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22 फ़रवरी 2014

हाथी पर बैठकर गौरी के यहां बरात ले गए थे शाहरुख, खुद ही किया सबसे ज्यादा डांस


शाहरुख खान को रील लाइफ की तरह रियल लाइफ में भी अपनी नायिका गौरी खान को अपना बनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े थे। दिल्ली में पहली बार गौरी को देखते ही वे अपना दिल दे बैठे थे। इसके बाद जिस भी पार्टी में गौरी जातीं, शाहरुख बिना बुलाए ही उसमें पहुंच जाते। उन्होंने गौरी से तीसरी मुलाकात में उनके घर का टेलीफोन नंबर ले लिया। इसके बाद वे अपनी एक दोस्त से गौरी के घर फोन करवाते थे।
 
जैसे ही उनकी दोस्त फोन पर अपना नाम शाहनी बताती तो गौरी समझ जातीं कि शाहरुख का ही फोन है। करीब पांच साल तक यूं ही फोन पर बातें करने और मिलने-जुलने का सिलसिला चलता रहा। दोनों का अलग-अलग धर्मों का होना उनकी शादी में सबसे बड़ा रोड़ा था। गौरी के माता-पिता शाहरुख से शादी के सख्त खिलाफ थे। गौरी भी शाहरुख के फिल्मों में काम करने के खिलाफ थीं।
 
इसी दौरान शाहरुख की मां का निधन हो गया। इसके बाद शाहरुख ने गौरी के पिता को फोन पर कहा कि उन्होंने कोर्ट मैरिज कर ली है। बाद में वे उनके पास गए और बोले कि उन्होंने शादी नहीं की है, लेकिन जल्द कर लेंगे। अंतत: गौरी के माता-पिता मान गए और दोनों ने 25 अक्टूबर 1991 को शादी कर ली। शाहरुख हाथी पर बैठकर बरात लाए थे और सबसे ज्यादा खुद ही नाचे थे।

एक गांव, जहां की जिंदगी है नाव, बच्चे स्कूल जाते है नाव चलाकर


धमतरी. जिंदगी के संघर्ष को अगर करीब से देखना-समझना है तो ग्राम सिंघोला का सफर जरूरी है। गांव के चारों ओर लबालब पानी। आने-जाने के लिए सड़क को तरसते लोग। पढ़ाई, खरीदारी, इलाज...हर परिस्थिति में नाव के सहारे अपनी जीवन की नैय्या पार लगाने को मजबूर लोग। फिर भी हौसले बुलंद।  इतने कि पचास साल से जीवन जीने का यही तरीका।
सिंघोला गंगरेल बांध का डूब प्रभावित गांव है। पहाड़ी पर बसा है। धमतरी से दूरी है करीब 65 किमी। पक्के-कच्चे रास्तों से होकर गांव का सफर तय होता है। फिर नाव के सहारे ही गांव तक पहुंचा जा सकता है। यहां सात परिवार रहते हैं। गांव में बिजली भी है। पर नाव के माध्यम से ही ग्रामीण हर उस काम को कर रहे जो जीने के लिए जरूरी है। छोटे-छोटे बच्चे नाव चलाकर स्कूल आते-जाते हैं। हाट बाजार, राशन, रोजी मजदूरी के लिए महिलाओं को भी नाव से ही सफर करना पड़ता है। नाव-जाल लेकर दिन भर मछली पकडऩा यहां के ग्रामीणों का काम है और यही जीवन-यापन का प्रमुख जरिया भी है।

