आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

09 दिसंबर 2013

महबूबनगर में बनेगा सोनिया गांधी का मंदिर



महबूबनगर में बनेगा सोनिया गांधी का मंदिर
Hyderabad, Tue Dec 10 2013, 12:00 AM
महबूबनगर में बनेगा सोनिया गांधी का मंदिर

महबूबनगर। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के प्रति अपनी निष्ठा दिखाने और पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के वास्ते धन्यवाद देने के लिए आंध्र प्रदेश के पूर्व मंत्री और सिकंदराबाद कैंट क्षेत्र से विधायक पी शंकर राव ने सोमवार को उनके एक मंदिर की आधारशिला रखी।

राज्य में महबूबनगर जिले के कोट्टुर मंडल में इस मंदिर का निर्माण नौ एकड़ में किया जाएगा। इस मंदिर की आधारशिला सोनिया के जन्मदिन पर रखी गई।

इस मौके पर राव ने कहा कि सोनिया ने पृथक तेलंगाना राज्य के गठन के लिए जो प्रयास किए, इसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देते हंै।

उन्होंने कहा कि सीमांध्र के नेता सोनिया गांधी का पुतला जा रहे हैं, उनके पोस्टरों को नष्ट कर रहे हैं, लेकिन तेलंगाना समर्थक नेता सोनिया के लिए मंदिर बनवाएंगे। इस बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्थानीय नेताओं ने इस मंदिर का विरोध करते हुए कहा कि पृथक तेलंगाना के गठन की घोषणा करने में देरी की गई है और कई छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इन नेताओं ने चेतावनी दी कि यदि मंदिर बनाया गया तो वे इसे ढहा देंगे।

केजरीवाल बोले- राजनेता भ्रष्‍ट हैं, राजनीति नहीं, अन्‍ना से मांगा समर्थन


केजरीवाल बोले- राजनेता भ्रष्‍ट हैं, राजनीति नहीं, अन्‍ना से मांगा समर्थन
नई दिल्‍ली. अरविंद केजरीवाल ने ईमानदार पॉलिटिक्‍स करने वालों से नया फ्रंट बनाने की अपील की है। उन्‍होंने कहा कि यह पहली बार है जब लोग राजनीति में ईमानदारी देख रहे हैं। उन्‍होंने कहा- हमारे देश में राजनेता भ्रष्‍ट है, राजनीति नहीं। उन्‍होंने दिल्‍ली स्‍पष्‍ट कहा कि आप फिर से चुनाव के लिए तैयार है। पार्टी ने तो किसी को सपोर्ट करेगी और न ही किसी का सपोर्ट लेगी। केजरीवाल ने अन्‍ना हजारे से समर्थन की अपील भी है।  
 
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी यानी 'आप' को मिली सफलता को कांग्रेस के खिलाफ दिल्‍लीवालों के आक्रोश के तौर पर देखा जा रहा है। खुद आम आदमी पार्टी के नेता भी मान रहे हैं कि भ्रष्‍टाचार के खिलाफ उनकी मुहिम के चलते और महंगाई, भ्रष्‍टाचार जैसे मुद्दों को लेकर कांग्रेस से जनता आजिज आ चुकी थी, जिसका उन्‍हें लाभ मिला। 'आप' को इन मुद्दों से फायदा तो मिला, लेकिन वह बहुमत हासिल नहीं कर सकी। 
 
'आप' का कहना है कि वह किसी की मदद से सरकार नहीं बनाएगी। इसके बजाय दोबारा चुनाव लड़ना पसंद करेगी। एक बड़ा वर्ग यह मानने लगा है कि अगर दोबारा चुनाव हुए तो 'आप' को पूर्ण बहुमत मिलने की संभावना बहुत ज्‍यादा है, लेकिन सबसे बड़ी समस्‍या यह है कि 'आप' के पास कोई गवर्नेंस मॉडल नहीं है। वह किस तरह से विकास के एजेंडे को बढ़ाएंगे। सिर्फ भष्‍टाचार विरोधी मुहिम के दम पर सरकार चलाना मुश्किल है। केजरीवाल ने आज तक गवर्नेंस के मॉडल को लेकर अपना विजन सामने नहीं रखा है। उनकी राजनीति अभी तक विरोध के दम पर चल रही है, लेकिन सत्‍ता में आने के बाद 'विरोध' के हथियार से काम नहीं चलने वाला है।
 
