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25 फ़रवरी 2014

जगदलपुर: सीएसपी ने पत्नी की हत्या के बाद की खुदखुशी

 


रायपुर। जगदलपुर के निलंबित सिटी एसपी देवनारायण पटेल ने खुद को गोली मार कर खुदखुशी कर ली। आत्महत्या करने से पहले सीएसपी ने गोली मारकर पत्नी की भी हत्या कर दी। फायरिंग में दोनों बच्चे भी गंभीर रूप से घायल हो गए।
 
बच्चों को इलाज के लिए रायपुर लाया गया
सीएसपी के दोनों बच्चे 11 साल की पूनम और छः साल का आयुष को इलाज के लिए हेलीकाप्टर से रायपुर लाया गया। डॉक्टरों का कहना है कि फायरिंग के दौरान निकले छर्रे बच्चों के शरीर में लग गए जिससे उन्हें गंभीर छोटें आई हैं। उनका इलाज राजधानी स्थित रामकृष्ण केयर अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों  का कहना है कि सीएएसपी की बेटी की हालत गंभीर बनी हुई है, उसे आईसीयू में रखा गया है। दोनों बच्चों की स्थिति को स्टेबल करने की कोशिश की जा रही है जिसके बाद उनका ऑपरेशन किया जाएगा। 
 
गृहमंत्री, आला अधिकारी पहुंचे अस्पताल
पटेल के बच्चिन से मुलाक़ात करने और डॉक्टरों से उनकी स्थिति का जायजा लेने आज सुबह गृहमंत्री राम सेवक पैकरा अस्पताल पहुंचे। उन्होंने डॉक्टरों को निर्देश दिए कि बच्चों के इलाज में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। पैकरा ने कहा कि पटेल के रूप में छत्तीसगढ़ ने एक काबिल अफसर खो दिया है। गृहमंत्री ने मामले की उचित जांच करवाने का आश्वासन दिया है। आज सुबह प्रभारी डीजीपी उपाध्याय ने भी अस्पताल पहुंचकर बच्चों की हालत का जायजा लिया। 
 
जज से हुआ था विवाद
बताया जा रहा है कि पटेल का 23 फरवरी को एडिशनल जज ए टोप्पो से उनका विवाद हुआ था। जगदलपुर के संगम होटल के रास्ते से एडीजे अपने घर जा रहे थे उस वक़्त वहां ट्रैफिक जाम हो गया था। सीएसपी अपने सिपाहियों के साथ वहां पहुंचे और एडीजे को पीटना शुरू कर दिया। इस घटना की जानकारी एडीजे ने हाई कोर्ट को दी और पुलिस अधिकारियों ने तुरंत एक्शन लेते हुए सोमवार को पटेल को निलंबित कर दिया।
 
निलंबन से थे आहत
शुरूआती जांच में यह समझा जा रहा है कि पटेल निलंबन से तनाव में थे इसलिए रात में उन्होंने साकेत कॉलोनी स्थित अपने सरकारी आवास में पत्नी को गोली मारने के बाद खुद को भी मौत के हवाले कर दिया। 
 
पटेल को जानने वाले घटना से स्तब्ध
पटेल के परिचितों और रिश्तेदारों का कहना है कि वे बेहद सुलझे हुए इंसान थे, बड़ी से बड़ी परेशानी में भी संयम नहीं खोते थे। नक्सलियों से बिना संयम खोए साहस के साथ लड़ने के कारण ही उनको वीरता पुरस्कार दिया गया था ऐसे में उनका ऐसा कदम उठाना आश्चर्य जनक है।  पटेल के परिजनों ने उनकी मौत की सीबीआई जांच करने की मांग की है।

'मीडिया को कुचलने' वाले बयान को लेकर सोशल मीडिया पर उड़ा शिंदे का मजाक



नई दिल्ली. इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को कुचलने वाले अपने बयान पर बवाल होता देख केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने यू-टर्न लेते हुए कहा है कि उन्होंने ऐसा पत्रकारिता के लिए नहीं, बल्कि सोशल मीडिया के लिए कहा था। हालांकि, इसके बाद ट्विटर पर यूजर्स नेे उनका मजाक उड़ाना शुरू कर दिया है। शिंदे अपने बयान से भाजपा के भी निशाने पर आ गए हैं। पार्टी नेता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि शिंदे इससे पहले भी आपत्तिजनक बयान दे चुके हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस बुरी तरह से हताश हो चुकी है इसलिए उनके नेताओं के मुंह से इस तरह के बयान निकल रहे हैं।  
 
पहले कहा था?
 
