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16 फ़रवरी 2014

करप्शन से तंग पार्टी कार्यकर्ता ने सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर फेंका जूता


चंडीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ता के गुस्से का शिकार होना पड़ रहा है। हरियाणा के सीएम रविवार को एक रैली को संबोधित कर रहे थे तभी हिसार के डबवाली क्षेत्र के पूर्व सरपंच के पति राजाराम ने सीएम पर जूते से हमला बोल दिया। गनीमत रही कि सीएम को जूता लगा नहीं, जैसे ही उसने सीएम पर हमला बोला, इसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों ने उसे दबोच लिया। उसकी जम कर पिटाई भी की गई।
लगाए हुड्डा मुर्दाबाद के नारे

जूता फेंकने के बाद राजाराम ने हुड्डा मुर्दाबाद के नारे लगाए। उसका कहना है कि इस सरकार में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। कार्यकर्ताओं की अनदेखी हो रही है। ऐसे नेताओं को सार्वजनिक स्थल पर जूते मारने ही चाहिए। उसने यह भी कहा कि कांग्रेस के लिए आने वाला दिन इससे भी बुरा होगा।

चिदंबरम पर जूता उछालने वाले जरनैल बोले- दंगों की राजनीति के खिलाफ हूं मैदान में



नई दिल्ली. सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेसी नेता जगदीश टाइटलर/सज्जन कुमार को मिली क्लीन चिट पर असंतोष जाहिर करते हुए तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम की ओर जूता उछालकर चर्चा में आए जरनैल सिंह अब पश्चिमी दिल्ली सीट से आम आदमी पार्टी के लोकसभा उम्मीदवार हैं। 'जूता उछालकर' सिखों की भावनाओं को दर्शाने का दावा करने वाले जरनैल ने पहली बार 'भास्कर' से राजनीति के मुद्दे पर खुलकर बात की।
क्या वजह है कि राजनीति के बजाए कौम की सेवा का दावा करने वाले जरनैल अब लोकसभा उम्मीदवार हैं? 
पहली बार किसी सरकार ने 1984 दंगों पर एसआईटी का गठन किया। ऐसा करने वाले अरविंद केजरीवाल पहले शख्स हैं। ऐसे में लगा कि दंगों की राजनीति के खिलाफ मैं अकेला मैदान में नहीं हूं। बस वजह यही है कि मैं उम्मीदवार हूं।
'दंगों की राजनीति के खिलाफ' से आपका क्या मतलब है? 
मतलब बिल्कुल स्पष्ट है, दंगा एक पार्टी के राज में नहीं हुआ, भागलपुर दंगा हो, 1984 का सिख विरोधी दंगा हो, मुजफ्फरनगर दंगा हो या फिर गुजरात का दंगा। किसी भी पार्टी ने इन दंगों को रोकने का प्रयास नहीं किया। अगर समयबद्ध कार्रवाई होती तो आगे दंगे नहीं होते। लेकिन हर पार्टी ने इनकी जांच और दोषियों तक पहुंचने में वर्षों लगा दिए, क्योंकि इनके लिए राजनीति पहले है। दंगे रोकना या पीडि़तों की पीड़ा को समझना नहीं।
आपको नहीं लगता कि राजनीति में आने से आंदोलनकारी जरनैल खत्म हो जाएगा? 
ऐसा नहीं है। भावना पवित्र और लक्ष्य स्पष्ट होना चाहिए। मैं पत्रकार रहा हूं, मैने जब नौकरी छोड़ी तो मैं एक प्रतिष्ठित पद पर था। न तो उस समय मेरा लक्ष्य राजनीति था और न ही अब है। मेरा उद्देश्य दंगों की राजनीति खत्म करना है।
पत्रकार के बाद सांसद की भूमिका मिली तो क्या करेंगे? 
पत्रकार के तौर पर मैने लोकसभा, पंजाब राज्य, रक्षा मंत्रालय, खाद्य आपूर्ति मंत्रालय और राजनीतिक दलों को एक दशक से ज्यादा समय तक कवर किया है। मैं जानता हूं कि आम आदमी को किन मंत्रालयों से और संसद में अपने प्रतिनिधियों से क्या अपेक्षाएं होती हैं। देश के एक प्रतिष्ठित अखबार में काम करने से लेकर अपनी भावनाओं को उजागर करने के बाद मैं बेरोजगार भी रहा हूं। ऐसे में आप उम्मीद कर सकते हैं कि मैं एक आम आदमी हूं और सदन में भी आम आदमी की आवाज बनूंगा।

