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20 दिसंबर 2013

राजस्‍थान: सोहराबुद्दीन एनकाउंटर के आरोपी कटारिया को वसुंधरा ने बनाया मंत्री



जयपुर. राजस्‍थान में कांग्रेस का सूपड़ा-साफ करने वाली वसुंधरा राजे सिंधिया ने शुक्रवार को मंत्रिमंडल का गठन कर दिया। राज्यपाल मारग्रेट अल्वा ने राजभवन में नौ कैबिनेट और तीन राज्‍य मंत्रियों को शपथ दिलवाई। शपथ ग्रहण में कई रोचक बातें भी देखने को मिलीं। सबसे ज्‍यादा हैरानी उस वक्‍त हुई जब नंदलाल मीणा को शपथ के लिए बुलाया गया तब वह मौजूद ही नहीं थे। हालांकि, कुछ देर बाद वह पहुंचे और शपथ ग्रहण की। इसके अलावा युनूस खान भी आकर्षण का केंद्र रहें, उन्‍होंने हिंदी में ईश्‍वर की शपथ ली।
 
वसुंधरा के मंत्रिमंडल में दो राजपूत, दो वैश्‍य, दो जाट, एक मुस्‍लिम, एक माली, एक एससी, एक एसटी, एक गुर्जर और एक ब्राह्मण नेता को शामिल किया गया है। शपथ ग्रहण के दौरान सबकी निगाहें राजस्‍थान भाजपा में नंबर टू की हैसियत रखने वाले गुलाब चंद कटारिया पर सबकी निगाहें टिकी हुई थीं। सीबीआई ने सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ में कटारिया समेत चार लोगों को आरोपी बनाया हुआ है। ऐसे में सवाल बना हुआ था कि उन्‍हें मंत्री बनाया जाएगा या नहीं, लेकिन पार्टी को आखिरकार उनके कद के आगे झुकना ही पड़ा।  
 
वसुंधरा राजे ने गुलाबचंद कटारिया, राजेंद्र सिंह राठौड़, कैलाश मेघवाल, नंदलाल मीणा, गजेंद्र सिंह खींवसर, सांवरलाल जाट, यूनुस खान, प्रभुलाल सैनी और कालीचरण सराफ को मंत्रिमंडल में शामिल किया है, जबकि, स्‍टेट मिनिस्‍ट का स्‍वतंत्र प्रभार अरुण चतुर्वेदी, अजय सिंह किलक और हेम सिंह भडा़ना को दिया गया है।
 
वसुंधरा ने जिन मंत्रियों को शपथ दिलाई, उनमें नंदलाल मीणा के नाम पर सबसे ज्‍यादा बहस हुई, लेकिन उन्‍हें बुरे वक्‍त में वसुंधरा राजे के साथ खड़े होने का इनाम मिला। नंदलाल उन लोगों में से एक हैं, जब गुलाब चंद कटारिया वसुंधरा का विरोध कर रहे थे, तब नंदलाल मीणा ने कटारिया का मुकाबला किया था। 
 
गौरतलब है कि वसुंधरा राजे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ 13 दिसंबर को अकेले ही ली थी, लेकिन तब किसी को भी मंत्री पद की शपथ नहीं दिलाई थी। मंत्रिमंडल के गठन में सत्ता और संगठन से जुड़े विधायकों के बीच संतुलन साधने की कोशिशें की गई। इसके अलावा जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन का भी खयाल रखा गया है। 
 
भाजपा में इस बार 25 राजपूत, 23 जाट, 14 मेघवाल, 14 ब्राह्मण, 12 वैश्य, 10 मीणा और 8 गुर्जर विधायक चुने गए हैं। ये सातों जातियां राजस्‍थान में सबसे अधिक ताकतवर हैं। संघ लॉबी ने पहले राजेंद्र सिंह राठौड़ को मंत्रिमंडल से बाहर रखवाने की भरसक कोशिशें कीं। उन्हें दागी तक बताया, लेकिन जब वसुंधरा खेमे ने यही तर्क गुलाब चंद कटारिया के लिए दिया तो संघ लॉबी को हथियार डालने पड़े।
जयपुर से कालीचरण सराफ (मालवीय नगर) और अरुण चतुर्वेदी (सिविल लाइंस) को मंत्री बनाया गया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रह चुके चतुर्वेदी पहली बार विधायक बने हैं। ब्राह्मणों में अब तक घनश्याम तिवाड़ी प्रमुख चेहरा रहे हैं, लेकिन वसुंधरा राजे के साथ ठंडे राजनीतिक रिश्तों के चलते उन्‍हें साइड कर अरुण चतुर्वेदी जैसे नए चेहरे को आगे किया गया है।  यूनुस खान डीडवाना से विधायक हैं। पूर्व में वे खेल व परिवहन मंत्री रह चुके हैं। मुस्‍लिम वोट बैंक के लिए यूनुस खान का मंत्री बनाना जरूरी था। राजस्‍थान में कांग्रेस से एक भी मुस्‍लिम विधायक नहीं जीत पाया है। जबकि भाजपा के दो मुस्लिम विधायक हैं। इनमें से एक यूनुस खान को वसुंधरा राजे के भरोसेमंद होने का लाभ है। गोपालगढ़ गोली कांड में यूनुस खान ने कांग्रेस सरकार का जीना हराम कर दिया था। नंद लाल मीणा प्रतापगढ़ से विधायक हैं। पूर्व भाजपा सरकार में वे जनजाति मंत्री रह चुके हैं। नंदलाल तीसरी तीसरी बार मंत्री हैं। उन्हें जनजाति विकास विभाग की जिम्मेदारी मिलना तय माना जा रहा है। वसुंधरा राजे उनसे इसलिए खुश हैं कि सिर्फ मीणा ने ही गुलाब चंद कटारिया का उस समय मुकाबला किया था जब कटारिया ने वसुंधरा राजे के खिलाफ अभियान छेड़ते हुए अपनी यात्रा शुरू कर दी थी। प्रभु लाल सैनी अंता से विधायक हैं। पूर्व में एग्रीकल्‍चर मिनिस्‍टर रह चुके हैं।
 

क़ुरान का सन्देश

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