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06 दिसंबर 2013

फारुख अब्‍दुल्‍ला का बयान- अब कोई लड़की सेक्रेटरी ही नहीं रखनी चाहिए. बाद में मांगी माफी



नई दिल्ली. यौन शोषण के आरोपों में घिरे सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस अशोक कुमार गांगुली सुप्रीम कोर्ट की जांच समिति की ओर से पेश रिपोर्ट के बारे में पूछे जाने पर उखड़ गए (रिपोर्ट के बारे में अगली स्लाइड में पढ़िए)। कोलकाता में मीडिया की ओर से इस मुद्दे पर सवाल किए जाने पर 66 साल के जस्टिस गांगुली ने कहा, 'मुझे परेशान मत कीजिए। मैं पहले ही बहुत कुछ सह चुका हूं।' 
 
 
दूसरी ओर, इसी मामले को लेकर पूछे गए सवाल पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री फारुख अब्दुल्ला ने विवादित बयान दिया है। फारुख अब्दुल्ला से जब जस्टिस गांगुली मामले में प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा, 'अब तो ये हालत हो गई है कि आजकल लड़की से बात करने में भी डर लगने लगा है। बल्कि हम तो समझते हैं कि हम में से अब किसी को लड़की सेक्रेटरी ही नहीं रखनी है। खुदा-ना-खास्ता हमारे खिलाफ शिकायत न हो जाए और हम ही जेल न पहुंच जाएं। हालत ऐसी हो गई है। मैं मानता हूं कि हिंदुस्तान में रेप बढ़ गए हैं। ऐसी बात नहीं है कि ऐसा नहीं है, मगर कहीं तो कोई रुकावट होनी चाहिए।'
 
जब एक पत्रकार ने फारुख अब्दुल्ला से पूछा कि क्या आप लड़कियों को इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं तो उन्होंने तुरंत ही अपने सुर बदल दिए और कहा, 'नहीं, मैं लड़कियों को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा हूं। मैं इसके लिए समाज को जिम्मेदार ठहरा रहा हूं। समाज ऐसी स्थिति में पहुंच गया है कि अब एक तरफ से दूसरी तरफ को दबाव बढ़ने लगा है। अफसोस इस बात का है कि पहले तो रेप होना ही नहीं चाहिए। लेकिन हिंदुस्तान में ऐसी घटनाएं बढ़ गई हैं, क्योंकि औरतों की संख्या में कमी आई है, घर में अगर लड़का पैदा होता है तो हम खुश होते हैं। वहीं लड़की के होने पर रोने लगते हैं, जबकि लड़कियों का भी समाज में होना बहुत जरूरी है।' 
 
बयान पर बवाल होने पर फारुख अब्दुल्ला ने माफी मांग ली है। उन्होंने सवाल पूछ रहे पत्रकारों से यह भी कहा, 'आप लोग सबका बेड़ा गर्क करोगे। अरे मैं तो कई तरह की हल्कीफुल्की बात करता हूं। यह मेरे लिए नई बात नहीं है।'
 
इससे पहले फारुख के बेटे और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई थी कि उनके पापा इस बयान के लिए माफी मांगेंगे। 
 
इस बीच, केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने जस्टिस एके गांगुली को निशाने पर लेते हुए कहा है कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अपना पल्ला झाड़ते हुए नहीं दिखना चाहिए। 