इससे पहले रविवार को शिंदे ने कहा था कि वो इलेक्ट्रानिक मीडिया को “कुचल देंगे”। उन्होने कहा था कि मीडिया वाले बेवजह गलत प्रोपेगेंडा बनाकर कांग्रेस को भड़काने का प्रयास करते हैं। शिंदे के इस बयान के बाद काफी हंगामा खड़ा हो गया। विवाद बढ़ता देख मंगवार सुबह शिंदे अपने बयान से पलट गए। 
 
अब कह रहे हैं?
 
शिंदे अब कह रहे हैं कि उन्होंने कहा था कि सोशल मीडिया घृणा फैलाती है, पत्रकारिता नहीं। उन्होंने कहा कि खुफिया विभाग मेंरे अंडर आता है। मैं जानता हूं कि ये सबकुछ कौन कर रहा है। जो भी हो रहा है उसे मैं जानता हूं और ये भी जानता हूं कि इसके पीछे कौन ताकते हैं। 
 
क्यों दिया था बयान?
 
शिंदे का बयान राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्तर पर लोकसभा चुनाव को लेकर आए जनमत सर्वेक्षण के नतीजों की पृष्ठभूमि को लेकर था। शिंदे ने मीडिया से अपील की थी कि वो कुछ ऐसी साकारात्मक खबरे चलाएं, जिसे पाठक सहर्ष स्वीकार करे। उन्होंने कहा कि लोग उन्हें कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे जो समाज को प्रभावित कर बांटने की कोशिश कर रहे हैं।

खुलासा: पैसे लेकर बढ़ाई-घटाई जाती हैं सर्वे में सीटें


नई दिल्ली। ओपिनियन पोल फिक्स होते हैं। पोल करवाने वाले अपने मनमुताबिक नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। यह खुलासा किया है एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन ने। चैनल का दावा है कि सी-फोर समेत देश की 11 नामी ओपिनियन पोल कंपनियां इस तरह का फर्जी काम कर रही हैं। इस ऑपरेशन के बाद इंडिया टुडे समूह ने सी-वोटर के साथ करार निलंबित कर दिया है। हालांकि, नीलसन इकलौती ऐसी कंपनी है, जिसने पैसे लेकर नतीजे बदलने से इनकार कर दिया।
न्यूज चैनल ने 'ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर' नामक स्टिंग ऑपरेशन में दावा किया है कि अखबारों, वेबसाइट्स और न्यूज चैनल्स पर दिखाए जाने वाले ओपिनियन पोल्स सही नहीं होते। इस ऑपरेशन के दौरान चैनल के रिपोर्टर्स ने सी-वोटर, क्यूआरएस, ऑकटेल और एमएमआर जैसी 11 कंपनियों से संपर्क किया। स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया गया है कि कंपनियों के अधिकारी पैसे लेकर आंकड़ों को इधर-उधर करने को राजी हो गए हैं। ये कंपनियां मार्जिन ऑफ एरर के नाम पर आंकड़ों में घालमेल करती हैं। पैसे का लेन-देन भी पारदर्शी नहीं है। काला धन बनाया जा रहा है। चैनल के एडिटर-इन-चीफ विनोद कापड़ी का कहना है कि 4 अक्टूबर 2013 को चुनाव आयोग ने ओपिनियन पोल पर राजनीतिक दलों से उनकी राय मांगी थी।
उसके बाद ही हमने इन सर्वे की सच्चाई का पता लगाने के बारे में सोचा। इंडिया टुडे समूह ने तोड़ा सी-वोटर का साथ: स्टिंग ऑपरेशन का असर भी तुरंत दिखा। इंडिया टुडे समूह ने सी-वोटर के साथ करार निलंबित कर दिया है। सी-वोटर को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
वहीं सी-वोटर के यशवंत देशमुख ने कहा कि 'यह मेरी 20 सालों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाने और छवि खराब करने की कोशिश की गई है। यदि चैनल ने बातचीत की पूरी स्क्रिप्ट नहीं दिखाई तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई पर करेंगे।'ऑपरेशन प्राइम मिनिस्टर' के दस अहम निष्कर्ष
1. पैसे लेकर सर्वे कंपनी दो रिपोर्ट देती है। एक वास्तविक, दूसरी मनचाही।
2. मार्जिन ऑफ एरर (घट-बढ़ की संभावना) के सहारे आंकड़ों में की जाती है गड़बड़ी। (उदाहरण के लिए 40 से 60 सीटें मिल रही हैं तो वे दिखाएंगे 60 सीटें)
3. पैसे लेकर बढ़ाते-घटाते हैं पार्टियों की सीटें। प्रभावित करते हैं जनमत।
4. चुनावों में पैसे बांटकर डमी कैंडीडेट खड़े करने का किया दावा।
5. एक कंपनी का दावा: फर्जी आंकड़ों पर बना था दिल्ली में आप को 48 सीटों वाला सर्वे।
6. हर बड़ी कंपनी से जुड़ी है दो से ज्यादा छद्म कंपनियां।
7. सभी सर्वे कंपनियां ब्लैक मनी लेने को तैयार। आधा कैश, आधा चेक से लेते हैं पैसा।
8. सी-वोटर जैसी बड़ी कंपनियां छोटी कंपनियों से जुटाती हैं आंकड़े।
9. एक बार आंकड़े जुटाकर मनमुताबिक निकाल सकते हैं कई निष्कर्ष।
10. एमएमआर का दावा, हर्षवर्धन को सीएम प्रत्याशी नहीं बनाते तो बनती भाजपा की सरकार।

