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05 फ़रवरी 2014

यह पढ़ने के बाद, बदल जाएगा केले के प्रति आपका नजरिया



लाइफस्टाइल डेस्क: केला दिखने में भले ही एक साधारण फल लगे, लेकिन यह सेहत की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है। इसमें छुपी खूबियों को पढ़ने के बाद आप फिर कभी केले को एक ही नजरिए से नहीं देखेंगे। एक केला निरंतर ऊर्जा को बढ़ाता है। केले में तीन प्राकृतिक शुगर पाए जाते हैं- सूक्रोज, फ्रक्टोज और ग्लूकोज।

कई रिसर्च में यह साबित हो चुकी है कि सिर्फ दो केले का सेवन करने से आप ९क् मिनट तक पर्याप्त ऊर्जावान रह सकते हैं। इस बात का पता इससे लगता है कि विश्व के प्रमुख खिलाड़यों की डाइट में केला नंबर एक फल है।

केले से हमें सिर्फ ऊर्जा ही नहीं मिलती ये फिट रखने में हमें मदद करता है। कई बीमारियों से उबरने में केला काफी मददगार है। रोजाना इसका सेवन करना बहुत ही फायदेमंद होता है।

AAP कार्यकर्ताओं ने अपने ही वरिष्ठ नेता को पीटा, फेंके अंडे-टमाटर


रांची। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता बुधवार को रांची की सड़कों पर आपस में ही भिड़ गए। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने सर्कुलर रोड स्थित होटल सिटी पैलेस के सामने करीब डेढ़ घंटे तक जमकर तमाशा किया। कार्यकर्ताओं ने पार्टी के वरिष्ठ कार्यकर्ता और झारखंड के तीन सदस्यीय चुनावी तैयारी समिति के सदस्य सोमनाथ त्रिपाठी पर हाथ चलाए और अंडे- टमाटर फेंके। स्थिति ऐसी हो गई कि सोमनाथ त्रिपाठी को कार्यकर्ताओं के विरोध को देखते हुए रोड़ पर भागना पड़ा।
आप के कार्यकर्ताओं का कहना था कि पार्टी ने ऐसे लोगों को झारखंड के चुनाव अभियान समिति (लोकसभा चुनाव के लिए) का सदस्य बना दिया है जिसे यहां कोई जानता तक नहीं और उन्होंने यहां पार्टी को मजबूती देने में कोई योगदान भी नहीं दिया है। कार्यकर्ताओ ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में चुनाव अभियान समिति के इन सदस्यों को कार्यकर्ता स्वीकार नहीं करेंगे। कार्यकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि पैसे लेकर चुनाव अभियान समिति में सदस्यों को स्थान दिया गया है।
इसलिए हुआ हंगामा
झारखंड तैयारी समिति के सदस्य सोमनाथ त्रिपाठी ने बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस बुलाया था। सोमनाथ को पत्रकारों का यह जानकारी देनी थी कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में झारखंड के लिए लोकसभा चुनाव तैयारी अभियान समिति के लिए 11 सदस्य तय किए है। जो झारखंड में आगामी लोकसभा चुनाव में मुख्य भूमिका में रहेंगे। लेकिन इसकी घोषणा करने से पहले ही पार्टी के अन्य कार्यकर्ताओं ने विरोध करना शुरू कर दिया।

अलगाव पर भाई ने कहा- पिता से बेटा कैसे पूछे कि मां को क्यों छोड़ा?



