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13 जनवरी 2014

राहुल गांधी का पहला इंटरव्यूः 'आम आदमी भी कह सके कि भैया, मैं आपके घोषणा-पत्र में यह चाहता हूं...'


43 साल की उम्र के राहुल गांधी मानते हैं कि देश की बहुत बड़ी युवा आबादी को उनके सपने पूरे करने के लिए रोजगार मुहैया कराना, उसके लिए पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर के साथ विकास की दर को बढ़ाना तो जरूरी है ही लेकिन इसके साथ-साथ यह और भी जरूरी है कि देश के हर व्यक्ति के सिर पर छत हो, खाने के लिए पर्याप्त भोजन हो, सुरक्षा हो और समाज में आपसी सामंजस्य हो। वे बताते हैं- इसी सपने को लेकर मैं राजनीति में उतरा और इसी सपने को पूरा करने के लिए मैं पार्टी में एक व्यवस्था कायम करना चाहता हूं। जिसके तहत हर व्यक्ति को उसकी काबिलियत के आधार पर मौका मिले और उसे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास रहे।
मेरा फोकस देश के लिये एक लॉन्ग टर्म विज़न पर है। जहां सभी भारतीयों को बराबर आजादी, सम्मान और अवसर मिलें। ऐसा भारत जहां लड़कियों के साथ भेदभाव न हो। इसके लिए हमें अपने गवर्नेंस सिस्टम को सुधारना होगा। सरकार को गरीबों के दरवाजे पर जाना होगा। सिविल सर्विस और कानूनी व्यवस्था में परिवर्तन जरूरी हैं। सरकार को ईमानदार होना होगा। भ्रष्टाचार  के लिए जीरो टॉलरेंस होना चाहिए।
देश के किसी भी समाचार-पत्र को दिया गया उनका यह पहला इंटरव्यू है। दैनिक भास्कर समूह के नेशनल एडिटर कल्पेश याग्निक से हुई उनकी विशेष बातचीत के अंश...
सवाल : क्या प्रधानमंत्री पद की जिम्मेदारी लेंगे?
जवाब : हम एक लोकतांत्रिक संगठन हैं। हमें लोकतंत्र में विश्वास है। भारत की जनता अपने चुने हुये प्रतिनिधियों के द्वारा ये तय करेगी कि इस देश का प्रधानमंत्री कौन होगा। देश के हित में कांग्रेस का सत्ता में आना जरूरी है। और उसके लिए संगठन ने जो जिम्मेदारी दी है या जो भविष्य में देगी, उसे मैं पूरी निष्ठा के साथ निर्वाह करूंगा।
सवाल : माना जा रहा है कि कांग्रेस से अब मैदानी संघर्ष नहीं हो रहा है। सांसद-विधायक मैदान में नहीं जाते?
जवाब : नहीं, ऐसा नहीं है। यह बहुत बड़ा जनरलाइजेशन है। कांग्रेस में बहुत योग्य लोग हैं। जमीन से जुड़े लोग हैं। सांसद-विधायक फील्ड में नहीं जाते, इस बात से भी मैं सहमत नहीं हूं। पार्टी से युवाओं को जोडऩे की जरूरत है। हमने पिछले सालों में इसमें काम किया है। और आगे भी करेंगे।
सवाल : आप कह रहे हैं कि आम आदमी पार्टी से सीखेगी कांग्रेस?
जवाब : कांग्रेस पार्टी एक मजबूत और गतिशील संगठन है। कांग्रेस ने पहले भी देश की राजनीति के स्वरूप को बदला है और आगे भी बदलेगी। जबसे मैं राजनीति में आया हूं तबसे हम यह सब बातें उठाते रहे हैं। इसमें से कुछ चीजें आम आदमी पार्टी ने अमल की हैं। पर हमारा और उनका रवैया अलग-अलग है। मैं उनके कई तरीकों से सहमत नहीं हूं। हमारे निर्णय लोगों के हित में शार्ट टर्म गेन के बजाए उनके सुरक्षित भविष्य को देखकर होने चाहिए।
'भारत में सम्राट अशोक हुए। अकबर हुए। औरंगजेब रहा। सम्राट अशोक जोडऩे के लिए प्रसिद्ध हुए। अकबर ने भी लोगों को जोड़ा। तो उनके नाम अलग ही सम्मान के साथ लिए जाते हैं। औरंगजेब का नाम अलग तरह से लिया जाता है। कांग्रेस सौ साल से जोडऩे का ही काम कर रही है।'
सवाल : भाजपा के कांग्रेसमुक्त भारत और नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर आप क्या कहेंगे?
जवाब : आज भाजपा एक व्यक्ति आधारित सत्ता चाहती है, जो देशहित में नहीं है। सत्ता किसी एक व्यक्ति की सोच और उसके अपने तरीकों से नहीं चलनी चाहिए। सबको साथ लेकर चलने से ही 120 करोड़ लोगों के भविष्य को संवारा जा सकता है। कांग्रेस इस देश के डीएनए में है। भाजपा कांग्रेस मुक्त भारत की बात कह रही है। वह यह नहीं समझती कि कांग्रेस ही एक ऐसी राजनीतिक शक्ति है जिसने लोगों को देश में जोड़कर रखा है।
सवाल : प्रियंका की अगले चुनाव में क्या भूमिका होगी? क्या वे चुनाव लड़ेंगी?
जवाब : प्रियंका मेरी बहन और मेरी दोस्त है। साथ ही, कांग्रेस की सक्रिय कार्यकर्ता हैं। और इसके नाते वे मुझे और संगठन को मजबूत करने के लिए मदद कर रही हैं। मुझे नहीं लगता कि उनकी कोई चुनावी भूमिका होगी।
आम आदमी भी कह सके कि भैया, मैं आपके घोषणा-पत्र में यह चाहता हूं...
आपने यह नहीं पूछा है, लेकिन मैं यह खासतौर पर बताना चाहता हूं कि भारत की एक बड़ी ताकत है इसका एजुकेशन सिस्टम, लेकिन इसे खोलना होगा। यह सिस्टम ऐसा नहीं लगता, जो सवा सौ करोड़ लोगों की जरूरतों को पूरा कर सके। दस सालों में कांग्रेस ने सबसे बड़ी कोशिश यही की कि ज्यादा से ज्यादा बच्चों को स्कूल भेजा जा सके, उन्हें शिक्षा मिल सके। और इसके बाद सबसे बड़ा अगला कदम हमारा यह होगा कि कैसे हम शिक्षकों को ताकत दें, उन्हें मजबूत बनाएं। लोगों को रोज़गार मिल सके, हमने मेन्युफैक्चरिंग के लिए एक बड़ा ढांचा तैयार कर लिया है। बिजली के क्षेत्र को खोल दिया है। हाईवे बनाए गए है। कॉरिडोर खड़े कर दिए है। दिल्ली-मुंबई  कॉरिडोर और बेंगलुरू-चेन्नई जैसे कॉरिडोर बना रहे हैं। हम देश को इस तरह से बदलना चाहते हैं कि सभी वर्गों के लोगों को फायदा मिले।