जेल जाने के 7 घंटे बाद बीमार हुई शिबू सोरेन की बहू, अस्पताल में हुई भर्ती

रांची. पुलिस को सीता के सरेंडर करने की भनक तक नहीं लगी। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि सीता दो समर्थकों के साथ सरकारी वाहन से सुबह साढ़े नौ बजे कोर्ट परिसर पहुंचीं। उनके साथ सुरक्षा गार्ड भी था। तब कोर्ट खुला नहीं था। सुबह 10 बजे कोर्ट खुलने पर वे कक्ष में बैठ गईं। विशेष जज 10.40 बजे आए। थोड़ी देर बाद सीता के वकील विश्वजीत मुखर्जी ने सरेंडर आवेदन दाखिल किया। 10.45 बजे सबसे पहले उनके आवेदन पर सुनवाई हुई। वकील ने सीता को जेल में पर्याप्त चिकित्सा उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। जज ने वकील से यह लिखित में मांगा। आवेदन में बताया गया कि सीता को थॉयराइड व अन्य बीमारियां हैं। कोर्ट ने जेल अधीक्षक को उन्हें जेल में पर्याप्त चिकित्सा मुहैया कराने का निर्देश दिया। करीब 20 मिनट की सुनवाई के बाद जज  उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया। 11:20 बजे उन्हें जेल भेज दिया गया। शाम को चेस्ट पेन की शिकायत पर उन्हें रिम्स लाया गया।
कैसे हुई कार्रवाई
राज्यसभा चुनाव-2012 से जुड़े नोट फॉर वोट मामले में फरार चल रहीं झामुमो विधायक सीता सोरेन ने मंगलवार को सीबीआई के विशेष जज आरके चौधरी के कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने उन्हें चार दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। सुबह 11:20 बजे जेल जाने के सात घंटे बाद शाम 6:45 बजे चेस्ट पेन होने पर उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया। एक मार्च को उन्हें कोर्ट में पेश किया जाएगा। मामले में आरोपी सीता के पिता बी. नारायण माझी और राजेंद्र मंडल अब भी फरार हैं।
क्या है मामला
सीता सोरेन पर आरोप है कि 2012 के राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी आरके अग्रवाल के समर्थन में प्रस्तावक बनने और वोट का जुगाड़ करने के बदले रिश्वत ली थी। मामले का खुलासा 30 मार्च 2012 को हुआ, जब नामकुम में अग्रवाल की गाड़ी से 2.15 करोड़ जब्त किए गए। विधायक के निजी सचिव विकास कुमार ने अपने  बयान मेें खुलासा किया कि सीता ने अग्रवाल से 50 लाख रुपए रिश्वत ली थी।

क़ुरान का सन्देश

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