उम्र 80 की और जज्बा 18 का, 3 साल से खोद रहा तालाब


बडग़ांव. उम्र 80 साल, पर जज्बा ऐसा कि सुनेंगे तो हैरान रह जाएंगे। मेहनत देखकर लगता है कि अभी 18 के ही हैं। गांव में पानी की समस्या के चलते जानवरों को प्यास से भटकते नहीं देख सके तो सरकार को एक तालाब बनाने आवेदन दिया। पंचायत ने यह कहकर आवेदन खारिज कर दिया कि गरीबी रेखा में नाम नहीं है।
सरकार से मदद नहीं मिल पाई तो खुद ही भिड़ गए तालाब बनाने और 3 साल से लगातार अकेले इस उम्मीद के साथ मिट्टी खोद रहा है कि जिस दिन तालाब बन जाएगा ग्रामीणों के अलावा मवेशियों की भी प्यास बुझेगी। ग्राम पंचायत बडग़ांव का आश्रित ग्राम नेडग़ांव में 80 साल के सियाराम उयके लगातार 3 साल से तालाब बनाने मे जुटे हुए हैं।
कसम खा रखी है कि जब तक जिंदा हैं तालाब बनाकर ही दम लेंगे। रोज सबेरे गैंती फावड़ा लेकर तालाब बनाने पहुंच जाते हैं और दिनभर पसीना बहाने के बाद शाम को ही वापस लौटते हैं। सियाराम गरीब तो है परंतु दुर्भाग्य से गरीबी रेखा में नाम नहीं होने से कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। सियाराम के पांच लड़के, चार लड़कियां और बीस नाती हैं। सब मना करते हैं लेकिन अपनी धुन के पक्के सियाराम ना तो किसी की मदद लेते हैं और ना ही किसी का सहयोग।
बस जिद की तालाब बनाकर ही दम लूंगा। गांव के पटेल राजेंद्र कहते हैं कि अस्सी साल की उम्र में तालाब बनाने का जुनून देखकर हैरानी होती है। सियाराम के बड़े बेटे रैयजी की उम्र 50साल है। घर मे नाती बहुएं सभी है परंतु सियाराम के जिद के आगे किसी की नहीं चलती। नाहगीदा गांव के सालिक राम नेताम ने कहा इस उम्र मे बुजुर्ग आदमी को इतना काम करते देख नौजवानों को सीख लेनी चाहिए।
डबरी बनाने किया जाएगा प्रयास
सियाराम उयके ने डबरी बनाने आवेदन दिया था, परंतु 2002 की सर्वे सूची में नाम नहीं होने से पात्रता नहीं है।  अभी वृद्घावस्था पेंशन प्रकरण बनाया जा रहा है। साथ ही अधिकारियों से बात कर डबरी स्वीकृत कराने प्रयास किया जाएगा। बसंती नेताम, सरपंच, ग्राम पंचायत बडग़ांव

शरद पवार का यू टर्न, गुजरात दंगों को लेकर मोदी पर साधा निशाना

शरद पवार का यू टर्न, गुजरात दंगों को लेकर  मोदी पर साधा निशाना
 
नरेंद्र मोदी पर  गुजरात दंगों  को लेकर निशाना साधने से बचने की सलाह देनी वाली पार्टी एनसीपी के मुखिया ने यू टर्न मार लिया है। शनिवार को महाराष्ट्र में रैली के दौरान शरद पवार ने मोदी पर जमकर निशाना साधा। हाल में में शरद पवार ने मोदी से मुलाकात पर पूछे जा रहे सवालों पर भी आपत्ति जताई है।
 
शरद पवार ने बिना नाम लिए मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमने गुजरात का विकास भी देखा और नरसंहार भी देखा है। पवार ने कहा कि देश को आम लोगों की जिंदगी बदलने वाले नेता की जरूरत है। उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यक समाज सबसे पिछड़ा है।
 
मोदी के विकास की हवा निकालते हुए पवार ने कहा कि पड़ोसी राज्य का मुख्यमंत्री विकास की डींग हांकता है। पवार ने ये भी कहा कि अल्पसंख्यकों के चेहरे पर हंसी लाने वाला विकास ही सही विकास है। इसके अलावा पवार ने ये भी कहा कि मोदी को मीडिया का साथ मिल रहा है और लोगों को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है।
 
