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07 फ़रवरी 2014

आशुतोष महाराज की देह के लिए बेटा अनशन पर, परिवार ने हजार करोड़ की संपत्ति में मांगा हिस्सा



नई दिल्ली/मधुबनी/जालंधर। आशुतोष महाराज के परिजन उन्हें मृत मान चुके हैं। परिजनों का आरोप है कि महाराज का देहांत कई दिन पूर्व हो चुका है, लेकिन जानबूझकर यह बात सार्वजनिक नहीं की जा रही। साथ ही परिजनों ने महाराज की संपत्ति में हिस्से की मांग भी की है। महाराज के बेटे व भतीजे का कहना है कि वे आशुतोष जी की संपत्ति के स्वाभाविक उत्तराधिकारी हैं। उनका परिवार इस बाबत कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार कर रहा है। आशुतोष महाराज का बेटा दिलीप झा शुक्रवार को अपने गांव लखनौर (मधुबनी) में अनशन पर बैठ गया है।

बताया जा रहा है कि संस्थान के पास 1000 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। उन्होंने पंजाब सरकार से भी इस बाबत कानून के मुताबिक कार्रवाई की अपील की है। भवेंद्र झा के मुताबिक, जल्द से जल्द आशुतोष का संस्कार हो। आश्रम का दावा है कि महाराज समाधि में हैं। हालांकि, परिवार अब इसे ढकोसला बता रहा है।
महाराज के छोटे भाई भवेंद्र का कहना है कि अब कानून को अपना काम करना चाहिए। भतीजे पवन झा का कहना है कि आशुतोष जी का शव उनके परिवार को सौंपा जाए। पवन ने महाराज की संपत्ति में हिस्से की भी मांग रखी है। उनका कहना है कि बिहार में रहने वाला महाराज का बेटा व परिवार के अन्य सदस्य बेहद गरीब हैं। अब इन लोगों को महाराज की संपत्ति में से कम से कम इतनी रकम तो मिलनी ही चाहिए जिससे उनकी गरीबी दूर हो सके। परिजन चाहते हैं कि संस्था के कर्ताधर्ता उन्हें उनका हिस्सा दें। ऐसा न होने की सूरत में कानूनी उपायों पर विचार किया जाएगा। हालांकि अभी तक परिवार ने कोई कानूनी नोटिस नहीं भेजा है।

जनलोकपाल पर खुली 'जंग': केजरीवाल ने LG को लिखी कड़ी चिट्ठी, पूछे तीखे सवाल


नई दिल्‍ली। दिल्‍ली के जिस जनलोकपाल विधेयक को असंवैधानिक बताया जा रहा है, उसे पास कराने को लेकर अब मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल अड़ गए हैं। उन्‍होंने इस मसले पर दिल्‍ली के उपराज्‍यपाल (एलजी) नजीब जंग को एक चिट्ठी लिखते हुए कठोर सवाल किए हैं। केजरीवाल ने एलजी से पूछा है कि बिल भेजे जाने से पहले ही आखिर क्यों सॉलिसिटर जनरल से राय ली गई। केजरीवाल ने अपनी चिट्ठी में उपराज्यपाल को बिल पर उठाए जा रहे सवालों के जवाब भी दिए हैं। उन्‍होंने 'अगर कुछ बुरा लगे तो' इसके लिए एलजी से माफी भी मांगी है (पढें, पूरी चिट्ठी)
केजरीवाल ने चिट्ठी में बिल को लेकर उठ रहे दो बड़े सवालों के जवाब दिए: 
पहला सवाल- क्‍या दिल्‍ली जनलोकपाल बिल असंवैधानिक है ?  
 