AAP का एलानः सिब्‍बल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे आशुतोष, राहुल के खिलाफ कुमार विश्वास



नई दिल्‍ली. आम आदमी पार्टी (आप) ने रविवार को अपने बीस लोकसभा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी है। इसके मुताबिक, हाल ही पार्टी में शामिल हुए आशुतोष दिल्‍ली की चांदनी चौक सीट से कांग्रेस नेता कपिल सिब्‍बल के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे।  वहीं, अमेठी से कुमार विश्‍वास कांग्रेस उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ मैदान में होंगे। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर भी लोकसभा चुनाव लड़ेंगी। पार्टी ने केंद्रीय मंत्री अजित सिंह और बीजेपी नेता नितिन गड़करी के खिलाफ उतरने वाले पार्टी उम्मीदवारों के नामों का एलान किया। 
 
'आप' के संयोजक अरविंद केजरीवाल के घर हुई पीएसी की बैठक के बाद यह फैसला लिया गया। हालांकि, बैठक में अरविंद केजरीवाल के लोकसभा चुनाव लड़ने पर अंतिम फैसला नहीं हो पाया। 
 
ये हैं 'आप' के बीस चेहरे 
1- महाबल मिश्रा के खिलाफ वेस्‍ट दिल्‍ली से जनरैल सिंह
2- मुलायम सिंह यादव के खिलाफ मैनपुरी से बाबा हरदेव
3-अजहरुद्दीन के खिलाफ मुरादाबाद से खालिद परवेज
4-अजि‍त सिंह के खिलाफ बागपत से सोमेंद्र ढाका
5-राहुल गांधी के खिलाफ अमेठी से कुमार विश्‍वास
6-कपिल सिब्‍बल के खिलाफ  चांदनी चौक से आशुतोष
7- नितिन गडकरी के खिलाफ नागपुर से अंजलि दमानिया
8-सलमान खुर्शीद के खिलाफ फर्रुखाबाद से पत्रकार मुकुल त्रिपाठी
9-सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ पुणे से सुभाष वारे
10- मनीष तिवारी के खिलाफ लुधियाना से एच एस फुल्‍का
11- सहारनपुर से योगेश दहिया
12- अजय यादव के खिलाफ खंडवा से आलोक अग्रवाल
13- दक्षिण मुंबई से मीरा सान्‍याल
14- उत्‍तर-पूर्वी मुंबई से मेधा पाटकर
15-  लाल गंज से जिया लाल
16-नासिक से विजय पंधारे
17- गुरुदास कामत के खिलाफ उत्तर पश्चिम मुंबई से मयंक गांधी
18- गुड़गांव से योगेंद्र यादव 
19-जगदीश राणा के खिलाफ सहारनपुर से दहिया 
20- बरगल (ओडिशा) सीट से लिंगराज
 
 
नेताओं के खिलाफ उतरे आरटीआई एक्टिविस्ट
आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनावों के लिए जिन बीस उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की है उनमें से ज्यादातर एक्टिविस्ट हैं। मयंक गांधी, अंजलि दमानिया, योगेश दहिया, एचएस फुल्का, सोमेंद्र ढ़ाका और आलोक अग्रवाल और सुभाष वारे आरटीआई एक्टिविस्ट हैं।

क़ुरान का सन्देश

देश भर के ब्लॉगर आज सुबह दस बजे एकत्रित होकर चिंतन मंथन माथापच्ची करेंगे ,,

देश को राष्ट्रिय एकता में बाँध कर ,,नफरत करने वालों से बचाते हुए ,,प्यार के खुशनुमा माहोल में देश को केसे विकसित करे ,,केसे भ्रष्टाचार मुक्त माहोल बनाये ,,देश के हर वर्ग को केसे इन्साफ और समानता का दर्जा मिले ,,बेरोज़गारों को रोज़गार मिले ,,,,सीमाए सुरक्षित रहे ,,महंगाई के प्रकोप से देश को केसे बचाये और नव राष्ट्र के निर्माण में युवाओं सहित सभी वर्ग के लोगों की भूमिका क्या रहे इस विषय पर दिल्ली की रेडवीज़न ब्लू प्लाज़ा होटल नेशनल हाइवे आठ पर देश भर के ब्लॉगर आज सुबह दस बजे एकत्रित होकर चिंतन मंथन माथापच्ची करेंगे ,,बहन दीपिका इस ब्लॉगर मीट का प्रबंधन देख रही है जबकी भाई बेस्ट हिंदी ब्लॉगर स्वर्ण पदक विजेता खुशदीप सहगल और उनके साथी शाहनवाज़ ब्लॉगर सोशल एटिविस्ट को एक जुट कर आज एक नया इतिहास रचा रहे है उन्हें बधाई खुदा करे उनकी यह राष्ट्रिय ब्लॉगर मीट कामयाब और सफल हो आमीन सुम्मा आमीन ,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

