आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

23 दिसंबर 2013

देशभर की अदालतों में लंबित हैं 320 लाख केस

देशभर की अदालतों में लंबित हैं 320 लाख केस

देशभर की अदालतों में लंबित हैं 320 लाख केस

नई दिल्ली। देश में न्याय प्रक्रिया को तेज करने के लिए 1000 से अधिक त्वरित अदालतें गठित की गईं हैं, और इन अदालतों ने 32 लाख से अधिक मामले निपटाए हैं। लेकिन आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 3.2 करोड़ मामले अभी भी लंबित पड़े हुए हैं। केंद्रीय कानून एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल ने लोकसभा में कहा था कि मार्च 2011 तक 1,192 त्वरित अदालतों में 3,292,785 मामले निपटाए गए हैं। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालयों और अधीनस्थ न्यायालयों में 3.2 करोड़ मामले लंबित पड़े हैं।


गुजरात में सबसे ज्यादा मामले निपटे

गुजरात के 61 त्वरित अदालतों ने 4,34,296 मामले निपटाए हैं, जबकि उत्तर प्रदेश के 153 अदालतों में 4,11,658 मामले, महाराष्ट्र की 51 अदालतों में 3,81,619, मध्य प्रदेश की 84 अदालतों में 3,17,363 और तमिलनाडु के 49 न्यायालयों में 3,71,336 मामलों का निपटारा हुआ है।


2001 से 2011 के बीच केंद्र सरकार के आर्थिक मदद से बिहार में 179 अदालतें गठित हुई हैं और यहां मार्च 2011 तक 1,59,105 मामलों का निपटारा हुआ है। सिब्बल ने बताया कि 11वें वित्त आयोग की सिफारिश पर 2000 के बाद से लंबित पड़े मामलों के निपटारे के लिए अदालतों का गठन किया गया था। दिसंबर 2012 तक 2.76 करोड़ मामले अधीनस्थ अदालतों में जबकि 44 लाख मामले उच्च न्यायालयों में लंबित पड़े हैं।

दिल्ली उच्च न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश एस.एन.ढींगरा ने कहा कि सरकार को और अधिक न्यायाधीशों की बहाली करनी चाहिए। ढींगरा ने बताया कि इन अदालतों का गठन पिछले मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने के लिए किया गया था। त्वरित न्यायालय, जिसका काम जिला और अधीनस्थ न्यायालयों में कई लंबित मामलों का निपटारा करना है, कर्मचारियों की कमी से जूझ रहा है।


जल्द सुनवाई के लिए 870 करोड़ रूपए

सिब्बल ने कहा कि त्वरित सुनवाई के लिए केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को सीधे धन मुहैया कराया है। 2000-01 से 2010-11 के बीच 870 करोड़ रूपये आवंटित किए गए हैं। सबसे ज्यादा धन उत्तर प्रदेश और बिहार को दिया गया है। कुछ राज्य अपने खर्च पर त्वरित अदालत चला रहे हैं। राज्य सरकारों के धन से 701 अदालतें चल रही हैं, जिसमें बिहार में 183 और महाराष्ट्र के 100 अदालत शामिल हैं।


देरी की वजह

वरिष्ठ अधिवक्ता सुशील कुमार मानते हैं कि मामलों के लंबित रहने की वजह यह है कि सरकारी वकीलों के पास बहुत अधिक काम है। कई मामलों को एक व्यक्ति पूरा समय नहीं दे सकता। कुमार अधिक सरकारी वकीलों की नियुक्ति पर जोर देते हैं। कभी-कभी एक वकील को ही दो या अधिक मामलों में पेश होना होता है। एक ही समय में अलग-अलग न्यायालयों में मामला चल रहा होता है। एक मामले की वजह से दूसरे को नुकसान भुगतना पड़ता है।


सिब्बल ने महिलाओं, बच्चों, शारीरिक रूप से अक्षम लोगों, वरिष्ठ नागरिकों और वंचितों के खिलाफ होने वाले अपराध की सुनवाई के लिए पर्याप्त अदालतों के गठन की सिफारिश की। सर्वोच्च न्यायालय ने 19 अप्रैल 2012 को त्वरित अदालत को धन मुहैया न कराने की केंद्र की नीति का समर्थन किया था, जो एक दशक से लंबित पड़े मामलों के लिए गठित किए गए थे। न्यायालय ने केंद्र एवं राज्य सरकार को निचली अदालतों में 10 फीसदी कर्मचारियों की नियुक्ति के निर्देश दिए थे।