केजरीवाल का जवाब – इस बिल को ड्राफ्ट करने के लिए एक उच्‍चस्‍तरीय कमेटी बनी। दिल्‍ली के मुख्‍य सचिव इस कमेटी के अध्‍यक्ष थे। अन्‍य सदस्‍यों के अलावा इस कमेटी में दिल्‍ली के विधि सचिव, वित्‍त सचिव, गृह सचिव और जाने माने वकील राहुल मेहरा भी शामिल थे। इन सब ने मिलकर कानून का पहला मसौदा तैयार किया। उस मसौदे को हर विभाग में भेजा गया और हर विभाग की उस पर राय ली गई। उनकी राय के आधार पर कानून में कई बदलाव भी किए गए और अंतत: कानून मंत्रालय ने अंतिम मसौदा तैयार किया गया, जिस पर कैबिनेट में विस्‍तार से चर्चा हुई। फिर, सॉलिसिटर जनरल ने उस कानून को बिना पढ़े असंवैधानिक कैसे करार दिया?
 
दूसरा सवाल- क्‍या दिल्‍ली जनलोकपाल बिल को विधानसभा में प्रस्‍तुत करने से पहले केन्‍द्र सरकार को मंजूरी जरूरी है ?
 
केजरीवाल का जवाब – मीडिया के अनुसार सॉलिसिटर जनरल साहब का कहना है दिल्‍ली विधानसभा में कानून को प्रस्‍तुत करने से पहले केन्‍द्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। लेकिन संविधान में ऐसा कहीं नहीं लिखा। तीन विषयों को छोड़कर संविधान दिल्‍ली विधानसभा को अन्‍य सभी विषयों पर कानून बनाने का पूरा अधिकार देता है। यदि दिल्‍ली विधानसभा कोई ऐसा कानून पास करती है, जिसकी कुछ धराएं किसी केन्‍द्रीय कानून के खिलाफ हैं तो ऐसे कानून को दिल्‍ली विधानसभा में पारित होने के बाद राष्‍ट्रपति की मंजूरी की जरूरत पड़ेगी।
 
ऐसा संविधान की धारा 239 ए (3) (सी) में लिखा है। संविधान में कहीं नहीं लिखा है कि दिल्‍ली विधानसभा को विधानसभा में कानून प्रस्‍तुत करने से पहले केन्‍द्र सरकार की मंजूरी लेनी होगी। केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया हुआ है, जिसके तहत उन्‍होंने दिल्‍ली सरकार को आदेश दिया है कि दिल्‍ली विधानसभा में बिल पेश करने से पहले केन्‍द्रीय सरकार से मंजूरी लेनी होगी। जाहिर है कि केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय  का यह आदेश गैर संवैधानिक है। दिल्‍ली विधानसभा का अधिकार क्षेत्र संविधान ने तय किया है। क्‍या केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय एक आदेश पारित करके उस पर अंकुश लगा सकता है ? यदि हर कानून पास करने के पहले केन्‍द्र सरकार से अनुमति लेनी हो तो दिल्‍ली में चुनाव कराने की क्‍या जरूरत है? यह तो सीधे-सीधे दिल्‍ली की जनता और दिल्‍ली विधानसभा की स्‍वायत्‍ता पर हमला है।
 
जैसे आपने सॉलिसिटर जनरल की राय ली है वैसे ही दिल्‍ली सरकार ने भी देश के तीन जाने-माने वकीलों और रिटायर्ड चीफ जस्टिस की राय ली है। इन चारों महानुभावों का मानना है कि गृह मंत्रालय का आदेश गैर संवैधानिक है। उन चारों के नाम हैं-जस्टिस मुकुल मुदगल, पीवी कपूर, के एन भट्ट और पिनाकी मिश्रा। इनकी राय मिलने के बाद दिल्‍ली कैबिनेट ने 3 फरवरी 2014 को प्रस्‍ताव पारित करके केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय के उस आदेश को वापस लिए जाने की सिफारिश की और उसे न मानने का निर्णय लिया।
 
केजरीवाल ने यह भी लिखा कि यह सब बातें मैं आज आपसे मिलकर बताना चाह रहा था, लेकिन उससे पहले ही कल मीडिया में सॉलिसिटर जनरल की राय लीक हो गई।

मै गरीब आतंकवादी हूं, मुझे दस लाख पैसे चाहिए', खत में मेट्रो स्टेशन को उड़ाने की दी धमकी