पवार ने ये भी कहा कि जो विकास हुआ है उसे बढ़ाकर पेश किया जा रहा पवार ने दो टूक कहा कि देश की सत्ता किसी तानाशाह के हाथ में नहीं जानी चाहिए। पवार ने खुद के लिए कहा कि वो कभी धर्मर्निरपेक्षता से समझौता नहीं करेंगे। इसके अलावा पवार ने कहा कि कुछ लोग अल्पसंख्यक समाज को गाली देकर राजनीति करते हैं।

चीन को ललकार मोदी ने दिए अमेरिका के प्रति नरमी के संकेत



पासीघाट/सिलचर/अगरतला। भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपने मिशन 272 के तहत उत्तर पूर्व के दौरे पर ताबड़तोड़ तीन रैलियां एक दिन में कर न सिर्फ कांग्रेस को कुछ खरी बातें सुनाई बल्कि पहली बार चीन और पाकिस्तान से जुड़े देश की विदेश नीति के तत्वों पर अपनी सोच समझ भी सामने रखी। मोदी ने सबसे पहले अरुणाचल के पासीघाट में फिर असम के सिलचर और अंत में त्रिपुरा की राजधानी अगरतला में रैलियों को संबोधित किया। वैसे तो नरेंद्र मोदी के निशाने पर चीन और कांग्रेस थी लेकिन बातों बातों में वह अपनी बात के खुद ही शिकार हो गए। पूर्वोत्तर में इस बार वे चीन की विस्तारवादी नीति की आलोचना कर रहे थे। चीन को ललकार रहे थे। पर इसके साथ ही गुजरात का महिमामंडन करते समय वे कह बैठे कि मुझसे पाकिस्तान परेशान है इधर बांग्लादेश से असम परेशान है। 
 
पाक में जारी हो सकता है अलर्ट 
जानकारों के अनुसार मोदी के इस बयान के बाद से पाकिस्तान की सेना और शासन शायद पहले से ज्यादा अलर्ट हो जाए और आगामी लोकसभा चुनावों को लेकर अधिक कूटनीतिक संवेदनशीलता बरतने लगे। इस बात का एक सिरा इस ओर भी इशारा कर रहा है कि मोदी जम्मू कश्मीर और पंजाब की संभावित रैलियों में पाक पर और तीखे प्रहार करने लगे। 
 
कहां क्या कहा और क्यों कहा 
पासीघाट में रैली को संबोधित करते समय नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि दुनिया की कोई भी ताकत अरुणाचल प्रदेश को भारत से नहीं छीन सकती है। चीन बराबर अरुणाचल प्रदेश पर अपनी दावेदारी जताता रहा है। भाजपा नेता ने कहा कि अब दुनिया में कहीं भी विस्तारवादी राजनीति नहीं होती है, इसलिए चीन को भी अपनी विस्तारवादी मानसिकता को छोड़ना होगा। प्रदेश में सरकार चला रही कांग्रेस की आलोचना करते हुए उन्होंने 2012 में हुए मुख्यमंत्रियों के एक सम्मेलन का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री ने उस सम्मेलन में केंद्र की कांग्रेस सरकार पर ही कई आरोप लगाए थे। उन्होंने लोगों से दिल्ली में एक ऐसी सरकार बनाने की अपील की जो कि अरुणाचल प्रदेश के लोगों की आवाज सुने। खास बात ये भी है कि इस रैली में अरुणाचल के पूर्व सीएम गेगांग अपांग विधिवत रूप से भाजपा में शामिल हो गए। 
 
अमेरिका के प्रति नर्म होने के अर्थ 
मोदी के इस बयान के गहरे निहितार्थ हैं। वह एक तीर से कई निशाने लगाना चाहते हैं। 
 
पहला निशाना
अमेरिका,
इस निशाने के बहाने वह एक तरह से अमेरिका के दलाई लामा से मिलने के फैसले को एक तरह से समर्थन दे रहे थे। 
 
ऐसे समझें अमेरिका व दलाई लामा को समर्थन देने की राजनीति को 
चीन आरंभ से ही अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत कहता रहा है इसीलिए मोदी ने दलाई लामा और अमेरिका दोनों को एक साथ साधते हुए दुनिया भर में बौद्ध धर्म को  मानने वाले लोगों को अपनी ओर खींचने का प्रयास किया है। इसके साथ अब मोदी के लिए अमेरिका साम्राज्यवादी देश नहीं रहा। यानी अमेरिका की आलोचना से अब वह बचेंगे। 
 
