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18 दिसंबर 2013

जानिए, क्या है लोकपाल बिल में


जानिए, क्या है लोकपाल बिल में

जानिए, क्या है लोकपाल बिल में

नई दिल्ली। लोकपाल बिल बुधवार को लोकसभा में पारित हो गया। बिल राज्यसभा में मंगलवार को ही पास हो गया था। अब बिल राष्ट्रपति के पास जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद बिल कानून का रूप ले लेगा। इसके लिए अन्ना हजारे ने कई बार अनशन किया तब जाकर ये हकीकत बन पाया। जानिए क्या है लोकपाल बिल और ये कैसे भ्रष्टाचार को रोकने में कारगर होगा।


1.लोकायुक्त

बिल में प्रावधान है कि 365 दिन के भीतर राज्यों में लोकायुक्तों का गठन करना होगा। राज्यों को लोकायुक्तों की प्रकृति और प्रकार की स्वतंत्रता दी गई है।

क्या था पुराने बिल में

राज्यों की सहमति के बाद ही कानून लागू होगा। केन्द्र सरकार को राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति का अधिकार दिया गया था, जबकि नए बिल में यह अधिकार राज्यों को दिया गया है।

2.लोकपाल का संविधान

लोकपाल में एक चेयरमैन और अधिकतम आठ सदस्य होंगे। इनमें से चार न्यायिक सदस्य होंगे। चार अन्य सदस्य एससी, एसटी, ओबीसी, अल्पसंख्यकों और महिलाओं में से होने चाहिए।

यह था पुराने बिल में

चेयरमैन सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, सर्वोच्च न्यायालय के मौजूदा या पूर्व न्यायाधीश या गैर न्यायिक सदस्य को बनाने की बात कही गई थी।

3.लोकपाल का चयन

लोकपाल का चयन करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष का नेता, लोकसभा अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शामिल होंगे। समिति का पांचवा सदस्य एमिनेंट जयूरी श्रेणी से होगा। पांचवे सदस्य को राष्ट्रपति या चयन समिति के पहले चार सदस्यों की सिफारिश पर नामित किया जा सकता है।

यह था पुराने बिल में

पुराने बिल में पांचवे सदस्य का चयन पूरी तरह राष्ट्रपति पर छोड़ दिया गया था।

4.धार्मिक संगठन और ट्रस्ट

नए बिल में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को शामिल किया गया है जो जनता से पैसा लेते हैं। विदेशी स्त्रोतों से फंडिंग लेते हैं या जिनकी आय का स्तर एक निश्चित सीमा से ज्यादा होगा।

यह था पुराने बिल में

इसमें पब्लिक सर्वेट की परिभाषा का विस्तार किया गया था। लोकपाल के दायरे में उन सोसायटियों और ट्रस्ट को लाया गया था जो जनता से दान लेते हैं। उन संगठनों को भी लोकपाल के दायरे में लाया गया था जिनको विदेशी चंदा (10 लाख से ऊपर) प्राप्त होता है।

5.अभियोजन

जांच रिपोर्ट पर विचार के बाद ही किसी मामले में चार्जशीट दाखिल की जा सकेगी। लोकपाल की अभियोजन शाखा होगी या लोकपाल संबंधित जांच एजेंसी को विशेष अदालतों में अभियोजन चलाने के लिए कह सकता है।

पुराने बिल में यह था

इसमें लोकपाल की अभियोजन शाखा को ही किसी मामले में अभियोजन चलाने का अधिकार दिया गया था।

6.सीबीआई

अभियोजन के लिए निदेशालय स्थापित होगा। निदेशक की नियुक्ति के लिए सीवीसी की सिफारिश के आधार पर होगी। लोकपाल जिन मामलों की जांच के लिए सीबीआई को कहेगा,उस जांच में शामिल अधिकारियों का ट्रांसफर लोकपाल की मंजूरी के बाद ही होगा। जिन मामलों की जांच सीबीआई को दी जाएगी उनकी लोकपाल निगरानी करेगा।

7.प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री भी लोकपाल के दायरे में होंगे।

8.सुनवाई

नए बिल में प्रावधान है कि लोकपाल के फैसले से पहले सरकारी कर्मचारी की भी बात सुनी जाएगी।

9.जांच

इनक्वायरी 60 दिन में और जांच 6 महीने में पूरी होनी चाहिए। सरकारी कर्मचारी का पक्ष सुनने के बाद ही लोकपाल जांच का आदेश देगा। प्रधानमंत्री के खिलाफ जांच कैमरे के सामने होगी। पीएम के खिलाफ जांच तभी होगी जब लोकपाल की बैंच के दो तिहाई सदस्य मंजूरी देंगे।

10.पैनल्टी


बिल में झूठी और फर्जी शिकायतें करने वालों को एक साल की सजा और एक लाख रूपए के जुर्माने का प्रावधान है। सरकारी कर्मचारियों के लिए सात साल की सजा का प्रावधान है। आपराधिक कदाचार और आदतन भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले को दस साल की सजा होगी।

देवयानी के अपमान पर अमेरिकी विदेश मंत्री ने फोन करके जताया खेद



नई दिल्ली/वॉशिंगटन.  वीजा धोखाधड़ी के आरोप में अमेरिका में 12 दिसंबर को गिरफ्तार और बाद में जमानत पर रिहा की गईं भारतीय राजनयिक देवयानी खोब्रागडे से बदसलूकी मामले में अमेरिकी विदेश मंत्री ने खेद जताया है। बुधवार देर रात अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने विदेश सचिव को फोन करने मामले पर खेद व्यक्त किया।
 