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'...मै गरीब आतंकवादी हूं, मुझे दस लाख पैसे चाहिए', खत में मेट्रो स्टेशन को उड़ाने की दी धमकी
नई दिल्ली. '... मै गरीब आतंकवादी हूं। मुझे पैसे की जरूरत थी तभी मैं इस काम को अंजाम दे रहा हूं। मुझे दस लाख पैसे (अर्थात दस हजार रुपए) चाहिए। मैं एक पाकिस्तानी नागरिक हूं और लक्ष्मी नगर की एक दुकान में काम कर रहा हूं। जल्द मेरी मांग पूरी नहीं की गई तो 14 फरवरी को लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन, उसके बाद निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन और होली से पहले आनंद विहार मेट्रो स्टेशन पर बम धमाके किए जाएंगे...' ये चंद लाइनें उस खत का हिस्सा हैं, जिसके मिलने के बाद समूचे डीएमआरसी नेटवर्क में हड़कंप मच गया। इस खत की सत्यता पता करने के लिए सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गई हैं।
बहरहाल, सीआईएसएफ ने इस खत को संजीदगी से लेते हुए सभी मेट्रो स्टेशन पर हाई अलर्ट घोषित कर दिया है। दिल्ली मेट्रो से जुड़े वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारी के अनुसार यह खत गुरुवार को शकरपुर बस स्टैंड पर एक युवती को मिला था। खत पढऩे के बाद युवती ने पुलिस कंट्रोल रूम को इस खत के बाबत सूचना दी। मौके पर पहुंची पीसीआर वैन ने खत को अपने कब्जे में लेकर युवती को पूछताछ के लिए थाने ले आई। युवती के बयान से संतुष्ट होने के बाद खत की जानकारी सीआईएसएफ के कंट्रोल रूम सहित आला अधिकारियों को दी गई। जिसके बाद सीआईएसएफ के सभी आला अधिकारियों को तुरंत लक्ष्मी नगर मेट्रो स्टेशन पर पहुंचने के निर्देश जारी कर दिए गए। बम निरोधक दस्ता, क्विक रिएक्शन टीम सहित रिजर्व फोर्स को लक्ष्मी नगर बुला लिया गया। पूरे मेट्रो स्टेशन की तलाशी ली गई। सब कुछ दुरुस्त मिलने के बाद सीआईएसएफ के राहत की सांस ली। हालांकि अगले कुछ दिनों में बम धमाके की धमकी को देखते हुए सीआईएसएफ ने पूरे मेट्रो नेटवर्क में हाई अलर्ट घोषित कर दिया है।

अर्थी पर से उठ खड़ी हुई महिला, मरा हुआ समझ कर ले जा रहे थ जलाने



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अर्थी पर से उठ खड़ी हुई महिला, मरा हुआ समझ कर ले जा रहे थ जलाने
चक्रधरपुर. बाउरीसाई गांव के श्मशान घाट में गुरुवार की शाम अजीबोगरीब वाकया हुआ। जिस महिला को मृत समझकर लोग उसके अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहे थे, वह अचानक उठ खड़ी हुई। दरअसल मंजु देवी (25) ने खाना-पीना छोड़ दिया था। वह पिछले 48 घंटे से बेहोश थीं। परिजनों ने समझा कि उनकी मौत हो चुकी है। गुरुवार शाम गांव के लोग जुटे। उन्हें श्मशान लाया गया। शवदाह की तैयारी होने लगी। तभी वह उठी और धीरे-धीरे चलते हुए घर पहुंच गई। उन्हें देखकर पहले तो लोग डर गए, लेकिन फिर राहत की सांस ली। मंजु देवी कराईकेला पंचायत के वार्ड सदस्य डेनी मोदी की पत्नी हैं।
घर में चल रहा है इलाज
पति डेनी ने बताया कि  शादी के बाद से ही मंजू को अक्सर दौरा पड़ता है। फिर वह बेहोश हो जाती हैं। बेहोशी की हालत में अजीब-अजीब बातें करती हैं। दो दिन पहले भी मंजु को दौरा पड़ा था। 48 घंटे तक वह बेहोश रही। शुरुआत में बुदबुदा कर श्मशान ले जाने की बात कही, फिर चुप हो गई। उन्हें लगा कि मंजु की मौत हो गई है। उन्होंने गांववालों को इसकी जानकारी दी। फिर उसे श्मशान घाट भेज दिया गया, जहां शवदाह की तैयारी चल रही थी। तभी वह उठकर घर की ओर चल पड़ी।
काशी में अंतिम संस्कार की तैयारी के दौरान उठ खड़ी हुई वृद्धा
वाराणसीत्नउत्तर प्रदेश में वाराणसी (काशी) जिले के धौरहरा गांव में गुरुवार को अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई जब अपने अंतिम संस्कार के दौरान एक वृद्धा उठकर बैठ गई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि खुरमुली यादव की 70 वर्षीया मां मुराही देवी गुरुवार सुबह नहीं उठीं। परिजनों ने उन्हें जगाने की काफी कोशिश की, नाकाम रहने पर उन्हें मृत मान लिया गया। परिजनों तथा ग्रामीणों ने नहला-धुलाकर वृद्धा को ले जाने के लिए लिटाया। कफन डालकर वे वृद्धा को रस्सी से बांधने लगे, तभी अचानक उनके शरीर में हरकत हुई। यह देखकर लाश बांधने वाले भाग खड़े हुए। इतने में वृद्धा उठकर बैठ गई। कफन देख वह बहुत गुस्सा हुईं और परिजनों को खूब भला-बुरा कहा।