पिता की शहादत को बेटे का नमन, बेटी बोली- पापा! प्लीज एक बार तो बोलो



पानीपत/गुड़गांव/चरखी दादरी. दक्षिणी सूडान के अशांत जोंगलेई में गुरुवार को शांति सेना के कैंप पर हुए आत्मघाती हमले में शहीद हुए राजराइफल में सूबेदार मेजर खेड़ी बत्तर गांव धर्मेश सांगवान और भौंडसी के सूबेदार कंवरपाल सिंह राघव सोमवार को अमर हो गए। देश के इन सपूतों के अंतिम संस्कार में राज्य सरकार के कई बड़े प्रतिनिधि और नेता मौजूद रहे, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से कोई नहीं पहुंचा।
भौंडसी गांव में केंद्रीय गृह मंत्रालय से कोई भी अधिकारी मौके पर मौजूद नहीं था। तिरंगे में लिपटे शहीदों को नमन करने के लिए पहुंच हर व्यक्ति की आंखें नम थीं। उधर, शहीद की माता मूर्ति देवी, पत्नी स्नेहलता देवी, पुत्री अंजली राघव और पुत्र तरुण राघव का रोते-रोते बुरा हाल था। लोगों को उम्मीद थी कम से कम बच्चों के भविष्य को देखते हुए शहीद कंवरपाल के परिजनों को आर्थिक मदद की घोषणा की जाए। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ।
दक्षिण सूडान में 20 दिसंबर को हुए एक हमले में शहीद हुए प्रदेश के दो जवानों का सैनिक सम्मान के साथ सोमवार को उनके पैतृक गांवों में अंतिम संस्कार कर दिया गया। हमले में चरखी दादरी के खेड़ी बत्तर गांव के सूबेदार धर्मेश सांगवान और गुड़गांव में भोंडसी गांव के सूबेदार कुमार पाल सिंह मारे गए थे।
दोनों ही जवानों के बच्चे अपने पिता के शहीद होने पर दुखी थे। लेकिन जहां एक तरफ बहादुरी दिखाते हुए पिता संगवान की शहादत को बेटे ने नमन किया वहीं दूसरी ओर धर्मेश की मासूम बेटी बोली- पापा! प्लीज एक बार तो बोलो।

पटना ब्‍लास्‍ट के आरोपी इम्तियाज के घर जाकर भाजपा नेता ने दिया मोदी की रैली में आने का न्‍योता



रांची. रांची में 29 दिसंबर को होने वाली नरेंद्र मोदी की रैली के लिए पटना ब्‍लास्‍ट के आरोपी इम्तियाज के परिजनों को भी निमंत्रण मिला है। इम्तियाज पर बोधगया ब्‍लास्‍ट और पटना में हुई नरेंद्र मोदी की रैली में हुए ब्‍लास्‍ट में शामिल होने का आरोप है। फिलहाल वह जेल में बंद है।
 
रविवार को भाजपा नेता सीपी सिंह, अल्पसंख्यक मोर्चा के कमाल खां समेत अन्य नेता सीठियो गांव पहुंचे और घर-घर जाकर लोगों को रैली में शामिल होने का आमंत्रण पत्र बांटा। वे इम्तियाज के घर भी गए और उसके पिता को कार्ड देकर रैली में आने के लिए कहा।
 
रैली की सफलता के लिए अनुसूचित जनजाति मोर्चा, किसान मोर्चा और भाजपा के अन्‍य कार्यकर्ताओं ने विभिन्‍न जगहों पर जनसंपर्क अभियान चलाया। 
 
मोदी की रैली को लेकर सिटी एसपी और स्पेशल ब्रांच धुर्वा स्थित मैदान में बन रहे मंच की एडवांस सिक्योरिटी लाइजनिंग कर चुकी है। साथ ही मंच के फॉर्मेट की मॉनिटरिंग भी की गई है। गुजरात के मुख्यमंत्री को एनएसजी की सुरक्षा मिली हुई है।  
 