इससे पहले बुधवार को भारत में इस मुद्दे पर सड़क से लेकर संसद तक गुस्सा भड़क गया। राष्ट्रवादी शिवसेना नाम के संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने अमेरिकी दूतावास के बाहर विरोध प्रदर्शन किया। वहीं, मंगलवार को हैदराबाद स्थित अमेरिकी वाणिज्य दूतावास के बाहर भी कई लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया था। 
 
बुधवार को संसद के दोनों सदनों- राज्यसभा और लोकसभा -  में कई नेताओं ने देवयानी के साथ हुई बदसलूकी के लिए अमेरिका की तीखी आलोचना की। इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष रखते हुए विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद ने कहा, 'भारत असरदार ढंग से इस मामले में दखल देगा और यह सुनिश्चित करेगा संबंधित राजनयिक (देवयानी) की गरिमा और सम्मान बरकरार रहे।' खुर्शीद ने अमेरिका की आलोचना करते हुए यह ऐलान कर दिया कि वे तब तक संसद नहीं आएंगे जब तक देवयानी को सकुशल भारत वापस नहीं लाया जाता। खुर्शीद ने भारत में तैनात अमेरिकी राजनयिकों को मिल रही सहूलियतों को कम किए जाने का ब्योरा देते हुए यह कहा कि एक साजिश रची गई थी जिसके तहत देवयानी को फंसाया गया है। खुर्शीद ने कहा कि भारतीय राजनयिक बेकसूर है और अमेरिका की कार्रवाई गैरजरूरी थी। 
 
इससे पहले देवयानी खोब्रागडे के साथ बदसलूकी के बाद भारत के कड़े रुख के बावजूद संसद में सभी दलों के नेताओं अमेरिका को करारा जवाब देने की मांग की। लोकसभा में देवयानी के कपड़े उतारकर जांच किए जाने के मुद्दे पर मुलायम सिंह यादव ने अपना गुस्सा जाहिर किया। मुलायम ने कहा, 'क्या है अमेरिका? धमाका हुआ वहां, तो थर-थर कांपता है अमेरिका अरब देशों से। नंगा कीजिए उन लोगों को भी।'
 
राज्यसभा में नेता, विपक्ष अरुण जेटली ने भारत की विदेश नीति की समीक्षा की मांग की। जेटली ने कहा, 'अब समय आ गया है कि भारत इस बात पर जोर दे कि हमारे साथ बराबर के देश के तौर पर व्यवहार किया जाए। अगर हम अपनी विदेश नीति का पालन इसी तरह से करते रहे तो ऐसी घटनाएं हमेशा होंगी।' वहीं, बसपा अध्‍यक्ष मायावती का आरोप है कि चूंकि महिला डिप्‍लोमैट दलित समुदाय से हैं, इसलिए केंद्र सरकार ने इस मसले पर कार्रवाई करने में देर कर दी। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'हम एक वैश्विक गांव (ग्लोबल विलेज) में रहते हैं, लेकिन हमें खुद नियुक्त हुए गांव के प्रधान की जरुरत नहीं है। अब समय आ गया है कि हम इस बात का आकलन करें कि भारत में अमेरिकी राजनयिकों को क्या सुविधाएं मिलती हैं, और हमारे राजनयिकों को अमेरिका में किस तरह की सहूलियत मिलती है।'
 
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी की ओर से रामगोपाल यादव ने भी अमेरिकी रवैये की आलोचना की। ऊपरी सदन में जेडीयू सांसद शिवानंद तिवारी समेत कई नेताओं ने देवयानी के साथ बदसलूकी के मुद्दे पर चिंता जाहिर की। तिवारी ने अमेरिका के मनमाने रवैये की आलोचना की। तिवारी ने मांग की है कि अमेरिका अपने व्यवहार के लिए माफी मांगे। लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने कहा है कि यह मामला हमारी संप्रभुता पर हमला है। येचुरी ने कहा, 'अमेरिका को सही मौके पर जवाब देना होगा। अब तक की कार्रवाई पर्याप्‍त नहीं। अमेरिका को रवैया बदलना होगा। आगे कार्रवाई के लिए देश आपके साथ है।' डीएमके की सांसद कनीमोझी ने कहा कि भारतीय नेताओं के साथ भी कई बार बदसलूकी हुई है। उन्होंने श्रीलंका की जेलों में बंद भारतीय महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार पर भी भारत सरकार को ध्यान देने की मांग की। 
 
 
इस बीच, बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा के उस बयान पर विवाद हो गया है, जिसमें उन्होंने मंगलवार को कहा था कि भारत को अब उन अमेरिकी राजनयिकों को गिरफ्तार करना चाहिए जो 'साथी' के रूप में भारत में रह रहे हैं। सिन्हा के मुताबिक, 'साथी का मतलब एक समान सेक्स वाले लोगों से है। चूंकि, अब सुप्रीम कोर्ट ने भी धारा 377 को पूरी तरह से बहाल कर दिया है, ऐसे में भारत में समलैंगिक सेक्स गैरकानूनी है। जिस तरह से अमेरिका में कम मजदूरी देना अपराध है, उसी तरह से भारत सरकार को भी समलैंगिक अमेरिकी राजनयिकों को आगे बढ़कर गिरफ्तार करना चाहिए।' यशवंत सिन्हा के इस सुझाव पर सिद्धार्थ बसु ने ट्वीट किया, 'समलैंगिक अमेरिकी राजनयिकों की गिरफ्तारी की मांग करना हल्कापन दिखाता है।'

कुरान का सन्देश

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