में तो अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल ,, लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया ,,

में तो अकेला  ही चला  था  जानिबे मंज़िल ,, लोग मिलते गए और कारवाँ बनता गया ,,,,,,,,,जी हाँ दोस्तों कहने को चाहे यह किसी शायर का लिखा जुमला हो ,लेकिन शत प्रतिशत सच और सही है ,,लगभग दो सप्ताह पहले में सोफिया स्कूल के पास वल्लभनगर स्थित भंवर शाह तकिया बाबा जंगलीशाह क़ब्रिस्तान में था वहाँ मेने कुछ  नयी क़ब्रों की दुरदशा देखी दुरदशा तो क्या जो हाल मेने देखा वोह में यहाँ बयान करने की स्थिति में भी नहीं हूँ ,,,यह हाल देख कर मेरे रोंगटे खड़े हो गए मन उदास हो गया सोचा के उम्र के इस आखरी और अंतिम आवश्यक पढ़ाव शहरे खामोशां की भी यह दुरदशा है ,,सोचा हम जीते जी तो परेशानियों से जूझते रहते है सुकून से नहीं जी पाते लेकिन मरने के बाद तो हमे कम से कम आखरी पढ़ाव में सुकूंन मिले सोचा इस क़ब्रिस्तान से वक़फ़ कमेटी कोटा को लगभग पच्चीस लाख रूपये साल की कमाई होती है अगर आधा रुपया भी यह इस क़ब्रिस्तान के रख रखाव पर  खर्च कर दे तो सरकार और यह व्यवस्था इस स्थिति को सुधारने के लिए काफी है ,,,,,,,,खेर वक़फ़ कमेटी प्राथमिक ज़िम्मेदारी क़ब्रिस्तानों का रखरखाव सही तरह से कर पाने में जब नाकाम लगी तो मेने  फोन उठाया और सबसे पहले ई टी वी के हेड जगदीश क़ातिल और खुर्शीद भाई रब्बानी को सुचना दी ख्रुषीद भाई का रेस्पोंस प्रोपर आया लेकिन खबर नहीं बनी फिर सहारा समय टी वी चेनल के लोगों को कहा जब बात नहीं बनी तो दिल्ली सहारा हेड को बताया गया थोड़ी देर में वरिष्ठ पत्रकार जेदी साहब ने सम्पर्क कर हालात जाने और कोटा के संवाददाता पांचाल जी को  मामला देखें के लिए कहा ,,क़ब्रिस्तान की दुरदशा पर आधे घंटे का जागो राजस्थान का कार्यक्रम बनाना तय हुआ इसी बीच दैनिक भास्कर के सम्पादक विजय चौहान सर ने इसे अत्यंत गम्भीरता से लिया उन्होंने इसे एक मिशन के रूप में लेते हुए चीफ रिपोर्टर भाई शेलेन्द्र माथुर को भास्कर प्रेस फोटोग्राफर सलीम शेरी के साथ हालात जानने के लिए पहुंचाया इन लोगों ने क़ब्रिस्तान में जो हालत देखे इन्होने भी दांतो टेल उंगलिया दबा ली और दूसरे ही दिन भास्कर टोक शो के रूप में कोटा के ज़िम्मेदार मुसलमानो को बुलाया गया उनसे हालत जाने गए और फिर एक कोर कमेटी का गठन क्या गया बस फिर क्या था भास्कर अख़बार की निगरानी में काम शुरू हुआ ,,पहले ही दिन वकक कमेटी के अज़ीज़ अंसारी साथ आ गए ,,,अलमदद के आबिद ,,,आप के मिसकॉल मोहम्मद हुसे  अल्फलाह के रफ़ीक़ बेलियम ,,ज़ाकिर रिज़वी ,, फातेहान वेलफेयर सोसाइटी के रहीम खान ,,रउफ़ भाई ,,कोटड़ी व्यापार संघ के आबिद कागज़ी में खुद और बाबा रज़ाक ,,,हाजी इलियास अंसारी सहित दरजनों लोग क़ब्रिस्तान में थे पहले नयी शहीद क़ब्रों