क्या आपको सौ प्रतिशत भरोसा है कि कांग्रेस-यूपीए इस बार भी आम चुनाव में जीतेगी?

- मुझे लगता है कि पिछले दस वर्षो में हमने काफी अच्छे काम किए है। जिसमें हमने विकास के ढांचे को बदला है। जिसमें मनरेगा और राइट टू एजुकेशन, भूमि अधिग्रहण और लैंडमार्क निर्णय लिए गए हैं। कांग्रेस अधिकार देती जा रही है। आप देखेंगे हमने राइट टू इंफार्मेशन दिया। राइट टू फॉरेस्ट दिया। राइट टू आइडेंटिटी-आधार-दिया। राइट टू फूड दिया। यूपीए सरकार, लोगों को राइट्स देने वाली सरकार के रूप में इतिहास में दर्ज होगी।
जैसा कि मैंने आपसे कहा था कि आमतौर पर कांग्रेस को कम आंका जाता है। जैसा कि 2004 और 2009 में भी कम आंका गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हां, अब होने वाले आम चुनाव बहुत एक्साइटिंग है और मुझे पूरा विश्वास है कि हम चुनाव में अच्छा करेंगे।
शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजग़ार के साथ ही ग्रोथ रेट को भी बढ़ाना जरूरी है। हम इस बारे में अपने घोषणा-पत्र में विस्तार से बताएंगे।
मेरी जिंदगी में रिलक्टेंस नाम का कोई शब्द नहीं है
भास्कर : कहा जा रहा है आप तत्पर नहीं रहते जिम्मेदारी लेने के लिए। रिलक्टेंट हैं?
राहुल गांधी : हमारी पार्टी में यह फैसला वरिष्ठ नेता लेते हैं। पहले भी इसी तरह से फैसले लिए जाते रहे हैं।
लेकिन प्रश्न यह नहीं है कि फैसला कौन लेता है। यह तो कांग्रेस अपने तरीके से ले लेगी। मेरा प्रश्न आपसे जिम्मेदारी से दूर रहने का है। जैसे कि सत्ता ज़हर है... जो बात बहुत फेमस है। क्या आप जिम्मेदारी नहीं लेना चाहते?

