दोस्तों मेरे फेसबुक दोस्तों में बढ़ी संख्या में खुद को कोंग्रेसी कहने वाले दोस्त है ,,,,,,,,,,,,,,मेरा उनसे एक सवाल क्या उन्होंने कोंग्रेस का संविधान पढ़ा है ,,,,में बताता हूँ ,,कांग्रेस के सदस्य के लिए आवश्यक है के वोह अपने साल भर की कमाई की बेलेंस शीट कोंग्रेस कार्यालय में जमा कराएगा और उसका एक प्रतीशत हिस्सा कोंग्रेस संगठन को अनुदान देगा ,तो दोस्तों कोई भी एक कोंग्रेस का ज़िला अध्यक्ष , प्रदेश अध्यक्ष ,पदाधिकारी ,,मंत्री ,,,मुख्यंमंत्री ,केंद्रीय मंत्री ,प्रधानमंती ,राजयपाल ,,राष्ट्रपति ,खुद राहुल गांधी ,,,,सोनिया गांधी में से एक भी ऐसा कोंग्रेसी आपको मिले जिसने कोंग्रेस कार्यालय में अपने वर्ष भर कि कमाई की बेलेंस शीट कराई हो और उसका एक प्रतीशत कोंग्रेस के खाते में जमा कराया हो तो प्लीज़ मुझे ढूंढ कर बताना ज़रूर वरना कोंग्रेस के इस वैधानिक नियम के उलंग्घन के बाद तो देश में एक भी कोंग्रेसी नहीं बचता और हमारा देश कोंग्रेस विहीन लगने लगता है यही तो है निति नियम विधान और सिद्धानतो की पालना नहीं होने से कोंग्रेस का स्वरूप ही बिखर गया है ,,,,,विधान पढ़ कर कोंग्रेसियों का एक्शन देखते है तो शर्म आती है के यह गद्दार है या फिर कथित कोंग्रेसी तो दोस्तों सोनिया हो ,चाहे राहुल जी हो उनसे कहिये के या तो साल भर की कमाई की बेलेंस शीट और अनुदान सहित दूसरे मामलो की पालना कर खुद को कोंग्रेसी साबित करे देश के सभी लोगों से ऐसा करवाये वर्ना कांग्रेस के विधि विधान को दिल्ली के शहीद स्मारक पर आग स्वाहा कर दे ,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
22 दिसंबर 2013
दोस्तों एक गज़ब अजब लेकिन सच्ची बात ,,,,,,,
दोस्तों एक गज़ब अजब लेकिन सच्ची बात ,,,,,,,,,,हाल ही में नरेंदर मोदी जम्मू गए थे वहाँ फिर से कश्मीर मामले में संविधान के अनुच्छेद तीन सो सत्तर का मामला उठाया गया ,,,लोगों ने इसे मोदी की कांव कांव कहकर रिजेक्ट कर दिया ,,लेकिन दोस्तों देश एक संविधान एक और सुविधाएं ,,दर्जे अलग अलग अजीब बात है ,,,में नरेंदर मोदी के इस ख्याल से सहमत हूँ के संविधान में तीन सो सत्तर में संशोधन होना चाहिए कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है लेकिन इस अनुच्छेद के बाद आगे और अनुच्छे है जो तुरंत बाद तीन सो सत्तर के बाद तीन सो इकत्तर कहलाता है शायद मोदी जी ने वोह नहीं पढ़ा क्यूँ पढ़ेंगे गुजरात में इस अनुच्छेद के नाम पर विशेष सुविधा लेकर मज़े जो कर रहे है जी हाँ दोस्तों इस अनुच्छेद में गुजरात और महाराष्ट्र को विशेष रियायतें है फिर आगे मिजोरम ,,आसाम ,,गोवा ,,दिल्ली के मज़े है तो भाई हमारे राजस्थान ने क्या बिगाड़ा है यहाँ रेगिस्तान है ,,,,,यहाँ पाकिस्तान की सीमा जुडी है ,,,,,,,,यहाँ पत्थर है ,,पहाड़ है ,,तेज़ सर्दी है तो तेज़ गर्मी है तो जनाब सही मायनों में राजस्थान ही विशेष राज्य की सुविधा का हक़दार है ,अब नरेंदर मोदी जी घोषणा करे और केंद्र सरकार