मंच का निर्माण पुलिस की देखरेख में किया जा रहा है। मंच से आगे डी एरिया तक की दूरी 90 फीट की होगी। इस डी एरिया के अंदर किसी के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी। मीडिया का इस डी एरिया में प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। रांची पुलिस ने मैदान को कब्जे में ले लिया है। वहां 16 पुलिसकर्मियों की तैनाती कर दी गई है।  
 
सिटी एसपी मनोज रतन चौथे ने बताया कि सभा स्थल को फुल प्रूफ सिक्योरिटी जोन बनाया जाएगा। सर्किल और सेमी सर्किल के बीच वीआईपी को प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद आम लोगों के लिए व्यवस्था की जाएगी। इस एरिया में किसी को जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। पार्टी की ओर से पुलिस को दी गई जानकारी के अनुसार नरेंद्र मोदी बिरसा मुंडा एयरपोर्ट से सड़क मार्ग से सभा स्थल पर पहुंचेंगे।
 
जगन्नाथपुर मंदिर जा सकते हैं मोदी
 
नरेंद्र मोदी ने 29 दिसंबर को प्रभात तारा मैदान में आयोजित रैली में जाने से पहले जगन्नाथपुर मंदिर में माथा टेकने की इच्छा व्यक्त की है। मोदी की इस इच्छा के बाद प्रशासन उनके सुरक्षा प्रबंधों को पुख्ता बनाने में जुट गया है। क्योंकि जगन्नाथपुर मंदिर पर चढ़ने के लिए बनी कंक्रीट की सड़क बहुत ही संकरी है और ऊपर मंदिर तक जाने का रास्ता भी काफी टेढ़ा-मेढ़ा है। इस रास्ते पर पूरे काफिले का चढ़ना मुश्किल हो सकता है। ऐसे में प्रशासन उनकी सुरक्षा के सभी संभावित उपायों की जांच-पड़ताल में लग गया है।
 
भाजपा के एक शीर्ष नेता ने बताया कि मोदी कई कारणों से जगन्नाथपुर मंदिर जाना चाहते हैं। रैली में जाने से पूर्व मंदिर में भगवान का दर्शन कर वह अपने हिंदूवादी चरित्र का संदेश देना चाहते हैं। साथ ही क्षेत्र के इस ऐतिहासिक मंदिर में जाकर लोगों का भावनात्मक प्रेम भी हासिल करना चाहते हैं। मोदी पिछले हफ्ते वाराणसी में हुई रैली के दौरान भी बाबा विश्वनाथ के मंदिर गए थे।

मोदी की मुंबई रैली पर अमेरिका को आपत्ति



नई दिल्ली. राजनयिक देवयानी खोब्रागडे के मुद्दे के बाद अब अमेरिका ने गुस्ताखी की सारी हदें पार कर दी हैं। अब अमेरिका भारत को यह बताने की कोशिश कर रहा है कि भारतीय नेता कहां रैली कर सकते हैं और कहां नहीं। 
 
दरअसल, ताज़ा विवाद रविवार को मुंबई के एमएमआरडीए मैदान में हुई नरेंद्र मोदी की रैली को लेकर है। एमएमआरडीए मैदान मुंबई के बांद्रा इलाके में है, जहां अमेरिकी वाणिज्य दूतावास मौजूद है। अमेरिकी प्रशासन की ओर कहा गया है कि मोदी की रैली में शामिल हुए लोगों की ओर से अमेरिका के वाणिज्य दूतावास पर हमले का खतरा था। 
 
बांद्रा में मौजूद अमेरिकी वाणिज्य दूतावास को कई स्तरों की सुरक्षा मुहैया कराई गई थी। लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय के अफसर तब हैरान रह गए जब अमेरिका ने मोदी की रैली के मद्देनजर सुरक्षा कड़ी किए जाने की मांग की। बताया जा रहा है कि अमेरिका ने भारत सरकार से कहा था कि रविवार को हुई मोदी की रैली में शामिल हुए लोग वाणिज्य दूतावास और उसके अफसरों पर हमला कर सकते हैं। 
 
लेकिन भारत ने ओबामा प्रशासन को बता दिया है कि भारत की मुख्य धारा की राजनीतिक पार्टी की ओर से आयोजित रैली पर सुरक्षा के नजरिए से अमेरिका का सवाल उठाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। भारतीय अफसरों का कहना है कि मुंबई स्थित अमेरिकी दफ्तर की सुरक्षा का सवाल उठाना एक बहाना है जबकि असल मुद्दा भारतीय राजनयिक देवयानी का अपमान और संगीता रिचर्ड को भारत से अमेरिका ले जाना है।