की मरम्मत का काम हाथ में लिया गया क़रीब साठ ताज़ा शहीद क़ब्रों को दुरुस्त कर यथावत क्या गया ,,,बस फिर क्या था रोज़ कर सेवा और श्रम दान के लिए लोगों का  जमावड़ा होने लगा सभी लोग अपने अपने हिसाब से काम करते नज़र आये ,,बाबा रज़ाक खुद जे सी बी मशीन लेकर खाली पढ़ी ज़मींन के झाड़ झंकाड़ हटाने लगे बाबा रज़ाक के बम्बूल के बढ़े बढ़े काँटों से पैर और हाथ लहुलुहान कड़ी महनत  करने से उनके हाथ पाँव अकड़ गए लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वोह लगातार एक हफ्ते से अपने मिशन में लगे हुए है ,,आबिद कागज़ी ,,,हाजी इलियास अंसारी ,मोहम्मद हुसेन मिस कोल ,,रहीम भाई ,,,,अज़ीज़ अंसारी ,,,शहीद मुल्तानी ,,,आबिद हुसेन ,,रफ़ीक बेलियम ,,ज़ाकिर रिज़वी भास्कर के फोटोग्राफर खुद सलीम शेरी,,,मंज़ूर तंवर ,,साबिर भाटी ,,,,आरिफ नागरा ,,,तबरेज़ पठान ,,,रशीद क़ादरी ,,,सहित सैकड़ों  लोगों ने काम शुरू क्या ,,अख़लाक़ साहब को  की ज़िम्मेदारी दी गयी ,,,नक़शा बन रहा है इसी बीच महापौर डॉकटर रत्ना जेन से भी इस बीमारी का इलाज करने के लिए कहा गया ,,डॉकटर रत्ना जेन उनके जन्म दिन के सभी कामकाज छोड़ कर क़ब्रिस्तान में  हमारे साथ मौक़ा देख रही थी पत्थरीली जगह ,,उबड़ खाबड़ रास्ते और कंटीली झाड़ियों के बीच जब उन्होेंने  क़ब्रिस्तान का हाल जाना तो उनके मुंह से भी बेसाख्ता ओह निकल पढ़ा ,,,,उन्होंने हालात का मिजाज़ भांपा हमे कार्यालय बुलाया वहाँ सीपेज खत्म करने के लिए स्थाई नाले का निर्माण ,,,पगडंडियां और गार्डन बनाने की योजना तैयार हुई ,,शावल मशीन ,,डम्पर ट्रेकटर दिए गए ,,,,मज़दूर दिए गए और लगातार काम में और तेज़ी आ गयी लोगों का उत्साह बढ़ा ,,क़ब्रिस्तान की शक्ल बदल गयी बाबा रज़ाक अभी भी एक जुनुन के साथ क़ब्रिस्तान को संवारने की कोशिशों में जूट है अब कई लोग साथ आने लगे है ,,,खुदा से दुआ है के खुदा इस नेक काम को सुकून और अमन चेन इस्लामिक निति नियमों के तहत बिना किसी विवाद के पूरा करे क्योंकि कायाकल्प कार्य किसी गार्डन या मामूली जगह का नहीं क़ब्रिस्तान का करना है जहां कई आस्थाएं कई इस्लामिक नियम रीतिरिवाज सामने आते है इसलिए कार्यकर्ताओं को सम्पूर्ण सावधानी के साथ काम करने की खुदा तौफ़ीक़ अता फरमाये और उम्र के आखरी पढ़ाव चाहे वोह मुक्तियधाम् हो चाहे वोह क़ब्रिस्तान हो सभी स्थानों के जीर्णोद्धार और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए कोटा की जनता आगे आये मीडिया आगे आये और लोगों को जागरूक करे ,,,दैनिक भास्कर के सम्पादक विजय चौहान ,,चीफ रिपोर्टर शेलेन्द्र माथुर ,,प्रेस फोटोग्राफर सलीम शेरी सहित पूरी टीम मुबारकबाद और बधाई की हक़दार है ,,,,,,,,,,,,,अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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