को गुजरात कि विशेष सुविधा जो संविधान के अनुच्छेद तीन सो इकत्तर से उन्हें अतिरिक्त मिल रही है उसे वापस लौटाए और फिर गुजरात का राजस्थान के बराबर विकास कर के बताये ,क्या नरेंदर मोदी जी ऐसा करेंगे वोह सब आप संविधान में अनुच्छेद तीन सो इकत्तर पढ़ने के बाद तय कीजिये और दबाव् बनाइये के नमो नमो केवल गुजरात में ही क्यूँ पुरे हिंदुस्तान के राज्यों और जिस राजस्थान को इसकी ज़रूरत है उस राज्य को अतिरिक्त मदद क्यूँ नहीं ,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
आप तो आप है ,आम आदमी ही है जिसका सरकार के बारे में राय देने का पहला अधिकारी है यह साबित कर दिया है आप पार्टी की रायशुमारी ने ,,,जी हां दोस्तों सभी जानते है के पार्टिया चुनाव लड़ती है ,
आप तो आप है ,आम आदमी ही है जिसका सरकार के बारे
में राय देने का पहला अधिकारी है यह साबित कर दिया है आप पार्टी की
रायशुमारी ने ,,,जी हां दोस्तों सभी जानते है के पार्टिया चुनाव लड़ती है
,,,,,,,अल्पमत में होने पर भी सौदेबाज़ी कर जोड़ तोड़ से लालच के बदले सरकार
बना लेती है ,,,,,,,,अभी आप पार्टी के मतदाताओं ने कोंग्रेस भाजपा को नकार
कर उनके खिलाफ आप पार्टी को वोट दिया लेकिन अल्पमत में आने पर उसे कोंग्रेस
ने समर्थन देकर सरकार बनाने के लिए कहा और कोई होता तो तुरंत कुर्सी पर
बैठता मज़े करता और फिर चला जाता लेकिन आप
पार्टी ने एक सिद्धांत लागू क्या जनता का हक़ है के वोह उनकी समर्थित पार्टी
से जाने के वोह किस पार्टी से और क्यूँ समर्थन ले रही है और जनता का यह भी
हक़ है के वोह अगर चाहे तो उनके वोटो से जीती पार्टी समर्थन ले नहीं तो
इंकार करने पर समर्थन नहीं ले ,ऐसा ही कमोबेश दिल्ली में हुआ है आप पार्टी
ने ईमानदारी से दिल्ली में पहला चुनाव विधानसभा का लड़ा और फिर दूसरा चुनाव्
सरकार बनाये या नहीं इस मामले में रायशुमारी का लड़ा दोनों ही मामलों में
आप की जीत हुई है अब कोंग्रेस भाजपा के बेमेल सौदेबाज़ी के गठबंधन की पोल
खुलते देख सभी चकित और हेरान है और डरे हुए भी है जहां कोंग्रेस और भाजपा
की सरकारे ऐसे बेमेल समझौतों से सरकार बनाकर बेठे है और जनता से कोई मेंडेट
नहीं लिया वोह शर्मिंदा भी है ,,खेर केजरीवाल ने दिल्ली जीत ली है जबकी
केजरीवाल को रोकने के लिए कोंग्रेस और भाजपा के दलाल बने अन्ना ,,,वी के
सिंह ,, किरण बेदी सहित कई लोगों ने भरपूर दलाली की लेकिन अफ़सोस जनता
जनार्दन है उन्होेंने साबित कर दिया कोंग्रेस ,भाजपा ,,दूसरी पार्टियां
,,अन्ना और उनकी टीम सभी एक ही थेली के चट्टे बट्टे है और आप पार्टी आम
आदमी की पार्टी ज़िंदाबाद है देखते है यह पार्टी अब दिल्ली में सरकार बनाकर
लोगों की कसोटी पर उतरती है या फिर वही पुराने ढर्रे वाली सियासत की शिकार
होकर इतिहास की कहानी बन जाती है ,,,,,,,,,क्योंकि सब जानते है बुराई का
बहुमत है और अच्छाई अल्पमत में है तो अच्छे लोग मिलकर क्या इस देश और देश