AAP को समर्थन के विरोध में कांग्रेसियों का प्रदर्शन, योगेंद्र बोले- पहले दिन भी गिर सकती है सरकार



नई दिल्‍ली. सियासी मैदान में कूदने के बाद पहली बार दिल्‍ली विधानसभा चुनाव लड़ने वाली आम आदमी पार्टी अब सरकार बनाने जा रही है। वहीं, कांग्रेस में 'आप' को समर्थन का खुला विरोध शुरू हो गया है। सोमवार को पहले शीला दीक्षित ने समर्थन वापसी का विकल्‍प खुला रखने की बात कही, इसके बाद कांग्रेसी कार्यकर्ता 'आप' को समर्थन के विरोध में सड़कों पर उतर आए। इससे पहले सोमवार सुबह 11 बजे अरविंद केजरीवाल ने जनता की राय के आधार पर सरकार बनाने का फैसला सार्वजनिक किया, लेकिन 'आप' के नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्‍ठ वकील प्रशांत भूषण ने कांग्रेस के साथ अपनी पार्टी के गठबंधन को अलोकतांत्रिक बताया। वहीं, 'आप' के नेता योगेंद्र यादव ने भी कहा कि उनकी पार्टी की सरकार पहले दिन भी गिर सकती है। दूसरी ओर किरन बेदी ने एक बार फिर केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस के साथ सरकार बनाने का फैसला लेकर उन्‍होंने बहुत बड़ा खतरा मोल ले लिया है। आपको बता दें कि बेदी ने 'आप' को भाजपा के साथ सरकार बनाने का प्रस्‍ताव दिया था। 
 
इससे पहले प्रशांत भूषण ने पत्रकारों से कहा कि दिल्‍ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को सबसे ज्‍यादा 31 सीटें मिलीं, जबकि 'आप' 28 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। भाजपा सबसे ज्‍यादा सीटें जीतने के बावजूद सरकार से बाहर है, यह अलोकतांत्रिक है। प्रशांत भूषण ने कहा कि 'आप' अपना एजेंडा पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है और अगर कांग्रेस-भाजपा मिलकर हमारी सरकार गिराते हैं, तो यह उनकी इच्‍छा पर निर्भर करेगा। दूसरी ओर दिल्‍ली की पूर्व मुख्‍यमंत्री शीला दीक्षित ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस ने 'आप' को बिना शर्त समर्थन नहीं दिया है। उनकी पार्टी ने 'आप' को मुद्दों पर समर्थन दिया है और समर्थन वापसी का विकल्‍प खुला है। लगातार तीन बार दिल्‍ली की सीएम रह चुकी शीला दीक्षित ने सोमवार को चुनाव में मिली हार के कारणों पर कहा- दिल्‍ली के लोग झूठों सपनों में बह गए। 
 
इससे पहले प्रशांत भूषण ने रविवार को कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने को मजबूरी में लिया गया फैसला बताया, लेकिन वह इसका बचाव भी करते दिखे। उन्‍होंने कहा- 'आप' जनता की इच्‍छा के अनुरूप काम कर रही है। हमने जनमत संग्रह कराया, जिसमें 70 प्रतिशत लोगों ने सरकार बनाने के पक्ष में राय दी। हमें सरकार बनाने के लिए समर्थन की जरूरत थी और कांग्रेस बाहर से समर्थन देने को खुद राजी हुई।
 
प्रशांत भूषण ने पत्रकारों से बातचीत में कहा- 'आप' का शुरू से यह मानना रहा है कि कांग्रेस के साथ मिलकर जो सरकार बनेगी, वह ज्‍यादा दिन नहीं चलेगी। हम जानते हैं कि कांग्रेस समर्थन देकर जनता को यह बताना चाहती है कि हम सरकार नहीं चला सकते, लेकिन हम ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं।
 
'आप' के कौशांबी स्थित दफ्तर में पार्टी के बड़े नेताओं ने सोमवार को सरकार की रूपरेखा को अंतिम रूप दिया। तय किया गया कि अरविंद केजरीवाल दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री होंगे।

क़ुरान का सन्देश

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...