आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

12 जनवरी 2014

एक ने रिक्शा चलाकर की पढ़ाई तो दूसरे ने दृष्टिहीन होकर भी छात्रों को दिखाई राह



जयपुर. सफलता के लिए सुविधाओं की नहीं, बल्कि दृढ़ निश्चय की जरूरत है। लक्ष्य तय कर पूरे मनोयोग से कदम बढ़ाए जाएं तो मंजिल मिल ही जाती है। ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान यूनिवर्सिटी में हाल ही नियुक्त हुए असिस्टेंट प्रोफेसर्स ने। एक के पास फीस के पैसे नहीं थे तो रिक्शा चलाया।
मां ने बेटे की पढ़ाई की खातिर एक वक्त का भोजन ही त्याग दिया। दृष्टिहीन होने के बावजूद एक युवा के कदम नहीं लडख़ड़ाए। इन असिस्टेंट प्रोफेसर्स से परिजनों को भी उनसे ये अपेक्षा नहीं थी। ऐसे शिक्षकों  से पढ़कर छात्र खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं, इन्हें आइडियल भी मान रहे हैं।
कॉलेज की फीस चुकाने के लिए रिक्शा तक चलाया
ड्राइंग एंड पेंटिंग डिपार्टमेंट में भर्ती हुए असिस्टेंट प्रोफेसर जगदीश मीणा करीब 10-12 वर्ष पूर्व बांदीकुई से 12वीं उत्तीर्ण करके जयपुर आए थे। राजस्थान कॉलेज में एडमिशन हो गया, लेकिन फीस चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। उन्होंने साइकिल रिक्शा चलाया। वे सवारियों को राजस्थान यूनिवर्सिटी के गेट पर छोड़ा करते थे और यूनिवर्सिटी में पढऩे और यहीं पढ़ाने का सपना देखते थे। कॉलेज की पढ़ाई जारी रही। हॉस्टल की मैस का खर्चा निकालने के लिए रात में रिक्शा चलाना जारी रखा।
फिर जेकेके में पेंटिंग बनाने लगे, आमदनी होने लगी तो रिक्शा चलाना छूट गया। जीवन से संघर्ष और पढ़ाई जारी रखी। यूनिवर्सिटी से पीजी किया। इसके बाद नेट, जेआरएफ किया। उच्च शिक्षा का सपना पूरा हो चुका था। पिछले महीने वे असिस्टेंड प्रोफेसर भी बन गए। जगदीश मीना किसी भी व्यक्ति के चेहरे को देखकर महज 10 मिनट या इससे भी कम समय में उसका स्कैच तैयार कर देते हैं। यूनिवर्सिटी के कुलसचिव ओपी गुप्ता का कहना है कि जगदीश को कला भगवान की देन है।

क़ुरान का सन्देश

 
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...