औरंगाबाद. भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की 'पत्नी' यशोदाबेन ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा था, उन्होंने (मोदी ने) मुझे अपनी जिंदगी से अलग कर दिया।' लेकिन, मोदी के भाई प्रह्लाद का कहना है कि यह फैसला उनकी भाभी का था। इस बारे में पूछे जाने पर गुजरात के मुख्यमंत्री के भाई प्रह्लाद कहते हैं कि यह मोदी का व्यक्तिगत मामला है। मोदी को पितातुल्य मानने वाले प्रह्लाद का कहना है कि बेटा अपने पिता से यह सवाल कैसे करे कि उन्होंने मां को क्यों छोड़ दिया? निजी कार्यक्रम में हिस्सा लेने महाराष्ट्र के औरंगाबाद आए प्रह्लाद ने दिव्य मराठी को दिए इंटरव्यू में मोदी से जुड़े कई सवालों के जवाब दिए।
नरेंद्र मोदी की शादी हो गई थी। बाद में उन्होंने पत्नी को छोड़ दिया। इसका आपको बुरा नहीं लगा?
शादी उनका व्यक्तिगत मामला है। कई साल पहले उन्होंने यह फैसला लिया था। इस बारे में मैंने कभी न तो उनसे कोई चर्चा की, न ही उनकी पत्नी से संपर्क किया।
कभी ऐसा नहीं लगा कि अपनी भाभी का आपको हालचाल पूछना चाहिए? 
नहीं। क्योंकि अलग होने का फैसला उनका था। उसके बाद उनसे बात करने का सवाल ही नहीं उठा।
मोदी द्वारा इस तरह से पत्नी को छोड़ देना क्या सही है?
मैंने जैसा पहले बताया कि यह उनका व्यक्तिगत मामला है। बेटा अपने पिता से यह कैसे पूछे कि मां को क्यों छोड़ दिया।
नरेंद्र मोदी पर गोधराकांड के बाद दंगा भड़काने के आरोप हैं। आप क्या कहेंगे?
मोदी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के बाद चर्चा का रुख और भी गहरा हो गया है। सुप्रीम कोर्ट जब तक किसी व्यक्ति को अपराधी नहीं मानता तब तक वह व्यक्ति राष्ट्रपति पद का चुनाव भी लड़ सकता है। हम पांच भाई हैं। हममें से किसी को भी हमारे माता-पिता ने हिंसावादी संस्कार नहीं दिए। मैं निश्चयपूर्वक कह सकता हूं कि गुजरात दंगों में नरेंद्रभाई का हाथ नहीं था।
फिर किसका हाथ था? कोई तो इसके पीछे होगा?
इसका जवाब चाहिए तो इन सवालों का जवाब तलाशना जरूरी है कि गोधरा में ट्रेन किसने जलाई? कारसेवकों को किसने जिंदा जलाया? मैं मोदी विरोधियों से कहता हूं कि ये जवाब तलाशने के बाद ही नरेंद्रभाई पर दंगों के आरोप लगाएं।
फिर भी वह दंगा किसी ना किसी के कहने से ही हुआ होगा ना? 
वह सब अपने आप होता गया। कारसेवकों की लाशें गोधरा से अहमदाबाद लाई गईं। उन्हें देख लोग आक्रामक हो गए। कोई किसी को चांटा जड़े तो उसकी रिएक्शन होनी ही है।

27 जनवरी से फ्रीजर में रखे आशुतोष महाराज को सरकार ने भी बताया मृत



चंडीगढ़. पंजाब के दिव्य ज्योति संस्थान, नूरमहल के संस्थापक आशुतोष महाराज को डॉक्‍टरों के बाद पंजाब सरकार ने भी 'क्लिनिकली डेड' बता दिया है। लेकिन, उनके भक्‍त अभी भी उन्‍हें जिंदा मान रहे हैं और बता रहे हैं कि बाबा समाधि में हैं। अब इस मामले में कोर्ट के निर्देश का इंतजार है। उनका शरीर अभी भी शून्‍य डिग्री तापमान में रखा हुआ है।
 
क्‍या है स्थिति 
आशुतोष महाराज 27 जनवरी से इस अवस्था में हैं कि न नब्ज है न धड़कन। डॉक्टर उन्‍हें ‘क्लिनिकली डेड’ घोषित कर चुके हैं, लेकिन भक्तों के लिए बाबा ‘गहन समाधि’ में हैं। उनकी देह फ्रीजर में है। मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। पंजाब सरकार ने बुधवार को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट पेश की। इसमें बताया गया कि आशुतोष महाराज ‘क्लिनिकली डेड’ हैं। 
 