के साथ साथ आम नागरिक आम आदमी का भला चाहने वाली इस पार्टी को सलाम करेंगे
या फिर मटियामेट करेंगे वक़त दिखायेगा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,अख्तर
पूरे परिवार का कत्ल कर खुद की आत्महत्या, चार दिन तक घर में बंद रहीं थी लाशें
जयपुर। 2013 का अंतिम महीना अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच गया है।
जयपुर में घटी साल की बड़ी घटनाओं की बात करें तो कई ऐसे मामले हैं
जिन्होंने इंसान और इंसानियत को हिला कर रख दिया। ऐसा ही एक मामला 28 जुलाई
को सामने आया था। जिसमें एक पुलिस कांस्टेबल ने अपने पूरे परिवार को मौत
के घाट उतारने के बाद आत्महत्या कर ली थी। इतना ही नहीं पूरे परिवार की
लाशें चार दिन तक घर के अंदर बंद रहीं और किसी को खबर भी नहीं हुई। मामले
का खुलासा तब हुआ जब कांस्टेबल ने अंबाला कैंट में ट्रेन के आगे कूदकर खुद
ने भी जान दे दी।
मामला शहर के शास्त्री नगर का था। यहां एक पुलिस कांस्टेबल ने दिल
दहलाने वाली घटना को अंजाम दिया। इस कांस्टेबल ने पहले तो अपनी पत्नी आशा
देवी (33), बेटी खुशी (11) व अनु (6) और एक माह के बेटे को गला रेतकर मार
डाला, फिर सरकारी क्वार्टर को बाहर से बंद कर पंजाब भाग गया। वहां 4 दिन
बाद अंबाला कैंट में ट्रेन के आगे कूदकर खुद ने भी जान दे दी। वारदात के
पीछे गृहक्लेश को कारण बताया गया।
NDA शासनकाल में हिंदुस्तान जिंक डील में एक लाख करोड़ रुपए का नुकसान, सीबीआई को मिले सबूत
जोधपुर/नई दिल्ली। एनडीए शासनकाल में हुए हिंदुस्तान जिंक
लिमिटेड के विनिवेश में सीबीआई ने पाया है कि सरकार को लगभग एक लाख करोड़
रुपए का नुकसान हुआ है। शुरुआती जांच में इस सौदे के लिए कंपनी के असेट्स
छुपाए जाने के सबूत मिले हैं। सीबीआई ने आगे की छानबीन के लिए वेदांता
ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल, छह कलेक्टरों व विनिवेश मंत्रालय को नोटिस
भेजा है और सौदे से जुड़े दस्तावेज मांगे हैं।
सीबीआई ने इस सौदे को केंद्रीय मैटल कॉर्पोरेशन एक्ट 1976 का उल्लंघन माना है। शेयर होल्डिंग बेचने के दौरान प्राइवेट वैल्यूअर से हिंदुस्तान जिंक लि. की वैल्यूएशन कम कराई। ताकि कंपनी कम कीमत पर बिके। माइंस व अन्य संपत्ति छुपाकर स्टरलाइट कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। यानी करीब एक लाख करोड़ रुपए वाली इस कंपनी के 64 प्रतिशत शेयर महज 1500 करोड़ में बेच दिए गए। 29.54 प्रतिशत और शेयर्स खरीदने के लिए वेदांता ग्रुप ने ही पिछले साल 24,663 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है। सीबीआई की जोधपुर ब्रांच ने करीब तीन महीने तक छानबीन कर रिपोर्ट डायरेक्टर रणजीत सिन्हा को सौंपी।
सीबीआई के जोधपुर ब्रांच हेड एनएस यादव के मुताबिक 6 नवंबर 2013 को केस (पीई) दर्ज कर लिया गया है। उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, चित्तौडग़ढ़ व गुंटूर के कलेक्टर, विनिवेश मंत्रालय व हिंदुस्तान जिंक लि. के अफसरों को नोटिस देकर रिकॉर्ड मांगा गया है। जांच का फोकस मुख्य रूप से वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल पर है। हिंदुस्तान जिंक लि. के तत्कालीन सीएमडी बीएन मित्तल, एके कुंद्रा व केवीवीके सेशावतरम का भी नाम रिपोर्ट में है।