दूसरा निशाना
कांग्रेस,
वह कांग्रेस के किले को भेदने की कोशिश भी कर रहे थे। इसके अलावा वह चीन को लेकर भारतीय जनमानस की चिंताओं और असुरक्षा की भावना को उभारना चाहते हैं। दरअसल मोदी भावनाएं उभारने वाले खेल के माहिर खिलाड़ी हैं। उन्हें पता है कि पूर्वोत्तर की जनता का एक बड़ा हिस्सा अमरिकी संस्कृति से बेहद प्रभावित हो चुका है और चीन के प्रति अशंकित रहता है। गौरतलब है कि इसके साथ-साथ कांग्रेस के भीतरी असंतोष को हवा देकर वह अपने लिए राजनीतिक जमीन भी तैयार कर रहे थे। 
 
सिलचर में खेला हिंदू कॉर्ड 
असम के सिलचर में मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए बांग्लादेशी घुसपैठिए और हिंदू कॉर्ड खेला। नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के हिंदुओं का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वहां से खदेड़े जा रहे हिंदुओं का बोझ सिर्फ असम पर क्यों लादा जाता है? मोदी ने कहा कि उन्हें देश के अलग-अलग हिस्सों में बसाना चाहिए, लेकिन वहां से राजनीतिक कारणों से आ रहे घुसपैठियों को वापस भेजा जाना चाहिए।
 
वाजपेयी का गुणगान कर लाए इमोशनल टच
अपने पक्ष के तर्क में उन्होंने वाजपेयी सरकार की नीतियों का भी गुणगान किया। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने हर विभाग को कुल बजट का 10 फीसद हिस्सा पूर्वोत्तर के राज्यों के लिए आबंटित करने को कहा था। भाजपा नेता ने कहा कि अगर वो प्रधानमंत्री बने तो वो पूर्वोत्तर के लिए वाजपेयी सरकार की नीतियों को ही आगे बढ़ाएंगे। मोदी ने भीड़ से पूछा बांग्लादेश से जो घुसपैठिए आए हैं, उन्हें बार भेजना चाहिए या नहीं। बांग्लादेश से दो तरह के लोग आए हैं। एक तरह लोग राजनीतिक साजिश के तहत आए हैं। दूसरे ऐसे लोग हैं जिनका बांग्लादेश में जीना मुश्किल कर दिया गया है। उनकी बहन-बेटियों की इज्जत सुरक्षित नहीं है। क्या दोष है बांग्लादेश में रहने वाले उन लोगों का जिनका सब कुछ लूट लिया जाता है, उन्हें खदेड़ दिया जाता है। वो हिंदू जाएगा तो जाएगा कहां। अगर फिजी के हिंदू पर जुल्म होता है तो वो कहां जाएगा। मारीशस-अमेरिका में हिंदुओं पर जुल्म होगा तो वो कहां जाएगा। दुनिया में किसी हिंदू को खदेड़ दिया जाएगा तो उसके लिए एक ही जगह बची है। क्या हमारी सरकार उन पर ऐसे ही जुल्म करेगी जैसा विदेशों और बांग्लादेश में हो रहा है। वाजपेयी ने पाकिस्तान से आए हिंदुओं के लिए योजना बनाई थी। अकेले किसी राज्य पर बोझ नहीं आया था। हम नहीं चाहते कि बांग्लादेश से आए हिंदुओं का बोझ सिर्फ असम उठाए। ये लोग देश के सभी राज्यों में जाएं। उन्हें रोजगार मिले, बच्चों को पढ़ाई मिले। इससे असम की समस्या भी कम होगी। जो घुसपैठिए राजनीतिक मकसद से आए हैं उन्हें तो वहीं वापस भेजना होगा।

क़ुरान का सन्देश

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