क्‍या है दलील
महाराज की शिष्‍या जया भारती ने कहा कि बाबा पहले भी कई बार समाधि में जा चुके हैं और इस बार भी समाधि में ही हैं। यह पूछने पर कि वह कब तक समाधि से बाहर आएंगे, उन्‍होंने कहा कि यह फैसला केवल महाराज का होगा। उन्‍होंने बताया कि पहले भी वह कभी दो दिन, कभी पांच दिन के लिए समाधि में जा चुके हैं। भारती के मुताबिक महाराज कभी भी इस बारे में कुछ बताते नहीं थे और इस बार भी बिना कुछ बताए समाधि में चले गए हैं। जिस दिन वह समाधि से बाहर होंगे, उस दिन पूरे विश्‍व को पता चल जाएगा। 
 
क्‍या है ट्विस्ट  
लेकिन, केस में एक ट्विस्ट और है। खुद को आशुतोष महाराज का पुराना ड्राइवर बताने वाला पूर्ण सिंह भी हाईकोर्ट पहुंच गया है। उसका दावा है कि संपत्ति ट्रांसफर करने व गद्दी बदलने के लिए आश्रम ने आशुतोष महाराज को बंधक बनाकर रखा है। कोर्ट ने आश्रम को नोटिस भेज 11 फरवरी तक जवाब मांगा है।

पहली बार सामने आया इंदिरा का पत्र, सिख नेताओं से बातचीत के बीच चल रही थी ब्लूस्टार की तैयारी


अमृतसर/चंडीगढ़. अब तक यही पता था कि 1984 के ऑपरेशन ब्लूस्टार से पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दमदमी टकसाल के प्रमुख जरनैल सिंह भिंडरावाला को एक पत्र लिखा था। इनमें क्या था, यह कभी सामने नहीं आया था। पहली बार यह पत्र भास्कर ने हासिल किया है। इससे पता चलता है कि एक तरफ तो इंदिरा गांधी श्री दरबार साहिब से आतंकियों को खदेडऩे की तैयारियों में जुटी थीं और दूसरी ओर सिख नेताओं से बातचीत कर रही थीं।
ऑपरेशन की तैयारियां 1983 से ही शुरू हो गई थीं, जबकि इस पर अमल तीन जून 1984 से शुरू हुआ। ब्रिटिश सरकार की हालिया जांच से यह बात साबित हो गई है कि 1983 में इंदिरा ने ब्रिटिश पीएम मारग्रेट थैचर से ऑपरेशन ब्लूस्टार के लिए मदद मांगी थी। उनके आग्रह पर ही थैचर ने दो सेना सलाहकार अमृतसर भेजे थे। उन्होंने ऑपरेशन की रणनीति बनाने में भारतीय सेना की मदद की थी। लेकिन, कांग्रेस ने कभी यह स्वीकार नहीं किया था कि ऑपरेशन ब्लूस्टार की तैयारियां पहले से थी। उसका तर्क था कि यह तात्कालिक फैसला था।
क्या कहा था टोहड़ा ने
टोहड़ा ने कहा था, मांगे पूरी होती हैं तो खालसा पंथ व नेहरू परिवार में नजदीकियां कायम हो जाएंगी: पत्रों में टोहड़ा ने इंदिरा गांधी को यहां तक कह दिया था कि अगर वे सिखों की मांगे पूरी कर देतीं तो खालसा पंथ और नेहरू परिवार में नजदीकिया कायम हो जाएंगी। लौंगोवाल ने भी इंदिरा को मई 1983 में एकपत्र लिखा था। इसमें नौ मांगें की गई थीं।

क़ुरान का सन्देश

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