डील में ये गड़बड़ी हुई
1 लाख करोड़ की कंपनी के 64%शेयर 1500 करोड़ में बेच दिए।
कंपनी के रिजर्व में तब 80 हजार करोड़ रुपए का 150 मिलियन टन खनिज था।
सौदे में 40 हजार करोड़ रुपए सिंदेसर खुर्द माइंस का जिक्र नहीं था, उसे मुफ्त में स्टरलाइट को दे दिया। इन माइंस में तब 13 मिलियन टन जिंक बताया, अभी 80 मिलियन टन है।
राजस्थान, आंध्रप्रदेश और बिहार, तीन राज्यों में काम करने वाली इस कंपनी के देशभर में ऑफिस, पावर प्लांट और जमीनें भी थीं। करोड़ों रुपए का स्क्रैप भी था। इसका भी वैल्यूएशन कम किया गया। इन सभी की कीमत करीब 20 हजार करोड़ तक आंकी गई है। सीबीआई को सूचना है कि स्टरलाइट ने अब तक 700 करोड़ का स्क्रैप बेच भी डाला।
सीबीआई ने इस सौदे को केंद्रीय मैटल कॉर्पोरेशन एक्ट 1976 का उल्लंघन माना है। शेयर होल्डिंग बेचने के दौरान प्राइवेट वैल्यूअर से हिंदुस्तान जिंक लि. की वैल्यूएशन कम कराई। ताकि कंपनी कम कीमत पर बिके। माइंस व अन्य संपत्ति छुपाकर स्टरलाइट कंपनी को फायदा पहुंचाया गया। यानी करीब एक लाख करोड़ रुपए वाली इस कंपनी के 64 प्रतिशत शेयर महज 1500 करोड़ में बेच दिए गए। 29.54 प्रतिशत और शेयर्स खरीदने के लिए वेदांता ग्रुप ने ही पिछले साल 24,663 करोड़ रुपए का ऑफर दिया है। सीबीआई की जोधपुर ब्रांच ने करीब तीन महीने तक छानबीन कर रिपोर्ट डायरेक्टर रणजीत सिन्हा को सौंपी।
सीबीआई के जोधपुर ब्रांच हेड एनएस यादव के मुताबिक 6 नवंबर 2013 को केस (पीई) दर्ज कर लिया गया है। उदयपुर, भीलवाड़ा, अजमेर, चित्तौडग़ढ़ व गुंटूर के कलेक्टर, विनिवेश मंत्रालय व हिंदुस्तान जिंक लि. के अफसरों को नोटिस देकर रिकॉर्ड मांगा गया है। जांच का फोकस मुख्य रूप से वेदांता ग्रुप के मालिक अनिल अग्रवाल पर है। हिंदुस्तान जिंक लि. के तत्कालीन सीएमडी बीएन मित्तल, एके कुंद्रा व केवीवीके सेशावतरम का भी नाम रिपोर्ट में है।
डील में ये गड़बड़ी हुई
1 लाख करोड़ की कंपनी के 64%शेयर 1500 करोड़ में बेच दिए।
कंपनी के रिजर्व में तब 80 हजार करोड़ रुपए का 150 मिलियन टन खनिज था।
सौदे में 40 हजार करोड़ रुपए सिंदेसर खुर्द माइंस का जिक्र नहीं था, उसे मुफ्त में स्टरलाइट को दे दिया। इन माइंस में तब 13 मिलियन टन जिंक बताया, अभी 80 मिलियन टन है।
राजस्थान, आंध्रप्रदेश और बिहार, तीन राज्यों में काम करने वाली इस कंपनी के देशभर में ऑफिस, पावर प्लांट और जमीनें भी थीं। करोड़ों रुपए का स्क्रैप भी था। इसका भी वैल्यूएशन कम किया गया। इन सभी की कीमत करीब 20 हजार करोड़ तक आंकी गई है। सीबीआई को सूचना है कि स्टरलाइट ने अब तक 700 करोड़ का स्क्रैप बेच भी डाला।
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