-'सत्ता ज़हर है’  का मतलब यह नहीं है कि मैं जिम्मेदारी लेने को तत्पर नहीं हूं। देखिए मेरी जिंदगी में रिलक्टेंस नाम का कोई शब्द नहीं हैं। 'सत्ता ज़हर है’ यह ऑब्जरवेशन है, कि पावर जब आती है तो उसके साथ जो खतरे आते हैं उससे कैसे निबटना है, यह वह है। 'सत्ता जहर है’ का अर्थ है कि पावर का इस्तेमाल जनता की भलाई के लिए करो। खुद को बड़ा करने के लिए, खुद को ताकतवर बनाने के लिए इसका इस्तेमाल मत करो।
लेकिन मेरा प्रश्न सीधा है। क्या आप किसी भी ऐसी जिम्मेदारी को स्वीकार करेंगे? या आप रिलक्टेंटली हां कहेंगे। विचार करूंगा, यह कहेंगे। क्या कहेंगे?
-देखिए, मेरे परिवार के किसी भी सदस्य ने पावर के लिए कभी काम नहीं किया। मेरे पिता, मेरी दादी किसी ने भी नहीं।

जी नहीं, मैं पावर की बात नहीं कर रहा हूं?
-देखिए, मैं कांग्रेस का सिपाही हूं। जो भी मुझे आदेश मिलेगा मैं उसका पालन करूंगा। कांग्रेस जो कहेगी मैं वही करूंगा। मेरा सवाल यह है कि हमारा सारा आर्ग्यूमेंट एक पोस्ट को लेकर क्यों रुक जाता है? राष्ट्रीय स्तर पर यह बहस क्यों होती है?  एक व्यक्ति विशेष और पद विशेष की बात ही क्यों चलती है? राजनीति में सुधार की बात क्यों नहीं चलती? कोई भी सिस्टम को बदलने की बात करने को तैयार नहीं है। बात यह होनी चाहिए कि हम पॉलिटिकल सिस्टम को कैसे बदलें।
लोग अब स्पेसिफिक डिक्लेरेशन चाहते हैं - सीधी घोषणा। तो कांग्रेस स्पेसिफिक क्यों नहीं है?
- कांग्रेस इस बारे में कभी भी स्पेसिफिक नहीं रही। मुझे कांग्रेस ने जो काम करने को कहा, मैंने उसे पूरा किया। जो भी काम देंगे, उसे पूरा करूंगा।

कांग्रेस के प्रदर्शन पर
कांग्रेस इतनी छोटी क्यों होती जा रही है? क्या आप इसके प्रदर्शन से संतुष्ट हैं?
- मैंने कभी दावा नहीं किया कि कांग्रेस में सब कुछ ठीक है, कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें ठीक करना है। मैंने ये सभी बातें पार्टी के सामने रखी हैं।
उम्मीदवारी में लोगों को जोड़ने पर
आम जनता से कैसे पूछेंगे कि किसको उम्मीदवार बनाया जाए?
-कांग्रेस लोकतंत्र को गहराई से लागू करना चाहती है। हम आम जनता को पार्टी में, संगठन में शामिल कर रहे हैं। आज आपने देखा कि हमने पार्टी के घोषणा-पत्र को जनता के सामने खोल दिया है। देश भर से आए युवाओं के बीच में पहली बार ऐसा प्रोसेस हुआ। मैं चाहता हूं कि आम आदमी भी कह सके कि भैया, मैं आपके घोषणा-पत्र में यह चाहता हूं।
गठबंधन पर
क्या वजह है कि सहयोगी पार्टियां भी कांग्रेस से दूर होती जा रही हैं?
-सहयोगी हमसे दूर जा रहे हैं, यह सही नहीं है। हमारे डिस्कशन अभी चल रहे हैं। जम्मू-कश्मीर में हमारे सहयोगी हैं, महाराष्ट्र में हमारे सहयोगी हैं। बिहार में हमारे सहयोगी नहीं थे, इस बार बात चल रही है।
बिहार में लालू यादव से गठबंधन करते हैं तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध आपका मुद्दा तो पूरी तरह ध्वस्त हो जाएगा। कांग्रेस ऐसा क्यों करेगी?
- अभी तो बातचीत चल रही है। पार्टी की अलायंस कमेटी ये फैसले लेती हैं और उनकी सिफारिशें मुझे मंजूर होंगी।
अपने निजी शौक पर
- मुझे स्विमिंग और रनिंग पसंद है। मैं मेडिटेशन और ऐकिडो जापानी मार्शल आर्ट की प्रैक्टिस करता हूं। मानसिक फिटनेस के लिए शारीरिक फिटनेस बहुत जरूरी है। मुझे टेक्नोलॉजी में भी बहुत दिलचस्पी है। मेरे पापा राजीव गांधी जी पायलेट थे और मेरे पास भी पायलेट लाइसेन्स है।

क़ुरान का सन्देश

 
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