सोची विंटर ओलिंपिक शुरू, उद्घाटन समारोह में बिना तिरंगे के पहुंचा भारत

सोची विंटर ओलिंपिक शुरू, उद्घाटन समारोह में बिना तिरंगे के पहुंचा भारत 
सोची. पिछले कई माह से चले आ रहे विवादों को पीछे छोड़ते हुए राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के कहे अनुसार फिश्ट ओलिंपिक स्टेडियम में 22वें शीतकालीन सोची ओलिंपिक खेलों का उद्घाटन भव्य समारोह के साथ शुरू हुआ। कार्यक्रम के दौरान स्टेडियम टेडियम में 40 हजार दर्शक उपस्थित थे। अरबों रुपए खर्च कर तैयार किया गया ओलिम्पिक स्टेडियम पूरी तरह जगमगा रहा था। उद्घाटन समारोह का टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया जा रहा है जिसे दुनिया के करीब 3 करोड़ लोग देख सकते हैं। इस बार स्पर्धा में रिकॉर्ड 88 देशों के तीन हजार एथलीट 98 गोल्ड मेडल के लिए फाइट करेंगे। सोची ओलिम्पिक मशाल यहां पहुंचने से पहले विश्व के विभिन्न देशों में रिले के दौरान 39 हजार मील तय किया।
उद्घाटन समारोह के दौरान शर्मसार होना पड़ा क्योंकि इसमें तीन भारतीय खिलाड़ी राष्ट्रीय ध्वज के बिना ही शिरकत कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि भारतीय ओलिंपिक एसोसिएशन (आईओए) को अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) ने प्रशासनिक कारणों से निलंबित किया हुआ है। इसी वजह से भारत के लूज खिलाड़ी शिवा केशवन, एलपाइन स्कायर हिमांशु ठाकुर और क्रास कंट्री स्कायर नदीम इकबाल आईओसी ध्वज के तले प्रतियोगिता में हिस्स ले रहे हैं।

यह सभी भारतीय एथलीट ‘व्यक्तिगत एथलीटों’ के वर्ग के अंतर्गत शीतकालीन खेलों में हिस्सा लेंगे और ओलंपिक ध्वज का प्रतिनिधित्व करेंगे। आईओसी ने दिसंबर 2012 में आईओए को ओलिंपिक चार्टर का पालन नहीं करने के लिये प्रतिबंधित किया था। इसके कारण भारतीय एथलीटों, जिसमें मुक्केबाज शामिल हैं, को विश्व संस्था के झंडे तले टूर्नामेंटों में भाग लेना पड़ा रहा है।

क़ुरान का सन्देश

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