दिल्‍ली चुनाव में आम आदमी पार्टी (आप) का 28 सीटों पर जीतना इन चुनावों में सबसे बड़ी चौंकाने वाली बात रही। परिणाम से पहले आए एग्जिट पोल में भी आप के कुछ सीटें जीतने की बात कही गई थी, लेकिन आप दिल्‍ली में 40 पर्सेंट सीटों पर जीत हासिल करेगी, इसका किसी ने भी अनुमान नहीं लगाया था। इसी चुनाव में एक और सबसे बड़ी बात शीला दीक्षित का चुनाव हारना भी रही। दिल्‍ली की तीन बार मुख्‍यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को आप के संस्‍थापक अरविंद केजरीवाल के हाथों 25 हजार से ज्‍यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा।
 
आप को दिल्‍ली चुनाव में पहली बार में ही यह जीत यूं ही हासिल नहीं हुई है। इस चुनाव में दिल्‍ली में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी आप ने इसके लिए लोगों के बीच न केवल अपनी पहुंच बनाई, बल्कि बहुमत में आने पर स्‍वच्‍छ छवि वाली सरकार देने का भी आश्‍वासन दिया। इन सबके बीच अरविंद केजरीवाल एक हीरो बनकर उभरे। अरविंद केजरीवाल ने अपनी नौकरी छोड़ देश को भ्रष्‍टाचार मुक्‍त बनाने का संकल्‍प लिया और समाजसेवी अन्‍ना हजारे के नेतृत्‍व में यूपीए सरकार के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया।

कांग्रेस ने माना- AAP को हल्‍के में लेना पड़ा महंगा, दिग्विजय बोले- राहुल को बनाओ PM कैंडिडेट



नई दिल्‍ली.  चार राज्‍यों में मिली कांग्रेस का सूपड़ा-साफ होने के बाद सोमवार को सोनिया गांधी के घर पर हुई बैठक में आत्‍ममंथन के दौरान पार्टी के वरिष्‍ठ नेताओं ने माना कि आम आदमी पार्टी को हल्‍के में लेना, उन्‍हें भारी पड़ गया। दूसरी ओर कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि पार्टी को राहुल गांधी को पीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश कर देना चाहिए। उन्‍होंने कहा कि इस काम में देरी करना अब ठीक नहीं है। इससे पहले दिल्‍ली की सत्‍ता पर 15 साल तक राज करने वाली शीला दीक्षित ने हार का ठीकरा गुटबाजी पर फोड़ा। उन्‍होंने कहा- चुनाव में मुझे कांग्रेस पार्टी का सपोर्ट नहीं मिला।
 
कांग्रेस पार्टी और दिल्‍ली की कांग्रेस सरकार अलग-अलग रास्‍तों पर चल रहे थे। मुझे लगता है कि यही सबसे बड़ी समस्‍या रही। इतना ही नहीं, पार्टी लाइन से हटकर शीला ने यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार बनाने के लिए 'आप' को समर्थन नहीं देगी। आपको बता दें कि कांग्रेस प्रवक्‍ता जयंती नटराजन से रविवार शाम को यही सवाल पूछा गया था, लेकिन शीला ने जो बातें कहीं हैं, उन्‍हें जयंती नटराजन ने खारिज कर दिया था। 
 
 
विधानसभा चुनावों में भाजपा ने पूरा दम दिखाया। राजस्थान और मध्यप्रदेश में तीन चौथाई जबकि छत्‍तीसगढ़ में बहुमत पार का आंकड़ा हासिल कर लिया, लेकिन दिल्ली सिर्फ चार कदम दूर रह गई। 28 सीट हासिल कर आम आदमी पार्टी (आप) ने भगवा रथ रोक दिया। नहीं तो बीजेपी की जीत 4-0 से पक्की थी। राजस्थान में भाजपा को तीन चौथाई बहुमत मिला। छत्तीसगढ़ में भाजपा बरकरार रही और रमन की हैट्रिक लगी। मध्यप्रदेश में भाजपा ने एकतरफा जीत दर्ज की। इन चारों राज्‍यों में कांग्रेस की पराजय हुई है।

क़ुरान का सन्देश

 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...