की वजह से जब छात्रा ने इनके खिलाफ मुंह नहीं खोला तो आरोपियों ने उसकी जिंदगी बद से बदतर कर दी थी। प्रोफेसर्स कॉलेज की कैंटीन, प्रयोगशाला तक में उसका बलात्कार करते थे। इसके अलावा कॉलेज खत्म हो जाने के बाद अक्सर रात को कॉलेज के पास बुलाकर भी उसका सामूहिक बलात्कार करते थे। आखिरकार पीड़ित छात्रा ने यह बात अपनी सहेलियों को बताई और इस तरह इस शर्मनाक मामले का खुलासा हुआ।

सोनिया, क्‍वीन एलिजाबेथ से भी अमीर! अमेरिकी मीडिया ने बताई सवा खरब की संपत्ति, कांग्रेस भड़की

सोनिया, क्‍वीन एलिजाबेथ से भी अमीर! अमेरिकी मीडिया ने बताई सवा खरब की संपत्ति, कांग्रेस भड़की
नई दिल्‍ली. अमेरिकी वेबसाइट 'हफिंगटन पोस्‍ट' ने दुनिया के 20 सबसे अमीर नेताओं की सूची जारी की है। इसमें कांग्रेस अध्‍यक्ष सोनिया गांधी को भी स्‍थान दिया गया है, जिससे कांग्रेस भड़क गई है। 'हफिंगटन पोस्‍ट' की लिस्‍ट में सोनिया गांधी की संपत्ति 2 अरब डॉलर (सवा खरब रुपए) बताई गई है। सोनिया को लिस्‍ट में 12वें क्‍वीन एलिजाबेथ और प्रिंस ऑफ मोनाको एल्‍बर्ट द्वितीय से भी ऊपर रखा गया है।

क़ुरान का सन्देश

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