क़ुरान का सन्देश

लेकिन ज़रा सोचो इन हालातों में दूसरी महिला उत्पीड़ित होती है

मेरे दोस्तों ..मेरे भाइयों ...मेरी बहनो ...हाल ही में पूर्व जस्टिस गांगुली ..तेजपाल सहित कई दर्जन ऐसे मामले आये है जिसमे महिला उत्पीड़न का मामला साबित है ...जो भी लोग महिलाओं को उत्पीड़ित करते है उन्हें सज़ा मिलना ही चाहिए ...लेकिन ज़रा सोचो इन हालातों में दूसरी महिला उत्पीड़ित होती है ....जी हाँ दोस्तों यह सही है के कोई महिला दस साल ...बीस साल ...तीस साल बाद भी अगर आकर कहे के इस व्यक्ति ने इतने दिन पहले मेरे साथ व्यभिचार क्या था ....तो उसका जेल में जाना  निश्चित है ..लेकिन उसकी पत्नी ..उसकी माँ ..उसकी बेटी ..उसकी बहन भी एक महिला होती है जिसके दिल पर उस वक़त इतने वक़त पुराने मामले की शिकायत अजीब सी दुखकाड घटना लगती है ...समाज में इन दिनों महिलाओं में जागृति है ..थाने है ..अदालतें है ..महिला संगठन है ..महिला जागृति है ऐसे में अब इन क़ानूनों में थोडा बहुत तो संशोधन होना चाहिए ..और व्यभिचार ..छेड़छाड़ के मामले में परिभाषा क्या हो .....समयसीमा कितने दिन ..कितने महीने ..कितने साल की हो ..सहमति किसे माना जाए ..कई दशक तक चुप्पी साध कर अचानक शिकायत करने वाली महिला की  शिकायत को कितनी तरजीह दी जाए ....जेसे मामलों में देह कि प्रमुख महिलाओं का एक पेनल बनाकर पुख्ता क़ानून ऐसा बनाना आवश्यक हो गया है जिसमे संभ्रांत महिलाये अत्याचार ..व्यभिचार ..शोषण ..ज़ोरजबरदस्ती से बच सके ..लेकिन पुरुष वर्ग भी किसी भी प्रकार की ब्लेकमेलिंग ..वर्षो पुरानी घटना के मामले में उसके विरुद्ध आरोप होने अपर भी एक तरफा कार्यवाही से उन्हें बचाने के लिए क़ानून बनना ज़रूरी है ज़रूरत पढ़े तो कुछ विशिष्ठ मामलों में महिलाओं को भी चिन्हित कर उन्हें भी पुख्ता तहक़ीक़ात के बाद दंडित करने का क़ानून बने ....पुरुष दोषी है या फिर पुरुष को दोषी बनाया गया है ........महिला कई वर्षो बाद उसके उत्पीड़न कि घटना क्यूँ बताती है ..यह सब बातें तय होना चाहिए ...........क्योंकि जहां एक हाथ से ताली बजाने की कोशिश कर पुरुष ज्यादती करता है उसे तो मृत्युदंड मिलना ही चाहिए लेकिन जहां दोनों हाथों से ताली बजती रहतीहै और एक पढ़ाव पर जाकर किसी ब्लेकमेलिंग की  गरज़ से कई वर्षों बाद शिकायत होती है तो फिर तो पुख्ता बिंदुवार तहक़ीक़ात के बाद ही कार्यवाही होने का क़ानून होना चाहिए क्योंकि ऐसे मामलों में महिला शिकायत करता होती है वोह अबला भी है सम्मानीय भी है लेकिन ऐसी अबला की  वजह से दूसरी अबलायें जिनमे अपराधी बनाये गए पुरुष की पत्नी ...माँ ..बहन ..बेटियां होती है वोह भी प्रताड़ित होती है तो मेरे दोस्तों मेरी बहनों एक मर्यादित समाज जिसमे बिना किसी ब्लेकमेलिंग के दोषी व्यक्ति को दंड मिले और महिलाओं के साथ न्याय हो इसके लिए पुख्ता संशोधित क़ानून अगर देश कि महिलाओं से बनवाकर लागू क्या जाए तो आपकी क्या राय है बताइये ज़रूर प्लीज़ ..................क्योंकि अब फारुख अब्दुल्ला हो चाहे नरेश अगवाल हो वोह महिलाओं के लिए उलजलूल बात कर नफरत का भाव पैदा कर रहे है छुआछूत का भाव पैदा कर रहे है और इससे समाज कि मानसिकता पर तो असर पढ़ ही रहा है ...सो प्लीज़ बताइये ज़रूर अपने विचार अपने सुझाव ..जो भी हो लिखे भी और महिला आयोग ..सुप्रीमकोर्ट ..राष्ट्रपति ..संसद ..में लिखे ज़रूर ....अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

कभी जो मेरी ख्वाहिश

कभी जो
मेरी ख्वाहिश
मेरी बात सुनकर
खिलखिलाते थे
आज देख लो मंज़र
अजीब है
वही कहते है मुझसे झुंझलाकर
तुम्हारे ख्याल
तुम्हारी बातों से
मुझे दुःख होता है ........................अख्तर

हाँ मे ही गलत था हाँ में ही गलत हूँ

हाँ मे ही गलत था
हाँ में ही गलत हूँ
हाँ में ही गलत समझ बेठा था
तुम्हे पाकर
तुम्हारा साथ पाकर
तुम्हे मुझ से प्यार है
तुम्हे मुझ से प्यार है
हाँ में ही गलत था
हाँ में ही गलत हूँ
में समझ बेठा था
तुम मेरे जीवन साथी हो
तुम मेरे अपने हो
तुम मेरा दुःख जान सकोगे
तुम मेरा साथ दोगे
तुम मेरे साथ रहोगे
हां में ही गलत था
हाँ में ही गलत हु
तभी तो
आज तुमने
मुझे झटकार दिया
मुझे फटकार दिया
तुम्हारे साथ रहने का जो मेरा ख़्वाब था
उस ख्वाब को तुमने
यूँ ही पल भर में तोड़ दिया
हां में ही गलत था
हा में ही गलत हूँ
इसीलिए तो
में कल भी अकेला था
आज भी अकेला हूँ
शायद कल भी में अकेला ही रहूंगा
हां में ही गलत था
हां में ही गलत हूँ ....
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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